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अर्जुन टैंक

सूची अर्जुन टैंक

अर्जुन (संस्कृत में "अर्जुनः") एक तीसरी पीढ़ी का मुख्य युद्धक टैंक (एमबीटी) है। इसे भारतीय सेना के लिए भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित किया गया है। अर्जुन टैंक का नाम महाभारत के पात्र अर्जुन के नाम पर ही रखा गया है। अर्जुन टैंक में 120 मिमी में एक मेन राइफल्ड गन है जिसमें भारत में बने आर्मर-पेअरसिंग फिन-स्टेबलाइज़्ड डिस्कार्डिंग-सेबट एमुनीशन का प्रयोग किया जाता है। इसमें PKT 7.62 मिमी कोएक्सिल मशीन गन और NSVT 12.7 मिमी मशीन गन भी है। यह 1,400 हार्सपावर के एक एमटीयू बहु ईंधन डीजल इंजन द्वारा संचालित है। इसकी अधिकतम गति 67 किमी / घंटा (42 मील प्रति घंटा) और क्रॉस-कंट्री में 40 किमी / घंटा (25 मील प्रति घंटा) है। कमांडर, गनर, लोडर और चालक का एक चार सदस्यीय चालक दल इसे चलाता है। ऑटोमैटिक फायर डिटेक्शन और सप्रेशन और NBC प्रोटेक्शन सिस्टम्स इसमें शामिल किये गए हैं। नए कंचन आर्मर द्वारा ऑल-राउंड एंटी-टैंक वॉरहेड प्रोटेक्शन को और अधिक बढ़ाया गया है। इस आर्मर का थर्ड जनरेशन टैंक्स के आर्मर से अधिक प्रभावशाली होने का दावा भी किया गया है। बाद में, देरी और 1990 के दशक से 2000 के दशक तक इसके विकास में अन्य समस्याओं के कारण आर्मी ने रूस से टी -90 टैंकों को खरीदने का आदेश दिया ताकि उन आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके जिनकी अर्जुन से पूरा करने के लिए उम्मीद की गई थी। मार्च 2010 में, अर्जुन के तुलनात्मक परीक्षणों के लिए इसे टी -90 के खिलाफ खड़ा किया और इसने अच्छी तरह से प्रदर्शन किया। सेना ने 17 मई 2010 को 124 अर्जुन एमके 1 टैंक और 10 अगस्त 2010 को अतिरिक्त 124 अर्जुन एमके 2 टैंकों का ऑर्डर दिया। अर्जुन द्वारा 2004 में भारतीय सेना के साथ सेवा में प्रवेश किया गया। टैंक को पहले भारतीय सेना के आर्मर्ड कोर्स के 43 आर्मर्ड रेजीमेंट में शामिल किया गया, जबकि 12 मार्च 2011 को 75 आर्मर्ड रेजिमेंट में भी इसे शामिल किया गया। .

3 संबंधों: टैंक, टेंक, शंकर रॉयचौधरी

टैंक

टी-९० भीष्म टैंक कवचयान या टैंक (Tank) एक प्रकार का कवचित, स्वचालित, अपना मार्ग आप बनाने तथा युद्ध में काम आनेवाला ऐसा वाहन है जिससे गोलाबारी भी की जा सकती है। युद्धक्षेत्र में शत्रु की गोलाबारी के बीच भी यह बिना रुकावट आगे बढ़ता हुआ किसी समय तथा स्थान पर शत्रु पर गोलाबारी कर सकता है। गतिशीतला एवं शत्रु को व्याकुल करने का सामर्थ्य है और जो कबचित होने के कारण स्वयं सुरक्षित है। .

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टेंक

एक जेर्मन लेपर्ड २ टेंक फिनिश सेना की सेवा में टेंक एक ऐसे सेन्य बख्तरबंध वाहन को कहते है जो की विशेष तोर से युद्ध में सेना के द्वारा गोले दागने के कार्य में लिया जाता है। टेंक अट्ठारवी सदी की तोपों का बेहद ही उन्नत व चालित आधुनिक रूप है जिनसे की आज की सेन्य तोपे भी प्रेरित है। टेंक विशेष तोर से अपने एक ट्रेक पे चलता है व इसके पहिये कभी भी जमीन से सीधे संपर्क में नहीं आते व हमेशा अपने ट्रेकों पर ही चलते है, इस खास वजह से यह किसी भी प्रकार की बेहद ही दुर्गम जगह पे भी आसानी से चल सकता है व अपनी ही जगह खड़े खड़े एक से दूसरी और मुड सकता है। इसका खास एवं बेहद मजबूत बख्तर दुश्मन सेना की और से दागे गोले बारूद को सहन करने में सक्षम होता है। टेंक में मुख्य तोर पे दो हिस्से होते है, एक निचे का चलित हिस्सा जिसमे की ट्रेक, पहिये, इंजन व सेन्य दल होते है व उप्पर का जिसे की टेरत कहते है जिसमे की तोप, मशीन गन व टेंक के अन्य उपकरण होते है। इसके सेन्य दल में ३ या ४ सदस्य हो सकते है जो की टेंक चलाने, गोले दागने, मशीन गन चलाने व टेंक कमांडर की भूमिका निभाते है। टेंक का मुख्य कार्य गोले दागना होता है। इसे सेनाओं द्वारा युद्ध में दुश्मन पर विशेष तोर से बने कई प्रकार के गोले दागने, इस पर लगी मशीन गन से गोली मारने व पैदल सेना को सहायता उपलब्ध कराने के लिए भेजा जाता है। टेंक का उपयोग प्रथम विश्वयुद्ध में सर्वप्रथम ब्रिटिश सेना के द्वारा किया गया था व तबसे ही इसकी उपयोगता की वजह से इसमें लगातार बदलाव कर एक के बाद एक उन्नत प्रकार विश्व की सेनाओं द्वारा काम में लाये जा रहे है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद बने टेंको को उनकी पीड़ी में बाटा जाता है। .

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शंकर रॉयचौधरी

जनरल शंकर रॉयचौधरी, पीवीएसएम, एडीसी (जन्म ६ सितंबर १९३७, कोलकाता) भारतीय सेना के पूर्व सेना प्रमुख और भारतीय संसद के पूर्व सदस्य हैं। .

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