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अमृतसर

सूची अमृतसर

अमृतसर (पंजाबी:ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ) भारत के पंजाब राज्य का एक शहर है।http://amritsar.nic.in अमृतसर की आधिकारिक वैबसाईट अमृतसर पंजाब का सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र शहर माना जाता है। पवित्र इसलिए माना जाता है क्योंकि सिक्खों का सबसे बड़ा गुरूद्वारा स्वर्ण मंदिर अमृतसर में ही है। ताजमहल के बाद सबसे ज्यादा पर्यटक अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को ही देखने आते हैं। स्वर्ण मंदिर अमृतसर का दिल माना जाता है। यह गुरू रामदास का डेरा हुआ करता था। अमृतसर का इतिहास गौरवमयी है। यह अपनी संस्कृति और लड़ाइयों के लिए बहुत प्रसिद्ध रहा है। अमृतसर अनेक त्रासदियों और दर्दनाक घटनाओं का गवाह रहा है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बड़ा नरसंहार अमृतसर के जलियांवाला बाग में ही हुआ था। इसके बाद भारत पाकिस्तान के बीच जो बंटवारा हुआ उस समय भी अमृतसर में बड़ा हत्याकांड हुआ। यहीं नहीं अफगान और मुगल शासकों ने इसके ऊपर अनेक आक्रमण किए और इसको बर्बाद कर दिया। इसके बावजूद सिक्खों ने अपने दृढ संकल्प और मजबूत इच्छाशक्ति से दोबारा इसको बसाया। हालांकि अमृतसर में समय के साथ काफी बदलाव आए हैं लेकिन आज भी अमृतसर की गरिमा बरकरार है। .

220 संबंधों: चन्द्रशेखर आजाद, चार्ल्स मैटकाफ, चौदहवीं लोकसभा, एयर इंडिया फ़्लाइट 182, एशियाई राजमार्ग १, एशियाई राजमार्ग २, त्रिफला, दरभंगा, दसलाखी नगर, दारा सिंह, दिल्ली जंक्शन रेलवे स्टेशन, दक्षिण एशिया, दुरन्त एक्सप्रेस, दैनिक जागरण, दूरदर्शन (चैनल), दूल्हा मिल गया, दीपा मेहता, दीपावली, निक्की हेली, नवदीप सिंह सूरी, नवजोत सिंह सिद्धू, नवजीत ढिल्लों, न्यूज़ीलैंड क्रिकेट टीम का भारत दौरा 1995-96, पटना, पटना के पर्यटन स्थल, पटियाला, पश्चिम एक्स्प्रेस २९२६, पंजाब (भारत), पंजाब मेल, पंजाबी भाषा, प्रताप सिंह, प्रताप सिंह कैरों, प्रद्युम्न रंधावा, पीलीभीत जिला, फतेहपुर जिला, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, बचना ऐ हसीनो, बन्दा सिंह बहादुर, बलदेव सिंह (रक्षामंत्री), बाबा कर्तारसिंह, बाल गंगाधर तिलक, बिपुल शर्मा, बिशन सिंह बेदी, बघेल सिंह, भारत में दशलक्ष-अधिक शहरी संकुलनों की सूची, भारत में धर्म, भारत में पर्यटन, भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की राजमार्ग संख्या अनुसार सूची, भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची (राजमार्ग संख्यानुसार), भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - प्रदेश अनुसार, ..., भारत में रेल दुर्घटना, भारत में रेलवे स्टेशनों की सूची, भारत में सर्वाधिक जनसंख्या वाले महानगरों की सूची, भारत में स्मार्ट नगर, भारत में विश्वविद्यालयों की सूची, भारत का प्रधानमन्त्री, भारत का भूगोल, भारत के दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर, भारत के प्रधान मंत्रियों की सूची, भारत के प्रमुख अस्पताल, भारत के महानगरों की सूची, भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - संख्या अनुसार, भारत के शहरों की सूची, भारत के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची, भारत के सात आश्चर्य, भारत के हवाई अड्डे, भारत की बोलियाँ, भारती सिंह, भारतीय थलसेना, भारतीय पंजाब में जैन धर्म, भारतीय प्रबन्धन संस्थान, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्षों की सूची, भारतीय सिनेमा, भारतीय इतिहास तिथिक्रम, भारतीय इतिहास की समयरेखा, भाई मणी सिंह, भाई संतोख सिंह, भाई वीरसिंह, भाग्यवती उपन्यास, भगवान सिंह ज्ञानी, भीष्म साहनी, मदन लाल, मदनलाल ढींगरा, मधुबनी, महाराणा प्रताप सागर, महाराजा रणजीत सिंह, महेन्द्र कपूर, माय एफएम, मालवा एक्स्प्रेस २९१९, मेघवाल, मोहन राकेश, मोहम्मद रफ़ी, युधिष्ठिर मीमांसक, रणजी ट्रॉफी ग्रुप डी 2017-18, रब ने बना दी जोड़ी, रबीन्द्रनाथ ठाकुर, राधेश्याम कथावाचक, राम सुतार, रामनारायण मिश्र, राष्ट्रीय राजमार्ग (भारत), राष्ट्रीय राजमार्ग १, राष्ट्रीय राजमार्ग १५, राष्ट्रीय सिख संगत, राजेश खन्ना, रितु कुमार, रंधावा (पहलवान), रैडक्लिफ़ अवार्ड, रूपा बाजवा, रेणू मारग्रेट, रेजिनाल्ड एडवर्ड डायर, लस्सी, शताब्दी एक्स्प्रेस, शमशाद बेगम, शिव कुमार बटालवी, श्रद्धाराम शर्मा, श्री गुरु रामदास जी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र, श्रीलंका क्रिकेट टीम का भारत दौरा 1982-83, सन्त अतर सिंह, सबसे सघन आबादी वाले शहर, समस्तीपुर, सरबत्त खालसा, सरला देवी चौधुरानी, सांबा, साउथ कैरोलीना, सिन्धु-गंगा के मैदान, सिख सन्दर्भ पुस्तकालय, सिंह सभा, सिक्खों की मिसलें, सुदीपा सिंह, सुनीता सिंह, सुरजीत पातर, सुरेन्द्र मोहन पाठक, सुरेश ओबेरॉय, सुरेंद्रनाथ बैनर्जी, सुखदेव सिंह बब्बर, स्वतन्त्रता के बाद भारत का संक्षिप्त इतिहास, स्वर्ण मंदिर मेल, स्वामी श्रद्धानन्द, स्वामी आनन्दबोध, सौरभ कालिया, सैफुद्दीन किचलू, सैम मानेकशॉ, सेवासिंह ठीकरीवाल, सेंट पॉल कैथेड्रल (अम्बाला), सोहन सिंह भकना, सोहनलाल पाठक, सीवान, हम हिन्दू नहीं, हरमनप्रीत सिंह, हरिमन्दिर साहिब, हार्ट ऑफ एशिया, हाजीपुर, हैप्पी भाग जाएगी, जरनैल सिंह भिंडरांवाले, जलियाँवाला बाग हत्याकांड, जलियाँवाला बाग़, जसपाल भट्टी, जस्सा सिंह अहलुवालिया, जालंधर, जितेन्द्र द्वारा अभिनीत फ़िल्में, जेट कनेक्ट, वाघा, विमानक्षेत्रों की सूची IATA कोड अनुसार: A, विमानक्षेत्रों की सूची ICAO कोड अनुसार: V, विजय सिंह पथिक, विज्ञान परिषद् प्रयाग, वैशाली, वैशाली जिला, वेस्ट इंडीज क्रिकेट टीम का भारत दौरा 1983-84, ख़ालिस्तान आंदोलन, खैरा, ग़दर राज्य-क्रांति, गामा पहलवान, गगन मै थाल, गुरशरण कौर, गुरु राम दास, गुरु हरगोबिन्द, गुरु ग्रन्थ साहिब, गुरु अंगद देव, गुलज़ार (गीतकार), गुजरांवाला, ग्रैंड ट्रंक रोड, गोबिंदगढ़ किला, गोरखपुर, ऑपरेशन ब्लू स्टार, आपातकाल (भारत), आर्य समाज, आसल उत्ताड़ का युद्ध, इण्डियन एयरलाइंस फ्लाइट ८१४, इश्केदारियां, कपिल शर्मा, कर्तार सिंह सराभा, क़ादियाँ, काहलों, किरण बेदी, कंपनी राज, कुरुक्षेत्र, कुल्चा, कुशीनगर, अफ़ज़ल अहसन रंधावा, अभिषेक शर्मा, अमरिंदर गिल, अमृतसर जिला, अमृतसर जंक्शन रेलवे स्टेशन, अमीचंद, अरुणा चौधरी, अरोड़ा, असहयोग आन्दोलन, अजीत सिंह (पुलिस अधिकारी), अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ, अखिल भारतीय साहित्य परिषद, अखिल भारतीय हिन्दू महासभा, अकाल तख़्त, अक्टूबर २०१५ हिन्दू कुश भूकंप, अक्षय कुमार, ऋचा चड्ढा, छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस, १६०४, १९६५ का भारत-पाक युद्ध, २७ अगस्त सूचकांक विस्तार (170 अधिक) »

चन्द्रशेखर आजाद

पण्डित चन्द्रशेखर 'आजाद' (२३ जुलाई १९०६ - २७ फ़रवरी १९३१) ऐतिहासिक दृष्टि से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी थे। वे पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व सरदार भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे। सन् १९२२ में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में पहले ९ अगस्त १९२५ को काकोरी काण्ड किया और फरार हो गये। इसके पश्चात् सन् १९२७ में 'बिस्मिल' के साथ ४ प्रमुख साथियों के बलिदान के बाद उन्होंने उत्तर भारत की सभी क्रान्तिकारी पार्टियों को मिलाकर एक करते हुए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसियेशन का गठन किया तथा भगत सिंह के साथ लाहौर में लाला लाजपत राय की मौत का बदला सॉण्डर्स का हत्या करके लिया एवं दिल्ली पहुँच कर असेम्बली बम काण्ड को अंजाम दिया। .

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चार्ल्स मैटकाफ

सर चार्ल्स मैटकाफ (१७८५-१८४६) भारत के गवर्नर जनरल रहे थे। इनका जन्म कलकत्ते में सेना के एक मेजर के घर सन् १७८५ ईसवीं में हुआ। प्रारंभ से ही इनका अनेक भाषाओं की ओर रुझान रहा। १५ वर्ष की उम्र में कंपनी की नौकरी में एक क्लर्क के रूप में प्रविष्ट हुए। शीघ्र ही गवर्नर जनरल लार्ड वेलेजली की, जिसे योग्य व्यक्तियों को पहचानने की अपूर्व क्षमता थी, निगाह इनके ऊपर पड़ी और आपने महाज सिंधिया के दरबार में स्थित रेजीडेंट के सहायक के पद से अपना कार्य प्रारंभ कर, अनेक पदों पर कार्य किया। सन् १८०८ में इन्होने अंग्रेजी राजदूत की हैसियत से सिक्ख महाराजा रणजीत सिंह को अपनी विस्तार नीति को सीमित करने पर बाध्य कर दिया तथा सन् १८०९ ई० की अमृतसर की मैत्रीपूर्ण संधि का महाराज रणजीत सिंह ने यावज्जीवन पालन किया। गर्वनर जनरल लार्ड हेंसटिंग्ज ने इनके माध्यम से ही विद्रोही खूखाँर पठान सरदार अमीर खान तथा अंग्रेजों के बीच संधि कराई। भरतपुर के सुदृढ़ किले को भी नष्ट करने में आपका योगदान था। सन् १८२७ में इन्हे नाइट पदवी से विभूषित किया गया। जब आगरे का नया प्रांत बना तो आपको ही उसका प्रथम गवर्नर मनोनीत किया गया। थोड़े ही दिनों में इनको अस्थायी गवर्नर जनरल बनाया गया। इस कार्यकाल का सबसे महत्वपूर्ण कार्य भारतीय प्रेस को स्वतंत्र बनाना था। सन् १८३८ ईसवीं में ये स्वदेश लौट गए। तदुपरांत इन्होने जमायका के गवर्नर का तथा कनाडा के गर्वनर-जनरल का पदभार संभाला। अंत में १८४६ में कैंसर के भीषण रोग से इनकी मृत्यु हो गई। श्रेणी:भारत के गवर्नर जनरल.

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चौदहवीं लोकसभा

भारत में चौदहवीं लोकसभा का गठन अप्रैल-मई 2004 में होनेवाले आमचुनावोंके बाद हुआ था। .

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एयर इंडिया फ़्लाइट 182

250px एयर इंडिया फ़्लाइट 182 मॉन्ट्रियल-लंदन-दिल्ली-मुंबई मार्ग के बीच परिचालित होने वाली एयर इंडिया की उड़ान थी। 23 जून 1985 को मार्ग पर परिचालित होने वाला एक हवाई जहाज़, बोइंग 747-237B (c/n 21473/330, reg VT-EFO) जिसका नाम सम्राट कनिष्क के नाम पर रखा गया था, आयरिश हवाई क्षेत्र में उड़ते समय, की ऊंचाई पर, बम से उड़ा दिया गया और वह अटलांटिक महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। 329 लोगों की मृत्यु हुई, जिनमें अधिकांश भारत में जन्मे या भारतीय मूल के 280 कनाडाई नागरिक और 22 भारतीय शामिल थे। यह घटना आधुनिक कनाडा के इतिहास में सबसे बड़ी सामूहिक हत्या थी। विस्फोट और वाहन का गिरना, संबंधित नारिटा हवाई अड्डे की बमबारी के एक घंटे के भीतर घटित हुआ। जांच और अभियोजन में लगभग 20 वर्ष लगे और यह कनाडा के इतिहास में, लगभग CAD $130 मिलियन की लागत के साथ, सबसे महंगा परीक्षण था। एक विशेष आयोग ने प्रतिवादियों को दोषी नहीं पाया और उन्हें छोड़ दिया गया। 2003 में मानव-हत्या की अपराध स्वीकृति के बाद, केवल एक व्यक्ति को बम विस्फोट में लिप्त होने का दोषी पाया गया। परिषद के गवर्नर जनरल ने 2006 में भूतपूर्व सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जॉन मेजर को जांच आयोग के संचालन के लिए नियुक्त किया और उनकी रिपोर्ट 17 जून 2010 को पूरी हुई और जारी की गई। यह पाया गया कि कनाडा सरकार, रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस और कैनेडियन सेक्युरिटी इंटलिजेन्स सर्विस द्वारा "त्रुटियों की क्रमिक श्रृंखला" की वजह से आतंकवादी हमले को मौक़ा मिला। .

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एशियाई राजमार्ग १

एशियाई राजमार्ग १ (ए एच १) एशियाई राजमार्ग जाल में सबसे लम्बा राजमार्ग है। इसकी कुल लम्बाई २०,५५७ किलोमीटर (१२,७७४ मील) है। यह टोक्यो, जापान से शुरू होकर कोरिया, चीन, हांगकांग, दक्षिण पूर्व एशिया, बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और ईरान से होता हुआ तुर्की और बुल्गारिया तक जाता है। इस्तांबुल के पश्चिम में यह यूरोपीय ई८० मार्ग से मिल जाता है। .

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एशियाई राजमार्ग २

एशियाई राजमार्ग २ (ए एच २) एशियाई राजमार्ग जाल के अंतर्गत १३,१७७ किलोमीटर (८,१८८ मील) लम्बी एक सड़क है। यह इंडोनेशिया के देनपसार से शुरू होकर मेरक और सिंगापुर होते हुए ईरान के खोस्रावी नगर तक जाती है। .

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त्रिफला

एम्ब्लिका ओफिशिनालिस त्रिफला एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक रासायनिक फ़ार्मुला है जिसमें अमलकी (आंवला (Emblica officinalis)), बिभीतक (बहेडा) (Terminalia bellirica) और हरितकी (हरड़ Terminalia chebula) को बीज निकाल कर (1 भाग हरड, 2 भाग बेहड, 3 भाग आंवला) 1:2:3 मात्रा में लिया जाता है। त्रिफला शब्द का शाब्दिक अर्थ है "तीन फल"। संयमित आहार-विहार के साथ त्रिफला का सेवन करने वाले व्यक्तियों को ह्रदयरोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, नेत्ररोग, पेट के विकार, मोटापा आदि होने की संभावना नहीं होती। यह कोई 20 प्रकार के प्रमेह, विविध कुष्ठरोग, विषमज्वर व सूजन को नष्ट करता है। अस्थि, केश, दाँत व पाचन- संसथान को बलवान बनाता है। इसका नियमित सेवन शरीर को निरामय, सक्षम व फुर्तीला बनाता है। यदि गर्म पानी से सोते समय एक चम्मच लेने से क़ब्ज़ नही रहता! .

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दरभंगा

भारत प्रान्त के उत्तरी बिहार में बागमती नदी के किनारे बसा दरभंगा एक जिला एवं प्रमंडलीय मुख्यालय है। दरभंगा प्रमंडल के अंतर्गत तीन जिले दरभंगा, मधुबनी, एवं समस्तीपुर आते हैं। दरभंगा के उत्तर में मधुबनी, दक्षिण में समस्तीपुर, पूर्व में सहरसा एवं पश्चिम में मुजफ्फरपुर तथा सीतामढ़ी जिला है। दरभंगा शहर के बहुविध एवं आधुनिक स्वरुप का विकास सोलहवीं सदी में मुग़ल व्यापारियों तथा ओईनवार शासकों द्वारा विकसित किया गया। दरभंगा 16वीं सदी में स्थापित दरभंगा राज की राजधानी था। अपनी प्राचीन संस्कृति और बौद्धिक परंपरा के लिये यह शहर विख्यात रहा है। इसके अलावा यह जिला आम और मखाना के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। .

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दसलाखी नगर

जो शहर मोटे अक्षरों में लिखे हैं वो अपने राज्य या केंद्रशासित प्रदेश की राजधानी भी हैं .

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दारा सिंह

दारा सिंह (पूरा नाम: दारा सिंह रन्धावा, अंग्रेजी: Dara Singh, जन्म: 19 नवम्बर, 1928 पंजाब, मृत्यु: 12 जुलाई 2012 मुम्बई) अपने जमाने के विश्व प्रसिद्ध फ्रीस्टाइल पहलवान रहे हैं। उन्होंने 1959 में पूर्व विश्व चैम्पियन जार्ज गारडियान्का को पराजित करके कामनवेल्थ की विश्व चैम्पियनशिप जीती थी। 1968 में वे अमरीका के विश्व चैम्पियन लाऊ थेज को पराजित कर फ्रीस्टाइल कुश्ती के विश्व चैम्पियन बन गये। उन्होंने पचपन वर्ष की आयु तक पहलवानी की और पाँच सौ मुकाबलों में किसी एक में भी पराजय का मुँह नहीं देखा। 1983 में उन्होंने अपने जीवन का अन्तिम मुकाबला जीतने के पश्चात कुश्ती से सम्मानपूर्वक संन्यास ले लिया। उन्नीस सौ साठ के दशक में पूरे भारत में उनकी फ्री स्टाइल कुश्तियों का बोलबाला रहा। बाद में उन्होंने अपने समय की मशहूर अदाकारा मुमताज के साथ हिन्दी की स्टंट फ़िल्मों में प्रवेश किया। दारा सिंह ने कई फ़िल्मों में अभिनय के अतिरिक्त निर्देशन व लेखन भी किया। उन्हें टी० वी० धारावाहिक रामायण में हनुमान के अभिनय से अपार लोकप्रियता मिली। उन्होंने अपनी आत्मकथा मूलत: पंजाबी में लिखी थी जो 1993 में हिन्दी में भी प्रकाशित हुई। उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने राज्य सभा का सदस्य मनोनीत किया। वे अगस्त 2003 से अगस्त 2009 तक पूरे छ: वर्ष राज्य सभा के सांसद रहे। 7 जुलाई 2012 को दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हें कोकिलाबेन धीरूभाई अम्बानी अस्पताल मुम्बई में भर्ती कराया गया किन्तु पाँच दिनों तक कोई लाभ न होता देख उन्हें उनके मुम्बई स्थित निवास पर वापस ले आया गया जहाँ उन्होंने 12 जुलाई 2012 को सुबह साढ़े सात बजे दम तोड़ दिया। .

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दिल्ली जंक्शन रेलवे स्टेशन

दिल्ली जंक्शन रेलवे स्टेशन दिल्ली जंक्शन (पुरानी दिल्ली) दिल्ली शहर के सबसे बड़े और पुराने स्टेशनों में से एक है। ब्रिटिश हुक्मारानों ने इसे बनवाया था। यह देश के व्यस्ततम रेलवे स्टेशनों में से है। यहां दिल्ली मेट्रो यलो लाइनका भी स्टेशन है। यह चांदनी चौक की ओर है। यहां परिक्रमा सेवा का भी हॉल्ट होता है। .

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दक्षिण एशिया

thumb दक्षिण एशिया एक अनौपचारिक शब्दावली है जिसका प्रयोग एशिया महाद्वीप के दक्षिणी हिस्से के लिये किया जाता है। सामान्यतः इस शब्द से आशय हिमालय के दक्षिणवर्ती देशों से होता है जिनमें कुछ अन्य अगल-बगल के देश भी जोड़ लिये जाते हैं। भारत, पाकिस्तान, श्री लंका और बांग्लादेश को दक्षिण एशिया के देश या भारतीय उपमहाद्वीप के देश कहा जाता है जिसमें नेपाल और भूटान को भी शामिल कर लिया जाता है। कभी कभी इसमें अफगानिस्तान और म्याँमार को भी जोड़ लेते हैं। दक्षिण एशिया के देशों का एक संगठन सार्क भी है जिसके सदस्य देश निम्नवत हैं.

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दुरन्त एक्सप्रेस

दुरन्त एक्सप्रेस (बांग्ला: দুরন্ত "तुरंत"), भारतीय रेल की लंबी दूरी की गाड़ियों का एक वर्ग है। इन गाड़ियों की विशेषता यह है कि, तकनीकी विरामों को छोड़कर यह स्रोत से गंतव्य तक का सफर बिना रुके (अविराम) तय करती हैं। सभी दुरन्त एक्सप्रेस गाड़ियों को आसानी से उनके विशेष पीले हरे रंग के यात्री डिब्बों (परिच्छद) द्वारा पहचाना जा सकता है। कई दुरन्त एक्सप्रेस सेवायें भारत के महानगरों और प्रमुख राज्यों की राजधानियों के बीच संचालित होती। अधिकतर समय, किन्हीं दो शहरो के बीच दुरन्त एक्सप्रेस गाड़ियां सबसे तेज परिवहन उपलब्ध कराती हैं, हालांकि यह जरूरी नहीं कि यह तथ्य सभी सेवाओं के लिए सच हो। .

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दैनिक जागरण

दैनिक जागरण उत्तर भारत का सर्वाधिक लोकप्रिय समाचारपत्र है। पिछले कई वर्षोँ से यह भारत में सर्वाधिक प्रसार संख्या वाला समाचार-पत्र बन गया है। यह समाचारपत्र विश्व का सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला दैनिक है। इस बात की पुष्टि विश्व समाचारपत्र संघ (वैन) द्वारा की गई है। वर्ष 2008 में बीबीसी और रॉयटर्स की नामावली के अनुसार यह प्रतिवेदित किया गया कि यह भारत में समाचारों का सबसे विश्वसनीय स्रोत दैनिक जागरण है। .

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दूरदर्शन (चैनल)

अंगूठाकार दूरदर्शन नाम से संबोधित अन्य लेखों को देखने के लिये दूरदर्शन (बहुविकल्पी) पर जायें। दूरदर्शन (अंग्रेज़ी: Doordarshan) भारत का सरकारी दूरदर्शन प्रणाल (चैनल) है। यह भारत सरकार द्वारा नामित पर्षद् प्रसार भारती के अंतर्गत चलाया जाता है। दूरदर्शन के प्रसारण की शुरूआत भारत में दिल्ली सितंबर, १९५९ को हुई। प्रसार-कक्ष तथा प्रेषित्रो की आधारभूत सेवाओं के लिहाज़ से यह विश्व का दूसरा सबसे विशाल प्रसारक है। हाल ही मे इसने अंकीय पार्थिव प्रेषित्रो (डिजिटल स्थलचर संचारी (Digital Terrestrial Transmitters)) सेवा शुरु की। दूरदर्शन के राष्‍ट्रीय नेटवर्क में 64 दूरदर्शन केन्‍द्र / निर्माण केन्‍द्र, 24 क्षेत्रीय समाचार एकक, 126 दूरदर्शन रखरखाव केन्द्र, 202 उच्‍च शक्ति ट्रांसमीटर, 828 लो पावर ट्रांसमीटर, 351 अल्‍पशक्ति ट्रांसमीटर, 18 ट्रांसपोंडर, 30 चैनल तथा डीटीएच सेवा भी शामिल है। .

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दूल्हा मिल गया

दूल्हा मिल गया (दुल्हा मिल गया, دولھا مل گیا, Found A Groom) मुदस्सर अज़ीज़ द्वारा निर्देशित 2010 की एक बॉलीवुड रोमांस फिल्म है। सुष्मिता सेन, इशिता शर्मा और फरदीन खान इसके मुख्य कलाकार हैं। फिल्म 8 जनवरी 2010 को रिलीज़ की गई और वह 2010 में रिलीज होने वाली सबसे पहली बॉलीवुड फिल्मों में से एक थी (उसी दिन दूसरी फिल्म प्यार इम्पॉसिबल भी रिलीज़ की गई).

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दीपा मेहता

दीपा मेहता फ़िल्म निर्देशक, पटकथा लेखक और फ़िल्म निर्माता हैं। वह अपनी फ़िलमें फ़ायर, अर्थ और वाटर (यानी तत्वों की त्रयी) के लिए मशहूर है। .

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दीपावली

दीपावली या दीवाली अर्थात "रोशनी का त्योहार" शरद ऋतु (उत्तरी गोलार्द्ध) में हर वर्ष मनाया जाने वाला एक प्राचीन हिंदू त्योहार है।The New Oxford Dictionary of English (1998) ISBN 0-19-861263-X – p.540 "Diwali /dɪwɑːli/ (also Divali) noun a Hindu festival with lights...". दीवाली भारत के सबसे बड़े और प्रतिभाशाली त्योहारों में से एक है। यह त्योहार आध्यात्मिक रूप से अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है।Jean Mead, How and why Do Hindus Celebrate Divali?, ISBN 978-0-237-534-127 भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात् ‘अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइए’ यह उपनिषदों की आज्ञा है। इसे सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं। जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं तथा सिख समुदाय इसे बन्दी छोड़ दिवस के रूप में मनाता है। माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे। अयोध्यावासियों का ह्रदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा था। श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए। कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं। यह पर्व अधिकतर ग्रिगेरियन कैलन्डर के अनुसार अक्टूबर या नवंबर महीने में पड़ता है। दीपावली दीपों का त्योहार है। भारतीयों का विश्वास है कि सत्य की सदा जीत होती है झूठ का नाश होता है। दीवाली यही चरितार्थ करती है- असतो माऽ सद्गमय, तमसो माऽ ज्योतिर्गमय। दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है। कई सप्ताह पूर्व ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती हैं। लोग अपने घरों, दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं। घरों में मरम्मत, रंग-रोगन, सफ़ेदी आदि का कार्य होने लगता है। लोग दुकानों को भी साफ़ सुथरा कर सजाते हैं। बाज़ारों में गलियों को भी सुनहरी झंडियों से सजाया जाता है। दीपावली से पहले ही घर-मोहल्ले, बाज़ार सब साफ-सुथरे व सजे-धजे नज़र आते हैं। दीवाली नेपाल, भारत, श्रीलंका, म्यांमार, मारीशस, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, सूरीनाम, मलेशिया, सिंगापुर, फिजी, पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया की बाहरी सीमा पर क्रिसमस द्वीप पर एक सरकारी अवकाश है। .

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निक्की हेली

निम्रता निक्की रंधावा हेली (अँग्रेजी: Nimrata Nikki Randhawa Haley, जन्म: 20 जनवरी 1972) अमेरिका के दक्षिण कैरोलाइना प्रांत की गवर्नर हैं। उन्होने भारतीय मूल की दूसरी अमेरिकी गवर्नर और पहली महिला गवर्नर होने का गौरव हासिल किया है। इससे पहले भारतीय मूल के बॉबी जिंदल अमेरिका के लूइजियाना प्रांत के गवर्नर बने थे। वे वर्तमान में साउथ कैरोलिना प्रांत के लेक्सिंग्‍टन काउंटी से सांसद हैं। हेली सिख माता-पिता की बेटी हैं जिनके पूर्वज अमृतसर से आकर यहां बस गए थे। .

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नवदीप सिंह सूरी

नवदीप सिंह सूरी एक भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी और भारतीय राजनयिक हैं। वे वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया में भारत के उच्चायुक्त के रूप में सेवारत है। 17 अक्टूबर, 2016 को विदेश मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार उन्हें संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में भारत का अगला राजदूत नियुक्त किया गया। वे वर्ष 1983 बैच के आईएफएस अधिकारी हैं। .

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नवजोत सिंह सिद्धू

नवजोत सिंह सिद्धू (अंग्रेजी: Navjot Singh Sidhu, पंजाबी: ਨਵਜੋਤ ਸਿੰਘ ਸਿੱਧੂ, जन्म: 20 अक्टूबर 1963, पटियाला) भारत के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी (बल्लेबाज) एवं अमृतसर लोक सभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद हैं। खेल से संन्यास लेने के बाद पहले उन्होंने दूरदर्शन पर क्रिकेट के लिये कमेंट्री करना आरम्भ किया उसके बाद राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लेने लगे। राजनीति के अलावा उन्होंने टेलीविजन के छोटे पर्दे पर टी.वी.

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नवजीत ढिल्लों

नवजीत कौर ढिल्लन एक भारतीय ट्रैक एण्ड फील्ड खिलाड़ी हैं जो कि चक्का फेक में भाग लेती हैं। वह 2018 राष्ट्रमण्डल खेलों की कांस्य पदक विजेता हैं और 2014 में एथलेटिक्स की विश्व जूनियर चैम्पियनशिप में पदक जीतने वाली दूसरी खिलाड़ी हैं। उनका सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत प्रदर्शन है जो कि उन्होंने 2018 में बनाया था। .

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न्यूज़ीलैंड क्रिकेट टीम का भारत दौरा 1995-96

न्यूजीलैंड की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम ने 1995-96 के सीजन में तीन टेस्ट मैचेस और छह एकदिवसीय मैच खेलने के लिए भारत का दौरा किया। भारत ने 3 टेस्ट मैचों की टेस्ट सीरीज 1-0 से जीत ली और 5 मैचों की एकदिवसीय श्रृंखला 3 (5 वां वनडे गेंद को बिना गेंद पर छोड़ दिया गया)। 1995 के भारत चक्रवात से तीसरे टेस्ट पर भारी असर पड़ा। .

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पटना

पटना (पटनम्) या पाटलिपुत्र भारत के बिहार राज्य की राजधानी एवं सबसे बड़ा नगर है। पटना का प्राचीन नाम पाटलिपुत्र था। आधुनिक पटना दुनिया के गिने-चुने उन विशेष प्राचीन नगरों में से एक है जो अति प्राचीन काल से आज तक आबाद है। अपने आप में इस शहर का ऐतिहासिक महत्व है। ईसा पूर्व मेगास्थनीज(350 ईपू-290 ईपू) ने अपने भारत भ्रमण के पश्चात लिखी अपनी पुस्तक इंडिका में इस नगर का उल्लेख किया है। पलिबोथ्रा (पाटलिपुत्र) जो गंगा और अरेन्नोवास (सोनभद्र-हिरण्यवाह) के संगम पर बसा था। उस पुस्तक के आकलनों के हिसाब से प्राचीन पटना (पलिबोथा) 9 मील (14.5 कि॰मी॰) लम्बा तथा 1.75 मील (2.8 कि॰मी॰) चौड़ा था। पटना बिहार राज्य की राजधानी है और गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर अवस्थित है। जहां पर गंगा घाघरा, सोन और गंडक जैसी सहायक नदियों से मिलती है। सोलह लाख (2011 की जनगणना के अनुसार 1,683,200) से भी अधिक आबादी वाला यह शहर, लगभग 15 कि॰मी॰ लम्बा और 7 कि॰मी॰ चौड़ा है। प्राचीन बौद्ध और जैन तीर्थस्थल वैशाली, राजगीर या राजगृह, नालन्दा, बोधगया और पावापुरी पटना शहर के आस पास ही अवस्थित हैं। पटना सिक्खों के लिये एक अत्यंत ही पवित्र स्थल है। सिक्खों के १०वें तथा अंतिम गुरु गुरू गोबिंद सिंह का जन्म पटना में हीं हुआ था। प्रति वर्ष देश-विदेश से लाखों सिक्ख श्रद्धालु पटना में हरमंदिर साहब के दर्शन करने आते हैं तथा मत्था टेकते हैं। पटना एवं इसके आसपास के प्राचीन भग्नावशेष/खंडहर नगर के ऐतिहासिक गौरव के मौन गवाह हैं तथा नगर की प्राचीन गरिमा को आज भी प्रदर्शित करते हैं। एतिहासिक और प्रशासनिक महत्व के अतिरिक्त, पटना शिक्षा और चिकित्सा का भी एक प्रमुख केंद्र है। दीवालों से घिरा नगर का पुराना क्षेत्र, जिसे पटना सिटी के नाम से जाना जाता है, एक प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र है। .

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पटना के पर्यटन स्थल

वर्तमान बिहार राज्य की राजधानी पटना को ३००० वर्ष से लेकर अबतक भारत का गौरवशाली शहर होने का दर्जा प्राप्त है। यह प्राचीन नगर पवित्र गंगानदी के किनारे सोन और गंडक के संगम पर लंबी पट्टी के रूप में बसा हुआ है। इस शहर को ऐतिहासिक इमारतों के लिए भी जाना जाता है। पटना का इतिहास पाटलीपुत्र के नाम से छठी सदी ईसापूर्व में शुरू होता है। तीसरी सदी ईसापूर्व में पटना शक्तिशाली मगध राज्य की राजधानी बना। अजातशत्रु, चन्द्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक, चंद्रगुप्त द्वितीय, समुद्रगुप्त यहाँ के महान शासक हुए। सम्राट अशोक के शासनकाल को भारत के इतिहास में अद्वितीय स्‍थान प्राप्‍त है। पटना एक ओर जहाँ शक्तिशाली राजवंशों के लिए जाना जाता है, वहीं दूसरी ओर ज्ञान और अध्‍यात्‍म के कारण भी यह काफी लोकप्रिय रहा है। यह शहर कई प्रबुद्ध यात्रियों जैसे मेगास्थनिज, फाह्यान, ह्वेनसांग के आगमन का भी साक्षी है। महानतम कूटनीतिज्ञ कौटिल्‍यने अर्थशास्‍त्र तथा विष्णुशर्मा ने पंचतंत्र की यहीं पर रचना की थी। वाणिज्यिक रूप से भी यह मौर्य-गुप्तकाल, मुगलों तथा अंग्रेजों के समय बिहार का एक प्रमुख शहर रहा है। बंगाल विभाजन के बाद 1912 में पटना संयुक्त बिहार-उड़ीसा तथा आजादी मिलने के बाद बिहार राज्‍य की राजधानी बना। शहर का बसाव को ऐतिहासिक क्रम के अनुसार तीन खंडों में बाँटा जा सकता है- मध्य-पूर्व भाग में कुम्रहार के आसपास मौर्य-गुप्त सम्राटाँ का महल, पूर्वी भाग में पटना सिटी के आसपास शेरशाह तथा मुगलों के काल का नगरक्षेत्र तथा बाँकीपुर और उसके पश्चिम में ब्रतानी हुकूमत के दौरान बसायी गयी नई राजधानी। पटना का भारतीय पर्यटन मानचित्र पर प्रमुख स्‍थान है। महात्‍मा गाँधी सेतु पटना को उत्तर बिहार तथा नेपाल के अन्‍य पर्यटन स्‍थल को सड़क माध्‍यम से जोड़ता है। पटना से चूँकि वैशाली, राजगीर, नालंदा, बोधगया, पावापुरी और वाराणसी के लिए मार्ग जाता है, इसलिए यह शहर हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मावलंबियों के लिए पर्यटन गेटवे' के रूप में भी जाना जाता है। ईसाई धर्मावलंबियों के लिए भी पटना अतिमहत्वपूर्ण है। पटना सिटी में हरमंदिर, पादरी की हवेली, शेरशाह की मस्जिद, जलान म्यूजियम, अगमकुँआ, पटनदेवी; मध्यभाग में कुम्‍हरार परिसर, पत्थर की मस्जिद, गोलघर, पटना संग्रहालय तथा पश्चिमी भाग में जैविक उद्यान, सदाकत आश्रम आदि यहां के प्रमुख दर्शनीय स्‍थल हैं। मुख्य पर्यटन स्थलों इस प्रकार हैं: .

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पटियाला

पटियाला भारत के पंजाब प्रांत का एक नगर और भूतपूर्व राज्य है। पटियाला जिला पूर्ववर्ती पंजाब की एक प्रमुख रियासत थी। आज यह पंजाब राज्‍य का पांचवा सबसे बड़ा जिला है। पटियाला की सीमाएं उत्‍तर में फतेहगढ़, रूपनगर और चंडीगढ़ से, पश्चिम में संगरूर जिले से, पूर्व में अंबाला और कुरुक्षेत्र से और दक्षिण में कैथल से मिलती हैं। पटियाला पैग के लिए मशहूर यह स्‍थान शिक्षा के क्षेत्र में भी अग्रणी रहा। देश का पहला डिग्री कॉलेज मोहिंदर कॉलेज की स्‍थापना 1870 में पटियाला में ही हुई थी। पटियाला की अपनी एक अलग संस्‍कृति है जो यहां के लोगों की विशेषता को दर्शाती है। यहां के वास्‍तुशिल्‍प में राजपूत शैली का पुट दिखाई पड़ता है लेकिन यह शैली भी स्‍थानीय परंपराओं में ढ़लकर एक नया रूप ले चुकी है। पटियाला का किला मुबारक परिसर तो जैसे सुंदरता की खान है। एक ही जगह पर कई खूबसूरत इमारतों को देखना अपने आप के अनोखा अनुभव है। .

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पश्चिम एक्स्प्रेस २९२६

पश्चिम एक्स्प्रेस 2926 भारतीय रेल द्वारा संचालित एक मेल एक्स्प्रेस ट्रेन है। यह ट्रेन अमृतसर जंक्शन रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:ASR) से 08:15AM बजे छूटती है और बांद्रा टर्मिनस रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:BDTS) पर 03:15PM बजे पहुंचती है। इसकी यात्रा अवधि है 31 घंटे 0 मिनट। 12925/12926 पश्चिम एक्स्प्रेस भारतीय रेलवे की सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन है जो बांद्रा टर्मिनस से पंजाब राज्य के अमृतसर के बीच चलती है। यह एक प्रतिदिन चलने वाली ट्रेन है। बांद्रा टर्मिनस से अमृतसर जाने वाली ट्रेन की संख्या 12925 और अमृतसर से बांद्रा के बीच चलने ट्रेन की संख्या 12926 है। .

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पंजाब (भारत)

पंजाब (पंजाबी: ਪੰਜਾਬ) उत्तर-पश्चिम भारत का एक राज्य है जो वृहद्तर पंजाब क्षेत्र का एक भाग है। इसका दूसरा भाग पाकिस्तान में है। पंजाब क्षेत्र के अन्य भाग (भारत के) हरियाणा और हिमाचल प्रदेश राज्यों में हैं। इसके पश्चिम में पाकिस्तानी पंजाब, उत्तर में जम्मू और कश्मीर, उत्तर-पूर्व में हिमाचल प्रदेश, दक्षिण और दक्षिण-पूर्व में हरियाणा, दक्षिण-पूर्व में केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ और दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान राज्य हैं। राज्य की कुल जनसंख्या २,४२,८९,२९६ है एंव कुल क्षेत्रफल ५०,३६२ वर्ग किलोमीटर है। केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है जोकि हरियाणा राज्य की भी राजधानी है। पंजाब के प्रमुख नगरों में अमृतसर, लुधियाना, जालंधर, पटियाला और बठिंडा हैं। 1947 भारत का विभाजन के बाद बर्तानवी भारत के पंजाब सूबे को भारत और पाकिस्तान दरमियान विभाजन दिया गया था। 1966 में भारतीय पंजाब का विभाजन फिर से हो गया और नतीजे के तौर पर हरियाणा और हिमाचल प्रदेश वजूद में आए और पंजाब का मौजूदा राज बना। यह भारत का अकेला सूबा है जहाँ सिख बहुमत में हैं। युनानी लोग पंजाब को पैंटापोटाम्या नाम के साथ जानते थे जो कि पाँच इकठ्ठा होते दरियाओं का अंदरूनी डेल्टा है। पारसियों के पवित्र ग्रंथ अवैस्टा में पंजाब क्षेत्र को पुरातन हपता हेंदू या सप्त-सिंधु (सात दरियाओं की धरती) के साथ जोड़ा जाता है। बर्तानवी लोग इस को "हमारा प्रशिया" कह कर बुलाते थे। ऐतिहासिक तौर पर पंजाब युनानियों, मध्य एशियाईओं, अफ़ग़ानियों और ईरानियों के लिए भारतीय उपमहाद्वीप का प्रवेश-द्वार रहा है। कृषि पंजाब का सब से बड़ा उद्योग है; यह भारत का सब से बड़ा गेहूँ उत्पादक है। यहाँ के प्रमुख उद्योग हैं: वैज्ञानिक साज़ों सामान, कृषि, खेल और बिजली सम्बन्धित माल, सिलाई मशीनें, मशीन यंत्रों, स्टार्च, साइकिलों, खादों आदि का निर्माण, वित्तीय रोज़गार, सैर-सपाटा और देवदार के तेल और खंड का उत्पादन। पंजाब में भारत में से सब से अधिक इस्पात के लुढ़का हुआ मीलों के कारख़ाने हैं जो कि फ़तहगढ़ साहब की इस्पात नगरी मंडी गोबिन्दगढ़ में हैं। .

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पंजाब मेल

पंजाब मेल, भारतीय रेल की एक एक्सप्रेस ट्रेन है जो मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (CST) और फिरोज़पुर (पंजाब) के बीच चलती है। .

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पंजाबी भाषा

पंजाबी (गुरमुखी: ਪੰਜਾਬੀ; शाहमुखी: پنجابی) एक हिंद-आर्यन भाषा है और ऐतिहासिक पंजाब क्षेत्र (अब भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजित) के निवासियों तथा प्रवासियों द्वारा बोली जाती है। इसके बोलने वालों में सिख, मुसलमान और हिंदू सभी शामिल हैं। पाकिस्तान की १९९८ की जनगणना और २००१ की भारत की जनगणना के अनुसार, भारत और पाकिस्तान में भाषा के कुल वक्ताओं की संख्या लगभग ९-१३ करोड़ है, जिसके अनुसार यह विश्व की ११वीं सबसे व्यापक भाषा है। कम से कम पिछले ३०० वर्षों से लिखित पंजाबी भाषा का मानक रूप, माझी बोली पर आधारित है, जो ऐतिहासिक माझा क्षेत्र की भाषा है। .

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प्रताप सिंह

ज्ञानी प्रताप सिंह (पंजाबी: ਗਿਆਨੀ ਪ੍ਰਤਾਪ ਸਿੰਘ; 3 जनवरी, 1904 – 10 मई, 1984) एक सिख पुजारी और पंजाबी लेखक थे। वे 19 दिसंबर, 1937 से 1948 तक अकाल तख़्त के उप-जथेदार थे और 1952 से 5 फ़रवरी, 1955 तक वे अकाल तख़्त के मुख्य जथेदार रहे। .

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प्रताप सिंह कैरों

प्रताप सिंह कैरो (1901 - 1965 ई.) पंजाब के एक प्रमुख राजनीतिज्ञ और नेता थे। पंजाब के मुख्यमंत्री रहे। उस समय 'पंजाब' के अन्तर्गत हरियाणा और हिमाचल प्रदेश भी थे। .

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प्रद्युम्न रंधावा

प्रद्युम्न रंधावा (अंग्रेजी: Parduman Randhawa) एक भारतीय अभिनेता है, वे प्रसिध्द पहलवान व अभिनेता दारा सिंह के ज्येष्ठ पुत्र हैं। .

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पीलीभीत जिला

पीलीभीत भारतीय के उत्तर प्रदेश प्रांत का एक जिला है, जिसका मुख्यालय पीलीभीत है। इस जिले की साक्षरता - ६१% है, समुद्र तल से ऊँचाई -१७१ मीटर और औसत वर्षा - १४०० मि.मी.

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फतेहपुर जिला

फतेहपुर जिला उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है जो कि पवित्र गंगा एवं यमुना नदी के बीच बसा हुआ है। फतेहपुर जिले में स्थित कई स्थानों का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है जिनमें भिटौरा, असोथर अश्वस्थामा की नगरी) और असनि के घाट प्रमुख हैं। भिटौरा, भृगु ऋषि की तपोस्थली के रूप में मानी जाती है। फतेहपुर जिला इलाहाबाद मंडल का एक हिस्सा है और इसका मुख्यालय फतेहपुर शहर है। .

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फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

कोई विवरण नहीं।

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बचना ऐ हसीनो

बचना ऐ हसीनों (Beware, ye beauties, बचना ऐ हसीनो, 15 अगस्त 2008 को जारी एक बॉलीवुड फ़िल्म है। इसके कलाकार हैं रणबीर कपूर, बिपाशा बसु, मिनीषा लांबा और दीपिका पादुकोण. इस फ़िल्म को निर्देशित किया था सिद्धार्थ आनंद ने, जिनकी पिछली फ़िल्मों में शामिल हैं सलाम नमस्ते (2005) और ता रा रम पम (2007). .

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बन्दा सिंह बहादुर

बन्दा सिंह बहादुर बैरागी एक सिख सेनानायक थे। उन्हें बन्दा बहादुर, लक्ष्मन दास और माधो दास भी कहते हैं। वे पहले ऐसे सिख सेनापति हुए, जिन्होंने मुग़लों के अजेय होने के भ्रम को तोड़ा; छोटे साहबज़ादों की शहादत का बदला लिया और गुरु गोबिन्द सिंह द्वारा संकल्पित प्रभुसत्तासम्पन्न लोक राज्य की राजधानी लोहगढ़ में ख़ालसा राज की नींव रखी। यही नहीं, उन्होंने गुरु नानक देव और गुरू गोबिन्द सिंह के नाम से सिक्का और मोहरे जारी करके, निम्न वर्ग के लोगों की उच्च पद दिलाया और हल वाहक किसान-मज़दूरों को ज़मीन का मालिक बनाया। .

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बलदेव सिंह (रक्षामंत्री)

बलदेव सिंह (11 जुलाई, 1902 -- 29 जून, 1961) भारत के स्वतन्त्रता सेनानी एवं सिख नेता थे। वे भारत के प्रथम रक्षामन्त्री बने। सरदार बलदेव सिंह का जन्म 11 जुलाई, 1902 को जाट-सिख परिवार में हुआ था। बलदेव सिंह ने अपनी शिक्षा अम्बाला में पूरी करके अमृतसर में अपने पिताजी के साथ उनके काम में हाथ बंटाना शुरू किया। औद्यौगिक प्रतिष्ठान थे। 1930 में सरदार बलदेव सिंह ने राजनीति में प्रवेश किया। उनके पिता इंदर सिंह उस समय देश में स्टील किंग के तौर पर जाने जाते थे और उनका रुतबा अमीर पंजाबियों में शुमार था। उनके जमशेदपुर (अब झारखंड) और पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) में बलदेव सिंह भारत की राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लेते रहे और लंदन सम्मेलन सहित अंग्रेजों के साथ सभी महत्वपूर्ण वार्ता में उन्होंने सिखों का प्रतिनिधित्व किया। वह जून 1942 से सितंबर 1946 तक आजादी से पहले संयुक्त पंजाब सरकार में विकास मंत्री थे। रक्षामंत्री के रूप में उन्होंने देश के विभाजन के समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाई साथ ही अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं भारत और पाकिस्तान के बीच सशस्त्र बलों के विभाजन व कश्मीरी घुसपैठ को रोकने में भी भूमिका निभाई थी। उस समय सबसे बड़ा मुद्दा था बटवारे के बाद उजड़कर आए लोगों को बसाना। होशियारपुर शहर के जोधामल रोड के साथ साथ वर्तमान राम कालोनी कैंप में शरणार्थी शिविर बनाए गए थे। बलदेव सिंह बतौर लोकसभा सदस्य रहते लोकसभा में शरणार्थियों की समस्याएं जोर-शोर से उठाते थे। श्रेणी:भारतीय स्वतंत्रता सेनानी.

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बाबा कर्तारसिंह

बाबा कर्तारसिंह (सन् 1886-1961) भारतीय रसायनज्ञ थे। विज्ञान के अतिरिक्त सामाजिक तथा धार्मिक क्षेत्र में भी आपने महत्व की सेवाएँ कीं। सन् 1936 से 41 तक आप सिख धर्म संस्थान, तख्त, हरमंदिर जी, पटना, की निरीक्षक समिति के अध्यक्ष रहे। .

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बाल गंगाधर तिलक

बाल गंगाधर तिलक (अथवा लोकमान्य तिलक,; २३ जुलाई १८५६ - १ अगस्त १९२०), जन्म से केशव गंगाधर तिलक, एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और एक स्वतन्त्रता सेनानी थे। ये भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता हुएँ; ब्रिटिश औपनिवेशिक प्राधिकारी उन्हें "भारतीय अशान्ति के पिता" कहते थे। उन्हें, "लोकमान्य" का आदरणीय शीर्षक भी प्राप्त हुआ, जिसका अर्थ हैं लोगों द्वारा स्वीकृत (उनके नायक के रूप में)। इन्हें हिन्दू राष्ट्रवाद का पिता भी कहा जाता है। तिलक ब्रिटिश राज के दौरान स्वराज के सबसे पहले और मजबूत अधिवक्ताओं में से एक थे, तथा भारतीय अन्तःकरण में एक प्रबल आमूल परिवर्तनवादी थे। उनका मराठी भाषा में दिया गया नारा "स्वराज्य हा माझा जन्मसिद्ध हक्क आहे आणि तो मी मिळवणारच" (स्वराज यह मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूँगा) बहुत प्रसिद्ध हुआ। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कई नेताओं से एक क़रीबी सन्धि बनाई, जिनमें बिपिन चन्द्र पाल, लाला लाजपत राय, अरविन्द घोष, वी० ओ० चिदम्बरम पिल्लै और मुहम्मद अली जिन्नाह शामिल थे। .

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बिपुल शर्मा

बिपुल शर्मा एक भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी है जो इंडियन प्रीमियर लीग में सनराइजर्स हैदराबाद के लिए खेलते हैं। .

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बिशन सिंह बेदी

बिशन सिंह बेदी (जिन्हें कभी-कभी बिशेन सिंह बेदी भी कहा जाता है) का जन्म 25 सितम्बर 1946 को अमृतसर में हुआ था; वे पूर्व भारतीय क्रिकेटर और मुख्यतः बाएं हाथ के परंपरागत गेंदबाज़ थे। उन्होंने भारत के लिए 1966 से 1979 तक टेस्ट क्रिकेट खेला है और वे प्रसिद्ध भारतीय स्पिन चौकड़ी का हिस्सा भी थे। उन्होंने 22 टेस्ट मैचों में भारत की कप्तानी की है। बेदी को हमेशा एक रंगीन पटका पहनने और बेबाकी से क्रिकेट पर अपने विचार रखने के लिए भी जाना जाता है। .

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बघेल सिंह

बघेल सिंह धालीवाल (१७३०– १८०२ ई.) १८वीं शताब्दी में पंजाब क्षेत्र का एक सैन्य जनरल थे। उनका जन्म पंजाब के मजहा क्षेत्र के अमृतसर जिले में झाबल ग्राम में एक धालीवाल जाट परिवार में हुआ था। उसने प्रसिद्धि सतलुज-यमुना दोआब क्षेत्र में करोर सिंहिया मिस्ल के अधीन पायी। ये मिस्ल करोर सिंह के नेतृत्व में बनी थी एवं उसकी मृत्यु उपरांत इस मिस्ल का नेता भि बना। एक मुस्लिम इतिहासकार सैयद अहमद लतीफ़ के अनुसार इस मिस्ल में १२,००० से अधिक बहादुर योद्धा होते थे। .

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भारत में दशलक्ष-अधिक शहरी संकुलनों की सूची

भारत दक्षिण एशिया में एक देश है। भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार, वह सातवाँ सबसे बड़ा देश है, और १.२ अरब से अधिक लोगों के साथ, वह दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। भारत में उनतीस राज्य और सात संघ राज्यक्षेत्र हैं। वह विश्व की जनसंख्या के १७.५ प्रतिशत का घर हैं। .

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भारत में धर्म

तवांग में गौतम बुद्ध की एक प्रतिमा. बैंगलोर में शिव की एक प्रतिमा. कर्नाटक में जैन ईश्वरदूत (या जिन) बाहुबली की एक प्रतिमा. 2 में स्थित, भारत, दिल्ली में एक लोकप्रिय पूजा के बहाई हॉउस. भारत एक ऐसा देश है जहां धार्मिक विविधता और धार्मिक सहिष्णुता को कानून तथा समाज, दोनों द्वारा मान्यता प्रदान की गयी है। भारत के पूर्ण इतिहास के दौरान धर्म का यहां की संस्कृति में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। भारत विश्व की चार प्रमुख धार्मिक परम्पराओं का जन्मस्थान है - हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म तथा सिक्ख धर्म.

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भारत में पर्यटन

हर साल, 3 मिलियन से अधिक पर्यटक आगरा में ताज महल देखने आते हैं। भारत में पर्यटन सबसे बड़ा सेवा उद्योग है, जहां इसका राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 6.23% और भारत के कुल रोज़गार में 8.78% योगदान है। भारत में वार्षिक तौर पर 5 मिलियन विदेशी पर्यटकों का आगमन और 562 मिलियन घरेलू पर्यटकों द्वारा भ्रमण परिलक्षित होता है। 2008 में भारत के पर्यटन उद्योग ने लगभग US$100 बिलियन जनित किया और 2018 तक 9.4% की वार्षिक वृद्धि दर के साथ, इसके US$275.5 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है। भारत में पर्यटन के विकास और उसे बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय नोडल एजेंसी है और "अतुल्य भारत" अभियान की देख-रेख करता है। विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद के अनुसार, भारत, सर्वाधिक 10 वर्षीय विकास क्षमता के साथ, 2009-2018 से पर्यटन का आकर्षण केंद्र बन जाएगा.

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भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की राजमार्ग संख्या अनुसार सूची

भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची इस प्रकार से है। इसे राज्य, राजमार्ग संख्या, कुल लंबाई इत्यादि किसी भी क्रम से चुना व छांटा जा सकता है। .

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भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची (राजमार्ग संख्यानुसार)

भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों का आकारीय नक्शा  28 अप्रैल 2010 को, सड़क परिवहन और राजमार्ग मन्त्रालय ने आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क के लिए भारत सरकार के राजपत्र में एक नई संख्यांकन प्रणाली प्रकाशित की। यह एक व्यवस्थित संख्यांकन योजना हैं, जो राजमार्ग अभिविन्यास और भौगोलिक स्थान पर आधारित हैं। मौजूदा और नए राष्ट्रीय राजमार्गों के संख्यांकन में अधिक लचीलापन और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए, इसे अपनाया गया। नई संख्यांकन प्रणाली के अनुसार -.

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भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - प्रदेश अनुसार

भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों का संजाल भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची भारतीय राजमार्ग के क्षेत्र में एक व्यापक सूची देता है, द्वारा अनुरक्षित सड़कों के एक वर्ग भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण। ये लंबे मुख्य में दूरी roadways हैं भारत और के अत्यधिक उपयोग का मतलब है एक परिवहन भारत में। वे में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा भारतीय अर्थव्यवस्था। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 2 laned (प्रत्येक दिशा में एक), के बारे में 65,000 किमी की एक कुल, जिनमें से 5,840 किमी बदल सकता है गठन में "स्वर्ण Chathuspatha" या स्वर्णिम चतुर्भुज, एक प्रतिष्ठित परियोजना राजग सरकार द्वारा शुरू की श्री अटल बिहारी वाजपेयी.

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भारत में रेल दुर्घटना

भारत का रेल तन्त्र दुनिया के सबसे बड़े तन्त्रों में से एक हैं। भारतीय रेलगाड़ियों में हर दिन सवा करोड़ से अधिक लोग यात्रा करते हैं। एक अनुमान के अनुसार देश में प्रति वर्ष औसतन ३०० छोटी-बड़ी रेल दुर्घटनाएँ होती हैं। भारत में वर्ष २००० से बाद घटित हुई रेल दुर्घटनाओं का घटनाक्रम इस प्रकार है:- .

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भारत में रेलवे स्टेशनों की सूची

शिकोहाबाद तहसील के ग्राम नगला भाट में श्री मुकुट सिंह यादव जो ग्राम पंचायत रूपसपुर से प्रधान भी रहे हैं उनके तीन पुत्र हैं गजेंद्र यादव नगेन्द्र यादव पुष्पेंद्र यादव प्रधान जी का जन्म सन १९५० में हुआ था उन्होंने अपना सारा जीवन ग़रीबों के लिए क़ुर्बान कर दिया था और वो ५ भाईओ में सबसे छोटे थे और अपने परिवार को बाँधे रखा ११ मार्च २०१५ को उनका देहावसान हो गया ! वो आज भी हमारे दिलों में ज़िंदा हैं इस लेख में भारत में रेलवे स्टेशनों की सूची है। भारत में रेलवे स्टेशनों की कुल संख्या 7,000 और 8,500 के बीच अनुमानित है। भारतीय रेलवे एक लाख से अधिक लोगों को रोजगार देने के साथ दुनिया में चौथा सबसे बड़ा नियोक्ता है। सूची तस्वीर गैलरी निम्नानुसार है। .

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भारत में सर्वाधिक जनसंख्या वाले महानगरों की सूची

इस लेख में भारत के सर्वोच्च सौ महानगरीय क्षेत्रों की सूची (२००८ अनुसार) है। इन सौ महानगरों की संयुक्त जनसंख्या राष्ट्र की कुल जनसंख्या का सातवां भाग बनाती है। .

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भारत में स्मार्ट नगर

भारत में स्मार्ट नगर की कल्पना प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की है जिन्होंने देश के १०० नगरों को स्मार्ट नगरों के रूप में विकसित करने का संकल्प किया है। सरकार ने २७ अगस्त २०१५ को ९८ प्रस्तावित स्मार्ट नगरों की सूची जारी कर दी। .

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भारत में विश्वविद्यालयों की सूची

यहाँ भारत में विश्वविद्यालयों की सूची दी गई है। भारत में सार्वजनिक और निजी, दोनों विश्वविद्यालय हैं जिनमें से कई भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा समर्थित हैं। इनके अलावा निजी विश्वविद्यालय भी मौजूद हैं, जो विभिन्न निकायों और समितियों द्वारा समर्थित हैं। शीर्ष दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालयों के तहत सूचीबद्ध विश्वविद्यालयों में से अधिकांश भारत में स्थित हैं। .

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भारत का प्रधानमन्त्री

भारत गणराज्य के प्रधानमन्त्री (सामान्य वर्तनी:प्रधानमंत्री) का पद भारतीय संघ के शासन प्रमुख का पद है। भारतीय संविधान के अनुसार, प्रधानमन्त्री केंद्र सरकार के मंत्रिपरिषद् का प्रमुख और राष्ट्रपति का मुख्य सलाहकार होता है। वह भारत सरकार के कार्यपालिका का प्रमुख होता है और सरकार के कार्यों के प्रति संसद को जवाबदेह होता है। भारत की संसदीय राजनैतिक प्रणाली में राष्ट्रप्रमुख और शासनप्रमुख के पद को पूर्णतः विभक्त रखा गया है। सैद्धांतिकरूप में संविधान भारत के राष्ट्रपति को देश का राष्ट्रप्रमुख घोषित करता है और सैद्धांतिकरूप में, शासनतंत्र की सारी शक्तियों को राष्ट्रपति पर निहित करता है। तथा संविधान यह भी निर्दिष्ट करता है कि राष्ट्रपति इन अधिकारों का प्रयोग अपने अधीनस्थ अधकारियों की सलाह पर करेगा। संविधान द्वारा राष्ट्रपति के सारे कार्यकारी अधिकारों को प्रयोग करने की शक्ति, लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित, प्रधानमन्त्री को दी गयी है। संविधान अपने भाग ५ के विभिन्न अनुच्छेदों में प्रधानमन्त्रीपद के संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों को निर्धारित करता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद ७४ में स्पष्ट रूप से मंत्रिपरिषद की अध्यक्षता तथा संचालन हेतु प्रधानमन्त्री की उपस्थिति को आवश्यक माना गया है। उसकी मृत्यु या पदत्याग की दशा मे समस्त परिषद को पद छोडना पडता है। वह स्वेच्छा से ही मंत्रीपरिषद का गठन करता है। राष्ट्रपति मंत्रिगण की नियुक्ति उसकी सलाह से ही करते हैं। मंत्री गण के विभाग का निर्धारण भी वही करता है। कैबिनेट के कार्य का निर्धारण भी वही करता है। देश के प्रशासन को निर्देश भी वही देता है तथा सभी नीतिगत निर्णय भी वही लेता है। राष्ट्रपति तथा मंत्रीपरिषद के मध्य संपर्कसूत्र भी वही हैं। मंत्रिपरिषद का प्रधान प्रवक्ता भी वही है। वह सत्तापक्ष के नाम से लड़ी जाने वाली संसदीय बहसों का नेतृत्व करता है। संसद मे मंत्रिपरिषद के पक्ष मे लड़ी जा रही किसी भी बहस मे वह भाग ले सकता है। मन्त्रीगण के मध्य समन्वय भी वही करता है। वह किसी भी मंत्रालय से कोई भी सूचना आवश्यकतानुसार मंगवा सकता है। प्रधानमन्त्री, लोकसभा में बहुमत-धारी दल का नेता होता है, और उसकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा में बहुमत सिद्ध करने पर होती है। इस पद पर किसी प्रकार की समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई है परंतु एक व्यक्ति इस पद पर केवल तब तक रह सकता है जबतक लोकसभा में बहुमत उसके पक्ष में हो। संविधान, विशेष रूप से, प्रधानमन्त्री को केंद्रीय मंत्रिमण्डल पर पूर्ण नियंत्रण प्रदान करता है। इस पद के पदाधिकारी को सरकारी तंत्र पर दी गयी अत्यधिक नियंत्रणात्मक शक्ति, प्रधानमन्त्री को भारतीय गणराज्य का सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्ति बनाती है। विश्व की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या, सबसे बड़े लोकतंत्र और विश्व की तीसरी सबसे बड़ी सैन्य बलों समेत एक परमाणु-शस्त्र राज्य के नेता होने के कारण भारतीय प्रधानमन्त्री को विश्व के सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्तियों में गिना जाता है। वर्ष २०१० में फ़ोर्ब्स पत्रिका ने अपनी, विश्व के सबसे शक्तिशाली लोगों की, सूची में तत्कालीन प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह को १८वीं स्थान पर रखा था तथा २०१२ और २०१३ में उन्हें क्रमशः १९वें और २८वें स्थान पर रखा था। उनके उत्तराधिकारी, नरेंद्र मोदी को वर्ष २०१४ में १५वें स्थान पर तथा वर्ष २०१५ में विश्व का ९वाँ सबसे शक्तिशाली व्यक्ति नामित किया था। इस पद की स्थापना, वर्त्तमान कर्तव्यों और शक्तियों के साथ, २६ जनवरी १९४७ में, संविधान के परवर्तन के साथ हुई थी। उस समय से वर्त्तमान समय तक, इस पद पर कुल १५ पदाधिकारियों ने अपनी सेवा दी है। इस पद पर नियुक्त होने वाले पहले पदाधिकारी जवाहरलाल नेहरू थे जबकि भारत के वर्तमान प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी हैं, जिन्हें 26 मई 2014 को इस पद पर नियुक्त किया गया था। .

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भारत का भूगोल

भारत का भूगोल या भारत का भौगोलिक स्वरूप से आशय भारत में भौगोलिक तत्वों के वितरण और इसके प्रतिरूप से है जो लगभग हर दृष्टि से काफ़ी विविधतापूर्ण है। दक्षिण एशिया के तीन प्रायद्वीपों में से मध्यवर्ती प्रायद्वीप पर स्थित यह देश अपने ३२,८७,२६३ वर्ग किमी क्षेत्रफल के साथ विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा देश है। साथ ही लगभग १.३ अरब जनसंख्या के साथ यह पूरे विश्व में चीन के बाद दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश भी है। भारत की भौगोलिक संरचना में लगभग सभी प्रकार के स्थलरूप पाए जाते हैं। एक ओर इसके उत्तर में विशाल हिमालय की पर्वतमालायें हैं तो दूसरी ओर और दक्षिण में विस्तृत हिंद महासागर, एक ओर ऊँचा-नीचा और कटा-फटा दक्कन का पठार है तो वहीं विशाल और समतल सिन्धु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान भी, थार के विस्तृत मरुस्थल में जहाँ विविध मरुस्थलीय स्थलरुप पाए जाते हैं तो दूसरी ओर समुद्र तटीय भाग भी हैं। कर्क रेखा इसके लगभग बीच से गुजरती है और यहाँ लगभग हर प्रकार की जलवायु भी पायी जाती है। मिट्टी, वनस्पति और प्राकृतिक संसाधनो की दृष्टि से भी भारत में काफ़ी भौगोलिक विविधता है। प्राकृतिक विविधता ने यहाँ की नृजातीय विविधता और जनसंख्या के असमान वितरण के साथ मिलकर इसे आर्थिक, सामजिक और सांस्कृतिक विविधता प्रदान की है। इन सबके बावजूद यहाँ की ऐतिहासिक-सांस्कृतिक एकता इसे एक राष्ट्र के रूप में परिभाषित करती है। हिमालय द्वारा उत्तर में सुरक्षित और लगभग ७ हज़ार किलोमीटर लम्बी समुद्री सीमा के साथ हिन्द महासागर के उत्तरी शीर्ष पर स्थित भारत का भू-राजनैतिक महत्व भी बहुत बढ़ जाता है और इसे एक प्रमुख क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित करता है। .

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भारत के दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर

* अमृतसर.

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भारत के प्रधान मंत्रियों की सूची

भारत के प्रधानमंत्री भारत गणराज्य की सरकार के मुखिया हैं। भारत के प्रधानमंत्री, का पद, भारत के शासनप्रमुख (शासनाध्यक्ष) का पद है। संविधान के अनुसार, वह भारत सरकार के मुखिया, भारत के राष्ट्रपति, का मुख्य सलाहकार, मंत्रिपरिषद का मुखिया, तथा लोकसभा में बहुमत वाले दल का नेता होता है। वह भारत सरकार के कार्यपालिका का नेतृत्व करता है। भारत की राजनैतिक प्रणाली में, प्रधानमंत्री, मंत्रिमंडल में का वरिष्ठ सदस्य होता है। .

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भारत के प्रमुख अस्पताल

भारत के प्रत्येक मुख्य नगर में सरकार तथा दानी सज्जनों द्वारा स्थापित अनेक अस्पताल हैं। नीचे केवल कुछ प्रमुख तथा विशिष्ट रोगों से पीड़ितों के लिए अस्पतालों के नाम दिए जाते हैं:-- अमृतसर (पंजाब) - पंजाव मेंटल हास्पिटल (केवल मानसिक रोगों की चिकित्सा के लिए); पंजाब डेंटल हास्पिटल (केवल दंतरोग का चिकित्सा स्थान)। इंदौर (मध्यप्रदेश): इन्फ़ेक्शस डिज़ीज़ेज़ हास्पिटल (संक्रामक रोगों की चिकित्सा के लिए); कल्याणमल नर्सिग होम (रोगियों की देखभाल और उपचार के लिए विशिष्ट संस्था); लेपर असाइलम (कुष्ठरोगियों के लिए); मेंटल हास्पिटल (मानसिक रोगों का चिकित्सालय); टी.बी.

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भारत के महानगरों की सूची

भारत के महानगरों की सूची.

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भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - संख्या अनुसार

भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची (संख्या के क्रम में) भारत के राजमार्गो की एक सूची है। .

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भारत के शहरों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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भारत के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची

यह सूचियों भारत के सबसे बड़े शहरों पर है। .

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भारत के सात आश्चर्य

विश्व की सबसे शानदार मानव-निर्मित और प्राकृतिक चीजों को सूचीबद्ध करने के लिए विश्व के सात आश्चर्य की कई सूचियां बनाई गयी हैं। लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) समाचार पत्र ने के पहचाने गए 20 प्राचीन तथा मध्यकालीन स्थलों में से सात महान आश्चर्यों के चुनाव के लिए 21 से 31 जुलाई 2007 के बीच एक Simple Mobile Massage मतदान करवाया.

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भारत के हवाई अड्डे

यह सूची भारत के हवाई यातायात है। .

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भारत की बोलियाँ

भारत में ‘भारतीय जनगणना 1961’ (संकेत चिह्न .

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भारती सिंह

भारती सिंह (जन्म 3 जुलाई 1980) एक स्टैंड अप हास्य कलाकार व अभिनेत्रीहैं और ये पंजाब,भारत से हैं। .

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भारतीय थलसेना

भारतीय थलसेना, सेना की भूमि-आधारित दल की शाखा है और यह भारतीय सशस्त्र बल का सबसे बड़ा अंग है। भारत का राष्ट्रपति, थलसेना का प्रधान सेनापति होता है, और इसकी कमान भारतीय थलसेनाध्यक्ष के हाथों में होती है जो कि चार-सितारा जनरल स्तर के अधिकारी होते हैं। पांच-सितारा रैंक के साथ फील्ड मार्शल की रैंक भारतीय सेना में श्रेष्ठतम सम्मान की औपचारिक स्थिति है, आजतक मात्र दो अधिकारियों को इससे सम्मानित किया गया है। भारतीय सेना का उद्भव ईस्ट इण्डिया कम्पनी, जो कि ब्रिटिश भारतीय सेना के रूप में परिवर्तित हुई थी, और भारतीय राज्यों की सेना से हुआ, जो स्वतंत्रता के पश्चात राष्ट्रीय सेना के रूप में परिणत हुई। भारतीय सेना की टुकड़ी और रेजिमेंट का विविध इतिहास रहा हैं इसने दुनिया भर में कई लड़ाई और अभियानों में हिस्सा लिया है, तथा आजादी से पहले और बाद में बड़ी संख्या में युद्ध सम्मान अर्जित किये। भारतीय सेना का प्राथमिक उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद की एकता सुनिश्चित करना, राष्ट्र को बाहरी आक्रमण और आंतरिक खतरों से बचाव, और अपनी सीमाओं पर शांति और सुरक्षा को बनाए रखना हैं। यह प्राकृतिक आपदाओं और अन्य गड़बड़ी के दौरान मानवीय बचाव अभियान भी चलाते है, जैसे ऑपरेशन सूर्य आशा, और आंतरिक खतरों से निपटने के लिए सरकार द्वारा भी सहायता हेतु अनुरोध किया जा सकता है। यह भारतीय नौसेना और भारतीय वायुसेना के साथ राष्ट्रीय शक्ति का एक प्रमुख अंग है। सेना अब तक पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ चार युद्धों तथा चीन के साथ एक युद्ध लड़ चुकी है। सेना द्वारा किए गए अन्य प्रमुख अभियानों में ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत और ऑपरेशन कैक्टस शामिल हैं। संघर्षों के अलावा, सेना ने शांति के समय कई बड़े अभियानों, जैसे ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स और युद्ध-अभ्यास शूरवीर का संचालन किया है। सेना ने कई देशो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में एक सक्रिय प्रतिभागी भी रहा है जिनमे साइप्रस, लेबनान, कांगो, अंगोला, कंबोडिया, वियतनाम, नामीबिया, एल साल्वाडोर, लाइबेरिया, मोज़ाम्बिक और सोमालिया आदि सम्मलित हैं। भारतीय सेना में एक सैन्य-दल (रेजिमेंट) प्रणाली है, लेकिन यह बुनियादी क्षेत्र गठन विभाजन के साथ संचालन और भौगोलिक रूप से सात कमान में विभाजित है। यह एक सर्व-स्वयंसेवी बल है और इसमें देश के सक्रिय रक्षा कर्मियों का 80% से अधिक हिस्सा है। यह 1,200,255 सक्रिय सैनिकों और 909,60 आरक्षित सैनिकों के साथ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्थायी सेना है। सेना ने सैनिको के आधुनिकीकरण कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसे "फ्यूचरिस्टिक इन्फैंट्री सैनिक एक प्रणाली के रूप में" के नाम से जाना जाता है इसके साथ ही यह अपने बख़्तरबंद, तोपखाने और उड्डयन शाखाओं के लिए नए संसाधनों का संग्रह एवं सुधार भी कर रहा है।.

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भारतीय पंजाब में जैन धर्म

भारत के राज्य पंजाब में जैन धर्म मानने वालों की संख्या 0.2 % है। राज्य में जैन समुदाय के एक सदस्य अल्पसंख्यक आयोग में नियुक्त किया गया है, परन्तु राज्य सरकार ने जैन धर्म के मानने वालों को अल्पसंख्यकों के रूप में किसी अध्यादेश के माध्यम से मान्यता नहीं दी है। प्रमुख रूप से पंजाब में निम्न लिखित जैन मन्दिर हैं.

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भारतीय प्रबन्धन संस्थान

भारतीय प्रबन्धन संस्थान (आई आई एम) भारत के सर्वोत्तम प्रबंधन संस्थान हैं। प्रबन्धन की शिक्षा के अतिरिक्त ये अनुसंधान व सलाह (कांसल्टेंसी) का कार्य भी करते हैं। वर्तमान में ६ भारतीय प्रबन्धन संस्थान हैं जो बंगलुरू, अहमदाबाद, कोलकाता, लखनऊ, इन्दौर तथा कोझीकोड में स्थित हैं। ये प्रबन्धन में पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा की उपाधि प्रदान करते हैं जो एम बी ए के समतुल्य है। इन संस्थानों में प्रवेश अखिल भारतीय स्तर पर होने वाली प्रवेश परीक्षा कामन ऐडमिशन टेस्ट (सी ए टी) के आधार पर होता है। यह परीक्षा दुनिया की सर्वाधिक प्रतिस्पर्धी परिक्षाओं में से है। .

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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्षों की सूची

१९३८ के हरिपुरा सम्मेलन में (बाएं से दाएं) महात्मा गांधी, राजेन्द्र प्रसाद, सुभाष चन्द्र बोस और वल्लभ भाई पटेल। गले में फीता पहने बोस इस सम्मेलन के अध्यक्ष थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस स्वतंत्र भारत का प्रमुख राजनीतिक दल है और इस की स्थापना स्वतंत्रता से पूर्व १८८५ में हुई थी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष दल के चुने हुए प्रमुख होते है जो आम जनता के साथ दल के रिश्ते को प्रबंधित करने के लिए जिम्मेदार होते है। .

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भारतीय सिनेमा

भारतीय सिनेमा के अन्तर्गत भारत के विभिन्न भागों और भाषाओं में बनने वाली फिल्में आती हैं जिनमें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और बॉलीवुड शामिल हैं। भारतीय सिनेमा ने २०वीं सदी की शुरुआत से ही विश्व के चलचित्र जगत पर गहरा प्रभाव छोड़ा है।। भारतीय फिल्मों का अनुकरण पूरे दक्षिणी एशिया, ग्रेटर मध्य पूर्व, दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्व सोवियत संघ में भी होता है। भारतीय प्रवासियों की बढ़ती संख्या की वजह से अब संयुक्त राज्य अमरीका और यूनाइटेड किंगडम भी भारतीय फिल्मों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार बन गए हैं। एक माध्यम(परिवर्तन) के रूप में सिनेमा ने देश में अभूतपूर्व लोकप्रियता हासिल की और सिनेमा की लोकप्रियता का इसी से अन्दाजा लगाया जा सकता है कि यहाँ सभी भाषाओं में मिलाकर प्रति वर्ष 1,600 तक फिल्में बनी हैं। दादा साहेब फाल्के भारतीय सिनेमा के जनक के रूप में जाना जाते हैं। दादा साहब फाल्के के भारतीय सिनेमा में आजीवन योगदान के प्रतीक स्वरुप और 1969 में दादा साहब के जन्म शताब्दी वर्ष में भारत सरकार द्वारा दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की स्थापना उनके सम्मान में की गयी। आज यह भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित और वांछित पुरस्कार हो गया है। २०वीं सदी में भारतीय सिनेमा, संयुक्त राज्य अमरीका का सिनेमा हॉलीवुड तथा चीनी फिल्म उद्योग के साथ एक वैश्विक उद्योग बन गया।Khanna, 155 2013 में भारत वार्षिक फिल्म निर्माण में पहले स्थान पर था इसके बाद नाइजीरिया सिनेमा, हॉलीवुड और चीन के सिनेमा का स्थान आता है। वर्ष 2012 में भारत में 1602 फ़िल्मों का निर्माण हुआ जिसमें तमिल सिनेमा अग्रणी रहा जिसके बाद तेलुगु और बॉलीवुड का स्थान आता है। भारतीय फ़िल्म उद्योग की वर्ष 2011 में कुल आय $1.86 अरब (₹ 93 अरब) की रही। जिसके वर्ष 2016 तक $3 अरब (₹ 150 अरब) तक पहुँचने का अनुमान है। बढ़ती हुई तकनीक और ग्लोबल प्रभाव ने भारतीय सिनेमा का चेहरा बदला है। अब सुपर हीरो तथा विज्ञानं कल्प जैसी फ़िल्में न केवल बन रही हैं बल्कि ऐसी कई फिल्में एंथीरन, रा.वन, ईगा और कृष 3 ब्लॉकबस्टर फिल्मों के रूप में सफल हुई है। भारतीय सिनेमा ने 90 से ज़्यादा देशों में बाजार पाया है जहाँ भारतीय फिल्मे प्रदर्शित होती हैं। Khanna, 158 सत्यजीत रे, ऋत्विक घटक, मृणाल सेन, अडूर गोपालकृष्णन, बुद्धदेव दासगुप्ता, जी अरविंदन, अपर्णा सेन, शाजी एन करुण, और गिरीश कासरावल्ली जैसे निर्देशकों ने समानांतर सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और वैश्विक प्रशंसा जीती है। शेखर कपूर, मीरा नायर और दीपा मेहता सरीखे फिल्म निर्माताओं ने विदेशों में भी सफलता पाई है। 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रावधान से 20वीं सेंचुरी फॉक्स, सोनी पिक्चर्स, वॉल्ट डिज्नी पिक्चर्स और वार्नर ब्रदर्स आदि विदेशी उद्यमों के लिए भारतीय फिल्म बाजार को आकर्षक बना दिया है। Khanna, 156 एवीएम प्रोडक्शंस, प्रसाद समूह, सन पिक्चर्स, पीवीपी सिनेमा,जी, यूटीवी, सुरेश प्रोडक्शंस, इरोज फिल्म्स, अयनगर्न इंटरनेशनल, पिरामिड साइमिरा, आस्कार फिल्म्स पीवीआर सिनेमा यशराज फिल्म्स धर्मा प्रोडक्शन्स और एडलैब्स आदि भारतीय उद्यमों ने भी फिल्म उत्पादन और वितरण में सफलता पाई। मल्टीप्लेक्स के लिए कर में छूट से भारत में मल्टीप्लेक्सों की संख्या बढ़ी है और फिल्म दर्शकों के लिए सुविधा भी। 2003 तक फिल्म निर्माण / वितरण / प्रदर्शन से सम्बंधित 30 से ज़्यादा कम्पनियां भारत के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध की गयी थी जो फिल्म माध्यम के बढ़ते वाणिज्यिक प्रभाव और व्यसायिकरण का सबूत हैं। दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग दक्षिण भारत की चार फिल्म संस्कृतियों को एक इकाई के रूप में परिभाषित करता है। ये कन्नड़ सिनेमा, मलयालम सिनेमा, तेलुगू सिनेमा और तमिल सिनेमा हैं। हालाँकि ये स्वतंत्र रूप से विकसित हुए हैं लेकिन इनमे फिल्म कलाकारों और तकनीशियनों के आदान-प्रदान और वैष्वीकरण ने इस नई पहचान के जन्म में मदद की। भारत से बाहर निवास कर रहे प्रवासी भारतीय जिनकी संख्या आज लाखों में हैं, उनके लिए भारतीय फिल्में डीवीडी या व्यावसायिक रूप से संभव जगहों में स्क्रीनिंग के माध्यम से प्रदर्शित होती हैं। Potts, 74 इस विदेशी बाजार का भारतीय फिल्मों की आय में 12% तक का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। इसके अलावा भारतीय सिनेमा में संगीत भी राजस्व का एक साधन है। फिल्मों के संगीत अधिकार एक फिल्म की 4 -5 % शुद्ध आय का साधन हो सकते हैं। .

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भारतीय इतिहास तिथिक्रम

भारत के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं तिथिक्रम में।;भारत के इतिहास के कुछ कालखण्ड.

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भारतीय इतिहास की समयरेखा

पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं भारत एक साझा इतिहास के भागीदार हैं इसलिए भारतीय इतिहास की इस समय रेखा में सम्पूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास की झलक है। .

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भाई मणी सिंह

भाई मणी सिंह (भाई मनी सिंघ; 10 मार्च, 1644 -- 24 जून 1734) १८वीं शताब्दी के सिख विद्वान तथा शहीद थे। वे गुरु गोबिन्द सिंह के बचपन के साथी थे। १६९९ में जब गुरुजी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी तब 'सिख' धर्म निभाने की प्रतिज्ञा ली थी। इसके तुरन्त बाद गुरुजी ने उन्हें अमृतसर जाकर हरमंदिर साहब की व्यवस्था देखने के लिये नियुक्त कर दिया। भाई मनी सिंघ का जन्म अलीपुर उत्तरी में हुआ था जो सम्प्रति पाकिस्तान के मुजफ्फरगढ़ जिले में है। उनके पिता का नाम माई दास तथा माता का नाम मधरी बाई था। श्रेणी:सिख धर्म.

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भाई संतोख सिंह

भाई संतोख सिंह (सन् 1788-1843) वेदांत और सिक्ख दर्शन के विद्वान् और ज्ञानी संप्रदाय के विचारक थे। आपके पूर्वज छिंवा या छिब्बर नाम के मोह्याल ब्राह्मण थे। आपका जन्म अमृतसर में हुआ। आपके पिता श्री देवसिंह निर्मला संतों के संपर्क में रहे। आपकी माता का नाम राजादेई (राजदेवी) था। आप रूढ़िवाद के कट्टर विरोधी थे। अपनी परिवारिक परंपराओं की अवमानना करके आपने रोहिल्ला परिवार में विवाह किया। आपके सुपुत्र अजयसिंह भी बड़े विद्वान् हुए। भाई साहब ने ज्ञानी संतसिंह से काव्याध्ययन किया। तदनंतर संस्कृत की शिक्षा काशी में प्राप्त की। सन् 1823 में आप पटियालानरेश महाराज कर्मसिंह के दरबारी कवि के रूप में पधारे। दो वर्ष बाद कैथल के रईस श्री उदयसिंह आपको अपने यहाँ लिवा ले आए। पटियाला की भाँति कैथल में भी आपका बड़ा सम्मान हुआ और वहाँ पर अनेक विद्वानों का सहयोग भी प्राप्त हुआ। .

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भाई वीरसिंह

भाई वीरसिंह (1872-1957 ई.) आधुनिक पंजाबी साहित्य के प्रवर्तक; नाटककार, उपन्यासकार, निबंधलेखक, जीवनीलेखक तथा कवि। इन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में 1956 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। .

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भाग्यवती उपन्यास

भाग्यवती पण्डित श्रद्धाराम फिल्लौरी द्वारा रचित हिन्दी उपन्यास है। इसकी रचना सन् १८८७ में हुई थी। इसे हिन्दी का प्रथम् उपन्यास होने का गौरव प्राप्त है। इसकी रचना मुख्यत: अमृतसर में हुई थी और सन् १८८८ में यह प्रकाशित हुआ। इस उपन्यास की पहली समीक्षा अप्रैल 1887 में हिन्दी की मासिक पत्रिका प्रदीप में प्रकाशित हुई थी। इसे पंजाब सहित देश के कई राज्यो के स्कूलों में कई सालों तक पढाया जाता रहा। इस उपन्यास में उन्होंने काशी के एक पंडित उमादत्त की बेटी भगवती के किरदार के माध्यम से बाल विवाह पर ज़बर्दस्त चोट की। इसी इस उपन्यास में उन्होंने भारतीय स्त्री की दशा और उसके अधिकारों को लेकर क्रांतिकारी विचार प्रस्तुत किए। यह उपन्यास स्त्रियों में जागृति लाने के उद्देश्य से लिखा गया था। इस उपन्यास की मुख्य पात्र एक स्त्री है। इसमें स्त्रियों के प्रगतिशील रूप का चित्रण है एवं उनके अधिकारों एवं स्थिति की बात की गयी है। उस जमाने में इस उपन्यास में विधवा विवाह का पक्ष लिया गया है; बालविवाह की निन्दा की गयी है; बच्चा और बच्ची के समानता की बात की गयी है। यह पुस्तक उस समय विवाह में लड़कियों को दहेज के रूप में दी जाती थी। पं.

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भगवान सिंह ज्ञानी

डॉ॰ भगवान सिंह ज्ञानी ‘प्रीतम’ (27 जुलाई 1884 - 8 अकतूबर 1962) भारतीय राष्ट्रवादी तथा गदर पार्टी के प्रमुख नेता थे। वे 1914 से 1920 तक ग़दर पार्टी के अध्यक्ष रहे। प्रथम विश्वयुद्ध के समय १९१५ के गदर क्रान्ति में उनकी प्रमुख भूमिका थी। इस क्रान्ति के असफल होने पर वे जापान चले गये थे। उनकी 'हिन्दुस्तान गदर' में प्रकाशित राष्ट्रभक्तिपूर्ण कविताएँ बहुत प्रसिद्ध हैं। बाद में इन कविताओं को 'गदर दी गुँज' के नाम से संकलित किया गया। .

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भीष्म साहनी

रावलपिंडी पाकिस्तान में जन्मे भीष्म साहनी (८ अगस्त १९१५- ११ जुलाई २००३) आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख स्तंभों में से थे। १९३७ में लाहौर गवर्नमेन्ट कॉलेज, लाहौर से अंग्रेजी साहित्य में एम ए करने के बाद साहनी ने १९५८ में पंजाब विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि हासिल की। भारत पाकिस्तान विभाजन के पूर्व अवैतनिक शिक्षक होने के साथ-साथ ये व्यापार भी करते थे। विभाजन के बाद उन्होंने भारत आकर समाचारपत्रों में लिखने का काम किया। बाद में भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) से जा मिले। इसके पश्चात अंबाला और अमृतसर में भी अध्यापक रहने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में साहित्य के प्रोफेसर बने। १९५७ से १९६३ तक मास्को में विदेशी भाषा प्रकाशन गृह (फॉरेन लॅग्वेजेस पब्लिकेशन हाउस) में अनुवादक के काम में कार्यरत रहे। यहां उन्होंने करीब दो दर्जन रूसी किताबें जैसे टालस्टॉय आस्ट्रोवस्की इत्यादि लेखकों की किताबों का हिंदी में रूपांतर किया। १९६५ से १९६७ तक दो सालों में उन्होंने नयी कहानियां नामक पात्रिका का सम्पादन किया। वे प्रगतिशील लेखक संघ और अफ्रो-एशियायी लेखक संघ (एफ्रो एशियन राइटर्स असोसिएशन) से भी जुड़े रहे। १९९३ से ९७ तक वे साहित्य अकादमी के कार्यकारी समीति के सदस्य रहे। भीष्म साहनी को हिन्दी साहित्य में प्रेमचंद की परंपरा का अग्रणी लेखक माना जाता है। वे मानवीय मूल्यों के लिए हिमायती रहे और उन्होंने विचारधारा को अपने ऊपर कभी हावी नहीं होने दिया। वामपंथी विचारधारा के साथ जुड़े होने के साथ-साथ वे मानवीय मूल्यों को कभी आंखो से ओझल नहीं करते थे। आपाधापी और उठापटक के युग में भीष्म साहनी का व्यक्तित्व बिल्कुल अलग था। उन्हें उनके लेखन के लिए तो स्मरण किया ही जाएगा लेकिन अपनी सहृदयता के लिए वे चिरस्मरणीय रहेंगे। भीष्म साहनी हिन्दी फ़िल्मों के जाने माने अभिनेता बलराज साहनी के छोटे भाई थे। उन्हें १९७५ में तमस के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, १९७५ में शिरोमणि लेखक अवार्ड (पंजाब सरकार), १९८० में एफ्रो एशियन राइटर्स असोसिएशन का लोटस अवार्ड, १९८३ में सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड तथा १९९८ में भारत सरकार के पद्मभूषण अलंकरण से विभूषित किया गया। उनके उपन्यास तमस पर १९८६ में एक फिल्म का निर्माण भी किया गया था। .

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मदन लाल

मदन लाल (पूरा नाम मदनलाल ऊधौराम शर्मा) (अंग्रेजी: Madan Lal,गुरुमुखी: ਮਦਨ ਲਾਲ, उर्दू: مدن لال जन्म 20 मार्च 1951, अमृतसर, पंजाब, भारत) एक पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी (1974–1987) के अतिरिक्त क्रिकेट कोच भी रह चुके हैं। उन्होंने दिल्ली जाईन्ट्स व इण्डियन क्रिकेट लीग के लिये कोचिंग की है। मदन लाल ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में हरफनमौला (आलराउण्डर) खेल दिखाते हुए 42.87 के औसत से 10,204 रन बनाये जिनमें 22 शतक शामिल हैं। उन्होंने 25.50 के औसत से साइड ऑन बालिंग करते हुए 625 विकेट चटकाये। उन्होंने भारत की टीम में 39 टेस्ट मैच खेलते हुए 22.65 के औसत से 1,042 रन बनाये, 40.08 के औसत से 71 विकेट चटकाये और 15 कैच लपके। उन्हें हमेशा मध्य क्रम में बल्लेबाजी करने के लिये बाद में ही मैदान पर भेजा गया लेकिन हर बार वे भारतीय क्रिकेट के लिये मददगार ही साबित हुए। उनके प्रशंसक उन्हें मदनलाल के बजाय मदतलाल कहते थे। यही नहीं जब कभी वे गेंदबाजी करते हुए लगातार मेडन ओवर फेंकते तो अंग्रेज कमेण्टेटर उन्हें मेडनलाल कहकर प्रचारित करते थे। 1983 के क्रिकेट विश्व कप में मदनलाल के योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता जब उन्होंने हरफनमौला खेल दिखाते हुए लगभग हारती जा रही बाजी को जीत में बदल दिया था। .

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मदनलाल ढींगरा

मदनलाल धींगड़ा (१८ सितम्बर १८८३ - १७ अगस्त १९०९) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अप्रतिम क्रान्तिकारी थे। वे इंग्लैण्ड में अध्ययन कर रहे थे जहाँ उन्होने विलियम हट कर्जन वायली नामक एक ब्रिटिश अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी। यह घटना बीसवीं शताब्दी में भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन की कुछेक प्रथम घटनाओं में से एक है। .

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मधुबनी

मधुबनी भारत के बिहार प्रान्त में दरभंगा प्रमंडल अंतर्गत एक प्रमुख शहर एवं जिला है। दरभंगा एवं मधुबनी को मिथिला संस्कृति का द्विध्रुव माना जाता है। मैथिली तथा हिंदी यहाँ की प्रमुख भाषा है। विश्वप्रसिद्ध मिथिला पेंटिंग एवं मखाना के पैदावार की वजह से मधुबनी को विश्वभर में जाना जाता है। इस जिला का गठन १९७२ में दरभंगा जिले के विभाजन के उपरांत हुआ था।मधुबनी चित्रकला मिथिलांचल क्षेत्र जैसे बिहार के दरभंगा, मधुबनी एवं नेपाल के कुछ क्षेत्रों की प्रमुख चित्रकला है। प्रारम्भ में रंगोली के रूप में रहने के बाद यह कला धीरे-धीरे आधुनिक रूप में कपड़ो, दीवारों एवं कागज पर उतर आई है। मिथिला की औरतों द्वारा शुरू की गई इस घरेलू चित्रकला को पुरुषों ने भी अपना लिया है। वर्तमान में मिथिला पेंटिंग के कलाकारों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मधुबनी व मिथिला पेंटिंग के सम्मान को और बढ़ाये जाने को लेकर तकरीबन 10,000 sq/ft में मधुबनी रेलवे स्टेशन के दीवारों को मिथिला पेंटिंग की कलाकृतियों से सरोबार किया। उनकी ये पहल निःशुल्क अर्थात श्रमदान के रूप में किया गया। श्रमदान स्वरूप किये गए इस अदभुत कलाकृतियों को विदेशी पर्यटकों व सैनानियों द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है। .

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महाराणा प्रताप सागर

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के शिवालिक पहाड़ियों के आर्द्र भूमि पर ब्यास नदी पर बाँध बनाकर एक जलाशय का निर्माण किया गया है जिसे महाराणा प्रताप सागर नाम दिया गया है। इसे पौंग जलाशय या पौंग बांध के नाम से भी जाना जाता है। यह बाँध 1975 में बनाया गया था। महाराणा प्रताप के सम्मान में नामित यह जलाशय या झील (1572–1597) एक प्रसिद्ध वन्यजीव अभयारण्य है और रामसर सम्मेलन द्वारा भारत में घोषित 25 अंतरराष्ट्रीय आर्द्रभूमि साइटों में से एक है।"Salient Features of some prominent wetlands of India", pib.nic.in, Release ID 29706, web: सूर्योदय पौंग जलाशय और गोविन्दसागर जलाशय हिमाचल प्रदेश में हिमालय की तलहटी में दो सबसे महत्वपूर्ण मछली वाले जलाशय हैं।, इन जलाशयों में हिमालय राज्यों के भीतर मछली के प्रमुख स्रोत हैं। .

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महाराजा रणजीत सिंह

महाराजा रणजीत सिंह (पंजाबी: ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ) (१७८०-१८३९) सिख साम्राज्य के राजा थे। वे शेर-ए पंजाब के नाम से प्रसिद्ध हैं। जाट सिक्ख महाराजा रणजीत एक ऐसी व्यक्ति थे, जिन्होंने न केवल पंजाब को एक सशक्त सूबे के रूप में एकजुट रखा, बल्कि अपने जीते-जी अंग्रेजों को अपने साम्राज्य के पास भी नहीं भटकने दिया। रणजीत सिंह का जन्म सन 1780 में गुजरांवाला (अब पाकिस्तान) जाट सिक्ख महाराजा महां सिंह के घर हुआ था। उन दिनों पंजाब पर सिखों और अफगानों का राज चलता था जिन्होंने पूरे इलाके को कई मिसलों में बांट रखा था। रणजीत के पिता महा सिंह सुकरचकिया मिसल के कमांडर थे। पश्चिमी पंजाब में स्थित इस इलाके का मुख्यालय गुजरांवाला में था। छोटी सी उम्र में चेचक की वजह से महाराजा रणजीत सिंह की एक आंख की रोशनी जाती रही। महज 12 वर्ष के थे जब पिता चल बसे और राजपाट का सारा बोझ इन्हीं के कंधों पर आ गया। 12 अप्रैल 1801 को रणजीत ने महाराजा की उपाधि ग्रहण की। गुरु नानक के एक वंशज ने उनकी ताजपोशी संपन्न कराई। उन्होंने लाहौर को अपनी राजधानी बनाया और सन 1802 में अमृतसर की ओर रूख किया। महाराजा रणजीत ने अफगानों के खिलाफ कई लड़ाइयां लड़ीं और उन्हें पश्चिमी पंजाब की ओर खदेड़ दिया। अब पेशावर समेत पश्तून क्षेत्र पर उन्हीं का अधिकार हो गया। यह पहला मौका था जब पश्तूनों पर किसी गैर मुस्लिम ने राज किया। उसके बाद उन्होंने पेशावर, जम्मू कश्मीर और आनंदपुर पर भी अधिकार कर लिया। पहली आधुनिक भारतीय सेना - "सिख खालसा सेना" गठित करने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। उनकी सरपरस्ती में पंजाब अब बहुत शक्तिशाली सूबा था। इसी ताकतवर सेना ने लंबे अर्से तक ब्रिटेन को पंजाब हड़पने से रोके रखा। एक ऐसा मौका भी आया जब पंजाब ही एकमात्र ऐसा सूबा था, जिस पर अंग्रेजों का कब्जा नहीं था। ब्रिटिश इतिहासकार जे टी व्हीलर के मुताबिक, अगर वह एक पीढ़ी पुराने होते, तो पूरे हिंदूस्तान को ही फतह कर लेते। महाराजा रणजीत खुद अनपढ़ थे, लेकिन उन्होंने अपने राज्य में शिक्षा और कला को बहुत प्रोत्साहन दिया। उन्होंने पंजाब में कानून एवं व्यवस्था कायम की और कभी भी किसी को मृत्युदण्ड नहीं दी। उनका सूबा धर्मनिरपेक्ष था उन्होंने हिंदुओं और सिखों से वसूले जाने वाले जजिया पर भी रोक लगाई। कभी भी किसी को सिख धर्म अपनाने के लिए विवश नहीं किया। उन्होंने अमृतसर के हरिमन्दिर साहिब गुरूद्वारे में संगमरमर लगवाया और सोना मढ़वाया, तभी से उसे स्वर्ण मंदिर कहा जाने लगा। बेशकीमती हीरा कोहिनूर महाराजा रणजीत सिंह के खजाने की रौनक था। सन 1839 में महाराजा रणजीत का निधन हो गया। उनकी समाधि लाहौर में बनवाई गई, जो आज भी वहां कायम है। उनकी मौत के साथ ही अंग्रेजों का पंजाब पर शिकंजा कसना शुरू हो गया। अंग्रेज-सिख युद्ध के बाद 30 मार्च 1849 में पंजाब ब्रिटिश साम्राज्य का अंग बना लिया गया और कोहिनूर महारानी विक्टोरिया के हुजूर में पेश कर दिया गया। .

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महेन्द्र कपूर

महेन्द्र कपूर (९ जनवरी १९३४-२७ सितंबर २००८) हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध पार्श्वगायक थे। उन्होंने बी आर चोपड़ा की फिल्मों हमराज़, ग़ुमराह, धूल का फूल, वक़्त, धुंध में विशेष रूप से यादगार गाने गाए। संगीतकार रवि ने इनमें से अधिकाश फ़िल्मों में संगीत दिया। .

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माय एफएम

150px माय एफएम, एक राष्ट्रव्यापी निजी एफएम रेडियो स्टेशन है| यह रेडियो दैनिक भास्कर समूह द्वारा चलाया जा रहा है | यह रेडियो स्टेशन ९४.३ मेगाहर्ट्स एफएम बैंड फ्रिकुएंसी पर प्रसारित होता है| वर्तमान में यह स्टेशन १७ विभिन्न शहरों में प्रसारित होता है | माय एफएम का टैगलाइन है - "जियो दिल से" | .

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मालवा एक्स्प्रेस २९१९

मालवा एक्स्प्रेस २९१९ भारतीय रेल द्वारा संचालित एक मेल एक्स्प्रेस ट्रेन है। यह ट्रेन इंदौर जंक्शन बीजी रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:INDB) से १२:२५ बजे छूटती है और जम्मू तवी रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:JAT) पर ३:४० बजे पहुंचती है। इसकी यात्रा अवधि है २७ घंटे १५ मिनट। मालवा एक्सप्रेस एक दैनिक सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन सेवा है जो, मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा शहर और व्यावसायिक केंद्र इंदौर जंक्शन बीजी रेलवे स्टेशन से जम्मू कश्मीर, भारत में जम्मू तवी तक जोड़ता है। .

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मेघवाल

जम्मू, भारत में एक समारोह के दौरान मेघ बालिकाओं का एक समूह मेघ, मेघवाल, या मेघवार, (उर्दू:میگھواڑ, सिंधी:ميگھواڙ) लोग मुख्य रूप से उत्तर पश्चिम भारत में रहते हैं और कुछ आबादी पाकिस्तान में है। सन् 2008 में, उनकी कुल जनसंख्या अनुमानतः 2,807,000 थी, जिनमें से 2760000 भारत में रहते थे। इनमें से वे 659000 मारवाड़ी, 663000 हिंदी, 230000 डोगरी, 175000 पंजाबी और विभिन्न अन्य क्षेत्रीय भाषाएँ बोलते हैं। एक अनुसूचित जाति के रूप में इनका पारंपरिक व्यवसाय बुनाई रहा है। अधिकांश हिंदू धर्म से हैं, ऋषि मेघ, कबीर, रामदेवजी और बंकर माताजी उनके प्रमुख आराध्य हैं। मेघवंश को राजऋषि वृत्र या मेघ ऋषि से उत्पन्न जाना जाता है।सिंधु सभ्यता के अवशेष (मेघ ऋषि की मुर्ति मिली) भी मेघो से मिलते है। हडप्पा,मोहन-जोद़ङो,कालीबंगा (हनुमानगढ),राखीगङी,रोपङ,शक्खर(सिंध),नौसारो(बलुचिस्तान),मेघढ़(मेहरगढ़ बलुचिस्तान)आदि मेघवंशजो के प्राचीन नगर हुआ करते थे। 3300ई.पू.से 1700ई.पू.तक सिंध घाटी मे मेघो की ही आधिक्य था। 1700-1500ई.पू.मे आर्यो के आगमन से मेघ, अखंड भारत के अलग अलग भागो मे बिछुङ (चले) गये । ये लोग बहुत शांत स्वभाव व प्रवृति के थे। इनका मुख्य साधन ऊंठ-गाङा व बैल-गाङा हुआ करता। आज मेघवालो को बहुत सारी उपजातीयो बांट रखा है जिसमे सिहमार, भगत, बारुपाल, मिड़ल (मिरल),केम्मपाल, अहम्पा, पंवार,पङिहार,लिलङ,जयपाल,पंवार,चावणीया, तुर्किया,गाडी,देवपाल,जालानी गोयल-मंगी,पन्नु, गोगली,गंढेर,दहीया,पुनङ,मुंशी,कोली आदि प्रमुख है। मेघवंशो के कूलगुरु गर्गाचार्य गुरङा होते है। .

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मोहन राकेश

मोहन राकेश(८ जनवरी १९२५ - ३ जनवरी, १९७२) नई कहानी आन्दोलन के सशक्त हस्ताक्षर थे। पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए किया। जीविकोपार्जन के लिये अध्यापन। कुछ वर्षो तक 'सारिका' के संपादक। 'आषाढ़ का एक दिन','आधे अधूरे' और लहरों के राजहंस के रचनाकार। 'संगीत नाटक अकादमी' से सम्मानित। ३ जनवरी १९७२ को नयी दिल्ली में आकस्मिक निधन। मोहन राकेश हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और उपन्यासकार हैं। समाज के संवेदनशील व्यक्ति और समय के प्रवाह से एक अनुभूति क्षण चुनकर उन दोनों के सार्थक सम्बन्ध को खोज निकालना, राकेश की कहानियों की विषय-वस्तु है। मोहन राकेश की डायरी हिंदी में इस विधा की सबसे सुंदर कृतियों में एक मानी जाती है। .

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मोहम्मद रफ़ी

कोई विवरण नहीं।

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युधिष्ठिर मीमांसक

महामहोपाध्याय पंडित युधिष्ठिर मीमांसक (१९०९ - १९९४) संस्कृत के प्रसिद्ध विद्वान् तथा वैदिक वाङ्मय के निष्ठावान् समीक्षक थे। उन्होने संस्कृत के प्रचार-प्रसार में अपना अमूल्य योगदान दिया। .

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रणजी ट्रॉफी ग्रुप डी 2017-18

रणजी ट्रॉफी 2017-18 भारत की प्रथम श्रेणी क्रिकेट टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी का 84 वां सत्र है। यह 28 टीमों द्वारा चार समूहों में विभाजित किया जा रहा है, जिनमें से प्रत्येक में सात टीम हैं। .

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रब ने बना दी जोड़ी

रब ने बना दी जोड़ी वर्ष २००८ में बनी एक हिन्दी फ़िल्म है। फिल्म के मुख्य कलाकार शाहरुख खान और अनुष्का शर्मा हैं। यह नवोदित तारिका अनुष्का शर्मा की पहली फ़िल्म है। फ़िल्म में अमृतसर के एक दफ्तर के बाबू को दिखाया गया है, जिसकी शादी से पहले किसी भी लड़की से कोई पहचान तक नहीं होती। .

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रबीन्द्रनाथ ठाकुर

रवीन्द्रनाथ ठाकुर (बंगाली: রবীন্দ্রনাথ ঠাকুর रोबिन्द्रोनाथ ठाकुर) (७ मई, १८६१ – ७ अगस्त, १९४१) को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। वे विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के एकमात्र नोबल पुरस्कार विजेता हैं। बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूँकने वाले युगदृष्टा थे। वे एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार सम्मानित व्यक्ति हैं। वे एकमात्र कवि हैं जिसकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं - भारत का राष्ट्र-गान जन गण मन और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान आमार सोनार बाँग्ला गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं। .

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राधेश्याम कथावाचक

राधेश्याम कथावाचक (1890 - 1963) पारसी रंगमंच शैली के हिन्दी नाटककारों में एक प्रमुख नाम है। उनका जन्म 25 नवम्बर 1890 को उत्तर-प्रदेश राज्य के बरेली शहर में हुआ था। अल्फ्रेड कम्पनी से जुड़कर उन्होंने वीर अभिमन्यु, भक्त प्रहलाद, श्रीकृष्णावतार आदि अनेक नाटक लिखे। परन्तु सामान्य जनता में उनकी ख्याति राम कथा की एक विशिष्ट शैली के कारण फैली। लोक नाट्य शैली को आधार बनाकर खड़ी बोली में उन्होंने रामायण की कथा को 25 खण्डों में पद्यबद्ध किया। इस ग्रन्थ को राधेश्याम रामायण के रूप में जाना जाता है। आगे चलकर उनकी यह रामायण उत्तरप्रदेश में होने वाली रामलीलाओं का आधार ग्रन्थ बनी। 26 अगस्त 1963 को 73 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ। 24 नवम्बर 2012 दैनिक ट्रिब्यून, अभिगमन तिथि: 27 दिसम्बर 2013 .

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राम सुतार

राम सुतार (अंग्रेजी: Ram Vanji Sutar, जन्म: 19 फ़रवरी 1925) भारत के एक सुप्रसिद्ध मूर्तिकार हैं। महाराष्ट्र में जन्मे इस शिल्पकार का पूरा नाम राम वनजी सुतार है। आपने कई महापुरुषों की बहुत विशाल मूर्तियाँ बनायीं और उनके माध्यम से प्रचुर मात्रा में नाम और नामा दोनों कमाया। अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमन्त्रित्व काल में भारत सरकार ने आपकी कलात्मक शिल्प साधना को सम्मानित करते हुए 1999 में पद्मश्री से अलंकृत किया। .

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रामनारायण मिश्र

पंडित रामनारायण मिश्र (1873-1953) महान हिन्दीसेवी थे जिन्होने श्यामसुन्दर दास और ठाकुर शिवकुमार सिंह के साथ मिलकर नागरीप्रचारिणी सभा की स्थापना की थी। वे सन् १९३७ में इसके सभापति हुए। रामनारायण मिश्र का जन्म १८७३ में अमृतसर में हुआ था। आप अपने माता-पिता के साथ बनारस आ गये और आकर यहीं के हो गये। बनारस के क्वींस कॉलेज में शिक्षा के दौरान ही श्यामसुन्दर दास और ठाकुर शिवकुमार सिंह के साथ मिलकर नागरीप्रचारिणी सभा की स्थापना की। शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होने शिक्षा विभाग में सब डिप्टी इंस्पेक्तर तथा डिप्टी इंस्पेटर के पद पर काम किया। उन्होने स्कूलों में 'जय-जय प्यारा देश' तथा 'मातु पितु सहायक सखा तुमही एकनाथ हमारे हो' आदि प्रार्थनाएँ शुरू कीं। इससे अविभावकों एवं विद्यार्थियों का ध्यान हिन्दी भाषा की ओर गया। १९५३ में आपका देहावसान हो गया। .

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राष्ट्रीय राजमार्ग (भारत)

भारत के राजमार्ग भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग, भारत की केन्द्रीय सरकार द्वारा संस्थापित और सम्भाले जानी वाली लंबी दूरी की सड़के है। मुख्यतः यह सड़के 2 पंक्तियो की है, प्रत्येक दिशा में जाने के लिए एक पंक्ति। भारत के राजमार्गो की कुल दूरी लगभग 58,000 किमी है, जिसमे से केवल 4,885 किमी की सड़को के मध्य पक्का विभाजन बनाया गया है। राजमार्गो की लंबाई भारत के सड़को का मात्र 2% है, लेकिन यह कुल यातायात का लगभग 40% भार उठाते है। 1995 में पास संसदीय विदेहक के तहत इन राजमार्गो को बनाने और रख-रखाव के लिए निजी संस्थानो की हिस्सेदारी को मंजूरी दी गई। हाल के समय में इन राजमार्गो का तेजी से विकास हुआ जिनके तहत भारत के शहर और कस्बो के बीच यातायात के समय में गिरावट आई। कुछ शहरो के बीच 4 और 6 पंक्तियों के राजमार्गो का भी विकास हुआ। भारत का सबसे बड़ा राजमार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग ७ (NH7) है, जो उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर को भारत के दक्षिणी कोने, तमिलनाडु के कन्याकुमारी शहर के साथ जोड़ता है। इसकी लंबाई 2369 किमी है। सबसे छोटा राजमार्ग 5 किलोमीटर लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग NH71B (NH71B) है,। काफ़ी सारे राजमार्गों का अभी भी विकास हो रहा है। ज्यादतर राजमार्गों को कंक्रीट का नहीं बनाया गया है। मुम्बई पुणे एक्सप्रेस-वे इसका एक अपवाद है। .

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राष्ट्रीय राजमार्ग १

४५६ किलोमीटर लंबा यह राजकीय राजमार्ग दिल्ली से भारत-पाकिस्तान की सीमा के पास अटारी तक जाता है। इसका रूट दिल्ली - अम्बाला - जालंधर - अमृतसर - अटारी है। यह हाईवे दिल्ली को अमृतसर से जोड़ता है। रास्ते में पानीपत, अम्बाला, लुधियाना और जालंधर शहर हैं। इनके अलावा इस रूट पर कई पर्यटन स्थल भी हैं। पानीपत के पास कालाअम्ब एक मिनी सैरगाह है। यह स्थल पानीपत की लड़ाई से ताल्लुक रखता है। कालाअम्ब से नाहन होते हुए हिमाचल प्रदेश में रेणुका झील जाया जा सकता है। यहां पहाड़ों के मध्य फैली झील के आसपास किसी गेस्ट हाउस में रुक प्रकृति का मजा उठा सकते हैं। दिल्ली से 156 कि॰मी॰ दूर स्थित धार्मिक स्थल कुरुक्षेत्र में मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं। यहीं ज्योतिसर नामक स्थान गीता उपदेश की जगह है। हरियाणा का आधुनिक शहर पंचकुला भी पर्यटन का आकर्षण केंद्र है। यहां का कैक्टस गार्डन, मनसा देवी मंदिर दर्शनीय हैं। इसके निकट 350 वर्ष पुराना रामगढ़ फोर्ट आज एक हेरिटेज होटल है। पंचकुला से सैलानी पिंजौर गार्डन, नालागढ़ फोर्ट और मोरनी हिल्स भी जा सकते हैं। .

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राष्ट्रीय राजमार्ग १५

१५२६ किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग पठानकोट, पंजाब को समाखियाली, गुजरात (काँदला) के पास) से जोड़ता है। इसका रूट पठानकोट - अमृतसर - भटिंडा - गंगानगर - बीकानेर - जैसलमेर - बाड़मेर - समाखियाली है। श्रेणी:भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग.

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राष्ट्रीय सिख संगत

राष्ट्रीय सिख संगत एक सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था है जो गुरू ग्रन्थ साहब के सन्देशों को पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में प्रसारित करने के लक्ष्य के साथ काम कर रही है। संगत का मानना है कि गुरू ग्रन्थ साहब केवल सिखों का ही नहीं वरन सम्पूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप का पवित्र धर्मग्रन्थ है। राष्ट्रीय सिख संगत पूरी तरह सामाजिक एवं सांस्कृतिक मंच है, न कि पांथिक। इसका मुख्य उद्देश्य है सामाजिक समरसता पैदा करना और सिख परम्परा, सिख इतिहास को जन-जन तक पहुंचाना। उल्लेखनीय है कि सिखों का बड़ा तेजस्वी इतिहास रहा है। देश और धर्म के लिए मर मिटने की परम्परा इनकी रही है। बड़े तो बड़े, बच्चे भी देश-पंथ के लिए शहीद हुए हैं। गुरु गोविन्द सिंह जी के दो पुत्रों जोरावर सिंह (9) तथा फतेह सिंह (7) को मुगलों ने दीवार में चुनवा दिया था। अपने अन्य दो पुत्रों-अजीत सिंह और जुझार सिंह को गुरु गोविन्द सिंह जी ने अपने हाथों से युद्ध के लिए सजाया था और मुगलों की भारी-भरकम सेना के खिलाफ उन्हें मैदान में उतारा था। वे दोनों साहिबजादे भी बड़े वीर थे। युद्ध के मैदान में वीरता दिखाते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे। सच कहा जाए जो ऐसे ही वीरों और शहीदों के कारण मुगलों के अत्याचारों से उत्तर भारत में हिन्दुओं की रक्षा हो पाई। नहीं तो क्या होता, इसको अलकाधर खान योगी ने कहा है- सिखों के इसी इतिहास को घर-घर तक पहुंचाने का कार्य राष्ट्रीय सिख संगत पिछले 25 साल से कर रही है। इस निमित्त पूरे देश में संगोष्ठियां एवं अन्य कार्यक्रम होते रहते हैं। .

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राजेश खन्ना

राजेश खन्ना (जन्म: 29 दिसम्बर 1942 - मृत्यु: 18 जुलाई 2012) एक भारतीय बॉलीवुड अभिनेता, निर्देशक व निर्माता थे। उन्होंने कई हिन्दी फ़िल्में बनायीं और राजनीति में भी प्रवेश किया। वे नई दिल्ली लोक सभा सीट से पाँच वर्ष 1991-96 तक कांग्रेस पार्टी के सांसद रहे। बाद में उन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया। उन्होंने कुल 180 फ़िल्मों और 163 फीचर फ़िल्मों में काम किया, 128 फ़िल्मों में मुख्य भूमिका निभायी, 22 में दोहरी भूमिका के अतिरिक्त 17 छोटी फ़िल्मों में भी काम किया। व तीन साल 1969-71 के अंदर १५ solo हिट फ़िल्मों में अभिनय करके बॉलीवुड का सुपरस्टार कहे जाने लगे। उन्हें फ़िल्मों में सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिये तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार मिला और १४ बार मनोनीत किया गया। बंगाल फ़िल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा हिन्दी फ़िल्मों के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार भी अधिकतम चार बार उनके ही नाम रहा और २५ बार मनोनीत किया गया। 2005 में उन्हें फ़िल्मफेयर का लाइफटाइम अचीवमेण्ट अवार्ड दिया गया। राजेश खन्ना हिन्दी सिनेमा के पहले सुपर स्टार थे। 1966 में उन्होंने आखिरी खत नामक फ़िल्म से अपने अभिनय की शुरुआत की। राज़, बहारों के सपने, आखिरी खत - उनकी लगातार तीन कामयाब फ़िल्में रहीं और बहारों के सपने पूर्णतः असफल हुई। उन्होंने 1966-1991 में 74 स्वर्ण जयंती फ़िल्में की। (golden jubilee hits)। उन्होंने 1966-1991 में 22 रजत जयंती फ़िल्में किया। उन्होंने 1966-1996 में 9 सामान्य हित्त फ़िल्म किया। उन्होंने 1966-2013 में 163 फ़िल्म किया और 105 हिट रहे। .

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रितु कुमार

रितु कुमार एक भारतीय महिला फैशन डिजाइनर हैं। वे एक ऐसी पहली महिला डिजाइनर हैं, जिन्होंने भारतीय संस्कृति को नए रूप में स्थापित कर अन्तराष्ट्रीय प्रसिद्धि पाई। उन के कपडे उच्चवर्ग के साथ-साथ मध्य वर्ग के लिये भी बने होते हैं। इन कपड़ों में वे रेशम, चमडा और कपास का उपयोग अधिक करती हैं। उन की इंब्राइडरी पारंपरिक होती है। पंजाब के अमृतसर में जन्मी रितु कुमार स्वभाव से नर्म, हंसमुख और असीम धैर्य की धनी हैं। उन्होने दिल्ली के लेडी इर्विन कालेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त कर अमेरिका में उच्च शिक्षा पूरी की। 1960 में उन्होंने कोलकाता के एक छोटे शहर में 4 हैण्ड प्रिंटर्स और 2 ब्लाक्स की सहायता से यह उधोग मात्र 50 हजारे रूपये में शुरू किया। तब उन्हें पता नहीं था की यह उघोग इतना आगे बढेगा और उन्हें इतनी कामयाबी मिलेगी। आज पूरे भारत में उन की 34 और अमेरिका में 1 दूकान है। वे भारी परम्परा और संस्कृति को ध्यान में रख कर कपडे बनाती हैं। इसलिए उन के बनाए हुए 'ईवनिंग गाउन' अन्तराष्ट्रीय प्रतियोगताओं में हमेशा इनाम के हकदार होते हैं। 2000 में उन्हें किंगफिशर ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज ने लाइफ टाइम अवार्ड से नवाजा। .

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रंधावा (पहलवान)

सरदारा सिंह रंधावा (पंजाबी: ਸਰਦਾਰਾ ਸਿੰਘ ਰੰਧਾਵਾ) एक भारतीय पहलवान व अभिनेता थे जो रंधावा नाम से बेहतर जाने जाते थे। वे प्रसिध्द पहलवान व अभिनेता दारा सिंह के छोटे भाई तथा अभिनेत्री मुमताज़ के जीजा थे। .

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रैडक्लिफ़ अवार्ड

रैडक्लिफ़ रेखा 17 अगस्त 1947 को भारत विभाजन के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा बन गई। सर सिरिल रैडक्लिफ़ की अध्यक्षता में सीमा आयोग द्वारा रेखा का निर्धारण किया गया, जो 88 करोड़ लोगों के बीच क्षेत्र को न्यायोचित रूप से विभाजित करने के लिए अधिकृत थे। भारत का विभाजन .

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रूपा बाजवा

रूपा बाजवा अमृतसर, पंजाब से एक भारतीय लेखिका है। उनकी उपन्यास द साड़ी शॉप को २००६ में अंग्रेज़ी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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रेणू मारग्रेट

रेणू मारग्रेट (Renu Margrate) (जन्म;०३ जुलाई १९७५, अमृतसर, पंजाब) एक पूर्व भारतीय महिला क्रिकेट खिलाड़ी है जो भारतीय अंतर्राष्ट्रीय महिला क्रिकेट टीम के लिए टेस्ट और एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच मैच खेला करती थी। ये दाएं हाथ से बल्लेबाजी और गेंदबाजी करती थी। इन्होंने अपने कैरियर में भारत के लिए कुल चार टेस्ट और २३ वनडे मैच खेले थे। .

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रेजिनाल्ड एडवर्ड डायर

कर्नल रेजिनाल्ड एडवर्ड हैरी डायर (अंग्रेज़ी: Colonel Reginald Edward Harry Dyer) ब्रिटिश सेना का एक अधिकारी था जिसे अस्थायी ब्रिगेडियर जनरल बनाया गया था जो पंजाब (ब्रिटिश भारत) के शहर अमृतसर में जलियांवाला बाग़ नरसंहार के लिए उत्तरदायी था। डायर अपना पद से हटा दिया गया था, लेकिन वह ब्रिटेन में एक प्रसिद्ध नायक बन गया, ख़ासकर ब्रिटिश राज से संबंधित लोगों के दरम्यान। कुछ इतिहासकारों का यह मानना है कि इस दुर्घटना ब्रिटिश राज के अंत तक एक निर्णायक क़दम था। .

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लस्सी

लस्सी एक पारंपरिक दक्षिण एशियाई पेय है जो खासतौर पर उत्तर एवं पश्चिम भारत तथा पाकिस्तान में काफी लोकप्रिय है। इसे दही को मथ कर एवं पानी मिलाकर बनाया जाता है तथा इसमें ऐच्छिक रूप से तरह तरह के मसाले एवं चीनी या नमक डालकर तैयार किया जाता है। लस्सी एवं छाछ का जिक्र बहुत से पुराने मुगलपुस्तकों में आता है। पारंपरिक लससी में बहुधा लोग भुना हुआ जीरा भी स्वाद के लिए मिलाते हैं। पंजाब की लस्सी में अक्सर लस्सी तैयार करने के बाद ऊपर से मलाई की एक परत डाली जाती है। लस्सी को गर्मी के मौसम में फ्रिज में ठंढा करके या बर्फ डालकर पिया जाता है जिसे अत्यंत स्फूर्ति एवं ताजगीदायक माना गया है। बहुधा बदहजमी जैसे रोगों के लिए लस्सी का प्रयोग लोकोपचार के रूप में किया जाता है। .

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शताब्दी एक्स्प्रेस

सवारी यान (पैसेंजर कार) के अंदर का एक दृश्य शताब्दी एक्सप्रेस रेलगाड़ियाँ तेज चलने वाली सवारी गाड़ियों की एक शृंखला है जिसका परिचालन भारतीय रेल करती है जो भारत के बड़े, महत्वपूर्ण एवं व्यवसायिक शहरों को आपस में जोड़ती है। शताब्दी एक्सप्रेस का परिचालन दिन के समय होता है एवं ये अपने मूलस्थान एवं गंत्व्य की यात्रा एक दिन में ही पूरी कर लेती हैं। .

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शमशाद बेगम

शमशाद बेगम (अप्रैल १४, १९१९ – अप्रैल २३, २०१३India Post, South Asia Bureau, August 1998) एक भारतीय गायिका थीं, जो हिन्दी सिनेमा उद्योग में आरंभिक पार्श्वगायिका के रूप में आयी थीं। शमशाद बेगम एक बहुमुखी कलाकारा थीं, जिन्होंने हिन्दी के अलावा बंगाली, मराठी, गुजराती, तमिल एवं पंजाबी भाषाओं में लगभग ६००० से अधिक गाने गाये थे। इन्हें सन २००९ में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये महाराष्ट्र राज्य से हैं। .

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शिव कुमार बटालवी

शिव कुमार 'बटालवी' (ਸ਼ਿਵ ਕੁਮਾਰ ਬਟਾਲਵੀ) (1936 -1973) पंजाबी भाषा के एक विख्यात कवि थे, जो उन रोमांटिक कविताओं के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते हैं, जिनमें भावनाओं का उभार, करुणा, जुदाई और प्रेमी के दर्द का बखूबी चित्रण है। वे 1967 में वे साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाले सबसे कम उम्र के साहित्यकार बन गये। साहित्य अकादमी (भारत की साहित्य अकादमी) ने यह सम्मान पूरण भगत की प्राचीन कथा पर आधारित उनके महाकाव्य नाटिका लूणा (1965) के लिए दिया, जिसे आधुनिक पंजाबी साहित्य की एक महान कृति माना जाता है और जिसने आधुनिक पंजाबी किस्सागोई की एक नई शैली की स्थापना की। आज उनकी कविता आधुनिक पंजाबी कविता के अमृता प्रीतम और मोहन सिंह जैसे दिग्गजों के बीच बराबरी के स्तर पर खड़ी है,जिनमें से सभी भारत- पाकिस्तान सीमा के दोनों पक्षों में लोकप्रिय हैं।.

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श्रद्धाराम शर्मा

पं.

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श्री गुरु रामदास जी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र

श्री गुरु रामदास जी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र जिसे राजा सांसी अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र भी कहा जाता था, अमृतसर में स्थित विमानक्षेत्र है। इसका ICAO कोडहै VIAR और IATA कोड है ATQ। यह एक नागरिक हवाई अड्डा है। यहां कस्टम्स विभाग उपस्थित हाँ है। इसका रनवे पेव्ड है। इसकी प्रणाली यांत्रिक है। इसकी उड़ान पट्टी की लंबाई 9100 फी.

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श्रीलंका क्रिकेट टीम का भारत दौरा 1982-83

1982-83 के क्रिकेट सीज़न में, श्रीलंका की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम भारतीय राष्ट्रीय क्रिकेट टीम को खेलने के लिए भारत का दौरा करती थी। दौरे में एक टेस्ट मैच भी शामिल था। वह मैच ड्रॉ था। तीन खिलाड़ियों ने शतक लगाए; श्रीलंका के दोनों पारी में दुलीप मेंडिस ने 105 रन बनाए और सुनील गावस्कर और संदीप पाटिल ने क्रमश: 155 और 144 रन बनाए। तीन खिलाड़ियों ने खेल में पांच विकेट लिए हैं; दिलीप दोशी ने श्रीलंका की पहली पारी में 85 रनों के लिए पांच विकेट लिए। कपिल देव ने 110 रनों में पांच विकेट लिए और पांचवें विकेट के लिए अश्थला डे मेल ने 68 रन बनाये। श्रृंखला में तीन मैच एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय (वनडे) सीरीज भी शामिल थी। पहला वनडे, गांधी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स ग्राउंड, अमृतसर में, भारत ने 78 रनों के अंतर से जीत दर्ज की थी। मैच का पुरुष दिलीप दोशी था, जो चार विकेट लेकर चवालीस रन के दस ओवर थे। दूसरा वनडे फिरोज शाह कोटला, दिल्ली में था। यह मैच भारत द्वारा छह विकेट से जीता था, साथ ही भारतीय खिलाड़ी क्रिस श्रीकांत ने 95 रन बनाकर मैच के सम्मान में जीत हासिल की थी। कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम में आयोजित तीसरा और अंतिम एकदिवसीय, बैंगलोर में भारत द्वारा छह विकेट से हराया था। श्रीकांत ने 92 रनों का योगदान दिया, इसलिए उन्हें भारत के द्वारा एक श्रृंखला में व्हाइट वॉश पूरा करने वाले मैच में श्रृंखला के लिए मैच का दूसरा व्यक्ति प्राप्त हुआ। श्रृंखला में शीर्ष स्कोरर श्रीलंकाई रॉय डायस ने किया था, जिन्होंने एक श्रृंखला में दो शतक जमाए थे और उनके देश ने मैच नहीं जीत लिया था। शीर्ष विकेट लेने वाले दिलीप दोशी, जिन्होंने छह विकेट लिए। शीर्ष चार उच्चतम विकेट लेने वाले सभी भारतीय थे, दोशी 6 लेने के साथ; कपिल देव और मदन लाल पांच ले गए; और रोजर बिन्नी चार ले गए। तीन श्रीलंका ने तीन विकेट लिए; बंडुला वर्णापुरा, अजीत डी सिल्वा और अश्था डे मेल। .

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सन्त अतर सिंह

संत अतरसिंह (मार्च, 1867 - 21 जनवरी 1927) एक सिख सन्त एवं शिक्षाविद थे। .

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सबसे सघन आबादी वाले शहर

FE-India-Map-2014.jpg भारत के घनी आबादी वाले शहरों भारत के सबसे घनी आबादी वाले शहरों की सूची .

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समस्तीपुर

समस्तीपुर भारत गणराज्य के बिहार प्रान्त में दरभंगा प्रमंडल स्थित एक शहर एवं जिला है। समस्तीपुर के उत्तर में दरभंगा, दक्षिण में गंगा नदी और पटना जिला, पश्चिम में मुजफ्फरपुर एवं वैशाली, तथा पूर्व में बेगूसराय एवं खगड़िया जिले है। यहाँ शिक्षा का माध्यम हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी है लेकिन बोल-चाल में बज्जिका और मैथिली बोली जाती है। मिथिला क्षेत्र के परिधि पर स्थित यह जिला उपजाऊ कृषि प्रदेश है। समस्तीपुर पूर्व मध्य रेलवे का मंडल भी है। समस्तीपुर को मिथिला का प्रवेशद्वार भी कहा जाता है। .

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सरबत्त खालसा

सरबत खालसा १८वीं शताब्दी में अमृतसर में होने वाला एक द्विवार्षिक सिख समागम था। .

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सरला देवी चौधुरानी

सरला देवी चौधुरानी (९ सितम्बर १८७२ - १८ अगस्त १९४५) भारत में पहली महिला संगठन की संस्थापक थी। उन्हें १९१० में इलाहाबाद में भारत स्त्री महामंडल की संस्थापक के तौर पर जाना जाता है। संगठन के प्राथमिक लक्ष्यों में से एक यह कि था महिला शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए, जो उस समय अच्छी तरह से विकसित नहीं हुआ था। संगठन ने पूरे भारत में महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए लाहौर (उस समय अविभाजित भारत का हिस्सा), इलाहाबाद, दिल्ली, कराची, अमृतसर, हैदराबाद, कानपुर, बंकुरा, हजारीबाग, मिदनापुर और कोलकाता (पूर्व कलकत्ता) में कई कार्यालय खोल दिए थे। .

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सांबा

सांबा जम्मू-कश्मीर राज्य का एक प्रमुख नगर है जो कि भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित है और भारत के लिए अत्यधिक सामरिक महत्व रखता है। .

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साउथ कैरोलीना

नक्शे में स्थिति साउथ कैरोलीना (South Carolina) संयुक्त राज्य अमेरिका का दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र में राज्य है। राज्य के उत्तर में नॉर्थ कैरोलीना, दक्षिण और पश्चिम में जॉर्जिया और पूर्व में अटलांटिक महासागर है। 18वीं शताब्दी में साउथ कैरोलिना (नॉर्थ कैरोलिना के साथ मिलकर) कैरोलिना नाम के उपनिवेश का हिस्सा था जो मूल तेरह उपनिवेश में से एक था। 1861 में अमेरिकी गृहयुद्ध के समय राज्य परिसंघीय राज्य अमेरिका में जाने वाला पहला राज्य बना था। सभी 50 राज्यों में साउथ कैरोलिना का क्षेत्र के मामले में 40वां स्थान है। 2016 के अनुमान के मुताबिक राज्य की जनसंख्या 49,61,119 हैं जिससे उसका स्थान सभी राज्यों में 23वां हुआ। अंग्रेजी अधिकारिक भाषा है। निक्की हेली अमेरिका के साउथ कैरोलीना प्रांत की जनवरी 2011 से जनवरी 2017 तक गवर्नर थी। उन्होने भारतीय मूल की दूसरी अमेरिकी गवर्नर और पहली महिला गवर्नर होने का गौरव हासिल किया है। हेली सिख माता-पिता की बेटी हैं जिनके पूर्वज अमृतसर से आकर यहां बस गए थे। .

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सिन्धु-गंगा के मैदान

सिन्धु-गंगा मैदान का योजनामूलक मानचित्र सिन्धु-गंगा का मैदान, जिसे उत्तरी मैदानी क्षेत्र तथा उत्तर भारतीय नदी क्षेत्र भी कहा जाता है, एक विशाल एवं उपजाऊ मैदानी इलाका है। इसमें उत्तरी तथा पूर्वी भारत का अधिकांश भाग, पाकिस्तान के सर्वाधिक आबादी वाले भू-भाग, दक्षिणी नेपाल के कुछ भू-भाग तथा लगभग पूरा बांग्लादेश शामिल है। इस क्षेत्र का यह नाम इसे सींचने वाली सिन्धु तथा गंगा नामक दो नदियों के नाम पर पड़ा है। खेती के लिए उपजाऊ मिट्टी होने के कारण इस इलाके में जनसंख्या का घनत्व बहुत अधिक है। 7,00,000 वर्ग किमी (2,70,000 वर्ग मील) जगह पर लगभग 1 अरब लोगों (या लगभग पूरी दुनिया की आबादी का 1/7वां हिस्सा) का घर होने के कारण यह मैदानी इलाका धरती की सर्वाधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में से एक है। सिन्धु-गंगा के मैदानों पर स्थित बड़े शहरों में अहमदाबाद, लुधियाना, अमृतसर, चंडीगढ़, दिल्ली, जयपुर, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, कोलकाता, ढाका, लाहौर, फैसलाबाद, रावलपिंडी, इस्लामाबाद, मुल्तान, हैदराबाद और कराची शामिल है। इस क्षेत्र में, यह परिभाषित करना कठिन है कि एक महानगर कहां शुरू होता है और कहां समाप्त होता है। सिन्धु-गंगा के मैदान के उत्तरी छोर पर अचानक उठने वाले हिमालय के पर्वत हैं, जो इसकी कई नदियों को जल प्रदान करते हैं तथा दो नदियों के मिलन के कारण पूरे क्षेत्र में इकट्ठी होने वाली उपजाऊ जलोढ़ मिटटी के स्रोत हैं। इस मैदानी इलाके के दक्षिणी छोर पर विंध्य और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाएं तथा छोटा नागपुर का पठार स्थित है। पश्चिम में ईरानी पठार स्थित है। .

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सिख सन्दर्भ पुस्तकालय

सिख सन्दर्भ पुस्तकालय में 1500 दुर्लभ पांडुलिपियाँ मौजूद थे। यह अमृतसर, पंजाब में सिख धर्म के धार्मिक परिसर हरिमन्दिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) में स्थित था। 1984 में भारतीय सैन्य ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान यह पुस्तकालय नष्ट हो गया। .

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सिंह सभा

यह एक छोटा आन्दोलन अकाली लहर था, यह अमृतसर में शुरु हुआ था। .

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सिक्खों की मिसलें

मिसलें (1716-1799) छोटे राजनीतिक सिख्ख क्षेत्र थे। मुगल बादशाह बहादुशाह (1707-1712) की 10 दिसम्बर 1710 को प्रसारित एक राजाज्ञा से बड़े पैमाने पर सिक्खों का उत्पीड़न आरंभ हुआ। फर्रुखसियर ने भी इस आदेश को दोहरा दिया। लाहौर के गवर्नर अब्दुस्समद खाँ और उसके पुत्र तथा उत्तराधिकारी जकरिया खाँ (1726-45) ने भी सिक्खों को पीड़ित करने के लिये अनेक उपाय किए। अतएव सिक्खों ने अपने को दो दलों में संगठित किया- (1) बुड्ढा दल और (2) तरुण दल। बुड्ढा दल का नेतृत्व कपूर सिंह और तरुणदल का नेतृत्व दीपसिंह के हाथों में था। ये दोनों दल जब तब अपने छिपने के स्थानों से निकलकर स्थानीय अधिकारियों को परेशान करते थे। इन्होंने अपनी बिखरी हुई शक्ति को संगठित किया। तरुण दल पाँच जत्थों में विभाजित किया गया जिनके निम्नलिखित नेता थे- (1) दीपसिंह शहीद (2) करमसिंह और धरमसिंह, अमृतसर (3) खानसिंह और विनोद सिंह, गोइंदवाल (4) दसौंधा सिंह, कोट बुड्ढा (5) बीरू सिंह और जीवनसिंह। जब अफगानिस्तान से अहमदशाह दुर्रानी के पंजाब पर आक्रमण हुए तो सिक्खों को अपने को दृढ़तर आधार पर संगठित करने का अच्छा अवसर मिल गया। उन्होंने सरहिंद (जनवरी 14, 1764) और लाहौर (अप्रैल 16,1765) पर अधिकार कर लिया। 1748 और 1765 के बीच बुड्ढा और तरुण दलों के पाँचों जत्थों ने द्रुत गति से अपना प्रसार किया और अनेक राज्यसंघ बने जो मिसलें कहलाई। निम्नलिखित 12 मिसलें मुख्य थीं: (1) भंगी- इसे छज्जासिंह ने स्थापित किया, बाद में भन्नासिंह और हरिसिंह ने भंगी मिसल का नेतृत्व किया। इसके केन्द्र अमृतसर, रावलपिंडी और मुलतान आदि स्थानों में थे। (2) अहलूवालिया- जस्सासिहं अहलूवालिया के नेतृत्व में स्थापित हुई। इसका प्रधान केंद्र कपूरथला था। (3) रामगढ़िया- इस समुदाय को नंदसिंह संघानिया ने स्थापित किया। बाद में इसका नेतृत्व जस्सासिंह रामगढ़िया ने किया इसके क्षेत्र बटाला, दीनानगर तथा जालंधर दोआब के कुछ गाँव थे। (4) नकई- लाहौर के दक्षिण-पश्चिम में नक्का के हरिसिंह द्वारा स्थापित। (5) कन्हैया- कान्ह कच्छ के जयसिंह के नेतृत्व में गठित इस मिसलश् के क्षेत्र गुरदासपुर, बटाला, दीनानगर थे। यह रामगढ़िया मिसल में मिला जुला था। (6) उल्लेवालिया- गुलाबसिंह और तारासिंह गैवा के नेतृत्व में यह मिसल थी। राहों तथा सतलुज के उत्तर-दक्षिण के इलाके इसके मुख्य क्षेत्र थे। (7) निशानवालिया- इसके मुखिया संगतसिंह और मोहरसिंह थे। इसके मुख्य क्षेत्र अंबाला तथा सतलुज के दक्षिण और दक्षिण पूर्व के इलाके थे। (8) फ़ैजुल्लापुरिया (सिंहपुरिया)- नवाब कपूर सिंह द्वारा स्थापित, जालंधर और अमृतसर जिले इसके क्षेत्र थे। (9) करोड़सिंहिया- 'पंज गाई' के करोड़ सिंह द्वारा स्थापित। बाद में बघेलसिंह इसके मुखिया हुए। कलसिया के निकट यमुना के पश्चिम और होशियारपुर जिले में इस मिसल के क्षेत्र थे। (10) शहीद- दीपसिंह इस मिसल के अगुआ थे। बाद में गुरुबख्शसिंह ने उत्तराधिकार ग्रहण किया। दमदमा साहब और तलवंडी साबो इस मिसल के मुख्य केन्द्र थे। (11) फूलकियाँ- पटियाला, नाभा और जींद के सरदारों के पूर्वज फूल के नाम पर स्थापित। ये सरदार इसके तीन गुटों के मुखिया थे। (12) सुक्करचक्किया- चढ़तसिंह ने अपने पूर्वजों के निवास ग्राम सुक्करचक के नाम पर स्थापित किया। महत्व में चढ़तसिंह का स्थान नवाब कपूरसिंह और जस्सासिंह अहलूवालिया के स्थानों के बाद आता था। उसका मुख्य क्षेत्र गुजराँवाला और आसपास के इलाके थे। चढ़तसिंह के पुत्र महासिंह ने अपने पिता का उत्तराधिकार संभाला और उसके बाद उसके पुत्र शेरेपंजाब रणजीतसिंह ने। मिसलों का संविधान बिल्कुल सरल था। मिसल के सरदार के नीचे पट्टीदार होते थे जो अपने अनुयायियों के भरण-पोषण के लिये सरदार के साथ गाँवों और भूमि का प्रबंध करते थे। घुड़सवारी और अस्त्रशस्त्रों के प्रयोग में दक्षता सरदारों, पट्टीदारों और उनके सहायकों की मुख्य योग्ताएँ मानी जाती थीं। मिसलों का रूप गणतंत्रवादी था। जीत और लूट की सामग्री का दशम भाग सरदार के लिये नियत रहता था। शेष उसी अनुपात में छोटे सरदारों और उनके अनुयायियों में बाँटा जाता था। एक सरदार से प्राप्त गाँव और भूमि छोड़कर अन्य मिसल में सम्मिलित होना संभव था। सरदार से भूमि प्राप्त करनेवाले जागीरदारों को जागीर की सुरक्षा के लिये एक निश्चित संख्या में घोड़े और सिपाही उपलब्ध थे। छोटे सरदारों या जागीरदारों की मिसल विरुद्ध गतिविधियों पर उनकी संपत्ति जब्त करने का अधिकार सरदार को होता था। सरदारों के निजी नौकर तावेदार कहे जाते थे और अवज्ञा या विद्रोह करने पर उनकी भूमि जब्त हो सकती थी। सभी मिसलों का समूह दल 'खालसा' कहलाता था। वे गुरु के नाम पर युद्ध करते थे और सरबत्त खालसा के नाम पर संधियाँ करते थे। मिसलों की व्यापक समस्याओं पर पंथ की साधारण सभा द्वारा विचार किया जाता था। यह अमृतसर में वर्ष भर में दो बार वैशाखी और दीवाली के अवसरों पर बैठती थी। गुरु ग्रंथ साहब की उपस्थिति में बहुमत से प्रस्ताव (गुरुमत) पारित करके निर्णय लिया जाता था। न्याय बहुत जल्दी होता था। कानून और व्यवस्था कायम रखने का उत्तरदायित्व छोटे सरदारों पर था और न्याय की व्यवस्था पंचायतों के माध्यम से होती थी। पंचायतों के विरुद्ध निर्णय सुनने का अधिकार सरदार को था और अंत में, पर प्राय: बहुत कम, पंथ या साधारण सभा में अपील की जाती थी। उनके यहाँ मृत्युदंड का विधान नहीं था। चोरियों के मामलों में पदचिह्‌नान्वेषक जिस गाँव में चोरों के पदचिह्‌नों को खोज लेते थे, उस गाँव के मुखिया को या तो वे पदचिह्‌न गाँव के बाहर की ओर जाते हुए दिखाने पड़ते थे या हानि के बराबर द्रव्य देना पड़ता था। .

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सुदीपा सिंह

सुदीपा सिंह (अंग्रेजी:Sudeepa Singh) एक भारतीय अभिनेत्री है इन्होंने कई टीवी विज्ञापनों में कार्य किया है तथा बाल वीर में "रानी परी" का किरदार भी निभाया है। .

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सुनीता सिंह

सुनीता सिंह (Sunita Singh)/सुनीता कनोजिया (जन्म; २२ फ़रवरी १९८४,अमृतसर,पंजाब,भारत) एक पूर्व भारतीय महिला क्रिकेट खिलाड़ी है। सुनीता भारतीय टीम के लिए टेस्ट और एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैच खेला करती थी। इन्होंने भारत के लिए कुल दो टेस्ट और १८ एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैच खेले थे। .

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सुरजीत पातर

सुरजीत पातर (गुरमुखी: ਸੁਰਜੀਤ ਪਾਤਰ; जन्म:14 जनवरी 1945) पंजाब के एक प्रसिद्ध पंजाबी भाषा के लेखक और कवि है। उनकी कविताओं को आम जनता में भारी लोकप्रियता प्राप्त हुई है और आलोचकों ने उनकी उच्च प्रशंसा की है। .

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सुरेन्द्र मोहन पाठक

सुरेन्द्र मोहन पाठक (जन्म: १९ फ़रवरी १९४०) हिंदी भाषा में लगभग ३०० थ्रिलर अपराध उपन्यास (Crime fiction) लिखने वाले लेखक हैं। .

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सुरेश ओबेरॉय

सुरेश ओबेरॉय हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। इनका जन्म 17 दिसम्बर 1946 को ब्रिटिश भारत के क्वेटा (वर्तमान पाकिस्तान में) में 'विशाल कुमर ओबेरॉय' नामसे एक हिन्दू खत्री परिवार में हुआ| भारत के विभाजन के बाद पिता आनंद सरूप ओबेरॉय व माता करतार देवी के साथ अमृतसर से होते हैदराबाद पहुंचे| हिंदी फिल्म जगत में इन्होने चरित्र अभिनेता के रूप में अपनी पहचान बनाई है| इसका उदहारण फिल्म मिर्च मसाला में दिया, जिसपर इन्हें सन 1987 का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार अंतर्गत सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार दिया गया| ये रूमानी एवं दार्शनिक कविता (शायरी, उर्दू में) का पठन व लेखन में भी रुचि रखते है| यदि आप इनसे किसी पंक्ति कहने में चूके तो उसे सुधार, उसके लेखक का नाम भी बता देते है| फिल्म यादों का मौसम का गीत "दिल में फिर तेरी यादों का मौसम" में गायिका अनुराधा पौडवाल के साथ कुछ पंक्तियाँ सुनाकर इसका परिचय दिया है| इसके अतिरिक्त मधुर व स्पष्ट स्वर के कारण ये कुछ एक कार्यक्रम व फिल्मों में सूत्रधार का भूमिका निभाये है| फ़िल्म अशोका (2001) के ये सूत्रधार थे| ज़ी टीवी कार्यक्रम 'जीना इसी का नाम है' के संचालक भी थे| .

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सुरेंद्रनाथ बैनर्जी

सर सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी (10 नवम्बर 1848 - 6 अगस्त 1925) ब्रिटिश राज के दौरान प्रारंभिक दौर के भारतीय राजनीतिक नेताओं में से एक थे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय समिति की स्थापना की, जो प्रारंभिक दौर के भारतीय राजनीतिक संगठनों में से एक था और बाद में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता बन गए। वह राष्ट्रगुरू (राष्ट्र के शिक्षक) के नाम से भी जाने जाते थे, जो उन्हें उपाधि के रूप में दी गई थी। .

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सुखदेव सिंह बब्बर

सुखदेव सिंह बब्बर (Sukhdev Singh Babbar) (9 अगस्त 1955 - 9 अगस्त 1992) 1980 में भारत के पंजाब राज्य में सक्रिय बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) का नेता था। जिसका प्राथमिक उद्देश्य सिखों के लिए स्वतंत्र राज्य का निर्माण था, जिसे खलिस्तान कहा जाता था।.

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स्वतन्त्रता के बाद भारत का संक्षिप्त इतिहास

कोई विवरण नहीं।

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स्वर्ण मंदिर मेल

फ्रंटियर मेल जिसे अब स्वर्ण मंदिर मेल के नाम से जाना जाता है, भारत की सबसे पुरानी रेलगाड़ियों में से एक है, जिसका परिचालन आज तक किया जा रहा है। अपने शुरुआती दौर में, फ्रंटियर मेल बंबई (अब मुंबई) को पेशावर से जोड़ती थी जो कि अविभाजित भारत के पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत में स्थित था और इसी से इसका नाम फ्रंटियर (सीमांत) पड़ा था। इस रेलगाड़ी का जिक्र हिंदी फिल्म नेताजी सुभाष चंद्र बोस: द फॉरगॉटन हीरो में किया गया है: कहते हैं कि नेताजी 1944 में फ्रंटियर मेल से पेशावर गये थे और वहाँ से अफगानिस्तान के काबुल को चले गये थे। भारत के विभाजन के बाद, फ्रंटियर मेल मुंबई और अमृतसर के बीच चलने लगी जो इस रेलमार्ग पर भारत का अंतिम शहर है। 1996 में इसका नाम बदलकर सिखों के पवित्रतम स्थल स्वर्ण मंदिर के नाम पर स्वर्ण मंदिर मेल (12903UP/12904DN) कर दिया गया। .

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स्वामी श्रद्धानन्द

स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती (२ फरवरी, १८५६ - २३ दिसम्बर, १९२६) भारत के शिक्षाविद, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा आर्यसमाज के संन्यासी थे जिन्होंने स्वामी दयानन्द सरस्वती की शिक्षाओं का प्रसार किया। वे भारत के उन महान राष्ट्रभक्त संन्यासियों में अग्रणी थे, जिन्होंने अपना जीवन स्वाधीनता, स्वराज्य, शिक्षा तथा वैदिक धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित कर दिया था। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय आदि शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की और हिन्दू समाज को संगठित करने तथा १९२० के दशक में शुद्धि आन्दोलन चलाने में महती भूमिका अदा की। .

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स्वामी आनन्दबोध

स्वामी आनन्दबोध सरस्वती (१९०९ - अक्टूबर १९९४) आर्यसमाज के नेता तथा संसद सदस्य थे। उनका मूल नाम 'रामगोपाल शालवाले' था। श्री आनन्दगोपाल शालवाले का जन्म कश्मीर के अनन्तनाग में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री लाला नन्दलाल था जो मूलतः अमृतसर के निवासी थे। .

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सौरभ कालिया

कैप्टन सौरभ कालिया (1976 – 1999) भारतीय थलसेना के एक अफ़सर थे जो कारगिल युद्ध के समय पाकिस्तानी सिक्योरिटी फोर्सेज़ द्वारा बंदी अवस्था में मार दिए गए। गश्त लगाते समय इनको व इनके पाँच अन्य साथियों को ज़िन्दा पकड़ लिया गया और उन्हें कैद में रखा गया, जहाँ इन्हें यातनाएँ दी गयीं और फिर मार दिया गया। पाकिस्तानी सेना द्वारा प्रताड़ना के समय इनके कानों को गर्म लोहे की रॉड से छेदा गया, आँखें फोड़ दी गयीं और निजी अंग काट दिए गए। .

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सैफुद्दीन किचलू

सैफुद्दीन किचलू एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, वकील, व भारतीय राष्ट्रवादी मुस्लिम नेता थे। इनका जन्म पंजाब के अमृतसर में 15 जनवरी 1888 में हुआ था। ये उच्च शिक्षा के लिए विदेश चले गये और कैम्ब्रिज विद्यालय से स्नातक की डिग्री, लन्दन से बार एट लॉ की डिग्री तथा जर्मनी से पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने के उपरान्त सन् 1915 में भारत वापिस लौट आए। यूरोप से वापिस लौटने पर इन्होंने अमृतसर से वकालत का अभ्यास (प्रैक्टिस) शुरू कर दी। इन्हें अमृतसर की नगर निगम समिति का सदस्य बनाया गया तथा इन्होंने पंजाब में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का आयोजन किया। सन् 1919 में किचलू ने पंजाब में एन्टी राष्ट्र एक्ट आन्दोलन की अगुवाई की। उन्होंने खिलाफत और असहयोग आन्दोलन में सक्रिय रूप में भाग लिया और जेल गये। रिहाई के पश्चात् उन्हें ऑल इण्डिया खिलाफत कमेटी का अध्यक्ष चुना गया। सन् 1924 में किचलू को कांग्रेस का महासचिव चुना गया। सन् 1929 में जब जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव पारित किया गया तो उस समय इन्हें कांग्रेस की लाहौर समिति का सभापति बनाया गया। ये विभाजन से पूर्णतः खिलाफ थे। 9 अक्टूबर, 1963 को उन्होंने अंतिम सांस ली। .

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सैम मानेकशॉ

सैम होर्मूसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ (३ अप्रैल १९१४ - २७ जून २००८) भारतीय सेना के अध्यक्ष थे जिनके नेतृत्व में भारत ने सन् 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में विजय प्राप्त किया था जिसके परिणामस्वरूप बंगलादेश का जन्म हुआ था। .

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सेवासिंह ठीकरीवाल

सेवासिंह ठीकरीवाल सेवासिंह ठीकरीवाला (१८८६ ई.-१९३५ ई.) पंजाब के अकाली दल और रियासती प्रजामंडल के महान्‌ नेता थे। आपकी अनेक धार्मिक, शैक्षणिक एवं राजनैतिक संस्थाओं में प्रतिष्ठित स्थान मिला है। दैनिक 'कौमी दर्द' (अमृतसर), साप्ताहिक 'रियासती दुनिया' (लाहौर) एवं 'देशवर्दी' (अमृतसर) के जन्मदाता भी आप ही थे। आपकी स्मृति में प्रति वर्ष १९ जनवरी को ठीकरीवाल में शहीदी मेला लगता है। सन्‌ १९१२ से प्रारंभ किया हुआ गुरु का लंगर निरंतर चल रहा है। स. सेवासिंह गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठीकरीवाल में है। पटियाला नगर के प्रसिद्ध माल रोड पर (फूल थिएटर के समीप) सिंहसभा के सामने इनकी आदमकर मूर्ति भी लगाई गई है। .

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सेंट पॉल कैथेड्रल (अम्बाला)

सेंट पॉल कैथेड्रल भारत के राज्य हरियाणा के अम्बाला जिले की अम्बाला छावनी में स्थित एक गिरजाघर है, यह इस क्षेत्र के सबसे पुराने गिरजाघरों में से एक है। 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तानी विमानों द्वारा की गयी बमबारी में इस गिरजाघर की इमारत का अधिकांश नष्ट हो गया और आज सिर्फ गिरजाघर का बुर्ज (टॉवर) ही बचा है। आज इसके पादरी-निवास (पार्सनेज) के एक हिस्से की प्रतिष्ठा करके उसे गिरजाघर की तरह प्रयोग किया जा रहा है। बमबारी में क्षतिग्रस्त होने से पहले यह एक बेहद आलीशान इमारत थी और इसका परिसर 21 एकड़ में फैला था जिसका अधिकतर हिस्सा आज भारतीय वायु सेना ने एक विद्यालय तथा अन्य सुविधाओं के निर्माण के लिए अधिग्रहीत कर लिया है और आज यह वायु सेना स्कूल के परिसर में स्थित है। .

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सोहन सिंह भकना

बाबा सोहन सिंह भाकना बाबा सोहन सिंह भकना (जनवरी, १८७०, अमृतसर -- २० दिसम्बर, १९६८)) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी थे। वे गदर पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष थे तथा सन् १९१५ के गदर आन्दोलन के प्रमुख सूत्रधार थे। लाहौर षडयंत्र केस में बाबा को आजीवन कारावास हुआ और सोलह वर्ष तक जेल में रहने के बाद सन् १९३० में रिहा हुए। बाद में वे भारतीय मजदूर आन्दोलन से जुड़े तथा किसान सभा और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को अपना अधिकांश समय दिया। .

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सोहनलाल पाठक

सोहनलाल पाठक (१८८३-) भारतीय स्वतंत्रतता के लिये शहीद होने वाले क्रांतिकारी थे। .

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सीवान

सीवान या सिवान भारत गणराज्य के बिहार प्रान्त में सारन प्रमंडल के अंतर्गत एक जिला तथा शहर है। यह बिहार के उत्तर पश्चिमी छोर पर उत्तर प्रदेश का सीमावर्ती जिला है। जिला मुख्यालय सिवान शहर दाहा नदी के किनारे बसा है। इसके उत्तर तथा पूर्व में क्रमश: बिहार का गोपालगंज तथा सारण जिला तथा दक्षिण एवं पश्चिम में क्रमश: उत्तर प्रदेश का देवरिया और बलिया जिला है। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा॰ राजेन्द्र प्रसाद तथा कई अग्रणी स्वतंत्रता सेनानियों की जन्मभूमि एवं कर्मस्थली के लिए सिवान को जाना जाता है। .

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हम हिन्दू नहीं

हम हिन्दू नहीं (पंजाबी: ਹਮ ਹਿੰਦੂ ਨਹੀਂ) भाई कान्ह सिंह नाभा द्वारा लिखी पंजाबी भाषा की एक पुस्तक है। पुस्तक का मूल विषय हिन्दू एवं सिक्ख धर्मशास्र के अन्तर पर आधारित है। उन्नीसवीं सदी के दौरान सिख धर्म को हिन्दू धर्म का हिस्सा माना जा रहा था। इस कारण से नाभा ने यह पुस्तक लिखी। 1898 को पुस्तक पहली बार छपी गई थी। 30 जून, 1899 को यह पुस्तक नंबर 447 के तहत पर पंजाब गज़ेट में दर्ज की गई। पुस्तक में हिन्दू और सिख के बीच प्रशन-उत्तर और जगह-जगह पर वेद, पुराण, दसम ग्रंथ और गुरु ग्रंथ साहिब से कई सन्दर्भ दिये गये हैं। .

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हरमनप्रीत सिंह

हरमनप्रीत सिंह (Harmanpreet Singh) (जन्म ०६ जनवरी १९९६) एक भारतीय पुरुष फ़ील्ड हॉकी के खिलाड़ी है। इन्हें ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में आयोजित किये गए 2016 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलों चुना गया। .

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हरिमन्दिर साहिब

यहाँ तीर्थयात्री पवित्र सरोवर में डुबकी लगाते हैं श्री हरिमन्दिर साहिब (पंजाबी भाषा: ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ; हरिमंदर साहिब, हरमंदिर साहिब), जिसे दरबार साहिब या स्वर्ण मन्दिर भी कहा जाता है सिख धर्मावलंबियों का पावनतम धार्मिक स्थल या सबसे प्रमुख गुरुद्वारा है। यह भारत के राज्य पंजाब के अमृतसर शहर में स्थित है और यहाँ का सबसे बड़ा आकर्षण है। पूरा अमृतसर शहर स्वर्ण मंदिर के चारों तरफ बसा हुआ है। स्वर्ण मंदिर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। अमृतसर का नाम वास्तव में उस सरोवर के नाम पर रखा गया है जिसका निर्माण गुरु राम दास ने स्वय़ं अपने हाथों से किया था। यह गुरुद्वारा इसी सरोवर के बीचोबीच स्थित है। इस गुरुद्वारे का बाहरी हिस्सा सोने का बना हुआ है, इसलिए इसे स्वर्ण मंदिर अथवा गोल्डन टेंपल के नाम से भी जाना जाता है। श्री हरिमंदिर साहिब को दरबार साहिब के नाम से भी ख्याति हासिल है। यूँ तो यह सिखों का गुरुद्वारा है, लेकिन इसके नाम में मंदिर शब्द का जुड़ना यह स्पष्ट करता है कि भारत में सभी धर्मों को एक समान माना जाता है। इतना ही नहीं, श्री हरमंदिर साहिब की नींव भी एक मुसलमान ने ही रखी थी। इतिहास के मुताबिक सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव जी ने लाहौर के एक सूफी संत साईं मियां मीर जी से दिसंबर, 1588 में गुरुद्वारे की नींव रखवाई थी। सिक्खों के लिए स्वर्ण मंदिर बहुत ही महत्वपूर्ण है। सिक्खों के अलावा भी बहुत से श्रद्धालु यहाँ आते हैं, जिनकी स्वर्ण मंदिर और सिक्ख धर्म में अटूट आस्था है। .

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हार्ट ऑफ एशिया

हार्ट अॉफ एशिया: इसकी स्थापना 2 नंवबर 2011 को इस्तांबुल तुर्की में हुई थी इसका उद्देश्य अफगानिस्तान को स्थिरता व समृध्दि प्रदान करना और अफगानिस्तान के सहयोग के लिए स्थापित हार्ट ऑफ एशिया के सदस्य देशों की संख्ता 14 है यह संगठन क्षेत्रीय देशों के बीच संतुलन साधने तथा आपसी सहयोग बढ़ाने का काम भी करता है।17 सहयोगी देश और 12 सहायक और अंतरराष्ट्रीय संगठन भी सामिल है। वर्ष 2016 का उद्देश्यछठी हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन अमृतसर भारत में हुआ था इसका मुख्य उद्देश्य आंतकवाद को खत्म करना है। .

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हाजीपुर

हाजीपुर (Hajipur) भारत गणराज्य के बिहार प्रान्त के वैशाली जिला का मुख्यालय है। हाजीपुर भारत की संसदीय व्यवस्था के अन्तर्गत एक लोकसभा क्षेत्र भी है। 12 अक्टुबर 1972 को मुजफ्फरपुर से अलग होकर वैशाली के स्वतंत्र जिला बनने के बाद हाजीपुर इसका मुख्यालय बना। ऐतिहासिक महत्त्व के होने के अलावा आज यह शहर भारतीय रेल के पूर्व-मध्य रेलवे मुख्यालय है, इसकी स्थापना 8 सितम्बर 1996 को हुई थी।, राष्ट्रीय स्तर के कई संस्थानों तथा केले, आम और लीची के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। .

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हैप्पी भाग जाएगी

हैप्पी भाग जाएगी  (प्रकाशित किया गया था। हैप्पी विल रन एवे) एक 2016 भारतीय, हिंदी भाषा, रोमांटिक कॉमेडी फिल्म है जिसे मुदस्सर अजीज द्वारा लिखित और निर्देशित किया गया था, और आनंद एल राय और कृष्का लुल्ला द्वारा निर्मित। यह नाममात्र चरित्र के रूप में डायना पेंटी को तारांकित करता है; एक स्वतंत्र उत्साही दुल्हन जो अमृतसर से होकर अपनी शादी समारोह से भाग लेती है और अनजाने में लाहौर, पाकिस्तान में आती है। इस उत्पादन में पंटी, अभय देओल, जिमी शेरगिल, अली फजल और मोमल शेख शामिल हैं। अजीज ने 2012 में फिल्म के लिए लेखन शुरू किया और बाद में राय बनाने के लिए राय से संपर्क किया। ''हैप्पी भाग जाएगी''  को "क्रॉस-बॉर्डर" रोमांटिक कॉमेडी के रूप में माना जाता था और मूल रूप से डॉली लाहौर मे नामित था। यद्यपि फिल्म का एक बड़ा हिस्सा लाहौर में सेट किया गया है, फिल्मिंग को फोटोग्राफरी के निर्देशक के रूप में काम करने वाले सौरभ गोस्वामी के साथ पंजाब के विभिन्न हिस्सों में किया गया था। इस फिल्म में पाकिस्तानी अभिनेताओं को शामिल किया गया और शेख की बॉलीवुड की शुरुआत हुई। हैप्पी भाग जाएगी  के लिए संगीत सोहेल सेन द्वारा रचित था। इरोज इंटरनेशनल ने उत्पादन के लिए दुनिया भर में वितरण अधिकार हासिल किए, जो कि अंतिम कट में 126 मिनट तक चलता है।  19 अगस्त 2016 को भारत में हैप्पी भाग जाएगी  को नाटकीय रूप से जारी किया गया; यह फ़िल्म आलोचकों से मिश्रित प्रतिक्रियाओं के लिए खोला गया, जिन्होंने कलाकारों की भूमिकाओं और हास्य के प्रदर्शन की सराहना की। आलोचना अपने बिखरे पटकथा, असंगत टोन, और केंद्रीय चरित्र की अपेक्षाकृत खराब लक्षण वर्णन पर केंद्रित थी। मिश्रित समीक्षाओं के बावजूद फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया, ₹ 200 मिलियन के उत्पादन बजट के मुकाबले 391 मिलियन का संग्रह किया। इसे भारत में मीडिया आउटलेट्स द्वारा एक स्लीपर मारा गया था। अगस्त 2013 में रिलीज करने के लिए हैप्पी फिर भाग जयजी नामक एक सीकेल का आयोजन किया गया है। .

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जरनैल सिंह भिंडरांवाले

जरनैल सिंह भिंडरांवाले (ਜਰਨੈਲ ਸਿੰਘ ਭਿੰਡਰਾਂਵਾਲੇ, जन्म का नाम जरनैल सिंह बराड़ (ਜਰਨੈਲ ਸਿੰਘ ਬਰਾੜ, 12 फ़रवरी 1947 - 6 जून 1984) भारतीय पंजाब में सिखों के धार्मिक समूह दमदमी टकसाल का प्रमुख लीडर था। इसने आनंदपुर साहिब प्रस्ताव का समर्थन किया। इसने सिखो को कट्टरपंथी बनने के लिए मजबूर किया । इसने सिख नौजवानों को केश काटने की निषिद्धता की। इस भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 की सख़्त हिंसक स्वरूप मे विरोध किया और सिख आतंकवाद की शुुुरु की गई । जिसके अनुसार सिक्ख पंथ के अनुयायी को कम संख्या कहा गया और हिन्दू धर्म का एक हिस्सा कहा गया। अगस्त 1982 में भिंडरांवाले और अकाली दल ने 'धर्म युद्ध मोर्चा' शुरू किया। इसका उद्देश्य आनंदपुर प्रसाव में व्यक्त किए गए उद्देश्यों को पाना था। .

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जलियाँवाला बाग हत्याकांड

जालियाँवाला बाग स्मारक जालियाँवाला बाग हत्याकांड भारत के पंजाब प्रान्त के अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर के निकट जलियाँवाला बाग में १३ अप्रैल १९१९ (बैसाखी के दिन) हुआ था। रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी जिसमें जनरल डायर नामक एक अँग्रेज ऑफिसर ने अकारण उस सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियाँ चलवा दीं जिसमें १००० से अधिक व्यक्ति मरे और २००० से अधिक घायल हुए। अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में 484 शहीदों की सूची है, जबकि जलियांवाला बाग में कुल 388 शहीदों की सूची है। ब्रिटिश राज के अभिलेख इस घटना में 200 लोगों के घायल होने और 379 लोगों के शहीद होने की बात स्वीकार करते है जिनमें से 337 पुरुष, 41 नाबालिग लड़के और एक 6-सप्ताह का बच्चा था। अनाधिकारिक आँकड़ों के अनुसार 1000 से अधिक लोग मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए। यदि किसी एक घटना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर सबसे अधिक प्रभाव डाला था तो वह घटना यह जघन्य हत्याकाण्ड ही था। माना जाता है कि यह घटना ही भारत में ब्रिटिश शासन के अंत की शुरुआत बनी। १९९७ में महारानी एलिज़ाबेथ ने इस स्मारक पर मृतकों को श्रद्धांजलि दी थी। २०१३ में ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरॉन भी इस स्मारक पर आए थे। विजिटर्स बुक में उन्होंनें लिखा कि "ब्रिटिश इतिहास की यह एक शर्मनाक घटना थी।" .

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जलियाँवाला बाग़

जलियाँवाला बाग़ अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के पास का एक छोटा सा बगीचा है जहाँ 13 अप्रैल 1919 को ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड एडवर्ड डायर के नेतृत्व में अंग्रेजी फौज ने गोलियां चला के निहत्थे, शांत बूढ़ों, महिलाओं और बच्चों सहित सैकड़ों लोगों को मार डाला था और हज़ारों लोगों को घायल कर दिया था। यदि किसी एक घटना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर सबसे अधिक प्रभाव डाला था तो वह घटना यह जघन्य हत्याकाण्ड ही था। इसी घटना की याद में यहाँ पर स्मारक बना हुआ है। .

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जसपाल भट्टी

जसपाल भट्टी (3 मार्च 1955 – 25 अक्टूबर 2012) हिन्दी टेलिविज़न और सिनेमा के एक जाने-माने हास्य अभिनेता, फ़िल्म निर्माता एवं निर्देशक थे।उन्होंने पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेज से विद्युत अभियांत्रिकी की डिग्री ली, लेकिन बाद में वे नुक्कड़ थिएटर आर्टिस्ट बन गए.

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जस्सा सिंह अहलुवालिया

सुल्तान उल क़्यूम नवाब जस्सा सिंह अहलुवालिया (3 मई 1718 – 1783) सिख संघ काल में प्रमुख सिख नेता थे। वो अहलुवालिया मिसल के सन्त थे। .

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जालंधर

जालंधर भारत के पंजाब (भारत) प्रांत का एक शहर है। जालंधर एक बड़ा औद्योगिक शहर है। यहां चमड़े और खेल की वस्तुओं का अधिक उत्पादन होता है। जिस कारण यह सम्पूर्ण विश्व में विख्यात है। जालंधर पंजाब का सबसे पुराना शहर है। जालंधर वह जगह है जिसने देश को कई वीर योद्धा दिए है। जालंधर में ऐसे कई मंदिर, गुरूद्वारे, किले और संग्रहालय है जहां घूमा जा सकता है। .

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जितेन्द्र द्वारा अभिनीत फ़िल्में

जितेन्द्र एक भारतीय बॉलीवुड फिल्म अभिनेता है इनका जन्म ०७ अप्रैल १९४२ को पंजाब के अमृतसर जिले में हुआ था। इन्होंने अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत १९६४ में गीत गाया पत्थरों ने नामक फिल्म से की थी। इन्होंने हिन्दी भाषा में दर्जनों फिल्मों में अभिनय किया है। जितेन्द्र के पुत्र तुषार कपूर भी बॉलीवुड उद्योग में है। .

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जेट कनेक्ट

जेट कनेक्ट के रूप में संचालित जेटलाइट (पूर्व नाम: एयर सहारा) मुंबई, भारत में आधारित एक वायुसेवा थी। रीडिफ.कॉम, 16 अप्रैल 2007 इसे पहले जेट एयर वेज़ कनेक्ट के नाम से जाना जाता था, जेट लाईट इंडिया लिमिटेड का एक व्यावसायिक नाम है। यह मुंबई में स्थित एक विमानन सेवा है जिस पर की जेट एयरवेज का मालिकाना हक़ है। यह विमान सेवा भारत के सभी मेट्रोपोल शहरों को जोड़ने के लिए नियमित उड़ान सेवाएँ प्रदान करती है। .

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वाघा

right वाघा (पंजाबी: ਵਾਘਾ; उर्दू:واہگہ) भारत के अमृतसर, तथा पाकिस्तान के लाहौर के बीच ग्रैंड ट्रंक रोड पर स्थित गाँव है जहाँ से दोनों देशों की सीमा गुजरती है। भारत और पाकिस्तान के बीच थल-मार्ग से सीमा पार करने का यही एकमात्र निर्धारित स्थान है। यह स्थान अमृतसर से ३२ किमी तथा लाहौर से २२ किमी दूरी पर स्थित है। .

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विमानक्षेत्रों की सूची IATA कोड अनुसार: A

कोई विवरण नहीं।

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विमानक्षेत्रों की सूची ICAO कोड अनुसार: V

प्रविष्टियों का प्रारूप है.

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विजय सिंह पथिक

विजय सिंह पथिक उर्फ़ भूप सिंह गुर्जर (अंग्रेजी:Vijay Singh Pathik, जन्म: 27 फ़रवरी 1882, निधन: 28 मई 1954) भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्हें राष्ट्रीय पथिक के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म बुलन्दशहर जिले के ग्राम गुठावली कलाँ के एक गुर्जर परिवार में हुआ था। उनके दादा इन्द्र सिंह बुलन्दशहर स्थित मालागढ़ रियासत के दीवान (प्रधानमंत्री) थे जिन्होंने 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम में अंग्रेजों से लड़ते हुए वीरगति प्राप्त की थी। पथिक जी के पिता हमीर सिंह गुर्जर को भी क्रान्ति में भाग लेने के आरोप में सरकार ने गिरफ्तार किया था। पथिक जी पर उनकी माँ कमल कुमारी और परिवार की क्रान्तिकारी व देशभक्ति से परिपूर्ण पृष्ठभूमि का बहुत गहरा असर पड़ा। युवावस्था में ही उनका सम्पर्क रास बिहारी बोस और शचीन्द्र नाथ सान्याल आदि क्रान्तिकारियों से हो गया था। 1915 के लाहौर षड्यन्त्र के बाद उन्होंने अपना असली नाम भूपसिंह गुर्जर से बदल कर विजयसिंह पथिक रख लिया था। मृत्यु पर्यन्त उन्हें इसी नाम से लोग जानते रहे। मोहनदास करमचंद गांधी के सत्याग्रह आन्दोलन से बहुत पहले उन्होंने बिजौलिया किसान आंदोलन के नाम से किसानों में स्वतंत्रता के प्रति अलख जगाने का काम किया था। .

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विज्ञान परिषद् प्रयाग

विज्ञान परिषद् प्रयाग, इलाहाबाद में स्थित है और यह विज्ञान जनव्यापीकरण के क्षेत्र में कार्य करने वाली भारत की सबसे पुरानी संस्थाओं में से एक है। विज्ञान परिषद् की स्थापना सन् १९१३ ई. में हुई थी और इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारत में वैज्ञानिक विचारधारा का प्रचार प्रसार था। इस दिशा में १९१३ से अनवरत कार्य करने वाली इस संस्था से विज्ञान नाम की मासिक पत्रिका का प्रकाशन भी किया जाता है। यह पत्रिका सर्वप्रथम १९१३ में प्रकाशित हुई थी और तब से आज तक अनवरत प्रकाशित रहने का इसका रेकॉर्ड रहा है। विज्ञान परिषद् के मुख्य कार्यक्षेत्र निम्नलिखित हैं।.

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वैशाली

वैशाली बिहार प्रान्त के वैशाली जिला में स्थित एक गाँव है। ऐतिहासिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध यह गाँव मुजफ्फरपुर से अलग होकर १२ अक्टुबर १९७२ को वैशाली के जिला बनने पर इसका मुख्यालय हाजीपुर बनाया गया। वज्जिका यहाँ की मुख्य भाषा है। ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र यानि "रिपब्लिक" कायम किया गया था। भगवान महावीर की जन्म स्थली होने के कारण जैन धर्म के मतावलम्बियों के लिए वैशाली एक पवित्र स्थल है। भगवान बुद्ध का इस धरती पर तीन बार आगमन हुआ, यह उनकी कर्म भूमि भी थी। महात्मा बुद्ध के समय सोलह महाजनपदों में वैशाली का स्थान मगध के समान महत्त्वपूर्ण था। अतिमहत्त्वपूर्ण बौद्ध एवं जैन स्थल होने के अलावा यह जगह पौराणिक हिन्दू तीर्थ एवं पाटलीपुत्र जैसे ऐतिहासिक स्थल के निकट है। मशहूर राजनर्तकी और नगरवधू आम्रपाली भी यहीं की थी| आज वैशाली पर्यटकों के लिए भी बहुत ही लोकप्रिय स्थान है। वैशाली में आज दूसरे देशों के कई मंदिर भी बने हुए हैं। .

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वैशाली जिला

वैशाली (Vaishali) बिहार प्रान्त के तिरहुत प्रमंडल का एक जिला है। मुजफ्फरपुर से अलग होकर १२ अक्टुबर १९७२ को वैशाली एक अलग जिला बना। वैशाली जिले का मुख्यालय हाजीपुर में है। बज्जिका तथा हिन्दी यहाँ की मुख्य भाषा है। ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र यानि "रिपब्लिक" कायम किया गया था। वैशाली जिला भगवान महावीर की जन्म स्थली होने के कारण जैन धर्म के मतावलम्बियों के लिए एक पवित्र नगरी है। भगवान बुद्ध का इस धरती पर तीन बार आगमन हुआ। भगवान बुद्ध के समय सोलह महाजनपदों में वैशाली का स्थान मगध के समान महत्त्वपूर्ण था। ऐतिहासिक महत्त्व के होने के अलावे आज यह जिला राष्ट्रीय स्तर के कई संस्थानों तथा केले, आम और लीची के उत्पादन के लिए भी जाना जाता है। .

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वेस्ट इंडीज क्रिकेट टीम का भारत दौरा 1983-84

1983-84 में वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम ने भारत के दौरे पर 1983 के विश्वकप में अपनी आश्चर्यजनक हार के बाद भारत का दौरा किया। क्लाइव लॉयड द्वारा कप्तानी किए गए, वेस्ट इंडीज ने दूसरे प्रथम श्रेणी मैचों के अलावा भारत के साथ ही पांच वनडे के खिलाफ छह टेस्ट मैचों में खेले। श्रृंखला को बदला श्रृंखला के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें वेस्टइंडीज़ ने तीन टेस्ट जीतकर और सभी पांच वनडे मैच जीते थे। श्रृंखला में भारतीय बल्लेबाजों ने वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज के खिलाफ खेलने के लिए संघर्ष किया। ज्यादातर मैचों में भारत 4-5 विकेट से पहले ही हार गया। विनाशकारी 3-0 के नुकसान घरेलू मिट्टी पर हार का सबसे बड़ा अंतर था। भारतीय खिलाड़ियों के खराब प्रदर्शन के बावजूद, भारत ने इस श्रृंखला में कुछ रिकॉर्ड बनाने का प्रबंधन किया। कपिल देव ने एक पारी में 9 विकेट लेकर 83 रन की पारी खेली थी और गावस्कर ने इस श्रृंखला में अपने कैरियर का सर्वश्रेष्ठ 236 रन बनाए। 236 रनों की इस पारी में उन्होंने 29 टेस्ट शतकों के डोनाल्ड ब्रैडमैन का रिकार्ड और वीनू मांकड का रिकार्ड स्कोर 231 रन बनाकर आउट किया। इन सीरीज में कई अन्य प्रकाश डाला गया। 5 वीं टेस्ट में, भारत के खराब प्रदर्शन के कारण भीड़ खराब हो गईं और उन्होंने सुनील गावस्कर को दोषी ठहराया और उन्हें पत्थरों और सड़ा हुआ फलों पर पेल दिया गया। श्रीनगर में खेले गए इस श्रृंखला के पहले एकदिवसीय मैच में पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेला गया था। मेजबान टीम भीड़ के एक वर्ग द्वारा लगातार बुझी थी। अलगाववादियों ने दोपहर के भोजन के ब्रेक के दौरान पिच को खोदने का विरोध किया। इस श्रृंखला में रिची रिचर्डसन, रोजर हार्पर, चेतन शर्मा, नवजोत सिद्धू और राजू कुलकर्णी की शुरुआत हुई। एंडी रॉबर्ट्स और यशपाल शर्मा इस श्रृंखला में अपने अंतिम मैच खेलने के बाद सेवानिवृत्ति में गए। अहमदाबाद के गुजरात स्टेडियम में तीसरा टेस्ट मैच इस मैदान पर खेला गया पहला टेस्ट मैच था। छठे टेस्ट के बाद मैल्कम मार्शल ने कुल विकेट 33 विकेट बनाये जिसमें वेस्टइंडीज की एक श्रृंखला में सबसे अधिक विकेट लिए गए। एक ही टेस्ट में, विंस्टन डेविस को एक प्रेक्षक द्वारा फेंकने वाली एक मिसाइल से मारा गया जिसमें कप्तान क्लाइव लॉयड ने अपनी टीम वापस मंडप में खींच कर ली। लॉयड को राज्य के राज्यपाल से आश्वासन प्राप्त होने के बाद ही मैच फिर शुरू हुआ था कि सुरक्षा में वृद्धि होगी। .

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ख़ालिस्तान आंदोलन

24 जनवरी 1993 से 4 अगस्त 1993 तक अप्रतिनिधित राष्ट्र और जन संगठन द्वारा स्वीकृत ख़ालिस्तान के लिए एक प्रस्तावित झंडा ख़ालिस्तान (पंजाबी: ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ) सिख राष्ट्र का प्रस्तावित अलग देश का नाम है। सिख अधिकतर भारतीय पंजाब में आबाद हैं और अमृतसर में उनके मत्वपूर्ण राजनैतिक और धार्मिक अकाल तख़्त स्थित है। 1980 के दशक में ख़ालिस्तान की प्राप्ति के आंदोलन ज़ोरों पर थी जिसे विदेशों में रहने वाले सिखों का वित्तीय और नैतिक समर्थन हासिल था। भारत सरकार ने अमृतसर पर सैन्य कार्रवाई करके इस आंदोलन को कुचल डाला। कनाडा में रहते सिखों पर यह आरोप भी लगा कि उन्होंने भारतीय यात्री विमान का अपहरण करके उसे नष्ट कर दिया। आतंकवाद पर युद्ध शुरू होने के बाद यह विमान घटना कनाडा और पश्चिमी मीडिया में ख़ूब उछाला गया। .

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खैरा

खैरा (पंजाबी: ਖੈਰਾ) भारत और पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र में पायी जाने वाली एक रामगढ़िया और जाट गोत्र के लोग हैं। इसके अन्य रूप खेरा, खरा और खेहरा भी हैं। .

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ग़दर राज्य-क्रांति

गदर राज्य-क्रान्ति फरवरी १९१५ में ब्रितानी भारतीय सेना में हुई एक अखिल भारतीय क्रान्ति थी जिसकी योजना गदर पार्टी ने बनायी थी। यह क्रान्ति भारत से ब्रिटिश राज को समाप्त करने के उद्देश्य से १९१४ से १९१७ के बीच हुए अखिल भारतीय विद्रोहों (जिन्हें हिन्दू-जर्मन षडयन्त्र कहते हैं।) में से सबसे बड़ी थी। इसे प्रथम लाहौर षडयन्त्र भी कहते हैं। .

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गामा पहलवान

गामा पहलवान (گاما پھلوان) का असली नाम ग़ुलाम मुहम्मद बट (अंग्रेजी: Ghulam Muhammad Butt; غلام محمد بٹ) था। दुनिया में अजेय गामा पहलवान का जन्म 15 अक्टूबर 1880 ई० को अमृतसर, पंजाब में हुआ था, हालांकि इनके जन्म को लेकर विवाद है। इनके बचपन का नाम ग़ुलाम मुहम्मद था। इन्होंने 10 वर्ष की उम्र में ही पहलवानी शुरू कर दी थी। इन्होंने पत्थर के डम्बल से अपनी बॉडी बनाई थी। उस समय दुनिया में कुश्ती के मामले में अमेरिका के जैविस्को का बहुत नाम था। गामा ने इसे भी परास्त कर दिया था। पूरी दुनिया में गामा को कोई नहीं हरा सका, और उन्हें वर्ल्ड चैंपियन का ख़िताब मिला। भारत-पाक बटवारे के समय ही ये अपने परिवार के साथ लाहौर चले गए। मई 1960 को लाहौर में ही उनकी मृत्यु हो गई। .

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गगन मै थाल

गगन मैं थाल, रव चंद दीपक बने।..

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गुरशरण कौर

गुरशरण कौर गुरशरण कौर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पत्नी हैं। गुरशरण का जन्म सरदार छत्तर सिंह कोहली, और सरदारनी भागवंती कौर के घर सन 1937 में जालंधर में हुआ था। इनके पिता सरदार छत्तर सिंह कोहली बर्मा शैल में एक कर्मचारी थे। इनकी प्राथमिक शिक्षा गुरु नानक कन्या पाठशाला में हुई इसके बाद इन्होने पटियाला के सरकारी महिला कॉलेज से और इसके बाद खालसा कॉलेज अमृतसर से डिग्री प्राप्त की। गुरशरण कौर का विवाह डॉ॰ मनमोहन सिंह से 1958 में अमृतसर में हुआ। दिल्ली के सिख समुदाय में गुरशरण कौर को कीर्तन करने के लिए जाना जाता है। सरदार मनमोहन सिंह को जब विश्व बैंक की एक नौकरी के सिलसिले में अमेरिका जाना पड़ा तो यह उनके साथ गयीं पर इससे पहले इन्होने ऑल इंडिया रेडियो पर कई बार कीर्तन और गाने गाये थे। इनकी तीन पुत्रियाँ हैं- उपिन्दर सिंह, दमनदीप कौर और अमृत सिंह। तीनो ही पुत्रियाँ अपने अपने क्षेत्र में काफी सफल हैं। श्रेणी:जालंधर के लोग श्रेणी:पंजाब के लोग.

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गुरु राम दास

राम दास या गुरू राम दास (ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਰਾਮ ਦਾਸ ਜੀ.), सिखों के गुरु थे और उन्हें गुरु की उपाधि 30 अगस्त 1574 को दी गयी थी। उन दिनों जब विदेशी आक्रमणकारी एक शहर के बाद दूसरा शहर तबाह कर रहे थे, तब 'पंचम् नानक' गुरू राम दास जी महाराज ने एक पवित्र शहर रामसर, जो कि अब अमृतसर के नाम से जाना जाता है, का निर्माण किया। .

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गुरु हरगोबिन्द

गुरू हरगोबिन्द सिखों के छठें गुरू थे। साहिब की सिक्ख इतिहास में गुरु अर्जुन देव जी के सुपुत्र गुरु हरगोबिन्द साहिब की दल-भंजन योद्धा कहकर प्रशंसा की गई है। गुरु हरगोबिन्द साहिब की शिक्षा दीक्षा महान विद्वान् भाई गुरदास की देख-रेख में हुई। गुरु जी को बराबर बाबा बुड्डाजी का भी आशीर्वाद प्राप्त रहा। छठे गुरु ने सिक्ख धर्म, संस्कृति एवं इसकी आचार-संहिता में अनेक ऐसे परिवर्तनों को अपनी आंखों से देखा जिनके कारण सिक्खी का महान बूटा अपनी जडे मजबूत कर रहा था। विरासत के इस महान पौधे को गुरु हरगोबिन्द साहिब ने अपनी दिव्य-दृष्टि से सुरक्षा प्रदान की तथा उसे फलने-फूलने का अवसर भी दिया। अपने पिता श्री गुरु अर्जुन देव की शहीदी के आदर्श को उन्होंने न केवल अपने जीवन का उद्देश्य माना, बल्कि उनके द्वारा जो महान कार्य प्रारम्भ किए गए थे, उन्हें सफलता पूर्वक सम्पूर्ण करने के लिए आजीवन अपनी प्रतिबद्धता भी दिखलाई। बदलते हुए हालातों के मुताबिक गुरु हरगोबिन्दसाहिब ने शस्त्र एवं शास्त्र की शिक्षा भी ग्रहण की। वह महान योद्धा भी थे। विभिन्न प्रकार के शस्त्र चलाने का उन्हें अद्भुत अभ्यास था। गुरु हरगोबिन्दसाहिब का चिन्तन भी क्रान्तिकारी था। वह चाहते थे कि सिख कौम शान्ति, भक्ति एवं धर्म के साथ-साथ अत्याचार एवं जुल्म का मुकाबला करने के लिए भी सशक्त बने। वह अध्यात्म चिन्तन को दर्शन की नई भंगिमाओं से जोडना चाहते थे। गुरु- गद्दी संभालते ही उन्होंने मीरी एवं पीरी की दो तलवारें ग्रहण की। मीरी और पीरी की दोनों तलवारें उन्हें बाबा बुड्डाजीने पहनाई। यहीं से सिख इतिहास एक नया मोड लेता है। गुरु हरगोबिन्दसाहिब मीरी-पीरी के संकल्प के साथ सिख-दर्शन की चेतना को नए अध्यात्म दर्शन के साथ जोड देते हैं। इस प्रक्रिया में राजनीति और धर्म एक दूसरे के पूरक बने। गुरु जी की प्रेरणा से श्री अकाल तख्त साहिब का भी भव्य अस्तित्व निर्मित हुआ। देश के विभिन्न भागों की संगत ने गुरु जी को भेंट स्वरूप शस्त्र एवं घोडे देने प्रारम्भ किए। अकाल तख्त पर कवि और ढाडियोंने गुरु-यश व वीर योद्धाओं की गाथाएं गानी प्रारम्भ की। लोगों में मुगल सल्तनत के प्रति विद्रोह जागृत होने लगा। गुरु हरगोबिन्दसाहिब नानक राज स्थापित करने में सफलता की ओर बढने लगे। जहांगीर ने गुरु हरगोबिन्दसाहिब को ग्वालियर के किले में बन्दी बना लिया। इस किले में और भी कई राजा, जो मुगल सल्तनत के विरोधी थे, पहले से ही कारावास भोग रहे थे। गुरु हरगोबिन्दसाहिब लगभग तीन वर्ष ग्वालियर के किले में बन्दी रहे। महान सूफी फकीर मीयांमीर गुरु घर के श्रद्धालु थे। जहांगीर की पत्‍‌नी नूरजहांमीयांमीर की सेविका थी। इन लोगों ने भी जहांगीर को गुरु जी की महानता और प्रतिभा से परिचित करवाया। बाबा बुड्डाव भाई गुरदास ने भी गुरु साहिब को बन्दी बनाने का विरोध किया। जहांगीर ने केवल गुरु जी को ही ग्वालियर के किले से आजाद नहीं किया, बल्कि उन्हें यह स्वतन्त्रता भी दी कि वे 52राजाओं को भी अपने साथ लेकर जा सकते हैं। इसीलिए सिख इतिहास में गुरु जी को बन्दी छोड़ दाता कहा जाता है। ग्वालियर में इस घटना का साक्षी गुरुद्वारा बन्दी छोड़ है। अपने जीवन मूल्यों पर दृढ रहते गुरु जी ने शाहजहां के साथ चार बार टक्कर ली। वे युद्ध के दौरान सदैव शान्त, अभय एवं अडोल रहते थे। उनके पास इतनी बडी सैन्य शक्ति थी कि मुगल सिपाही प्राय: भयभीत रहते थे। गुरु जी ने मुगल सेना को कई बार कड़ी पराजय दी। गुरु हरगोबिन्दसाहिब ने अपने व्यक्तित्व और कृत्तित्वसे एक ऐसी अदम्य लहर पैदा की, जिसने आगे चलकर सिख संगत में भक्ति और शक्ति की नई चेतना पैदा की। गुरु जी ने अपनी सूझ-बूझ से गुरु घर के श्रद्धालुओं को सुगठित भी किया और सिख-समाज को नई दिशा भी प्रदान की। अकाल तख्त साहिब सिख समाज के लिए ऐसी सर्वोच्च संस्था के रूप में उभरा, जिसने भविष्य में सिख शक्ति को केन्द्रित किया तथा उसे अलग सामाजिक और ऐतिहासिक पहचान प्रदान की। इसका श्रेय गुरु हरगोबिन्दसाहिब को ही जाता है। गुरु हरगोबिन्दसाहिब जी बहुत परोपकारी योद्धा थे। उनका जीवन दर्शन जन-साधारण के कल्याण से जुडा हुआ था। यही कारण है कि उनके समय में गुरमतिदर्शन राष्ट्र के कोने-कोने तक पहुंचा। श्री गुरु ग्रन्थ साहिब के महान संदेश ने गुरु-परम्परा के उन कार्यो को भी प्रकाशमान बनाया जिसके कारण भविष्य में मानवता का महा कल्याण होने जा रहा था। गुरु जी के इन अथक प्रयत्‍‌नों के कारण सिख परम्परा नया रूप भी ले रही थी तथा अपनी विरासत की गरिमा को पुन:नए सन्दर्भो में परिभाषित भी कर रही थी। गुरु हरगोबिन्दसाहिब की चिन्तन की दिशा को नए व्यावहारिक अर्थ दे रहे थे। वास्तव में यह उनकी आभा और शक्ति का प्रभाव था। गुरु जी के व्यक्तित्व और कृत्तित्वका गहरा प्रभाव पूरे परिवेश पर भी पडने लगा था। गुरु हरगोबिन्दसाहिब जी ने अपनी सारी शक्ति हरमन्दिरसाहिब व अकाल तख्त साहिब के आदर्श स्थापित करने में लगाई। गुरु हरगोबिन्दसाहिब प्राय: पंजाब से बाहर भी सिख धर्म के प्रचार हेतु अपने शिष्यों को भेजा करते थे। गुरु हरगोबिन्दसाहिब ने सिक्ख जीवन दर्शन को सम-सामयिक समस्याओं से केवल जोडा ही नहीं, बल्कि एक ऐसी जीवन दृष्टि का निर्माण भी किया जो गौरव पूर्ण समाधानों की संभावना को भी उजागर करता था। सिख लहर को प्रभावशाली बनाने में गुरु जी का अद्वितीय योगदान रहा। गुरु जी कीरतपुर साहिब में ज्योति-जोत समाए। गुरुद्वारा पातालपुरीगुरु जी की याद में आज भी हजारों व्यक्तियों को शान्ति का संदेश देता है। भाई गुरुदास ने गुरु हरगोबिन्दसाहिब की गौरव गाथा का इन शब्दों में उल्लेख किया है: पंज पिआलेपंजपीर छटम्पीर बैठा गुर भारी, अर्जुन काया पलट के मूरत हरगोबिन्दसवारी, चली पीढीसोढियांरूप दिखावनवारो-वारी, दल भंजन गुर सूरमा वडयोद्धा बहु-परउपकारी॥ सिखों के दस गुरू हैं। .

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गुरु ग्रन्थ साहिब

एक ग्रन्थआदिग्रन्थ सिख संप्रदाय का प्रमुख धर्मग्रन्थ है। इसे 'गुरु ग्रंथ साहिब' भी कहते हैं। इसका संपादन सिख धर्म के पांचवें गुरु श्री गुरु अर्जुन देव जी ने किया। गुरु ग्रन्थ साहिब जी का पहला प्रकाश 16 अगस्त 1604 को हरिमंदिर साहिब अमृतसर में हुआ। 1705 में दमदमा साहिब में दशमेश पिता गुरु गोविंद सिंह जी ने गुरु तेगबहादुर जी के 116 शब्द जोड़कर इसको पूर्ण किया, इसमे कुल 1430 पृष्ठ है। गुरुग्रन्थ साहिब में मात्र सिख गुरुओं के ही उपदेश नहीं है, वरन् 30 अन्य हिन्दू संत और अलंग धर्म के मुस्लिम भक्तों की वाणी भी सम्मिलित है। इसमे जहां जयदेवजी और परमानंदजी जैसे ब्राह्मण भक्तों की वाणी है, वहीं जाति-पांति के आत्महंता भेदभाव से ग्रस्त तत्कालीन हिंदु समाज में हेय समझे जाने वाली जातियों के प्रतिनिधि दिव्य आत्माओं जैसे कबीर, रविदास, नामदेव, सैण जी, सघना जी, छीवाजी, धन्ना की वाणी भी सम्मिलित है। पांचों वक्त नमाज पढ़ने में विश्वास रखने वाले शेख फरीद के श्लोक भी गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज हैं। अपनी भाषायी अभिव्यक्ति, दार्शनिकता, संदेश की दृष्टि से गुरु ग्रन्थ साहिब अद्वितीय है। इसकी भाषा की सरलता, सुबोधता, सटीकता जहां जनमानस को आकर्षित करती है। वहीं संगीत के सुरों व 31 रागों के प्रयोग ने आत्मविषयक गूढ़ आध्यात्मिक उपदेशों को भी मधुर व सारग्राही बना दिया है। गुरु ग्रन्थ साहिब में उल्लेखित दार्शनिकता कर्मवाद को मान्यता देती है। गुरुवाणी के अनुसार व्यक्ति अपने कर्मो के अनुसार ही महत्व पाता है। समाज की मुख्य धारा से कटकर संन्यास में ईश्वर प्राप्ति का साधन ढूंढ रहे साधकों को गुरुग्रन्थ साहिब सबक देता है। हालांकि गुरु ग्रन्थ साहिब में आत्मनिरीक्षण, ध्यान का महत्व स्वीकारा गया है, मगर साधना के नाम पर परित्याग, अकर्मण्यता, निश्चेष्टता का गुरुवाणी विरोध करती है। गुरुवाणी के अनुसार ईश्वर को प्राप्त करने के लिए सामाजिक उत्तरदायित्व से विमुख होकर जंगलों में भटकने की आवश्यकता नहीं है। ईश्वर हमारे हृदय में ही है, उसे अपने आन्तरिक हृदय में ही खोजने व अनुभव करने की आवश्यकता है। गुरुवाणी ब्रह्मज्ञान से उपजी आत्मिक शक्ति को लोककल्याण के लिए प्रयोग करने की प्रेरणा देती है। मधुर व्यवहार और विनम्र शब्दों के प्रयोग द्वारा हर हृदय को जीतने की सीख दी गई है। .

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गुरु अंगद देव

अंगद देव या गुरू अंगद देव सिखो के एक गुरू थे। गुरू अंगद देव महाराज जी का सृजनात्मक व्यक्तित्व था। उनमें ऐसी अध्यात्मिक क्रियाशीलता थी जिससे पहले वे एक सच्चे सिख बनें और फिर एक महान गुरु। गुरू अंगद साहिब जी (भाई लहना जी) का जन्म हरीके नामक गांव में, जो कि फिरोजपुर, पंजाब में आता है, वैसाख वदी १, (पंचम्‌ वैसाख) सम्वत १५६१ (३१ मार्च १५०४) को हुआ था। गुरुजी एक व्यापारी श्री फेरू जी के पुत्र थे। उनकी माता जी का नाम माता रामो जी था। बाबा नारायण दास त्रेहन उनके दादा जी थे, जिनका पैतृक निवास मत्ते-दी-सराय, जो मुख्तसर के समीप है, में था। फेरू जी बाद में इसी स्थान पर आकर निवास करने लगे। .

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गुलज़ार (गीतकार)

ग़ुलज़ार नाम से प्रसिद्ध सम्पूर्ण सिंह कालरा (जन्म-१८ अगस्त १९३६) हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध गीतकार हैं। इसके अतिरिक्त वे एक कवि, पटकथा लेखक, फ़िल्म निर्देशक तथा नाटककार हैं। उनकी रचनाए मुख्यतः हिन्दी, उर्दू तथा पंजाबी में हैं, परन्तु ब्रज भाषा, खङी बोली, मारवाड़ी और हरियाणवी में भी इन्होने रचनाये की। गुलजार को वर्ष २००२ में सहित्य अकादमी पुरस्कार और वर्ष २००४ में भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष २००९ में डैनी बॉयल निर्देशित फिल्म स्लम्डाग मिलियनेयर में उनके द्वारा लिखे गीत जय हो के लिये उन्हे सर्वश्रेष्ठ गीत का ऑस्कर पुरस्कार पुरस्कार मिल चुका है। इसी गीत के लिये उन्हे ग्रैमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। .

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गुजरांवाला

गुजराँवाला रेलवे स्टेशन गुजराँवाला पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त का एक जिला, तहसील तथा औद्योगिक नगर है। यह उत्तर-पश्चिम रेलमार्ग पर लाहौर से ७० किमी उत्तर में है। यह पाकिस्तान का सातवाँ सबसे बडा शहर है। इस नगर की स्थापना गूजर जाति द्वारा हुई बताई जाती है। नगर की स्थापना मध्ययुगीन है। नगर की प्रसिद्धि तथा महत्व में महाराजा रणजीतसिंह के परिवार का अधिक हाथ रहा। सन् १७८० में यहीं पर महाराजा रणजीतसिंह का जन्म हुआ था। रणजीतसिंह के पिता महाराजा महानसिंह की समाधि तथा महाराजा रणजीतसिंह का भस्मावशेष भी यहीं सुरक्षित है। एक बार अमृतसर से आए हुए जाटों ने इस नगर का नाम खानपुर रख दिया था किंतु इसका प्राचीन नाम ही प्रचलित रहा। नगर के प्रशासन के लिए नगरनिगम की स्थापना सन् १८६७ में हुई। यहाँ गल्ले की प्रसिद्ध मंडी है। कपास के बिनौले अलग करना, तेल पेरना, काँसे और मिट्टी के बर्तन बनाना, चूड़ियाँ, जिनमें हाथी दाँत की चूड़ियाँ मुख्य हैं और सूती कपड़े बुनना यहाँ के प्रमुख उद्योग धंधे हैं। सरकारी अस्पताल और महाविद्यालय स्तर की शिक्षा संस्थाएँ भी यहाँ हैं। श्रेणी:पाकिस्तान के शहर.

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ग्रैंड ट्रंक रोड

ग्रैंड ट्रंक रोड, दक्षिण एशिया के सबसे पुराने एवं सबसे लम्बे मार्गों में से एक है। दो सदियों से अधिक काल के लिए इस मार्ग ने भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी एवं पश्चिमी भागों को जोड़ा है। यह हावड़ा के पश्चिम में स्थित बांगलादेश के चटगाँव से प्रारंभ होता है और लाहौर (पाकिस्तान) से होते हुए अफ़ग़ानिस्तान में काबुल तक जाता है। पुराने समय में इसे, उत्तरपथ,शाह राह-ए-आजम,सड़क-ए-आजम और बादशाही सड़क के नामों से भी जाना जाता था। यह मार्ग, मौर्य साम्राज्य के दौरान अस्तित्व में था और इसका फैलाव गंगा के मुँह से होकर साम्राज्य के उत्तर-पश्चिमी सीमा तक हुआ करता था। आधुनिक सड़क की पूर्ववर्ती का पुनःनिर्माण शेर शाह सूरी द्वारा किया गया था। सड़क का काफी हिस्सा १८३३-१८६० के बीच ब्रिटिशों द्वारा उन्नत बनाया गया था। .

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गोबिंदगढ़ किला

गोबिंदगढ़ किला एक ऐतिहासिक सैन्य किला हैं भारतीय राज्य पंजाब के अमृतसर शहर के बीच में स्थित है। इस किले का निर्माण इस्वीसन १७०० की सदी अथवा इअससे भी पूर्व हुआ था। .

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गोरखपुर

300px गोरखपुर उत्तर प्रदेश राज्य के पूर्वी भाग में नेपाल के साथ सीमा के पास स्थित भारत का एक प्रसिद्ध शहर है। यह गोरखपुर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। यह एक धार्मिक केन्द्र के रूप में मशहूर है जो बौद्ध, हिन्दू, मुस्लिम, जैन और सिख सन्तों की साधनास्थली रहा। किन्तु मध्ययुगीन सर्वमान्य सन्त गोरखनाथ के बाद उनके ही नाम पर इसका वर्तमान नाम गोरखपुर रखा गया। यहाँ का प्रसिद्ध गोरखनाथ मन्दिर अभी भी नाथ सम्प्रदाय की पीठ है। यह महान सन्त परमहंस योगानन्द का जन्म स्थान भी है। इस शहर में और भी कई ऐतिहासिक स्थल हैं जैसे, बौद्धों के घर, इमामबाड़ा, 18वीं सदी की दरगाह और हिन्दू धार्मिक ग्रन्थों का प्रमुख प्रकाशन संस्थान गीता प्रेस। 20वीं सदी में, गोरखपुर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक केन्द्र बिन्दु था और आज यह शहर एक प्रमुख व्यापार केन्द्र बन चुका है। पूर्वोत्तर रेलवे का मुख्यालय, जो ब्रिटिश काल में 'बंगाल नागपुर रेलवे' के रूप में जाना जाता था, यहीं स्थित है। अब इसे एक औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिये गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा/GIDA) की स्थापना पुराने शहर से 15 किमी दूर की गयी है। .

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ऑपरेशन ब्लू स्टार

आपरेशन ब्लू स्टार भारतीय सेना द्वारा 3 से 6 जून 1984 को अमृतसर (पंजाब, भारत) स्थित हरिमंदिर साहिब परिसर को ख़ालिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों से मुक्त कराने के लिए चलाया गया अभियान था। पंजाब में भिंडरावाले के नेतृत्व में अलगाववादी ताकतें सशक्त हो रही थीं जिन्हें पाकिस्तान से समर्थन मिल रहा था। .

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आपातकाल (भारत)

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, जिन्होंने भारत के राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करवाई। 26 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल घोषित था। तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा कर दी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल था। आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए तथा नागरिक अधिकारों को समाप्त करके मनमानी की गई। इंदिरा गांधी के राजनीतिक विरोधियों को कैद कर लिया गया और प्रेस पर प्रतिबंधित कर दिया गया। प्रधानमंत्री के बेटे संजय गांधी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर नसबंदी अभियान चलाया गया। जयप्रकाश नारायण ने इसे 'भारतीय इतिहास की सर्वाधिक काली अवधि' कहा था। .

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आर्य समाज

आर्य समाज एक हिन्दू सुधार आंदोलन है जिसकी स्थापना स्वामी दयानन्द सरस्वती ने १८७५ में बंबई में मथुरा के स्वामी विरजानंद की प्रेरणा से की थी। यह आंदोलन पाश्चात्य प्रभावों की प्रतिक्रिया स्वरूप हिंदू धर्म में सुधार के लिए प्रारंभ हुआ था। आर्य समाज में शुद्ध वैदिक परम्परा में विश्वास करते थे तथा मूर्ति पूजा, अवतारवाद, बलि, झूठे कर्मकाण्ड व अंधविश्वासों को अस्वीकार करते थे। इसमें छुआछूत व जातिगत भेदभाव का विरोध किया तथा स्त्रियों व शूद्रों को भी यज्ञोपवीत धारण करने व वेद पढ़ने का अधिकार दिया था। स्वामी दयानन्द सरस्वती द्वारा रचित सत्यार्थ प्रकाश नामक ग्रन्थ आर्य समाज का मूल ग्रन्थ है। आर्य समाज का आदर्श वाक्य है: कृण्वन्तो विश्वमार्यम्, जिसका अर्थ है - विश्व को आर्य बनाते चलो। प्रसिद्ध आर्य समाजी जनों में स्वामी दयानन्द सरस्वती, स्वामी श्रद्धानन्द, महात्मा हंसराज, लाला लाजपत राय, भाई परमानन्द, पंडित गुरुदत्त, स्वामी आनन्दबोध सरस्वती, स्वामी अछूतानन्द, चौधरी चरण सिंह, पंडित वन्देमातरम रामचन्द्र राव, बाबा रामदेव आदि आते हैं। .

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आसल उत्ताड़ का युद्ध

आसल उत्ताड़ का युद्ध (पंजाबी: ਆਸਲ ਉਤਾੜ)१९६५ के भारत-पाक युद्ध के दौरान लड़ा गया सबसे बड़ा टैंक युद्ध था। यह युद्ध 8 से 10 सितंबर, 1965 के दौरान लड़ा गया था जब पाकिस्तानी सेना ने अपने टैंकों व पैदल सेना के द्वारा भारतीय भूमि पर धावा बोला और अंतर्राष्ट्रीय सीमा के 5 किमी अंदर स्थित खेमकरण पर कब्जा कर लिया। भारतीय सेना ने भी तगड़ा जवाब दिया और 3 दिन के भीषण युद्ध के बाद आसल उत्ताड़ के समीप पाकिस्तानी फौज को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। इस जीत के प्रमुख कारण थे भारतीय सेना का जबरदस्त संघर्ष, मैदान की स्थितियाँ, भारत की बेहतर चालें व सफल रणनीति। Wilson, Peter.

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इण्डियन एयरलाइंस फ्लाइट ८१४

इंडियन एयरलाइंस फ्लाईट 814 (कॉल साइन आईसी-814) त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (काठमांडू, नेपाल) से इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (दिल्ली, भारत) जाने वाली एक इंडियन एयरलाइंस एयरबस ए300 थी जिसका अपहरण कर लिया गया था। एक पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन हरकत उल मुजाहिदीन पर इसके अपहरण का आरोप लगाया गया था। लगभग 17:30 बजे आईएसटी (IST) पर भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश के तुरंत बाद सशस्त्र बंदूकधारियों ने विमान का अपहरण कर लिया था। अमृतसर, लाहौर और दुबई की धरती को छूने के बाद अपहरण कर्ताओं ने विमान को कंधार, अफगानिस्तान में उतरने के लिए मजबूर किया। अपहर्ताओं ने 176 यात्रियों में से 27 को दुबई में छोड़ दिया लेकिन एक को बुरी तरह चाकू से मारा और कई अन्य को घायल कर दिया। अफगानिस्तान में तालिबान-हुकूमत के बारे में भारत की कम जानकारी ने भारतीय अधिकारियों और अपहर्ताओं के बीच वार्ताओं को मुश्किल बना दिया। तालिबान ने भारतीय विशेष सैन्य बलों द्वारा विमान पर धावा बोलने से रोकने की कोशिश में अपने सशस्त्र लड़ाकों को अपहृत विमान के पास तैनात कर दिया। अपहरण का यह सिलसिला सात दिनों तक चला और भारत द्वारा तीन इस्लामी आतंकवादियों - मुश्ताक अहमद जरगर, अहमद उमर सईद शेख़ (जिसे बाद में डेनियल पर्ल की हत्या के लिए गिरफ्तार कर लिया गया) और मौलाना मसूद अज़हर (जिसने बाद में जैश-ए-मुहम्मद की स्थापना की) को रिहा करने के बाद समाप्त हुआ। भारतीय और अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने अपहर्ताओं, अल-कायदा और तालिबान के बीच प्रामाणिक संबंध होने की रिपोर्ट दी। पांच अपहरणकर्ताओं और तीन रिहा किये गए आतंकवादियों को तालिबान द्वारा एक सुरक्षित मार्ग प्रदान किया गया। तालिबान द्वारा संदिग्ध भूमिका निभाये जाने की व्यापक रूप से निंदा की गयी थी और इसके बाद यह भारत एवं तालिबान के बीच संबंधों की समाप्ति का कारण बना। .

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इश्केदारियां

इश्केदरियां 2015 की एक बॉलीवुड रोमांटिक फ़िल्म है जिसका निर्देशन वी.के. प्रकाश ने किया है। इसके निर्माता राजेश बंगा (Rajesh Banga)हैं पर इसमें महाक्षय चक्रवर्ती और एवलिन शर्मा और मोहित दत्ता ने अभिनय किया है। पहले ये फ़िल्म बॉम्बे वेल्विट के साथ 15 मई 2015 को रिलीज़ होने वाली थी लेकिन बाद में इसे 29 मई को अकेले ही प्रदशित किया गया। .

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कपिल शर्मा

कपिल शर्मा एक भारतीय हास्य अभिनेता हैं। फरवरी 2013 में, कपिल शर्मा फोर्ब्स इंडिया पत्रिकाओं में शीर्ष 100 हस्तियों के बीच में चुने गए थे और वह उस सूची में 96 वें स्थान पर थे। अनिल कपूर ने कपिल शर्मा को अपनी फिल्म में एक भूमिका भी दी थी। वे जल्द ही अनीस बज़मी की चलचित्र(फ़िल्म) "इट्स माय लाइफ", अब्बास मस्तान की किस किसको प्यार करूँ व करन जौहर की फ़िल्म में भी नज़र आऐ है वह एक बहुमुखी गायक भी माने जाते हैं। वह उनके चुटकुले कृत्रिम सामाजिक निर्माणों को ही निशाना बनाते हैं। कॉमेडी नाइट्स विद कपिल एक भारतीय हास्य शो है, जो कलर्स टीवी चैनेल पर प्रसारित किया जाता है। इस शो के मेज़बान हास्य अभिनेता कपिल शर्मा हैं। यह शो एक अंग्रेज़ी चैनेल "कुमार्स एट न° 42" के समान बनाया गया है। .

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कर्तार सिंह सराभा

कर्तार सिंह सराभा (जन्म: २४ मई १८९६ - फांसी: १६ नवम्बर १९१५) भारत को अंग्रेजों की दासता से मुक्त करने के लिये अमेरिका में बनी गदर पार्टी के अध्यक्ष थे। भारत में एक बड़ी क्रान्ति की योजना के सिलसिले में उन्हें अंग्रेजी सरकार ने कई अन्य लोगों के साथ फांसी दे दी। १६ नवम्बर १९१५ को कर्तार को जब फांसी पर चढ़ाया गया, तब वे मात्र साढ़े उन्नीस वर्ष के थे। प्रसिद्ध क्रांतिकारी भगत सिंह उन्हें अपना आदर्श मानते थे। .

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क़ादियाँ

क़ादियाँ भारतीय पंजाब में अमृतसर के उत्तर-पूर्व में गुरदासपुर ज़िले का चौथा बड़ा शहर और नगर निगम है। इस क़स्बे में कई ऐतिहासिक घटनाएँ घटित हुई थी। 1530 में मिर्ज़ा हादी बेग़ ने यह स्थान को बसाया था। संस्था के संस्थापक ने 13 मार्च 1903 में इसकी नींव रखी। क़ादियाँ को अहमदिय्या मुस्लिम जमात की नींव रखने वाले मिर्ज़ा हादी बेग़ का जन्मस्थान होने पर यह वैश्विक स्तर पर पहचान रखता है। अहमदिया जमात मुख्य दफ़्तर यहाँ है। .

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काहलों

काहलों भारत और पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र में पाए जाने वाले जाट गोत्र के वंशज हैं। काहलों मुख्यतः लाहौर, लाइलपुर (मौजूदा फ़ैसलाबाद), नारोवाल, सियालकोट, गुजराँवाला, गुरदासपुर अौर अमृतसर के ज़िलों में आबाद हैं। पाकिस्तानी पंजाब में काहलों मुसलमान हैं जबकि हिंदुस्तानी पंजाब में काहलों सिख हैं। .

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किरण बेदी

डॉ॰ किरण बेदी (जन्म: ९ जून १९४९) भारतीय पुलिस सेवा की सेवानिवृत्त अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, भूतपूर्व टेनिस खिलाड़ी एवं राजनेता हैं। सम्प्रति वे पुदुचेरी की उपराज्यपाल हैं। सन १९७२ में भारतीय पुलिस सेवा में सम्मिलित होने वाली वे प्रथम महिला अधिकारी हैं। ३५ वर्ष तक सेवा में रहने के बाद सन २००७ में उन्होने स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली। उन्होंने विभिन्न पदों पर कार्य किया है। वे संयुक्त आयुक्त पुलिस प्रशिक्षण तथा दिल्ली पुलिस स्पेशल आयुक्त (खुफिया) के पद पर कार्य कर चुकी हैं। .

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कंपनी राज

कंपनी राज का अर्थ है ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा भारत पर शासन। यह 1773 में शुरू किया है, जब कंपनी कोलकाता में एक राजधानी की स्थापना की है, अपनी पहली गवर्नर जनरल वार्रन हास्टिंग्स नियुक्त किया और संधि का एक परिणाम के रूप में बक्सर का युद्ध के बाद सीधे प्रशासन, में शामिल हो गया है लिया जाता है1765 में, जब बंगाल के नवाब कंपनी से हार गया था, और दीवानी प्रदान की गई थी, या बंगाल और बिहार में राजस्व एकत्रित करने का अधिकार हैशा सन १८५८ से,१८५७ जब तक चला और फलस्वरूप भारत सरकार के अधिनियम १८५८ के भारतीय विद्रोह के बाद, ब्रिटिश सरकार सीधे नए ब्रिटिश राज में भारत के प्रशासन के कार्य ग्रहण किया। .

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कुरुक्षेत्र

कुरुक्षेत्र(Kurukshetra) हरियाणा राज्य का एक प्रमुख जिला और उसका मुख्यालय है। यह हरियाणा के उत्तर में स्थित है तथा अम्बाला, यमुना नगर, करनाल और कैथल से घिरा हुआ है तथा दिल्ली और अमृतसर को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलमार्ग पर स्थित है। इसका शहरी इलाका एक अन्य एटिहासिक स्थल थानेसर से मिला हुआ है। यह एक महत्वपूर्ण हिन्दू तीर्थस्थल है। माना जाता है कि यहीं महाभारत की लड़ाई हुई थी और भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश यहीं ज्योतिसर नामक स्थान पर दिया था। यह क्षेत्र बासमती चावल के उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है। .

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कुल्चा

कुल्चा (کلچه; पंजाबी ਕੁਲਚਾ) एक उत्तर भारतीय रोटी की किस्म है। भारत के साथ-साथ ये पाकिस्तान में भी लोकप्रिय हैं। प्रायः इसे छोले के संग खाया जाता है। यह मैदा को खमीर उठा कर आवे में बनाया जाता है। कुल्चा मुख्यतः एक पंजाबी व्यंजन है, जो पंजाब से उद्गम हुआ है। अमृतसर का खास कुल्चा अमृतसरी कुल्चा कहलाता हैं। मैदा को दही के साथ मल कर खमीर उठाया जाता है। उसके बाद उसमें उबले मसालेदार आलू और कटी प्याज आदि भर कर भरवां कुल्चे बनाये जाते हैं। इन्हें सुनहरे रंग का होने तक आवे या तंदूर में पकाया जाता है। उसके बाद इसके ऊपर मक्खन लगा कर छोले के साथ परोसते हैं। ये अमृतसरी कुल्चे होते हैं। बिना भरे हुए सादे कुल्चे बनते हैं। कुल्चे का उद्गम ईरान में माना जाता है। इसके लखनऊ के व्यंजन विशेषज्ञों ने प्रयोग कर अंतरण बनाये हैं। इनमें कुल्चा नाहरी भी एक है। इसके विशेषज्ञ कारीगर हाजी जुबैर अहमद के अनुसार कुलचा अवधी व्यंजनों में शामिल खास रोटी है, जिसका साथ नाहरी बिना अधूरा है। लखनऊ के गिलामी कुलचे यानी दो भाग वाले कुलचे उनके परदादा ने तैयार किये। कुलचे रिच डाइट में आते हैं और ऐसा माना जाता है, कि कि अच्छी खुराक वाला इंसान भी तीन से अधिक नहीं खा सकता है। कुलचे गर्म खाने में ही मजा है यानी तंदूर से निकले और परोसे जायें। .

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कुशीनगर

यह पन्ना कुशीनगर नामक स्थान और बौद्ध तीर्थ के लिये है। प्रशाशनिक जनपद के लिये देखें कुशीनगर जिला ---- कुशीनगर एवं कसिया बाजार उत्तर प्रदेश के उत्तरी-पूर्वी सीमान्त इलाके में स्थित एक क़स्बा एवं ऐतिहासिक स्थल है। "कसिया बाजार" नाम कुशीनगर में बदल गया है और उसके बाद "कसिया बाजार" आधिकारिक तौर पर "कुशीनगर" नाम के साथ नगर पालिका बन गया है। यह बौद्ध तीर्थ है जहाँ गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ था। कुशीनगर, राष्ट्रीय राजमार्ग २८ पर गोरखपुर से कोई ५० किमी पूरब में स्थित है। यहाँ अनेक सुन्दर बौद्ध मन्दिर हैं। इस कारण से यह एक अन्तरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल भी है जहाँ विश्व भर के बौद्ध तीर्थयात्री भ्रमण के लिये आते हैं। कुशीनगर कस्बे के और पूरब बढ़ने पर लगभग २० किमी बाद बिहार राज्य आरम्भ हो जाता है। यहाँ बुद्ध स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बुद्ध इण्टरमडिएट कालेज तथा कई छोटे-छोटे विद्यालय भी हैं। अपने-आप में यह एक छोटा सा कस्बा है जिसके पूरब में एक किमी की दूरी पर कसयां नामक बड़ा कस्बा है। कुशीनगर के आस-पास का क्षेत्र मुख्यत: कृषि-प्रधान है। जन-सामन्य की बोली भोजपुरी है। यहाँ गेहूँ, धान, गन्ना आदि मुख्य फसलें पैदा होतीं हैं। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर कुशीनगर में एक माह का मेला लगता है। यद्यपि यह तीर्थ महात्मा बुद्ध से संबन्धित है, किन्तु आस-पास का क्षेत्र हिन्दू बहुल है। इस मेले में आस-पास की जनता पूर्ण श्रद्धा से भाग लेती है और विभिन्न मन्दिरों में पूजा-अर्चना एवं दर्शन करती है। किसी को संदेह नहीं कि बुद्ध उनके 'भगवान' हैं। .

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अफ़ज़ल अहसन रंधावा

अफज़ल अहसन रंधावा एक पाकिस्तानी पंजाबी लेखक है जिसने दोआबा और सूरज ग्रहण जैसे नावल रचे। 1986 में इसे प्रो.

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अभिषेक शर्मा

अभिषेक शर्मा (जन्म ०४ सितंबर २०००) एक भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी है। इन्होंने २५ फरवरी २०१७ को २०१६-१७ विजय हजारे ट्रॉफी में पंजाब के लिए अपने लिस्ट ए क्रिकेट की शुरुआत की। इन्होंने ६ अक्टूबर २०१७ को रणजी ट्रॉफी 2017-18 में पंजाब के लिए अपना पहला प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैच खेला था। दिसंबर २०१७ में, उन्हें न्यूजीलैंड में आयोजित 2018 आईसीसी अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप के लिए भारत की टीम में शामिल किया गया था। इन्होंने अपने आईपीएल के पहले ही मैच में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के खिलाफ ४६ रनों की नाबाद पारी खेली थी। .

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अमरिंदर गिल

अमरिंदर सिंह गिल एक पंजाबी गायक, संगीतकार व संगीत निर्माता है। उन्होंने अपना गायक के रूप में प्रदर्शन २००० में आये एक एल्बम अपनी जान के से किया था। वे हर समय एक सफल पंजाबी अभिनेता रहे है। .

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अमृतसर जिला

अमृतसर भारतीय राज्य पंजाब का एक जिला है। जिले का मुख्यालय अमृतसर है। क्षेत्रफल - 5075 वर्ग कि.मी.

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अमृतसर जंक्शन रेलवे स्टेशन

अमृतसर जंक्शन रेलवे स्टेशन भारतीय रेल का एक रेलवे स्टॆशन है। यह अमृतसर शहर में स्थित है। श्रेणी:पंजाब के रेलवे स्टेशन श्रेणी:अमृतसर श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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अमीचंद

अमीचंद (मृत्यु 1767 ई.), संभवत: वास्तविक नाम अमीरचंद का बंगाली उच्चारण। सामयिक अंग्रेजों ने तथा उन्हीं के आधार पर इतिहासकार मेकाले ने उसे बंगाली बताया है; किंतु वस्तुत: वह अमृतसर का रहनेवाला सिक्ख व्यवसायी था और दीर्घ काल से कलकते में बस गया था। अँग्रेजों के प्रभुत्व का प्रसार सर्वप्रथम दक्षिण में हुआ, किंतु अँग्रेजी साम्राज्य के संस्थापन की नींव बंगाल में ही पड़ी। बंगाल में, व्यवसायलाभ की भावना से प्रेरित होकर अँग्रेजों के सर्वप्रथम संपर्क में आनेवाले भारतीय व्यवसायी ही थे। अलीवर्दी खाँ के कठोर नियंत्रण में तो अँग्रेज अपने प्रभुत्व का विस्तार करने में असमर्थ रहे; किंतु अल्पवयस्क, अपरिपक्वबुद्धि तथा उद्धतप्रकृति सिराजुद्दौला के राज्यारोहण से यह संभव हो सका। नितांत स्वार्थ लाभ से प्रेरित होकर अमीचंद ने अँग्रेजों की यथेष्ट सहायता की; किंतु, इतिहास में उसका नाम अपरिचित ही रहता यदि प्लासी युद्ध के पूर्व क्लाइव के अनैतिक आचरण से इंग्लैंड की पार्लियामेंट में तथा अँग्रेज इतिहासकारों द्वारा क्लाइव के कार्य की कटु आलोचना न हुई होती। अमीचंद ने अँगरेजों के व्यावसायिक संपर्क में आकर यथेष्ट धन अर्जित कर लिया था। कूटनीतिज्ञता के दृष्टिकोण से वैध या अवैध उपायों से, अँग्रेजों के सामूहिक तथा व्यक्तिगत लाभ की अभिवृद्धि के लिए, सिराजुद्दौला के राज्यारोहण के बाद सिराजुद्दौला के प्रभुत्व का दमन कर अव्यवस्थित शासन को और भी अव्यवस्थित बनाना तत्कालीन अँग्रेजों की दृष्टि से वाँछनीय था। इस घटनाक्रम में सिराजुद्दौला ने अंग्रेजों के मुख्य व्यावसायिक केंद्र कलकत्ता पर आक्रमण करने का निश्चय किया। इस आक्रमण के पूर्व अँग्रेजों ने केवल संदेह के आधार पर अमीचंद को बंदी बनाने के लिए सिपाही भेजे। सिपाहियों ने अमीचंद के अंत:पुर पर आक्रमण कर दिया। अममानित होने से बचने के लिए अंत:पुर की तेरह स्त्रियों की हत्या कर दी गई। ऐसे मर्मातक अपमान के होने पर भी अमीचंद ने अंग्रेजों का साथ दिया। कलकत्ता पतन के बाद उसने अनेक अँग्रेज शरणार्थियों को आश्रय दिया तथा अन्य प्रकारों से भी सहायता प्रदान की। क्लाइव ने अमीचंद को वाट्स का दूत बनाकर नवाब की राजधानी मुर्शिदाबाद भेजा। इस स्थिति में उसने अँग्रेजों को अमूल्य सहायता प्रदान की। संभवत:, चंद्रनगर पर अँग्रेजों के आक्रमण के लिए नवाब से अनुमति दिलवाने में अमीचंद का ही हाथ था। उसी ने नवाब के प्रमुख अधिकारी महाराज नंदकुमार को सिराजुद्दौला से विमुख कर अँग्रेजों का तरफदार बनाया। नवाब के विरुद्ध जगतसेठ मीरजाफ़र के साथ अंग्रेजों ने जिस गुप्त षड्यंत्र का आयोजन किया था उसमें भी अमीचंद का बहुत बड़ा हाथ था। बाद में, जब क्लाइव के साथ मीरजाफर की संधिवार्ता चल रही थी, अमीचंद ने अँग्रेजों को धमकी दी कि यदि सिराजुद्दौला की पदच्युति के बाद प्राप्त खजाने का पाँच प्रतिशत उसे न दिया जाएगा तो वह सब भेद नवाब पर प्रकट कर देगा। अमीचंद को विफलप्रयत्न करने के लिए दो संधिपत्र तैयार किए गए। एक नकली, जिसमें अमीचंद को पाँच प्रतिशत भाग देना स्वीकार किया गया था; दूसरा असली, जिसमें यह अंश छोड़ दिया गया था। ऐडमिरल वाट्सन ने नकली संधिपत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। तब क्लाइव ने उसपर वाट्सन के हस्ताक्षर नकल कर, वह नकली संधिपत्र अमीचंद को दिखा, उसे आश्वस्त कर दिया। सामयिक इतिहासकार ओर्मी का कथन है कि सिराजुद्दौला की पदच्युति के बाद जब वास्तविक स्थिति अमीचंद को बताई गई तो इस आघात से उसका मस्तिष्क विकृत हो गया तथा कुछ समय उपरांत उसकी मृत्यु हो गई। किंतु, इतिहासकार बेवरिज के मतानुसार वह दस वर्ष और जीवित रहा। अँग्रेजों से उसके संपर्क बने रहे जिसका प्रमाण यह है कि उसने फाउंड्लिंग अस्पताल को दो हजार पाउंड दान दिए जिसकी भित्ति पर 'कलकत्ते के काले व्यवसायी' की सहायता स्वीकृत है। उसने लंदन के मेग्डालेन अस्पताल को भी दान दिया था। .

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अरुणा चौधरी

अरुणा चौधरी भारत के पंजाब राज्य की दीना नगर सीट से कांग्रेस के विधायक हैं। 2012 के चुनावों में वे अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 12927 वोटों के अंतर से हराकर निर्वाचित हुए। .

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अरोड़ा

अरोड़ा (पंजाबी: ਅਰੋੜਾ) या अरोरा पंजाब मूल का समुदाय/जाति है। अधिकांश अरोड़ा हिन्दू है और खत्री के साथ वह पश्चिमी पाकिस्तान (अब पाकिस्तानी पंजाब) के मुख्य हिन्दू समूह है। इनका मुख्य पेशा व्यापार हुआ करता था और दक्षिणी-पश्चिम पंजाब के सराइकी भाषी समाज में इनका काफी प्रभाव था। चेनाब के आसपास बसे अरोड़ा की जीविका कृषि पर आधारित थी। हालांकि अरोड़ा एक उच्च जाति है लेकिन उसे खत्री से नीचा माना जाता है। दोनों समुदाय एक दूसरे के काफी निकट हैं और दोनों समुदायों के बीच शादियां भी अब होती हैं। अरोड़ा का भाटिया और सूद से भी करीब का रिश्ता है। 1947 में भारत के विभाजन तथा इसकी आज़ादी से पहले अरोड़ा समुदाय मुख्य रूप से पश्चिमी पंजाब (अब पाकिस्तान) में सिन्धु नदी तथा इसकी सहायक नदियों के तटों; उत्तर-पश्चिम के सीमावर्ती राज्यों (एनडब्ल्यूएफपी) सहित भारतीय पंजाब के मालवा क्षेत्र; सिंध क्षेत्र में (मुख्य रूप से सिन्धी अरोड़ा पर पंजाबी तथा मुल्तानी बोलने वाले अरोड़ा समुदाय भी हैं); राजस्थान में (जोधपुरी तथा नागौरी अरोड़ा/खत्रियों के रूप में); तथा गुजरात में बसा हुआ था। पंजाब के उत्तरी पोटोहर तथा माझा क्षेत्रों में खत्रियों की संख्या अधिक थी। भारत में आजादी तथा विभाजन के बाद, अरोड़ा मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, जम्मू, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, गुजरात तथा देश के अन्य भागों में रहते हैं। विभाजन के बाद, अरोड़ा भारत और पाकिस्तान के कई हिस्सों के साथ पूरी दुनिया में चले गए। .

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असहयोग आन्दोलन

1914-18 के महान युद्ध के दौरान अंग्रेजों ने प्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया था और बिना जाँच के कारावास की अनुमति दे दी थी। अब सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता वाली एक समिति की संस्तुतियों के आधार पर इन कठोर उपायों को जारी रखा गया। इसके जवाब में गाँधी जी ने देशभर में 'रॉलेट एक्ट' के खिलाफ़ एक अभियान चलाया। उत्तरी और पश्चिमी भारत के कस्बों में चारों तरफ़ बंद के समर्थन में दुकानों और स्कूलों के बंद होने के कारण जीवन लगभग ठहर सा गया था। पंजाब में, विशेष रूप से कड़ा विरोध हुआ, जहाँ के बहुत से लोगों ने युद्ध में अंग्रेजों के पक्ष में सेवा की थी और अब अपनी सेवा के बदले वे ईनाम की अपेक्षा कर रहे थे। लेकिन इसकी जगह उन्हें रॉलेट एक्ट दिया गया। पंजाब जाते समय गाँधी जी को कैद कर लिया गया। स्थानीय कांग्रेसजनों को गिरफ़तार कर लिया गया था। प्रांत की यह स्थिति धीरे-धीरे और तनावपूर्ण हो गई तथा अप्रैल 1919 में अमृतसर में यह खूनखराबे के चरमोत्कर्ष पर ही पहुँच गई। जब एक अंग्रेज ब्रिगेडियर ने एक राष्ट्रवादी सभा पर गोली चलाने का हुक्म दिया तब जालियाँवाला बाग हत्याकांड‎ के नाम से जाने गए इस हत्याकांड में लगभग 1,000 लोग मारे गए और 1600 घायल हुए। .

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अजीत सिंह (पुलिस अधिकारी)

अजीत सिंह (पुलिस अधिकारी) (Ajit Singh) (10 अप्रैल 1945 - 7 मई 1991) एक भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी थे जो 1991 में पंजाब, भारत में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में मारे गए। एक 1968 बैच अधिकारी तथा वह अपनी मृत्यु के समय पुलिस उप महानिरीक्षक, सीमा रेंज, अमृतसर थे। उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया। .

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अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ

अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक बीसवीं शती के प्रारंभ में भारतीय प्रगतिशील लेखकों का एस समूह था। यह लेखक समूह अपने लेखन से सामाजिक समानता का समर्थक करता था और कुरीतियों अन्याय व पिछड़ेपन का विरोध करता था। इसकी स्थापना १९३५ में लंदन में हुई। इसके प्रणेता सज्जाद ज़हीर थे। १९३५ के अंत तक लंदन से अपनी शिक्षा समाप्त करके सज्जाद ज़हीर भारत लौटे। यहाँ आने से पूर्व वे अलीगढ़ में डॉ॰ अशरफ, इलाहबाद में अहमद अली, मुम्बई में कन्हैया लाल मुंशी, बनारस में प्रेमचंद, कलकत्ता में प्रो॰ हीरन मुखर्जी और अमृतसर में रशीद जहाँ को घोषणापत्र की प्रतियाँ भेज चुके थे। वे भारतीय अतीत की गौरवपूर्ण संस्कृति से उसका मानव प्रेम, उसकी यथार्थ प्रियता और उसका सौन्दर्य तत्व लेने के पक्ष में थे लेकिन वे प्राचीन दौर के अंधविश्वासों और धार्मिक साम्प्रदायिकता के ज़हरीले प्रभाव को समाप्त करना चाहते थे। उनका विचार था कि ये साम्राज्यवाद और जागीरदारी की सैद्धांतिक बुनियादें हैं। इलाहाबाद पहुंचकर सज्जाद ज़हीर अहमद अली से मिले जो विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी के प्रवक्ता थे। अहमद अली ने उन्हें प्रो॰एजाज़ हुसैन, रघुपति सहाय फिराक, एहतिशाम हुसैन तथा विकार अजीम से मिलवाया.

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अखिल भारतीय साहित्य परिषद

अखिल भारतीय साहित्य परिषद् भारतीय भाषाओं का एक देशव्यापी संगठन है। इसकी स्थापना २७ अक्टूबर १९६६ को दिल्ली में हुई थी। उसी वर्ष इसका राष्ट्रीय अधिवेशन प्रसिद्ध साहित्यकार जैनेन्द्र कुमार की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ था। सरदार जीतसिंह 'जीत' को इसके संगठन का दायित्व दिया गया था। वर्तमान में इसके अध्यक्ष त्रिभुवन नाथ शुक्ल हैं। जबकि संगठन का कार्य श्रीधर पराडकर देखते हैं। सम्पूर्ण भारतवर्ष के २१ प्रान्तों में इसका कार्य चल रहा है। .

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अखिल भारतीय हिन्दू महासभा

अखिल भारतीय हिन्दू महासभा का ध्वज अखिल भारत हिन्दू महासभा भारत का एक राजनीतिक दल है। यह एक भारतीय राष्ट्रवादी संगठन है। इसकी स्थापना सन १९१५ में हुई थी। विनायक दामोदर सावरकर इसके अध्यक्ष रहे। केशव बलराम हेडगेवार इसके उपसभापति रहे तथा इसे छोड़कर सन १९२५ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। भारत के स्वतन्त्रता के उपरान्त जब महात्मा गांधी की हत्या हुई तब इसके बहुत से कार्यकर्ता इसे छोड़कर भारतीय जनसंघ में भर्ती हो गये। .

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अकाल तख़्त

अकाल तख़्त (पंजाबी भाषा: ਅਕਾਲ ਤਖ਼ਤ, शाब्दिक अर्थ: काल से रहत परमात्मा का सिंहासन)Fahlbusch E. (ed.) Eerdmans, Grand Rapids, Michigan, 2008.

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अक्टूबर २०१५ हिन्दू कुश भूकंप

२६ अक्टूबर २०१५ को, १४:४५ पर (०९:०९ यूटीसी), हिंदू कुश के क्षेत्र में, एक 7.5 परिमाण के भूकंप ने दक्षिण एशिया को प्रभावित किया। मुख्य भूकंप के 40 मिनट बाद 4.8 परिमाण के पश्चात्वर्ती आघात ने फिर से प्रभावित किया; 4.1 परिमाण या उससे अधिक के तेरह और अधिक झटकों ने 29 अक्टूबर की सुबह को प्रभावित किया। मुख्य भूकंप 210 किलोमीटर की गहराई पर हुआ। 5 नवम्बर तक, यह अनुमान लगाया गया था कि कम से कम 398 लोगों की मौत हो गयी हैं, ज्यादातर पाकिस्तान में। http://abcnews.go.com/International/wireStory/latest-strong-afghan-earthquake-felt-south-asia-34730075 भूकंप के झटके अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, ताजिकिस्तान, और किर्गिस्तान में महसूस किए गए। भूकंप के झटके भारतीय शहरों नई दिल्ली, श्रीनगर, अमृतसर, चंडीगढ़ लखनऊ आदि और चीन के जनपदों झिंजियांग, आक़्सू, ख़ोतान तक महसूस किए गए जिनकी सूचना अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में भी दिया गया। कंपन नेपालियों की राजधानी काठमांडू में भी महसूस किया गया, जहां लोगों ने शुरू में सोचा कि यह अप्रैल 2015 में आए भूकंप के कई मायनों आवर्ती झटकों में से एक था। दैनिक पाकिस्तानी "द नेशन" ने सूचित किया कि यह भूकंप पाकिस्तान में 210 किलोमीटर पर होने वाला सबसे बड़ा भूकंप है। .

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अक्षय कुमार

अक्षय कुमार (ਅਕਸ਼ੈ ਕੁਮਾਰ, जन्म: राजीव हरी ओम भाटिया, ९ सितम्बर, १९६७) एक भारतीय बॉलीवुड फ़िल्म अभिनेता हैं। वे 100 से अधिक हिन्दी फिल्मों में काम कर चुके हैं। 90 के दशक में, हिट एक्शन फिल्मों जैसे खिलाड़ी (१९९२), मोहरा (१९९४) और सबसे बड़ा खिलाड़ी (१९९५) में अभिनय करने के कारण, कुमार को बॉलीवुड का एक्शन हीरो की संज्ञा दी जाती थी और विशेषतः वे "खिलाड़ी श्रृंखला" के लिए जाने जाते थे। फिर भी, वह रोमांटिक फिल्मों जैसे ये दिल्लगी (१९९४) और धड़कन (२०००) में अपने अभिनय के लिए सम्मानित किए गए और साथ ही साथ ड्रामेटिक फिल्मों जैसे एक रिश्ता (२००१) में अपनी अभिनय क्षमता को दिखाया। 2002 में उन्हें अपना पहला फ़िल्मफेयर पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ खलनायक फ़िल्म अजनबी (2001) में अभिनय के लिए दिया गया। अपनी एक सी छवि को बदलने के इच्छुक अक्षय कुमार ने ज्यादातर कोमेडी फिल्में की। फ़िल्म हेरा फेरी (2002), मुझसे शादी करोगी (2004), गरम मसाला (2005) और जान-ए-मन (२००६) में हास्य अभिनय के लिए फ़िल्म समीक्षकों द्वारा उनकी प्रशंसा की गई। 2007 में वे सफलता की ऊचाईयों को छूने लगे, जब उनके द्वारा अभिनीत चार लगातार कामर्सियल फिल्में हिट हुई। इस तरह से, उन्होंने अपने आपको हिन्दी फ़िल्म उद्योग में एक प्रमुख अभिनेता के रूप में स्थापित किया। वे मार्शल आर्ट्स (सामरिक कला) की शिक्षा बेंगकोक में प्राप्त करके आए और वहां एक रसोइया की नौकरी भी करते थे। वे फिर मुंबई वापस आ गए, जहाँ वे मार्सल आर्ट्स की शिक्षा देने लगे। उनका एक विद्यार्थी जो एक फोटोग्राफर था, उसने उन्हें मॉडलिंग करने कहा। उस विद्यार्थी ने उन्हें एक छोटी कंपनी में एक मॉडलिंग असयांमेंट दिया। उन्हें कैमरे के सामने पोज देने के लिए, दो घंटे के 5,000 रुपये मिलते था। पहले की तनख्वाह 4000 रुपये प्रति महीने की तुलना में यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारण था कि वे क्यों मॉडल बने। मॉडलिंग करने के दो महीने बाद, कुमार को प्रमोद चक्रवर्ती ने अंततः अपनी फ़िल्म दीदार में अभिनय करने का मौका दिया। .

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ऋचा चड्ढा

ऋचा चड्ढा (जन्म: 28 दिसम्बर 1988) बॉलीवुड में कार्यरत एक अभिनेत्री हैं। ऋचा चड्ढा ने अनुराग कश्यप की फिल्म क्लिक करें 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' में एक अधेड़ उम्र महिला का किरदार निभाया है। इससे पहले वो दिबाकर बनर्जी की फिल्म 'ओए लकी लकी ओए' में हीरोइन नीतू चंद्रा की बड़ी बहन का रोल निभा चुकी हैं। फुकरे, गोलियों की रासलीला रामलीला, बेनी एंड बबलू आदि फिल्मो में काम किया हैं। .

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छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस

छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस बहुत ही सुप्रसिद्ध एक्सप्रेस है जो की बिलासपुर और अमृतसर को जोड़ती है। इसे छतीसगढ़ एक्सप्रेस के नाम से इसलिए जाना जाता है क्यूंकि यह ट्रेन इस स्थान का प्रतिनिधित्व करती है। इसकी शुरुआत सबसे पहले १९७७ में भोपाल – बिलासपुर छत्तीसगढ़ आँचल एक्सप्रेस के रूप में हुई थी तथा यह बिलासपुर एवं हबीबगंज के बीच चला करती थी। .

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१६०४

1604 ग्रेगोरी कैलंडर का एक अधिवर्ष है। .

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१९६५ का भारत-पाक युद्ध

१९६५ का भारत-पाक युद्ध उन मुठभेड़ों का नाम है जो दोनों देशों के बीच अप्रैल १९६५ से सितम्बर १९६५ के बीच हुई थी। इसे कश्मीर के दूसरे युद्ध के नाम से भी जाना जाता है। भारत और पाकिस्तान के बीच जम्मू और कश्मीर राज्य पर अधिकार के लिये बँटवारे के समय से ही विवाद चल रहा है। १९४७ में भारत-पाकिस्तान के बीच प्रथम युद्ध भी कश्मीर के लिये ही हुआ था। इस लड़ाई की शुरूआत पाकिस्तान ने अपने सैनिकों को घुसपैठियों के रूप में भेज कर इस उम्मीद में की थी कि कश्मीर की जनता भारत के खिलाफ विद्रोह कर देगी। इस अभियान का नाम पाकिस्तान ने युद्धभियान जिब्राल्टर रखा था। पांच महीने तक चलने वाले इस युद्ध में दोनों पक्षों के हजारों लोग मारे गये। इस युद्ध का अंत संयुक्त राष्ट्र के द्वारा युद्ध विराम की घोषणा के साथ हुआ और ताशकंद में दोनों पक्षों में समझौता हुआ। इस लड़ाई का अधिकांश हिस्सा दोनों पक्षों की थल सेना ने लड़ा। कारगिल युद्ध के पहले कश्मीर के विषय में कभी इतना बड़ा सैनिक जमावड़ा नहीं हुआ था। युद्ध में पैदल और बख्तरबंद टुकड़ियों ने वायुसेना की मदद से अनेक अभियानों में हिस्सा लिया। दोनो पक्षो के बीच हुए अनेक युद्धों की तरह इस युद्ध की अनेक जानकारियां दोनों पक्षों ने सार्वजनिक नहीं की। .

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२७ अगस्त

27 अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 239वॉ (लीप वर्ष मे 240 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 126 दिन बाकी है। .

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