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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

सूची अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

किसी सूचना या विचार को बोलकर, लिखकर या किसी अन्य रूप में बिना किसी रोकटोक के अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (freedom of expression) कहलाती है। अत: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की हमेशा कुछ न कुछ सीमा अवश्य होती है। भारत के संविधान के अनुच्छेद १९(१) के तहत सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गयी है। अभिव्‍यक्‍ित की स्‍वतंत्रता अपने भावों और विचारों को व्‍यक्‍त करने का एक राजनीतिक अधिकार है। इसके तहत कोई भी व्‍यक्ति न सिर्फ विचारों का प्रचार-प्रसार कर सकता है, बल्कि किसी भी तरह की सूचना का आदान-प्रदान करने का अधिकार रखता है। हालांकि, यह अधिकार सार्वभौमिक नहीं है और इस पर समय-समय पर युक्‍ितयुक्‍त निर्बंधन लगाए जा सकते हैं। राष्‍ट्र-राज्‍य के पास यह अधिकार सुरक्षित होता है कि वह संविधान और कानूनों के तहत अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता को किस हद तक जाकर बाधित करने का अधिकार रखता है। कुछ विशेष परिस्थितियों में, जैसे- वाह्य या आंतरिक आपातकाल या राष्‍ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर अभिव्‍यक्‍ित की स्‍वंतत्रता सीमित हो जाती है। संयुक्‍त राष्‍ट्र की सार्वभौमिक मानवाधिकारों के घोषणा पत्र में मानवाधिकारों को परिभाषित किया गया है। इसके अनुच्‍छेद 19 में कहा गया है कि किसी भी व्‍यक्ति के पास अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता का अधिकार होगा जिसके तहत वह किसी भी तरह के विचारों और सूचनाओं के आदान-प्रदान को स्‍वतंत्र होगा। .

7 संबंधों: दीया खान, प्रेस की स्वतंत्रता, बीज-लेखन, भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सीजीनेट स्वर, आधुनिकतावाद, अकादमिक स्वतंत्रता

दीया खान

दीया खान पंजाबी / पख्तून वंश की एक नर्विज्न फ़िल्म निर्देशक और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। दिया महिलाओं के अधिकारों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांति की मुखर समर्थक हैं। २०१३ में दिया खान की निर्देशक और निर्माता के रूप में पहली फिल्म बाणाज़ ए लव स्टोरी (२०१२) ने सर्वश्रेष्ठ दस्तावेज़ी फिल्म होनी का पीबॉडी अवार्डौर और एमी अवार्ड जीता। दिया की दूसरी फिल्म जिहाद ए स्टोरी ऑफ़ अदर्स कोब्रिटेन का बाफ्टा, ग्रियर्सन और मोंटी करलो टैलीविज़न फेस्टिवल सर्वश्रेष्ठ दस्तावेज़ी फिल्म होने केलिए नामित किआ गया। वह फ्यूज मीडिया कंपनी की अध्यक्ष होने के अलावा सिस्टरहुड नामित पत्रिका की मुख्य संपादक भी हैं। २०१६ में दिया को युनेस्को की कलात्मक स्वतंत्रता और रचनात्मकता वर्ग के लिये सदभावना राजदूत नियुक्त किआ गया। वह इस श्रेणी के लिए नामांकित होने वाले पहली व्यक्ति हे। .

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प्रेस की स्वतंत्रता

विभिन्न एलेक्ट्रॉनिक माध्यमों सहित परम्परागत रूप से प्रकाशित अखबारों को प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रेस की स्वतंत्रता कहा जाता है। किन्तु इस समस्या का एक दूसरा पहलू भी है। दुनियाभर में मीडिया कार्पोरेट के हाथ में है जिसका एकमात्र उद्देश्य अधिक से अधिक फ़ायदा कमाना है। वास्तव में कोई प्रेस स्वतंत्रता है ही नहीं। बड़े पत्रकार मोटा वेतन लेते हैं और इसी वजह से वे फैंसी जीवनशैली के आदी हो गए हैं। वो इसे खोना नहीं चाहेंगे और इसलिए ही आदेशों का पालन करते हैं और तलवे चाटते हैं। विभिन्न देशों की सरकारें भी विभिन्न कानून लाकर प्रेस पर काबू पाना चाहते हैं। उदाहरण के तौर पर भारत सरकार नें हाल ही में ऑनलाइन मीडिया वेबसाइट पर निगरानी रखने के लिए नया कानून पेश किया है। इसके तहत सरकार ऑनलाइन कुछ भी छपने पर नियंत्रण करना चाहती है। .

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बीज-लेखन

द्वितीय विश्व युद्ध में सेना के उच्च स्तरीय जनरल स्टाफ के संदेशों को कूटबद्ध करने के लिए या उन्हें गुप्त भाषा में लिखने के लिए प्रयोग की गई। Lorenz cipher) क्रिप्टोग्राफ़ी या क्रिप्टोलोजी यानि कूट-लेखन यूनानी शब्द κρυπτός,, क्रिपटोस औरγράφω ग्राफ़ो या -λογία,लोजिया (-logia), से लिया गया है। इनके अर्थ हैं क्रमशः छुपा हुआ रहस्य और मैं लिखता हूँ। यह किसी छुपी हुई जानकारी (information) का अध्ययन करने की प्रक्रिया है। आधुनिक समय में, क्रिप्टोग्राफ़ी या कूट-लेखन को गणित और कंप्यूटर विज्ञान (computer science) दोनों की एक शाखा माना जाता है और सूचना सिद्धांत (information theory), कंप्यूटर सुरक्षा (computer security) और इंजीनियरिंग से काफ़ी ज्यादा जुड़ा हुआ है। तकनीकी रूप से उन्नत समाज में कूटलेखन के अनुप्रयोग कई रूपों में मौजूद हैं। उदाहरण के लिये - एटीएम कार्ड (ATM cards), कंप्यूटर पासवर्ड (computer passwords) और इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य (electronic commerce)- ये सभी कूटलेखन पर निर्भर करते हैं। .

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भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

भारतीय संविधान में स्वतंत्रता का अधिकार मूल अधिकारों में सम्मिलित है। इसकी 19, 20, 21 तथा 22 क्रमांक की धाराएँ नागरिकों को बोलने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सहित ६ प्रकार की स्वतंत्रता प्रदान करतीं हैं। भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भारतीय संविधान में धारा १९ द्वारा सम्मिलित छह स्वतंत्रता के अधिकारों में से एक है। .

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सीजीनेट स्वर

सीजीनेट स्वर मोबाइल और अभिकलित्र से जुड़ा जनपत्रकारिता के सिद्धांतों पर आधृत स्थानीय स्तर का संचार तंत्र है। इस संचार माध्यम में यह सुविधा है कि आम आदमी फोन करके अपनी रपट स्वयं दर्ज करा सकता है। संस्था के मॉडरेटर इस रपट के तथ्यों की सरसरी तौर पर जांच के बाद अंतर्जाल पर प्रकाशन करते हैं। सिजीनेट स्वर की स्थापना भारतीय पत्रकार शुभ्रांशु चौधरी ने की है। लंदन स्थित संस्था 'इंडेक्स ऑन सेंसरशिप' ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के क्षेत्र में काम करने के लिए सिजीनेट स्वर को २०१३ में ब्रिटेन में डिजिटल जर्नलिज़्म पुरस्कार प्रदान किया। .

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आधुनिकतावाद

हंस होफ्मन, "द गेट", 1959–1960, संग्रह: सोलोमन आर. गुगेन्हीम म्यूज़ियम होफ्मन केवल एक कलाकार के रूप में ही नहीं, बल्कि एक कला शिक्षक के रूप में भी मशहूर थे और वे अपने स्वदेश जर्मनी के साथ-साथ बाद में अमेरिका के भी एक आधुनिकतावादी सिद्धांतकार थे। 1930 के दशक के दौरान न्यूयॉर्क एवं कैलिफोर्निया में उन्होंने अमेरिकी कलाकारों की एक नई पीढ़ी के लिए आधुनिकतावाद एवं आधुनिकतावादी सिद्धांतों की शुरुआत की.ग्रीनविच गांव एवं मैसाचुसेट्स के प्रोविंसटाउन में स्थित अपने कला विद्यालयों में अपने शिक्षण एवं व्याख्यान के माध्यम से उन्होंने अमेरिका में आधुनिकतावाद के क्षेत्र का विस्तार किया।हंस होफ्मन की जीवनी, 30 जनवरी 2009 को उद्धृत आधुनिकतावाद, अपनी व्यापक परिभाषा में, आधुनिक सोच, चरित्र, या प्रथा है अधिक विशेष रूप से, यह शब्द उन्नीसवीं सदी के अंत और बीसवीं सदी के आरम्भ में मूल रूप से पश्चिमी समाज में व्यापक पैमाने पर और सुदूर परिवर्तनों से उत्पन्न होने वाली सांस्कृतिक प्रवृत्तियों के एक समूह एवं सम्बद्ध सांस्कृतिक आन्दोलनों की एक सरणी दोनों का वर्णन करता है। यह शब्द अपने भीतर उन लोगों की गतिविधियों और उत्पादन को समाहित करता है जो एक उभरते सम्पूर्ण औद्योगीकृत विश्व की नवीन आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक स्थितियों में पुराने होते जा रहे कला, वास्तुकला, साहित्य, धार्मिक विश्वास, सामाजिक संगठन और दैनिक जीवन के "पारंपरिक" रूपों को महसूस करते थे। आधुनिकतावाद ने ज्ञानोदय की सोच की विलंबकारी निश्चितता को और एक करुणामय, सर्वशक्तिशाली निर्माता के अस्तित्व को भी मानने से अस्वीकार कर दिया.

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अकादमिक स्वतंत्रता

अकादमिक स्वतंत्रता (Academic freedom) यह सिद्धांत है कि बिना रोक-टोक के प्रशन उठाने की स्वतंत्रता और अध्यापकों, छात्रों व शोधकर्ताओं में अज़ादी से विचारों की अदला-बदली विश्व में विद्या बढ़ाने के लिए आवश्यक है और इस स्वतंत्रता के बिना विद्या खोजने और सिखाने की कोई भी उच्च स्तरीय संस्थान (जैसे कि विश्वविद्यालय) अपने विद्या-अर्जन के ध्येय में पूरी तरह सफल नहीं हो सकती। इसके अनुसार विद्वानों को शोध करने और अपने विचारों को सिखाने और बोलने की पूरी स्वतंत्रता होनी चाहिये और इसके लिये उन्हें किसी सज़ा, नौकरी-खोने या अन्य दण्ड से सुरक्षित रखना चाहिये। .

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अभिव्यक्ति का स्वतंत्रता

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