लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

अनुक्रम की सीमा

सूची अनुक्रम की सीमा

जैसे-जैसे धन-पूर्णांक n का मान बढ़ता है n sin(1/n) का मान स्वेच्छिक रूप से 1 की ओर अग्रसर होता है। अतः हम कह सकते हैं कि "अनुक्रम n sin(1/n) का सीमान्त मान 1 के बराबर होता है।" गणित में अनुक्रम की सीमा वह मान है जिसकी ओर अनुक्रम के पद अग्रसर होते हैं।Courant (1961), p. 29.

3 संबंधों: आंतरिक प्रतिफल दर, १ + १ + १ + १ + · · ·, १ − २ + ३ − ४ + · · ·

आंतरिक प्रतिफल दर

आंतरिक प्रतिफल दर या इन्टरनल रेट ऑफ़ रिटर्न (IRR) का उपयोग पूँजी बजट में निवेश से हुए लाभ को नापने और उसकी तुलना करने में होता है (0/) इसको प्रतिफल की धन प्रवाह छूट दर भी कहते हैं या इसे सीधे शब्दों में प्रतिफल दर (ROR) कहते हैं। बचत और ऋण के सन्दर्भ में आइआइआर को प्रभावी ब्याज दर भी कहा जाता है। शब्द आंतरिक इस तथ्य को सन्दर्भित करता है कि इसकी गणना पर्यावरणीय कारकों को शामिल नहीं करती है (जैसे कि (ब्याज दर या महंगाई में बढोतरी).

नई!!: अनुक्रम की सीमा और आंतरिक प्रतिफल दर · और देखें »

१ + १ + १ + १ + · · ·

गणित में, 1 + 1 + 1 + 1 + · · ·, जिसे निम्न प्रकार भी लिखा जाता है \sum_^ n^0, \sum_^ 1^n, अथवा साधारणतया \sum_^ 1, एक अपसारी श्रेणी है इसका अर्थ यह है कि इस अनुक्रम के आंशिक योग वास्तविक संख्याओं में सीमा पर अभिसरण नहीं करते। अनुक्रम 1n को सार्वानुपात 1 के साथ गुणोत्तर श्रेणी भी माना जा सकता है। विस्तारित वास्तविक संख्या रेखा के प्रसंग में चूँकि इसके आंशिक योग का अनुक्रम सीमा रहित एकदिष्‍टतः वर्धमान है। जहाँ n0 का योग एक भौतिकीय अनुप्रयोग के रूप में प्राप्त होता है, यह कभी-कभी ज़ेटा फलन नियमितीकरण के रूप में भी प्राप्त होता है। यह रीमान ज़ेटा फलन का 1.

नई!!: अनुक्रम की सीमा और १ + १ + १ + १ + · · · · और देखें »

१ − २ + ३ − ४ + · · ·

गणित में, 1 − 2 + 3 − 4 + ··· एक अनन्त श्रेणी है जिसके व्यंजक क्रमानुगत धनात्मक संख्याएं होती हैं जिसके एकांतर चिह्न होते हैं अर्थात प्रत्येक व्यंजक के चिह्न, इसके पूर्व व्यंजक से विपरीत होते हैं। श्रेणी के प्रथम m पदों का योग सिग्मा योग निरूपण की सहायता से निम्नवत् लिखा जा सकता है: अनन्त श्रेणी के अपसरण का मतलब यह है कि इसके आंशिक योग का अनुक्रम किसी परिमित मान की ओर अग्रसर नहीं होता है। बहरहाल, 18वीं शताब्दी के मध्य में लियोनार्ड आयलर ने विरोधाभासी समीकरण में लिखा: लेकिन इस समीकरण की सार्थकता बहुत समय बाद तक स्पष्ट नहीं हो पाई। 1980 के पूर्वार्द्ध में अर्नेस्टो सिसैरा, एमिल बोरेल तथा अन्य ने अपसारी श्रेणियों को व्यापक योग निर्दिष्ट करने के लिए सुपरिभाषित विधि प्रदान की— जिसमें नवीन आयलर विधियों का भी उल्लेख था। इनमें से विभिन्न संकलनीयता विधियों द्वारा का "योग" लिखा जा सकता है। सिसैरा-संकलन उन विधियों में से एक है जो का योग प्राप्त नहीं कर सकती, अतः श्रेणी एक ऐसा उदाहरण है जिसमें थोड़ी प्रबल विधि यथा एबल संकलन विधि की आवश्यकता होती है। श्रेणी, ग्रांडी श्रेणी से अतिसम्बद्ध है। आयलर ने इन दोनों श्रेणियों को श्रेणी जहाँ (n यदृच्छ है), की विशेष अवस्था के रूप में अध्ययन किया और अपने शोध कार्य को बेसल समस्या तक विस्तारित किया। बाद में उनका ये कार्य फलनिक समीकरण के रूप में परिणत हुआ जिसे अब डीरिख्ले ईटा फलन और रीमान जीटा फलन के नाम से जाना जाता है। .

नई!!: अनुक्रम की सीमा और १ − २ + ३ − ४ + · · · · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »