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अधिनियम

सूची अधिनियम

अधिनियम केन्द्र में संसद या राज्य में विधानसभा द्वारा पारित किसी विधान को कहते हैं। जब संसद या विधानसभा में किसी विषय को प्रस्तावित करते हैं तो उसे विधेयक या बिल कहते हैं। संसद या विधानसभा की सर्वसम्मति से पास होने के बाद उस बिल या विधेयक को अधिनियम का दर्जा मिल जाता है। श्रेणी:विधि श्रेणी:चित्र जोड़ें.

18 संबंधों: चिटफंड, परमाणु जनदायित्व विधेयक, परिवर्तन तनाव और नवाचार के प्रबंध, बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006, बिल ऑफ़ राइट्स, १६८९, बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की, भारतीय संसद, राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय, लियन, श्रम कानून, स्टार वॉर्स, ग्रहणाधिकार (लियन), इंग्लिश मास्टिफ़, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी), अंग्रेज शासकों की सूची, उपभोक्ता जागरुकता

चिटफंड

चिट फंड का अभ्यास भारत में एक बचत योजना के रूप में किया जाता है। एक कंपनी जो चिटफंड का प्रबंधन, आयोजिन और पर्यवेक्षण करता है, इस तरह के कंपनी को, चिट फंड अधिनियम की धारा १९८२ के द्वारा चिट फंड कंपनी के नाम से परिभाषित किया जाता है। चिट फंड अधिनियम, १०८२ की धारा २ (ख) के अनुसार: "चिट का मतलब लेन-देन है जो चाहे चिट, चिट फंड, चिट्टि, कुरी या किसी अन्य नाम से, जिस्के द्वारा या जिसके तहत एक व्यक्ति, व्यक्तियों के एक निर्धारित संख्या के साथ एक समझौते में प्रवेश करता है कि उनमें से हर एक पैसे की एक निश्चित राशि का सदस्यता करेगा (या अनाज की एक निश्चित मात्रा), समय-समय पर किश्तों के माध्यम से एक निश्चित अवधि तक और ऐसे प्रत्येक ग्राहक को अपनी बारी के दौरान बेतरतीब ढंग से चुनाव, या नीलामी से, या निविदा द्वारा या इस तरह के अन्य तरीकों के रूप में जो चिट समझौते में निर्दिष्ट किया गया हो, पुरस्कार राशि के हकदार बनेंगे।" इस तरह के चिट फंड योजनाओं संगठित वित्तीय संस्थाओं द्वारा आयोजित किया जा सकता है, या दोस्तों या रिश्तेदारों के बीच आयोजित असंगठित योजनाओं से भी हो सकता है।चिट फंड के कुछ रूपों में, बचत विशिष्ट प्रयोजनों के लिए किया जाता है।चिट फंड, ऋण सुविधा के लिए आसान पहुँच प्रदान करके दक्षिण भारतीय राज्य केरल के लोगों की वित्तीय विकास में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। केरल में चिट्टि (चिट फंड) एक आम घटना समाज के सभी वर्गों द्वारा अभ्यास किया जाता है।केरल राज्य वित्तीय उद्यम नामक एक कंपनी है जो केरल सरकार द्वारा चलाया जाता है जिसका मुख्य कारोबारी कार्यकलाप चिट्टि है। चिट फंड की अवधारणा १८०० में लोगों की आँखों के सामने आयी जब राजा राम वर्मा- तत्कालीन कोचीन राज्य के शासक, एक सीरियाई ईसाई व्यापारी को एक ऋण दिया था, जिसमें खुद के अन्य खर्चों के लिए उस में का एक निश्चित भाग रख कर और बाद में वह समानता के सिद्धांत के आधार पर बाकी पैसे भी ले लिय। राजा राम वर्मा .

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परमाणु जनदायित्व विधेयक

परमाणु जनदायित्व विधेयक परमाणु जनदायित्व विधेयक यानी परमाणु दायित्व विधेयक परमाणु दुर्घटना की स्थिति में संबंधित पक्षों के दायित्व को निर्धारित करने वाला विधेयक है। 25 अगस्त को सरकार ने इस विधेयक को संसद में प्रस्तुत किया। 2008 के भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु संधि को लागू कराने की दिशा में इस विधेयक को अंतिम कदमों के रूप में देखा जा रहा है। ये विधेयक उन अमेरिकी कंपनियों के लिए आवश्यक है जो भारत में परमाणु सामाग्री या रिएक्टरों की आपूर्ति करेंगे। परमाणु दुर्घटना की स्थिति में उन कंपनियों को अमेरिका में बीमा का भुगतान मिल सके, इसके लिए ये कानून आवश्यक है। इस विधेयक के अधिनियम बनने के बाद भारत उन देशों की कतार में शामिल हो जाएगा, जिनके पास ये कानून है। इस विधेयक को लेकर सरकार को विपक्ष की ओर से भारी प्रतिरोधों का सामना करना पड़ा.

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परिवर्तन तनाव और नवाचार के प्रबंध

परिवर्तन एक संगठन के पर्यावरण, संरचना, प्रौद्योगिकी, या लोगों मे बद्लव् होता है। संगठनात्मक परिवर्तन तब होती है जब एक कंपनी एक संक्रमण से अपनी वर्तमान स्थिति के लिए कुछ वांछित भविष्य राज्य बनाता है। अगर परिव्रर्तन नही होता तो, प्रबंधक का काम आसान हो जाता। योजना करना आसान होता क्यूं कि आज और आने वाला कल मे कोई परिवर्तन नही होता। उसी तरह निर्णय लेना आसान हो क्यु कि अनिश्चितता नही होती। पर परिवर्तन तो हर संगठन कि सचाई है। परिवर्तन को संभालना हर प्रबंधक कि काम है। कर्मचारियों के लिए,परिवर्तन ही तनाव का कारण है। एक गतिशील और अनिश्चित माहौल से कर्मचारियों की बड़ी संख्या तनाव मे है। तनाव एक जटिल मुद्दा है। बाधाओं और मांगों के व्दारा तनाव कर्मचारियों मे बड रहा है। दबाव तनाव एक कारण है।इस संदर्भ में, शब्द 'तनाव' का केवल एक ही मतलब महत्वपूर्ण नकारात्मक परिणाम है, या संदर्भित संकट, हंस सेयेले(Hans Selye) के अनुसार जिसे वो युस्त्रेस्स् (eustress) कहता है, तनाव का परिणाम सहायक या अन्यथा सकारात्मक रहता है। तनाव कई शारीरिक और मानसिक लक्षण है जो प्रत्येक व्यक्ति की स्थिति के अनुसार बदलव् पैदा करता है। ये शारीरिक स्वास्थ्य गिरावट के रूप में अच्छी तरह से शामिल कर सकता है। तनाव प्रबंधन की प्रक्रिया आधुनिक समाज में एक खुश और सफल जीवन की कुंजी से एक के रूप में नामित किया गया है। नवाचार प्रबंधन नवाचार प्रक्रियाओं का प्रबंधन है। यह उत्पाद और संगठनात्मक दोनों का नवाचार है। नवाचार प्रबंधन एक प्रक्रिया हे जिस्मे रचनात्मक विचार को बदलकर एक उपयोगी उत्पाद,सेवा या आपरेशन की विधि बनाया जाता है। अभिनव प्रबंधन मे प्रबंधकों और इंजीनियरों के एक सामान्य समझ के साथ प्रक्रियाओं और लक्ष्यों को समज न चहिए। अभिनव प्रबंधन संगठन को बाहरी या आंतरिक अवसरों के लिए जवाब है, और अपनी रचनात्मकता का उपयोग विचारों, प्रक्रियाओं या उत्पादों नया पेश करने की अनुमति देता है। यह अनुसंधान एवं विकास में चलता नही है। यह एक कंपनी के उत्पाद विकास, विनिर्माण और विपणन के लिए रचनात्मक योगदान करने में हर स्तर पर कार्यकर्ताओं शामिल है।प्रबंधक को संगठन मे परिवर्तन लाने के लिए नवाचार लाना होता है। .

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बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006

बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 (Prohibition of Child marriage Act 2006) भारत का एक अधिनियम है जो ०१ नवम्बर २००७ से लागू हुआ। इस अधिनियम के अनुसार, बाल विवाह वह है जिसमें लड़के की उम्र २१ वर्ष से कम या लड़की की उम्र १८ वर्ष से कम हो। ऐसे विवाह को बाल विवाह निषेध अधियिम 2006 द्वारा प्रतिबंधित किया गया है। .

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बिल ऑफ़ राइट्स, १६८९

बिल ऑफ़ राइट्स, यानि अधिकाओं का विधेयक, इंग्लैंड की संसद द्वारा १६ दिसंबर १६८९ में पारित एक अधिनियम था, जो संवैधानिक मामलों और नागरिक अधिकारों को स्थापित करता है। यह विधेयक मूलतः, कन्वेन्शन पार्लियामेंट(अनधिकृत-आहूत संसद) द्वारा राजा विलियम और रानी मैरी द्वितीय के समक्ष, फ़रवरी १६८९ को पेश किये गए डिक्लेरेशन ऑफ़ राइट्स(अधिकारों का घोषणापत्र) का ही एक सांविधिक रूप में पुनःकथित अवतार था। इसे इंग्लैंड के गौरवशाली क्रांति के बाद लाया गया था। इस डिक्लेरेशन द्वारा कन्वेंशन पार्लियामेंट ने विलियम और मैरी को इंग्लैंड पर साँझा रूप से शासन करने के लिए आमंत्रित किया था। बिल ऑफ़ राइट्स, संप्रभु के अधिकारों की सीमाएं तय करती है, और साथ ही संसद के अधिकारों को भी अंकित करती है। संसद के लिए निर्धारित किये गए अधिकारों में, नियमित संसदीय सत्र, मुक्त चुनाव और संसद में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे अदिकार शामिल किये गए थे। इसके अलावा यह कई नागरिक अधिकारों को भी स्थापित करता है, जिनमें, क्रूर और असामान्य दण्ड प्रदान करने पर रोक, और न्यायिक दायरे में प्रोटोस्टेंट लोगों को आत्मरक्षा हेतु शस्त्र रखने की अनुमति शामिल हैं। इसके अलावा यह, निष्कासित शासक, इंग्लैंड के जेम्स द्वितीय के अनेक "दुष्कर्मों" को अंकित करता है, और उनकी निंदा करता है। इस विधेयक में दिए गए प्रावधान, प्रसिद्ध राजनीतिक दार्शनिक, जॉन लॉक के विचारों को प्रदर्शित करते हैं, और पारित होने के साथ ही यह विचार, शीघ्र ही पूरे इंग्लैंड में लोकप्रिय हो गए। साथ ही यह राजमुकुट पर, संसद द्वारा प्रतिनिधित, जनता की मनोकामना के समकक्ष कार्य करने हेतु कई संवैधानिक आवश्यक्ताओं को अंकित करता है। ब्रिटेन में, मैगन कार्टा और कुछ अन्य अधिनियमों समेत, ब्रिटेन के असंहितबद्ध संविधान के मूल एवम् सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों में से एक माना जाता है। साथ ही इस बिल को अमेरिकी अधिकार विधेयक की प्रेरणा भी माना जाता है। ऍक्ट ऑफ़ सेटलमेंट, १७०१ के साथ, बिल ऑफ़ राइट्स, ब्रिटेन समेत, तमाम १५ राष्ट्रमण्डल प्रदेशों में आज की तिथि तक लागू है। २०११ के पर्थ समझौते के बाद, इन दोनों को संशोधित करने हेतु विधान, सारे राष्ट्रमण्डल प्रदेशों में २६ मार्च २०१५ से पारित किया गया। इस अधिनियम का पूरा शीर्षक मूल में इस प्रकार दिया हुआ है- प्रजा के अधिकारों और स्वतंत्रता की घोषणा तथा सिंहासन का उत्तराधिकार व्यवस्थित करने वाला अधिनियम। ब्रिटिश लोकसभा द्वारा नियुक्त एक समिति ने अधिकार की घोषणा नामक जो पत्रक प्रस्तुत किया था और जिसे राजदंपति ने 19 फ़रवरी 1689 को अपनी स्वीकृति दी थी वही घोषणा इस अधिनियम की पूर्ववर्ती थी और इसकी धाराएँ प्रायः पूर्णतः उसके अनुरूप थीं। अधिकार की घोषणा में उन शर्तों का भी परिगणन था जिनके अनुसार राजदंपति को उत्तराधिकार मिला था और जिनका पालन करने की उन्होंने शपथ ली थी। इन दोनों अधिनियमों का प्रधान महत्व अंग्रेजी संविधान में राजकीय उत्तराधिकार निश्चित करने में है। .

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बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम

बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम (Benami Transactions (Prohibition) Act) भारतीय संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जो बेनामी लेनदेन का निषेध करता है। यह पहली बार १९८८ में पारित हुआ तथा २०१६ में इसमें संशोधन किया गया। संशोधित कानून ०१ नवम्बर, २०१६ से लागू हो गया। संशोधित बिल में बेनामी संपत्‍तियों को जब्‍त करने और उन्‍हें सील करने का अधिकार है। साथ ही, जुर्माने के साथ कैद का भी प्रावधान है। भारत में काले धन की बढ़ती समस्‍या को खत्‍म करने की दिशा में यह एक और कदम है। मूल अधिनियम में बेनामी लेनदेन करने पर तीन साल की जेल और जुर्माना या दोनों का प्रावधान था। संशोधित कानून के तहत सजा की अवधि बढ़ाकर सात साल कर दी गई है। जो लोग जानबूझकर गलत सूचना देते हैं उन पर सम्पत्ति के बाजार मूल्य का 10 प्रतिशत तक जुर्माना भी देना पड़ सकता है। नया कानून घरेलू ब्लैक मनी खासकर रियल एस्टेट सेक्टर में लगे काले धन की जांच के लिए लाया गया है। .

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की का मुख्य (प्रशासनिक) भवन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की भारत का एक सार्वजनिक इंजीनियरी विश्वविद्यालय है। यह उत्तराखण्ड राज्य के रुड़की में स्थित है। पहले इसका नाम 'रूड़की विश्वविद्यालय' तथा इससे भी पहले इसका नाम 'थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग' (Thomason College of Civil Engineering) था। इसकी स्थापना मूलतः १८४७ में हुई थी। सन् १९४९ में इसको विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया। सन् २००१ में इसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। .

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भारतीय संसद

संसद भवन संसद (पार्लियामेंट) भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। यह द्विसदनीय व्यवस्था है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति तथा दो सदन- लोकसभा (लोगों का सदन) एवं राज्यसभा (राज्यों की परिषद) होते हैं। राष्ट्रपति के पास संसद के दोनों में से किसी भी सदन को बुलाने या स्थगित करने अथवा लोकसभा को भंग करने की शक्ति है। भारतीय संसद का संचालन 'संसद भवन' में होता है। जो कि नई दिल्ली में स्थित है। लोक सभा में राष्ट्र की जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं जिनकी अधिकतम संख्या ५५२ है। राज्य सभा एक स्थायी सदन है जिसमें सदस्य संख्या २५० है। राज्य सभा के सदस्यों का निर्वाचन / मनोनयन ६ वर्ष के लिए होता है। जिसके १/३ सदस्य प्रत्येक २ वर्ष में सेवानिवृत्त होते है। .

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राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय

राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय, अजमेर के निकट,राजस्थान, भारत में एक शैक्षणिक संस्थान है। यह संसद के एक अधिनियम के माध्यम से स्थापित किया गया है: "केन्द्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009" भारत सरकार द्वारा स्थापित। राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय को एक नए केन्द्रीय विश्वविद्यालय के रूप में संसद के एक अधिनियम (2009 के अधिनियम सं. 25, भारत के गजट सं. 27, 20 मार्च 2009 को प्रकाशित) द्वारा स्थापित किया गया था और यह पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित है। .

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लियन

कानून में, ग्रहणाधिकार या लियन किसी संपत्ति के एवज में दिए गए ऋण शोधन या किसी अन्य दायित्व के निर्वाह के बदले में भुगतान को सुरक्षित करने के लिए हित सुरक्षा की मंजूरी का एक प्रकार है। संपत्ति का मालिक, जो लियन या ग्रहणाधिकार प्रदान करता है, को लियनर (lienor) और जिस व्यक्ति को लियन का लाभ मिलता है उसे लियनी (lienee) कहा जाता है। एंग्लो-फ्रेंच लियन (लियन), लोयेन "बोंड" (loyen "bond"), "रिस्ट्रेंट" ("restraint"), लैटिन लिगामेन (ligamen) से, लिगारे से "टु बाइंड" ("to bind") शब्द व्युत्पत्ति का मूल है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, शब्द लियन (lien) आमतौर पर शुल्क भार की एक विस्तृत श्रृंखला को दर्शाता है (संदर्भित या उद्धृत करता है) और इसमें अन्य प्रकार के बंधक या शुल्क शामिल होते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में, लियन विलक्षण रूप से गैर-स्वामित्वकारी सुरक्षा हितों या ब्याज प्रतिभूतियों के लिए संदर्भित है (देखें: प्रतिभूति-व्याज श्रेणियां).

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श्रम कानून

श्रम सन्नियमन या श्रम कानून (Labour law या employment law) किसी राज्य द्वारा निर्मित उन कानूनों को कहते हैं जो श्रमिक (कार्मिकों), रोजगारप्रदाताओं, ट्रेड यूनियनों तथा सरकार के बीच सम्बन्धों को पारिभाषित करतीं हैं। औद्योगिक सन्नियम का आशय उस विधान से है जो औद्योगिक संस्थानों, उनमें कार्यरत श्रमिकों एवं उद्योगपतियों पर लागू होता है। इसे हम दो भागों में बांट सकते हैंः-.

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स्टार वॉर्स

स्टार वॉर्स लोगो, जैसा सभी फ़िल्मों में देखा गया है स्टार वॉर्स जॉर्ज लूकस द्वारा कल्पित एक महाकाव्यात्मक अंतरिक्ष ओपेरा का फ़्रैन्चाइज़ है। इस फ़्रैन्चाइज़ की बनी पहली फ़िल्म मूलतः 25 मई 1977 को 20th सेंचुरी फॉक्स के सौजन्य से रिलीज़ हुई और विश्वव्यापी पॉप संस्कृति की अदभुत घटना बन गई, जिसके दो तात्कालिक परवर्ती प्रभाव स्वरूप तीन वर्षों के अंतराल में रिलीज़ हुए.

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ग्रहणाधिकार (लियन)

कानून में, ग्रहणाधिकार या लियन किसी संपत्ति के एवज में दिए गए ऋण शोधन या किसी अन्य दायित्व के निर्वाह के बदले में भुगतान को सुरक्षित करने के लिए हित सुरक्षा की मंजूरी का एक प्रकार है। संपत्ति का मालिक, जो लियन या ग्रहणाधिकार प्रदान करता है, को लियनर (lienor) और जिस व्यक्ति को लियन का लाभ मिलता है उसे लियनी (lienee) कहा जाता है। एंग्लो-फ्रेंच लियन (लियन), लोयेन "बोंड" (loyen "bond"), "रिस्ट्रेंट" ("restraint"), लैटिन लिगामेन (ligamen) से, लिगारे से "टु बाइंड" ("to bind") शब्द व्युत्पत्ति का मूल है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, शब्द लियन (lien) आमतौर पर शुल्क भार की एक विस्तृत श्रृंखला को दर्शाता है (संदर्भित या उद्धृत करता है) और इसमें अन्य प्रकार के बंधक या शुल्क शामिल होते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में, लियन विलक्षण रूप से गैर-स्वामित्वकारी सुरक्षा हितों या ब्याज प्रतिभूतियों के लिए संदर्भित है (देखें: प्रतिभूति-व्याज श्रेणियां).

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इंग्लिश मास्टिफ़

इंग्लिश मास्टिफ़ कुत्तों की एक नस्ल अंग्रेजी मास्टिफ, जिसे वस्तुत: ऑल केनेल क्लब (एकेसी) आम तौर पर मास्टिफ कहते हैं, कुत्तों की एक बड़ी नस्ल का नाम है, जो पगनेसेज ब्रिटानिया के माध्यम से प्राचीन अलाउंट के वंशज के रूप में संदर्भित किया जाता है। अपने विशाल आकार, बड़े सिर और रंगों के एक सीमित दायरे, लेकिन हमेशा एक काला नकाब प्रदर्शित करने के कारण अलग पहचान वाला मास्टिफ अपने विनम्र स्वभाव के लिए विख्यात है। आधुनिक कुत्तों की वंशावली को 19 वीं शताब्दी की शुरुआत से खोजा जा सकता है और और इसका आधुनिक प्रकार 1880 के दशक में स्थिर हुआ। तेजी से गिरावट के एक मास्टिफ ने दुनिया भर में अपनी लोकप्रियता बढाई.

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कर्मचारी भविष्य निधि संगठन

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, भारत कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, भारत की एक राज्य प्रोत्साहित अनिवार्य अंशदायी पेंशन और बीमा योजना प्रदान करने वाला शासकीय संगठन है | सदस्यों और वित्तीय लेनदेन की मात्रा के मामले में यह विश्व की सबसे बड़ा सगठन है | इसका मुख्य कार्यालय दिल्ली में है | .

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अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी)

अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) भारत, एक एमआरपी सिस्टम चल रही है जो न केवल देश में बेचा एक उत्पाद के लिए आरोप लगाया जा सकता है कि सबसे ज्यादा कीमत है, जो एक निर्माता गणना की कीमत है। रिटेलर्स हालांकि, कम से कम के लिए उत्पादों को बेचने के लिए चुन सकते हैं एमआरपी। उन प्रणालियों में निर्माता द्वारा गणना की कीमत केवल एक सिफारिश है, और कानून के द्वारा लागू करने योग्य नहीं है क्योंकि एमआरपी एक सिफारिश की खुदरा कीमत का उपयोग कर सिस्टम से अलग है। भारत में सभी खुदरा उत्पादों एमआरपी के साथ चिह्नित किया जाना चाहिए। दुकानें एमआरपी से अधिक ग्राहकों को चार्ज नहीं कर सकते। कुछ दुकानों अपनी दुकानों के लिए और अधिक ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए थोड़ा एमआरपी नीचे चार्ज कर सकते हैं। कुछ दूरदराज के क्षेत्रों में, पर्यटन स्थलों, और एक उत्पाद प्राप्त करने के लिए मुश्किल है, जहां स्थितियों में, उपभोक्ताओं को अक्सर एमआरपी से अधिक अवैध रूप से चार्ज किया जाता है। अप्रैल २०१५ में यह यह है कि वे एमआरपी के ऊपर चार्ज कर दिया गया था और महाराष्ट्र राज्य सरकार से हस्तक्षेप करने की धमकी दी की खोज की थी के बाद मुंबई में दूध विक्रेताओं बहिष्कार की धमकी दे रहे थे कि सूचना मिली थी। आज के परिदृश्य में यह आम तौर पर बाजारों में कारोबार में उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में निर्माताओं द्वारा मनमाने ढंग से बसे हुए हैं कि पाया जाता है। यहां तक ​​कि आप उपभोक्ताओं को खुदरा विक्रेताओं वास्तव में वे उत्पादों को बेचने पर स्थानीय करों की सही मात्रा में चार्ज कर रहे हैं कि क्या जांच करने के लिए एक शहर के भीतर, विभिन्न उत्पादों के करों के विभिन्न दर है, जहां एक बाजार में, यह बहुत मुश्किल हो जाता है कि एहसास कर सकते हैं। वास्तविक उत्पादन लागत बहुत कम है के रूप में उपभोक्ता और निर्माताओं बड़ा लाभ हासिल करने के लिए इसलिए माल की कीमत के संबंध में भ्रम की स्थिति स्वाभाविक है। निर्माताओं मनमाने ढंग से मूल्य तय करने और उपभोक्ताओं को उच्च लागत पर माल खरीद करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। बाट और माप (पैकेज्ड कमोडिटीज) नियम के तहत सभी पैक माल तरह के अपने वजन या मात्रा, नाम और निर्माता का पता, निर्माण की तिथि के रूप में पैकेज की सामग्री, पर कुछ आवश्यक जानकारी ले, और के मामले में होना चाहिए भोजन संकुल, ज़ाहिर है, तारीख से पहले सबसे अच्छा और अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी)। उपभोक्ता निर्माता द्वारा माल पर छपी अधिकतम कीमत खत्म करने के लिए चार्ज नहीं कर सकते हैं ताकि उपभोक्ता वस्तुओं (उत्पादन और अधिकतम खुदरा मूल्य की लागत का अनिवार्य मुद्रण) अधिनियम, २००६ के तहत, कुछ दिशा निर्देश प्रदान की गई है। ये दिशानिर्देश हैं: १. उपभोक्ता वस्तुओं सभी वस्तुओं और आइटम बिक्री के लिए बाजार में लाया जाता है और उपभोक्ताओं के उपयोग और उपभोग के लिए हैं मतलब; उत्पादन की लागत २. वस्तुओं के उत्पादन में निर्माता से सीधे या परोक्ष रूप से खर्च की लागत का मतलब है, ३.मुद्रण हिन्दी और अंग्रेजी और इसे बेचा जाता है जगह की स्थानीय भाषा में उत्पाद पर एक दृश्य जगह पर उत्पादन और खुदरा मूल्य की लागत की छपाई का मतलब है, और ४. अधिकतम खुदरा मूल्य उत्पाद उत्पाद पर लगाया सभी करों को शामिल करेगा खुदरा और इस तरह की कीमत में बेच दिया जाए, जिस पर इस तरह की कीमत का मतलब है। उपभोक्ता एजेंट / डीलर द्वारा नहीं मिल सकता है, ताकि कानून, उपभोक्ता वस्तुओं की पैकेजिंग पर उत्पादन और अधिकतम खुदरा मूल्य की लागत का मुद्रण करने के लिए निर्माताओं के लिए यह अनिवार्य कर दिया गया है। उपभोक्ताओं को अधिकतम खुदरा मूल्य और माल की वास्तविक कीमत के बीच अंतर पता करने के लिए यह आवश्यक है। अधिकतम खुदरा मूल्य सभी करों सहित है और एक खुदरा व्यापारी एमआरपी से कम कीमत पर बेच सकते हैं। एमआरपी अधिकतम खुदरा कि वस्तु के लिए अनुमति दी कीमत नहीं है और वास्तविक कीमत है और एक फुटकर बिक्री में अच्छी तरह से उसके मार्जिन एमआरपी में निर्मित कम कर सकते हैं क्योंकि वास्तव में उपभोक्ताओं को हमेशा एमआरपी से नीचे बेचने वाले खुदरा विक्रेताओं के लिए दिखना चाहिए। दूसरी तरफ, जबकि वास्तविक कीमत एमआरपी से के बारे में १०-१५ फीसदी कम हो सकता है। कभी कभी मुद्रित एमआरपी बिक्री मूल्य और एमआरपी के बीच का अंतर ३०-५० फीसदी ज्यादा के रूप में किया जा सकता है कि इतनी अधिक है। यह चिह्नित मूल्य से अधिक कीमत पर बेचने के लिए एक अपराध है। वास्तविक कीमत एमआरपी से के बारे में १०-१५ फीसदी कम हो सकता है, जबकि। कुछ समय यह उपभोक्ताओं को बाजार और यहां तक ​​कि उत्पादों की पैकेजिंग और गत्ते का डिब्बा पर लिखा एमआरपी देख बिना दुकानों से उत्पादों को ले जाना है कि पाया गया है। स्थिति यह है कि डीलर में खरीदार के लिए उत्पादों की कीमत में बताया और यह भी मैं डिस्काउंट दर पर देना होगा कि Sates। खरीदार पीछे से घर के लिए आता है जब एक ही खरीदने के बाद ही वह / वह पैकेजिंग और गत्ते का डिब्बा पर उल्लेख किया है माल की कीमत पहले से ही वह / वह छूट के बाद खरीदा है, जिस पर मूल्य की तुलना में कम है कि पाता है। बाट और माप (पैकेज्ड कमोडिटीज) नियमों के मानकों के तहत, निर्माताओं सभी पूर्व पैक माल पर खुदरा बिक्री, सभी करों एमआरपी समावेशी के लिए बने निर्दिष्ट करने के लिए है। यह उपभोक्ताओं पैक माल की कीमत के बारे में एजेंट / डीलर और दुकानदारों द्वारा गुमराह नहीं कर रहे हैं कि यह सुनिश्चित करने के लिए होती एक आवश्यकता है। ज्यादा किराया व्यापारी मुकदमा चलाया जा सकता है और अभियोजन पक्ष के पैकेज्ड कमोडिटीज बदल दिया है, जो कीमत भालू मामले में निर्माता के खिलाफ शुरू किया जा सकता है जिसके लिए एक अपराध है। उपर्युक्त मामले में, डीलर उपभोक्ता पैकेजिंग देख सकते हैं और एक उच्च एमआरपी उद्धृत नहीं कर सकता है कि इस तथ्य का लाभ लेता है। कभी कभी यह भी निर्माता एक उत्पादों की कीमत बढ़ जाती है और नई कीमत दरों पर पुराना स्टॉक / उत्पाद बेचता है और खरीदारों के कारण पूछें तो वे बस कीमत क्योंकि उत्पादन की लागत में कर्तव्यों या वृद्धि में परिवर्तन की वृद्धि हुई है, जवाब है कि ऐसा होता है और नए संकुल संशोधित एमआरपी ले। जाहिर है, इस नई कीमत फुटकर बिक्री के साथ पहले से ही शेयर करने के लिए लागू नहीं होता। खुदरा विक्रेताओं के ऐसा करने से एक अनुचित व्यापार व्यवहार है, भले ही नए संशोधित दर पर पुराने स्टॉक को बेचने की कोशिश कर रहा द्वारा एक त्वरित पैसा बनाने की कोशिश और जहां यह है। इसी तरह के मुद्दे पर एक शिकायतकर्ता शीर्ष उपभोक्ता अदालत के समक्ष एक शिकायत मामला दायर किया। शिकायत में शामिल मुद्दा शिकायतकर्ता एक उत्पाद अर्थात् तिरपाल, उसके द्वारा ९२ रुपये था खरीदा 'बच्चे शीट' पर उल्लेख मूल्य की खरीद करने के लिए गया था, लेकिन विक्रेता के साथ ११२ रुपये के लिए भुगतान करने के लिए उस से पूछा चादर की कीमत वास्तव में १२४ रुपये था, लेकिन यह तो चर्चा के बाद रुपये९२.

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अंग्रेज शासकों की सूची

इंग्लैण्ड रियासत में राजतंत्र की शुरुवात अल्फ्रेड महान और समाप्ति महारानी ऐन, ग्रेट ब्रिटेन की महारानी से हुई जब वो १७०७ में इंग्लैंड की राजशाही के स्कॉटलैंड की राजशाही से विलय के बाद बने ग्रेट ब्रिटेन राजशाही की महारानी बनीं। महारानी ऐन के बाद के शासकों के लिये देखें ब्रिटेन के शासक। हालांकि कुछ इतिहासकारा कुछ अन्य राजाओं को भी इंग्लैंड का पहला राजा मानने का तर्क देते हैं जो आंग्ल-सैक्सनों के राज्यों पर नियंत्रण रखने का माद्दा व चाहत रखते थे। उदाहरण के तौर पर, ओफ्फा, मर्सिया का राजा और वेसेक्स का राजा एग्बर्ट को कभी-२ प्रसिध लेखकों द्वारा इंग्लैंड के राजा के रूप में निरूपित किया जाता है। लेकिन हर इतिहासकार इससे सहमत भी नहीं हैं। आठवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में ओफ़्फा ने दक्षिणी इंग्लैंड पर आधिपत्य हासिल कर अलिया था लेकिन ये राज ७९६ ई॰ में उसकी मृत्यु के पहले ही खत्म हो गया।८२९ ई॰ में एग्बर्ट ने मर्सिया पर अधिकार कर लिया लेकिन जल्द ही इसे गँवा भी दिया। नवीं शताब्दी के अंत तक वेसेक्स सबसे प्रभावशाली आंग्ल-सैक्सन साम्राज्य था। इसका राजा अल्फ्रेड महान पश्चिमी मर्सिया का एक शक्तिशाली सामंत था। वह अपने लिये आंग्ल और सैक्सनों का राजा की उपाधि का प्रयोग करता था लेकिन उसने कभी भी पूर्वी और उत्तरी इंग्लैंड पर शासन नहीं किया। उसके बेटे एडवर्ड द एल्डर ने पूर्वी डेनलॉ पर विजय हासिल की लेकिन एडवर्ड का बेटे ऍथेल्स्तन ९२७ ई में नॉर्थम्ब्रिया पर विजय हासिल करके पूरे इंग्लैंड पर शासन करने वाला पहला राजा बना। आधुनिक इतिहासकारों ऍथेल्स्तन को ही इंग्लैंड का पहला राजा मानते हैं। वेल्स की रियासत का इंग्लैंड के साम्राज्य में रुडलैन का स्टैचुएट के अंतर्गत १२८४ में विलय कर दिया गया और १३०१ में राजा एडवर्ड प्रथम ने अपने ज्येष्ठ पुत्र, भविष्य के राजा एडवर्ड द्वितीय को वेल्स का राजकुमार के तौर पर प्रतिष्ठित किया। तभी से एडवर्ड तृतीय के अलावा अंग्रेज अधीराटों के सभी बड़े बेटों ने यह पद हासिल किया है। १६०३ ई में एलिज़ाबेथ प्रथम की निसंतान मृत्यु के बाद इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के सिंहासनों का स्कॉटलैंड का जेम्स ६ के शासन में एक निजी एकीकरण कर दिया गया। शाही ऐलान के साथ जेम्स ने स्वयं को ग्रेट ब्रिटेन का राजा घोषित कर दिया लेकिन ग्रेट ब्रिटेन जैसे किसी भी साम्राज्य का कानूनी तौर पर निर्माण १७०७ तक नहीं हुआ था। महारानी ऐन के शासन काल में १७०७ में हुए विलय के अधिनियमों के बाद इंग्लैंड कानूनी तौर पर स्कॉटलैंड के साथ जुड़ गया और इस तरह ग्रेट ब्रिटेन राजशाही का गठन हुआ। १८०१ में विलय के अधिनियम के तहत आयरलैंड राजशाही जो हेनरी द्वि॰ के समय से अंग्रेजी शासन के अधीन था ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की संयुक्त राजशाही में शामिल हो गया और १९२२ में आयरिश मुक्त राज्य के बनने तक इसका हिस्सा रहा। चूंकि उत्तरी आयरलैंड यूके के साथ रहा इसलिये इसके बाद से इस साम्राज्य को यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एंड नॉर्दर्न आयरलैंड के नाम से जानते हैं। .

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उपभोक्ता जागरुकता

उपभोक्ता जागरूकता एक उपभोक्ता के रूप में अपने अधिकारों के किसी व्यक्ति, समझ उपलब्ध उत्पादों और सेवाओं के विपणन किया जा रहा है और बेचा के विषय में एक उपभोक्ता के रूप में अपने अधिकारों के किसी व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है। इस अवधारणा की चार श्रेणियों के सहित सुरक्षा, पसंद, जानकारी, और सुना जाने का अधिकार शामिल है। उपभोक्ता अधिकारों की घोषणा सबसे पहले अमेरिका में 1962 में स्थापित की गयी थी। उपभोक्ता जागरूकता के कार्यकर्ता राल्फ नादेर है। उन्हे उपभोक तथा आंदोलन के पिता के रूप में संदर्भित किया जाता है। पूंजीवाद और वैश्वीकरण के इस युग में, अपने लाभ को अधिकतम करना प्रत्येक निर्माता का मुख्य उद्देश्य है। हर संभव तरह से यह निर्माता अपने उत्पादों की बिक्री को बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। इसलिए, अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिये वे उपभोक्ता के हित को भूल जाते है और अपने उदाहरण के लिए ज्यादा किराया, वजनी, मिलावटी और गरीब गुणवत्ता की वस् तुओं की बिक्री, झूठे विज्ञापन आदि देकर उपभोक्ताओं को गुमराह करने के तहत शोषण करते रेहते है। इस तरह के धोखे से खुद को बचाने के लिए, उपभोक्ता को चौकस रेहने की आवश्यकता है। इस तरह से, उपभोक्ता जागरूकता का मतलब है की उपभोक्ता अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूकता रखते है। .

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