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अंधक निकाय

सूची अंधक निकाय

अन्धक निकाय- हिंदू पौराणिक कथाओं पर आधारित है। अंधक निकाय (अंधक .

2 संबंधों: बौद्ध निकाय, अन्धक

बौद्ध निकाय

संस्कृत और पालि में निकाय का अर्थ 'संकलन', 'संग्रह', 'समुच्चय' या 'श्रेणी' होता है। इस शब्द का प्रयोग अधिकांशतः सुत्तपिटक के बौद्ध ग्रंथों के लिये किया जाता है। .

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अन्धक

अंधक निमंलिखित अर्थों में प्रयुक्त होता है- (१) अंधक निकाय - बौद्ध ग्रंथ (२) कश्यप और दिति का पुत्र एक दैत्य, जो पौराणिक कथाओं के अनुसार हजार सिर, हजार भुजाओं वाला, दो हजार आँखों और दो हजार पैरों वाला था। शक्ति के मद में चूर वह आँख रहते अंधे की भाँति चलता था, इसी कारण उसका नाम अंधक पड़ गया था। स्वर्ग से जब वह परिजात वृक्ष ला रहा था तब शिव द्वारा वह मारा गया, ऐसी पौराणिक अनुश्रुति है। (३) क्रोष्ट्री नामक यादव का पौत्र और युधाजित का पुत्र, जो यादवों की अंधक शाखा का पूर्वज तथा प्रतिष्ठाता माना जाता है। जैसे अंधक से अंधकों की शाखा हुई, वैसे ही उसके भाई वृष्णि से वृष्णियों की शाखा चली। इन्हीं वृष्णियों में कालांतर में वार्ष्णेय कृष्ण हुए। महाभारत की परंपरा के अनुसार अंधकों और वृष्णियों के अलग-अलग गणराज्य भी थे, फिर दोनों ने मिलकर अपना एक संघराज्य (अंधक-वृष्णि-संघ) स्थापित कर लिया था। अन्धक श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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