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अंग्रेज शासकों की सूची

सूची अंग्रेज शासकों की सूची

इंग्लैण्ड रियासत में राजतंत्र की शुरुवात अल्फ्रेड महान और समाप्ति महारानी ऐन, ग्रेट ब्रिटेन की महारानी से हुई जब वो १७०७ में इंग्लैंड की राजशाही के स्कॉटलैंड की राजशाही से विलय के बाद बने ग्रेट ब्रिटेन राजशाही की महारानी बनीं। महारानी ऐन के बाद के शासकों के लिये देखें ब्रिटेन के शासक। हालांकि कुछ इतिहासकारा कुछ अन्य राजाओं को भी इंग्लैंड का पहला राजा मानने का तर्क देते हैं जो आंग्ल-सैक्सनों के राज्यों पर नियंत्रण रखने का माद्दा व चाहत रखते थे। उदाहरण के तौर पर, ओफ्फा, मर्सिया का राजा और वेसेक्स का राजा एग्बर्ट को कभी-२ प्रसिध लेखकों द्वारा इंग्लैंड के राजा के रूप में निरूपित किया जाता है। लेकिन हर इतिहासकार इससे सहमत भी नहीं हैं। आठवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में ओफ़्फा ने दक्षिणी इंग्लैंड पर आधिपत्य हासिल कर अलिया था लेकिन ये राज ७९६ ई॰ में उसकी मृत्यु के पहले ही खत्म हो गया।८२९ ई॰ में एग्बर्ट ने मर्सिया पर अधिकार कर लिया लेकिन जल्द ही इसे गँवा भी दिया। नवीं शताब्दी के अंत तक वेसेक्स सबसे प्रभावशाली आंग्ल-सैक्सन साम्राज्य था। इसका राजा अल्फ्रेड महान पश्चिमी मर्सिया का एक शक्तिशाली सामंत था। वह अपने लिये आंग्ल और सैक्सनों का राजा की उपाधि का प्रयोग करता था लेकिन उसने कभी भी पूर्वी और उत्तरी इंग्लैंड पर शासन नहीं किया। उसके बेटे एडवर्ड द एल्डर ने पूर्वी डेनलॉ पर विजय हासिल की लेकिन एडवर्ड का बेटे ऍथेल्स्तन ९२७ ई में नॉर्थम्ब्रिया पर विजय हासिल करके पूरे इंग्लैंड पर शासन करने वाला पहला राजा बना। आधुनिक इतिहासकारों ऍथेल्स्तन को ही इंग्लैंड का पहला राजा मानते हैं। वेल्स की रियासत का इंग्लैंड के साम्राज्य में रुडलैन का स्टैचुएट के अंतर्गत १२८४ में विलय कर दिया गया और १३०१ में राजा एडवर्ड प्रथम ने अपने ज्येष्ठ पुत्र, भविष्य के राजा एडवर्ड द्वितीय को वेल्स का राजकुमार के तौर पर प्रतिष्ठित किया। तभी से एडवर्ड तृतीय के अलावा अंग्रेज अधीराटों के सभी बड़े बेटों ने यह पद हासिल किया है। १६०३ ई में एलिज़ाबेथ प्रथम की निसंतान मृत्यु के बाद इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के सिंहासनों का स्कॉटलैंड का जेम्स ६ के शासन में एक निजी एकीकरण कर दिया गया। शाही ऐलान के साथ जेम्स ने स्वयं को ग्रेट ब्रिटेन का राजा घोषित कर दिया लेकिन ग्रेट ब्रिटेन जैसे किसी भी साम्राज्य का कानूनी तौर पर निर्माण १७०७ तक नहीं हुआ था। महारानी ऐन के शासन काल में १७०७ में हुए विलय के अधिनियमों के बाद इंग्लैंड कानूनी तौर पर स्कॉटलैंड के साथ जुड़ गया और इस तरह ग्रेट ब्रिटेन राजशाही का गठन हुआ। १८०१ में विलय के अधिनियम के तहत आयरलैंड राजशाही जो हेनरी द्वि॰ के समय से अंग्रेजी शासन के अधीन था ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की संयुक्त राजशाही में शामिल हो गया और १९२२ में आयरिश मुक्त राज्य के बनने तक इसका हिस्सा रहा। चूंकि उत्तरी आयरलैंड यूके के साथ रहा इसलिये इसके बाद से इस साम्राज्य को यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एंड नॉर्दर्न आयरलैंड के नाम से जानते हैं। .

13 संबंधों: ऍडरेड, ऍथलस्टैन, एडमंड प्रथम, एडवर्ड ६, इंग्लैंड का राजा, एलिज़ाबेथ प्रथम, ऐन, ग्रेट ब्रिटेन की महारानी, ऐनी बोलिन, मैरी १, इंग्लैंड की रानी, यूनाइटेड किंगडम के शाही राजघराने, लेडी जेन ग्रे, शांतिदूत एडगर, ईडविग, इंग्लैंड का राजा, इंग्लैंड के हेनरी अष्टम्

ऍडरेड

ईडरेड या (ऍडरेड) (923 – 23 नवंबर 955) 946 से 955 तक अंग्रेजों का राजा था। .

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ऍथलस्टैन

ऍथलस्टैन (Æthelstan) (पुरानी अंग्रेजी: Æþelstan, Æðelstān, अर्थात "कुलीन पत्थर"; 894 – 27 अक्टूबर 939) ९२४ से ९२७ ई॰ तक ऐंग्लों-सक्सनों का राजा और ९२७ से ९३९ ई॰ तक अंग्रेजों का राजा था। वह राजा एडवर्ड द एल्डर और उसकी पहली पत्नी एग्व्यिन का बेटा था। आधुनिक इतिहासकार उसे इंग्लैंड का पहला राजा और ऐंग्लों-सैक्सनों के महानतम राजाओं में से एक मानते हैं। उसने कभी शादी नहीं की और उसके बाद उसका सौतेला भाई एडमंड प्रथम इंग्लैंड का राजा बना। जब एडवर्ड की जुलाई ९२४ ई॰ में मृत्यु हो गयी तब ऍथलस्टैन को मर्सिया के लोगों ने अपना राजा स्वीकार कर लिया। उसका सौतेले भाई ऍल्फवियर्ड संभवत: वेसेक्स का राजा घोषित हुआ था लेकिन अपने पिता की मृत्यु के कुछ ही दिनों बाद उसका भी देहांत हो गया। कुछ महीनों तक ऍथलस्टैन को वेसेक्स में गतिरोध झेलना पड़ा लेकिन सितम्बर ९२५ में वहाँ भी उसका राज्याभिषेक हो गया। ९२७ ई॰ में उसने अंतिम बचे हुए वाइकिंग साम्राज्य स्कैन्डिनेविया के यॉर्क पर भी आधिपत्य जमा लिया और पूरे इंग्लैंड में शासन करने वाला पहला आंग्ल-सैक्सन राजा बन गया। ९३४ में उसने स्कॉटलैंड पर धावा बोला और कॉन्स्टेनटाइन द्वितीय को हथियार डालने पर मजबूर कर दिया, लेकिन ऍथलस्टैन के शासन का वाइकिंगों और स्कॉटों ने भारी विरोध किया और सन् ९३७ में इंग्लैंड पर आक्रमण कर दिया। ऍथलस्टैन ने उन्हें ब्रुनान्बर की लड़ाई में हरा दिया। इस विजय ने उसे ब्रिटिश आइल्स और पूरे महाद्वीप में बहुत ख्याति दिलाई। ९३९ ई॰ में उसकी मृत्यु के पश्चात वाइकिंगों ने पुन: यॉर्क पर अधिकार कर लिया जिसे फिर ९५४ ई॰ में ही वापस पाया जा सका। ऍथलस्टैन ने सरकार का केंद्रीकरण कर दिया; उसने सरकारी अधिकारपत्रों के जारी होने पर अपना नियंत्रण स्थापित किया और विभिन्न क्षेत्रों के विद्वानों को अपनी परामर्श समिति और दरबार में जगह दी। उसकी दरबारी सभाओं में उसके अधिकार क्षेत्र के बाहर के राज्यों, खासकर वेल्स, के राजाओं की भी उपस्थिति होती थी जिन्होंने उसका आधिपत्य स्वीकार कर लिया था। उसके समय के अन्य राजाओं की तुलना में अधिक कानूनी दस्तावेज आज भी सुरक्षित बचे हुए हैं। ये दस्तावेज आपराधिक घटनाओं, लूट-पाट और सामाजिक असुरक्षा के विषयों पर उसकी गहरी रूचि और चिंता दर्शाते हैं। उसके कानूनी सुधार उसके दादा अल्फ्रेड महान के कानूनों पर आधारित थे। ऍथलस्टैन पश्चिमी सैक्सन राजाओं में सबसे धर्मपरायण था और उसे स्मारकों व गिरिजाघरों के निर्माण के लिये जाना जाता है। उसके शासनकाल में उसका घर अंग्रेजी शिक्षा का केंद्र था जिसने बाद में बेनेडिक्टियाई सूफीवादी सुधार की आधारशिला रखी। यूरोपीय राजनीति में ऍथलस्टैन के अलावा और किसी भी पश्चिमी सैक्सन राजा ने इतनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा नहीं की। उसने महाद्वीपीय राजाओं से अपनी बहनों की शादियों के प्रबंध किये और कई राजनीतिक मित्र बनाए। .

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एडमंड प्रथम

एडम्ंड प्रथम (Edmund I), (Ēadmund; 921 – 26 मई 946), जिसे ज्येष्ठ, न्यायप्रिय व बेहतरीन (the Elder, the Deed-doer, the Just, or the Magnificent), कहा जाता था सन ९३९ से अंग्रेजों का राजा था। वो एडवर्ड द एल्डर का बेटा और ऍथेल्स्तन का सौतेला भाई था। ऍथेल्स्तन की 27 अक्टूबर 939 को मृत्यु हो गयी थी और उसके बाद एडमंड उसके बाद राजा बना। .

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एडवर्ड ६, इंग्लैंड का राजा

एडवर्ड षष्टम, Edward VI (12 अक्टूबर 1537 – 6 जुलाई 1553) 28 जनवरी 1547 से अपनी मृत्यु तक आयरलैंड और इंग्लैंड का राजा था। २० फरवरी को ९ वर्ष की उम्र में उसका राज्याभिषेक किया गया था। हेनरी ८ और जेन सीमोर का पुत्र एडवर्ड ट्यूडर राजवंश का तीसरा शासक सम्राट था। प्रोटेस्टैंट विचारों के तहत शिक्षित होने और बड़ा होने वाला भी वो इंग्लैंड का पहला राजा था। एक किशोर होने के नाते एडवर्ड के शासनकाल में उसका साम्राज्य वास्तव में एक राज अधिकारी द्वारा शासित होता था। राज्याधिकारियों की इस समिति के पहले अध्यक्ष उसके मामा एडवर्ड सीमोर (1547–1549), और बाद में जॉन डुडली थे। एडवर्ड का शासनकाल इंग्लैंड में आर्थिक और सामाजिक विसंगतियों के लिये याद किया जाता है जिसके परिणामस्वरूप 1549 में वहाँ दंगे और विद्रोह होने लगे थे। स्कॉटलैंड के साथ एक बहुत ही महंगी लड़ाई जो पहले तो सफल रही लेकिन बाद में समझौतों और सेनाओं को पीछे खींचने पर और पिता द्वारा विजित बोलोग्न को शांति की स्थापना के लिये वापस फ्रांस को देने पर खत्म हुई। गिरिजाघर का आधिकारिक रूप से प्रोटेस्टैंट गिरिजाघर के रूप में पहचाना जाना भी एडवर्ड के ही शासनकाल में हुआ जो धार्मिक कार्यों में बहुत रूचि लेता था। हालांकि उसके पिता हेनरी अष्टम ने रोमन कैथोलिक गिरिजाघर और अंग्रेजी गिरिजाघर के बीच संबंध विच्छेद करवा दिया था लेकिन उसने कभी भी वहाँ पर कैथोलिक मान्यताओं व समारोहों के प्रचलन को बंद नहीं करवाया था। एडवर्ड के राज में प्रोटेस्टैंट विचारधारा को आधिकारिक मान्यता दी गई, पादरियों को अनिवार्य ब्र्हमचर्य से मुक्ति और अनिवार्य सामूहिक प्रार्थनाओं की समाप्ति के नियम बनाए गये। इन सुधारों के निर्माता कैंटरबरी के शीर्ष पादरी थॉमस क्रैनमर थे जिनकी लिखी पुस्तक आम प्रार्थना की पुस्तक (बुक ऑफ़ कॉमन प्रेयर) का उपयोग आज भी किया जाता है। फरवरी 1553 में 15 की उम्र में एडवर्ड बीमार पड़ गया। जब ऐसा लगा की उसकी बीमारी गंभीर है और वो नहीं बचेगा तब तब उसने अपनी सलाहकार समिति के साथ मिलकर तीसरा उत्तराधिकार कानून में परिवर्तन करने के लिये "उत्तराधिकार के लिये इच्छापत्र" तैयार किया जिसमें मैरी के सत्ता ग्रहण करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया ताकि देश बापस कैथोलिक धर्म की ओर ना जाए। एडवर्ड ने अपनी बुआ मैरी ट्यूडर की नातिन लेडी जेन ग्रे, को अपना उत्तराधिकारी बना दिया और अपनी सौतेली बहनों मैरी १ और एलिज़ाबेथ प्रथम को उत्तराधिकार पंक्ति से हटा दिया। हालांकि एडवर्ड की मृत्यु के पश्चात इस फैसले को चुनौती दी गई और जेन को १३ दिनों के अंदर मैरी ने पदच्युत कर दिया। इसलिये जेन को नौ दिनों की रानी भी कहा जाता है। रानी के तौर पर मैरी ने एडवर्ड द्वारा किये गये सभी प्रोटेस्टैंट बदलावों को पलट दिया जो कि बाद में 1559 के एलिज़ाबेथ के धार्मिक समाधान (एलिज़बेथिअन रिलीज़ियस सेटलमेंट) का आधार बने। .

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एलिज़ाबेथ प्रथम

एलिज़ाबेथ प्रथम (Elizabeth I, जन्म: ७ सितम्बर १५३३, मृत्यु: २४ मार्च १६०३) इंग्लैंड और आयरलैंड की महारानी थीं, जिनका शासनकाल १७ नवम्बर १५५८ से उनकी मौत तक चला। यह ब्रिटेन के ट्युडर राजवंश की पाँचवी और आख़री सम्राट थीं। इन्होनें कभी शादी नहीं की और न ही इनकी कोई संतान हुई इसलिए इन्हें "कुंवारी रानी" (virgin queen, वर्जिन क्वीन) के नाम से भी जाना जाता था। यह ब्रिटेन के सम्राट हेनरी अष्टम की बेटी होने के नाते जन्म पर एक राजकुमारी थीं, लेकिन इनके जन्म के ढाई साल बाद ही इनकी माता, ऐन बोलिन (Anne Boleyn) को मार दिया गया और इन्हें नाजायज़ घोषित कर दिया गया। १५५३ तक इनके सौतेले भाई एडवर्ड ६ के शासनकाल के बाद इनकी बहन मैरी १ ने शासन संभाला। मैरी के संतानरहित होने के बाद एलिज़ाबेथ ने १७ नवंबर १५५८ को अंग्रेजी सिंहासन की बागडोर संभाली। इन्होने अपने इर्द-गिर्द बहुत से समझदार व्यक्तियों को मंत्री-परिषद में रखा जिस से ब्रिटेन सुव्यवस्थित हुआ। इन्होनें इंग्लैंड में "इंग्लिश प्रोटेस्टैंट चर्च" की नींव रखी और स्वयं को उसका अध्यक्ष बना लिया। इस से वे ब्रिटेन की राजनैतिक नेता और धार्मिक नेता दोनों बन गई। इस से रोमन कैथोलिक शाखा का पोप नाराज़ हो गया। वह ब्रिटेन को धार्मिक मामलों में अपने अधीन एक कैथोलिक राष्ट्र मानता था। उसने १५७० में यह आदेश दिया की ब्रिटेन के नागरिकों को एलिज़ाबेथ से वफ़ादारी करने की कोई आवश्यकता नहीं है। इस से ब्रिटेन के कैथोलिक समुदाय से एलिज़ाबेथ के ख़िलाफ़ बहुत से हमले हुए और कई विद्रोह भड़के, लेकिन एलिज़ाबेथ अपने मंत्रियों की गुप्तचर सेवा की मदद से सत्ता पर बनी रहीं। १५८८ में पोप के आग्रह पर स्पेन (जो एक कैथोलिक राष्ट्र था) ने ब्रिटेन पर एक समुद्री जहाज़ों का बड़ा लेकर आक्रमण करने की कोशिश करी। इस आक्रमण को "स्पेनी अर्माडा" कहा जाता है। एलिज़ाबेथ की नौसेना ने उसे हरा दिया और यह जीत इंग्लैण्ड की सब से ऐतिहासिक जीतों में से एक मानी जाती है। एलिज़ाबेथ के शासनकाल को एलिज़ाबेथेन एरा यानी एलिज़ाबेथ का युग के नाम से भी जाना जाता है। वो अपने शासन में अपने पिता व भाई बहन के मुकाबले ज्यादा उदार थीं। उनकी बहन मैरी ने सैकणों प्रोटेस्टैंटों को मरवा दिया था जिसकी वजह से उसे खूनी मैरी के नाम से भी जाना जाता है। एलिज़ाबेथ ने ऐसा कोई काम नहीं किया। वह लोकप्रिय शासक के रूप में जानी जाती थीं। एलिज़ाबेथ के काल में ब्रिटिश साहित्य और नाटककार फले-फूले, जिनमें विलियम शेक्सपीयर और क्रिस्टोफ़र मार्लोवे के नाम सब से नुमाया हैं। उनके दौर में ब्रिटेन के नौसैनिक दूर-दूर खोज-यात्राओं में निकले। फ़्रांसिस ड्रेक ने उत्तर अमेरिका की यात्रा करी। माना जाता है कि उनके ४४ साल के राज से ब्रिटेन में एक शक्तिशाली राष्ट्रीय भावना फैल गई जिसने आगे चलकर ब्रिटेन को विश्व का सब से शक्तिशाली देश बनने में योगदान दिया। वह ऐसे समय में अपना सिंहासन बचाते हुए लंबे समय तक एक सफल शासन दे सकीं जब पड़ोसी राज्यों के शासक अंदरूनी विवादों में उलझे रहे और अपनी सत्ता गंवाते रहे, जैसे कि उनकी भतीजी व स्कॉटलैंड की रानी मैरी जिसे उन्होंने अपने खिलाफ षडयंत्र रचने के अपराध में १५६८ में मृत्युदंड दे दिया। कुछ इतिहासकार उन्हें चिड़चिड़ा व जल्द कोई फैसला ना ले पाने वाला शासक मानते हैं और उन्हें उनकी काबिलियत से ज्यादा भाग्यशाली बताते हैं। .

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ऐन, ग्रेट ब्रिटेन की महारानी

ऐन (Anne, 6 फरवरी 1665 – 1 अगस्त 1714) इंग्लैंड के राजा जेम्स २ की दूसरी बेटी थी जो ०८ मार्च १७०२ को इंग्लैण्ड, स्कॉटलैण्ड तथा आयरलैण्ड की महारानी बनी। इन्हीं के शासनकाल में १७०७ में विलय के कानून के तहत इंग्लैण्ड और स्कॉटलैण्ड मिलकर ग्रेट ब्रिटेन बने। वह मृत्युपर्यन्त ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैण्ड की राष्ट्राध्यक्ष बनी रही। इनकी कोई जीवित संतान नहीं थी और इसलिये कोई उत्तराधिकारी ना होने की वजह से ऐन स्टुअर्ट राजवंश की अंतिम शासक थीं। .

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ऐनी बोलिन

ऐनी बोलिन या (c.1501/1507 - 19 मई 1536) 1533 से 1536 तक इंग्लैंड के हेनरी अष्टम की दूसरी पत्नी और अपने आप में स्वंय और अपने वंशजों के लिए प्रथम मारकेस ऑफ़ पेमब्रोक थी। ऐनी के साथ हेनरी की शादी और उसके बाद उसके वध ने उसे धार्मिक और राजनीतिक उथल-पुथल जो अंग्रेज़ी सुधारान्दोलन का प्रारम्भ था, का महत्वपूर्ण व्यक्तित्व बना दिया.

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मैरी १, इंग्लैंड की रानी

मैरी प्रथम (18 फरवरी 1516 – 17 नवंबर 1558), इंग्लैंड और आयरलैंड की जुलाई 1553 से अपनी मृत्यु तक रानी थीं। अपने शासनकाल में प्रोटेस्टैंटों को दी गई मौत की जघन्य सजाओं ने उन्हें खूनी मैरी यानि "Bloody Mary" के नाम से भी बदनाम कर दिया। बचपन पार कर युवा होने वाली मैरी हेनरी अष्टम और उनकी पहली पत्नी एरागॉन की कैथरीन की एकमात्र संतान थीं। उनसे छोटे सौतेले भाई एडवर्ड ६ (हेनरी और जेन सेमोर के पुत्र) अपने पिता के बाद 1547 में अंग्रेजी सिंहासन के उत्तराधिकारी बने। 1553 में एडवर्ड के बीमार पड़ने पर उसने मैरी को धार्मिक मतभिन्नता की वजह से सिंहासन के उत्तराधिकार सूची से हटाने की कोशिश की। उसकी मृत्यु पर पहले उसकी बुआ लेडी जेन ग्रे को सर्वप्रथम रानी घोषित किया गया। मैरी ने पूर्वी एंग्लिया में एक सैन्य बल इकट्ठा किया और जेन को सफलतापूर्वक हटा दिया और जिसे अंतत: मौत की सजा दे दी गई। जेन के शासन के विवादत दावों साम्राज्ञी मटिल्डा के अलावा— इंग्लैंड की पहली रानी शासक थीं। 1554 में मैरी ने स्पेन के फिलिप २ से शादी करके 1556 में हैब्स्बर्ग स्पेन की पटरानी भी बनीं। ट्यूडर राजवंश के चौथे शासक के रूप में मैरी को इंग्लैंड में अपने सौतेले भाई और प्रोटेस्टैंट विचारों वाले एडवर्ड ६ के छोटे से शासनकाल के खत्म होने के बाद रोमन कैथोलिक धर्म की पुनर्स्थापना के लिये जाना जाता है। अपने पांच वर्षों के कार्यकाल के दौरान मैरी ने 280 प्रोटेस्टैंटों को जिंदा जलवा दिया। रोमन कैथोलिक धर्म का उनका पुनर्स्थापन उनकी सौतेली बहन और 1558 में उनकी मृत्यु के बाद इंग्लैंड पर राज करने वाली हेनरी व एन बोलिन की संतान एलिज़ाबेथ प्रथम ने पलट दिया। Waller, p. 16; Whitelock, p. 9 before Mary's birth, four previous pregnancies had resulted in a stillborn daughter and three short-lived or stillborn sons, including Henry, Duke of Cornwall.

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यूनाइटेड किंगडम के शाही राजघराने

ब्रिटिश द्वीप समूह का नक्शा (उपग्रह चित्र) इस पृष्ठ में यूनाइटेड किंगडम के विभिन्न राजघरानों व उनके शासन की संक्षिप्त सूची है। ध्यान रहे, यूके के राजघरानों को ब्रिटिश राजघराने भी कहते हैं क्यूंकि ये सब ब्रिटिश द्वीप समूह में थे। लेकिन इन सभी ने इंग्लैंड पर शासन किया हो यह जरूरी नहीं हैं।.

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लेडी जेन ग्रे

लेडी जेन ग्रे (–), को लेडी जेन डुडली या नौ दिनों की रानी, भी कहा जाता है एक कुलीन घराने की अंग्रेज महिला थी और वास्तविकता में 10 जुलाई से 19 जुलाई 1553 ई॰ तक इंग्लैंड की रानी थीं। अपनी नानी मैरी ट्यूडर के जरिये हेनरी ७, इंग्लैंड का राजा की वंशज जेन एडवर्ड षष्टम की बुआ की बेटी थीं। मई 1553 में उन्होंने एडवर्ड के मुख्य मंत्री जॉन डुडली के पुत्र लॉर्ड गिल्डफोर्ड डुडली से विवाह कर लिया था। जब 15 वर्षीय राजा एडवर्ड जून 1553 में मृत्युशैय्या पर था तब उसने अपनी फुफेरी बहन जेन को अपनी वसीयतनामे में अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। इस तरह से उसकी सौतेली बहनों मैरी १ और एलिज़ाबेथ प्रथम को उत्तराधिकार की पंक्ति से हटा दिया जो उनके पिता हेनरी ८ ने उन्हें तीसरा उत्तराधिकार कानून के तहत उनको दिया हुआ था। ९ दिन बाद 19 जुलाई 1553 को जब रानी की सलाहकार समिति प्रिवि काउंसिल ने अपना मन बदल के कैथोलिक विचारों वाली मैरी को समर्थन करना प्रारंभ कर दिया तो जेन को पदच्युत करके मैरी को रानी घोषित कर दिया गया और एडवर्ड की वसीयत को अमान्य कर दिया गया। नवम्बर में जेन को देशद्रोह का दोषी घोषित करके लंदन टावर मृत्युदंड देने के लिये ले जाया गया लेकिन बाद में उसे क्षमा कर दिया गया। लेकिनजनवरी और फरवरी 1554 में व्याट का विद्रोह जो कि रानी मैरी के स्पेन के फिलिप द्वितीय से विवाह के खिलाफ हुआ था की वजह से जेन और उसके पति दोनों की मृत्यु का कारण बना। लेडी जेन ग्रे एक बहुत ही प्रतिभाशाली और मानवतावादी शिक्षा प्राप्त महिला थीं और अपने जमाने कि सर्वाधिक पढी-लिखी महिलाओं में गिनी जाती थीं। दृढ प्रोटेस्टैंट विचारधारा वाली जेन को मरणोपरान्त राजनीति पीड़ित व सुधारवादी शहीद का दर्ज़ा मिला। .

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शांतिदूत एडगर

एडगर प्रथम (Ēadgār; 943 – 8 जुलाई 975), जिसे शांतिदूत एडगर (Edgar the Peaceful or the Peaceable), के नाम से भी जाना जाता है, सन ९५९ से ९७५ ई.पू.

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ईडविग, इंग्लैंड का राजा

ईडविग, 'Eadwig, अन्य वर्तनी ऍडविग, ऍडवी (मृत्यु 1 अक्टूबर 959), सामान्यत: जिसे द ऑल फेयर (भोलाभाला) भी कहते हैं, ९५५ ई. से ९५९ ई. में अपनी मृत्यु तक अंग्रेजों का राजा था। एडमंड प्रथम और उनकी रानी शाफ्ट्सबरी की ऍल्फगिफु का ज्येष्ठ पुत्र ईडविग अपने चाचा ईडरेड की मृत्यु के पश्चात सन ९५५ में इंग्लैंड का राजा बना। उसका लघु शासन गिरिजाघर के पादरियों और अन्य कुलीन व्यक्तियों जैसे डंस्टन और प्रमुख पादरी ओडा के साथ झगडों के कारण प्रख्यात रहा। ईडविग की चार वर्षों के लघु शासन के बाद सन् 959 में मृत्यु हो गयी। उसे राजधानी विनचेस्टर में दफनाया गया। उसका भाई शांतिदूत एडगर उसका उत्तराधिकारी बना। .

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इंग्लैंड के हेनरी अष्टम्

हेनरी अष्टम (28 जून 1491-28 जनवरी 1547) 21 अप्रैल 1509 से अपनी मृत्यु तक इंग्लैंड के राजा थे। वे लॉर्ड ऑफ आयरलैंड (बाद में किंग ऑफ आयरलैंड) तथा फ्रांस के साम्राज्य के दावेदार थे। हेनरी ट्यूडर राजघराने के दूसरे राजा थे, जो कि अपने पिता हेनरी सप्तम के बाद इस पद पर आसीन हुए। अपने छः विवाहों के अलावा, हेनरी अष्टम चर्च ऑफ इंग्लैंड को रोमन कैथोलिक चर्च से पृथक करने में उनके द्वारा निभाई गई भूमिका के लिये भी जाने जाते हैं। रोम के साथ हेनरी के संघर्षों का परिणामस्वरूप पोप के प्रभुत्व से चर्च ऑफ इंग्लैंड का पृथक्करण हुआ और मठों का विघटन हो गया और उन्होंने स्वयं को चर्च ऑफ इंग्लैंड के सर्वोच्च प्रमुख (Supreme Head of the Church of England) के रूप में स्थापित कर लिया। उन्होंने धार्मिक आयोजनों व रस्मों को बदल दिया तथा मठों का दमन किया और साथ ही वे कैथलिक धर्मशास्त्र की मूल-शिक्षाओं के समर्थक बने रहे, यहां तक कि रोमन कैथलिक चर्च के साथ उनके निष्कासन के बाद भी। वेल्स ऐक्ट्स (Wales Acts) 1535-1542 के कानूनों के साथ हेनरी ने इंग्लैंड और वेल्स के वैधानिक मिलन का निर्देशन किया। अपनी युवावस्था में हेनरी एक आकर्षक और करिश्माई पुरुष थे, शिक्षित व परिपूर्ण.

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