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अंग (शारीरिकी)

सूची अंग (शारीरिकी)

जीवविज्ञान (biology) की दृष्टि से एक विशिष्ट कार्य करने वाले उत्तकों के समूह को अंग (organ) कहते हैं। .

14 संबंधों: चोंच, पुष्प, प्राणी, मलोत्सर्ग प्रणाली, शीतजैविकी, संकीर्णता (स्टेनोसिस), सकल विकृतिविज्ञान, हाइपरप्लासिया, हृदय, वायुशय, आत्महत्या के तरीके, अंग, अंग तंत्र, उद्दीपक (शरीरविज्ञान)

चोंच

चोंच (bill) पक्षियों के मुख का एक शारीरिक अंग होता है जिसे रक्षा व आक्रमण करने, वस्तुओं व ग्रास को पकड़ने, स्वयं को स्वच्छ रखने, शिशुओं को खाना देने, चीज़ें टटोलने और प्रणय-क्रियाओं के लिए प्रयोग किया जाता है। यह लगभग उसी स्थान पर होता है जहाँ कुछ अन्य प्राणियों का थूथन होता है। अलग-अलग जातियों की चोंचों में आकार, रंग व ढांचे का बहुत अंतर होता है लेकिन उनकी मूल संरचना एक समान होती है। एक हड्डीदार ऊपरी और एक निचला हिस्सा होता है जिसपर त्वचा की एक केराटिन-युक्त परत होती है - जीववैज्ञानिक इस परत को "राम्पोथेका" (Rhamphotheca) कहते हैं। अधिकतर जातियों में चोंच पर सांस लेने के लिए दो छिद्र भी होते हैं। .

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पुष्प

flower bouquet) पर चित्रकारी रेशम पर स्याही और रंग, १२ वीं शताब्दी की अंत-अंत में और १३ वीं शताब्दी के प्रारम्भ में. पुष्प, अथवा फूल, जनन संरचना है जो पौधों में पाए जाते हैं। ये (मेग्नोलियोफाईटा प्रकार के पौधों में पाए जाते हैं, जिसे एग्नियो शुक्राणु भी कहा जाता है। एक फूल की जैविक क्रिया यह है कि वह पुरूष शुक्राणु और मादा बीजाणु के संघ के लिए मध्यस्तता करे। प्रक्रिया परागन से शुरू होती है, जिसका अनुसरण गर्भधारण से होता है, जो की बीज के निर्माण और विखराव/ विसर्जन में ख़त्म होता है। बड़े पौधों के लिए, बीज अगली पुश्त के मूल रूप में सेवा करते हैं, जिनसे एक प्रकार की विशेष प्रजाति दुसरे भूभागों में विसर्जित होती हैं। एक पौधे पर फूलों के जमाव को पुष्पण (inflorescence) कहा जाता है। फूल-पौधों के प्रजनन अवयव के साथ-साथ, फूलों को इंसानों/मनुष्यों ने सराहा है और इस्तेमाल भी किया है, खासकर अपने माहोल को सजाने के लिए और खाद्य के स्रोत के रूप में भी। .

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प्राणी

प्राणी या जंतु या जानवर 'ऐनिमेलिया' (Animalia) या मेटाज़ोआ (Metazoa) जगत के बहुकोशिकीय और सुकेंद्रिक जीवों का एक मुख्य समूह है। पैदा होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण (metamorphosis) की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जंतु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। ज्यादातर जंतु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे जीने के लिए दूसरे जंतु पर निर्भर रहते हैं। अधिकतम ज्ञात जंतु संघ 542 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए। .

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मलोत्सर्ग प्रणाली

मलोत्सर्ग प्रणाली एक निष्क्रिय जैविक प्रणाली है जो जीवों के भीतर से अतिरिक्त, अनावश्यक या खतरनाक पदार्थों को हटाती है, ताकि जीव के भीतर होमीयोस्टेसिस को बनाए रखने में मदद मिल सके और शरीर के नुकसान को रोका जा सके। यह चयापचय के अपशिष्ट उत्पादों और साथ ही साथ अन्य तरल और गैसीय अपशिष्ट के उन्मूलन के लिए जिम्मेदार है। चूंकि अधिकांश स्वस्थ रूप से कार्य करने वाले अंग चयापचय सम्बंधी और अन्य अपशिष्ट उत्पादित करते हैं, संपूर्ण जीव इस प्रणाली के कार्य करने पर निर्भर करता है; हालांकि, केवल वे अंग जो विशेष रूप से उत्सर्जन प्रक्रिया के लिए होते हैं उन्हें मलोत्सर्ग प्रणाली का एक हिस्सा माना जाता है। चूंकि इसमें कई ऐसे कार्य शामिल हैं जो एक दूसरे से केवल ऊपरी तौर पर संबंधित हैं, इसका उपयोग आमतौर पर शरीर रचना या प्रकार्य के और अधिक औपचारिक वर्गीकरण में नहीं किया जाता है। .

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शीतजैविकी

शीतजैविकी (Cryobiology) जीव विज्ञान की वह शाखा है जिसमें पृथ्वी के हिममण्डल (क्रायोस्फ़ीयर) और अन्य ठंडें स्थानों पर उपस्थित कम तापमान के जीवों पर होने वाले प्रभाव का अध्ययन करा जाता है। इसमें प्रोटीन, कोशिकाओं, ऊतकों, अंगों और पूरे जीव शरीरों पर (हाईपोथर्मिया से लेकर निम्नतापिकी तक) साधारण से कम तापमान के असर को परखा-समझा जाता है। .

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संकीर्णता (स्टेनोसिस)

संकीर्णता (बहुवचन: संकीर्णताएं; प्राचीन यूनानी शब्द στένωσις, अर्थात "संकुचन" से), रक्त वाहिका या अन्य नलीदार अंगों अथवा संरचनाओं के असामान्य संकुचन को कहते हैं। इसे कभी-कभार निकोचन (स्ट्रिकचर) (जैसे कि मूत्रमार्ग निकोचन) भी कहा जाता है। निकुंचन (कोआर्कटेशन) इसका पर्यायवाची शब्द है, लेकिन इसे सामान्यतः केवल महाधमनी से संबंधित निकुंचन (एओर्टिक कोआर्कटेशन) के सन्दर्भ में ही इस्तेमाल किया जाता है। .

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सकल विकृतिविज्ञान

सकल विकृतिविज्ञान (Gross pathology) शरीर के अंगों, ऊतकों (टिशूओं) और शारीरिक विविरों में रोगों के स्थूलदर्शी (macroscopic, यानि बिना सूक्ष्मदर्शी के दिख सकने वाले) प्रभावों को कहते हैं। इन्हें सकल निरीक्षण में देखकर चिकित्सक रोगों के बारे में अनुमान लगा सकते हैं। उदाहरण के लिए किसी सिस्ट के आकार, रूप और रंग को देखकर चिकित्सक उसके किसी रोग विशेष से सम्बन्धित होने का अंदाज़ा लगा सकते हैं। .

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हाइपरप्लासिया

हाइपरप्लासिया या अतिवर्धन (या "अतिजननता") एक सामान्य शब्द है जो किसी अंग या ऊतक के भीतर कोशिकाओं की वृद्धि को संदर्भित करता है जिसके परे इसे सामान्य रूप से देखा जाता है। हाइपरप्लासिया (अतिविकसन) के परिणामस्वरूप किसी अंग की अति वृद्धि हो सकती है एवं इस शब्द को कभी-कभी सुसाध्य नीओप्लासिया/सुसाध्य ट्यूमर (अर्बुद) के साथ मिश्रित किया जाता है। हाइपरप्लासिया उद्दीपन के प्रति एक सामान्य पूर्व-नीओप्लास्टिक प्रतिक्रिया है। सूक्ष्मदर्शी रूप से कोशिकाएं सामान्य कोशिकाओं के समान होती हैं लेकिन वे संख्याओं में बढ़ी हुई होती हैं। कभी-कभी कोशिकाएं आकार में भी बढ़ी हुई (हाइपरट्रॉफिया-अतिवृद्धि) हो सकती हैं। हाइपरप्लासिया, अतिवृद्धि से इस अर्थ में भिन्न होती है कि अतिवृद्धि में अनुकूल कोशिका परिवर्तन के रूप में कोशिका के आकार में परिवर्तन होता है, जबकि हाइपरप्लासिया में कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि होती है।हाइपरप्लासिया तथा हाइपरट्रॉफी के बीच अंतर को दिखाने के लिए एक सरल उदाहरण. .

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हृदय

कोरोनरी धमनियों के साथ मानव हृदय. हृदय या हिया या दिल एक पेशीय (muscular) अंग है, जो सभी कशेरुकी (vertebrate) जीवों में आवृत ताल बद्ध संकुचन के द्वारा रक्त का प्रवाह शरीर के सभी भागो तक पहुचाता है। कशेरुकियों का ह्रदय हृद पेशी (cardiac muscle) से बना होता है, जो एक अनैच्छिक पेशी (involuntary muscle) ऊतक है, जो केवल ह्रदय अंग में ही पाया जाता है। औसतन मानव ह्रदय एक मिनट में ७२ बार धड़कता है, जो (लगभग ६६वर्ष) एक जीवन काल में २.५ बिलियन बार धड़कता है। इसका भार औसतन महिलाओं में २५० से ३०० ग्राम और पुरुषों में ३०० से ३५० ग्राम होता है। .

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वायुशय

वायुशय (swim bladder, gas bladder) एक भीतरी गैस-भरा अंग होता है जिसके प्रयोग से हड्डीदार मछलियाँ अपने उत्प्लावन (बोयेंसी) पर नियंत्रण रखती हैं। इसके प्रयोग से वह बिना सक्रीय रूप से तैरे किसी मनचाही गहराई पर स्थाई रूप से ठहर सकती हैं। इसके विपरीत उपास्थिदार मछलियाँ वायुशय-रहित होती हैं और अगर वे न तैरें तो धीरे-धीरे नीचे जाती चली जाती हैं (हालांकि कुछ के शरीर में चर्बी के भंडार होते हैं जो उन्हें कुछ हद तक डूबने से बचाते हैं)। वायुशय के दो अन्य लाभ भी हैं। प्रथम, इसकी उपस्थिति से मछली का संहति-केन्द्र उसके आयतन-केन्द्र से नीचे होता है, जिस से उस के शरीर को स्थायित्व मिलता है। दूसरा, वायुशय में हवा खिसकाने से मछली ध्वनियाँ उत्पन्न कर सकती है, जिसे वह अपनी जाति की अन्य मछलियों से संचार के लिए प्रयोग कर सकती हैं। .

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आत्महत्या के तरीके

आत्महत्या का तरीके खोजने वालों को भारत में आसरा नामक संस्था परामर्श देती हैं जिसका दूरभाष क्रमांक 022 2754 6669 है। उस संस्था का अधिकृत जालस्थान www.aasra.info है। आत्महत्या का तरीका ऐसी किसी भी विधि को कहते हैं जिसके द्वारा एक या अधिक व्यक्ति जान-बूझकर अपनी जान ले लेते हैं। आत्महत्या के तरीकों को जीवन लीला समाप्त करने की दो विधियों के अनुसार वर्गीकृत किया जा सकता है: शारीरिक या रासायनिक.

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अंग

* अंग महाजनपद.

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अंग तंत्र

तंत्र का एक उदाहरण - तंत्रिका तंत्र; इस चित्र में दिखाया गया है कि यह तंत्र मूलत: चार अंगों से मिलकर बना है: मस्तिष्क, प्रमस्तिष्क (cerebellum), मेरुदण्ड (spinal cord) तथा तंत्रिकाएं (nerve) नाना प्रकार के ऊतक (tissue) मिलकर शरीर के विभिन्न अंगों (organs) का निर्माण करते हैं। इसी प्रकार, एक प्रकार के कार्य करनेवाले विभिन्न अंग मिलकर एक अंग तंत्र (organ system) का निर्माण करते हैं। कई अंग तंत्र मिलकर जीव (जैसे, मानव शरीर) की रचना करते हैं। .

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उद्दीपक (शरीरविज्ञान)

शरीरविज्ञान में उद्दीपक (stimulus) बाहरी या भीतरी परिवेश में हुए ऐसे किसी प्रतीत हो सकने वाले बदलाव को कहते हैं। उद्दीपन के जवाब में किसी जीव या अंग की प्रतिक्रिया करने की क्षमता को संवेदनशीलता (sensitivity) कहते हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

शारीरिक अंग, अंग (शरीर रचना)

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