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अंकीय संकेत प्रक्रमण

सूची अंकीय संकेत प्रक्रमण

संकेत प्रक्रमण या संकेत प्रसंस्करण दो तरह से किया जाता है.

15 संबंधों: एम्बेडेड सिस्टम, एसिक, डिजिटल सिगनल प्रोसेसर, डिजिटल सिग्नल प्रोसेसर, त्वरित फुरिअर रूपान्तर, फिल्टर, बेस गिटार, रैखिक समीकरण निकाय, सिमूलिंक, संगणक अभियान्त्रिकी, संकेत प्रसंस्करण, सैटलाइट रेडियो, जेड रूपान्तर, कलन-विधियों की सूची, अंकीय इलेक्ट्रॉनिकी

एम्बेडेड सिस्टम

ADSL मॉडेम/रूटर के आतंरिक भागों का चित्र.अंतःस्थापित प्रणाली का एक आधुनिक उदाहरण.लेबल वाले हिस्सों में एक माइक्रोप्रोसेसर (4), रैम (6) और फ्लैश मेमोरी (7) शामिल है। एम्बेडेड सिस्टम एक कम्प्यूटर सिस्टम है, जिसे अक्सर रीयल-टाइम कम्प्यूटिंग की बाध्यताओं के साथ एक या कुछ समर्पित कार्यों को करने के लिए बनाया जाता है। यह पूरे उपकरण के एक भाग में एम्बेडेड (अंत:स्थापित) होता है, जिसमें अक्सर हार्डवेयर तथा यांत्रिक भाग शामिल होते हैं। इसके विपरीत, सामान्य उद्देश्य वाले किसी कम्प्यूटर, जैसे पर्सनल कम्प्यूटर, की रचना लचीला होने और अंतिम-प्रयोक्ता की आवश्यकताओं की एक वृहद श्रेणी की पूर्ति करने के लिए की जाती है। एम्बेडेड सिस्टम वर्तमान में प्रयोग किये जाने वाले अनेक उपकरणों को नियंत्रित करते हैं। एम्बेडेड सिस्टम को मुख्य प्रोसेसिंग के एक या अधिक अंतर्भागों, विशिष्टत: एक माइक्रोकंट्रोलर या एक डिजिटल सिग्नल प्रोसेसर (DSP), द्वारा नियंत्रित किया जाता है। हालांकि इसकी मुख्य विशेषता किसी एक विशिष्ट कार्य को संभालने के लिए समर्पित होना है, जिसमें अत्यधिक शक्तिशाली प्रोसेसर्स की आवश्यकता हो सकती है। उदाहरण के लिए, हवाई यातायात नियंत्रण प्रणालियों को एम्बेडेड के रूप में देखना उपयोगी हो सकता है, हालांकि उनमें मेनफ्रेम कम्प्यूटर तथा हवाई-अड्डों और राडार स्थानों के बीच क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय समर्पित नेटवर्क शामिल होते हैं। (संभवत: प्रत्येक राडार में अपने स्वयं के एक या एक से अधिक एम्बेडेड सिस्टम्स शामिल होते हैं।) चूंकि एम्बेडेड सिस्टम विशिष्ट कार्यों के प्रति समर्पित होता है, अतः डिजाइन इंजीनियर्स, उत्पाद के आकार व लागत को घटाकर तथा विश्वसनीयता एवं प्रदर्शन को बढ़ाकर इसे अधिक उपयोगी बना सकते हैं। पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं (Economies of scale) से लाभ उठाते हुए कुछ एम्बेडेड सिस्टम्स का उत्पादन बड़े-पैमाने पर किया जाता है। भौतिक रूप से, एम्बेडेड सिस्टम, वहनीय उपकरणों, जैसे डिजिटल घड़ियों तथा MP3 प्लेयर्स, से लेकर बड़ी स्थिर संस्थापनाओं, जैसे यातायात बत्तियों, कारखानों के नियंत्रकों अथवा परमाणु ऊर्जा केन्द्रों, तक की श्रेणी में होते हैं। जटिलता का स्तर एकल माइक्रोकंट्रोलर चिप के लिए निम्न जटिलता से लेकर किसी बड़े ढांचे (Chassis) या घेरे में लगी अनेक इकाइयों, उपकरणों तथा नेटवर्क्स के लिए उच्च जटिलता तक होता है। सामान्यत: "एम्बेडेड सिस्टम" शब्दावली की कोई सटीक परिभाषा नहीं दी जा सकती क्योंकि अधिकांश सिस्टम्स में विस्तारण अथवा प्रोग्रामिंग की क्षमता के कुछ तत्त्व भी शामिल होते हैं। उदहारण के लिए, हैण्ड-हेल्ड कम्प्यूटर्स अपने कुछ तत्वों, जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम्स और उन्हें शक्ति देने वाले माइक्रोप्रोसेसर्स, को एम्बेडेड सिस्टम्स के साथ साझा करते हैं, परन्तु वे अन्य अनुप्रयोगों को लोड करने और उपकरणों को जोड़ने की अनुमति भी देते हैं। इसके अलावा, यहां तक कि जो सिस्टम्स प्रोग्रामिंग की क्षमता को अपनी प्राथमिक विशेषता के रूप में प्रदर्शित नहीं करते, उन्हें भी सॉफ्टवेयर अद्यतनों का समर्थन करने की आवश्यकता होती है। "सामान्य उद्देश्य" से "एम्बेडेड" की ओर एक अबाध क्रम में बढ़ने पर, बड़े अनुप्रयोगों में अधिकांश स्थानों पर कुछ उप-घटक होंगे, भले ही सम्पूर्ण सिस्टम को "एक या कुछ समर्पित कार्यों को पूर्ण करने के लिए बनाया गया हो" और इस प्रकार उसे "एम्बेडेड" कहना उपयुक्त हो। .

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एसिक

एक '''एसिक''' अनुप्रयोग-विशिष्ट एकीकृत परिपथ (Application-specific integrated circuit (ASIC)) ऐसे एकीकृत परिपथ (IC) को कहते हैं जो किसी कार्य विशेष के लिये ही बनाया गया हो, न कि भिन्न-भिन्न कार्यों को करने के लिये। उदाहरण के लिये, किसी डिजिटल ध्वनि रेकार्डर में उपयोग के लिये बनाया गया आई सी। एसिक तथा उद्योग में उपयोग आने वाले मानक आई सी (जैसे 7400 या 4000 शृंखला) के बीच में भी एक प्रकार के आईसी आते हैं जिन्हें अनुप्रयोग-विशिष्ट मानक उत्पाद (Application-specific standard products (ASSPs)) कहा जाता है। .

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डिजिटल सिगनल प्रोसेसर

डिजिटल सिगनल प्रोसेसर (Digital Signal Processor / DSP) या आंकिक संकेत प्रसंस्कारक (आसप) एक ऐसी डिजिटल एकीकृत परिपथ है जो जिसकी डिजाइन विशेष रूप से सिगनल की प्रोसेसिंग (डिजिटल विधि से) करने के लिये की जाती है। प्रायः यह सिगनल की आनलाइन प्रोसेसिंग के लिये प्रयुक्त होता है। वैसे तो यह माइक्रोप्रोसेसर से कई अर्थों में समान है किन्तु डी एस पी कुछ कार्य माइक्रोप्रोसेसर की अपेक्षा अति दक्षतापूर्वक कर सकता है। .

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डिजिटल सिग्नल प्रोसेसर

डिजिटल सिग्नल प्रोसेसर (Digital Signal Processor या DSP) एक विशेश माइक्रोप्रोसेसर है जिसे डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग के लिये विशेष रूप से डिजाइन किया गया होता है। वास्तविक-समय (Real-Time) में डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग करने के लिये कुछ विशेष इन्स्ट्र्क्शन्स को बहुत तेज गति से कार्यान्वित करना आवश्यक होता है। .

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त्वरित फुरिअर रूपान्तर

त्वरित फुरिअर रूपान्तर सम्पादन का सबसे जरूरी ऑपरेशन तितली है। त्वरित फुरिअर रूपान्तर या फास्ट फुरिअर ट्रान्सफार्म (FFT), डिस्क्रीट फुरिअर ट्रान्सफार्म (DFT) एवं उसके व्युत्क्रम रूपान्तर (inverse transform) की गणना की एक दक्ष (efficient) कलन विधि (अल्गोरिद्म) है। त्वरित ढंग से डिस्क्रीट फुरिअर रूपान्तर निकालने की विधि सबसे पहले कूली और टर्की ने सन १९६५ में प्रस्तुत की जिनके नाम पर इस विधि को कूली-टर्की कलन-विधि के नाम से जाना जाता है। इस समय त्वरित फुरिअर रुपान्तर निकालने के अनेकों अन्य तरीके भी ज्ञात है। प्रचलित तरीके से एफ् एफ् टी (FFT) की गणना के अल्गोरिद्म का ऑर्डर N*N है जबकि एफएफटी से वही काम करने का ऑर्डर N*log(N) होता है; जहाँ N सैम्पुल्स की संख्या है। ज्ञातव्य है कि अधिकांश व्यावहारिक समस्याओं में सामान्यतः N का मान दस लाख से अधिक होता है। इस प्रकार देखा जा सकता है कि डीएफटी की तुलना में एफ् एफ् टी वही काम हजारों गुना तेज गति से कर देता है। कम समय में डीएफटी की गणना से इसकी उपयोगिता और बढ जाती है। इसके अतिरिक्त डीएफटी की तुलना में एफएफटी की विधि से गणना में बहुत कम स्मृति (मेमोरी) की जरूरत पड़ती है। आजकल एफएफटी निकालने की बहुत सी विधियाँ ज्ञात हैं। किन्तु कुली और तुकी की विधि सर्वाधिक प्रचलित है। एफएफटी की ज्ञात विधियों में कुछ में N का मान २ का कोई घातांक के बराबर (जैसे १०२४, ४०९६ आदि) होना चाहिये किन्तु कुछ विधियाँ N के किसी भी मान के लिये भी दक्षतापूर्वक काम करती हैं। .

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फिल्टर

अलग-अलग क्षेत्रों में छनित्र या फिल्टर (Filter) के विभिन्न अर्थ होते हैं - .

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बेस गिटार

बेस गिटार (इलेक्ट्रिक बेस या सिर्फ बेस भी कहा जाता है;, जैसा कि "बेस (base)" में) एक तंत्रवाद्य है जिसे मुख्यतः उंगली या अंगूठे से (प्लकिंग, स्लैपिंग, पॉपिंग, टैपिंग या थम्पिंग के द्वारा), या जव्वा का उपयोग करके बजाया जाता है। बेस गिटार दिखने में और संरचना में इलेक्ट्रिक गिटार के समान है, लेकिन इसकी गरदन और स्केल लंबे और चार, पांच, या छः तंत्री होती हैं। चार तारों वाला बेस -अब तक का सर्वाधिक आम- बेस, है जिसे आमतौर पर एक गिटार के निचले चार तारों (ई, ए, डी और जी) से एक सप्तक नीची तारता के अनुरूप, डबल बेस की भांति समस्वरित किया जाता है। बेस गिटार एक स्वर स्थानांतरण यंत्र है क्योंकि इसमें अत्यधिक लेजर रेखाओं से बचने के लिए इसकी ध्वनि से एक सप्तक ऊपर बेस पराससूचक में स्वरांकित किया जाता है (जैसा कि डबल बेस में है).

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रैखिक समीकरण निकाय

तीन चरों वाला कोई रैखिक समीकरण निकाय वस्तुतः तीन समतलों (plane) का समुच्चय है। इन समतलों का कटान बिन्दु ही इस रैखिक निकाय का 'हल' कहलाता है। गणित में (और विशेषतः रैखिक बीजगणित में) समान अज्ञात राशि वाले रैखिक समीकरणों के समुच्चय को रैखिक समीकरणों का निकाय (systems of linear equations) कहा जाता है। उदाहरण के लिए, 3x &&\; + \;&& 2y &&\; - \;&& z &&\; .

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सिमूलिंक

सिमूलिंक ब्लाकों द्वारा राडार डेटा प्रोसेसिंग सिमूलिंक (Simulink), बहुडोमेन वाले गतिज तंत्रों (multidomain dynamic systems) के मॉडलिंग, सिमुलेशन एवं विश्लेषण करने के लिये एक व्यापारिक सॉफ्टवेयर-औजार है। यह द मैथवर्क्स (The MathWorks) द्वारा निर्मित है। इसकी मुख्य विशेषता यह है कि यह ब्लॉक आरेख पर आधारित ग्राफिक इन्टरफेस प्रदान करता है जिससे मॉडलिंग एवं सिमेशन के लिये किसी प्रोग्राम के लिखने की आवश्यकता नहीं पड़ती और प्रयोक्ता को बहुत सुविधा होती है। इसमें गतिज तन्त्रों में प्रयोग आने वाले विभिन्न अवयवों के लिये ब्लॉक की व्यवस्था है। इसकी ब्लॉक लाइब्रेरी को अपनी आवश्यकता के अनुरूप ढाला जा सकता है। नियंत्रण तंत्र (कन्ट्रोल सिस्टम्स) एवं आंकिक संकेत प्रसंस्करण में सिमुलिंक का बहुतायत में प्रयोग होता है। .

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संगणक अभियान्त्रिकी

एक एफपीजीए बोर्ड संगणक अभियांत्रिकी या कम्प्यूटर अभियान्त्रिकी अभियांत्रिकी कि वह शाखा है जिसमे संगणक के सभी हार्डवेयर, साफ्टवेयर एवं प्रचालन तंत्र की डिजाइन, रचना, निर्माण, परीक्षण, रखरखाव आदि का अध्ययन किया जाता है। पहले यह वैद्युत प्रौद्योगिकी की एक शाखा मात्र थी। .

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संकेत प्रसंस्करण

संकेत प्रक्रमण (सिग्नल प्रोसेसिंग) यद्यपि संकेत गैर-विद्युत प्रकृति के भी हो सकते हैं किन्तु अधिकांश संकेत विद्युत संकेत होते हैं या उन्हें संवेदक (सेंसर), संसूचक (डिटेक्टर) या परिवर्तक (ट्रन्स्ड्यूसर) की मदद से विद्युत स्वरूप में बदल दिया जाता है। इसके बाद विद्युत संकेतों को अधिक उपयोगी बनाने के लिये उन्हें अनेक प्रकार से परिवर्तित एवं संस्कारित किया जाता है। इस क्रिया को संकेत प्रसंस्करण (Signal processing) कहते हैं। .

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सैटलाइट रेडियो

सैटलाइट रेडियो एक एनालॉग या डिजिटल रेडियो संकेत है जिसका प्रसारण एक या एक से अधिक सैटलाइट से किया जाता है और इसीलिए स्थानीय एफएम रेडियो स्टेशन की तुलना में काफी विस्तृत भौगोलिक क्षेत्र में इसे सुना जा सकता है। हालांकि यूरोप में मुख्य रूप से कई एफएम रेडियो स्टेशन एक अतिरिक्त अनइनक्रिप्टेड सैटलाइट फ़ीड प्रदान करते हैं, वहां कई चैनलों की सदस्यता आधारित डिजिटल संकुल भी स्थानीय प्रसारण नहीं करते हैं, जिसमें अमेरिका उल्लेखनीय है। यूरोप में, कई आपूर्तिकर्ताओं द्वारा एफएम रेडियो इस्तेमाल किया जाता है जिसमें कई स्थानीय एफएम पुनरावर्तक वृहद क्षेत्र में, आमतौर पर पूरे देश में एक एकल कार्यक्रम के प्रसारण के लिए एक नेटवर्क का प्रयोग करते हैं। उनमें से कई के पास एक अतिरिक्त सैटलाइट संकेत है जिसे महाद्वीप के कई भागों में सुना जा सकता है। इसके विपरीत, अमेरिका स्थलीय स्टेशन हमेशा स्थानीय होते हैं और उनमें से हर एक के पास अनूठा कार्यक्रम होता है, हालांकि वे कभी-कभी सिंडिकेटेड सामग्री के लिए जुड़े रहते हैं, लेकिन फिर भी प्रत्येक स्थानीय स्टेशन के पास अपने स्वयं के वाणिज्यिक और समाचार अंतराल होते हैं। इसका मतलब यह है कि सैटलाइट के माध्यम से मूल स्थानीय स्टेशनों की सामग्री का राष्ट्रीय वितरण अमेरिका में कोई वास्तविक अर्थ नहीं रखता, इसलिए वहां सैटलाइट रेडियो का एक अलग तरह से इस्तेमाल किया जाता है। सिरिअस, एक्सएम और वर्ल्डस्पेस जैसी मोबाइल सेवाएं, श्रोताओं को समस्त महाद्वीप में कहीं भी घूमने और जहां कहीं वे जाएं उसी श्रव्य कार्यक्रम को सुनने की सुविधा प्रदान करती हैं। म्यूज़िक चॉईस या म्यूज़ैक की सैटलाइट-संवितरित सामग्री जैसी अन्य सेवाओं के लिए एक स्थिर स्थान रिसीवर और डिश एंटेना की ज़रूरत होती है। सभी मामलों में, एंटेना का स्पष्ट चित्र सैटलाइट को दिखना चाहिए.

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जेड रूपान्तर

गणित एवं संकेत प्रसंस्करण में जेड रूपान्तर (Z-transform) किसी डिस्क्रीट टाइम-डोमेन संकेत को समिश्र (कम्प्लेक्स) आवृत्ति-डोमेन में बदलता है। डिस्क्रीट टाइम-डोमेन संकेत से तात्पर्य ऐसे संकेत से है जो केवल कुछ निश्चित समयों पर अशून्य मान रखता है, शेष समय वह शून्य रहता है। जेड-रूपान्तर को लाप्लास रूपान्तर का विविक्त-समय अनुरूप (discrete-time equivalent) के रूप में समझा जा सकता है। इसका उपयोग आंकिक संकेत प्रसंस्करण (डीएसपी) एवं आंकिक नियंत्रण (डिजिटल कन्ट्रोल) में किया जाता है। .

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कलन-विधियों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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अंकीय इलेक्ट्रॉनिकी

अंकीय इलेक्ट्रॉनिकी या डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स इलेक्ट्रॉनिक्स की एक शाखा है जिसमें विद्युत संकेत अंकीय होते हैं। अंकीय संकेत बहुत तरह के हो सकते हैं किन्तु बाइनरी डिजिटल संकेत सबसे अधिक उपयोग में आते हैं। शून्य/एक, ऑन/ऑफ, हाँ/नहीं, लो/हाई आदि बाइनरी संकेतों के कुछ उदाहरण हैं। जबसे एकीकृत परिपथों (इन्टीग्रेटेड सर्किट) का प्रादुर्भाव हुआ है और एक छोटी सी चिप में लाखों करोंड़ों इलेक्ट्रॉनिक युक्तियाँ भरी जाने लगीं हैं तब से डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक बहुत महत्वपूर्ण हो गयी है। आधुनिक व्यक्तिगत कम्प्यूटर (पीसी) तथा सेल-फोन, डिजिटल कैमरा आदि डिजिटल इलेक्ट्रॉनिकी की देन हैं। लकडी की तख्ती पर हाथ से बुनी हुई एक द्विआधारी घड़ी एक औद्योगिक अंकीय नियंत्रक इनटेल 80486DX2 माइक्रोप्रोसेसर अंकीय इलेक्ट्रॉनिकी, या सूक्ष्माड़विक आंकिक पद्धति ऐसी प्रणाली है जो विद्युत संकेतों को, रेखीय स्तर के एक निरंतर पट्टियों के बजाए एक अलग अलग पट्टियों की श्रृंखला के रूप में दर्शाती है। इस पट्टी के सभी स्तर संकेतों की एक ही अवस्था को दर्शाते हैं। संकेतो की इस पृथकता की वजह से निर्माण सहनशीलता के काऱण रेखीय संकेतो के स्तर में आये अपेक्षाकृत छोटे बदलाव अलग आवरण नहीं छोड़ते है। जिसके परिणाम स्वरुप संकेतो की अवस्था को महसूस करने वाला परिपथ इन्हे नजरअंदाज कर देता है। ज्यादातर मामलों में संकेतो की अवस्था की संख्या दो होती है और इन दो अवस्थाओं को दो वोल्टेज स्तरों द्वारा दर्शाया जाता है: प्रयोग में आपूर्ति वोल्टेज के आधार पर एक व दूसरा (आमतौर पर "जमीनी" या शून्य वोल्ट के रूप में कहा जाता है)| 1 उच्च स्तर पर होता है व 0 निम्न स्तर पर। अक्सर ये दोनों स्तर "लो" और "हाई" के रूप में प्रतिनिधित्व करते हैं। आंकिक तकनीक का मूल लाभ इस तथ्य पर आधारित है कि संकेतो की एक सतत श्रृंखला को पुनरुत्पादित करने के बजाए, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को संकेतो की ० या १ जैसे किसी ज्ञात अवस्था में भेजना ज्यादा आसान होता है। डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स आम तौर पर लॉजिक गेट्स के वृहद संयोजन व बूलियन तर्क प्रकार्य के सरल इलेक्ट्रोनिक्स से बनाया जाता है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग, डीएसपी, आंकिक संकेत प्रसंस्करण

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