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सलीम-सुलेमान

सूची सलीम-सुलेमान

सलीम और सुलेमान हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध संगीत निर्देशक और गायक हैं। यह एक दो भाइयों की जोड़ी है जिसमे, सलीम मर्चेंट और सुलेमान मर्चेंट शामिल हैं। सलीम और सुलेमान पिछले एक दशक से अधिक से फिल्मों के लिए संगीत रचना कर रहे हैं, इनकी प्रसिद्ध फिल्मों मे शामिल हैं, चक दे! इंडिया, भूत, मुझसे शादी करोगी, मातृभूमि और फैशन। एक प्रदर्शन में सलीम-सुलेमान इस जोड़ी ने कई भारतीय पॉप बैंड के लिए भी संगीत तैयार किया है जिनमें वीवा, आसमां, श्वेता शेट्टी, जैस्मीन और स्टाइल भाई आदि शामिल हैं। इन्होने कई टीवी विज्ञापनों का निर्माण और संगीत निर्देशन किया है जिसमे इनका सहयोग उस्ताद जाकिर हुसैन और उस्ताद सुल्तान खान जैसे कलाकारों ने किया है। इन्हें इनका पहला मौका करण जौहर ने अपनी फिल्म काल की संगीत रचना करने के लिए दिया था। उसके बाद, इन्होने कई बड़े निर्माताओं और निर्देशक जैसे यश चोपड़ा, सुभाष घई और राम गोपाल वर्मा के साथ फिल्में की हैं। गीत संगीत रचना से पहले, वे फिल्मों मे पार्श्व संगीत रचना करते रहे हैं। कुछ डरावनी फिल्मों में उनका पार्श्व संगीत बहुत पसंद किया गया।.

22 संबंधों: चक दे! इंडिया, डरना मना है (2003 फ़िल्म), नैना, भूत, मातृभूमि, मुझसे शादी करोगी, मोक्ष, यश चोपड़ा, रब ने बना दी जोड़ी, रामगोपाल वर्मा, शॉक, सलाम नमस्ते (2005 फ़िल्म), सिंह इज़ किंग, सुभाष घई, हम तुम, वर्षा, वाह! लाइफ हो तो ऐसी, इकबाल, करण जौहर, क़यामत, काल, कॉफ़ी विद करण

चक दे! इंडिया

चक दे! इंडिया 2007 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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डरना मना है (2003 फ़िल्म)

डरना मना है 2003 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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नैना

नैना हरियाणा राज्य के कैथल जिले की कैथल तहसील का एक गाँव है। .

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भूत

भूत का मतलब इनमें से कुछ भी हो सकता है.

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मातृभूमि

जन्म स्थान या अपने देशको मातृभूमि बोला जाता है। भारत और नेपाल में भूमि को माता के रूप में माना जाता है, जिस जमीन अथवा भूमि का अन्नादि खाते है उसे भी मातृभूमि कहते हैं। जन्म भूमि को भी मातृ भूमि कहते हैं। यूरोपीय देशों में मातृभूमि को पितृ भूमि कहते हैं। विश्व के कई जगहों में गृह भूमि भी कहते है। श्रेणी:राष्ट्रवाद en:Homeland.

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मुझसे शादी करोगी

मुझसे शादी करोगी 2004 की डेविड धवन द्वारा निर्देशित हिन्दी भाषा की हास्य प्रेमकहानी फ़िल्म है। इस फिल्म में सलमान खान, अक्षय कुमार और प्रियंका चोपड़ा मुख्य किरदार निभाते हैं। यह अक्षय और प्रियंका की अंदाज़ (2003) के बाद एक साथ दूसरी फिल्म है। सहायक कलाकारों में अमरीश पुरी, कादर ख़ान, सतीश शाह और राजपाल यादव शामिल हैं। कई भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी ने विशेष उपस्थिति दर्ज की। इस फिल्म को को सकारात्मक समीक्षा कलाकारों के प्रदर्शन, संगीत, छायांकन, कला दिशा, परिधान और स्टाइल के लिए प्राप्त हुई। 30 जुलाई 2004 को जारी यह फिल्म एक बड़ी व्यावसायिक सफलता थी, जो साल की तीसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म बन गई। इसको फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार और अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फ़िल्म अकादमी पुरस्कार में क्रमशः तीन और दस नामांकन प्राप्त हुए थे। .

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मोक्ष

शास्त्रों और पुराणों के अनुसार जीव का जन्म और मरण के बंधन से छूट जाना ही मोक्ष है। भारतीय दर्शनों में कहा गया है कि जीव अज्ञान के कारण ही बार बार जन्म लेता और मरता है । इस जन्ममरण के बंधन से छूट जाने का ही नाम मोक्ष है । जब मनुष्य मोक्ष प्राप्त कर लेता है, तब फिर उसे इस संसार में आकार जन्म लेने की आवश्यकता नहीं होती । शास्त्रकारों ने जीवन के चार उद्देश्य बतलाए हैं—धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष । इनमें से मोक्ष परम अभीष्ट अथवा 'परम पुरूषार्थ' कहा गया है । मोक्ष की प्राप्ति का उपाय आत्मतत्व या ब्रह्मतत्व का साक्षात् करना बतलाया गया है । न्यायदर्शन के अनुसार दुःख का आत्यंतिक नाश ही मुक्ति या मोक्ष है । सांख्य के मत से तीनों प्रकार के तापों का समूल नाश ही मुक्ति या मोक्ष है । वेदान्त में पूर्ण आत्मज्ञान द्वारा मायासम्बन्ध से रहित होकर अपने शुद्ध ब्रह्मस्वरूप का बोध प्राप्त करना मोक्ष है । तात्पर्य यह है कि सब प्रकार के सुख दुःख और मोह आदि का छूट जाना ही मोक्ष है । मोक्ष की कल्पना स्वर्ग-नरक आदि की कल्पना से पीछे की है और उसकी अपेक्षा विशेष संस्कृत तथा परिमार्जित है । स्वर्ग की कल्पना में यह आवश्यक है कि मनुष्य अपने किए हुए पुण्य वा शुभ कर्म का फल भोगने के उपरान्त फिर इस संसार में आकार जन्म ले; इससे उसे फिर अनेक प्रकार के कष्ट भोगने पड़ेंगे । पर मोक्ष की कल्पना में यह बात नहीं है । मोक्ष मिल जाने पर जीव सदा के लिये सब प्रकार के बंधनों और कष्टों आदि से छूट जाता है । भारतीय दर्शन में नश्वरता को दुःख का कारण माना गया है। संसार आवागमन, जन्म-मरण और नश्वरता का केंद्र हैं। इस अविद्याकृत प्रपंच से मुक्ति पाना ही मोक्ष है। प्राय: सभी दार्शनिक प्रणालियों ने संसार के दु:ख मय स्वभाव को स्वीकार किया है और इससे मुक्त होने के लिये कर्ममार्ग या ज्ञानमार्ग का रास्ता अपनाया है। मोक्ष इस तरह के जीवन की अंतिम परिणति है। इसे पारपार्थिक मूल्य मानकर जीवन के परम उद्देश्य के रूप में स्वीकार किया गया है। मोक्ष को वस्तुसत्य के रूप में स्वीकार करना कठिन है। फलत: सभी प्रणालियों में मोक्ष की कल्पना प्राय: आत्मवादी है। अंततोगत्वा यह एक वैयक्तिक अनुभूति ही सिद्ध हो पाता है। यद्यपि विभिन्न प्रणालियों ने अपनी-अपनी ज्ञानमीमांसा के अनुसार मोक्ष की अलग अलग कल्पना की है, तथापि अज्ञान, दु:ख से मुक्त हो सकता है। इसे जीवनमुक्ति कहेंगे। किंतु कुछ प्रणालियाँ, जिनमें न्याय, वैशेषिक एवं विशिष्टाद्वैत उल्लेखनीय हैं; जीवनमुक्ति की संभावना को अस्वीकार करते हैं। दूसरे रूप को "विदेहमुक्ति" कहते हैं। जिसके सुख-दु:ख के भावों का विनाश हो गया हो, वह देह त्यागने के बाद आवागमन के चक्र से सर्वदा के लिये मुक्त हो जाता है। उसे निग्रहवादी मार्ग का अनुसरण करना पड़ता है। उपनिषदों में आनन्द की स्थिति को ही मोक्ष की स्थिति कहा गया है, क्योंकि आनन्द में सारे द्वंद्वों का विलय हो जाता है। यह अद्वैतानुभूति की स्थिति है। इसी जीवन में इसे अनुभव किया जा सकता है। वेदांत में मुमुक्षु को श्रवण, मनन एवं निधिध्यासन, ये तीन प्रकार की मानसिक क्रियाएँ करनी पड़ती हैं। इस प्रक्रिया में नानात्व, का, जो अविद्याकृत है, विनाश होता है और आत्मा, जो ब्रह्मस्वरूप है, उसका साक्षात्कार होता है। मुमुक्षु "तत्वमसि" से "अहंब्रह्यास्मि" की ओर बढ़ता है। यहाँ आत्मसाक्षात्कार को हो मोक्ष माना गया है। वेदान्त में यह स्थिति जीवनमुक्ति की स्थिति है। मृत्यूपरांत वह ब्रह्म में विलीन हो जाता है। ईश्वरवाद में ईश्वर का सान्निध्य ही मोक्ष है। अन्य दूसरे वादों में संसार से मुक्ति ही मोक्ष है। लोकायत में मोक्ष को अस्वीकार किया गया है। .

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यश चोपड़ा

यश चोपड़ा (अंग्रेजी: Yash Chopra जन्म: 27 सितम्बर 1932 – मृत्यु: 21 अक्टूबर 2012) हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध निर्देशक थे। बाद में उन्होंने कुछ अच्छी फिल्मों का निर्माण भी किया। उन्होंने अपने भाई बी० आर० चोपड़ा और आई० एस० जौहर के साथ बतौर सहायक निर्देशक फिल्म जगत में प्रवेश किया। 1959 में उन्होंने अपनी पहली फिल्म धूल का फूल बनायी थी। उसके बाद 1961 में धर्मपुत्र आयी। 1965 में बनी फिल्म वक़्त से उन्हें अपार शोहरत हासिल हुई। उन्हें फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कई पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हुए। बालीवुड जगत से फिल्म फेयर पुरस्कार, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के अतिरिक्त भारत सरकार ने उन्हें 2005 में भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया। .

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रब ने बना दी जोड़ी

रब ने बना दी जोड़ी वर्ष २००८ में बनी एक हिन्दी फ़िल्म है। फिल्म के मुख्य कलाकार शाहरुख खान और अनुष्का शर्मा हैं। यह नवोदित तारिका अनुष्का शर्मा की पहली फ़िल्म है। फ़िल्म में अमृतसर के एक दफ्तर के बाबू को दिखाया गया है, जिसकी शादी से पहले किसी भी लड़की से कोई पहचान तक नहीं होती। .

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रामगोपाल वर्मा

रामगोपाल वर्मा (जन्म: 7 अप्रैल, 1962) एक भारतीय निर्देशक तथा फ़िल्म निर्माता हैं। इनका जन्म आंध्र प्रदेश में हुआ था। अपनी पढ़ाई विजयवाड़ा के एक अभियांत्रिकी विद्यालय से छोड़कर वे पहले एक वीडियो दुकान के मालिक बने फिर उन्होने फ़िल्म निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखा। इनकी प्रमुख फिल्मों में सत्या, भूत, सरकार, डरना मना है, डरना जरूरी है तथा एक हसीना थी का नाम आता है। इनकी फ़िल्में अपने रोमांच तथा भीत के कारण जानी जाती हैं। 'रंगीला', 'सरकार', रक्त चरित्र और 'सत्या' जैसी फ़िल्मों से दर्शकों के बीच जगह बनाने वाले डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा अमरीका की पॉर्न स्टार मिया मालकोवा के साथ आए हैं। मिया के साथ बनाई ये फ़िल्म 'गॉड, सेक्स एंड ट्रूथ' यू-ट्यूब पर रिलीज़ हो चुकी है, इस फ़िल्म का शॉर्टनेम जीएसटी है। .

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शॉक

शॉक को संचार शॉक भी खा जाता है जिससे जीवन को खतरा होता है। यह वह स्थिति है जिसमे रक्त का छिडकाव कम हो जाता है जिससे कोशिकाए और ऊतकों को भी नुकसान पहुंचता है। शॉक के कारण रक्तचाप कम हो जाता है, हार्ट रेट बढ़ जाता है और शारीर के सहने की शमता कम हो जाती है। शॉक के कारण हाइपोजेमिया, हृदय गति रुक जाती है और सांस का रुकना भी संभव है। रक्त की आपूर्ति कम होने से मृत्यु भी हो जाती है। शॉक की स्थिति हर एक इंसान में अलग होती है। शॉक लगने के तुरंत बाद की स्थिति में दिल का दौरा पड़ता है जिससे मिक्स्ड वेनस ऑक्सीजन सेचुरेशन कम हो जाती है। शॉक लगने से रक्तस्त्राव की स्थिति देखने को मिलती है और बच्चो में शॉक के कारण उलटी और दस्त होना भी आम बात है। शॉक के कारण दिल की कोशिकाए कमजोर हो जाती है जिसके कारण मायोकार्डियल इनफर्कशन होना संभव है। .

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सलाम नमस्ते (2005 फ़िल्म)

सलाम नमस्ते 2005 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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सिंह इज़ किंग

सिंह इज़ किंग (प्रचलित उच्चारण:सिंघ इज़ किंग) एक हिंदी चलचित्र है, जिसमें अक्षय कुमार तथा कटरीना कैफ ने प्रमुख भुमिकायें निभाईं हैं। श्रेणी:2008 में बनी हिन्दी फ़िल्म.

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सुभाष घई

सुभाष घई सुभाष घई (जन्म: २४ जनवरी, १९४५) हिन्दी फ़िल्मों के एक निर्माता-निर्देशक हैं। .

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हम तुम

हम तुम सन् 2004 की कुणाल कोहली द्वारा निर्देशित हास्य प्रेमकहानी फ़िल्म है। आदित्य चोपड़ा और यश चोपड़ा द्वारा यश राज फ़िल्म्स बैनर के तहत इसे निर्मित किया गया। फिल्म में प्रमुख भूमिकाओं को सैफ अली खान और रानी मुखर्जी द्वारा निभाया गया है। जारी होने पर फिल्म सफल रही थी और इसने कई पुरस्कार जीते थे। .

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वर्षा

वर्षा (Rainfall) एक प्रकार का संघनन है। पृथ्वी के सतह से पानी वाष्पित होकर ऊपर उठता है और ठण्डा होकर पानी की बूंदों के रूप में पुनः धरती पर गिरता है। इसे वर्षा कहते हैं। .

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वाह! लाइफ हो तो ऐसी

वाह ! लाइफ हो तो ऐसी 2005 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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इकबाल

इकबाल,भारत के उत्तर प्रदेश की सोलहवीं विधानसभा सभा में विधायक रहे। 2012 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश की चांदपुर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र (निर्वाचन संख्या-23)से चुनाव जीता। .

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करण जौहर

करण जौहर करण जौहर (जन्म: 25 मई, 1975) हिन्दी एक प्रसिद्ध भारतीय फिल्म निर्देशक, उत्पादक, चलचित्र लेखक, कॉस्ट़्यूम दिज़ाइनर, अभिनेता और टिवि होस्ट है। वह हिरू जौहर और यश जौहर के पुत्र है। वह धर्मा प्रोडक्शन्स कम्पनी के मुखिया भी है। वह भारत और विश्व के सबसे ज़्यादा कमाई करने वाले फिल्मो का उत्पादन करने के लिये प्रसिद्ध है। इनमे से चार फिल्मे, जिनमे शाहरुख खान अभिनेता के पात्र मे मौजूद है, विदेशी फिल्म उद्योग मे भारत के सबसे ज़्यादा कमाने वाले उत्पादन मे से है। इन फिल्मो कि कामयाबी के कारण, करण जोहर को भारतीय सिनेमा का पश्चिम अनुभूति मे बदलाव लाने के लिए श्रेय दिया गया है। आदित्य चोपड़ा द्वारा निर्देशित 'दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे' नामक फिल्म मे अभिनेता के पात्र मे करण जोहर ने फिल्मो मे शुरुआत किया था। उन्होंने बाद मे बेहद सफल रोमानी कॉमेडी, कुछ कुछ होता है के साथ अपने निर्देशन जीविका की शुरुआत की। इस फिल्म से उसे सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिये और सर्वश्रेष्ठ पटकथा के लिये फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया। उनकी दूसरी फिल्मे परिवारिक नाटक, कभी खुशी कभी ग़म (२००१) और रोमांटिक नाटक, कभी अलविदा ना कहना (२००६) थे। कभी अलविदा ना कहना (2006) व्यभिचार के विषय के साथ जुडा हुआ एक फिल्म था। दोनों ही फिल्मों ने भारत और विदेशों में प्रमुख वित्तीय सफलताए प्राप्त की। इस प्रकार जौहर ने बॉलीवुड के सबसे सफल फिल्म निर्माताओं के तालिका में खुद को स्थापित कर लिया। उनकी चौथी फिल्म माइ नेम इज़ ख़ान (२०१०) को सकारात्मक समीक्षा मिली और उस फिल्म ने दुनिया भर मे २०० करोड़ रुपये कमाए। इन सब के कारण्, वह खुद को भारतीय सिनेमा में सबसे सफल निर्देशक और निर्माता के रूप में स्थापित किया है। यही सूचना के कारण उन्होने अपनी पहली फिल्म कुछ कुछ होता है बनाई। करण जौहर एक कुशल निर्देशक के रूप मे जाने जाते है। .

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क़यामत

क़यामत शब्द का सरल हिन्दी में अर्थ प्रलय होता है। अर्थात क़यामत सामान्यतः उस स्थिति को कहा जाता है जब पृथ्वी पर एक बार जीवन समाप्त हो जायेगा। इसके अलग-अलग धर्मों और संस्कृतियों के भिन्न-भिन्न विचार हैं। इस तरह की बहुत भविष्यवाणियाँ भी समय-समय पर की जाती हैं। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। मुस्लिम धर्म के मानने वालों के अनुसार, इस सकल चराचर जगत का एक न एक दिन अन्त होना है, उसी अन्त होने वाले दिन को यौम अल-क़ियामा कहते हैं। .

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काल

काल .

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कॉफ़ी विद करण

कॉफ़ी विद करण एक वार्तालाप कार्यक्रम है जो स्टार वर्ल्ड इंडिया पर प्रदर्शित होता है। यह कार्यक्रम मशहूर चलचित्र निर्माता वह निर्देशक करण जौहर द्वारा मेज़बान किया जाता है। इस कार्यक्रम ने ३ सीज़न पूर्ण किये हैं। फिलहाल इस कार्यक्रम का चौथा सीज़न चल रहा है। इस कार्यक्रम में मेज़बान करण जौहर जाने-माने फिल्म हस्तियों को आमन्त्रित करते हैं और उनके साथ उनकी फिल्मों वह निजी ज़िन्दगी के बारे में चर्चा करते हैं। इस कर्यक्रम का चौथा सीज़न १ दिसम्बर २०१३ को आरम्भ हुआ। .

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