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मीना कुमारी

सूची मीना कुमारी

मीना कुमारी (1 अगस्त, 1933 - 31 मार्च, 1972) भारत की एक मशहूर अभिनेत्री थीं। इन्हें खासकर दुखांत फ़िल्मों में इनकी यादगार भूमिकाओं के लिये याद किया जाता है। मीना कुमारी को भारतीय सिनेमा की ट्रैजेडी क्वीन भी कहा जाता है। अभिनेत्री होने के साथ-साथ मीना कुमारी एक उम्दा शायारा एवम् पार्श्वगायिका भी थीं। मीना कुमारी का असली नाम महजबीं बानो था और ये बंबई में पैदा हुई थीं। उनके पिता अली बक्श पारसी रंगमंच के एक मँझे हुए कलाकार थे और उन्होंने "ईद का चाँद" फिल्म में संगीतकार का भी काम किया था। उनकी माँ प्रभावती देवी (बाद में इकबाल बानो), भी एक मशहूर नृत्यांगना और अदाकारा थी। मीना कुमारी की बड़ी बहन खुर्शीद बानो भी फिल्म अभिनेत्री थीं जो आज़ादी के बाद पाकिस्तान चलीं गईं।कहा जाता है कि दरिद्रता से ग्रस्त उनके पिता अली बक़्श उन्हें पैदा होते ही अनाथाश्रम में छोड़ आए थे चूँकि वे उनके डाॅक्टर श्रीमान गड्रे को उनकी फ़ीस देने में असमर्थ थे।हालांकि अपने नवजात शिशु से दूर जाते-जाते पिता का दिल भर आया और तुरंत अनाथाश्रम की ओर चल पड़े।पास पहुंचे तो देखा कि नन्ही मीना के पूरे शरीर पर चीटियाँ काट रहीं थीं।अनाथाश्रम का दरवाज़ा बंद था, शायद अंदर सब सो गए थे।यह सब देख उस लाचार पिता की हिम्मत टूट गई,आँखों से आँसु बह निकले।झट से अपनी नन्हीं-सी जान को साफ़ किया और अपने दिल से लगा लिया।अली बक़्श अपनी चंद दिनों की बेटी को घर ले आए।समय के साथ-साथ शरीर के वो घाव तो ठीक हो गए किंतु मन में लगे बदकिस्मती के घावों ने अंतिम सांस तक मीना का साथ नहीं छोड़ा। महजबीं पहली बार 1939 में फिल्म निर्देशक विजय भट्ट की फिल्म फ़रज़न्द-ए-वतन में बेबी महज़बीं के रूप में नज़र आईं। 1940 की फिल्म "एक ही भूल" में विजय भट्ट ने इनका नाम बेबी महजबीं से बदल कर बेबी मीना कर दिया। 1946 में आई फिल्म बच्चों का खेल से बेबी मीना 14 वर्ष की आयु में मीना कुमारी बनीं। मार्च 1947 में लम्बे समय तक बीमार रहने के कारण उनकी माँ की मृत्यु हो गई। मीना कुमारी की प्रारंभिक फिल्में ज्यादातर पौराणिक कथाओं पर आधारित थीं जिनमें हनुमान पाताल विजय, वीर घटोत्कच व श्री गणेश महिमा प्रमुख हैं। 1952 में आई फिल्म बैजू बावरा ने मीना कुमारी के फिल्मी सफ़र को नई उड़ान दी। मीना कुमारी द्वारा चित्रित गौरी के किरदार ने उन्हें घर-घर में प्रसिद्धि दिलाई। फिल्म 100 हफ्तों तक परदे पर रही और 1954 में उन्हें इसके लिए पहले फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1953 तक मीना कुमारी की तीन फिल्में आ चुकी थीं जिनमें: दायरा, दो बीघा ज़मीन और परिणीता शामिल थीं। परिणीता से मीना कुमारी के लिये एक नया युग शुरु हुआ। परिणीता में उनकी भूमिका ने भारतीय महिलाओं को खास प्रभावित किया था चूँकि इस फिल्म में भारतीय नारी की आम जिंदगी की कठिनाइयों का चित्रण करने की कोशिश की गयी थी। उनके अभिनय की खास शैली और मोहक आवाज़ का जादू छाया रहा और लगातार दूसरी बार उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार के लिए चयनित किया गया। वर्ष 1951 में फिल्म तमाशा के सेट पर मीना कुमारी की मुलाकात उस ज़माने के जाने-माने फिल्म निर्देशक कमाल अमरोही से हुई जो फिल्म महल की सफलता के बाद निर्माता के तौर पर अपनी अगली फिल्म अनारकली के लिए नायिका की तलाश कर रहे थे।मीना का अभिनय देख वे उन्हें मुख्य नायिका के किरदार में लेने के लिए राज़ी हो गए।दुर्भाग्यवश 21 मई 1951 को मीना कुमारी महाबलेश्वरम के पास एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गईं जिससे उनके बाहिने हाथ की छोटी अंगुली सदा के लिए मुड़ गई। मीना अगले दो माह तक बम्बई के ससून अस्पताल में भर्ती रहीं और दुर्घटना के दूसरे ही दिन कमाल अमरोही उनका हालचाल पूछने पहुँचे। मीना इस दुर्घटना से बेहद दुखी थीं क्योंकि अब वो अनारकली में काम नहीं कर सकती थीं। इस दुविधा का हल कमाल अमरोही ने निकाला, मीना के पूछने पर कमाल ने उनके हाथ पर अनारकली के आगे 'मेरी' लिख डाला।इस तरह कमाल मीना से मिलते रहे और दोनों में प्रेम संबंध स्थापित हो गया। 14 फरवरी 1952 को हमेशा की तरह मीना कुमारी के पिता अली बख़्श उन्हें व उनकी छोटी बहन मधु को रात्रि 8 बजे पास के एक भौतिक चिकित्सकालय (फिज़्योथेरेपी क्लीनिक) छोड़ गए। पिताजी अक्सर रात्रि 10 बजे दोनों बहनों को लेने आया करते थे।उस दिन उनके जाते ही कमाल अमरोही अपने मित्र बाक़र अली, क़ाज़ी और उसके दो बेटों के साथ चिकित्सालय में दाखिल हो गए और 19 वर्षीय मीना कुमारी ने पहले से दो बार शादीशुदा 34 वर्षीय कमाल अमरोही से अपनी बहन मधु, बाक़र अली, क़ाज़ी और गवाह के तौर पर उसके दो बेटों की उपस्थिति में निक़ाह कर लिया। 10 बजते ही कमाल के जाने के बाद, इस निक़ाह से अपरिचित पिताजी मीना को घर ले आए।इसके बाद दोनों पति-पत्नी रात-रात भर बातें करने लगे जिसे एक दिन एक नौकर ने सुन लिया।बस फिर क्या था, मीना कुमारी पर पिता ने कमाल से तलाक लेने का दबाव डालना शुरू कर दिया। मीना ने फैसला कर लिया की तबतक कमाल के साथ नहीं रहेंगी जबतक पिता को दो लाख रुपये न दे दें।पिता अली बक़्श ने फिल्मकार महबूब खान को उनकी फिल्म अमर के लिए मीना की डेट्स दे दीं परंतु मीना अमर की जगह पति कमाल अमरोही की फिल्म दायरा में काम करना चाहतीं थीं।इसपर पिता ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा कि यदि वे पति की फिल्म में काम करने जाएँगी तो उनके घर के दरवाज़े मीना के लिए सदा के लिए बंद हो जाएँगे। 5 दिन अमर की शूटिंग के बाद मीना ने फिल्म छोड़ दी और दायरा की शूटिंग करने चलीं गईं।उस रात पिता ने मीना को घर में नहीं आने दिया और मजबूरी में मीना पति के घर रवाना हो गईं। अगले दिन के अखबारों में इस डेढ़ वर्ष से छुपी शादी की खबर ने खूब सुर्खियां बटोरीं। लेकिन स्वछंद प्रवृति की मीना अमरोही से 1964 में अलग हो गयीं। उनकी फ़िल्म पाक़ीज़ा को और उसमें उनके रोल को आज भी सराहा जाता है। शर्मीली मीना के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि वे कवियित्री भी थीं लेकिन कभी भी उन्होंने अपनी कवितायें छपवाने की कोशिश नहीं की। उनकी लिखी कुछ उर्दू की कवितायें नाज़ के नाम से बाद में छपी। .

60 संबंधों: चन्दन का पालना (1967 फ़िल्म), चार दिल चार राहें (1959 फ़िल्म), चित्रलेखा, एक ही रास्ता (1956 फ़िल्म), तमाशा, तमाशा (1952 फ़िल्म), दिल एक मन्दिर (1963 फ़िल्म), दिल अपना और प्रीत पराई, दुनिया एक सराय, दुश्मन (1971 फ़िल्म), परिणीता (1953 फ़िल्म), परिणीता (2005 फ़िल्म), पारसी रंगमंच, पाक़ीज़ा, फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार, फूल और पत्थर (1966 फ़िल्म), बहू बेग़म, बादबाँ (1954 फ़िल्म), बंदिश (1955 फ़िल्म), ब्रिटिश राज, बैजू बावरा, बैजू बावरा (1952 फ़िल्म), बेनज़ीर (1964 फ़िल्म), भारत, भीगी रात (1965 फ़िल्म), महल, महाराष्ट्र, मिस मैरी (1957 फ़िल्म), मुम्बई, मैं चुप रहूँगी (1962 फ़िल्म), मेम साहिब (1956 फ़िल्म), मेरे अपने (1971 फ़िल्म), यहूदी (1958 फ़िल्म), शतरंज (1956 फ़िल्म), शारदा (1957 फ़िल्म), सनम (1951 फ़िल्म), सहारा (1958 फ़िल्म), साहिब बीबी और ग़ुलाम (1962 फ़िल्म), संगीतकार, गज़ल (1964 फ़िल्म), आरती (1962 फ़िल्म), आज़ाद (1955 फ़िल्म), काजल, काजल (1965 फ़िल्म), किनारे किनारे (1963 फ़िल्म), कोहिनूर (1960 फ़िल्म), अमर, अर्द्धांगिनी (1959 फ़िल्म), अकेली मत जाइयो (1963 फ़िल्म), ..., १ अगस्त, १९३३, १९५३, १९५४, १९५५, १९६३, १९६४, १९६६, १९७२, ३१ मार्च सूचकांक विस्तार (10 अधिक) »

चन्दन का पालना (1967 फ़िल्म)

चन्दन का पालना 1967 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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चार दिल चार राहें (1959 फ़िल्म)

चार दिल चार राहें 1959 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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चित्रलेखा

चित्रलेखा 1964 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है जो भगवती चरण वर्मा द्वारा रचित हिन्दी उपन्यास ‘चित्रलेखा’ (1934) पर आधारित है। फिल्म के मुख्य कलाकार हैं अशोक कुमार, मीना कुमारी, प्रदीप कुमार और महमूद। फिल्म के निर्देशक है केदार शर्मा जिन्होंने इसी नाम से १९४१ में भी एक फिल्म बनाई थी। फिल्म रोचक है परंतु उपन्यास की तुलना में हलकी पड़ती है। जहाँ लेखक ने विभिन्न विचारधाराओं में संतुलन बनाये रखा फिल्म में योग' की अपेक्षा 'भोग' के पक्ष में असंतुलन देखने को मिलता है। साहिर लुधियानवी के गीत और रोशन का संगीत कर्ण प्रिय हैं। 'संसार से भागे फिरते हो' और 'मन रे तू काहे न धीर धरे' आज भी लोकप्रिय हैं। .

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एक ही रास्ता (1956 फ़िल्म)

एक ही रास्ता 1956 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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तमाशा

तमाशा महाराष्ट्र का प्रसिध्द लोकनाटक है। श्रेणी:महाराष्ट्र के लोक नृत्य.

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तमाशा (1952 फ़िल्म)

तमाशा 1952 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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दिल एक मन्दिर (1963 फ़िल्म)

दिल एक मन्दिर 1963 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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दिल अपना और प्रीत पराई

दिल अपना और प्रीत पराई हिन्दी भाषा की एक फ़िल्म है जो 1960 में प्रदर्शित हुई। .

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दुनिया एक सराय

दुनिया एक सराय 1946 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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दुश्मन (1971 फ़िल्म)

दुश्मन 1971 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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परिणीता (1953 फ़िल्म)

परिनीता 1953 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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परिणीता (2005 फ़िल्म)

परिनीता 2005 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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पारसी रंगमंच

; 'पारसी रंगमंच' से 'फारसी भाषा का रंगमंच' या 'इरान का रंगमंच' का अर्थ न समझें। यह अलग है जो भारत से संबन्धित है। ---- अंग्रेजों के शासनकाल में भारत की राजधानी जब कलकत्ता (1911) थी, वहां 1854 में पहली बार अंग्रेजी नाटक मंचित हुआ। इससे प्रेरित होकर नवशिक्षित भारतीयों में अपना रंगमंच बनाने की इच्छा जगी। मंदिरों में होनेवाले नृत्य, गीत आदि आम आदमी के मनोरंजन के साधन थे। इनके अलावा रामायण तथा महाभारत जैसी धार्मिक कृतियों, पारंपरिक लोक नाटकों, हरिकथाओं, धार्मिक गीतों, जात्राओं जैसे पारंपरिक मंच प्रदर्शनों से भी लोग मनोरंजन करते थे। पारसी थियेटक से लोक रंगमंच का जन्म हुआ। एक समय में सम्पन्न पारसियों ने नाटक कंपनी खोलने की पहल की और धीरे-धीरे यह मनोरंजन का एक लोकप्रिय माध्यम बनता चला गया। इसकी जड़ें इतनी गहरी थीं कि आधुनिक सिनेमा आज भी इस प्रभाव से पूरी तरह मुक्त नहीं हो पाया है। पारसी रंगमंच, 19वीं शताब्दी के ब्रिटिश रंगमंच के मॉडल पर आधारित था। इसे पारसी रंगमंच इसलिए कहा जाता था क्योंकि इससे पारसी व्यापारी जुड़े थे। वे इससे अपना धन लगाते थे। उन्होंने पारसी रंगमंच की अपनी पूरी तकनीक ब्रिटेन से मंगायी। इसमें प्रोसेनियम स्टेज से लेकर बैक स्टेज की जटिल मशीनरी भी थी। लेकिन लोक रंगमंच-गीतों, नृत्यों परंपरागत लोक हास-परिहास के कुछ आवश्यक तत्वों और इनकी प्रारंभ तथा अंत की रवाइतों को पारसी रंगमंच ने अपनी कथा कहने की शैली में शामिल कर लिया था। दो श्रेष्ठ परंपराओं का यह संगम था और तमाम मंचीय प्रदर्शन पौराणिक विषयों पर होते थे जिनमें परंपरागत गीतों और प्रभावी मंचीय युक्तियों का प्रयोग अधिक होता था। कथानक गढ़े हुए और मंचीय होते थे जिसमें भ्रमवश एक व्यक्ति को दूसरा समझा जाता था, घटनाओं में संयोग की भूमिका होती थी, जोशीले भाषण होते थे, चट्टानों से लटकने का रोमांच होता था और अंतिम क्षण में उनका बचाव किया जाता था, सच्चरित्र नायक की दुष्चरित्र खलनायक पर जीत दिखायी जाती थी और इन सभी को गीत-संगीत के साथ विश्वसनीय बनाया जाता था। औपनिवेशिक काल में भारत के हिन्दी क्षेत्र के विशेष लोकप्रिय कला माध्यमों में आज के आधुनिक रंगमंच और फिल्मों की जगह आल्हा, कव्वाली मुख्य थे। लेकिन पारसी थियेटर आने के बाद दर्शकों में गाने के माध्यम से बहुत सी बातें कहने की परंपरा चल पड़ी जो दर्शकों में लोकप्रिय होती चली गयी। बाद में 1930 के दशक में आवाज रिकॉर्ड करने की सुविधा शुरू हुई और फिल्मों में भी इस विरासत को नये तरह से अपना लिया गया। वर्ष 1853 में अपनी शुरुआत के बाद से पारसी थियेटर धीरे-धीरे एक 'चलित थियेटर' का रूप लेता चला गया और लोग घूम-घूम कर नाटक देश के हर कोने में ले जाने लगे। पारसी थियेटर के अभिनय में ‘‘मेलोड्रामा’’ अहम तत्व था और संवाद अदायगी बड़े नाटकीय तरीके से होती थी। उन्होंने कहा कि आज भी फिल्मों के अभिनय में पारसी नाटक के तत्व दिखाई देते हैं। 80 वर्ष तक पारसी रंगमंच और इसके अनेक उपरूपों ने मनोरंजन के क्षेत्र में अपना सिक्का जमाए रखा। फिल्म के आगमन के बाद पारसी रंगमंच ने विधिवत् अपनी परंपरा सिनेमा को सौंप दी। पेशेवर रंगमंच के अनेक नायक, नायिकाएं सहयोगी कलाकार, गीतकार, निर्देशक, संगीतकार सिनेमा के क्षेत्र में आए। आर्देशिर ईरानी, वाजिया ब्रदर्स, पृथ्वीराज कपूर, सोहराब मोदी और अनेक महान दिग्गज रंगमंचकी प्रतिभाएं थीं जिन्होंने शुरुआती तौर में भारतीय फिल्मों को समृद्ध किया। .

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पाक़ीज़ा

पाक़ीज़ा (उर्दु: پاکیزہ، पवित्र) एक सन 1972 की बॉलीवुड फिल्म है। यह एक त़वायफ़ की मार्मिक कहानी है और इसे आज तक लता मंगेशकर द्वारा गाये गये मधुर गीतों के लिये याद किया जाता है। फिल्म का निर्देशन क़माल अमरोही ने किया था जो मुख्य नायिका मीना कुमारी के पति भी थे। फिल्म लगभग १४ वर्षों मे बन कर तैयार हुई। .

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फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार

फिल्मफेयर पुरस्कार समारोह भारतीय सिनेमा के इतिहास की सबसे पुरानी और प्रमुख घटनाओं में से एक रही है। इसकी शुरुआत सबसे पहले 1954 में हुई जब राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार की भी स्थापना हुई थी। पुरस्कार जनता के मत एवं ज्यूरी के सदस्यों के मत दोनों के आधार पर दी हर साल दी जाती है। .

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फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार

फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार फ़िल्मफ़ेयर पत्रिका द्वारा प्रति वर्ष दिया जाने वाला पुरस्कार है। यह हिन्दी फ़िल्म में बेहतर अभिनय के लिये अभिनेत्री फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार समारोह में दिया जाता है। .

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फूल और पत्थर (1966 फ़िल्म)

फूल और पत्थर 1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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बहू बेग़म

बहू बेगम 1967 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। .

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बादबाँ (1954 फ़िल्म)

बादबाँ 1954 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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बंदिश (1955 फ़िल्म)

बंदिश 1955 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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ब्रिटिश राज

ब्रिटिश राज 1858 और 1947 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश द्वारा शासन था। क्षेत्र जो सीधे ब्रिटेन के नियंत्रण में था जिसे आम तौर पर समकालीन उपयोग में "इंडिया" कहा जाता था‌- उसमें वो क्षेत्र शामिल थे जिन पर ब्रिटेन का सीधा प्रशासन था (समकालीन, "ब्रिटिश इंडिया") और वो रियासतें जिन पर व्यक्तिगत शासक राज करते थे पर उन पर ब्रिटिश क्राउन की सर्वोपरिता थी। .

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बैजू बावरा

बैजू बावरा (१५४२-१६१३) भारत के ध्रुपदगायक थे। उनको बैजनाथ प्रसाद और बैजनाथ मिश्र के नाम से भी जाना जाता है। वे ग्वालियर के राजा मानसिंह के दरबार के गायक थे और अकबर के दरबार के महान गायक तानसेन के समकालीन थे। उनके जीवन के बारे में बहुत सी किंवदन्तियाँ हैं जिनकी ऐतिहासिक रूप से पुष्टि नहीं की जा सकती है। .

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बैजू बावरा (1952 फ़िल्म)

बैजू बावरा हिन्दी भाषा की एक फ़िल्म है जो 1952 में प्रदर्शित हुई। यह प्रसिद्ध संगीतज्ञ बैजू बावरा के जीवन पर आधारित है हालांकि फ़िल्म की कहानी और बैजू बावरा पर प्रचलित दन्तकथाओं में काफ़ी असमानताएं हैं। फ़िल्म के निर्देशक हैं विजय भट्ट और मुख्य कलाकार हैं भारत भूषण और मीना कुमारी। फ़िल्म का काल सम्राट अकबर के समय का है और बैजू बावरा अपने पिता की मृत्यु का बदला संगीत सम्राट तानसेन से लेना चाहता है। तानसेन अकबर के दरबार के नव रत्नों में से एक था। .

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बेनज़ीर (1964 फ़िल्म)

बेनज़ीर 1964 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भीगी रात (1965 फ़िल्म)

भीगी रात 1965 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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महल

जयपुर स्थित हवामहल का एक दृश्य महल का अर्थ होता है भव्य और शानदार भवन जो सामानयतः शासकों, राजाओं के आवास के लिये निर्मित किये जाते थे। भारत में मध्यकाल तक ऐसे भवन निर्मित किये जाते रहे जिन्हें महल की संज्ञा दी जाती है और ऐसे कई तरह के महल पाये जाते हैं। यह मूलतः अरबी शब्द है जिसका मतलब होता है भवन। राजस्थान प्रान्त तो राजा महाराजाओं के महलों के कारण ही जाना जाता है। राजस्थानी महलों मे शेखावती महल अपनी खूबसूरती के लिये जाना जाता है। .

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महाराष्ट्र

महाराष्ट्र भारत का एक राज्य है जो भारत के दक्षिण मध्य में स्थित है। इसकी गिनती भारत के सबसे धनी राज्यों में की जाती है। इसकी राजधानी मुंबई है जो भारत का सबसे बड़ा शहर और देश की आर्थिक राजधानी के रूप में भी जानी जाती है। और यहाँ का पुणे शहर भी भारत के बड़े महानगरों में गिना जाता है। यहाँ का पुणे शहर भारत का छठवाँ सबसे बड़ा शहर है। महाराष्ट्र की जनसंख्या सन २०११ में ११,२३,७२,९७२ थी, विश्व में सिर्फ़ ग्यारह ऐसे देश हैं जिनकी जनसंख्या महाराष्ट्र से ज़्यादा है। इस राज्य का निर्माण १ मई, १९६० को मराठी भाषी लोगों की माँग पर की गयी थी। यहां मराठी ज्यादा बोली जाती है। मुबई अहमदनगर पुणे, औरंगाबाद, कोल्हापूर, नाशिक नागपुर ठाणे शिर्डी-अहमदनगर आैर महाराष्ट्र के अन्य मुख्य शहर हैं। .

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मिस मैरी (1957 फ़िल्म)

मिस मैरी 1957 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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मुम्बई

भारत के पश्चिमी तट पर स्थित मुंंबई (पूर्व नाम बम्बई), भारतीय राज्य महाराष्ट्र की राजधानी है। इसकी अनुमानित जनसंख्या ३ करोड़ २९ लाख है जो देश की पहली सर्वाधिक आबादी वाली नगरी है। इसका गठन लावा निर्मित सात छोटे-छोटे द्वीपों द्वारा हुआ है एवं यह पुल द्वारा प्रमुख भू-खंड के साथ जुड़ा हुआ है। मुम्बई बन्दरगाह भारतवर्ष का सर्वश्रेष्ठ सामुद्रिक बन्दरगाह है। मुम्बई का तट कटा-फटा है जिसके कारण इसका पोताश्रय प्राकृतिक एवं सुरक्षित है। यूरोप, अमेरिका, अफ़्रीका आदि पश्चिमी देशों से जलमार्ग या वायुमार्ग से आनेवाले जहाज यात्री एवं पर्यटक सर्वप्रथम मुम्बई ही आते हैं इसलिए मुम्बई को भारत का प्रवेशद्वार कहा जाता है। मुम्बई भारत का सर्ववृहत्तम वाणिज्यिक केन्द्र है। जिसकी भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 5% की भागीदारी है। यह सम्पूर्ण भारत के औद्योगिक उत्पाद का 25%, नौवहन व्यापार का 40%, एवं भारतीय अर्थ व्यवस्था के पूंजी लेनदेन का 70% भागीदार है। मुंबई विश्व के सर्वोच्च दस वाणिज्यिक केन्द्रों में से एक है। भारत के अधिकांश बैंक एवं सौदागरी कार्यालयों के प्रमुख कार्यालय एवं कई महत्वपूर्ण आर्थिक संस्थान जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक, बम्बई स्टॉक एक्स्चेंज, नेशनल स्टऑक एक्स्चेंज एवं अनेक भारतीय कम्पनियों के निगमित मुख्यालय तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियां मुम्बई में अवस्थित हैं। इसलिए इसे भारत की आर्थिक राजधानी भी कहते हैं। नगर में भारत का हिन्दी चलचित्र एवं दूरदर्शन उद्योग भी है, जो बॉलीवुड नाम से प्रसिद्ध है। मुंबई की व्यवसायिक अपॊर्ट्युनिटी, व उच्च जीवन स्तर पूरे भारतवर्ष भर के लोगों को आकर्षित करती है, जिसके कारण यह नगर विभिन्न समाजों व संस्कृतियों का मिश्रण बन गया है। मुंबई पत्तन भारत के लगभग आधे समुद्री माल की आवाजाही करता है। .

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मैं चुप रहूँगी (1962 फ़िल्म)

मैं चुप रहूँगी 1962 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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मेम साहिब (1956 फ़िल्म)

मेम साहिब 1956 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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मेरे अपने (1971 फ़िल्म)

मेरे अपने १९७१ में गुलज़ार द्वारा रचित व निर्देशित हिंदी फ़िल्म है। यह फ़िल्म बांगला फ़िल्म 'आपनजन' का हिंदी रूपांतर है जिसमें मुख्य भूमिका मीना कुमारी, विनोद खन्ना, शत्रुघन सिन्हा, देवेन वर्मा, पेंटल, असित सेन, असरानी, डैनी डेन्जोंगपा, कैस्टो मुखर्जी, ए के हंगल, दिनेश ठाकुर, महमूद और योगिता बाली ने निभायी है। .

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यहूदी (1958 फ़िल्म)

यहूदी 1958 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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शतरंज (1956 फ़िल्म)

शतरंज 1956 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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शारदा (1957 फ़िल्म)

शारदा 1957 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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सनम (1951 फ़िल्म)

सनम 1951 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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सहारा (1958 फ़िल्म)

सहारा 1958 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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साहिब बीबी और ग़ुलाम (1962 फ़िल्म)

साहिब बीबी और ग़ुलाम गुरु दत्त द्वारा निर्मित और अबरार अलवी द्वारा निर्देशित १९६२ की भारतीय हिन्दी फ़िल्म है। यह बिमल मित्रा द्वारा लिखी गई एक बंगाली उपन्यास, शाहेब बीबी गोलाम पर आधारित है और ब्रिटिश राज के दौरान १९वीं शताब्दी के अंत तथा २०वीं शताब्दी की शुरुआत में बंगाल में ज़मींदारी और सामंतवाद के दुखद पतन की झलक है। फ़िल्म एक कुलीन (साहिब) की एक सुंदर, अकेली पत्नी (बीबी) और एक कम आय अंशकालिक दास (ग़ुलाम) के बीच एक आदर्शवादी दोस्ती को दर्शाने की कोशिश करती है। फ़िल्म का संगीत हेमंत कुमार और गीत शकील बदायूँनी ने दिए हैं। फ़िल्म के मुख्य कलाकार गुरु दत्त, मीना कुमारी, रहमान, वहीदा रहमान और नज़ीर हुसैन थे। इस फ़िल्म को कुल चार फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कारों से नवाज़ा गया था जिनमें से एक फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार भी था। .

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संगीतकार

संगीत की धुनों को बनाने या संवारने वाले कलाकार को संगीतकार कहते है। श्रेणी:संगीतकार.

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गज़ल (1964 फ़िल्म)

गज़ल 1964 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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आरती (1962 फ़िल्म)

आरती 1962 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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आज़ाद (1955 फ़िल्म)

आज़ाद 1955 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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काजल

अधिक विकल्पों के लिए यहां जाएं - काजल (बहुविकल्पी) काजल एक श्याम पदार्थ है जो धुंए की कालिख और तेल तथा कुछ अन्य द्रव्य को मिलाकर बनाया जाता है। इसका पारम्परिक हिन्दू श्रृंगार में बहुत प्रयोग किया जाता है। इसमें कार्बन की मात्रा अधिक रहती है। काजल zh:眼影粉.

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काजल (1965 फ़िल्म)

काजल 1965 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। इस चलचित्र के निर्माता पन्नालाल माहेश्वरी थे, तथा निर्देशक के तौर पर राम माहेश्वरी ने अपना योगदान दिया था। इस चलचित्र के सितारे थे -मीना कुमारी, धर्मेन्द्र, राज कुमार, पद्मिनी, हेलन, दुर्गा खोटे, टुन टुन, महमूद और मुमताज़। इस चलचित्र के लिए संगीत दिया था रवि ने। गुलशन नंदा के उपन्यास "माधवी " पर आधारित इस चलचित्र के लिए फणी मजुमदार और किदार शर्मा ने संवाद लेखन किया। यह चलचित्र बॉक्स ऑफिस पर "हिट" रही। यह फ़िल्म गुलशन नन्दा के उपन्यास माधवी पर आधारित है। .

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किनारे किनारे (1963 फ़िल्म)

किनारे किनारे १९६३ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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कोहिनूर (1960 फ़िल्म)

कोहिनूर 1960 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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अमर

अमर अथवा अमरचंद नाम के कई व्यक्तियों के उल्लेख प्राप्य हैं- (१) परिमल नामक संस्कृत व्याकरण के रचयिता। (२) वायड़गच्छीय जिनदत्त सूरि के शिष्य। इन्होंने कलाकलाप, काव्य-कल्पलता-वृत्ति, छंदोरत्नावली, बालभारत आदि संस्कृत ग्रंथों का प्रणयन किया। (३) विवेकविलास के रचयिता। ईसा की १३वीं शताब्दी में यह विद्यमान थे। श्रेणी:बहुविकल्पी शब्द श्रेणी:संस्कृत ग्रन्थकार.

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अर्द्धांगिनी (1959 फ़िल्म)

अर्द्धांगिनी 1959 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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अकेली मत जाइयो (1963 फ़िल्म)

अकेली मत जइयो १९६३ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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१ अगस्त

1 अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 213वॉ (लीप वर्ष मे 214 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 152 दिन बाकी है। .

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१९३३

1933 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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१९५३

1953 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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१९५४

१९५४ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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१९५५

1955 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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१९६३

1963 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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१९६४

1964 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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१९६६

1966 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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१९७२

१९७२ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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३१ मार्च

चित्र:BP Sinha, Lion of Dhanbad.jpg ३१ मार्च ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ९०वॉ (लीप वर्ष में ९१ वॉ) दिन है। साल में अभी और २७५ दिन बाकी है। .

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