लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

चार साहिबज़ादे (फ़िल्म)

सूची चार साहिबज़ादे (फ़िल्म)

चार साहिबज़ादे 2014 में हैरी बावेजा द्वारा निर्देशित एक पंजाबी 3डी एनिमेटिड फिल्म है। यह सिखों के दशम गुरु श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के चार सुपुत्रों - साहिबज़ादा अजीत सिंह, जुझार सिंह, ज़ोरावर सिंह, व फतेह सिंह के बलिदान पर आधारित है। फिल्म का निर्माण बावेजा मूवीज़ के बैनर तले पम्मी बावेजा द्वारा किया गया। ओम पुरी ने इस फिल्म में सूत्रधार के रूप में आवाज़ दी है। अन्य पात्रों को आवाज़ देने वाले कलाकारों का नाम गुप्त रखा गया है। .

12 संबंधों: चमकौर का युद्ध, मित्तर प्यारे नूँ, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, सरहिंद फतेहगढ़, सिख, सुखविंदर सिंह, हरमन बावेजा, जुझार सिंह, ख़ालसा, गुरु गोबिन्द सिंह, ओम पुरी, अमरिंदर गिल

चमकौर का युद्ध

चमकौर का युद्ध 1704 में 21, 22,23 दिसम्बर को गुरु गोविंद सिंह और वजीर खान की अगुआई में मुगलों की सेना के बीच पंजाब के चमकौर में लड़ा गया था। गुरु गोबिंद सिंह जी 20 दिसम्बर की रात आनंद पुर साहिब छोड़ कर 21 दिसम्बर की शाम को चमकौर पहुचे थे,और उनके पीछे मुगलों की एक विशाल सेना जिसकी अगुआई वजीर खां कर रहा था, वह 22 दिसम्बर की सुबह चमकौर पहुचे थे,वजीर खां गुरु गोबिंद सिंह को जिन्दा या मुर्दा पकड़ना चाहता था।चमकौर की उस धरती पर हुआ था वह एक युद्ध जिसमे एक तरफ गुरु गोबिंद सिंह, उनके दो बड़े साहिबजादे अजीत सिंह जुझार सिंह और 40 सिंह थे परन्तु 43 सिंघो ने मिलकर वजीर खां की आधे से ज्यादा सेना को तबाह कर दिया, वजीर खान गुरु गोविंद सिंह को पकड़ने में नाकाम रहा, लेकिन इस युद्ध में गुरु जी के दो पुत्रों साहिबज़ादा अजीत सिंह व साहिबज़ादा जुझार सिंह और 40 सिंघो ने शहीदी प्राप्त की। गुरु गोविंद सिंह ने इस युद्ध का वर्णन ज़फ़रनामा में किया है। उन्होंने बताया है कि जब वे सरसा नदी को पार कर चमकौर पहुंचे तो किस तरह मुगलों ने उन पर हमला किया। .

नई!!: चार साहिबज़ादे (फ़िल्म) और चमकौर का युद्ध · और देखें »

मित्तर प्यारे नूँ

मित्तर प्यारे नूँ (हिंदी अनुवाद: मित्र प्यारे को) एक अतिप्रसिद्ध पंजाबी शबद है जो सिखों के दशम गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा रचित है। माना जाता है कि इसकी रचना उन्होंने माछीवाड़ा के वनवास के समय की थी। .

नई!!: चार साहिबज़ादे (फ़िल्म) और मित्तर प्यारे नूँ · और देखें »

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी भारत में मौजूद संस्था है जो गुरुद्वारों के रख-रखाव के लिये उत्तरदायी है। इसका अधिकार क्षेत्र तीन राज्यों पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश तक है। संघ शासित क्षेत्र चंडीगढ़ भी इसमें सम्मिलित है। अमृतसर स्थित हरिमन्दिर साहिब यही संचालित करते हैं। कमेटी को पंजाब के मुख्यमंत्री शासित करते हैं। यह कमेटी गुरुद्वारों की सुरक्षा, वित्तीय, सुविधा रख-रखाव और धार्मिक पहलुओं का प्रबंधन करता है। साथ ही सिख गुरुओं के हथियार, कपड़े, किताबें और लेखन सहित पुरातात्विक रूप से दुर्लभ और पवित्र कलाकृतियों को सुरक्षित रखती है। .

नई!!: चार साहिबज़ादे (फ़िल्म) और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी · और देखें »

सरहिंद फतेहगढ़

सरहिन्द-फतेहगढ़ फतेहगढ़ साहिब जिला, पंजाब का एक शहर है। इसे प्रायः सरहिंद भी कहा जाता है। सरहिंद में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के २ बेटो को दीवार में चिनवा दिया गिया था .

नई!!: चार साहिबज़ादे (फ़िल्म) और सरहिंद फतेहगढ़ · और देखें »

सिख

भारतीय सेना के सिख रेजिमेन्ट के सैनिक सिख धर्म के अनुयायियों को सिख कहते हैं। इसे कभी-कभी सिक्ख भी लिखा जाता है। इनके पहले गुरू गुरु नानक जी हैं। गुरु ग्रंथ साहिब सिखों का पवित्र ग्रन्थ है। इनके प्रार्थना स्थल को गुरुद्वारा कहते हैं। हिन्दू धर्म की रक्षा में तथा भारत की आजादी की लड़ाई में और भारत की आर्थिक प्रगति में सिखों का बहुत बड़ा योगदान है। .

नई!!: चार साहिबज़ादे (फ़िल्म) और सिख · और देखें »

सुखविंदर सिंह

सुखविंदर सिंह एक पार्श्वगायक हैं जिन्हें मुख्यतः बॉलीवुड में पार्श्वगायन के लिए जाना जाता है। उन्हें छैया छैया गाने से प्रसिद्धि मिली जिसके लिए उन्होंने 1999 फिल्मफेयर पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ पुरुष पार्श्वगायक का पुरस्कार जीता है। सिंह मूल रूप से अमृतसर, पंजाब से आता है। वह भगवान शिव के एक समर्पित भक्त हैं सिंह ने पहली बार 8 साल की उम्र में मंच पर प्रदर्शन किया, 1 9 70 की फिल्म अभिनवत्री से किशोर कुमार और लता मंगेशकर के नंबर "सा रे गे मा पा पा, पे, दे, गा मा री, गा रे मैल गाँव साजना" का गायन करते हुए। उन्होंने एक पंजाबी एल्बम को भी जारी किया, जिसमें मुंडा साउथहॉल दा के साथ टी। सिंह लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल मंडली में शामिल हुए और काम की तलाश के लिए भारत के दक्षिण की ओर जाने से पहले जल्दी से एक संगीत संयोजक बन गए। इस समय उन्होंने रक्षकुडू नामक फिल्म बनाई। सिंह को फिल्म कर्म में अपना ब्रेक मिला, जिसमें उन्होंने कुछ लाइनें गाईं; फिर उन्होंने माधुरी दीक्षित फिल्म को खालाफ नाम दिया, जिसमें उन्होंने हिट गीत "आगा जाम" गाया। लेकिन गायक को एहसास हुआ कि उनकी आवाज़ में कुछ गायब हो गया था, एक विश्रामदिन और छोड़ दिया मुंबई को इंग्लैंड और अमेरिका के दौरे के लिए देखने, सुनना और संगीत के विभिन्न रूपों को समझना। अपने संगीत क्षितिज के विस्तार के बाद, वह अपने संगीत कैरियर को किक करने के लिए मुंबई लौट आए। हिंदी फिल्मों में उनका पहला प्रयास, आजा सनम, काफी हद तक अनौपचारिक रहा, हालांकि संगीत ने लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के नामों को अपनाया। फिर दिल से...

नई!!: चार साहिबज़ादे (फ़िल्म) और सुखविंदर सिंह · और देखें »

हरमन बावेजा

हरमन बावेजा (जन्म 13 नवम्बर 1980) एक भारतीय अभिनेता। उन्होंने बॉलीवुड फ़िल्म लव स्टोरी २०५० से अभिनय आरम्भ किया। .

नई!!: चार साहिबज़ादे (फ़िल्म) और हरमन बावेजा · और देखें »

जुझार सिंह

साहिबजादा जुझार सिंह (14 मार्च, 1691 – 7 दिसम्बर 1705), गुरु गोविन्द सिंह के द्वितीय पुत्र थे। वे माता जीतो के गर्भ से आनन्दपुर साहिब में जनमे थे। नानकशाही पंचांग के अनुसार उनका जन्मदिन अब ९ अप्रैल को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। .

नई!!: चार साहिबज़ादे (फ़िल्म) और जुझार सिंह · और देखें »

ख़ालसा

खालसा सिख धर्म के विधिवत् दीक्षाप्राप्त अनुयायियों सामूहिक रूप है। खालसा पंथ की स्थापना गुरु गोबिन्द सिंह जी ने १६९९ को बैसाखी वाले दिन आनंदपुर साहिब में की। इस दिन उन्होंने सर्वप्रथम पाँच प्यारों को अमृतपान करवा कर खालसा बनाया तथा तत्पश्चात् उन पाँच प्यारों के हाथों से स्वयं भी अमृतपान किया। सतगुरु गोबिंद सिंह ने खालसा महिमा में खालसा को "काल पुरख की फ़ौज" पद से निवाजा है। तलवार और केश तो पहले ही सिखों के पास थे, गुरु गोबिंद सिंह ने "खंडे बाटे की पाहुल" तयार कर कछा, कड़ा और कंघा भी दिया। इसी दिन खालसे के नाम के पीछे "सिंह" लग गया। शारीरिक देख में खालसे की भिन्ता नजर आने लगी। पर खालसे ने आत्म ज्ञान नहीं छोड़ा, उस का प्रचार चलता रहा और आवश्यकता पड़ने पर तलवार भी चलती रही। .

नई!!: चार साहिबज़ादे (फ़िल्म) और ख़ालसा · और देखें »

गुरु गोबिन्द सिंह

गुरु गोबिन्द सिंह (जन्म: २२ दिसम्बर १६६६, मृत्यु: ७ अक्टूबर १७०८) सिखों के दसवें गुरु थे। उनके पिता गुरू तेग बहादुर की मृत्यु के उपरान्त ११ नवम्बर सन १६७५ को वे गुरू बने। वह एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक नेता थे। सन १६९९ में बैसाखी के दिन उन्होने खालसा पन्थ की स्थापना की जो सिखों के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। गुरू गोबिन्द सिंह ने सिखों की पवित्र ग्रन्थ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया तथा उन्हें गुरु रूप में सुशोभित किया। बिचित्र नाटक को उनकी आत्मकथा माना जाता है। यही उनके जीवन के विषय में जानकारी का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। यह दसम ग्रन्थ का एक भाग है। दसम ग्रन्थ, गुरू गोबिन्द सिंह की कृतियों के संकलन का नाम है। उन्होने मुगलों या उनके सहयोगियों (जैसे, शिवालिक पहाडियों के राजा) के साथ १४ युद्ध लड़े। धर्म के लिए समस्त परिवार का बलिदान उन्होंने किया, जिसके लिए उन्हें 'सर्वस्वदानी' भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त जनसाधारण में वे कलगीधर, दशमेश, बाजांवाले आदि कई नाम, उपनाम व उपाधियों से भी जाने जाते हैं। गुरु गोविंद सिंह जहां विश्व की बलिदानी परम्परा में अद्वितीय थे, वहीं वे स्वयं एक महान लेखक, मौलिक चिंतक तथा संस्कृत सहित कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे। उन्होंने स्वयं कई ग्रंथों की रचना की। वे विद्वानों के संरक्षक थे। उनके दरबार में ५२ कवियों तथा लेखकों की उपस्थिति रहती थी, इसीलिए उन्हें 'संत सिपाही' भी कहा जाता था। वे भक्ति तथा शक्ति के अद्वितीय संगम थे। उन्होंने सदा प्रेम, एकता, भाईचारे का संदेश दिया। किसी ने गुरुजी का अहित करने की कोशिश भी की तो उन्होंने अपनी सहनशीलता, मधुरता, सौम्यता से उसे परास्त कर दिया। गुरुजी की मान्यता थी कि मनुष्य को किसी को डराना भी नहीं चाहिए और न किसी से डरना चाहिए। वे अपनी वाणी में उपदेश देते हैं भै काहू को देत नहि, नहि भय मानत आन। वे बाल्यकाल से ही सरल, सहज, भक्ति-भाव वाले कर्मयोगी थे। उनकी वाणी में मधुरता, सादगी, सौजन्यता एवं वैराग्य की भावना कूट-कूटकर भरी थी। उनके जीवन का प्रथम दर्शन ही था कि धर्म का मार्ग सत्य का मार्ग है और सत्य की सदैव विजय होती है। .

नई!!: चार साहिबज़ादे (फ़िल्म) और गुरु गोबिन्द सिंह · और देखें »

ओम पुरी

ओम पुरी हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता थे। इनका जन्म 18 अक्टूबर 1950 में अम्बाला, पंजाब (अब हरियाणा) में हुआ। इन्होने ब्रिटिश तथा अमेरिकी सिनेमा में भी योगदान किया है। ये पद्मश्री पुरस्कार विजेता भी हैं, जोकि भारत के नागरिक पुरस्कारों के पदानुक्रम में चौथा पुरस्कार है। दिल का दौरा पड़ने के कारण 6 जनवरी 2017 को 66 साल की उम्र में इनका निधन हो गया। - नवभारत टाइम्स - 6 जनवरी 2016 .

नई!!: चार साहिबज़ादे (फ़िल्म) और ओम पुरी · और देखें »

अमरिंदर गिल

अमरिंदर सिंह गिल एक पंजाबी गायक, संगीतकार व संगीत निर्माता है। उन्होंने अपना गायक के रूप में प्रदर्शन २००० में आये एक एल्बम अपनी जान के से किया था। वे हर समय एक सफल पंजाबी अभिनेता रहे है। .

नई!!: चार साहिबज़ादे (फ़िल्म) और अमरिंदर गिल · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »