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घूर्णी असंतुलन

सूची घूर्णी असंतुलन

असंतुलित घूर्णी शाफ्ट जब घूर्णन-अक्ष के चारों तरफ घूमने वाला द्रव्यमान असमान/असममित रूप से वितरित नहीं होता तो उसे घूर्णी असंतुलन (Rotating unbalance) कहते हैं। घूर्णी असंतुलन के कारण एक बलाघूर्ण (moment) उत्पन्न होता है जिसके कारण घूमने वाली वस्तु में घूर्णन-अक्ष के लम्बवत दिशा में कम्पन होने लगता है। .

2 संबंधों: बलाघूर्ण, बेयरिंग

बलाघूर्ण

बल F, बलाघूर्ण τ, रेखीय संवेग p, तथा कोणीय संवेग L में संबन्ध; ध्यान दें कि यहाँ घूर्णन एक ही तल में सीमित है। right 'तौलना' वास्तव में दो बलों के आघूर्णों की समानता पर आधारित है। किसी बल द्वारा किसी वस्तु को किसी अक्ष के परितः घुमाने की प्रवृत्ति (tendency) को बलाघूर्ण (Torque, moment या moment of force) कहते हैं। पार्श्व चित्र में बल F का बिन्दु O के सापेक्ष बलाघूर्ण M है तो - जहां r बिन्दु O के सापेक्ष बल F की क्रियारेखा पर स्थित किसी बिन्दु का स्थिति सदिश (position vector) है। मोटे तौर पर बलाघूर्ण का अर्थ किसी वस्तु (बोल्ट या फ्लाईव्हील) पर लगने वाला 'घूर्नन बल' (घुमाने वाला बल) होता है। उदाहरण के लिये जब किसी पाने (रिंच) के हैंडिल को खींचते या धक्का देते हैं तो इससे एक बलाघूर्ण उत्पन्न होता है जो नट या बोल्ट को ढीला करता है या कसता है। .

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बेयरिंग

चार बिन्दुओं पर सम्पर्क वाला बाल-बेयरिंग बाल-बेयरिंग का एनिमेशन किसी घूमनेवाली मशीन के अंग को संभालने के लिए धारुक या बेयरिंग (Bearings) का उपयोग होता है। यह एक ऐसी यांत्रिक युक्ति है जो मशीन के दो या अधिक भागों के बीच कम से कम घर्षण के साथ सापेक्ष गति (रेखीय गति या घूर्णन गति) की सुविधा प्रदान करती है। धुरी या तकले (शाफ्ट) के उस भाग को, जो बेयरिंग पर रखा जाता है, जर्नल (journal) कहा जाता है। जर्नल, धारुक के भीतर घूमती रहती है और इस प्रकार एक तो धारुक धुरी का भार और दूसरे उसपर डाले हुए बलों को सहन करती है तथा धूरी को बिना किसी रुकावट के घूमने का अवसर देती है। सरल धारुक एक नली के समान होता है, जिसमें धुरी को डाल दिया जाता है। परंतु तेज चलनेवाली धुरियों के लिए, या जहाँ घर्षण के कारण धारुक तपकर खराब हो सकता हो, धारुक के दो पाटों में बनाया जाता है जो विभिन्न प्रकार के होते हैं। किसी मशीन का धारुक ऐसा भाग है जिसपर मशीन के चलने से हर समय भार रहता है और धुरी के घूमने के कारण धारुक कुछ न कुछ घिसता ही रहता है। यदि धारुक को ठीक प्रकार से न बनाया जाए तो बहुत जल्द उसको बदलना पड़ता है। इसलिए सब बातों को ध्यान में रखते हुए धारुक को इस प्रकार बनाना पड़ता है कि वह कम से कम घिसे तथा घिसे हुए भागों को सुविधा से बदला जा सके। धारुक के दो भाग होते हैं, एक बंधनी (bracket) कहलाता है, जो मशीन में कसा जाता है और इस बंधनी के भीतर धारुक को जमाया जाता है, जो पीतल "गन" धातु (gun metal), या काँसे का होता है। इसी प्रकार की दूसरी धातुएँ भी इस भाग के बनाने में काम आती हैं। इसी भाग के भीतर धुरी घूमती है। .

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