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गैसीकरण

सूची गैसीकरण

गैसीकरण (Gasification) वह प्रक्रिया है जिसमें जैविक पदार्थों या जीवाश्म आधारित कार्बनयुक्त पदार्थों को कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोजन, कार्बन डाईऑक्साइड और मिथेन में बदला जाता है। इस प्रक्रिया में पदार्थ को उच्च ताप (>700 °C) पर ले जाकर, बिना ज्वलन के, नियंत्रित मात्रा में ऑक्सीजन और/या जलवाष्प से क्रिया करायी जाती है। प्राप्त गैस का मिश्रण प्रोड्युसर गैस या 'सिंथेटिक गैस' कहलाती है जो स्वयं एक ईंधन है। इसका महत्व इस बात में है कि यह नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्ति का एक स्रोत है। गैसीकरण का लाभ यह है कि सिंथेटिक गैस को उपयोग में लाना मूल पदार्थ को उपयोग में लाने की अपेक्षा अधिक दक्ष (efficient) है क्योंकि इसे अधिक ताप पर भी जलाया जा सकता है या ईंधन सेल में भी जलाया जा सकता है। इस गैस को सीधे गैस इंजनों में भी जलाया जा सकता है। इस गैस को फिशर-ट्रॉप्स प्रक्रिया (Fischer-Tropsch process) द्वारा मेथेनॉल और हाइड्रोजन में बदला जा सकता है। गैसीकरण के लिये ऐसे पदार्थ का भी उपयोग किया जा सकता है जो अन्यथा कचड़ा समझकर फेंक दिया जाता है। इस समय जीवाश्म ईंधन का गैसीकरण औद्योगिक पैमाने बहुतायत में हो रहा है जिससे बिजली पैदा की जाती है। .

18 संबंधों: ऊर्जा, दहन, भारतीय विज्ञान संस्थान, मिथेन, मेथेनॉल, हाइड्रोजन, जलवाष्प, जैवभार, जीवाश्म, जीवाश्म ईंधन, ईन्धन, ईंधन सेल, गैसनिर्माण, ऑक्सीजन, कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड, अन्तर्दहन इंजन, अक्षय ऊर्जा

ऊर्जा

दीप्तिमान (प्रकाश) ऊर्जा छोड़ता हैं। भौतिकी में, ऊर्जा वस्तुओं का एक गुण है, जो अन्य वस्तुओं को स्थानांतरित किया जा सकता है या विभिन्न रूपों में रूपांतरित किया जा सकता हैं। किसी भी कार्यकर्ता के कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा (Energy) कहते हैं। ऊँचाई से गिरते हुए जल में ऊर्जा है क्योंकि उससे एक पहिये को घुमाया जा सकता है जिससे बिजली पैदा की जा सकती है। ऊर्जा की सरल परिभाषा देना कठिन है। ऊर्जा वस्तु नहीं है। इसको हम देख नहीं सकते, यह कोई जगह नहीं घेरती, न इसकी कोई छाया ही पड़ती है। संक्षेप में, अन्य वस्तुओं की भाँति यह द्रव्य नहीं है, यद्यापि बहुधा द्रव्य से इसका घनिष्ठ संबंध रहता है। फिर भी इसका अस्तित्व उतना ही वास्तविक है जितना किसी अन्य वस्तु का और इस कारण कि किसी पिंड समुदाय में, जिसके ऊपर किसी बाहरी बल का प्रभाव नहीं रहता, इसकी मात्रा में कमी बेशी नहीं होती। .

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दहन

आक्सीजन की उपस्थिति में लकड़ी का दहन किसी जलने वाले पदार्थ के वायु या आक्सीकारक द्वारा जल जाने की क्रिया को दहन या जलना (Combustion) कहते हैं। दहन एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया (exothermic reaction) है। इस क्रिया में आँखों से ज्वाला दिख भी सकती है और नहीं भी। इस प्रक्रिया में ऊष्मा तथा अन्य विद्युतचुम्बकीय विकिरण (जैसे प्रकाश) भी उत्पन्न होते हैं। आम दहन के उत्पाद गैसों के द्वारा प्रदूषण भी फैलता है। विज्ञान के इतिहास में अग्नि वा ज्वाला सबंधी सिद्धांतों का विशेष महत्व रहा है। उदाहरण के लिए किसी हाइड्रोकार्बन के दहन का सामान्य रासायनिक समीकरण निम्नलिखित है- मिथेन के लिए इस समीकरण का स्वरूप निम्नवत हो जाएगा- .

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भारतीय विज्ञान संस्थान

भारतीय विज्ञान संस्थान का प्रशासकीय भवन भारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science) भारत का वैज्ञानिक अनुसंधान और उच्च शिक्षा के लिये अग्रगण्य शिक्षा संस्थान है। यह बंगलुरु में स्थित है। इस संस्थान की गणना भारत के इस तरह के उष्कृष्टतम संस्थानों में होती है। संस्थान ने प्रगत संगणन, अंतरिक्ष, तथा नाभिकीय प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान किया है।  2016 तक यह संस्थान दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 250 संस्थानों में से एक था .

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मिथेन

मिथेन अल्केन श्रेणी का प्रथम सदस्य है। यह सबसे साधारण हाइड्रोकार्बन है। .

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मेथेनॉल

कोई विवरण नहीं।

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हाइड्रोजन

हाइड्रोजन पानी का एक महत्वपूर्ण अंग है शुद्ध हाइड्रोजन से भरी गैस डिस्चार्ज ट्यूब हाइड्रोजन (उदजन) (अंग्रेज़ी:Hydrogen) एक रासायनिक तत्व है। यह आवर्त सारणी का सबसे पहला तत्व है जो सबसे हल्का भी है। ब्रह्मांड में (पृथ्वी पर नहीं) यह सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। तारों तथा सूर्य का अधिकांश द्रव्यमान हाइड्रोजन से बना है। इसके एक परमाणु में एक प्रोट्रॉन, एक इलेक्ट्रॉन होता है। इस प्रकार यह सबसे सरल परमाणु भी है। प्रकृति में यह द्विआण्विक गैस के रूप में पाया जाता है जो वायुमण्डल के बाह्य परत का मुख्य संघटक है। हाल में इसको वाहनों के ईंधन के रूप में इस्तेमाल कर सकने के लिए शोध कार्य हो रहे हैं। यह एक गैसीय पदार्थ है जिसमें कोई गंध, स्वाद और रंग नहीं होता है। यह सबसे हल्का तत्व है (घनत्व 0.09 ग्राम प्रति लिटर)। इसकी परमाणु संख्या 1, संकेत (H) और परमाणु भार 1.008 है। यह आवर्त सारणी में प्रथम स्थान पर है। साधारणतया इससे दो परमाणु मिलकर एक अणु (H2) बनाते है। हाइड्रोजन बहुत निम्न ताप पर द्रव और ठोस होता है।।इण्डिया वॉटर पोर्टल।०८-३०-२०११।अभिगमन तिथि: १७-०६-२०१७ द्रव हाइड्रोजन - 253° से.

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जलवाष्प

जलवाष्प अथवा जल वाष्प पानी की गैसीय अवस्था है और अन्य अवस्थाओं के विपरीत अदृश्य होती है। पृथ्वी के वायुमण्डल में इसकी मात्रा लगातार परिवर्तनशील होती है। द्रव अवस्था में स्थित पानी से जलवाष्प का निर्माण क्वथन अथवा वाष्पीकरण के द्वारा होता रहता है और संघनन द्वारा जलवाष्प द्रव अवस्था में भी परिवर्तित होती रहती है। बर्फ़ से इसका निर्माण ऊर्ध्वपातन की प्रक्रिया द्वारा होता है। .

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जैवभार

पुआल के गट्ठर बायोमास बानाने के काम आते हैं। धान की भूसी को जलाकर ऊर्जा (ऊष्मा) प्राप्त की जा सकती है। Panicum virgatum का उपयोग जैव मात्रा के रूप में किया जाता है। जीवित जीवों अथवा हाल ही में मरे हुए जीवों से प्राप्त पदार्थ जैव मात्रा या जैव संहति या 'बायोमास' (Biomass) कहलाता है। प्रायः यहाँ 'जीव' से आशय 'पौधों' से है। बायोमास ऊर्जा के स्रोत हैं। इन्हें सीधे जलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है या इनको विभिन्न प्रकार के जैव ईंधन में परिवर्तित करने के बाद इस्तेमाल किया जा सकता है। उदाहरण- गन्ने की खोई, धान की भूसी, अनुपयोगी लकड़ी आदि बायोमास को जैव ईंधन के रूप में कई प्रकार से बदला जा सकता है, जिन्हें मोटे तौर पर तीन भागों में बांटा जा सकता है- ऊष्मीय विधियाँ, रासायनिक विधियाँ तथा जैवरासायनिक विधियाँ। .

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जीवाश्म

एक जीवाश्म मछली पृथ्वी पर किसी समय जीवित रहने वाले अति प्राचीन सजीवों के परिरक्षित अवशेषों या उनके द्वारा चट्टानों में छोड़ी गई छापों को जो पृथ्वी की सतहों या चट्टानों की परतों में सुरक्षित पाये जाते हैं उन्हें जीवाश्म (जीव + अश्म .

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जीवाश्म ईंधन

कोल, एक प्रकार का जीवाश्म ईंधन है। जीवाश्म ईंधन एक प्रकार का कई वर्षों पहले बना प्राकृतिक ईंधन है। यह लगभग 65 करोड़ वर्ष पूर्व जीवों के जल कर उच्च दाब और ताप में दबने से हुई है। यह ईंधन पेट्रोल, डीजल, घासलेट आदि के रूप में होता है। इसका उपयोग वाहन चलाने, खाना पकाने, रोशनी करने आदि में किया जाता है। .

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ईन्धन

जलती हुई प्राकृतिक गैस ईधंन (Fuel) ऐसे पदार्थ हैं, जो आक्सीजन के साथ संयोग कर काफी ऊष्मा उत्पन्न करते हैं। 'ईंधन' संस्कृत की इन्ध्‌ धातु से निकला है जिसका अर्थ है - 'जलाना'। ठोस ईंधनों में काष्ठ (लकड़ी), पीट, लिग्नाइट एवं कोयला प्रमुख हैं। पेट्रोलियम, मिट्टी का तेल तथा गैसोलीन द्रव ईधंन हैं। कोलगैस, भाप-अंगार-गैस, द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस और प्राकृतिक गैस आदि गैसीय ईंधनों में प्रमुख हैं। आजकल परमाणु ऊर्जा भी शक्ति के स्रोत के रूप में उपयोग की जाती है, इसलिए विखंडनीय पदार्थों (fissile materials) को भी अब ईंधन माना जाता है। वैज्ञानिक और सैनिक कार्यों के लिए उपयोग में लाए जानेवाले राकेटों में, एल्कोहाल, अमोनिया एवं हाइड्रोजन जैसे अनेक रासायनिक यौगिक भी ईंधन के रूप में प्रयुक्त होते हैं। इन पदार्थों से ऊर्जा की प्राप्ति तीव्र गति से होती है। विद्युत्‌ ऊर्जा का प्रयोग भी ऊष्मा की प्राप्ति के लिए किया जाता है इसलिए इसे भी कभी-कभी ईंधनों में सम्मिलित कर लिया जाता है। .

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ईंधन सेल

मिथेनॉल से सीधे विद्युत उत्पादन करने वाले ईंधन से का मॉडल ईंधन सेल (fuel cell) एक विद्युतरासायनिक युक्ति है जो ईंधन से प्राप्त रासायनिक ऊर्जा को सीधे विद्युत में परिवर्तित करती है। यह परिवर्तन एक रासायनिक अभिक्रिया के द्वारा होता है जिसमें धनावेशित हाइड्रोजन ऑयन, आक्सीजन या किसी अन्य आक्सीकारक से क्रिया करते हैं। ईंधन सेल, परम्परागत बैटरियों से इस दृष्टि से भिन्न हैं कि इनकी रासायनिक अभिक्रिया को चलते हुए बनाये रखने के लिये ईंधन और आक्सीजन के अविराम स्रोत आवश्यक होता है। ईंधन सेल तब तक ही विद्युत उत्पादन कर सकते हैं जब तक ईंधन और आक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित बनी रहे। फ्यूल सेल दिष्ट धारा के रूप मे विहात उत्पादन करते है।.

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गैसनिर्माण

गैसनिर्माण दो उद्देश्यों से होता है। कुछ गैसें प्रकाश उत्पन्न करने के लिये बनाई जाती हैं। ऐसी गैसों को "प्रदीपक गैस" कहते हैं। कुछ गैसें ईंधन के लिये बनाई जाती हैं। ऐसी गैसों को "तापन गैस" कहते हैं। दोनों किस्म की गैसें "दाह्म गैस" हैं। इन्हें "औद्योगिक गैस" भी कहते हैं। गैसनिर्माण के एक संयंत्र की रूपरेखा (IGCC .

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ऑक्सीजन

ऑक्सीजन या प्राणवायु या जारक (Oxygen) रंगहीन, स्वादहीन तथा गंधरहित गैस है। इसकी खोज, प्राप्ति अथवा प्रारंभिक अध्ययन में जे.

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कार्बन डाईऑक्साइड

कार्बन डाइआक्साइड (Carbon dioxide) (रासायनिक सूत्र CO2) एक रंगहीन तथा गन्धहीन गैस है जो पृथ्वी पर जीवन के लिये अत्यावश्यक है। धरती पर यह प्राकृतिक रूप से पायी जाती है। धरती के वायुमण्डल में यह गैस आयतन के हिसाब से लगभग 0.03 प्रतिशत होती है। कार्बन डाईऑक्साइड कार्बन डाइआक्साइड का निर्माण आक्सीजन के दो परमाणु तथा कार्बन के एक परमाणु से मिलकर हुआ है। सामान्य तापमान तथा दबाव पर यह गैसीय अवस्था में रहती है। वायुमंडल में यह गैस 0.03% 0.04% तक पाई जाती है, परन्तु मौसम में परिवर्तन के साथ वायु में इसकी सान्द्रता भी थोड़ी परिवर्तित होती रहती है। यह एक ग्रीनहाउस गैस है, क्योंकि सूर्य से आने वाली किरणों को तो यह पृथ्वी के धरातल पर पहुंचने देती है परन्तु पृथ्वी की गर्मी जब वापस अंतरिक्ष में जाना चाहती है तो यह उसे रोकती है। पृथ्वी के सभी सजीव अपनी श्वसन की क्रिया में कार्बन डाइआक्साइड का त्याग करते है। जबकि हरे पेड़-पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करते समय इस गैस को ग्रहण करके कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते हैं। इस प्रकार कार्बन डाइआक्साइड कार्बन चक्र का प्रमुख अवयव है। कार्बन के रासायनिक यौगिकों को कार्बनिक यौगिक कहते हैं। प्रकृति में इनकी संख्या 10 लाख से भी अधिक है। जीवन पद्धति में कार्बनिक यौगिकों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। इनमें कार्बन के साथ-साथ हाइड्रोजन भी रहता है। ऐतिहासिक तथा परंपरा गत कारणों से कुछ कार्बन के यौगकों को कार्बनिक यौगिकों की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। इनमें कार्बनडाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड प्रमुख हैं। सभी जैव अणु जैसे कार्बोहाइड्रेट, अमीनो अम्ल, प्रोटीन, आरएनए तथा डीएनए कार्बनिक यौगिक ही हैं। कार्बन और हाइड्रोजन के यौगिको को हाइड्रोकार्बन कहते हैं। मेथेन (CH4) सबसे छोटे अणुसूत्र का हाइड्रोकार्बन है। ईथेन (C2H6), प्रोपेन (C3H8) आदि इसके बाद आते हैं, जिनमें क्रमश: एक एक कार्बन जुड़ता जाता है। हाइड्रोकार्बन तीन श्रेणियों में विभाजित किए जा सकते हैं: ईथेन श्रेणी, एथिलीन श्रेणी और ऐसीटिलीन श्रेणी। ईथेन श्रेणी के हाइड्रोकार्बन संतृप्त हैं, अर्थात्‌ इनमें हाइड्रोजन की मात्रा और बढ़ाई नहीं जा सकती। एथिलीन में दो कार्बनों के बीच में एक द्विबंध (.

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कार्बन मोनोआक्साइड

कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) (अंग्रेजी:Carbon monoxide) एक रंगहीन गैस है। यह गैस हवा से थोड़ी हल्की होती है। ऊँची सांद्रता में यह मनुष्यों और जानवरों के लिए विषाक्त होती है, हालाँकि कम मात्रा में यह कुछ सामान्य जैविक कार्यों के लिए उपयोगी साबित होती है। .

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अन्तर्दहन इंजन

42-सिलिण्डर वाला JSC Zvezda M503 डीजल इंजन, 2940 kW अन्तर्दहन इंजन (अन्तः दहन इंजन या आन्तरिक दहन इंजन या internal combustion engine) ऐसा इंजन है जिसमें ईंधन एवं आक्सीकारक सभी तरफ से बन्द एक बेलानाकार दहन कक्ष में जलते हैं। दहन की इस क्रिया में प्रायः हवा ही आक्सीकारक का काम करती है। जिस बन्द कक्ष में दहन होता है उसे दहन कक्ष (कम्बशन चैम्बर) कहते हैं। दहन की यह अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी (exothermic reaction) होती है जो उच्च ताप एवं दाब वाली गैसें उत्पन्न करती है। ये गैसें दहन कक्ष में लगे हुए एक पिस्टन को धकेलती हुए फैलतीं है। पिस्टन एक कनेक्टिंग रॉड के माध्यम से एक क्रेंक शाफ्ट(घुमने वाली छड़) से जुड़ा होता है, इस प्रकार जब पिस्टन नीचे की तरफ जाता है तो कनेक्टिंग रॉड से जुड़ी क्रेंक शाफ्ट घुमने लगती है, इस प्रकार ईंधन की रासायनिक ऊर्जा पहले ऊष्मीय ऊर्जा में बदलती है और फिर ऊष्मीय ऊर्जा यांत्रिक उर्जा में बदल जाती है। अन्तर्दहन इंजन के विपरीत बहिर्दहन इंजन, (जैसे, वाष्प इंजन) में कार्य करने वाला तरल (जैसे वाष्प) किसी अन्य कक्ष में किसी तरल को गरम करके प्राप्त किया जाता है। प्रायः पिस्टनयुक्त प्रत्यागामी इंजन, जिसमें कुछ-कुछ समयान्तराल के बाद दहन होता है (लगातार नहीं), को ही अन्तर्दहन इंजन कहा जाता है किन्तु जेट इंजन, अधिकांश रॉकेट एवं अनेक गैस टर्बाइनें भी अन्तर्दहन इंजन की श्रेणी में आती हैं जिनमें दहन की क्रिया अनवरत रूप से चलती रहती है। .

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अक्षय ऊर्जा

अक्षय उर्जा या नवीकरणीय ऊर्जा (अंग्रेजी:Renewable Energy) में वे सारी उर्जा शामिल हैं जो प्रदूषणकारक नहीं हैं तथा जिनके स्रोत का क्षय नहीं होता, या जिनके स्रोत का पुनः-भरण होता रहता है। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जलविद्युत उर्जा, ज्वार-भाटा से प्राप्त उर्जा, बायोमास, जैव इंधन आदि नवीनीकरणीय उर्जा के कुछ उदाहरण हैं। .

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