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खोई भाषाएँ

सूची खोई भाषाएँ

खोई भाषाएँ (Khoe languages) अफ़्रीका के दक्षिणी हिस्से में बोली जाने वाली भाषाओं का वह सबसे बड़ा परिवार है जो बांटू भाषा-परिवार का सदस्य नहीं है। यह पहले खोईसान भाषाओं की एक शाखा मानी जाती थी और 'मध्य खोईसान' के नाम से जानी जाती थी, लेकिन आधुनिक काल में यह एक अलग परिवार समझा जाता है। खोई भाषाओं में से सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा नामा भाषा है जो नामीबिया में बोली जाती है। अन्य खोई भाषाएँ बोत्स्वाना में कालाहारी रेगिस्तान में बोली जाती हैं। खोई भाषाएँ अपने क्लिक व्यंजनो के लिये जानी जाती हैं।, Alan Barnard, pp.

7 संबंधों: नामीबिया, बांटू भाषा परिवार, बोत्सवाना, खोईसान भाषाएँ, कालाहारी मरुस्थल, क्लिक व्यंजन, अफ़्रीका

नामीबिया

नाम्बिया (या नामीबिया) दक्षिणी अफ्रीका का एक देश है जिसकी राजधानी विंडहॉक हैं। इसके पड़ोसी देश हैं - अंगोला, बोत्सवाना और दक्षिण अफ्रीका। देश का पश्चिमी भाग कालाहारी मरुस्थल के क्षेत्रों में से एक है। यहाँ के मूल वासियों में बुशमैन, दामाका जातियों का नाम आता है - जर्मनी ने १८८४ में इसको अपना उपनिवेश बनाया और प्रथम विश्युद्ध के बाद यह दक्षिण अफ्रीका का क्षेत्र बन गया। नामिब मरुस्थल भी यहीं है। .

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बांटू भाषा परिवार

अफ़्रीका के भाषा परिवार - बांटू भाषाओँ का क्षेत्र नारंगी रंग में है बांटू भाषाएँ (Bantu languages) नाइजर-कांगो भाषा परिवार की एक उपशाखा है जिसमें अफ़्रीका के महाद्वीप के दक्षिणी भाग में बोले जाने वाली लगभग २५० भाषाएँ हैं। यह सारी कैमरुन देश के पूर्व और दक्षिण में बोली जाती हैं। इस भाषा परिवार में स्वाहिली भाषा भी आती है जो आठ राष्ट्रों में ८ करोड़ से ज़्यादा लोग बोलते हैं। इस परिवार की अन्य भाषाओँ में शोना भाषा (१.४ करोड़ मातृभाषी), ज़ूलू भाषा (१ करोड़) और कोसा भाषा भी शामिल हैं। माना जाता है कि आज से २५००-३००० वर्ष पूर्व नाइजीरिया या कैमरून के इलाक़े में आदिम-बांटू भाषा बोली जाती थी। इसे बोलने वाले हज़ारों सालों में उप-सहारा अफ़्रीका में फैलकर बस गए और आदिम-बांटू की बहुत सी संतान भाषाएँ ही अब परिवार की भिन्न-भिन्न सदस्य हैं। .

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बोत्सवाना

बोत्सवाना का मानचित्र बोत्सवाना गणराज्य (अंग्रेजी: Republic of Botswana, श्वाना: Lefatshe la Botswana), अफ्रीकी महाद्वीप के दक्षिण में स्थित एक स्थल-रुद्ध देश है। 30 सितम्बर 1966 को ब्रिटेन की संयुक्त राजशाही से स्वतंत्रता मिलने से पूर्व इसे ब्रिटिश संरक्षित राज्य, बेचुआनालैंड के नाम से जाना जाता था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद ब्रिटिश राष्ट्रमंडल के अंतर्गत इस देश ने एक नया नाम बोत्सवाना अपना लिया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यहाँ लगातार स्वतंत्र और निष्पक्ष लोकतांत्रिक चुनाव आयोजित किये जा रहे हैं। जिम्बाब्वे,अंगोला, जांबिया और दक्षिण अफ्रीका इसके पड़ोसी देश हैं। भौगोलिक दृष्टि से बोत्सवाना एक सपाट देश है और इसके लगभग 70% भाग में कालाहारी मरुस्थल फैला है। इसके दक्षिण और दक्षिणपश्चिम में दक्षिण अफ्रीका, पश्चिम और उत्तर में नामीबिया तथा उत्तरपूर्व में जिम्बाब्वे स्थित है। यह सिर्फ एक बिंदु पर जाम्बिया से मिलता है। यह एक छोटा सा देश है, जिसकी जनसंख्या सिर्फ 20 लाख है। स्वतंत्रता के समय यह अफ्रीका के कुछ सबसे गरीब देशों मे से एक था जिसका सकल घरेलू उत्पाद प्रति व्यक्ति मात्र 70 अमेरिकी डॉलर था, लेकिन तब से लेकर अब तक बोत्सवाना ने आर्थिक रूप से तरक्की की है और अब इसकी गिनती अफ्रीका के मध्यम आय वाले देशों में होने लगी है। इसकी अर्थव्यवस्था विश्व की कुछ सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से है, जिसकी औसत वृद्धि दर 9% की है और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के 2010 के अनुमान के अनुसार इसका सकल घरेलू उत्पाद (क्रय शक्ति समता) प्रति व्यक्ति लगभग 14,800 अमेरिकी डॉलर के बराबर है। बड़े स्तर पर व्याप्त गरीबी, असमानता और निम्न मानव विकास सूचकांक के बावजूद बोत्सवाना ने, सुशासन और व्यापक आर्थिक वित्तीय प्रबंधन द्वारा समर्थित विकास के स्तरों पर प्रभावशाली रूप से तरक्की की है। सकल घरेलू उत्पाद का 10 प्रतिशत शिक्षा पर व्यय किए जाने से इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण शैक्षिक उपलब्धियों हासिल हुई हैं और देश में लगभग लगभग सभी के लिए मुफ्त शिक्षा का प्रावधान किया गया है, हालाँकि इस सबके बावजूद देश में पर्याप्त कौशल और कार्यबल का अभाव है। बेरोजगारी की दर भी लगातार 20 प्रतिशत के साथ उच्च स्तर पर बनी हुई है। शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू आय काफी कम है, हालाँकि ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी की दर में गिरावट आई है, लेकिन अभी भी वो शहरी क्षेत्रों की तुलना में काफी अधिक है। सरकार की ओर से एचआईवी /एड्स की दवाओं की नि:शुल्क उपलब्धता के चलते एचआईवी/एड्स संक्रमण की दर में अभूतपूर्व कमी दर्ज की गयी है। हीरे और मांस बाजार पर बुरी तरह निर्भर देश की अर्थव्यवस्था में, विविधता लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। .

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खोईसान भाषाएँ

अफ़्रीका के नक़्शे पर: खोईसान भाषाएँ पीले रंग वाले क्षेत्रों में बोली जाती हैं खोईसान भाषाएँ दक्षिण और पूर्वी अफ़्रीका में बोली जाने वाली वह भाषाएँ हैं जिनमें क्लिक व्यंजन होते हैं और जो किसी भी अन्य भाषा परिवार की सदस्य नहीं हैं। यह कभी काफ़ी विस्तृत क्षेत्र में बोली जाती थीं लेकिन अब केवल कालाहारी रेगिस्तान में और तंज़ानिया के छोटे से इलाक़े में बोली जाती हैं। दक्षिण अफ़्रीका में इन्हें खोई और बुशमैन (जिन्हें 'सान' भी कहते हैं) आदिवासी बोला करते हैं और तंज़ानिया में संडावे और हदज़ा लोग इनके मातृभाषी हैं। बहुत से भाषावैज्ञानिक इसे एक भाषा परिवार का दर्जा नहीं देते और समझते हैं की वास्तव में यह भाषाएँ एक-दुसरे से कोई गहरा सम्बन्ध नहीं रखती। बहुत सी खोईसान भाषाएँ ख़तरे में हैं या विलुप्त हो चुकी हैं। खोईखोई भाषा सब से अधिक बोले जाने वाली खोईसान भाषा है और इसे नमीबिया में लगभग २। ५ लाख लोग बोलते हैं। तंज़ानिया की संडावे भाषा को ४०,००० लोग और कालाहारी मरुस्थल के उत्तरी भाग में बोले जानी वाली जुउ भाषाओँ को ३०,००० लोग बोलते हैं। ऐतिहासिक रूप से यह दक्षिण अफ़्रीका से उत्तर में महान दरार घाटी तक बोली जाती थीं लेकिन बांटू भाषाओँ के फैलने से इनका प्रभाव सिकुड़ता रहा। .

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कालाहारी मरुस्थल

कालाहारी मरुस्थल तथा इसको आवृत करने वाली कालाहारी घाटी का क्षेत्र कालाहारी विश्व का एक विशाल मरूस्‍थल है। कालाहारी मरुस्थल का क्षेत्र दक्षिणवर्ती अफ़्रीका के बोत्सवाना, नामीबिया तथा दक्षिण अफ़्रीका देशों की सीमा में लगभग 9 लाख वर्गकिलोमीटर में विस्तृत है। इसको आवृत करने वाली कालाहारी घाटी कोई 25 लाख वर्ग किलोमीटर में फैली है। मरुस्थल में सालाना 8-19 सेमी वर्षा होती है। इसके कुछ हिस्सों में साल में तीन महीने वर्षा होती है जिसकी वजह से यहाँ पशुओं की आबादी भी देखने को मिलती है। यहाँ रहने वाली जनजातियों को बुशमैन कहा जाता है। 1980 के दशक में यहाँ के वन्य जीव संरक्षण के कई उपाय हुए। यह एक उष्ण कटिबंधीय मरुस्थल है। इसके पश्चिम में नामीब मरुस्थल है। कालाहारी में दो बड़े नमक के मैदान भी है। इसके उत्तर पश्चिम में ओकावंगो नदी डेल्टा बनाती है जो वन्यजीवन से भरपूर है। इस रेगिस्तान में पाई जाने वाली रेत भी स्थान-स्थान पर भिन्न रंग की होती है। कुछ लोग कालाहारी को रेगिस्तान नहीं मानते, क्योंकि यहाँ पर वर्षा का स्तर काफ़ी अच्छा है। जाड़े के दिनों में यहाँ का तापमान जमाव बिन्दु से नीचे चला जाता है। इस रेगिस्तान में जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की विभिन्न प्रजातियाँ पाई जाती हैं।यह रेगिस्तान अपने खनिजों के लिए बहुत प्रसिद्ध है, यहाँ हीरा,निकल तथा यूरेनियम आदि के पर्याप्त भण्डार मौजूद हैं।यह रेगिस्तान दक्षिण में 'ओरेंज नदी तथा उत्तर में जाम्बेजी नदी के बीच स्थित है।'कालाहारी' शब्द संभवतः 'कीर' से बना है, जिसका अर्थ होता है-'बेहद प्यास'। यह भी कहा जाता है कि कालाहारी एक विशेष जनजातीय शब्द है,जो 'कालागारी' अथवा 'कालागारे' से उत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ होता है-'जलविहीन स्थान'। अन्य रेगिस्तानों की भांति इस स्थान पर भी रेत के टीले व बजरी के समतल क्षेत्र हैं। यहाँ के टीले लगभग स्थिर रहते हैं। कालाहारी रेगिस्तान में अधिकतर रेत बहुत महीन तथा कहीं-कहीं पर लाल रंग तो कहीं पर स्लेटी रंग की होती है। यह विवाद का विषय है कि क्या कालाहारी वास्तविक रूप में एक रेगिस्तान हैं? कुछ लोगों का यह मानना है कि कालाहारी को रेगिस्तान की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।इसका कारण यह है,क्योंकि यहाँ पर वर्षा का स्तर 250 से.मी.

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क्लिक व्यंजन

एक वर्त्स्य (एल्विओलर) क्लिक की ध्वनि सुनिए - इसे अ॰ध॰व॰ में ǁ (दो-नली) के चिन्ह से दर्शाया जाता है एक तालव्य (पलैटल) क्लिक की ध्वनि सुनिए - इसे अ॰ध॰व॰ में ǂ के चिन्ह से दर्शाया जाता है क्लिक व्यंजन कुछ भाषाओँ में प्रयोग होने वाले वर्ण होते हैं जिनकी आवाज़ स्वर्ग्रंथी से नहीं बल्कि जीभ या होंठों द्वारा मुंह में हवा के दबाव में अचानक परिवर्तन करने से आती है। हिन्दी बोलने वालों में इसकी मिसाल "च-च" की आवाज़ है जो किसी चीज़ के बारे में नापसन्दगी प्रकट करने के काम आती है। देहाती हिन्दी इलाक़ों में भेड़-बकरियों और गाय जैसे जानवरों को भी ऐसी क्लिक की आवाजों से निर्देश दिया जाता है। बच्चों और जानवरों को पुचकारने के लिए होठों से वायु के ज़रिये जो ध्वनी बनाई जाती है वह भी इसकी एक मिसाल है। .

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अफ़्रीका

अफ़्रीका वा कालद्वीप, एशिया के बाद विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है। यह 37°14' उत्तरी अक्षांश से 34°50' दक्षिणी अक्षांश एवं 17°33' पश्चिमी देशान्तर से 51°23' पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। अफ्रीका के उत्तर में भूमध्यसागर एवं यूरोप महाद्वीप, पश्चिम में अंध महासागर, दक्षिण में दक्षिण महासागर तथा पूर्व में अरब सागर एवं हिन्द महासागर हैं। पूर्व में स्वेज भूडमरूमध्य इसे एशिया से जोड़ता है तथा स्वेज नहर इसे एशिया से अलग करती है। जिब्राल्टर जलडमरूमध्य इसे उत्तर में यूरोप महाद्वीप से अलग करता है। इस महाद्वीप में विशाल मरुस्थल, अत्यन्त घने वन, विस्तृत घास के मैदान, बड़ी-बड़ी नदियाँ व झीलें तथा विचित्र जंगली जानवर हैं। मुख्य मध्याह्न रेखा (0°) अफ्रीका महाद्वीप के घाना देश की राजधानी अक्रा शहर से होकर गुजरती है। यहाँ सेरेनगेती और क्रुजर राष्‍ट्रीय उद्यान है तो जलप्रपात और वर्षावन भी हैं। एक ओर सहारा मरुस्‍थल है तो दूसरी ओर किलिमंजारो पर्वत भी है और सुषुप्‍त ज्वालामुखी भी है। युगांडा, तंजानिया और केन्या की सीमा पर स्थित विक्टोरिया झील अफ्रीका की सबसे बड़ी तथा सम्पूर्ण पृथ्वी पर मीठे पानी की दूसरी सबसे बड़ी झीलहै। यह झील दुनिया की सबसे लम्बी नदी नील के पानी का स्रोत भी है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसी महाद्वीप में सबसे पहले मानव का जन्म व विकास हुआ और यहीं से जाकर वे दूसरे महाद्वीपों में बसे, इसलिए इसे मानव सभ्‍यता की जन्‍मभूमि माना जाता है। यहाँ विश्व की दो प्राचीन सभ्यताओं (मिस्र एवं कार्थेज) का भी विकास हुआ था। अफ्रीका के बहुत से देश द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वतंत्र हुए हैं एवं सभी अपने आर्थिक विकास में लगे हुए हैं। अफ़्रीका अपनी बहुरंगी संस्कृति और जमीन से जुड़े साहित्य के कारण भी विश्व में जाना जाता है। .

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