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कोलम

सूची कोलम

तमिलनाडु में कोलम। भारत के दक्षिण किनारे पर बसे केरल और तमिलनाडु राज्यों में रंगोली को कोलम कहते हैं। यह एक लोक कला है जो शुभअवसरों पर घर के फ़र्श को सजाने के लिए की जाती है। कोलम बनाने के लिए सूखे चावल के आटे को अँगूठे व तर्जनी के बीच रखकर एक निश्चित आकार में गिराया जाता है। इस प्रकार धरती पर सुंदर नमूना बन जाता है। कभी कभी इस सजावट में फूलों का प्रयोग किया जाता है। फूलों की रंगोली को पुकोलम कहते हैं। यह प्रायः यहाँ के सबसे महत्वपूर्ण पर्व ओणम के दौरान विशेष रूप से किया जाता है। पूरे सप्ताह चलने वाले ओणम के प्रत्येक दिन अलग अलग-तरह से रंगोली सजाई जाती है। पहले दिन छोटे आकारों में रंगोली सजाई जाती है। हर अगले दिन नए-नए कलाकार इस काम में अपना सहयोग देते हैं और रंगोली की आकृति विस्तृत होती चली जाती है। रंगोली सजाने में प्रायः उन फूलों का सहारा लिया जाता है, जिनकी पत्तियाँ जल्दी नहीं मुर्झाती हैं। इस्तेमाल में होने वाले फूलों में गुलाब, चमेली, गेंदा, आदि प्रमुख हैं। बड़े फूलों को छोटे-छोटे भागों में तोड़ कर रंगोली सजाई जाती है, परंतु रंगोली के किनारों को सजाने में पूरे फूल का प्रयोग किया जाता है। .

4 संबंधों: तमिल नाडु, रंगोली, १७ मार्च, २००८

तमिल नाडु

तमिल नाडु (तमिल:, तमिऴ् नाडु) भारत का एक दक्षिणी राज्य है। तमिल नाडु की राजधानी चेन्नई (चेऩ्ऩै) है। तमिल नाडु के अन्य महत्त्वपूर्ण नगर मदुरै, त्रिचि (तिरुच्चि), कोयम्बतूर (कोऽयम्बुत्तूर), सेलम (सेऽलम), तिरूनेलवेली (तिरुनेल्वेऽली) हैं। इसके पड़ोसी राज्य आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल हैं। तमिल नाडु में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा तमिल है। तमिल नाडु के वर्तमान मुख्यमन्त्री एडाप्पडी  पलानिस्वामी  और राज्यपाल विद्यासागर राव हैं। .

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रंगोली

अधिक विकल्पों के लिए यहाँ जाएँ - रंगोली (बहुविकल्पी) रंगोली पर जलते दीप। रंगोली भारत की प्राचीन सांस्कृतिक परंपरा और लोक-कला है। अलग अलग प्रदेशों में रंगोली के नाम और उसकी शैली में भिन्नता हो सकती है लेकिन इसके पीछे निहित भावना और संस्कृति में पर्याप्त समानता है। इसकी यही विशेषता इसे विविधता देती है और इसके विभिन्न आयामों को भी प्रदर्शित करती है। इसे सामान्यतः त्योहार, व्रत, पूजा, उत्सव विवाह आदि शुभ अवसरों पर सूखे और प्राकृतिक रंगों से बनाया जाता है। इसमें साधारण ज्यामितिक आकार हो सकते हैं या फिर देवी देवताओं की आकृतियाँ। इनका प्रयोजन सजावट और सुमंगल है। इन्हें प्रायः घर की महिलाएँ बनाती हैं। विभिन्न अवसरों पर बनाई जाने वाली इन पारंपरिक कलाकृतियों के विषय अवसर के अनुकूल अलग-अलग होते हैं। इसके लिए प्रयोग में लाए जाने वाले पारंपरिक रंगों में पिसा हुआ सूखा या गीला चावल, सिंदूर, रोली,हल्दी, सूखा आटा और अन्य प्राकृतिक रंगो का प्रयोग किया जाता है परन्तु अब रंगोली में रासायनिक रंगों का प्रयोग भी होने लगा है। रंगोली को द्वार की देहरी, आँगन के केंद्र और उत्सव के लिए निश्चित स्थान के बीच में या चारों ओर बनाया जाता है। कभी-कभी इसे फूलों, लकड़ी या किसी अन्य वस्तु के बुरादे या चावल आदि अन्न से भी बनाया जाता है। .

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१७ मार्च

17 मार्च ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 76वॉ (लीप वर्ष मे 77 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 289 दिन बाकी है। .

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२००८

२००८ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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