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कन्होपत्रा

सूची कन्होपत्रा

कन्होपत्रा एक 15 वीं सदी के मराठी संत-कवयत्रि थी। हिंदू धर्म के वरकारि संप्रदाय द्वारा सम्मानित थी। सबसे पारंपरिक के अनुसार, कान्होपत्रा एक वेश्या और नाचने लढकि थी। वह वरकारी धर्म को मानती थी। वह बीदर के बादशाह (राजा) की उपपत्नी से बिना वर्कारी के हिंदू भगवान विठोबा-देवता संरक्षक को आत्मसमर्पण करने के लिए चुनाए।वह पंढरपुर में विठोबा के मुख्य मंदिर में निधन हो गया।सिर्फ उन्हो एक ही व्यक्ति किसके समाधि मंदिर के परिसर के भीतर है। कन्होपत्रा मराठी ओवी और अभंगा अपने पेशे के साथ उसका शील संतुलन के लिए विठोबा के प्रति उसकी भक्ति और उसके संघर्ष की कविता कह लिखि थी। उनकी कविताओं में, भगवान विठोबा उसके रक्षक बनते थे और अपने पेशे के चंगुल से उसे रिहा करने के लिए प्रार्थना कर रहि थी। उसकी तीस अभंगा आज भी बच गया है और आज भी लोगा गाते है।वह सिर्फ एक ही महिला संत वरकारि,जिन्होंने पवित्रता केवल उनकी भक्ति के आधार गुरु बिना प्राप्त किये है। .

21 संबंधों: दलित, देशपांडे, धर्म, नारी, पंढरपुर, पुराण, पूजा, भारत, भक्ति, मन्दिर, मराठी भाषा, महाराष्ट्र, मृत्यु, शिव, सामाजिक, हिन्दू धर्म, विट्ठल, विवाह उत्सव, वृक्ष, कन्होपत्रा, काव्य

दलित

दलित का मतलब पहले पिडीत, शोषित, दबा हुआ, खिन्न, उदास, टुकडा, खंडित, तोडना, कुचलना, दला हुआ, पीसा हुआ, मसला हुआ, रौंदाहुआ, विनष्ट हुआ करता था, लेकिन अब अनुसूचित जाति को दलित बताया जाता है, अब दलित शब्द पूर्णता जाति विशेष को बोला जाने लगा हजारों वर्षों तक अस्‍पृश्‍य या अछूत समझी जाने वाली उन तमाम शोषित जातियों के लिए सामूहिक रूप से प्रयुक्‍त होता है जो हिंदू धर्म शास्त्रों द्वारा हिंदू समाज व्‍यवस्‍था में सबसे निचले (चौथे) पायदान पर स्थित है। और बौद्ध ग्रन्थ में पाँचवे पायदान पर (चांडाल) है संवैधानिक भाषा में इन्‍हें ही अनुसूचित जाति कहां गया है। भारतीय जनगनणा 2011 के अनुसार भारत की जनसंख्‍या में लगभग 16.6 प्रतिशत या 20.14 करोड़ आबादी दलितों की है।http://m.timesofindia.com/india/Half-of-Indias-dalit-population-lives-in-4-states/articleshow/19827757.cms आज अधिकांश हिंदू दलित बौद्ध धर्म के तरफ आकर्षित हुए हैं और हो रहे हैं, क्योंकी बौद्ध बनने से हिंदू दलितों का विकास हुआ हैं।http://www.bbc.com/hindi/india/2016/04/160414_dalit_vote_politician_rd "दलित" शब्द की व्याखा, अर्थ तुलनात्मक दृष्टी से देखे तो इसका विरुद्ध विषलेशण इस प्रकार है। "दलित" -: पिडीत, शोषित, दबा हुआ, खिन्न, उदास, टुकडा, खंडित, तोडना, कुचलना, दला हुआ, पीसा हुआ, मसला हुआ, रौंदाहुआ, विनष्ट "फलित" -: पिडामुक्त, उच्च, प्रसन्न, खुशहाल, अखंड, अखंडित, जोडना, समानता, एकरुप, पूर्णरूप, संपूर्ण .

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देशपांडे

एक भारतीय उपनाम। श्रेणी:भारतीय उपनाम.

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धर्म

धर्मचक्र (गुमेत संग्रहालय, पेरिस) धर्म का अर्थ होता है, धारण, अर्थात जिसे धारण किया जा सके, धर्म,कर्म प्रधान है। गुणों को जो प्रदर्शित करे वह धर्म है। धर्म को गुण भी कह सकते हैं। यहाँ उल्लेखनीय है कि धर्म शब्द में गुण अर्थ केवल मानव से संबंधित नहीं। पदार्थ के लिए भी धर्म शब्द प्रयुक्त होता है यथा पानी का धर्म है बहना, अग्नि का धर्म है प्रकाश, उष्मा देना और संपर्क में आने वाली वस्तु को जलाना। व्यापकता के दृष्टिकोण से धर्म को गुण कहना सजीव, निर्जीव दोनों के अर्थ में नितांत ही उपयुक्त है। धर्म सार्वभौमिक होता है। पदार्थ हो या मानव पूरी पृथ्वी के किसी भी कोने में बैठे मानव या पदार्थ का धर्म एक ही होता है। उसके देश, रंग रूप की कोई बाधा नहीं है। धर्म सार्वकालिक होता है यानी कि प्रत्येक काल में युग में धर्म का स्वरूप वही रहता है। धर्म कभी बदलता नहीं है। उदाहरण के लिए पानी, अग्नि आदि पदार्थ का धर्म सृष्टि निर्माण से आज पर्यन्त समान है। धर्म और सम्प्रदाय में मूलभूत अंतर है। धर्म का अर्थ जब गुण और जीवन में धारण करने योग्य होता है तो वह प्रत्येक मानव के लिए समान होना चाहिए। जब पदार्थ का धर्म सार्वभौमिक है तो मानव जाति के लिए भी तो इसकी सार्वभौमिकता होनी चाहिए। अतः मानव के सन्दर्भ में धर्म की बात करें तो वह केवल मानव धर्म है। हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई, जैन या बौद्ध आदि धर्म न होकर सम्प्रदाय या समुदाय मात्र हैं। “सम्प्रदाय” एक परम्परा के मानने वालों का समूह है। (पालि: धम्म) भारतीय संस्कृति और दर्शन की प्रमुख संकल्पना है। 'धर्म' शब्द का पश्चिमी भाषाओं में कोई तुल्य शब्द पाना बहुत कठिन है। साधारण शब्दों में धर्म के बहुत से अर्थ हैं जिनमें से कुछ ये हैं- कर्तव्य, अहिंसा, न्याय, सदाचरण, सद्-गुण आदि। .

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नारी

नारी मानव की स्त्री को कहते हैं, जो नर का स्त्रीलिंग है। नारी शब्द मुख्यत: वयस्क स्त्रियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कई संदर्भो में मगर यह शब्द संपूर्ण स्त्री वर्ग को दर्शाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है, जैसे: नारी-अधिकार। .

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पंढरपुर

पंढरपुर महाराष्ट्र प्रान्त का एक शहर है। पंढरपुर नगर, दक्षिणी महाराष्ट्र राज्य, पश्चिमी भारत में स्थित है। यह भीभा नदी (घुमावदार बहाव के कारण यहाँ चंद्रभागा कहलाती है) के तट पर सोलापुर नगर के पश्चिम में स्थित है। सड़क और रेल मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचने योग्य पंढरपुर एक धार्मिक स्थल है, जहां साल भर हज़ारों हिंदू तीर्थयात्री आते हैं। भगवान विष्णु के अवतार बिठोबा और उनकी पत्नी रुक्मिणी के सम्मान में इस शहर में वर्ष में चार बार त्योहार मनाए जाते हैं। मुख्य मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में देवगिरी के यादव शासकों द्वारा कराया गया था। यह शहर भक्ति संप्रदाय को समर्पित मराठी कवि संतों की भूमि भी है। 2001 की जनगणना के अनुसार पंढरपुर की जनसंख्या 91,381 है। श्रेणी:महाराष्ट्र के शहर श्रेणी:सोलापुर जिला.

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पुराण

पुराण, हिंदुओं के धर्म संबंधी आख्यान ग्रंथ हैं। जिनमें सृष्टि, लय, प्राचीन ऋषियों, मुनियों और राजाओं के वृत्तात आदि हैं। ये वैदिक काल के बहुत्का बाद के ग्रन्थ हैं, जो स्मृति विभाग में आते हैं। भारतीय जीवन-धारा में जिन ग्रन्थों का महत्वपूर्ण स्थान है उनमें पुराण भक्ति-ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। अठारह पुराणों में अलग-अलग देवी-देवताओं को केन्द्र मानकर पाप और पुण्य, धर्म और अधर्म, कर्म और अकर्म की गाथाएँ कही गई हैं। कुछ पुराणों में सृष्टि के आरम्भ से अन्त तक का विवरण किया गया है। 'पुराण' का शाब्दिक अर्थ है, 'प्राचीन' या 'पुराना'।Merriam-Webster's Encyclopedia of Literature (1995 Edition), Article on Puranas,, page 915 पुराणों की रचना मुख्यतः संस्कृत में हुई है किन्तु कुछ पुराण क्षेत्रीय भाषाओं में भी रचे गए हैं।Gregory Bailey (2003), The Study of Hinduism (Editor: Arvind Sharma), The University of South Carolina Press,, page 139 हिन्दू और जैन दोनों ही धर्मों के वाङ्मय में पुराण मिलते हैं। John Cort (1993), Purana Perennis: Reciprocity and Transformation in Hindu and Jaina Texts (Editor: Wendy Doniger), State University of New York Press,, pages 185-204 पुराणों में वर्णित विषयों की कोई सीमा नहीं है। इसमें ब्रह्माण्डविद्या, देवी-देवताओं, राजाओं, नायकों, ऋषि-मुनियों की वंशावली, लोककथाएं, तीर्थयात्रा, मन्दिर, चिकित्सा, खगोल शास्त्र, व्याकरण, खनिज विज्ञान, हास्य, प्रेमकथाओं के साथ-साथ धर्मशास्त्र और दर्शन का भी वर्णन है। विभिन्न पुराणों की विषय-वस्तु में बहुत अधिक असमानता है। इतना ही नहीं, एक ही पुराण के कई-कई पाण्डुलिपियाँ प्राप्त हुई हैं जो परस्पर भिन्न-भिन्न हैं। हिन्दू पुराणों के रचनाकार अज्ञात हैं और ऐसा लगता है कि कई रचनाकारों ने कई शताब्दियों में इनकी रचना की है। इसके विपरीत जैन पुराण जैन पुराणों का रचनाकाल और रचनाकारों के नाम बताए जा सकते हैं। कर्मकांड (वेद) से ज्ञान (उपनिषद्) की ओर आते हुए भारतीय मानस में पुराणों के माध्यम से भक्ति की अविरल धारा प्रवाहित हुई है। विकास की इसी प्रक्रिया में बहुदेववाद और निर्गुण ब्रह्म की स्वरूपात्मक व्याख्या से धीरे-धीरे मानस अवतारवाद या सगुण भक्ति की ओर प्रेरित हुआ। पुराणों में वैदिक काल से चले आते हुए सृष्टि आदि संबंधी विचारों, प्राचीन राजाओं और ऋषियों के परंपरागत वृत्तांतों तथा कहानियों आदि के संग्रह के साथ साथ कल्पित कथाओं की विचित्रता और रोचक वर्णनों द्वारा सांप्रदायिक या साधारण उपदेश भी मिलते हैं। पुराण उस प्रकार प्रमाण ग्रंथ नहीं हैं जिस प्रकार श्रुति, स्मृति आदि हैं। पुराणों में विष्णु, वायु, मत्स्य और भागवत में ऐतिहासिक वृत्त— राजाओं की वंशावली आदि के रूप में बहुत कुछ मिलते हैं। ये वंशावलियाँ यद्यपि बहुत संक्षिप्त हैं और इनमें परस्पर कहीं कहीं विरोध भी हैं पर हैं बडे़ काम की। पुराणों की ओर ऐतिहासिकों ने इधर विशेष रूप से ध्यान दिया है और वे इन वंशावलियों की छानबीन में लगे हैं। .

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पूजा

पूजा अथवा पूजन (Worshipping) किसी भगवान को प्रसन्न करने हेतु हमारे द्वारा उनका अभिवादन होता है। पूजा दैनिक जीवन का शांतिपूर्ण तथा महत्वपूर्ण कार्य है। यहाँ भगवान को पुष्प आदि समर्पित किये जाते हैं जिनके लिये कई पुराणों से छाँटे गए श्लोकों का उपयोग किया जाता है। वैदिक श्लोकों का उपयोग किसी बड़े कार्य जैसे यज्ञ आदि की पूजा में ब्राह्मण द्वारा होता है। सर्वप्रथम प्रथमपूज्यनीय गणेश की पूजा की जाती है। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भक्ति

भक्ति भजन है। किसका भजन? ब्रह्म का, महान का। महान वह है जो चेतना के स्तरों में मूर्धन्य है, यज्ञियों में यज्ञिय है, पूजनीयों में पूजनीय है, सात्वतों, सत्वसंपन्नों में शिरोमणि है और एक होता हुआ भी अनेक का शासक, कर्मफलप्रदाता तथा भक्तों की आवश्यकताओं को पूर्ण करनेवाला है। .

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मन्दिर

मन्दिर भारतीय धर्मों (सनातन धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म, सिख धर्म आदि) हिन्दुओं के उपासनास्थल को मन्दिर कहते हैं। यह अराधना और पूजा-अर्चना के लिए निश्चित की हुई जगह या देवस्थान है। यानी जिस जगह किसी आराध्य देव के प्रति ध्यान या चिंतन किया जाए या वहां मूर्ति इत्यादि रखकर पूजा-अर्चना की जाए उसे मन्दिर कहते हैं। मन्दिर का शाब्दिक अर्थ 'घर' है। वस्तुतः सही शब्द 'देवमन्दिर', 'शिवमन्दिर', 'कालीमन्दिर' आदि हैं। और मठ वह स्थान है जहां किसी सम्प्रदाय, धर्म या परंपरा विशेष में आस्था रखने वाले शिष्य आचार्य या धर्मगुरु अपने सम्प्रदाय के संरक्षण और संवर्द्धन के उद्देश्य से धर्म ग्रन्थों पर विचार विमर्श करते हैं या उनकी व्याख्या करते हैं जिससे उस सम्प्रदाय के मानने वालों का हित हो और उन्हें पता चल सके कि उनके धर्म में क्या है। उदाहरण के लिए बौद्ध विहारों की तुलना हिन्दू मठों या ईसाई मोनेस्ट्रीज़ से की जा सकती है। लेकिन 'मठ' शब्द का प्रयोग शंकराचार्य के काल यानी सातवीं या आठवीं शताब्दी से शुरु हुआ माना जाता है। तमिल भाषा में मन्दिर को कोईल या कोविल (கோவில்) कहते हैं। .

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मराठी भाषा

मराठी भारत के महाराष्ट्र प्रांत में बोली जानेवाली सबसे मुख्य भाषा है। भाषाई परिवार के स्तर पर यह एक आर्य भाषा है जिसका विकास संस्कृत से अपभ्रंश तक का सफर पूरा होने के बाद आरंभ हुआ। मराठी भारत की प्रमुख भाषओं में से एक है। यह महाराष्ट्र और गोवा में राजभाषा है तथा पश्चिम भारत की सह-राजभाषा हैं। मातृभाषियों कि संख्या के आधार पर मराठी विश्व में पंद्रहवें और भारत में चौथे स्थान पर है। इसे बोलने वालों की कुल संख्या लगभग ९ करोड़ है। यह भाषा 900 ईसवी से प्रचलन में है और यह भी हिन्दी के समान संस्कृत आधारित भाषा है। .

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महाराष्ट्र

महाराष्ट्र भारत का एक राज्य है जो भारत के दक्षिण मध्य में स्थित है। इसकी गिनती भारत के सबसे धनी राज्यों में की जाती है। इसकी राजधानी मुंबई है जो भारत का सबसे बड़ा शहर और देश की आर्थिक राजधानी के रूप में भी जानी जाती है। और यहाँ का पुणे शहर भी भारत के बड़े महानगरों में गिना जाता है। यहाँ का पुणे शहर भारत का छठवाँ सबसे बड़ा शहर है। महाराष्ट्र की जनसंख्या सन २०११ में ११,२३,७२,९७२ थी, विश्व में सिर्फ़ ग्यारह ऐसे देश हैं जिनकी जनसंख्या महाराष्ट्र से ज़्यादा है। इस राज्य का निर्माण १ मई, १९६० को मराठी भाषी लोगों की माँग पर की गयी थी। यहां मराठी ज्यादा बोली जाती है। मुबई अहमदनगर पुणे, औरंगाबाद, कोल्हापूर, नाशिक नागपुर ठाणे शिर्डी-अहमदनगर आैर महाराष्ट्र के अन्य मुख्य शहर हैं। .

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मृत्यु

मानव खोपड़ी मौत के लिए एक सार्वभौमिक प्रतीक है। किसी प्राणी के जीवन के अन्त को मृत्यु कहते हैं। मृत्यु सामान्यतः दुर्घटना, चोट, बीमारी, कुपोषण के परिणामस्वरूप होती है। आँख "अनन्त जीवन के लिए प्राचीन मिस्र के प्रतीक है।" वे और कई अन्य संस्कृतियों के बाद से एक पोर्टल के रूप में एक जीवन के बाद में जैविक मौत देखी है। .

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शिव

शिव या महादेव हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ,गंगाधार के नाम से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी अर्धांगिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं, तथा पुत्री अशोक सुंदरी हैं। शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है। यह शैव मत के आधार है। इस मत में शिव के साथ शक्ति सर्व रूप में पूजित है। भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है। भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। राम, रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है। .

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सामाजिक

सामाजिक शब्द का शाब्दिक अर्थ सजीव से है चाहे वो मानव जनसंख्या हों अथवा पशु। यह एक सजीव का अन्य सजीवों के साथ सह-अस्तित्व तथा निरपेक्षता का सूचक शब्द है कि उनमें इस तरह की अन्योन्य क्रियाएं होती हैं अथवा नहीं। निरपेक्षता उनकी इच्छा अथवा स्वैच्छा पर निर्भर करती है। .

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हिन्दू धर्म

हिन्दू धर्म (संस्कृत: सनातन धर्म) एक धर्म (या, जीवन पद्धति) है जिसके अनुयायी अधिकांशतः भारत,नेपाल और मॉरिशस में बहुमत में हैं। इसे विश्व का प्राचीनतम धर्म कहा जाता है। इसे 'वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म' भी कहते हैं जिसका अर्थ है कि इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है। विद्वान लोग हिन्दू धर्म को भारत की विभिन्न संस्कृतियों एवं परम्पराओं का सम्मिश्रण मानते हैं जिसका कोई संस्थापक नहीं है। यह धर्म अपने अन्दर कई अलग-अलग उपासना पद्धतियाँ, मत, सम्प्रदाय और दर्शन समेटे हुए हैं। अनुयायियों की संख्या के आधार पर ये विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। संख्या के आधार पर इसके अधिकतर उपासक भारत में हैं और प्रतिशत के आधार पर नेपाल में हैं। हालाँकि इसमें कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन वास्तव में यह एकेश्वरवादी धर्म है। इसे सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहते हैं। इण्डोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "हिन्दु आगम" है। हिन्दू केवल एक धर्म या सम्प्रदाय ही नहीं है अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है। .

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विट्ठल

विट्ठल, विठोबा, या पाण्डुरंग एक हिन्दू देवता हैं जिनकी पूजा मुख्यतः महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा, तेलंगाना, तथा आन्ध्र प्रदेश में होती हैं। उन्हें आम तौर पर भगवान विष्णु या उनके अवतार, कृष्ण की अभिव्यक्ति माना जाता हैं। विट्ठल अक्सर एक सावले युवा लड़के के रूप में चित्रित किए जाता है, एक ईंट खडे और दोनो हाथ कमर पर रखे; कभी-कभी उनकी पत्नी रखुमाई भी साथ होती हैं। .

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विवाह उत्सव

विवाह उत्सव या शादी (Wedding) वह समारोह है जहाँ दो लोग या एक युगल वैवाहिक सम्बन्ध में जुड़ते हैं। विवाह की परंपराएँ और प्रथाएँ संस्कृतियों, संजातीय समूहों, धर्मों, देशों और सामाजिक वर्गों के बीच बहुत भिन्न होती हैं। .

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वृक्ष

fdgfdf c/xdfffffgfg/ffggg एक वृक्ष वृक्ष का सामान्य अर्थ ऐसे पौधे से होता है जिसमें शाखाएँ निकली हों, जो कम से कम दो-वर्ष तक जीवित रहे, जिससे लकड़ी प्राप्त हो। वृक्ष की एक जड़ होती है जो प्रायः ज़मीन के अन्दर में होती है, तथा जड़ से निकलकर तना तथा पत्तियां हवा में रहते हैं। यह प्रदूषण कम करने में कारगर सिद्ध हुआ है। पर लकड़ियो तथा ज़मीन की आवश्यकताओं के कारण लोग इसे काटते जा रहे हैं। .

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कन्होपत्रा

कन्होपत्रा एक 15 वीं सदी के मराठी संत-कवयत्रि थी। हिंदू धर्म के वरकारि संप्रदाय द्वारा सम्मानित थी। सबसे पारंपरिक के अनुसार, कान्होपत्रा एक वेश्या और नाचने लढकि थी। वह वरकारी धर्म को मानती थी। वह बीदर के बादशाह (राजा) की उपपत्नी से बिना वर्कारी के हिंदू भगवान विठोबा-देवता संरक्षक को आत्मसमर्पण करने के लिए चुनाए।वह पंढरपुर में विठोबा के मुख्य मंदिर में निधन हो गया।सिर्फ उन्हो एक ही व्यक्ति किसके समाधि मंदिर के परिसर के भीतर है। कन्होपत्रा मराठी ओवी और अभंगा अपने पेशे के साथ उसका शील संतुलन के लिए विठोबा के प्रति उसकी भक्ति और उसके संघर्ष की कविता कह लिखि थी। उनकी कविताओं में, भगवान विठोबा उसके रक्षक बनते थे और अपने पेशे के चंगुल से उसे रिहा करने के लिए प्रार्थना कर रहि थी। उसकी तीस अभंगा आज भी बच गया है और आज भी लोगा गाते है।वह सिर्फ एक ही महिला संत वरकारि,जिन्होंने पवित्रता केवल उनकी भक्ति के आधार गुरु बिना प्राप्त किये है। .

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काव्य

काव्य, कविता या पद्य, साहित्य की वह विधा है जिसमें किसी कहानी या मनोभाव को कलात्मक रूप से किसी भाषा के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है। भारत में कविता का इतिहास और कविता का दर्शन बहुत पुराना है। इसका प्रारंभ भरतमुनि से समझा जा सकता है। कविता का शाब्दिक अर्थ है काव्यात्मक रचना या कवि की कृति, जो छन्दों की शृंखलाओं में विधिवत बांधी जाती है। काव्य वह वाक्य रचना है जिससे चित्त किसी रस या मनोवेग से पूर्ण हो। अर्थात् वहजिसमें चुने हुए शब्दों के द्वारा कल्पना और मनोवेगों का प्रभाव डाला जाता है। रसगंगाधर में 'रमणीय' अर्थ के प्रतिपादक शब्द को 'काव्य' कहा है। 'अर्थ की रमणीयता' के अंतर्गत शब्द की रमणीयता (शब्दलंकार) भी समझकर लोग इस लक्षण को स्वीकार करते हैं। पर 'अर्थ' की 'रमणीयता' कई प्रकार की हो सकती है। इससे यह लक्षण बहुत स्पष्ट नहीं है। साहित्य दर्पणाकार विश्वनाथ का लक्षण ही सबसे ठीक जँचता है। उसके अनुसार 'रसात्मक वाक्य ही काव्य है'। रस अर्थात् मनोवेगों का सुखद संचार की काव्य की आत्मा है। काव्यप्रकाश में काव्य तीन प्रकार के कहे गए हैं, ध्वनि, गुणीभूत व्यंग्य और चित्र। ध्वनि वह है जिस, में शब्दों से निकले हुए अर्थ (वाच्य) की अपेक्षा छिपा हुआ अभिप्राय (व्यंग्य) प्रधान हो। गुणीभूत ब्यंग्य वह है जिसमें गौण हो। चित्र या अलंकार वह है जिसमें बिना ब्यंग्य के चमत्कार हो। इन तीनों को क्रमशः उत्तम, मध्यम और अधम भी कहते हैं। काव्यप्रकाशकार का जोर छिपे हुए भाव पर अधिक जान पड़ता है, रस के उद्रेक पर नहीं। काव्य के दो और भेद किए गए हैं, महाकाव्य और खंड काव्य। महाकाव्य सर्गबद्ध और उसका नायक कोई देवता, राजा या धीरोदात्त गुंण संपन्न क्षत्रिय होना चाहिए। उसमें शृंगार, वीर या शांत रसों में से कोई रस प्रधान होना चाहिए। बीच बीच में करुणा; हास्य इत्यादि और रस तथा और और लोगों के प्रसंग भी आने चाहिए। कम से कम आठ सर्ग होने चाहिए। महाकाव्य में संध्या, सूर्य, चंद्र, रात्रि, प्रभात, मृगया, पर्वत, वन, ऋतु, सागर, संयोग, विप्रलम्भ, मुनि, पुर, यज्ञ, रणप्रयाण, विवाह आदि का यथास्थान सन्निवेश होना चाहिए। काव्य दो प्रकार का माना गया है, दृश्य और श्रव्य। दृश्य काव्य वह है जो अभिनय द्वारा दिखलाया जाय, जैसे, नाटक, प्रहसन, आदि जो पढ़ने और सुनेन योग्य हो, वह श्रव्य है। श्रव्य काव्य दो प्रकार का होता है, गद्य और पद्य। पद्य काव्य के महाकाव्य और खंडकाव्य दो भेद कहे जा चुके हैं। गद्य काव्य के भी दो भेद किए गए हैं- कथा और आख्यायिका। चंपू, विरुद और कारंभक तीन प्रकार के काव्य और माने गए है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

NADIYA S/कन्होपत्रा, कान्होपात्रा

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