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अस्त्र प्रक्षेपास्त्र

सूची अस्त्र प्रक्षेपास्त्र

अस्त्र दृश्य सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ), भारत ने विकसित किया है। यह हवा से हवा में मार करने वाला भारत द्वारा विकसित पहला प्रक्षेपास्त्र है। यह उन्नत प्रक्षेपास्त्र लड़ाकू विमानचालको को ८० किलोमीटर की दूरी से दुश्मन के विमानों पर निशाना लगाने और मार गिराने की क्षमता देता है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने प्रक्षेपास्त्र को मिराज २००० एच, मिग २९, सी हैरियर, मिग २१, एच ए एल तेजस और सुखोई एसयू-३० एमकेआई विमानो में लगाने के लिए विकसित किया है। अस्त्र एक लम्बी मैट्रा ५३० सुपर जैसी दिखती है। यह ठोस ईंधन प्रणोदक इस्तेमाल करती है हालांकि डीआरडीओ इसके लिये आकाश प्रक्षेपास्त्र जैसी प्रणोदन प्रणाली विकसित करना चाहती है। प्रक्षेपास्त्र पराध्वनि गति से लक्ष्य विमान अवरोधन करने में सक्षम है। .

14 संबंधों: चांदीपुर, एचएएल तेजस, पराश्रव्य, प्रक्षेपास्त्र, मिरज, मिग, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, शस्त्र, सुखोई एसयू-३० एमकेआई, ईन्धन, आकाश प्रक्षेपास्त्र, १२ मई, २००३, २००७

चांदीपुर

ज्वार के दौरान चांदीपुर समुद्र तट चांदीपुर (ଚାଂଦିପୁର) जिसे चांदीपुर-ओन-सी के नाम से भी जाना जाता है बालासोर, उडीसा (भारत) में समुद्र के किनारे स्थित एक छोटा सा भ्रमण स्थल है। यह बंगाल की खाड़ी के तट पर बसा है और बालासोर से कोई १६ किलोमीटर दूर है। इसका समुद्र तट इस मामले में अद्वितीय है कि उच्च ज्वार और भाटे के दौरान पानी १ से ४ किलोमीटर तक पीछे हट जाता है। समुद्र तट, पर इस विशिष्टता के कारण, काफी जैव विविधता पाई जाती है। .

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एचएएल तेजस

तेजस भारत द्वारा विकसित किया जा रहा एक हल्का व कई तरह की भूमिकाओं वाला जेट लड़ाकू विमान है। यह हिन्दुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा विकसित एक सीट और एक जेट इंजन वाला, अनेक भूमिकाओं को निभाने में सक्षम एक हल्का युद्धक विमान है। यह बिना पूँछ का, कम्पाउण्ड-डेल्टा पंख वाला विमान है। इसका विकास 'हल्का युद्धक विमान' या (एलसीए) नामक कार्यक्रम के अन्तर्गत हुआ है जो 1980 के दशक में शुरू हुआ था। विमान का आधिकारिक नाम तेजस 4 मई 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखा था। यह विमान पुराने पड़ रहे मिग-21 का स्थान लेगा। तेजस की सीमित श्रृंखला का उत्पादन 2007 में शुरू हुआ। दो सीटों वाला एक ट्रेनर संस्करण विकसित किया जा रहा है (नवम्बर 2008 तक उत्पादन के क्रम में था।), क्योंकि इसका नौसेना संस्करण भारतीय नौसेना के विमान वाहक पोतों से उड़ान भरने में सक्षम है। बताया जाता है कि भारतीय वायु सेना को एकल सीट वाले 200 और दो सीटों वाले 20 रूपांतरण प्रशिक्षक विमानों की जरूरत है, जबकि भारतीय नौसेना अपने सी हैरियर की जगह एकल सीटों वाले 40 विमानों का आदेश दे सकती है।जैक्सन, पॉल, मूनसौन, केनेथ; & पीकॉक, लिंडसे (एड्स.) (2005).

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पराश्रव्य

अल्ट्रासाउन्ड द्वारा गर्भवती स्त्री के गर्भस्थ शिशु की जाँच १२ सप्ताह के गर्भस्थ शिशु का पराश्रव्य द्वारा लिया गया फोटो पराश्रव्य (ultrasound) शब्द उन ध्वनि तरंगों के लिए उपयोग में लाया जाता है जिसकी आवृत्ति इतनी अधिक होती है कि वह मनुष्य के कानों को सुनाई नहीं देती। साधारणतया मानव श्रवणशक्ति का परास २० से लेकर २०,००० कंपन प्रति सेकंड तक होता है। इसलिए २०,००० से अधिक आवृत्तिवाली ध्वनि को पराश्रव्य कहते हैं। क्योंकि मोटे तौर पर ध्वनि का वेग गैस में ३३० मीटर प्रति सें., द्रव में १,२०० मी.

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प्रक्षेपास्त्र

भारत का अग्नि ३ प्रक्षेपास्त्र प्रक्षेपित कर उपयोग में लाया जाने वाला अस्त्र। इसका प्रयोग दूर स्थित लक्ष्य को बेधने के लिए किया जाता है। इसकी सहायता से विस्फोटकों को हजारों किलोमीटर दूर के लक्ष्य तक पहुंचाया जा सकता है। इस प्रकार सुदूर स्थित दुश्मन के ठिकाने भी कुछ ही समय में नष्ट किए जा सकते हैं। प्रक्षेपास्त्र रासायनिक विस्फोटकों से लेकर परमाणु बम तक का वहन और प्रयोग कर सकता है। .

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मिरज

मिरज दक्षिणी महाराष्ट्र का एक शहर है। यह सांगली जिला में आता है। मिरज भारत में एक ऐतिहासिक शहर है। शहर के इतिहास 10 वीं सदी की शुरुआत करने के लिए तारीखें है और शहर हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की समृद्ध परंपरा और धार्मिक सौहार्द के लिए जाना जाता है। यह और इसके स्थान की वजह से एक सामरिक गढ़ गढ़ के रूप में सेवा की और बीजापुर के आदिलशाह न्यायालय के एक महत्वपूर्ण जागीर थी। शिवाजी महाराज मिरज में अपने दक्षिण भारत में अभियान के दौरान दो महीने के लिए रुके थे। यह की पूर्व रियासत मिरज वरिष्ठ की राजधानी थी। Pathwardhan राजे स्वतंत्रता जब तक मिरज खारिज कर दिया। यह भारत में प्रमुख चिकित्सा केन्द्रों में से एक है। मिरज भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण रेलवे जंक्शन है और मध्य रेलवे नेटवर्क का हिस्सा है। मिरज सिटी हिस्सा सांगली - मिरज Kupwad नगर निगम 1999 में गठन किया गया है। .

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मिग

मिग एक लोकप्रिय तथा जानी मानी लडाकू विमान श्रृखंला है जिसका विकास सोवियत संघ काल में हुआ था इसका प्रयोग शीत युद्ध काल में दुनिया भर में हुआ था श्रेणी:हथियार.

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रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (अंग्रेज़ी:DRDO, डिफेंस रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट ऑर्गैनाइज़ेशन) भारत की रक्षा से जुड़े अनुसंधान कार्यों के लिये देश की अग्रणी संस्था है। यह संगठन भारतीय रक्षा मंत्रालय की एक आनुषांगिक ईकाई के रूप में काम करता है। इस संस्थान की स्थापना १९५८ में भारतीय थल सेना एवं रक्षा विज्ञान संस्थान के तकनीकी विभाग के रूप में की गयी थी। वर्तमान में संस्थान की अपनी इक्यावन प्रयोगशालाएँ हैं जो इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उपकरण इत्यादि के क्षेत्र में अनुसंधान में रत हैं। पाँच हजार से अधिक वैज्ञानिक और पच्चीस हजार से भी अधिक तकनीकी कर्मचारी इस संस्था के संसाधन हैं। यहां राडार, प्रक्षेपास्त्र इत्यादि से संबंधित कई बड़ी परियोजनाएँ चल रही हैं। I love my India .

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शस्त्र

भारत में प्रयुक्त मध्ययुगीन हथियार कोई भी उपकरण जिसका प्रयोग अपने शत्रु को चोट पहुँचाने, वश में करने या हत्या करने के लिये किया जाता है, शस्त्र या आयुध (weapon) कहलाता है। शस्त्र का प्रयोग आक्रमण करने, बचाव करने अथवा डराने-धमकाने के लिये किया जा सकता है। शस्त्र एक तरफ लाठी जितना सरल हो सकता है तो दूसरी तरफ बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र जितना जटिल भी। .

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सुखोई एसयू-३० एमकेआई

सुखोई ३० एमकेआई भारतीय वायुसेना का अग्रिम पन्क्ति का लड़ाकू विमान है। यह बहु-उपयोगी लड़ाकू विमान रूस के सैन्य विमान निर्माता सुखोई तथा भारत के हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से बना है। इस के नाम में स्थित एम के आई का विस्तार मॉडर्नि रोबान्बि कॉमर्स्कि इंडिकि (модернизированный коммерческий индийский) है यानि आधुनिक व्यावसायिक भारतीय (विमान)। इसी श्रृंखला के सुखोई ३०-एमकेके तथा एमके२ विमानों को चीन तथा बाद में इण्डोनेशिया को बेचा गया था। इसके अलावा एमकेएम, एमकेवी तथा एमकेए संस्करणों को मलेशिया, वेनेजुएला तथा अल्जीरिया को भी बेचा गया है। विमान ने सन १९९७ में पहली उड़ान भरी थी। सन २००२ में इसे भारतीय वायुसेना में सम्मिलित कर लिया गया। सन २००४ से इनका निर्माण भारत में ही हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। यह एक ४++ पीढ़ी का लडाकू विमान है। अकतूबर २००९ में ऐसे १०५ विमानो की ६ स्क्वाड्रन भारतीय वायुसेना की सेवा में थी। ऐसे कुल २८० विमान हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा बनाये जाने की योजना है। यह विमान ३००० किमी की दूरी तक जा कर हमला कर सकता है। इसे शक्ति इसके दो एएल-३१ तर्बोफैन इन्जनो से मिलती है जो इसे २६०० किमी प्रति घण्टे की गति देते हैं। यह विमान हवा में ईन्धन भर सकता है। इस विमान में अलग अलग तरह के बम तथा प्रक्षेपास्त्र ले जाने के लिये १२ स्थान है। भविष्य में इसे ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र से लैस किया जायेगा। इसके अतिरिक्त इसमे एक ३० मिमि की तोप भी लगी है। .

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ईन्धन

जलती हुई प्राकृतिक गैस ईधंन (Fuel) ऐसे पदार्थ हैं, जो आक्सीजन के साथ संयोग कर काफी ऊष्मा उत्पन्न करते हैं। 'ईंधन' संस्कृत की इन्ध्‌ धातु से निकला है जिसका अर्थ है - 'जलाना'। ठोस ईंधनों में काष्ठ (लकड़ी), पीट, लिग्नाइट एवं कोयला प्रमुख हैं। पेट्रोलियम, मिट्टी का तेल तथा गैसोलीन द्रव ईधंन हैं। कोलगैस, भाप-अंगार-गैस, द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस और प्राकृतिक गैस आदि गैसीय ईंधनों में प्रमुख हैं। आजकल परमाणु ऊर्जा भी शक्ति के स्रोत के रूप में उपयोग की जाती है, इसलिए विखंडनीय पदार्थों (fissile materials) को भी अब ईंधन माना जाता है। वैज्ञानिक और सैनिक कार्यों के लिए उपयोग में लाए जानेवाले राकेटों में, एल्कोहाल, अमोनिया एवं हाइड्रोजन जैसे अनेक रासायनिक यौगिक भी ईंधन के रूप में प्रयुक्त होते हैं। इन पदार्थों से ऊर्जा की प्राप्ति तीव्र गति से होती है। विद्युत्‌ ऊर्जा का प्रयोग भी ऊष्मा की प्राप्ति के लिए किया जाता है इसलिए इसे भी कभी-कभी ईंधनों में सम्मिलित कर लिया जाता है। .

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आकाश प्रक्षेपास्त्र

आकाश प्रक्षेपास्त्र भारत द्वारा स्वदेशीय निर्मित, माध्यम दूर की सतह से हवा में मार करने वाली प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है। इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित किया गया है। मिसाइल प्रणाली विमान को 30 किमी दूर व 18,000 मीटर ऊंचाई तक टारगेट कर सकती है। इसमें लड़ाकू जेट विमानों, क्रूज मिसाइलों और हवा से सतह वाली मिसाइलों के साथ-साथ बैलिस्टिक मिसाइलों जैसे हवाई लक्ष्यों को बेअसर करने की क्षमता है। यह भारतीय थल सेना और भारतीय वायु सेना के साथ परिचालन सेवा में है। आकाश की एक बैटरी में एक एकल राजेंद्र 3डी निष्क्रिय इलेक्ट्रॉनिक स्कैन सरणी (ऐरे) रडार और तीन-तीन मिसाइलों के साथ चार लांचर हैं, जो सभी एक दूसरे से जुड़े हैं। प्रत्येक बैटरी 64 लक्ष्यों तक को ट्रैक कर सकती है और उनमें से 12 तक पर हमला कर सकती है। मिसाइल में एक 60 किग्रा उच्च विस्फोटक, पूर्व-खंडित हथियार है जो निकटता (प्रोक्सिमिटी) फ्यूज के साथ है। आकाश प्रणाली पूरी तरह से गतिशील है और वाहनों के चलते काफिले की रक्षा करने में सक्षम है। लांच प्लेटफार्म को दोनों पहियों और ट्रैक वाहनों के साथ एकीकृत किया गया है जबकि आकाश सिस्टम को मुख्य रूप से एक हवाई रक्षा (सतह से हवा) के रूप में बनाया गया है। इसे मिसाइल रक्षा भूमिका में भी टेस्ट किया गया है। प्रणाली 2,000 किमी² के क्षेत्र के लिए हवाई रक्षा मिसाइल कवरेज प्रदान करती है। रडार सिस्टम (डब्ल्यूएलआर और निगरानी) सहित आकाश मिसाइल के लिए भारतीय सेना का संयुक्त ऑडर कुल 23,300 करोड़ (यूएस$4 बिलियन) के मूल्य का है। .

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१२ मई

12 मई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 132वॉ (लीप वर्ष में 133 वॉ) दिन है। साल में अभी और 233 दिन बाकी है। .

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२००३

२००३ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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२००७

वर्ष २००७ सोमवार से प्रारम्भ होने वाला ग्रेगोरी कैलंडर का सामान्य वर्ष है। .

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