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अलीपुर जेल

सूची अलीपुर जेल

अलीपुर जेल या अलीपुर केन्द्रीय जेल (बंगाली: আলিপুর কেন্দ্রীয় সংশোধনাগার) कोलकाता में स्थित एक ऐतिहासिक जेल है, जहाँ ब्रिटिश शासन के दौरान राजनैतिक बंदियों को रखा जाता था। प्रसिद्ध क़ैदियों में सुभाष चन्द्र बोस भी थे जिन्हें यहाँ गया था। जेल परिसर में अलीपुर जेल प्रेस भी स्थित है। .

10 संबंधों: चारू मुजुमदार, प्रमोद रंजन चौधरी, बिधान चंद्र रॉय, सुभाष चन्द्र बोस, जैक प्रेगेर, के. कामराज, कोलकाता, अरविन्द घोष, अलीपुर, अलीपुर जेल प्रेस

चारू मुजुमदार

चारू मुजुमदार (बंगाली: চারু মজুমদার; 1918–1972) भारत के एक क्रांतिकारी कम्यूनिस्ट थे। धनी पारिवारिक कड़ियों को छोड़कर उन्होंने एक कठिन क्रान्तिकारी जीवन को चुना। उनका जन्म सिलीगुड़ी के एक खुशहाल ज़मीनदार परिवार में 1918 में हुआ था। आगे के जीवन में उन्होंने हथियारबंद नकसल आन्दोलन में भाग लिया था। चारू ने 1968 के नकसलबारी विद्रोह के ऐतिहासिक महत्व पर लिखा है और उसकी रचनाएँ आज भी लाल क्रांतिकारियों का मार्गदर्शन करती हैं। .

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प्रमोद रंजन चौधरी

प्रमोद रंजन चौधरी (1904 – सितम्बर 28, 1927) एक बंगाली क्रांतिकारी थे। उन्होंने अंग्रेज़ शासन के विरुद्ध आवाज़ उठाई थी। प्रमोद का जन्म चिट्टागॉन्ग के केलिशहर में हुआ जो अब बंग्लादेश में है। उनके पिता का नाम श्री ईशान चन्द्र चौधरी था। 1920 में शिक्षा के दौरान वह अनुशीलन समिति से जुड़ गए जो कि एक क्रांतिकारी संगठन के रूप में प्रसिद्ध है। 1921 में वह असहयोग आन्दोलन से भी जुड़ गए। 1925 में चौधरी को दक्षिणेश्वर बम कांड में संदिग्ध के रूप में पकड़ा गया था और कड़ी सज़ा सुनाई गई। अलीपुर जेल में जहाँ वह बन्द थे, चौधरी ने मई 28, 1927 को भूपेन्द्र नाथ चटर्जी को मार डाला जो पुलिस के डिप्टी कमिशनर थे। इसी के कारण उसे सितम्बर 28, 1927 को फाँसी दे दी गई। श्रेणी:1904 में जन्मे लोग श्रेणी:१९२७ में निधन श्रेणी:भारतीय स्वतंत्रता सेनानी.

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बिधान चंद्र रॉय

डॉ॰ बिधान चंद्र राय (जुलाई १, १८८२ - जुलाई १, १९६२) चिकित्सक तथा स्वतंत्रता सेनानी थे। वे पश्चिम बंगाल के द्वितीय मुख्यमंत्री थे, १४ जनवरी १९४८ से उनकी म्रत्यु तक १४ वर्ष तक वे इस पद पर थे। उनके जन्मदिन १ जुलाई को भारत मे 'चिकित्सक दिवस' के रूप मे मनाया जाता है। उन्हे वर्ष १९६१ में भारत रत्न से सम्मनित किया गया। बिधान चंद्र के पूर्वज बंगाल के राजघराने से सम्बंधित थे और उन्होंने मुग़लों का जमकर मुकाबला किया डॉ बिधान चंद्र राय,कायस्थ महाराजा प्रतापदित्य के वंशज थे। .

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सुभाष चन्द्र बोस

सुभाष चन्द्र बोस (बांग्ला: সুভাষ চন্দ্র বসু उच्चारण: शुभाष चॉन्द्रो बोशु, जन्म: 23 जनवरी 1897, मृत्यु: 18 अगस्त 1945) जो नेता जी के नाम से भी जाने जाते हैं, भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी नेता थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया जय हिन्द का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा" का नारा भी उनका था जो उस समय अत्यधिक प्रचलन में आया। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि जब नेता जी ने जापान और जर्मनी से मदद लेने की कोशिश की थी तो ब्रिटिश सरकार ने अपने गुप्तचरों को 1941 में उन्हें ख़त्म करने का आदेश दिया था। नेता जी ने 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर के टाउन हाल के सामने 'सुप्रीम कमाण्डर' के रूप में सेना को सम्बोधित करते हुए "दिल्ली चलो!" का नारा दिया और जापानी सेना के साथ मिलकर ब्रिटिश व कामनवेल्थ सेना से बर्मा सहित इम्फाल और कोहिमा में एक साथ जमकर मोर्चा लिया। 21 अक्टूबर 1943 को सुभाष बोस ने आजाद हिन्द फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतन्त्र भारत की अस्थायी सरकार बनायी जिसे जर्मनी, जापान, फिलीपींस, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड ने मान्यता दी। जापान ने अंडमान व निकोबार द्वीप इस अस्थायी सरकार को दे दिये। सुभाष उन द्वीपों में गये और उनका नया नामकरण किया। 1944 को आजाद हिन्द फौज ने अंग्रेजों पर दोबारा आक्रमण किया और कुछ भारतीय प्रदेशों को अंग्रेजों से मुक्त भी करा लिया। कोहिमा का युद्ध 4 अप्रैल 1944 से 22 जून 1944 तक लड़ा गया एक भयंकर युद्ध था। इस युद्ध में जापानी सेना को पीछे हटना पड़ा था और यही एक महत्वपूर्ण मोड़ सिद्ध हुआ। 6 जुलाई 1944 को उन्होंने रंगून रेडियो स्टेशन से महात्मा गांधी के नाम एक प्रसारण जारी किया जिसमें उन्होंने इस निर्णायक युद्ध में विजय के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनायें माँगीं। नेताजी की मृत्यु को लेकर आज भी विवाद है। जहाँ जापान में प्रतिवर्ष 18 अगस्त को उनका शहीद दिवस धूमधाम से मनाया जाता है वहीं भारत में रहने वाले उनके परिवार के लोगों का आज भी यह मानना है कि सुभाष की मौत 1945 में नहीं हुई। वे उसके बाद रूस में नज़रबन्द थे। यदि ऐसा नहीं है तो भारत सरकार ने उनकी मृत्यु से सम्बंधित दस्तावेज़ अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं किये? 16 जनवरी 2014 (गुरुवार) को कलकत्ता हाई कोर्ट ने नेताजी के लापता होने के रहस्य से जुड़े खुफिया दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की माँग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के लिये स्पेशल बेंच के गठन का आदेश दिया। .

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जैक प्रेगेर

जैक प्रेगेर (जन्म 25 जुलाई 1930 को मैन्चेस्टर, इंग्लैंड के एक यहूदी परिवार में हुआ) एक ब्रिटिश डॉक्टर हैं जो चिकित्सा उपचार के साथ-साथ पेशेवर प्रशिक्षण सुविधा भारत के शहर कोलकाता और पश्चिमी बंगाल की गरीब जनता को 1972 से प्रदान करते आ रहे हैं। इसी लक्ष्य के तहत उन्होंने कोलकाता रेस्क्यू नामक संस्था भी बनाई है। जैक ने छोटी-सी उम्र में न्याय का अर्थ समझ लिया था जब बालक अवस्था में उन्होंने अपनी फ़्रांस में जन्मी मौसी को हिटलर की सेना के हाथों जान गवाँते देखा था। जैक ने सेंट एडमंड हॉल, ऑक्स्फ़ोर्ड से स्नतक की शिक्षा पूरी की। यहीं से स्नातकोत्तर में अन्होंने अर्थशास्त्र और राजनीति शास्त्र पढ़े। इसके पश्चात कुछ वर्षों के लिए वह वेल्स में किसान के रूप में काम करते रहे। फिर उन्होंने अपने खेत को बेचकर डॉक्टर बनने का निर्णय लिया। 1965 में उन्हें डबलिन के रॉयल कॉलेज ऑफ़ सरजिन्स में प्रवेश मिला। उस समय उनकी आयु 35 वर्ष की थी। .

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के. कामराज

के.

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कोलकाता

बंगाल की खाड़ी के शीर्ष तट से १८० किलोमीटर दूर हुगली नदी के बायें किनारे पर स्थित कोलकाता (बंगाली: কলকাতা, पूर्व नाम: कलकत्ता) पश्चिम बंगाल की राजधानी है। यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर तथा पाँचवा सबसे बड़ा बन्दरगाह है। यहाँ की जनसंख्या २ करोड २९ लाख है। इस शहर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। इसके आधुनिक स्वरूप का विकास अंग्रेजो एवं फ्रांस के उपनिवेशवाद के इतिहास से जुड़ा है। आज का कोलकाता आधुनिक भारत के इतिहास की कई गाथाएँ अपने आप में समेटे हुए है। शहर को जहाँ भारत के शैक्षिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों के प्रारम्भिक केन्द्र बिन्दु के रूप में पहचान मिली है वहीं दूसरी ओर इसे भारत में साम्यवाद आंदोलन के गढ़ के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। महलों के इस शहर को 'सिटी ऑफ़ जॉय' के नाम से भी जाना जाता है। अपनी उत्तम अवस्थिति के कारण कोलकाता को 'पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार' भी कहा जाता है। यह रेलमार्गों, वायुमार्गों तथा सड़क मार्गों द्वारा देश के विभिन्न भागों से जुड़ा हुआ है। यह प्रमुख यातायात का केन्द्र, विस्तृत बाजार वितरण केन्द्र, शिक्षा केन्द्र, औद्योगिक केन्द्र तथा व्यापार का केन्द्र है। अजायबघर, चिड़ियाखाना, बिरला तारमंडल, हावड़ा पुल, कालीघाट, फोर्ट विलियम, विक्टोरिया मेमोरियल, विज्ञान नगरी आदि मुख्य दर्शनीय स्थान हैं। कोलकाता के निकट हुगली नदी के दोनों किनारों पर भारतवर्ष के प्रायः अधिकांश जूट के कारखाने अवस्थित हैं। इसके अलावा मोटरगाड़ी तैयार करने का कारखाना, सूती-वस्त्र उद्योग, कागज-उद्योग, विभिन्न प्रकार के इंजीनियरिंग उद्योग, जूता तैयार करने का कारखाना, होजरी उद्योग एवं चाय विक्रय केन्द्र आदि अवस्थित हैं। पूर्वांचल एवं सम्पूर्ण भारतवर्ष का प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र के रूप में कोलकाता का महत्त्व अधिक है। .

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अरविन्द घोष

अरविन्द घोष या श्री अरविन्द (बांग्ला: শ্রী অরবিন্দ, जन्म: १८७२, मृत्यु: १९५०) एक योगी एवं दार्शनिक थे। वे १५ अगस्त १८७२ को कलकत्ता में जन्मे थे। इनके पिता एक डाक्टर थे। इन्होंने युवा अवस्था में स्वतन्त्रता संग्राम में क्रान्तिकारी के रूप में भाग लिया, किन्तु बाद में यह एक योगी बन गये और इन्होंने पांडिचेरी में एक आश्रम स्थापित किया। वेद, उपनिषद ग्रन्थों आदि पर टीका लिखी। योग साधना पर मौलिक ग्रन्थ लिखे। उनका पूरे विश्व में दर्शन शास्त्र पर बहुत प्रभाव रहा है और उनकी साधना पद्धति के अनुयायी सब देशों में पाये जाते हैं। यह कवि भी थे और गुरु भी। .

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अलीपुर

अलीपुर पश्चिम बंगाल राज्य के दक्षिण २४ परगना जिला का मुख्यालय है। यह कोलकाता शहर का दक्षिणी पड़ोसी शहर है। .

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अलीपुर जेल प्रेस

अलीपुर जेल प्रेस अलीपुर जेल में स्थित है। इसका संचालन प्रेस और फ़ॉर्म्स विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा किया जाता है जिसमें अलीपुर जेल के क़ैदियों से काम लिया जाता है। कुछ विशेष कार्यों के लिए अतिरिक्त मानव संसाधनों का बाहर से भी प्रयोग किया जाता है। यह प्रेस अपनी क्षमता के अनुसार वर्तमान में सभी सरकारी फ़ॉर्म्स और अन्य आधिकारिक छपाई के कार्यों को पूरा करती है। यह प्रेस किसी ग़ैर-सरकारी या लाभकारी संस्था के काम को क्रियांवित नहीं करती। बंगाल प्रेसिडेन्सी की 1865 में छपी वार्षिक प्रशासनिक रिपोर्ट के अनुसार उस प्रेस समय 269 क़ैदी कार्यरत थे और साल-भर की कमाई 2,20, 643 रुपिये थी। .

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