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अंटार्कटिक हिमचादर

सूची अंटार्कटिक हिमचादर

अंटार्कटिक हिमचादर (Antarctic ice sheet) पृथ्वी की दो ध्रुवीय हिम टोपियों में से एक है। अंटार्कटिका महाद्वीप का ९८% भूभाग इस हिमचादर द्वारा ढका हुआ है। NASA image by Robert Simmon, based on data from Joey Comiso, GSFC.

9 संबंधों: ध्रुवीय बर्फ टोपी, पार-अंटार्कटिक पर्वत, पृथ्वी, बर्फ़, महाद्वीप, मीठा जल, हिमचादर, जल, अंटार्कटिका

ध्रुवीय बर्फ टोपी

अन्टार्कटिका, एक ध्रुवीय बर्फ टोपी ध्रुवीय बर्फ टोपी (Polar ice cap), किसी ग्रह या प्राकृतिक उपग्रह के उच्च अक्षांश क्षेत्र है जो कि बर्फ में ढंके होते है | ध्रुवीय बर्फ टोपी कहलाने के लिए बर्फीले ढाँचे के लिए आकार या बनावट से सम्बंधित किसी तरह की कोई शर्त नहीं होती है और ना ही इसके भूमि पर होने के लिए कोई भूवैज्ञानिक शर्त होती है; केवल इतना कि ध्रुवीय क्षेत्र में ठोस अवस्था के पदार्थ का ढांचा होना बहुत जरुरी है | File:North pole september ice-pack 1978-2002.png|सितम्बर में आर्कटिक समुद्र बर्फ की सीमा, १९७८-२००२ File:North pole february ice-pack 1978-2002.png|फरवरी में आर्कटिक समुद्र बर्फ की सीमा, १९७८-२००२ File:The Earth seen from Apollo 17.jpg|पृथ्वी, जिस रूप में अपोलो १७ से देखी गई, दृश्यमान दक्षिणी ध्रुवीय बर्फ टोपी के साथ (नासा के सौजन्य से) .

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पार-अंटार्कटिक पर्वत

पार-अंटार्कटिक पर्वत (Transantarctic Mountains) अंटार्कटिका की एक पर्वतमाला है जो पश्चिमी अंटार्कटिका और पूर्वी अंटार्कटिका के क्षेत्रों को एक-दूसरे से विभाजित करती है। यह कुछ जगहों को छोड़कर अंटार्कटिका के एक छोर में तट पर स्थित केप अडेर से लेकर दूसरे छोर के तट तक जाती है। इसकी कई उपशृंखलाएँ हैं।, Timothy M. Kusky, Katherine E. Cullen, pp.

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पृथ्वी

पृथ्वी, (अंग्रेज़ी: "अर्थ"(Earth), लातिन:"टेरा"(Terra)) जिसे विश्व (The World) भी कहा जाता है, सूर्य से तीसरा ग्रह और ज्ञात ब्रह्माण्ड में एकमात्र ग्रह है जहाँ जीवन उपस्थित है। यह सौर मंडल में सबसे घना और चार स्थलीय ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है। रेडियोधर्मी डेटिंग और साक्ष्य के अन्य स्रोतों के अनुसार, पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 बिलियन साल हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण, अंतरिक्ष में अन्य पिण्ड के साथ परस्पर प्रभावित रहती है, विशेष रूप से सूर्य और चंद्रमा से, जोकि पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह हैं। सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान, पृथ्वी अपनी कक्षा में 365 बार घूमती है; इस प्रकार, पृथ्वी का एक वर्ष लगभग 365.26 दिन लंबा होता है। पृथ्वी के परिक्रमण के दौरान इसके धुरी में झुकाव होता है, जिसके कारण ही ग्रह की सतह पर मौसमी विविधताये (ऋतुएँ) पाई जाती हैं। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार-भाटे आते है, यह पृथ्वी को इसकी अपनी अक्ष पर स्थिर करता है, तथा इसकी परिक्रमण को धीमा कर देता है। पृथ्वी न केवल मानव (human) का अपितु अन्य लाखों प्रजातियों (species) का भी घर है और साथ ही ब्रह्मांड में एकमात्र वह स्थान है जहाँ जीवन (life) का अस्तित्व पाया जाता है। इसकी सतह पर जीवन का प्रस्फुटन लगभग एक अरब वर्ष पहले प्रकट हुआ। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिये आदर्श दशाएँ (जैसे सूर्य से सटीक दूरी इत्यादि) न केवल पहले से उपलब्ध थी बल्कि जीवन की उत्पत्ति के बाद से विकास क्रम में जीवधारियों ने इस ग्रह के वायुमंडल (the atmosphere) और अन्य अजैवकीय (abiotic) परिस्थितियों को भी बदला है और इसके पर्यावरण को वर्तमान रूप दिया है। पृथ्वी के वायुमंडल में आक्सीजन की वर्तमान प्रचुरता वस्तुतः जीवन की उत्पत्ति का कारण नहीं बल्कि परिणाम भी है। जीवधारी और वायुमंडल दोनों अन्योन्याश्रय के संबंध द्वारा विकसित हुए हैं। पृथ्वी पर श्वशनजीवी जीवों (aerobic organisms) के प्रसारण के साथ ओजोन परत (ozone layer) का निर्माण हुआ जो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र (Earth's magnetic field) के साथ हानिकारक विकिरण को रोकने वाली दूसरी परत बनती है और इस प्रकार पृथ्वी पर जीवन की अनुमति देता है। पृथ्वी का भूपटल (outer surface) कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेटों में विभाजित है जो भूगर्भिक इतिहास (geological history) के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान को विस्थापित हुए हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से धरातल का करीब ७१% नमकीन जल (salt-water) के सागर से आच्छादित है, शेष में महाद्वीप और द्वीप; तथा मीठे पानी की झीलें इत्यादि अवस्थित हैं। पानी सभी ज्ञात जीवन के लिए आवश्यक है जिसका अन्य किसी ब्रह्मांडीय पिण्ड के सतह पर अस्तित्व ज्ञात नही है। पृथ्वी की आतंरिक रचना तीन प्रमुख परतों में हुई है भूपटल, भूप्रावार और क्रोड। इसमें से बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे और निकल के आतंरिक कोर (inner core) के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुंबकत्व या चुंबकीय क्षेत्र को पैदा करता है। पृथ्वी बाह्य अंतरिक्ष (outer space), में सूर्य और चंद्रमा समेत अन्य वस्तुओं के साथ क्रिया करता है वर्तमान में, पृथ्वी मोटे तौर पर अपनी धुरी का करीब ३६६.२६ बार चक्कर काटती है यह समय की लंबाई एक नाक्षत्र वर्ष (sidereal year) है जो ३६५.२६ सौर दिवस (solar day) के बराबर है पृथ्वी की घूर्णन की धुरी इसके कक्षीय समतल (orbital plane) से लम्बवत (perpendicular) २३.४ की दूरी पर झुका (tilted) है जो एक उष्णकटिबंधीय वर्ष (tropical year) (३६५.२४ सौर दिनों में) की अवधी में ग्रह की सतह पर मौसमी विविधता पैदा करता है। पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (natural satellite) है, जिसने इसकी परिक्रमा ४.५३ बिलियन साल पहले शुरू की। यह अपनी आकर्षण शक्ति द्वारा समुद्री ज्वार पैदा करता है, धुरिय झुकाव को स्थिर रखता है और धीरे-धीरे पृथ्वी के घूर्णन को धीमा करता है। ग्रह के प्रारंभिक इतिहास के दौरान एक धूमकेतु की बमबारी ने महासागरों के गठन में भूमिका निभाया। बाद में छुद्रग्रह (asteroid) के प्रभाव ने सतह के पर्यावरण पर महत्वपूर्ण बदलाव किया। .

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बर्फ़

बर्फ़ जल की ठोस अवस्था को कहते हैं। सामन्य दाब पर ० डिग्री सेल्सियस पर जल जमने लगता है, जल की इसी जमी हुई अवस्था को बर्फ़ कहते हैं। श्रेणी:जल *.

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महाद्वीप

महाद्वीपों को समाहित या विभाजित किया जा सकता है, उदाहरणतः यूरेशिया को प्रायः यूरोप तथा एशिया में विभाजित किया जाता है लाल रंग में। बक्मिन्स्टर फुलर द्वारा डायमैक्सियम नक्शा जो दर्शित करता है भूमिखण्ड कम से कम विरूपण समेत, एक एक लगातार महाद्वीप में बंटे हुए विश्व के महाद्वीप महाद्वीप (en:Continent) एक विस्तृत ज़मीन का फैलाव है जो पृथ्वी पर समुद्र से अलग दिखाई देतै हैं। महाद्वीप को व्यक्त करने के कोई स्पष्ट मापदण्ड नहीं है। अलग-अलग सभ्यताओं और वैज्ञानिकों नें महाद्वीप की अलग परिभाषा दी है। पर आम राय ये है कि एक महाद्वीप धरती बहुत बड़ा का विस्तृत क्षेत्र होता है जिसकी सीमाएं स्पष्ट पहचानी जा सके.

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मीठा जल

मीठा जल अथवा ताजा जल प्राकृतिक रूप से पृथ्वी पर पाया जाने वाला वह पानी है जो समुद्री और समुद्रतटीय लैगूनों के नमक मिश्रित जल से अलग है। इसे ऐसे जल के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें 0.5 भाग प्रति हजार से कम लवण घुले हुए हों। यह पृथ्वी पर कई रूपों में पाया जाता है जैसे हिम टोपियों के रूप में ध्रुवीय क्षेत्रों में या ऊंचे पर्वतों पर, नदियों में प्रवाहित धरातलीय जल, जमीन के नीचे स्थित भूगर्भिक जल, मिट्टी में उपलब्ध नमी के रूप में मृदा जल, झीलों तालाबों और पोखरों में स्थित जल इत्यादि के रूप में। वस्तुतः मीठा जल या ताजा जल शब्द समुद्री खारे जल से अलग सारा जल है जो पृथ्वी पर पाया जाता है। यह पेय जल का समानार्थी नहीं है और पेय जल इसका एक हिस्सा मात्र है। वास्तव में पृथ्वी पर उपलब्ध मीठे जल का काफ़ी हिस्सा पीने योग्य नहीं है क्योंकि उसमें रासायनिक अथवा जैविक दूषण पाया जाता है। .

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हिमचादर

हिमचादर (ice sheet) हिमानी (ग्लेशियर) बर्फ़ का एक बड़ा समूह होता है जो धरती को ढके और कम-से-कम ५०,००० वर्ग किमी क्षेत्रफल पर विस्तृत हो। तुलना के लिये यह भारत के पंजाब राज्य के क्षेत्रफल के लगभग बराबर है। वर्तमानकाल में हिमचादरें केवल अंटार्कटिका और ग्रीनलैण्ड में मिलती हैं, लेकिन पिछले हिमयुग में उत्तर अमेरिका के अधिकांश भाग पर लौरेनटाइड हिमचादर, उत्तरी यूरोप पर विशेली हिमचादर और दक्षिणी दक्षिण अमेरिका पर पैतागोनियाई हिमचादर फैली हुई थी। क्षेत्रफल में हिमचादरें हिमचट्टानों और हिमानियों से बड़ी होती हैं। ५०,००० वर्ग किमी से कम आकार की हिमचादर को बर्फ़ की टोपी (ice cap) कहते हैं। .

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जल

जल या पानी एक आम रासायनिक पदार्थ है जिसका अणु दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु से बना है - H2O। यह सारे प्राणियों के जीवन का आधार है। आमतौर पर जल शब्द का प्प्रयोग द्रव अवस्था के लिए उपयोग में लाया जाता है पर यह ठोस अवस्था (बर्फ) और गैसीय अवस्था (भाप या जल वाष्प) में भी पाया जाता है। पानी जल-आत्मीय सतहों पर तरल-क्रिस्टल के रूप में भी पाया जाता है। पृथ्वी का लगभग 71% सतह को 1.460 पीटा टन (पीटी) (1021 किलोग्राम) जल से आच्छदित है जो अधिकतर महासागरों और अन्य बड़े जल निकायों का हिस्सा होता है इसके अतिरिक्त, 1.6% भूमिगत जल एक्वीफर और 0.001% जल वाष्प और बादल (इनका गठन हवा में जल के निलंबित ठोस और द्रव कणों से होता है) के रूप में पाया जाता है। खारे जल के महासागरों में पृथ्वी का कुल 97%, हिमनदों और ध्रुवीय बर्फ चोटिओं में 2.4% और अन्य स्रोतों जैसे नदियों, झीलों और तालाबों में 0.6% जल पाया जाता है। पृथ्वी पर जल की एक बहुत छोटी मात्रा, पानी की टंकिओं, जैविक निकायों, विनिर्मित उत्पादों के भीतर और खाद्य भंडार में निहित है। बर्फीली चोटिओं, हिमनद, एक्वीफर या झीलों का जल कई बार धरती पर जीवन के लिए साफ जल उपलब्ध कराता है। जल लगातार एक चक्र में घूमता रहता है जिसे जलचक्र कहते है, इसमे वाष्पीकरण या ट्रांस्पिरेशन, वर्षा और बह कर सागर में पहुॅचना शामिल है। हवा जल वाष्प को स्थल के ऊपर उसी दर से उड़ा ले जाती है जिस गति से यह बहकर सागर में पहँचता है लगभग 36 Tt (1012किलोग्राम) प्रति वर्ष। भूमि पर 107 Tt वर्षा के अलावा, वाष्पीकरण 71 Tt प्रति वर्ष का अतिरिक्त योगदान देता है। साफ और ताजा पेयजल मानवीय और अन्य जीवन के लिए आवश्यक है, लेकिन दुनिया के कई भागों में खासकर विकासशील देशों में भयंकर जलसंकट है और अनुमान है कि 2025 तक विश्व की आधी जनसंख्या इस जलसंकट से दो-चार होगी।.

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अंटार्कटिका

अंटार्कटिका अंतरिक्ष से अंटार्कटिका का दृश्य। 230px लाम्बर्ट अजिमुथाल प्रोजेक्शन पर आधारित मानचित्र।दक्षिणी ध्रुव मध्य में है। अंटार्कटिका (या अन्टार्टिका) पृथ्वी का दक्षिणतम महाद्वीप है, जिसमें दक्षिणी ध्रुव अंतर्निहित है। यह दक्षिणी गोलार्द्ध के अंटार्कटिक क्षेत्र और लगभग पूरी तरह से अंटार्कटिक वृत के दक्षिण में स्थित है। यह चारों ओर से दक्षिणी महासागर से घिरा हुआ है। अपने 140 लाख वर्ग किलोमीटर (54 लाख वर्ग मील) क्षेत्रफल के साथ यह, एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका के बाद, पृथ्वी का पांचवां सबसे बड़ा महाद्वीप है, अंटार्कटिका का 98% भाग औसतन 1.6 किलोमीटर मोटी बर्फ से आच्छादित है। औसत रूप से अंटार्कटिका, विश्व का सबसे ठंडा, शुष्क और तेज हवाओं वाला महाद्वीप है और सभी महाद्वीपों की तुलना में इसका औसत उन्नयन सर्वाधिक है। अंटार्कटिका को एक रेगिस्तान माना जाता है, क्योंकि यहाँ का वार्षिक वर्षण केवल 200 मिमी (8 इंच) है और उसमे भी ज्यादातर तटीय क्षेत्रों में ही होता है। यहाँ का कोई स्थायी निवासी नहीं है लेकिन साल भर लगभग 1,000 से 5,000 लोग विभिन्न अनुसंधान केन्द्रों जो कि पूरे महाद्वीप पर फैले हैं, पर उपस्थित रहते हैं। यहाँ सिर्फ शीतानुकूलित पौधे और जीव ही जीवित, रह सकते हैं, जिनमें पेंगुइन, सील, निमेटोड, टार्डीग्रेड, पिस्सू, विभिन्न प्रकार के शैवाल और सूक्ष्मजीव के अलावा टुंड्रा वनस्पति भी शामिल hai हालांकि पूरे यूरोप में टेरा ऑस्ट्रेलिस (दक्षिणी भूमि) के बारे में विभिन्न मिथक और अटकलें सदियों से प्रचलित थे पर इस भूमि से पूरे विश्व का 1820 में परिचय कराने का श्रेय रूसी अभियान कर्ता मिखाइल पेट्रोविच लाज़ारेव और फैबियन गॉटलिएब वॉन बेलिंगशौसेन को जाता है। यह महाद्वीप अपनी विषम जलवायु परिस्थितियों, संसाधनों की कमी और मुख्य भूमियों से अलगाव के चलते 19 वीं शताब्दी में कमोबेश उपेक्षित रहा। महाद्वीप के लिए अंटार्कटिका नाम का पहले पहल औपचारिक प्रयोग 1890 में स्कॉटिश नक्शानवीस जॉन जॉर्ज बार्थोलोम्यू ने किया था। अंटार्कटिका नाम यूनानी यौगिक शब्द ανταρκτική एंटार्कटिके से आता है जो ανταρκτικός एंटार्कटिकोस का स्त्रीलिंग रूप है और जिसका अर्थ "उत्तर का विपरीत" है।" 1959 में बारह देशों ने अंटार्कटिक संधि पर हस्ताक्षर किए, आज तक छियालीस देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए हैं। संधि महाद्वीप पर सैन्य और खनिज खनन गतिविधियों को प्रतिबन्धित करने के साथ वैज्ञानिक अनुसंधान का समर्थन करती है और इस महाद्वीप के पारिस्थितिक क्षेत्र को बचाने के लिए प्रतिबद्ध है। विभिन्न अनुसंधान उद्देश्यों के साथ वर्तमान में कई देशों के लगभग 4,000 से अधिक वैज्ञानिक विभिन्न प्रयोग कर रहे हैं। .

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