लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

हृदय रोग

सूची हृदय रोग

हृदय रोग हृदय शरीर का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। मानवों मेंयह छाती के मध्य में, थोड़ी सी बाईं ओर स्थित होता है और एक दिन में लगभग एक लाख बार एवं एक मिनट में 60-90 बार धड़कता है। यह हर धड़कन के साथ शरीर में रक्त को धकेलता करता है। हृदय को पोषण एवं ऑक्सीजन, रक्त के द्वारा मिलता है जो कोरोनरी धमनियों द्वारा प्रदान किया जाता है। यह अंग दो भागों में विभाजित होता है, दायां एवं बायां। हृदय के दाहिने एवं बाएं, प्रत्येक ओर दो चैम्बर (एट्रिअम एवं वेंट्रिकल नाम के) होते हैं। कुल मिलाकर हृदय में चार चैम्बर होते हैं। दाहिना भाग शरीर से दूषित रक्त प्राप्त करता है एवं उसे फेफडों में पम्प करता है और रक्त फेफडों में शोधित होकर ह्रदय के बाएं भाग में वापस लौटता है जहां से वह शरीर में वापस पम्प कर दिया जाता है। चार वॉल्व, दो बाईं ओर (मिट्रल एवं एओर्टिक) एवं दो हृदय की दाईं ओर (पल्मोनरी एवं ट्राइक्यूस्पिड) रक्त के बहाव को निर्देशित करने के लिए एक-दिशा के द्वार की तरह कार्य करते हैं। हृदय में कई प्रकार के रोग हो सकते हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार से हैं.

47 संबंधों: चकोतरा, एडगर ऍलन पो, एंजियोग्राफी, ताड़ का तेल, थकान (चिकित्सा), दंत-लोमक, ध्वनि प्रदूषण, परिधीय संवहिनी रोग, पादपरसायन, प्रताप सी रेड्डी, फल, बहु-सक्षम कोशिकाएं, बादाम, बायोकॉन, बाल्यकाल स्थूलता (बच्चों में मोटापा), बिकुर होलिम अस्पताल, भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव, भोजन में फल व सब्जियां, मधुबाला, मधुमेह टाइप 2, मार्जरीन, मंदनाड़ी, मेवा, मोटापा, रुमेटी हृद्रोग, साबुत अनाज, स्टेम कोशिका, स्वस्थ आहार, हनटिंग्टन रोग, हरी चाय, हारा हाची बू, हाईपोथर्मिया, हृदय, हृदयवाहिका रोग, हेमोडायलिसिस, जंक फूड, घी, व्यायाम, आसुत जल, आहारीय सेलेनियम, कलौंजी, कांचबिंदु, कंधे की अकड़न, कोलेस्टेरॉल, अत्यधिक निम्न घनत्व कोलेस्ट्रॉल, अकेलापन, उच्च रक्तचाप

चकोतरा

चकोतरा निम्बू-वंश का एक फल है, जो उस वंश की सबसे बड़ी जातियों में से एक है। हालांकि निम्बू-वंश के बहुत से फल दो या उस से अधिक जातियों के संकर (हाइब्रिड) होते हैं, चकोतरा एक शुद्ध प्राकृतिक जाति है। इसके कच्चे फल का रंग हरा, और पके हुए का हल्का हरा या फिर पीला होता है। पूरा बड़ा होने पर इसके फल का व्यास (डायामीटर) १५-२५ सेमी और वज़न १ से २ किलोग्राम होता है। इसके स्वाद में खटास और कुछ मीठापन तो होता है, लेकिन कड़वाहट नहीं। चकोतरा मूलतः भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिणपूर्वी एशिया क्षेत्र की जन्मी हुई जाति है। .

नई!!: हृदय रोग और चकोतरा · और देखें »

एडगर ऍलन पो

एडगर ऍलन पो (अंग्रेजी:Edgar Allan Poe, १९ जनवरी १८०९ – ७ अक्टूबर १८४९) अमरीकन रोमांसवाद के कवि, लेखक, संपादक और आलोचक थे। ये अपनी रहस्यमयी और भयावह कहानियों के लिए प्रसिद्ध हैं। जासूसी कहानियों की शुरुआत इन्होंने ही की और वैज्ञानिक कथाओं की उभरती शैली को भी बढ़ावा दिया। ये पहले विख्यात अमरीकन लेखक थे जिन्होंने लेखन से ही आजीविका कमाने का प्रयास किया, लेकिन इन्हें सदा गरीबी और मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इनका जन्म बोस्टन, मैसाचूसिट्स में हुआ था। ये छोटी ही उम्र में अनाथ हो गए, जब इनके पिता परिवार को अकेला छोड़कर चले गए और माँ भी कुछ समय बाद ही चल बसीं। इनका पालन-पोषण रिचमण्ड, वर्जीनिया के जॉन और फ्रांसिस ऍलन ने किया, लेकिन इन्होंने कभी एडगर को औपचारिक रूप से गोद नहीं लिया। इन्होंने वर्जीनिया विश्वविद्यालय में एक छमाही पढ़ाई की, लेकिन पैसों की कमी के कारण पढ़ाई छोड़नी पड़ी। फिर ये सेना में भर्ती हो गए, लेकिन वेस्ट पाइंट पर कैडेट की परीक्षा पास नहीं कर पाए। ये ऍलन परिवार से अलग हो गए और लेखक जीवन शुरु किया। १८२७ में इनकी पहली रचना प्रकाशित हुई, तैमरलेन ऐण्ड अदर पोयम्स (अंग्रेजी: Tamerlane and Other Poems, तैमूर लंग और अन्य कविताएँ), जिसमें उनके नाम की जगह "ए बोस्टनियन" (एक बोस्टन-निवासी) लिखा था। पो ने फिर गद्य की तरफ ध्यान दिया और अगले कई साल साहित्यिक पत्रिकाओं में आलोचक की तरह काम किया। ये अपनी निराली आलोचना शैली के लिए बहुत प्रसिद्ध हुए। इस दौरान ये बाल्टीमोर, फिलाडेल्फिया और न्यू यार्क के बीच काफी घूमे। १८३५ में बाल्टीमोर में इनका विवाह दूर की रिश्तेदार १३ साल की वर्जीनिया क्लेम से हुआ, लेकिन ये कुछ ही वर्ष बाद तपेदिक के कारण चल बसीं। जनवरी १८४५ में पो ने द रेवन (अंग्रेजी: The Raven, काला कौवा) नाम की कविता प्रकाशित की, जो काफी प्रसिद्ध हुई। इन्होंने अपनी खुद की पत्रिका "द पेन्न" (अंग्रेजी: The Penn) प्रकाशित करने की तैयारी शुरु की, लेकिन इसके प्रकाशित होने से पहले ही इनकी मृत्यु हो गई। इनकी मृत्यु बाल्टीमोर में ४० साल की आयु में हुई, लेकिन कारण अभी तक नहीं पता चल पाया है। इतिहासकारों ने शराब, मस्तिष्क की सूजन, हैजा, नशीली दवाएँ, हृदय रोग इत्यादि से लेकर रेबीज़, तपेदिक आदि के बारे में अटकलें लगाई हैं। पो की शैली को "गोथिक" कहा जाता है। इन्होंने अपनी रचनाओं में मुख्यतः मृत्यु, मृत्यु के चिह्न, जीवित दफ़नाना, मृत्योपरांत जीवन और शोक इत्यादि विषयों को टटोला है। इसके साथ ही इन्होंने ऑगस्त द्युपिन नाम के जासूस की रचना की, जिसके द्वारा स्थापित जासूसी विधि का बाद में शर्लक होम्स और हरक्यूल प्वारो जैसे जासूसी नायकों ने भी प्रयोग किया। .

नई!!: हृदय रोग और एडगर ऍलन पो · और देखें »

एंजियोग्राफी

जाँघ से किये गये एक एन्जियोग्राफ के ट्रान्स्वर्स प्रोजेक्शन में वर्टीब्रो बेसीलर तथा पोस्टीरियर सेरेब्रल एंजियोग्राफी (अंग्रेजी: Angiography), वाहिकाचित्रण अथवा वाहिकालेख रक्त वाहिनी नलिकाओं धमनी व शिराओं का एक प्रकार का एक्सरे जैसा चिकित्सकीय अध्ययन है, जिसका प्रयोग हृदय रोग, किडनी संक्रमण, ट्यूमर एवं खून का थक्का जमने आदि की जाँच करने में किया जाता है। एंजियोग्राफ में रेडियोधर्मी तत्व या डाई का प्रयोग किया जाता है, ताकि रक्त वाहिनी नलिकाओं को एक्स रे द्वारा साफ साफ देखा जा सके। डिजिटल सबस्ट्रेक्शन एंजियोग्राफी नामक एक नयी तकनीक में कंप्यूटर धमनियों की पृष्ठभूमि को गायब कर देता है जिससे चित्र ज्यादा साफ दिखने लगते हैं। यह तकनीक रक्त वाहिकाओं में अवरोध होने की स्थिति में ही की जाती है। इससे हृदय की धमनी में रुकावट एवं सिकुड़न की जानकारी का तत्काल पता चल जाता है। एंजियोग्राफी के बाद बीमारी से ग्रसित धमनियों को एंजियोप्लास्टी द्वारा खोला जाता है। इस उपचार के बाद रोगी के हृदय की रक्तविहीन मांसपेशियों में खून का प्रवाह बढ़ जाता है और उसे तत्काल आराम मिल जाता है। यही नहीं, हृदयाघात की सम्भावना में भी भारी कमी आ जाती है। याहू जागरण सितंबर, २००८ एंजियोग्राफी दो यूनानी शब्दों ‘एंजियॉन’ यानी वाहिकाओं और ‘ग्रेफियन’ यानी रिकॉर्ड करने से मिलकर बना है। यह तकनीक १९२७ में पहली बार एक पुर्तगाली फिज़ीशियन व न्यूरोलॉजिस्ट इगास मोनिज ने खोजी थी। इगास मोनिज को१९४९ में इस उल्लेखनीय कार्य के लिये नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। .

नई!!: हृदय रोग और एंजियोग्राफी · और देखें »

ताड़ का तेल

उबाल के परिणाम स्वरूप ताड़ के तेल का ब्लॉक हल्के रंग दिखा रहा है। ताड़ का तेल, नारियल तेल और ताड़ की गरी का तेल ताड़ के पेड़ों के फल से निकाले गये खाने योग्य वनस्पति तेल हैं। ताड़ का तेल आयल पाम एलएईस गुइनीन्सिस के फल की लुगदी से निकाला जाता है; ताड़ की गरी का तेल आयल पाम के फल की गरी (बीज) से निकाला जाता है और नारियल का तेल नारियल (कोकोस नुसिफेरा) की गरी से प्राप्त किया जाता है। ताड़ के तेल का रंग स्वाभाविक रूप से लाल होता है, क्योंकि इसमें बीटा कैरोटीन का एक उच्च परिमाण शामिल रहता है। ताड़ का तेल, ताड़ की गरी का तेल और नारियल तेल कुछ अत्यधिक संतृप्त वनस्पति वसाओं में से तीन हैं। ताड़ का तेल कमरे के तापमान पर अर्ध ठोस रहता है। ताड़ के तेल में कई संतृप्त और असंतृप्त वसाएं ग्लिसरिल ल्यूरेट (0.1%, संतृप्त), मिरिस्टेट (1%, संतृप्त), पामिटेट (44%, संतृप्त), स्टीयरेट (5%, संतृप्त), ओलेट (39%, एकलअसंतृप्त) लीनोलियेट (10%, बहुलअसंतृप्त और लिनोलेनेट (0.3%, बहुलअसंतृप्त) के रूप में शामिल हैं। ताड़ की गरी का तेल और नारियल तेल, ताड़ के तेल से अधिक उच्च संतृप्त तेल हैं। सभी वनस्पति तेलों की तरह ताड़ के तेल में कोलेस्ट्रॉल (अपरिष्कृत पशु वसा में पाया जाने वाला) नहीं होता, हालांकि संतृप्त वसा के सेवन से एलडीएल और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल दोनों बढ़ जाते हैं। ताड़ का तेल अफ्रीका, दक्षिणपूर्व एशिया और ब्राजील के कुछ भागों की उष्णकटिबंधीय पट्टी में खाना पकाने का एक आम उपादान है। इसकी कम लागत और तलने में उपयोग के समय परिष्कृत उत्पाद की उच्च जारणकारी स्थिरता (संतृप्ति) दुनिया के अन्य भागों में व्यावसायिक भोजन उद्योग में इसके बढ़ते उपयोग को प्रोत्साहित कर रही है। .

नई!!: हृदय रोग और ताड़ का तेल · और देखें »

थकान (चिकित्सा)

थकान या श्रांति (fatigue/फैटिग) एक एसी स्थिति है जो एक विशिष्ट श्रेणी में जागरूकता की वेदनाओं का वर्णन करता है, आमतौर पर ये शारीरिक और/या मानसिक कमजोरी से जोड़ा जाता है, हालांकि ये एक सामान्य सुस्ती से लेकर विशिष्ट काम करने की वजह से कुछ खास मास पेसियो में जलन का आभास होना.

नई!!: हृदय रोग और थकान (चिकित्सा) · और देखें »

दंत-लोमक

एक आवधिक दांत की सफाई के दौरान डेंटल स्वास्थ्‍य विज्ञानवेत्ता एक मरीज की दांत को लोमकिंग कर रहे हैं। दंत-लोमक या तो महीन नायलॉन तंतुओं का एक पुलिंदा होता है या फिर प्लास्टिक (टेफ्लान या पॉलिथिलीन) का एक फीता होता है जिसका प्रयोग दांतों से खाद्यपदार्थ और दंत-पपड़ी निकालने के लिये किया जाता है। लोमक को धीरे से दांतों के बीच डाला जाता है और दांतों के दोनों पार्श्वों पर, विशेषकर मसूड़ों के नजदीक, कुरेदा जाता है। दंत-लोमक सुगंधित या सुगंधरहित और मोमयुक्त या मोमरहित हो सकता है। ऐसा ही प्रभाव प्राप्त करने के लिये उपयुक्त एक वैकल्पिक औजार है, अंतर्दंतीय ब्रश.

नई!!: हृदय रोग और दंत-लोमक · और देखें »

ध्वनि प्रदूषण

लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे ध्वनि प्रदूषण या अत्यधिक शोर किसी भी प्रकार के अनुपयोगी ध्वनियों को कहते हैं, जिससे मानव और जीव जन्तुओं को परेशानी होती है। इसमें यातायात के दौरान उत्पन्न होने वाला शोर मुख्य कारण है। जनसंख्या और विकास के साथ ही यातायात और वाहनों की संख्या में भी वृद्धि होती जिसके कारण यातायात के दौरान होने वाला ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ने लगता है। अत्यधिक शोर से सुनने की शक्ति भी चले जाने का खतरा होता है। .

नई!!: हृदय रोग और ध्वनि प्रदूषण · और देखें »

परिधीय संवहिनी रोग

परिधीय संवहिनी रोग (अंग्रेज़ी:पेरिफेरल वैस्कुलर डिज़ीज़, लघु:पीवीडी (PVD), जिसे परिधीय धमनी रोग (पेरिफेरल आर्टरी डिज़ीज़, PAD) या पेरिफेरल आर्टरी ऑक्ल्यूसिव डिज़ीज़ (PAOD) भी कहते हैं, हाथों व पैरों में बड़ी धमनियों के संकरा होने से पैदा होने वाली रक्त के बहाव में रुकावट के कारण होने वाली सभी समस्याओं को कहते हैं। इसका परिणाम आर्थेरोस्क्लेरोसिस, सूजन आदि जिनसे स्टेनोसिस, एम्बोलिज़्म, या थ्रॉम्बस गठन हो सकती है।। हिन्दुस्तान लाइव। १३ अप्रैल २०१० इससे विकट या चिरकालिक एस्केमिया (रक्त आपूर्ति में कमी), विशेषकर पैरों में हो सकती है। यह रोग होने की संभावना उन लोगों में अधिक होती है, जो उच्च रक्तचाप, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, उच्च कॉलेस्ट्रॉल और निष्क्रिय जीवनशैली के रोगी होते हैं या उनके रक्त में वसा या लिपिड की मात्रा अधिक होती है। साथ ही धूम्रपान ज्यादा करने वालों को भी ये समस्या होती है।। हिन्दुस्तान लाइव। ४ अगस्त २०१० इसके अलावा, रक्त का थक्का जमने के कारण रक्त-शिराएं अवरोधित हो जाती हैं। इस रोग में रक्त धमनियों की भीतरी दीवारों पर वसा जम जाती है। ये हाथ पाँवों के ऊतकों में रक्त के प्रवाह को रोकता है। रोग के प्राथमिक चरण में चलने या सीढ़ियां चढ़ने पर पैरों और कूल्हों में थकान या दर्द महसूस होता है। इस समय रोगी इन लक्षणों पर ध्यान नहीं देते हैं। समय के साथ-साथ इसके अलावा अन्य लक्षणों में दर्द, सुन्न होना, पैर की माँसपेशियों में भारीपन आते हैं। शारीरिक काम करते समय मांसपेशियों को अधिक रक्त प्रवाह चाहिए होता है। यदि नसें संकरी हो जाएं तो उन्हें पर्याप्त रक्त नहीं मिलता। आराम के समय रक्त प्रवाह की उतनी आवश्यकता नहीं होती इसलिए बैठ जाने से दर्द भी चला जाता है। .

नई!!: हृदय रोग और परिधीय संवहिनी रोग · और देखें »

पादपरसायन

पादपरसायन के कारण ब्लूबेरी में गहरा रंग पादपरसायन या फाइटोकैमिकल बीटा कैरोटीन जैसे वो कार्बनिक यौगिक होते हैं, जो वनस्पतियों में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध होते हैं। ये रसायन स्वास्थ्य के लिये लाभकारक हो सकते हैं, किन्तु अभी तक पोषण के लिये आवश्यक सिद्ध नहीं हुए हैं। हालांकि इन रसायनों से परिपूर्ण फलों व सब्जियों से मिश्रित आहार का परामर्श देने हेतु पर्याप्त वैज्ञानिक एवं सरकारी समर्थन मिला हुआ है, किन्तु फिर भी कुछ विशेष पादपरसायनों के द्वारा मिलने वाले लाभों के बारे में मात्र कुछ ही सीमित प्रमाण उपलब्ध हैं। फलों और सब्जियों में रोगों से लड़ने वाले एंटीआक्सीडेंट्स और पादपरसायन पाये जाते हैं। फाइटोकैमिकल्स, हृदय रोग, कैंसर मधुमेह जैसे रोगों से लड़ने में मदद करते हैं। .

नई!!: हृदय रोग और पादपरसायन · और देखें »

प्रताप सी रेड्डी

प्रताप चंद्र रेड्डी (एरेग्रोडा में १९३३ में जन्में) एक भारतीय उद्यमीऔर हृदय रोग विशेषज्ञ है, जिन्होंने भारत में अस्पतालों की पहली कॉर्पोरेट श्रृंखला - अपोलो हॉस्पिटल समूह की स्थापना की। इंडिया टुडे पत्रिका ने २०१७ की सूची के भारत के 50 सबसे शक्तिशाली लोगों में उन्हें #४८ वें स्थान दिया। .

नई!!: हृदय रोग और प्रताप सी रेड्डी · और देखें »

फल

फल और सब्ज़ियाँ निषेचित, परिवर्तित एवं परिपक्व अंडाशय को फल कहते हैं। साधारणतः फल का निर्माण फूल के द्वारा होता है। फूल का स्त्री जननकोष अंडाशय निषेचन की प्रक्रिया द्वारा रूपान्तरित होकर फल का निर्माण करता है। कई पादप प्रजातियों में, फल के अंतर्गत पक्व अंडाशय के अतिरिक्त आसपास के ऊतक भी आते है। फल वह माध्यम है जिसके द्वारा पुष्पीय पादप अपने बीजों का प्रसार करते हैं, हालांकि सभी बीज फलों से नहीं आते। किसी एक परिभाषा द्वारा पादपों के फलों के बीच में पायी जाने वाली भारी विविधता की व्याख्या नहीं की जा सकती है। छद्मफल (झूठा फल, सहायक फल) जैसा शब्द, अंजीर जैसे फलों या उन पादप संरचनाओं के लिए प्रयुक्त होता है जो फल जैसे दिखते तो है पर मूलत: उनकी उत्पप्ति किसी पुष्प या पुष्पों से नहीं होती। कुछ अनावृतबीजी, जैसे कि यूउ के मांसल बीजचोल फल सदृश होते है जबकि कुछ जुनिपरों के मांसल शंकु बेरी जैसे दिखते है। फल शब्द गलत रूप से कई शंकुधारी वृक्षों के बीज-युक्त मादा शंकुओं के लिए भी होता है। .

नई!!: हृदय रोग और फल · और देखें »

बहु-सक्षम कोशिकाएं

प्लूरिपोटेन्ट भ्रूणीय कोशिकाएं ब्लास्टोसिस्ट के आंतरिक पदार्थ रूप में उपजती हैं। स्टेम कोशिका प्लेसेंटा के सिवाय शरीर का कोई भी भाग बन सकती हैं। केवल मोरुला कोशिकाएं ही प्लेसेन्टा समेत कोई भी ऊतक बन पाने में सक्षम होती हैं, अतः टोटीपोटेन्ट कहलाती हैं। भ्रूण विकास के दौरान डिम्ब वह एक कोशिका है, जो पूरे जीव को बनाने की पूर्ण क्षमता रखती है। ये कोशिकाएं कई बार विभाजित होकर ऐसी कोशिकाएं बनातीं हैं, जो पूर्ण सक्षम होतीं हैं अर्थात विभाजित होने पर प्रत्येक कोशिका पूरा जीव बना सकती है। कुछ और विभाजनों के पश्चात ये कोशिकाएं, एक विशेष गोलाकार रचना बनातीं हैं, जिसे ब्लास्टोसिस्ट कहते हैं, परंतु इस अवस्था में पृथक की गईं कोशिकाएं, पूर्ण जीव विकसित करने में सक्षम नहीं होती हैं। अतः इन्हें अंशतः सक्षम कोशिका कहा जाता है। भीतरी कोशिकाएं कई बार विभाजित और विभेदित होकर विशेष कोशिकाएं बनातीं हैं, जो प्रत्येक ऊतक को पुनर्जीवित करने की क्षमता रखतीं हैं। इन्हें बहु-सक्षम कोशिकाएं कहते हैं। ये कोशिकाएं प्रत्येक ऊतक में संरक्षित रहतीं हैं, तथा ऊतकों में कोशिका जनन तथा पुनः संरचना के लिए उपयोगी होती हैं। इनके स्थान पर आंशिक सक्षम कोशिकाएं भी प्रयोग की जा सकतीं हैं। इनका लाभ यह है कि किसी भी प्रकार के ऊतक विभेदन के लिए इन्हें प्रेरित किया जा सकता है, क्योंकि ये भ्रूण से प्राप्त की जातीं हैं, इसलिये इन्हें भ्रूणीय स्टेम कोशिका कहा जाता है। हृदय रोग तथा मधुमेह के निदान में, विभेदित कोशिकाओं का बड़ा महत्व है। न्यूरोलॉजिकल रोगों में भी विशेषतः तंत्रिकाओं का प्रत्यारोपण इनकी अवस्थाओं में सुधार लाने की क्षमता रखता है। क्षतिग्रस्त अंगों की मरम्मत भी इनसे की जा सकती है। श्रेणी:मानव शरीर श्रेणी:कोशिका.

नई!!: हृदय रोग और बहु-सक्षम कोशिकाएं · और देखें »

बादाम

बादाम (अंग्रेज़ी:ऑल्मंड, वैज्ञानिक नाम: प्रूनुस डल्शिस, प्रूनुस अमाइग्डैलस) मध्य पूर्व का एक पेड़ होता है। यही नाम इस पेड़ के बीज या उसकी गिरि को भी दिया गया है। इसकी बड़े तौर पर खेती होती है। बादाम एक तरह का मेवा होता है। संस्कृत भाषा में इसे वाताद, वातवैरी आदि, हिन्दी, मराठी, गुजराती व बांग्ला में बादाम, फारसी में बदाम शोरी, बदाम तल्ख, अंग्रेजी में आलमंड और लैटिन में एमिग्ड्रेलस कम्युनीज कहते हैं। आयुर्वेद में इसको बुद्धि और नसों के लिये गुणकारी बताया गया है। भारत में यह कश्मीर का राज्य पेड़ माना जाता है। एक आउंस (२८ ग्राम) बादाम में १६० कैलोरी होती हैं, इसीलिये यह शरीर को उर्जा प्रदान करता है।|नीरोग लेकिन बहुत अधिक खाने पर मोटापा भी दे सकता है। इसमें निहित कुल कैलोरी का ¾ भाग वसा से मिलता है, शेष कार्बोहाईड्रेट और प्रोटीन से मिलता है। इसका ग्लाईसेमिक लोड शून्य होता है। इसमें कार्बोहाईड्रेट बहुत कम होता है। इस कारण से बादाम से बना केक या बिस्कुट, आदि मधुमेह के रोगी भी ले सकते हैं। बादाम में वसा तीन प्रकार की होती है: एकल असंतृप्त वसीय अम्ल और बहु असंतृप्त वसीय अम्ल। यह लाभदायक वसा होती है, जो शरीर में कोलेस्टेरोल को कम करता है और हृदय रोगों की आशंका भी कम करता है। इसके अलावा दूसरा प्रकार है ओमेगा – ३ वसीय अम्ल। ये भी स्वास्थवर्धक होता है। इसमें संतृप्त वसीय अम्ल बहुत कम और कोलेस्टेरोल नहीं होता है। फाईबर या आहारीय रेशा, यह पाचन में सहायक होता है और हृदय रोगों से बचने में भी सहायक रहता है, तथा पेट को अधिक देर तक भर कर रखता है। इस कारण कब्ज के रोगियों के लिये लाभदायक रहता है। बादाम में सोडियम नहीं होने से उच्च रक्तचाप रोगियों के लिये भी लाभदायक रहता है। इनके अलावा पोटैशियम, विटामिन ई, लौह, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फास्फोरस भी होते हैं।। हिन्दी मीडिया.इन। २५ सितंबर २००९। मीडिया डेस्क .

नई!!: हृदय रोग और बादाम · और देखें »

बायोकॉन

बायोकॉन लिमिटेड (Biocon Limited; BSE: 532523) बंगलोर में स्थित एक भारतीय जैवभेषज (biopharmaceutical) कम्पनी है। .

नई!!: हृदय रोग और बायोकॉन · और देखें »

बाल्यकाल स्थूलता (बच्चों में मोटापा)

बाल्यकाल स्थूलता एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में उपस्थित अतिरिक्त वसा बच्चे के स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। चूंकि प्रत्यक्ष रूप से शारीरिक वसा के मापन की विधियां कठिन हैं, मोटापे या स्थूलता का निदान अक्सर बीएमआई पर आधारित होता है। बच्चों में स्थूलता या मोटापे की स्थिति बढती जा रही है और मोटापा स्वास्थ्य पर कई प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इसीलिए इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य से सम्बंधित एक गंभीर चिंता का विषय माना जाता है। ऐसे बच्चों को अक्सर स्थूलता से पीड़ित नहीं कहा जाता बल्कि ऐसा कहा जाता है कि उनका वजन अधिक है या वे ओवरवेट हैं, क्योंकि यह सुनने में कम बुरा लगता है। .

नई!!: हृदय रोग और बाल्यकाल स्थूलता (बच्चों में मोटापा) · और देखें »

बिकुर होलिम अस्पताल

बिकुर होलिम अस्पताल (בית החולים ביקור חולים) इज़राइल के यरुशलम नगर में स्थित एक 200 बिस्तरों वाला अस्पताल है। यह अपने प्रसूति और हृदय सम्बन्धी विभागों के लिए सर्वाधिक जाना जाता है। इसके अतिरिक्त इस अस्पताल में भी एक आधुनिक नवजात गहन चिकित्सा इकाई, एक बाल-रोग विभाग, और बारिऐट्रिक (मोटापे के कारणों पर शोध और उपचार से सम्बन्धित्) और प्लास्टिक सर्जरी इकाइयाँ संचालित करता है। बिकुर होलिम में प्रति वर्ष लगभग 60,000 रोगियों का उपचार किया जाता है। 700 प्रशासकों, चिकित्सकों, नर्सों, तकनीशियनों और सफ़ाईकर्ताओं के साथ यह यरुशलम नगर केन्द्र के सबसे बड़े रोजगार-प्रदाताओं में से है। यहाँ एक-तिहाई चिकित्सक अरब-इज़राइली हैं, जिनमें से बहुतों ने बिकुर होलिम को अपने आवास के रूप में चुना है। दिसम्बर 2012 तक इस अस्पताल का शारे ज़ेडक चिकित्सा केन्द्र द्वारा अधिग्रहण कर लिया गया और यह अस्पताल शारे ज़ेडक की शाखा के रूप में कार्यरत यह अस्पताल है। .

नई!!: हृदय रोग और बिकुर होलिम अस्पताल · और देखें »

भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव

extreme weather). (Third Assessment Report) इस के अंतर पैनल तौर पर जलवायु परिवर्तन (Intergovernmental Panel on Climate Change)। इस भविष्यवाणी की प्रभावों के ग्लोबल वार्मिंग इस पर पर्यावरण (environment) और के लिए मानव जीवन (human life) कई हैं और विविध.यह आम तौर पर लंबे समय तक कारणों के लिए विशिष्ट प्राकृतिक घटनाएं विशेषता है, लेकिन मुश्किल है के कुछ प्रभावों का हाल जलवायु परिवर्तन (climate change) पहले से ही होने जा सकता है।Raising sea levels (Raising sea levels), glacier retreat (glacier retreat), Arctic shrinkage (Arctic shrinkage), and altered patterns of agriculture (agriculture) are cited as direct consequences, but predictions for secondary and regional effects include extreme weather (extreme weather) events, an expansion of tropical diseases (tropical diseases), changes in the timing of seasonal patterns in ecosystems (changes in the timing of seasonal patterns in ecosystems), and drastic economic impact (economic impact)। चिंताओं का नेतृत्व करने के लिए हैं राजनीतिक (political) सक्रियता प्रस्तावों की वकालत करने के लिए कम (mitigate), समाप्त (eliminate), या अनुकूलित (adapt) यह करने के लिए। 2007 चौथी मूल्यांकन रिपोर्ट (Fourth Assessment Report) के द्वारा अंतर पैनल तौर पर जलवायु परिवर्तन (Intergovernmental Panel on Climate Change) (आईपीसीसी) ने उम्मीद प्रभावों का सार भी शामिल है। .

नई!!: हृदय रोग और भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव · और देखें »

भोजन में फल व सब्जियां

भोजन में फल व सब्जियों का विशेष महत्त्व होता है। भोजन वह पदार्थ होता है, जिसे जीव अपनी जीविका चलाने हेतु ग्रहण किया करते हैं। मानव भोजन में पोषण के अलावा स्वाद भी महत्त्वपूर्ण होता है। किंतु स्वाद के साथ-साथ ही पोषण स्वास्थ्यवर्धक भी होना चाहिये। इसके लिये यह आवश्यक है कि आपके प्रतिदिन के खाने में अलग-अलग रंगों के फल एवं सब्जियां सम्मिलित हों।। हिन्दुस्तान लाइव। ७ फ़रवरी २०१० फलों और सब्जियों से विभिन्न प्रकार के विटामिन, खनिज और फाइटोकैमिकल्स प्राप्त होते हैं। इससे शरीर को रोगों से बचाव के लिए आवश्यक ऊर्जा प्राप्त होती है, साथ ही आयु के बढ़ते प्रभाव को कम करता है, युवा दिखने में मदद करता है और रोगों की रोकथाम करता है, जैसे कि उच्च रक्तचाप, हृदय रोग आदि। फलों और सब्जियों में पोटैशियम की अधिक मात्र होने से उच्च रक्तचाप और गुर्दे में पथरी होने से बचा जा सकता है। साथ ही ये हड्डियों के क्षय को भी रोकता है। सब्जियों में पाये जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स कई आवश्यक तत्वों, आहारीय रेशा, खनिज-लवण, विटामिनों और अन्य लाभदायक तत्वों को किसी भी गोली के माध्यम से प्राप्त नहीं किया जा सकता है। फलों के तुल्य कोई भी अन्य भोज्य पदार्थ नहीं हो सकता है। इसमें कई ऐसे जादुई सूक्ष्मात्रिक तत्वों और एंटीआक्सीडेंट्स का मिश्रण पाया जाता है जिनकी पूर्ण खोज व ज्ञान अभी भी अज्ञात है। भोजन में पोटैशियम की पूर्ति फलों और सब्जियों के माध्यम से ही होती है, पोटैशियम की शारीरिक ऊर्जा उपापचय में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसकी कमी होने से मांसपेशियों में कमजोरी और कई मानसिक विषमताएं हो जाती हैं। ये कमियां हृदय की कार्यक्षमता में दिखाई देती है। टिटोफन एक आवश्यक एमिनो एसिड है जो फलों और सब्जियों में पाया जाता है। कई प्रकार के ट्रेस एलिमेन्ट्स और अकार्बनिक तत्वों की शरीर के एन्जाइम तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जिससे शरीर की प्रोटीन और हार्मोन संरचना बनी रहती है। कई प्रकार के खनिज लवण और अन्य सूक्ष्मात्रिक तत्व फलों और सब्जियों में पाये जाते हैं जिनकी मात्र मौसम, कृषि कार्य, मृदा प्रकार और किस्मों की मात्र पर निर्भर करती है। इसलिये अलग-अलग प्रकार के भोज्य पदार्थो को भोजन में शामिल अवश्य करना चाहिये व अच्छे स्वास्थ्य के लिए खाने में सभी आवश्यक तत्वों का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए। जिन फलों के सेवन से स्वास्थ्य को अच्छा बनाये रखने में मदद मिलती है उनमें सेब, अमरूद, अंगूर, संतरा, केला, पपीता विशेष रूप से प्रयोग किया जा सकता है। इसके अलावा हरी सब्जियों का सेवन करना भी अत्यंत लाभदायक होता है। .

नई!!: हृदय रोग और भोजन में फल व सब्जियां · और देखें »

मधुबाला

मधुबाला (مدھو بال; जन्म: 14 फ़रवरी 1933, दिल्ली - निधन: 23 फ़रवरी 1969, बंबई) भारतीय हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री थी। उनके अभिनय में एक आदर्श भारतीय नारी को देखा जा सकता है। चेहरे द्वारा`भावाभियक्ति तथा नज़ाक़त उनकी प्रमुख विशेषतायें थीं। उनके अभिनय, प्रतिभा, व्यक्तित्व और खूबसूरती को देख कर यही कहा जाता है कि वह भारतीय सिनेमा की अब तक की सबसे महान अभिनेत्री है। वास्तव मे हिन्दी फ़िल्मों के समीक्षक मधुबाला के अभिनय काल को स्वर्ण युग की संज्ञा से सम्मानित करते हैं। .

नई!!: हृदय रोग और मधुबाला · और देखें »

मधुमेह टाइप 2

मधुमेह मेलिटस टाइप 2जिसे पहले "गैर-इंसुलिन-निर्भर मधुमेह मेलिटस (NIDDM)" या "वयस्कता में शुरु होने वाला मधुमेह"कहा जाता था, एक चपापचय विकार है, जिसे इंसुलिन प्रतिरोध और सापेक्ष इंसुलिन कमी के संदर्भ में उच्च रक्त ग्लूकोस द्वारा पहचाना जाता है।यह मधुमेह मेलिटस टाइप 1 के विपरीत होता है जिसमें अग्नाशय में आइलेट कोशिकाओं के विघटन के कारण पूर्ण इंसुलिन की कमी होती है। अधिक प्यास लगना, बार-बार मूत्र लगना और लगातार भूख लगना कुछ चितपरिचित लक्षण हैं। मधुमेह टाइप 2 का आरंभिक प्रबंधन व्यायाम और आहार संबंधी सुधारको बढ़ा कर किया जाता है। यदि इन उपायों से रक्त ग्लूकोस स्तर पर्याप्त रूप से कम नहीं होते हैं तो मेटफॉर्मिनया इंसुलीन जैसी दवाओं की जरूरत हो सकती है। वे लोग जो इंसुलिन पर हैं, उनमें रक्त शर्करास्तरों की नियमित जांच की आवश्यकता होती है। मधुमेह की दर, मोटापे की दर के सामान पिछले 50 वर्षों में समांतर रूप से बढ़ी है। 2010 में लगभग 285 मिलियन लोग इस रोग से पीड़ित हैं, जबकि 1985 में इनकी संख्या लगभग 30 मिलियन थी। उच्च रक्त शर्करा से दीर्घावधि में होने वाली जटिलताओं में हृदय रोग, दौरे, मधुमेह रैटिनोपैथी जिसमें आंखो की देखने की क्षमता प्रभावित होती है, गुर्दे की विफलता जिसमें डायलिसिसकी जरूरत पड़ सकती है और अंगों में खराब संचरण के कारण अंग विच्छेदनशामिल हो सकता है। हलांकि मधुमेह टाइप 1 का गुण जो कि कीटोन बॉडी की अधिकताकी गंभीर जटिलता है, असमान्य है। हलांकि, नॉनएकेटोटिक हाइप्रोस्मोलर कोमाहो सकता है। .

नई!!: हृदय रोग और मधुमेह टाइप 2 · और देखें »

मार्जरीन

एक टब में मार्जरीन मार्जरीन (या), सामान्य शब्द के रूप में, विस्तृत मक्खन स्थानापन्न पदार्थों में किसी भी एक को सूचित करता है। दुनिया के कई भागों में, मार्जरीन और स्प्रेड का बाज़ार अंश मक्खन से आगे निकल गया है। मार्जरीन कई खाद्य पदार्थों और व्यंजनों की तैयारी का एक घटक है, तथा बोलचाल की भाषा में इस कभी-कभी ओलियो कहा जाता है। मार्जरीन स्वाभाविक रूप से सफेद या लगभग सफेद दिखाई देता है: कृत्रिम रंजन कारकों को मिलाने की मनाही द्वारा, विधायकों ने कुछ क्षेत्राधिकारों में पाया है कि मार्जरीन के उपभोग को हतोत्साहित करते हुए वे अपने डेयरी उद्योग की रक्षा कर सकते हैं। अमेरिका, ऑस्ट्रलेशिया और कनाडा में रंग मिलाने पर रोक आम बात हो गई; और कुछ मामलों में, ये प्रतिबंध लगभग 100 साल तक बने रहे। उदाहरण के लिए, 1960 तक, ऑस्ट्रेलिया में रंगीन मार्जरीन की बिक्री वैध नहीं थी। .

नई!!: हृदय रोग और मार्जरीन · और देखें »

मंदनाड़ी

मंदनाड़ी (Bradycardia) (यूनानी भाषा में मंदनाड़ी, या "हृदय का धीमा होना"), वयस्कों की दवा के संदर्भ में स्थिर हृदय गति की दर प्रति मिनट 60 बीट से कम होने को कहते हैं, हालांकि इसे तब तक रोग का लक्षण नहीं कहा जाता जब तक ये प्रति मिनट 50 बीट से कम न हो जाए.

नई!!: हृदय रोग और मंदनाड़ी · और देखें »

मेवा

दुकान पर प्रदर्शित मेवाएं मेवा या ख़ुश्क मेवा एक खाद्य श्रेणी है जिसमे सूखे हुए फल और फलों की गिरियां आती हैं। जहां सूखे हुए फलों, जैसे कि किशमिश, खजूर आदि को प्राकृतिक रूप से या मशीनों जैसे कि खाद्य निर्जलीकारक द्वारा सुखाकर तैयार किया जाता है, वहीं गिरियां फलों का तैलीय बीज होती है। मेवाओं को सदा से सेहत के लिए लाभदायक माना गया है।|हिन्दुस्तान लाइव अधिकांशतः लोगों की धारणा होती है कि मेवों में वसा की मात्रा अधिक होती है अतः इनका सेवन हानिकारक होता है। किन्तु इनमें वसा अधिक होने पर भी ये हानिकारक कतई नहीं होते हैं। वास्तव में मेवों में पॉली असंतृप्त वसा होती है जो बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करती है। हाल में हुए वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि मेवों में हृदय तथा अन्य असाध्य रोगों से सुरक्षा प्रदान करने की शक्ति होती है। मेवों को तलने या भूनने से उनके गुण नष्ट हो जाते हैं अतएव इनका प्रयोग बिना तले करना चाहिये। इसके अलावा इनमें नमक मिलाकर प्रयोग करने से इनकी कैलोरी की मात्रा बढ़ती है। यदि एक बार आप मेवों का प्रयोग कर लें तो फिर पूरे दिन अतिरिक्त कैलोरी लेने की जरूरत नहीं पड़ती। मेवों को मूड बनाने वाले खाद्य भी कहा जाता है अतः जब भी अवसाद से घिरा महसूस करें मेवों का प्रयोग कर तरोताजा हो सकते हैं। .

नई!!: हृदय रोग और मेवा · और देखें »

मोटापा

मोटापा (अंग्रेज़ी: Obesity) वो स्थिति होती है, जब अत्यधिक शारीरिक वसा शरीर पर इस सीमा तक एकत्रित हो जाती है कि वो स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालने लगती है। यह आयु संभावना को भी घटा सकता है। शरीर भार सूचकांक (बी.एम.आई), मानव भार और लंबाई का अनुपात होता है, जब २५ कि.ग्रा./मी.

नई!!: हृदय रोग और मोटापा · और देखें »

रुमेटी हृद्रोग

विश्व के विभिन्न भागों में रूमेटी हृदय रोगों की स्थिति हृदय रोगों की चिरक्रियाशरीररचना (पैथोफिजियालोजी) आमवात ज्वर (रुमैटिक फीवर) या रुमेटी हृद्रोग एक ऐसी अवस्था है, जिसमें हृदय के वाल्व (ढक्कन जैसी संरचना, जो खून को पीछे बहने से रोकती है) एक बीमारी की प्रक्रिया से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। यह प्रक्रिया स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया के कारण गले के संक्रमण से शुरू होती है। यदि इसका इलाज नहीं किया जाये, गले का यह संक्रमण रुमेटिक बुखार में बदल जाता है। बार-बार के रुमेटिक बुखार से ही रुमेटिक हृदय रोग विकसित होता है। रुमेटिक बुखार एक सूजनेवाली बीमारी है, जो शरीर के, खास कर हृदय, जोड़ों, मस्तिष्क या त्वचा को जोड़नेवाले ऊतकों को प्रभावित करती है। जब रुमेटिक बुखार हृदय को स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त करता है, तो उस अवस्था को रुमेटिक हृदय रोग कहा जाता है। हर उम्र के लोग गंभीर रुमेटिक बुखार से पीड़ित हो सकते हैं, लेकिन सामान्यतौर पर यह पांच से 15 वर्ष तक की उम्र के बच्चों में होता है। .

नई!!: हृदय रोग और रुमेटी हृद्रोग · और देखें »

साबुत अनाज

right साबुत अनाज (अंग्रेज़ी:होल ग्रेन) अर्थात दाने के तीनों भागों को खाया जाता है जिसमें रेशा युक्त बाहरी सतह और पोषकता से भरपूर बीज भी शामिल है। साबुत अनाज वाले खाद्य पदार्थों में एक बाहरी खोल, भूसी, चोकर या ब्रान (ऊपरी सतह), बीज और मुलायम एण्डोस्पर्म पाया जाता है।। हिन्दुस्तान लाइव। ८ फ़रवरी २०१० गेहूं की पिसाई के वक्त ऊपरी भूसी एवं बीज को हटा दिया जाता है एवं स्टार्च बहुल एण्डोस्पर्म ही बच जाता है। भूसी एवं बीज से विटामिन ई, विटामिन बी और अन्य तत्व जैसे जस्ता, सेलेनियम, तांबा, लौह, मैगनीज एवं मैग्नीशियम आदि प्राप्त होते हैं। इनमें रेशा भी प्रचुर मात्र में पाया जाता है। सभी साबुत अनाजों में अघुलनशील फाइबर पाये जाते हैं जो कि पाचन तंत्र के लिए बेहतर माने जाते हैं, साथ ही कुछ घुलनशील फाइबर भी होते हैं जो रक्त में वांछित कोलेस्ट्रोल के स्तर को बढ़ाते हैं। खासतौर से जई, जौ और राई में घुलनशील फाइबर की मात्र अधिक होती है, साबुत अनाजों में रूटीन (एक फ्लेवेनएड जो हृदय रोगों को कम करता है), लिग्नान्स, कई एंटीऑक्सीडेंट्स और अन्य लाभदायक पदार्थ पाये जाते हैं। परंपरागत पकी हुई राई की ब्रेड पूर्व मान्यता अनुसार साबुत अनाज कई रोगों से बचाते हैं क्योंकि इसमें फाइबर की प्रचुरता होती है। परंतु नवीन खोजों से पुष्टि हुई कि साबुत अनाजों में फाइबर के अलावा कई विटामिनों के अनूठे मिश्रण, खनिज-लवण, अघुलनशील एंटीऑक्सीडेंट और फाइटोस्टेरोल भी पाए जाते हैं, जो कि सब्जियों और फलों में अनुपस्थित होते हैं और शरीर को कई रोगों से बचाते हैं। इसका सेवन करने वालों को मोटापे का खतरा कम होता है। मोटापे को बॉडी मास इंडेक्स और कमर से कूल्हों के अनुपात से मापा जाता है। साथ ही साबुत अनाज से कोलेस्ट्रोल स्तर भी कम बना रहता है जिसका मुख्य कारण इनमें पाये जाने वाले फाइटोकैमिकल्स और एंटीआक्सीडेण्ट्स हैं। जो घर में बने आटे की रोटियां खाते हैं उनमें ब्रेड खाने वालों की अपेक्षा हृदय रोगों की आशंका २५-३६ प्रतिशत कम होती है। इसी तरह स्ट्रोक का ३७ प्रतिशत, टाइप-२ मधुमेह का २१-२७ प्रतिशत, पचनतंत्र कैंसर का २१-४३ प्रतिशत और हामर्न संबंधी कैंसर का खतरा १०-४० प्रतिशत तक कम होता है। साबुत अनाज का सेवन करने वाले लोगों को मधुमेह, कोरोनरी धमनी रोग, पेट का कैंसर और उच्च रक्तचाप जैसे रोगों की आशंका कम हो जाती है। साबुत अनाज युक्त खाद्य पदार्थों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे ये रक्त में शर्करा के स्तर को कम करते हैं। इनमें पाए जाने वाले फाइबर अंश पेट में गैस बनने की प्रक्रिया कम करते हैं एवं पेट में स्थिरता का आभास होता है, इसलिए ये शारीरिक वजन को कम करने में सहायता करते हैं। साबुत अनाज और साबुत दालें प्रतिदिन के आहार में अवश्य सम्मिलित करने चाहिये। धुली दाल के बजाय छिलके वाली दाल को वरीयता देनी चाहिये। साबत से बनाए गए ताजे उबले हुए चावल, इडली, उपमा, डोसा आदि रिफाइन्ड अनाज से बने पैक किए उत्पादों जैसे पस्ता, नूडल्स आदि से कहीं बेहतर होते हैं। रोटी, बन और ब्रैड से ज्यादा अच्छी होती हैं। रिफाइंड अनाज के मुकाबले साबुत अनाज वाले खाद्य पदार्थों से कार्डियोवस्क्युलर बीमारियों एवं पेट के कैंसर का खतरा कम हो जाता है। .

नई!!: हृदय रोग और साबुत अनाज · और देखें »

स्टेम कोशिका

'''मानव भ्रूण कोशिकाएं''' ए: अभी तक विभेदित नहीं हुई कोशिका समूह बी: तंत्रिका कोशिका स्टेम कोशिका या मूल कोशिका (अंग्रेज़ी:Stem Cell) ऐसी कोशिकाएं होती हैं, जिनमें शरीर के किसी भी अंग को कोशिका के रूप में विकसित करने की क्षमता मिलती है। इसके साथ ही ये अन्य किसी भी प्रकार की कोशिकाओं में बदल सकती है।। हिन्दुस्तान लाइव। ६ जनवरी २०१० वैज्ञानिकों के अनुसार इन कोशिकाओं को शरीर की किसी भी कोशिका की मरम्मत के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इस प्रकार यदि हृदय की कोशिकाएं खराब हो गईं, तो इनकी मरम्मत स्टेम कोशिका द्वारा की जा सकती है। इसी प्रकार यदि आंख की कॉर्निया की कोशिकाएं खराब हो जायें, तो उन्हें भी स्टेम कोशिकाओं द्वारा विकसित कर प्रत्यारोपित किया जा सकता है। इसी प्रकार मानव के लिए अत्यावश्यक तत्व विटामिन सी को बीमारियों के इलाज के उददेश्य से स्टेम कोशिका पैदा करने के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है।हिन्दुस्तान लाइव। २५ दिसम्बर २००९। लंदन-एजेंसी अपने मूल सरल रूप में स्टेम कोशिका ऐसे अविकसित कोशिका हैं जिनमें विकसित कोशिका के रूप में विशिष्टता अर्जित करने की क्षमता होती है। क्लोनन के साथ जैव प्रौद्योगिकी ने एक और क्षेत्र को जन्म दिया है, जिसका नाम है कोशिका चिकित्सा। इसके अंतर्गत ऐसी कोशिकाओं का अध्ययन किया जाता है, जिसमें वृद्धि, विभाजन और विभेदन कर नए ऊतक बनाने की क्षमता हो। सर्वप्रथम रक्त बनाने वाले ऊतकों से इस चिकित्सा का विचार व प्रयोग शुरु हुआ था। अस्थि-मज्जा से प्राप्त ये कोशिकाएं, आजीवन शरीर में रक्त का उत्पादन करतीं हैं और कैंसर आदि रोगों में इनका प्रत्यारोपण कर पूरी रक्त प्रणाली को, पुनर्संचित किया जा सकता है। ऐसी कोशिकाओं को ही स्टेम कोशिका कहते हैं। इन कोशिकाओं का स्वस्थ कोशिकाओं को विकसित करने के लिए प्रयोग किया जाता है। १९६० में कनाडा के वैज्ञानिकों अर्नस्ट.ए.मुकलॉक और जेम्स.ई.टिल की खोज के बाद स्टेम कोशिका के प्रयोग को बढ़ावा मिला। स्टेम कोशिका को वैज्ञानिक प्रयोग के लिए स्नोत के आधार पर भ्रूणीय, वयस्क तथा कॉर्डब्लड में बांटा जाता है। वयस्क स्टेम कोशिकाओं का मनुष्य में सुरक्षित प्रयोग लगभग ३० वर्षो के लिए किया जा सकता है। अधिकांशत: स्टेम सेल कोशिकाएं भ्रूण से प्राप्त होती है। ये जन्म के समय ही सुरक्षित रखनी होती हैं। हालांकि बाद में हुए किसी छोटे भाई या बहन के जन्म के समय सुरक्षित रखीं कोशिकाएं भी सहायक सिद्ध हो सकती हैं। .

नई!!: हृदय रोग और स्टेम कोशिका · और देखें »

स्वस्थ आहार

ताजा सब्जियां स्वस्थ आहार की महत्वपूर्ण घटक हैं। प्रमुख रंगीन फल स्वस्थ आहार वह है जोकि स्वास्थ्य को बनाए रखने या उसे सुधारने में मदद करता है। यह कई चिरकालिक स्वास्थ्य जोखिम जैसे कि: मोटापा, हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण है। एक स्वस्थ आहार में समुचित मात्रा में सभी पोषक तत्वों और पानी का सेवन शामिल है। पोषक तत्व कई अलग खाद्य पदार्थों से प्राप्त किए जा सकते हैं, अतः विस्तृत विविध आहार मौजूद हैं जिन्हें स्वस्थ आहार माना जा सकता है। स्वस्थ्य आहार हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। .

नई!!: हृदय रोग और स्वस्थ आहार · और देखें »

हनटिंग्टन रोग

हनटिंग्टन रोग, कोरिया, या विकार (HD), एक ऐसा तंत्रिका-अपजननात्मक आनुवंशिक विकार है जो मांसपेशियों के समन्वय को प्रभावित करता है और संज्ञानात्मक रोगह्रास और मनोभ्रंश की ओर ले जाता है। यह आम तौर पर अधेड़ अवस्था में दिखाई देने लगता है। HD कोरिया नामक असाधारण अनायास होने वाली छटपटाहट का अत्यधिक सामान्य आनुवंशिक कारण है और यह एशिया या अफ़्रीका की तुलना में पश्चिमी यूरोपीय मूल के लोगों में बहुत ज़्यादा आम है। यह रोग व्यक्ति के हनटिंग्टन नामक जीन की दो प्रतियों में से किसी एक पर अलिंगसूत्र संबंधी प्रबल उत्परिवर्तन द्वारा होता है, यानी इस रोग से पीड़ित माता-पिता के किसी भी बच्चे को वंशानुगत रूप से इस रोग को पाने का 50% ख़तरा रहता है। दुर्लभ स्थितियों में, जहां दोनों माता-पिता में एक प्रभावित जीन है, या माता-पिता में किसी एक की दो प्रतियां प्रभावित हैं, तो यह जोखिम काफी बढ़ जाता है। हनटिंग्टन रोग के शारीरिक लक्षण नवजात अवस्था से लेकर बुढ़ापे तक किसी भी उम्र में प्रकट हो सकते हैं, लेकिन आम तौर पर यह 35 और 44 साल की उम्र के बीच प्रकट होता है। लगभग 6% मामले अगतिक-अनम्य संलक्षण सहित 21 साल की उम्र से पहले शुरू हो जाते हैं; वे तेजी से बढ़ते हैं और इनमें थोड़ी भिन्नता होती है। इसके रूपांतरण को किशोर (जूवनाइल), अगतिक-अनम्य (अकाइनेटिक-रिजिड) या HD के वेस्टफ़ाल रूपांतरण के रूप में वर्गीकृत किया गया है। हनटिंग्टन जीन सामान्य रूप से एक प्रोटीन के लिए आनुवांशिक जानकारी प्रदान करता है, जो "हनटिंग्टन" कहलाता है। हनटिंग्टन जीन कोड का उत्परिवर्तन एक अलग प्रकार के प्रोटीन रूप का संकेत देता है, जिसकी उपस्थिति से मस्तिष्क के विशिष्ट हिस्से क्रमिक रूप से क्षतिग्रस्त होने लगते है। यह किस तरीके से होता है इसे अब तक पूरी तरह नहीं समझा जा सका है। आनुवंशिक परीक्षण विकास के किसी भी चरण में कराई जा सकती है, लक्षण की शुरुआत से पहले भी.

नई!!: हृदय रोग और हनटिंग्टन रोग · और देखें »

हरी चाय

गायवान में पकी हरी चाय की पत्तियाँ किण्वन की विभिन्न श्रेणियों में चाय कैमेलिया साइनेसिस का पौधा हरी चाय (अंग्रेज़ी: ग्रीन टी) एक प्रकार की चाय होती है, जो कैमेलिया साइनेन्सिस नामक पौधे की पत्तियों से बनायी जाती है। इसके बनाने की प्रक्रिया में ऑक्सीकरण न्यूनतम होता है। इसका उद्गम चीन में हुआ था और आगे चलकर एशिया में जापान से मध्य-पूर्व की कई संस्कृतियों से संबंधित रही। इसके सेवन के काफी लाभ होते हैं।। हिन्दुस्तान लाइव। ६ जनवरी २०१० प्रतिदिन कम से कम आठ कप ग्रीन टी हृदय रोग होने की संभावनाओं को कम करने कोलेस्ट्राल को कम करने के साथ ही शरीर के वजन को भी नियंत्रित करने में सहायक सिद्ध होती है। प्रायः लोग ग्रीन टी के बारे में जानते हैं लेकिन इसकी उचित मात्र न ले पाने की वजह से उन्हें उनका पूरा लाभ नहीं मिल पाता है। हरी चाय का फ्लेवर ताज़गी से भरपूर और हल्का होता है तथा स्वाद सामान्य चाय से अलग होता है। इसकी कुछ किस्में हल्की मिठास लिए होती है, जिसे पसंद के अनुसार दूध और शक्कर के साथ बनाया जा सकता है।। दैनिक भास्कर। १ मार्च २००८ ग्रीन टी बनाने के लिए एक प्याले में २-४ ग्राम चाय पड़ती है। पानी को पूरी तरह उबलने के बाद २-३ मिनट के लिए छोड़ देते हैं। प्याले में रखी चाय पर गर्म पानी डालकर फिर तीन मिनट छोड़ दें। इसे कुछ देर और ठंडा होने पर सेवन करते हैं। विभिन्न ब्रांड के अनुसार एक दिन में दो से तीन कप ग्रीन टी लाभदायक होती है। इसका अर्थ है कि एक दिन में ३००-४०० मिलीग्राम ग्रीन टी पर्याप्त होती है। अब तक ग्रीन टी का सिर्फ एक ही नुकसान ज्ञात हुआ है, अनिद्रा यानी नींद कम आने की बीमारी। इसका कारण चाय में उपस्थित कैफीन है। हालांकि इसमें कॉफी के मुकाबले कम कैफीन होता है। .

नई!!: हृदय रोग और हरी चाय · और देखें »

हारा हाची बू

हारा हाची बू (腹八分) एक जापानी कहावत और नारा है जिसका अर्थ है "दस में से आठ भाग भरना"। यह जापान के कई क्षेत्रों में, विशेषकर ओकिनावा, में खाना खाने से सम्बंधित एक प्रथा है जिसके अनुसार किसी भी व्यक्ति को भोजन करते हुए केवल उतना ही खाना चाहिए जिसमें उसे लगे के उसका पेट 80% भर चुका है। यानि उतना कभी नहीं खाना चाहिए के पूरी तृप्ति हो जाये। काफ़ी अध्ययन के बाद पाया गया है के ओकिनावा के लोगों में मोटापा, मधुमेह और इनसे सम्बंधित हृदय रोग लगभग न के बराबर देखे जाते हैं। ओकिनावा के 29% लोग 100 साल की उम्र से ज़्यादा जीतें हैं जो पश्चिमी देशों का चार गुना है। इस स्वास्थ्य का श्रेय "हारा हाची बू" और ओकिनावा की अन्य सेहत सुरक्षित रखने वाली प्रथाओं को दिया जाता है। .

नई!!: हृदय रोग और हारा हाची बू · और देखें »

हाईपोथर्मिया

अल्पताप (हाइपोथर्मिया) शरीर की वह स्थिति होती है जिसमें तापमान, सामान्य से कम हो जाता है। इसमें शरीर का तापमान ३५° सेल्सियस (९५ डिग्री फैरेनहाइट) से कम हो जाता है।। हिन्दुस्तान लाइव। दैनिक महामेधा। २८ दिसम्बर २००९ शरीर के सुचारू रूप से चलने हेतु कई रासायनिक क्रियाओं की आवश्यकता होती है। आवश्यक तापमान बनाए रखने के लिए मानव मस्तिष्क कई तरीके से कार्य करता है। जब ये कार्यशैली बिगड़ जाती है तब ऊष्मा के उत्पादन के स्थान पर ऊष्मा का ह्रास तेजी से होने लगता है। कई बार रोग के कारण शरीर का तापमान प्रभावित होता है। ऐसे में शरीर का कोर तापमान किसी भी वातावरण में बिगड़ सकता है। इसे सेंकेडरी हाइपोथर्मिया कहा जाता है। इसके प्रमुख कारणों में ठंड लगना है।। रांची एक्स्प्रेस पहली स्थिति में शरीर का तापमान सामान्य तापमान से १-२° कम हो जाता है। इस स्थिति में रोगी के हाथ सही तरीके से काम नहीं करते। सबसे ज्यादा समस्या रोगी के पेट में होती है और वह थकान महसूस करता है। शरीर का तापमान, सामान्य से २-४° कम हो जाता है। इस स्थिति में कंपकंपाहट तेज हो जाती है। रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं। रोगी पीला पड़ जाता है और उंगलियां, होंठ और कान नीले पड़ जाते हैं। जब शरीर का तापमान ३२° सेल्सियस से भी कम हो जाता है तो कंपकपाहट खत्म हो जाती है। इस दौरान बोलने में परेशानी, सोचने में परेशानी और एमनीशिया की स्थिति होती है। साथ ही कोशिकीय उपापचय दर कम हो जाता है। ३०° से कम तापमान होने पर त्वचा नीली पड़ जाती है। इसके साथ ही चलना असंभव हो जाता है। शरीर के कई अंग अकार्यशील हो जाते हैं। मानव इतिहास में कई युद्धों की सफलता और विफलता के पीछे हाइपोथर्मिया रहा है। दोनों ही विश्व युद्धों में हाइपोथर्मिया के कारण कई लोगों की जानें गईं। २१८ ई.पू.

नई!!: हृदय रोग और हाईपोथर्मिया · और देखें »

हृदय

कोरोनरी धमनियों के साथ मानव हृदय. हृदय या हिया या दिल एक पेशीय (muscular) अंग है, जो सभी कशेरुकी (vertebrate) जीवों में आवृत ताल बद्ध संकुचन के द्वारा रक्त का प्रवाह शरीर के सभी भागो तक पहुचाता है। कशेरुकियों का ह्रदय हृद पेशी (cardiac muscle) से बना होता है, जो एक अनैच्छिक पेशी (involuntary muscle) ऊतक है, जो केवल ह्रदय अंग में ही पाया जाता है। औसतन मानव ह्रदय एक मिनट में ७२ बार धड़कता है, जो (लगभग ६६वर्ष) एक जीवन काल में २.५ बिलियन बार धड़कता है। इसका भार औसतन महिलाओं में २५० से ३०० ग्राम और पुरुषों में ३०० से ३५० ग्राम होता है। .

नई!!: हृदय रोग और हृदय · और देखें »

हृदयवाहिका रोग

कोई विवरण नहीं।

नई!!: हृदय रोग और हृदयवाहिका रोग · और देखें »

हेमोडायलिसिस

विकास के तहत हेमोडायलिसिस हेमोडायलिसिस की मशीन हेमोडायलिसिस एक प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत गंदे पदार्थों जैसे कि क्रियेटिनिन और यूरिया के साथ-साथ मुक्त जल को रक्त से तब निकाला जाता है, जब गुर्दे, वृक्क विफलता में होते हैं। यह चिकित्सा में प्रचलित है। हेमोडायलिसिस तीन वृक्क प्रतिस्थापन उपचारों में से एक है (अन्य दो हैं वृक्क प्रत्यारोपण; उदरावरणीय अपोहन) हेमोडायलिसिस, एक आउटपेशेंट (अस्पताल के बाहर) या इनपेशेंट (अस्पताल के अन्दर) उपचार हो सकता है। नियमित हेमोडायलिसिस को एक डायलिसिस आउटपेशेंट सुविधा में आयोजित किया जाता है, यह या तो अस्पताल का इसी उद्देश्य के लिए निर्मित एक कमरा होता है या एक समर्पित स्वतन्त्र क्लिनिक होती है। हेमोडायलिसिस को घर पर कम ही किया जाता है। एक क्लीनिक में डायलिसिस उपचार को नर्सों और तकनीशियनों से निर्मित विशेष स्टाफ द्वारा शुरू और प्रबंधित किया जाता है; घर पर डायलिसिस उपचार को स्वयं आरंभ और प्रबंधित किया जा सकता है या किसी प्रशिक्षित सहायक की मदद से संयुक्त रूप से किया जा सकता है जो आमतौर पर परिवार का एक सदस्य होता है। .

नई!!: हृदय रोग और हेमोडायलिसिस · और देखें »

जंक फूड

चीटोज़ को भी जंक खाद्य श्रेणी में स्थान मिला है, क्योंकि ये औद्योगिक रसोई में ही निर्मित होते हैं व पैक किये जाते हैं लूथर बर्गर, बेकन चीज़ बर्गर में डोनट का प्रयोग होने पर भी उच्च शर्करा और वसा मात्रा होने से जंक खाद्य में रखा गया है जंक फूड आमतौर पर विश्व भर में चिप्स, कैंडी जैसे अल्पाहार को कहा जाता है। बर्गर, पिज्जा जैसे तले-भुने फास्ट फूड को भी जंक फूड की संज्ञा दी जाती है तो कुछ समुदाय जाइरो, तको, फिश और चिप्स जैसे शास्त्रीय भोजनों को जंक फूड मानते हैं। इस श्रेणी में क्या-क्या आता है, ये कई बार सामाजिक दर्जे पर भी निर्भर करता है। उच्चवर्ग के लिए जंक फूड की सूची काफी लंबी होती है तो मध्यम वर्ग कई खाद्य पदार्थो को इससे बाहर रखते हैं। कुछ हद तक यह सही भी है, खासकर शास्त्रीय भोजन के मामले में। सदियों से पारंपरिक विधि से तैयार होने वाले ये खाद्य पदार्थ पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। संजय गांधी स्नातकोत्तर अनुसंधान संस्थान के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ॰ सुशील गुप्ता के अनुसार जंक फूड आने से पिछले दस सालों में मोटापे से ग्रस्त रोगियों की संख्या काफी बढ़ी है। इनमें केवल बच्चे ही नहीं बल्कि युवा वर्ग भी शामिल है।। जोश १८।।१९ मार्च,२००८। इंडो-एशियन न्यूज सर्विस। अनुपमा त्रिपाठी। इसी संस्थान के गैस्ट्रोएंट्रोलाजी विभाग के प्रोफेसर जी.

नई!!: हृदय रोग और जंक फूड · और देखें »

घी

घी घी (संस्कृत: घृतम्), एक विशेष प्रकार का मख्खन (बटर) है जो भारतीय उपमहाद्वीप में प्राचीन काल से भोजन के एक अवयव के रूप में प्रयुक्त होता रहा है। भारतीय भोजन में खाद्य तेल के स्थान पर भी प्रयुक्त होता है। यह दूध के मक्खन से बनाया जाता है। दक्षिण एशिया एवं मध्य पूर्व के भोजन में यह एक महत्वपूर्ण अवयव है। .

नई!!: हृदय रोग और घी · और देखें »

व्यायाम

एक यू एस मैरीन ट्रायाथलॉन के तैरने के हिस्से को पूरा कर पानी से बाहर आता हुआ। व्यायाम वह गतिविधि है जो शरीर को स्वस्थ रखने के साथ व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य को भी बढाती है। यह कई अलग अलग कारणों के लिए किया जाता है, जिनमे शामिल हैं: मांसपेशियों को मजबूत बनाना, हृदय प्रणाली को सुदृढ़ बनाना, एथलेटिक कौशल बढाना, वजन घटाना या फिर सिर्फ आनंद के लिए। लगातार और नियमित शारीरिक व्यायाम, प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ा देता है और यह हमारी नींद कम करता है इससे हमें सुबह उठने पर तकलीफ नहीं होतीहृदय रोग, रक्तवाहिका रोग, टाइप 2 मधुमेह और मोटापा जैसे समृद्धि के रोगों को रोकने में मदद करता है। यह मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है और तनाव को रोकने में मदद करता है। बचपन का मोटापा एक बढ़ती हुई वैश्विक चिंता का विषय है और शारीरिक व्यायाम से बचपन के मोटापे के प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है। .

नई!!: हृदय रोग और व्यायाम · और देखें »

आसुत जल

मैड्रिड में रियल फ़ार्मेसिया में आसवित पानी की बोतल. आसुत जल वह जल है जिसकी अनेक अशुद्धियों को आसवन के माध्यम से हटा दिया गया हो। आसवन में पानी को उबालकर उसकी भाप को एक साफ़ कंटेनर में संघनित किया जाता है। यह पीने के लिए उपयुक्त नहीं होता है क्योंकि इसमें जीवन के लिए आवश्यक लवण अनुपस्थित होते है। इसका उपयोग चिकित्सीय कार्यों जैसे दवाइयाँ बनाने, शल्य उपकरणो आदि को धोने में किया जाता हैं। .

नई!!: हृदय रोग और आसुत जल · और देखें »

आहारीय सेलेनियम

आहारीय सेलेनियम यह प्रति-उपचायक के रूप में काम करता है। यह प्रभावशाली प्रति- उपचायक खनिज है। यह शरीर को हानिप्रद मुक्त मूलकों से छुटकारा दिलाने से मदद करता है जो चर्बीचुक्त ऊतकों के ऑक्सीजन के परिणामस्वरुप होते हैं। यह रक्त के थक्के बनने से रोकता है। प्रतिरक्षक-तंत्र की शक्ति बढाता है और जीव-विषों के प्रभावों को व्यर्थ कर देता है। यह जरावसथा की क्रियाओं को धीमा करता है। यकृत की सुस्वस्थता कायम रखने के लिये विटामिन ‘ई’ के साथ सेलेनियम आवश्यक है। सेलेनियम की कमी से कैन्सर और हृदय रोग में खतरा बढ़ जाता है। कई देशों के सेलेनियम और कैन्सर प्रतिमानों का मानचित्रण कर लिया गया है। जिसमें सेलेनियम-कैन्सर संबंध का साक्ष्य अत्यधिक है। फ़िनलैड में वैज्ञानिको ने ग्यारह हजार व्यक्तियों को देखा उन्होंने पाया कि सेलेनियम के निम्न रक्त-वाले व्यक्ति हृदय-रोग से तीन गुना अधिक मृत्यु की सम्भावना वाले थे। चीन में हृदय की मांसपेशियों की खराबी से होने वाला रोग उन क्षेत्रों में फ़ैले हुए थे जहां खनिज सेलेनियम के निम्न स्तर पाये गये थे। सेलेनियम की कमी वाली मिट्टी सेलेनियम की कमी वाले खाघ उत्पन्न करती थी। सेलेनियम सम्पूर्ण के परिणाम स्वरुप यह रोग प्रायः समाप्त कर दिया गया है। १९८४ में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया कि निम्न रक्त सेलेनियम वाले व्यक्तियों को कैन्सर होने का अधिक खतरा होता है। .

नई!!: हृदय रोग और आहारीय सेलेनियम · और देखें »

कलौंजी

कलौंजी, (अंग्रेजी:Nigella) एक वार्षिक पादप है जिसके बीज औषधि एवं मसाले के रूप में प्रयुक्त होते हैं। कलौंजी और प्याज में फर्क .

नई!!: हृदय रोग और कलौंजी · और देखें »

कांचबिंदु

कांच बिंदु रोग (अंग्रेज़ी:ग्लूकोमा) या काला मोतिया नेत्र का रोग है। यह रोग तंत्र में गंभीर एवं निरंतर क्षति करते हुए धीरे-धीरे दृष्टि को समाप्त ही कर देता है। किसी वस्तु से प्रकाश की किरणें आंखों तक पहुंचती हैं, व उसकी छवि दृष्टि पटल पर बनाती हैं। दृष्टि पटल (रेटिना) से ये सूचना विद्युत तरंगों द्वारा मस्तिष्क तक नेत्र तंतुओं द्वारा पहुंचाई जाती है।। इंडिया डवलपमेंट गेटवे आंख में एक तरल पदार्थ भरा होता है। इससे लगातार एक तरल पदार्थ आंख के गोले को चिकना किए रहता है। यदि यह तरल पदार्थ रुक जाए तो अंतःनेत्र दाब (इंट्राऑक्यूलर प्रेशर) बढ़ जाता है।। हिन्दुस्तान लाइव। ११ मार्च,२०१०। १८ फ़रवरी २००९ कांच बिंदु में अंत:नेत्र पर दाब, प्रभावित आँखों की सहने की क्षमता से अधिक हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप नेत्र तंतु को क्षति पहुँचती है जिससे दृष्टि चली जाती है। किसी वस्तु को देखते समय कांच बिंदु वाले व्यक्ति को केवल वस्‍तु का केन्‍द्र दिखाई देता है। समय बीतने के साथ स्थिति बद से बदतर होती जाती है, व व्यक्ति यह क्षमता भी खो देता है। सामान्यत:, लोग इस पर कदाचित ही ध्यान देते हैं जबतक कि काफी क्षति न हो गई हो। प्रायः ये रोग बिना किसी लक्षण के विकसित होता है व दोनों आँखों को एक साथ प्रभावित करता है। हालाँकि यह ४० वर्ष से अधिक आयु के वयस्कों के बीच में पाया जाता है, फिर भी कुछ मामलों में यह नवजात शिशुओं को भी प्रभावित कर सकता हैं। मधुमेह, आनुवांशिकता, उच्च रक्तचाप व हृदय रोग इस रोग के प्रमुख कारणों में से हैं।। वेब दुनिया .

नई!!: हृदय रोग और कांचबिंदु · और देखें »

कंधे की अकड़न

फ्रोजेन शोल्डर (अकड़े हुए कंधे), जिसे चिकित्सकीय रूप से आसंजी सम्‍पुट-प्रदाह (कैप्‍सूलाइटिस) कहा जाता है, एक विकार है, जिसमें कंधे का कैप्‍सूल, कंधे के अंसगत तथा प्रगण्डिका संबंधी जोड़ को घेरने वाला संयोजी ऊतक सूजा हुआ एवं कठोर बन जाता है, जो गति को अत्यधिक नियंत्रित कर देता है एवं तीव्र दर्द उत्पन्न करता है। आसंजी सम्‍पुट-प्रदाह (कैप्‍सूलाइटिस) कष्टदायक एवं असमर्थकारी स्थिति होती है, जो धीमे स्वास्थ्य लाभ के कारण अक्सर रोगियों एवं देखभाल करने वाले व्यक्तियों के लिए निराशा उत्पन्न करती है। कंधे की गति अत्यधिक सीमित हो जाती है। दर्द आम तौर पर अनवरत होता है, जो रात के समय अधिक बुरा होता है, जब मौसम ठंडा होता है एवं सीमित गति के साथ-साथ छोटे से छोटे कार्यों को भी असंभव बना देता है। कुछ गतियां या सूजन तीव्र दर्द की अचानक शुरु हो सकते हैं एवं ऐंठन उत्पन्न कर सकते हैं, जो कई मिनटों तक जारी रह सकते हैं। यह स्थिति, जिसके सही-सही कारण का पता नहीं है, पांच महीने से तीन वर्षों या अधिक समय तक जारी रह सकती है एवं कुछ स्थितियों में इसे संबंधित हिस्से में चोट या आघात के द्वारा उत्पन्न हुआ माना जाता है। यह माना जाता है कि इसका एक स्व-प्रतिरक्षित अवयव हो सकता है, जिसमें शरीर कैप्सूल में स्थित स्वस्थ ऊतकों पर हमला करता है। जोड़ में तरल पदार्थ का भी अभाव होता है, जो गति को और अधिक सीमित करता है। रोजमर्रा के कार्यों में कठिनाई के अलावा, आसंजी सम्‍पुट-प्रदाह (कैप्‍सूलाइटिस) से प्रभावित होने वाले लोग रात के समय और भी तेज होने वाले दर्द के कारण अधिक लंबे समय तक सोने की समस्याओं एवं सीमित गतियों/स्थितियों का अनुभव करते हैं। यह स्थिति अवसाद, दर्द और गर्दन तथा पीठ में में समस्याएं भी उत्पन्न कर सकती है। फ्रोजेन शोल्डर के जोखिम वाले कारकों में मधुमेह, दौरा पड़ना, दुर्घटनाएं, फेंफड़े का रोग, संयोजी ऊतक विकार और हृदय रोग शामिल हैं। 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों में यह स्थिति शायद ही कभी दिखाई देती है। इलाज कष्टदायक एवं भार डालने वाला हो सकता है एवं इसमें शारीरिक चिकित्सा, औषधि, मालिश चिकित्सा, शोथ संबंधी फैलाव या शल्य-चिकित्सा (सर्जरी) शामिल हो सकता है। एक डॉक्टर संज्ञाहरण के बाद हेरफेर भी कर सकता है, जो गति की कुछ सीमा वापस लौटाने के लिए जोड़ में आसंजनों तथा क्षतिग्रस्त उतक को तोड़ता है। दर्द और सूजन को दर्दनाशक दवाओं और एनएसएआईडी (NSAIDs) के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। इस स्थिति स्वत:-सीमित करने वाली होती है: यह आम तौर पर बिना शल्य-चिकित्सा के समय के साथ विघटित करती है, लेकिन इसमें दो वर्षों तक का समय लग सकता है। अधिकांश लोग समय के साथ लगभग 90% कंधे की गति पुन: प्राप्त करते हैं। जो लोग आसंजी सम्‍पुट-प्रदाह (कैप्‍सूलाइटिस) से पीड़ित होते हैं, उन्हें कई महीनों तक या अधिक लंबे समय तक काम करने में एवं सामान्य जीवन की गतिविधियों के संबंध में अत्यधिक कठिनाई होती है। .

नई!!: हृदय रोग और कंधे की अकड़न · और देखें »

कोलेस्टेरॉल

कोलेस्ट्रॉल क्रिस्टल का सूक्ष्मदर्शी दर्शन, जल में। छायाचित्र ध्युवीकृत प्रकाश में लिया गया है। कोलेस्ट्रॉल या पित्तसांद्रव मोम जैसा एक पदार्थ होता है, जो यकृत से उत्पन्न होता है। यह सभी पशुओं और मनुष्यों के कोशिका झिल्ली समेत शरीर के हर भाग में पाया जाता है। कोलेस्ट्रॉल कोशिका झिल्ली का एक महत्वपूर्ण भाग है, जहां उचित मात्रा में पारगम्यता और तरलता स्थापित करने में इसकी आवश्यकता होती है। कोलेस्ट्रॉल शरीर में विटामिन डी, हार्मोन्स और पित्त का निर्माण करता है, जो शरीर के अंदर पाए जाने वाले वसा को पचाने में मदद करता है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल भोजन में मांसाहारी आहार के माध्यम से भी पहुंचता है यानी अंडे, मांस, मछली और डेयरी उत्पाद इसके प्रमुख स्रोत हैं। अनाज, फल और सब्जियों में कोलेस्ट्रॉल नहीं पाया जाता। शरीर में कोलेस्ट्रॉल का लगभग २५ प्रतिशत उत्पादन यकृत के माध्यम से होता है। कोलेस्ट्रॉल शब्द यूनानी शब्द कोले और और स्टीयरियोज (ठोस) से बना है और इसमें रासायनिक प्रत्यय ओल लगा हुआ है। १७६९ में फ्रेंकोइस पुलीटियर दी ला सैले ने गैलेस्टान में इसे ठोस रूप में पहचाना था। १८१५ में रसायनशास्त्री यूजीन चुरवेल ने इसका नाम कोलेस्ट्राइन रखा था। मानव शरीर को कोलेस्ट्रॉल की आवश्यकता मुख्यतः कोशिकाओं के निर्माण के लिए, हारमोन के निर्माण के लिए और बाइल जूस के निर्माण के लिए जो वसा के पाचन में मदद करता है; होती है। फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी में नैशनल पब्लिक हेल्थ इंस्टीट्यूट के प्रमुख रिसर्चर डॉ॰ गांग हू के अनुसार कोलेस्ट्रॉल अधिक होने से पार्किंसन रोग की आशंका बढ़ जाती है। .

नई!!: हृदय रोग और कोलेस्टेरॉल · और देखें »

अत्यधिक निम्न घनत्व कोलेस्ट्रॉल

कोलेस्ट्रॉल रक्त में घुलनशील नहीं होता है। उसका कोशिकाओं तक एवं उनसे वापस परिवहन लिपोप्रोटींस नामक वाहकों द्वारा किया जाता है। निम्न-घनत्व लिपोप्रोटीन या एलडीएल, बुरे कोलेस्ट्रॉल के नाम से जाना जाता है। उच्च-घनत्व लिपोप्रोटीन या एचडीएल, अच्छे कोलेस्ट्रॉल के नाम से जाना जाता है। ट्राइग्लीसिराइड्स एवं Lp (a) कोलेस्ट्रॉल के साथ ये दो प्रकार के लिपिड, कुल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनाते हैं, जिसे रक्त परीक्षण के द्वारा ज्ञात किया जा सकता है। अतिन्यून घनत्व लिपोप्रोटीन (वेरी लो डेनसिटी लिपोप्रोटीन्स) शरीर में लिवर से ऊतकों और इंद्रियों के बीच कोलेस्ट्रॉल को ले जाता है। वी एल डी एल कोलेस्ट्रॉल, एल डी एल कोलेस्ट्रॉल से ज्यादा हानिकारक होता है। यह हृदय रोगों का कारण बनता है। .

नई!!: हृदय रोग और अत्यधिक निम्न घनत्व कोलेस्ट्रॉल · और देखें »

अकेलापन

अकेलापन एक ऐसी भावना है जिसमें लोग बहुत तीव्रता से खालीपन और एकान्त का अनुभव करते हैं। अकेलेपन की तुलना अक्सर खाली, अवांछित और महत्वहीन महसूस करने से की जाती है। अकेले व्यक्ति को मजबूत पारस्परिक संबंध बनाने में कठिनाई होती है। "अकेला" शब्द का पहले पहल दर्ज उपयोग विलियम शेक्सपियर की कॉरिओलेनस में मिलता है, "Though I go alone, like a lonely dragon..." .

नई!!: हृदय रोग और अकेलापन · और देखें »

उच्च रक्तचाप

(HTN) हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप, जिसे कभी कभी धमनी उच्च रक्तचाप भी कहते हैं, एक पुरानी चिकित्सीय स्थिति है जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है। दबाव की इस वृद्धि के कारण, रक्त की धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाये रखने के लिये दिल को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है। रक्तचाप में दो माप शामिल होती हैं, सिस्टोलिक और डायस्टोलिक, जो इस बात पर निर्भर करती है कि हृदय की मांसपेशियों में संकुचन (सिस्टोल) हो रहा है या धड़कनों के बीच में तनाव मुक्तता (डायस्टोल) हो रही है। आराम के समय पर सामान्य रक्तचाप 100-140 mmHg सिस्टोलिक (उच्चतम-रीडिंग) और 60-90 mmHg डायस्टोलिक (निचली-रीडिंग) की सीमा के भीतर होता है। उच्च रक्तचाप तब उपस्थित होता है यदि यह 90/140 mmHg पर या इसके ऊपर लगातार बना रहता है। हाइपरटेंशन प्राथमिक (मूलभूत) उच्च रक्तचाप तथा द्वितीयक उच्च रक्तचाप के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। 90-95% मामले "प्राथमिक उच्च रक्तचाप" के रूप में वर्गीकृत किये जाते हैं, जिसका अर्थ है स्पष्ट अंतर्निहित चिकित्सीय कारण के बिना उच्च रक्तचाप। अन्य परिस्थितियां जो गुर्दे, धमनियों, दिल, या अंतःस्रावी प्रणाली को प्रभावित करती हैं, शेष 5-10% मामलों (द्वितीयक उच्च रक्तचाप) का कारण होतीं हैं। हाइपरटेंशन स्ट्रोक, मायोकार्डियल रोधगलन (दिल के दौरे), दिल की विफलता, धमनियों की धमनी विस्फार (उदाहरण के लिए, महाधमनी धमनी विस्फार), परिधीय धमनी रोग जैसे जोखिमों का कारक है और पुराने किडनी रोग का एक कारण है। धमनियों से रक्त के दबाव में मध्यम दर्जे की वृद्धि भी जीवन प्रत्याशा में कमी के साथ जुड़ी हुई है। आहार और जीवन शैली में परिवर्तन रक्तचाप नियंत्रण में सुधार और संबंधित स्वास्थ्य जटिलताओं के जोखिम को कम कर सकते हैं। हालांकि, दवा के माध्यम से उपचार अक्सर उन लोगों के लिये जरूरी हो जाता है जिनमें जीवन शैली में परिवर्तन अप्रभावी या अपर्याप्त हैं। .

नई!!: हृदय रोग और उच्च रक्तचाप · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

कार्डियोवैस्कुलर

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »