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लुई सोलहवाँ

सूची लुई सोलहवाँ

लुई सोलहवाँ (Louis XVI; १७७४-१७९३) - लुई पंद्रहवें का पौत्र था और उसके बाद फ्रांस का राजा बना। उसका जन्म १७५४ में हुआ था। वह ईमानदार था और उसके विचार भी अच्छे थे लेकिन वह एक कमजोर प्रकृति का व्यक्ति था और सदैव किसी न किसी के प्रभाव में रहता था - पहले माँ और भाई के और बाद में अपनी पत्नी मारी ऐत्वानेत् के। लुई का यह दुर्भाग्य था कि अपने पूर्वजों के कार्यों का भुगतान उसने अपने प्राणों की बलि देकर किया। चौदहवें और पंद्रहवें लुई का स्वेच्छाचारी शासन, बिगड़ती आर्थिक दशा, सामंतों के अत्याचार और हर प्रकार की असमानता से पीड़ित जनता ने १७८९ में क्रांति का झंडा खड़ा कर दिया। लुई की दयापूर्ण नीति के कारण भी परिस्थिति बिगड़ती गई। वर्साय पर जनता ने आक्रमण किया और एक संविधान को संचालित किया। लुई को ट्यूलरी के राजमहल में बंदी कर दिया। लुई का वहाँ से भागने का प्रयत्न असफल रहा। उसपर यह भी दोष लगाया गया कि अपनी सत्ता पुन: स्थापित करने के लिए वह दूसरे राजाओं से चोरी चोरी सहायता की याचना करता रहा है। देशद्रोह के आरोप में उसे २१ जनवरी १७९३ को ३८ वर्ष की आयु में प्राणदंड दे दिया गया। श्रेणी:फ़्रांस का इतिहास श्रेणी:फ्रांसीसी क्रान्ति.

4 संबंधों: फ़्रांस का इतिहास, महारानी काथरिन, रॉबस्पियर, लुई अट्ठारहवाँ

फ़्रांस का इतिहास

९८५ से लेकर १९४७ तक की अवधि में फ्रांस की सीमाओं का विस्तार तथा संकुचन फ्रांस का प्राचीन नाम 'गॉल' था। यहाँ अनेक जंगली जनजातियों के लोग, मुख्य रूप से, केल्टिक लोग, निवास करते थे। सन्‌ 57-51 ई.पू.

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महारानी काथरिन

महारानी काथरिन येकातेरिना अलेक्जीवना या 'कैथरीन द्वितीय' (रूसी: Екатерина II Великая, Yekaterina II Velikaya; जर्मन: Katharina die Große; १७२९-१७९६) रूस की सबसे अधिक प्रसिद्ध तथा सर्वाधिक समय तक शासन करने वाली रानी थी। उसने ९ जुलाई १७६२ से लेकर मृत्यु पर्यन्त (१७ नवम्बर १७९६ तक) शासन किया। उसका शासनकाल रूस का स्वर्णयुग कहलाता है। कैथरीन द्वितीय का जन्म प्रुसिया में हुआ था। उनका मूल नाम सोफी फ्रेदरिक आगस्त फॉन अन्हाल्ट जर्ब्स्त डॉर्नबर्ग (Sophie Friederike Auguste von Anhalt-Zerbst-Dornburg) था। तख्तापलट और तदुपरान्त उसके पति पीतर तृतीय की हत्या के बाद वह सत्ता में आयी। उसके शासनकाल में रूस को नवजीवन मिला तथा रूस भी यूरोप की एक महाशक्ति के रूप में जाना जाने लगा। .

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रॉबस्पियर

रोब्स्पियर मैक्समिलियन रॉब्सपियर (6 मई 1758 – 28 जुलाई 1794) एक फ़्रांसीसी वकील और राजनीतिज्ञ थे। इन्हें फ़्रान्सीसी क्रान्ति से जुड़े सर्वाधिक प्रसिद्ध और प्रभावशाली लोगों में गिना जाता है। रॉबस्पियर, स्टेट्स जेनरल, फ्रांस की राष्ट्रीय संविधान सभा, और जैकोबिन क्लब के सदस्य थे। आर्रा प्रांत के वकील, रॉब्सपियर स्वभाव से अंतर्मुखी और रूसो के अनन्य भक्त थे। उन्होंने ने फ्रांस में सार्वत्रिक पुरुष मताधिकार लागू करने और दास प्रथा को पूर्णतया समाप्त करने के लिए आन्दोलन का नेतृत्व किया। स्वयं हिंसक न होते हुए भी इन्होने हिंसा को प्रश्रय दिया, इनके विरोधियों को इनका विरोध करना काफी महँगा पड़ा। ये फ्रांस में सद्गुणों का गणतंत्र (रिपब्लिक ऑफ वर्च्यू) स्थापित करना चाहते थे और इनका यह कथन काफी प्रसिद्ध है कि "बिना आतंक के सद्गुण और बिना सद्गुण के आतंक निरर्थक होते हैं।" इन्होने क्रान्ति के समय लुई सोलहवें के मृत्युदण्ड की व्यवस्था कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। रोब्सपियर को लेंकोरेप्तिब्ल (l'Incorruptible) अर्थात जिसे भ्रष्ट न किया जा सके की उपाधि दी गयी थी। .

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लुई अट्ठारहवाँ

अठारहवाँ लुई (Louis XVIII; १८१४-१८२४) फ्रांस का शासक था जिसने राजा के रूप में १८१४ से १८२४ तक शासन किया (सन् १८१५ में कुछ अवधि को छोड़कर)। .

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