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मनोविदलता

सूची मनोविदलता

मनोविदलता (Schizophrenia/स्किज़ोफ्रेनिया) एक मानसिक विकार है। इसकी विशेषताएँ हैं- असामान्य सामाजिक व्यवहार तथा वास्तविक को पहचान पाने में असमर्थता। लगभग 1% लोगो में यह विकार पाया जाता है। इस रोग में रोगी के विचार, संवेग तथा व्यवहार में आसामान्य बदलाव आ जाते हैं जिनके कारण वह कुछ समय लिए अपनी जिम्मेदारियों तथा अपनी देखभाल करने में असमर्थ हो जाता है। 'मनोविदलता' और 'स्किज़ोफ्रेनिया' दोनों का शाब्दिक अर्थ है - 'मन का टूटना'। .

16 संबंधों: डेलेरियम त्रेमेंस, प्रोतिमा बेदी, फिर तेरी कहानी याद आई, बहुव्यक्तित्व विकार, बेसल नाभिक, भ्रमासक्‍ति, मनस्ताप, मनोविकार, मस्तिष्कखंडछेदन, मानसिक चिकित्सालय, संगीत चिकित्सा, जोकर (चित्रकथा), कार्तिक कॉलिंग कार्तिक, असामान्य मनोविज्ञान, अंतराबंध, उदासीनता

डेलेरियम त्रेमेंस

डेलेरियम त्रेमेंस - मद्य-व्यसन से निवर्तन का प्रलाप- यह शराब से निवर्तन के वक़्त होता है। यह एक उग्र स्थिति है, जिस में रोगी को प्रलाप होता है। यह पहली बार १८१३ में वर्णित किया गया था। बेंजोडाइजेपाइन डेलेरियम त्रेमेंस के प्रलाप के लिए खास उपचार है।.

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प्रोतिमा बेदी

प्रोतिमा गौरी बेदी (12 अक्टूबर 1948 - 18 अगस्त 1998) एक भारतीय मॉडल थी जो बाद में भारतीय शास्त्रीय नृत्य, ओडिसी की व्याख्याता बनी, तथा जिन्होनें 1990 में बैंगलोर के पास एक नृत्य गांव 'नृत्यग्राम' की स्थापना की.

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फिर तेरी कहानी याद आई

फिर तेरी कहानी याद आई 1993 की महेश भट्ट द्वारा निर्देशित हिन्दी भाषा की प्रेमकहानी फ़िल्म है। मुख्य महिला भूमिका उनकी बेटी पूजा भट्ट ने निभाई है। राहुल रॉय द्वारा मुख्य पुरुष भूमिका निभाई गई थी। पूजा बेदी और अवतार गिल ने फिल्म में सहायक भूमिका निभाई। .

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बहुव्यक्तित्व विकार

बहुव्यक्तित्व विकार व्यक्तित्व की दो परस्परविरोधी अथवा सर्वथा भिन्न शैलियों का उसकी एक ही इकाई में अपनी पृथक्‌ सत्ता सुरक्षित रखते हुए, इकट्ठे रहने का बोध द्विव्यक्तित्व (Dual Personality) है। एक ही व्यक्ति के घेरे में रहकर भी ये अपने में सुसंबद्ध एवं व्यवस्थित होते हैं; एक दूसरे के प्रति तटस्थ एवं विस्मृत रहते हैं। जब एक व्यक्तित्व-खंड चेतना के धरातल पर सक्रिय रहता हैं तो दूसरे की स्मृति नहीं रहती, यद्यपि स्मृति के मामले में अपवाद भी होते हैं। अपने ही भिन्न स्वरूपबोधों की असंपृक्तता व्यवहार में प्रकट होकर लोगों को अचरज में डाल देती है। सर्वथा विरोधी आचरणों से उसके सामाजिक संबंध लगातार बाधित एवं व्यतिक्रमित होते हैं, टूट जाते हैं। द्विव्यक्तित्वधारी, मानसिक चिकित्सा का एक नैदानिक विषय (पैथालाजिकल केस) बन जाता है। ये व्यक्तित्व-खंड दो से ज्यादा भी होते है। इनके कई नाम भी चलते हैं- बहुव्यक्तित्व (मल्टिपुल पर्सनैलिटी), खंडित व्यक्तित्व (स्प्लिट पर्सनैलिटी); असंपृक्त व्यक्तित्व (Dissociative personality), एकांतरित तथा स्थानांतरित (आल्टर्नेंट तथा डिस्प्लेस्ड) व्यक्तित्व आदि। लोककथाओं तथ साहित्य में ऐसे व्यक्तित्व परिवर्तन के दृष्टांत मिलते हैं। राबर्ट लुई सटीवेंसन के प्रसिद्ध उपन्यास 'डॉ॰ जोकिल ऐंड मि.

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बेसल नाभिक

बेसल गैन्ग्लिया (अथवा बेसल नाभिक) रीढ़धारी जीवों के मस्तिष्क में स्थित विभिन्न मूल के नाभिकों का एक समूह है (अधिकांश भ्रूणीय मूल के टेलेंसिफेलिक होते हैं जबकि कुछ अन्य डाइएन्सिफेलिक एवं मीजेन्सिफेलिक तत्व होते हैं) जो एक संयुक्त कार्यात्मक इकाई के रूप में कार्य संपादन करते हैं। वे मस्तिष्क के अग्र भाग के आधार क्षेत्र में स्थित होते हैं और सेरेब्रल कॉर्टेक्स, थैलेमस तथा मस्तिष्क के अन्य क्षेत्रों से मजबूती से जुड़े होते हैं। बेसल गैन्ग्लिया विभिन्न कार्यों से जुड़े होते हैं, जिनमे स्वैच्छिक गतिशीलता नियंत्रण, दैनिक आचरण अथवा "आदतों" से संबंधित प्रक्रियात्मक शिक्षण, आँख की हलचल, संज्ञानात्मक एवं भावुक कार्य शामिल हैं। वर्तमान में लोकप्रिय सिद्धांत बेसल गैन्ग्लिया को मुख्यतः क्रिया चयन के लिए जिम्मेदार मानते हैं, अर्थात इस बात का निर्णय करना कि एक समय पर विभिन्न संभव व्यवहारों में से किसे करना है। प्रयोगात्मक अध्ययन दर्शाते हैं कि बेसल गैन्ग्लिया कई गतिशील तंत्रों पर निरोधात्मक प्रभाव डालते हैं और इस निरोधी प्रभाव के हटते ही गतिशील तंत्र सक्रिय हो जाता है। बेसल गैन्ग्लिया में "व्यवहार का बदलना" मस्तिस्क के कई हिस्सों से प्रसारित होने वाले संकेतों से प्रभावित होता है, जिसमें सम्मिलित है प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स जो कि कार्यकारी कामों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बेसल गैन्ग्लिया के मुख्य घटक हैं- स्ट्रिएटम जिसे निओस्ट्रिएटम भी कहते हैं और जो कॉडेट एवं पुटामेन से बना होता है, ग्लोबस पैलिडस या पैलिडम जो ग्लोबस पैलिडस एक्सटर्ना (जीपीइ) या ग्लोबस पैलिडस इंटर्ना (जीपीआई) से बना होता है, सब्सटैंशिया निग्रा जो सब्सटैंशिया निग्रा पार्स कॉम्पेक्टा (एसएनसी) एवं सब्सटैंशिया निग्रा पार्स रेटिकुलाटा (एसएनआर) से मिलकर बना होता है और सबथैलेमिक नाभिक (एसटीएन).

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भ्रमासक्‍ति

ऐसी आस्था या विचार को भ्रमासक्ति (Delusion) कहा जाता है जिसे गलत होने का ठोस प्रमाण होने के वावजूद भी व्यक्ति उसे नहीं छोड़ता। यह उस आस्था से अलग है जिसे व्यक्ति गलत सूचना, अज्ञान, कट्टरपन आदि के कारण पकड़े रहता है। isbn.

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मनस्ताप

मनस्ताप (Psychosis) मन की वह दशा है जिसमें मन संसार के साधारण व्यवहार करने में असमर्थ रहता है। मनोविक्षिप्ति और पागलपन दोनों शब्द असाधारण मनोदशा के बोधक है, परंतु जहाँ पागलपन एक साधारण प्रयोग का शब्द है, जिसका कानूनी उपयोग भी किया जाता है, वहाँ मनोविक्षिप्ति चिकित्साशास्त्र का शब्द है जिसका चिकित्सा में विशेष अर्थ है। पागल व्यक्ति को प्राय: अपने शरीर एवं कामों की सुध-बुध नहीं रहती। उसकी हिफाजत दूसरे लोगों को करनी पड़ती है। अतएव यदि वह कोई अपराध का काम कर डाले, तो उसे दंड का भागी नहीं माना जाता। इससे मिलता-जुलता, परंतु इससे पृथक, अर्थ मनोविक्षिप्ति का है। मनोविक्षिप्त व्यक्ति में साधारण असामान्यता से लेकर बिल्कुल पागलपन जैसे व्यवहार देखे जाते हैं। कुछ मनोविक्षिप्त व्यक्ति थोड़ी ही चिकित्सा से अच्छे हो जाते हैं। ये समाज में रहते हैं और समाज का कोई भी अहित नहीं करते। उनमें अपराध की प्रवृत्ति नहीं रहती। इसके विपरीत, कुछ मनोविक्षिप्त व्यक्तियों में प्रबल अपराध की प्रवृत्ति रहती है। वे अपने भीतरी मन में बदले की भावना रखते हैं, जिसे विक्षिप्त व्यवहारों में प्रकट करते हैं। कुछ ऐसे विक्षिप्त भी होते हैं जिनसे अच्छे और बुरे व्यवहार में अंतर समझने की क्षमता ही नहीं रहती। वे हँसते-हँसते किसी व्यक्ति का गला घोट दे सकते हैं, पर उन्हें ऐसा नहीं जान पड़ता कि उन्होंने कोई जघन्य अपराध का डाला है। इस तरह मनोविक्षिप्ति में पागलपन का समावेश होता है, परंतु सभी मनोविक्षिप्त व्यक्तियों को पागल नहीं कहा जा सकता है। .

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मनोविकार

मनोविकार (Mental disorder) किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य की वह स्थिति है जिसे किसी स्वस्थ व्यक्ति से तुलना करने पर 'सामान्य' नहीं कहा जाता। स्वस्थ व्यक्तियों की तुलना में मनोरोगों से ग्रस्त व्यक्तियों का व्यवहार असामान्‍य अथवा दुरनुकूली (मैल एडेप्टिव) निर्धारित किया जाता है और जिसमें महत्‍वपूर्ण व्‍यथा अथवा असमर्थता अन्‍तर्ग्रस्‍त होती है। इन्हें मनोरोग, मानसिक रोग, मानसिक बीमारी अथवा मानसिक विकार भी कहते हैं। मनोरोग मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन की वजह से पैदा होते हैं तथा इनके उपचार के लिए मनोरोग चिकित्सा की जरूरत होती है। .

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मस्तिष्कखंडछेदन

परानेत्रगोलकीय मस्तिष्कखंडछेदन, में प्रयुक्त ओरबिटोक्लास्टवॉल्टर फ्रीमैन ने अपने ल्यूकोटोमी के संशोधित रूप, जिसे उन्होंने परानेत्रगोलकीय मस्तिष्कखंडछेदन नाम दिया, में मूलतः बर्फ तोड़ने के सुए का इस्तेमाल किया था। हालांकि, इस तथ्य के कारण कि बर्फ तोड़ने के सुए कभी रोगी के सिर के अंदर टूट सकते थे और उनको निकालना पड़ता, उनके पास बहुत टिकाऊ, 1948 में प्रमाणित ओरबिटोक्लास्ट थे। आचार्य, हेर्निश जे. (2004).फ्रंटल ल्यूकोटॉमी के उतार और चढ़ाव.व्हाइट लॉ, डब्ल्यू.ए. में चिकित्सा दिन के 13 वीं वार्षिक इतिहास की कार्यवाही.कैलगरी: पृष्ठ. 40. मस्तिषकखंडछेदन (लोबोटॉमी) (λοβός – lobos: "लोब (मस्तिष्क का)"; τομή - टोम: "काटना/फांक") एक तंत्रिकाशल्यक्रिया संबंधी प्रक्रिया है, मनःशल्यचिकित्सा का एक रूप, जिसे ल्यूकोटॉमी या ल्यूकोटामी (यूनानी λευκός से - ल्यूकोस: "स्पष्ट/सफेद" तथा टोम). इसमे मस्तिष्क के ललाट खंड के अग्रभाग, मस्तिष्काग्र प्रान्तस्था का और से संबंध काटना शामिल है। आरंभ में इस शल्यक्रिया को ल्यूकोटॉमी कहा गया था, जो 1935 में इसकी शुरुआत से ही विवादास्पद रहा है, मनोविकारी (और कभी-कभी अन्य) अवस्थाओं के लिए निर्धारित- इसके लगातार और गंभीर दुष्प्रभावों की आम मान्यता के बावजूद, दो दशकों से अधिक तक यह मुख्यधारा की शल्यक्रिया थी। 1949 का शरीरक्रियाविज्ञान या आयुर्विज्ञान का नोबेल पुरस्कार एंतोनियो इगास मोनिज को “उनकी निश्चित मनोविक्षिप्तियों में मस्तिष्कखंडछेदन के चिकित्साशास्त्रीय महत्त्व की खोज के लिए” दिया गया था। इसका उपयोग 1940 के दशक के आरंभ से 1950 के दशक के मध्य तक जोरों पर था, जब आधुनिक मनोवियोजी (मनोविक्षिप्तिरोधी) औषधियां पेश की गईं. 1951 तक संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 20,000 मस्तिष्कखंडछेदन किए जा चुके थे। इस शल्यक्रिया में गिरावट एक दम से न आकर क्रमिक रूप से आई. उदाहरण के लिए, ओटावा में मनोरोग अस्पतालों में 1953 में 153 मस्तिष्कखंडछेदन हुए थे जो 1954 में कनाडा में मनोरोगरोधी औषधि क्लोरप्रोमाजिन के आगमन के बाद 1961 में 58 रह गए थे। .

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मानसिक चिकित्सालय

मानसिक चिकित्सालय (Psychiatric hospitals या mental hospitals) उन चिकित्सालयों को कहते हैं जहाँ गम्भीर मनोविकारों (जैसे द्विध्रुवी विकार, मनोविदालिता आदि) की चिकित्सा होती है। श्रेणी:चिकित्सा.

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संगीत चिकित्सा

संगीत चिकित्सा सहबद्ध स्वास्थ्य व्यवसाय और वैज्ञानिक शोध का क्षेत्र है जो नैदानिक चिकित्सा और जैव-संगीत शास्त्र, संगीत ध्वनिकी, संगीत सिद्धांत, मनो-ध्वनिकी और तुलनात्मक संगीत शास्त्र की प्रक्रिया के बीच पारस्परिक संबंध का अध्ययन करता है। यह एक अंतर्वैयक्तिक प्रक्रिया है जिसमें एक प्रशिक्षित संगीत चिकित्सक, अपने मरीज़ों के स्वास्थ्य में सुधार या उनके स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद के लिए संगीत और उसके - यथा शारीरिक, भावनात्मक, मानसिक, सामाजिक, सौन्दर्यात्मक और आध्यात्मिक - सभी पहलुओं का उपयोग करता है। संगीत चिकित्सक परिमेय उपचार लक्ष्यों और उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए संगीतानुभव (जैसे कि गायन, गीत-लेखन, संगीत श्रवण और संगीत चर्चा, संगीत संचालन) के उपयोग द्वारा, मुख्य रूप से मरीज़ों की क्रियाशीलता और विविध क्षेत्रों (उदा. संज्ञानात्मक कार्य, संचालन कौशल, भावनात्मक और प्रभावी विकास, व्यवहार और सामाजिक कौशल) में जीवन की स्व-वर्णित गुणवत्ता को सुस्पष्ट स्तर तक विकसित करने में मदद करते हैं। संगीत चिकित्सा सेवाओं के लिए उपचार करने वाले चिकित्सक या चिकित्सकों, मनोविज्ञानियों, भौतिक चिकित्सकों और पेशेवर चिकित्सकों जैसे चिकित्सकों से युक्त अंतर्विभागीय दल द्वारा संगीत से संबद्ध सेवाएं निर्दिष्ट की जानी चाहिए.

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जोकर (चित्रकथा)

जोकर एक काल्पनिक पात्र है, डीसी (DC) कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित एक चित्रकथा पुस्तक का प्रमुख खलनायक.

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कार्तिक कॉलिंग कार्तिक

कार्तिक कॉलिंग कार्तिक 2010 में प्रदर्शित मनोवैज्ञानिक थ्रिलर है, यह फ़िल्म विजय लालवानी द्वारा लिखित है और एक्सेल एंटरटेनमेंट और रिलायंस इंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी फ़िल्म के निर्माता फरहान अख्तर एवं रितेश सिधवानी हैं। फ़िल्म में फरहान अख्तर और दीपिका पादुकोण मुख्य भूमिका में हैं। राम कपूर और शेफाली शाह ने फ़िल्म में सहायक की भूमिका निभाई है। फ़िल्म का संगीत त्रिक-जोड़ी शंकर-एहसान-लॉय द्वारा रचित है। .

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असामान्य मनोविज्ञान

आसामान्य मनोविज्ञान (Abnormal Psychology) मनोविज्ञान की वह शाखा है जो मनुष्यों के असाधारण व्यवहारों, विचारों, ज्ञान, भावनाओं और क्रियाओं का वैज्ञानिक अध्ययन करती है। असामान्य या असाधारण व्यवहार वह है जो सामान्य या साधारण व्यवहार से भिन्न हो। साधारण व्यवहार वह है जो बहुधा देखा जाता है और जिसको देखकर कोई आश्चर्य नहीं होता और न उसके लिए कोई चिंता ही होती है। वैसे तो सभी मनुष्यों के व्यवहार में कुछ न कुछ विशेषता और भिन्नता होती है जो एक व्यक्ति को दूसरे से भिन्न बतलाती है, फिर भी जबतक वह विशेषता अति अद्भुत न हो, कोई उससे उद्विग्न नहीं होता, उसकी ओर किसी का विशेष ध्यान नहीं जाता। पर जब किसी व्यक्ति का व्यवहार, ज्ञान, भावना, या क्रिया दूसरे व्यक्तियों से विशेष मात्रा और विशेष प्रकार से भिन्न हो और इतना भिन्न होकि दूसरे लोगों को विचित्र जान पड़े तो उस क्रिया या व्यवहार को असामान्य या असाधारण कहते हैं। इसका विषय-वस्तु मूलतः अनाभियोजित व्यवहारों (maladaptive behaviour), व्यक्तित्व अशांति (Personality disturbances) एवं विघटित व्यक्तित्व (disorganized personality) का अध्ययन करने तथा उनके उपचार (treatment) के तरीकों पर विचार करने से संबंधित है। असामान्य मनोविज्ञान के अन्तर्गत के अन्तर्गत आने वाले कुछ महत्त्वपूर्ण विषय हैं-.

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अंतराबंध

मनोविदलिता या अंतराबंध (स्किज़ोफ़्रीनीया / Schizophrenia) कई मानसिक रोगों का समूह है जिनमें बाह्य परिस्थितियों से व्यक्ति का संबंध असाधारण हो जाता है। कुछ समय पूर्व लक्षणों के थोड़ा-बहुत विभिन्न होते हुए भी रोग का मौलिक कारण एक ही माना जाता था। किंतु अब प्रायः सभी सहमत हैं कि अंतराबंध जीवन की दशाओं की प्रतिक्रिया से उत्पन्न हुए कई प्रकार के मानसिक विकारों का समूह है। अंतराबंध को अंग्रेजी में डिमेंशिया प्रीकॉक्स (Dementia praecox) भी कहते हैं। अंतराबंध की गणना बड़े मनोविकारों में की जाती है। मानसिक रोगों के अस्पतालों में 55 प्रतिशत इस रोग के रोगी पाए जाते हैं और प्रथम बार आने वालों में ऐसे रोगी 25 प्रतिशत से कम नहीं होते। इस रोग की चिकित्सा में बहुत समय लगने से इस रोग के रोगियों की संख्या अस्पतालों में उत्तरोत्तर बढ़ती रहती है। यह अनुमान लगाया गया है कि साधारण जनता में से दो से तीन प्रतिशत व्यक्ति इस रोग से ग्रस्त होते हैं। पुरुषों में 20 से 24 वर्ष तक और स्त्रियों में 35 से 39 वर्ष तक की आयु में यह रोग सबसे अधिक होता है। अस्पतालों में भर्ती हुए रोगियों में से 40 प्रतिशत शीघ्र ही नीरोग हो जाते हैं। शेष 60 को जीवनपर्यंत या बहुत वर्षों तक अस्पताल ही में रहना पड़ता है। .

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उदासीनता

उदासीनता (Apathy), मानसिक अस्वस्थताजन्य एक लक्षण। इसमें रोगी अपने अंतर में अत्यधिक तनाव एवं संघर्ष का अनुभव करता है। फलत: उसके मन में हर विषय, हर वस्तु के प्रति विराग पैदा हो जाता है। किसी भी वस्तु में न तो उसकी रुचि रह जाती है और न ही किसी कार्य के प्रति उसका उत्साह जगता है। सामान्यत: भावसंवेगों की उद्दीप्त कर सकने की क्षमता रखनेवाली परिस्थितियाँ भी इस रोग के रोगी में संवेगात्मक प्रतिक्रिया उत्पन्न करने में असमर्थ रहती हैं। सभी उत्तेजक रोगी के लिए निर्बल सिद्ध हो जाते हैं। यह असामयिक मनोभ्रंश अथवा मनोविदलन (स्किजोफ़्रीनिया) का एक प्रमुख लक्षण है जिसमें रोगी आत्मकेंद्रित ही नहीं हो जाता बल्कि बाह्य जगत् से पूर्णत: उदासीन भी रहने लगता है। श्रेणी:मानसिक रोग.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

मनोविदलन, मनोविदालिता, शीजोफ्रेनिया, सिज़ोफ्रेनिया, सक्डज़ोफ्रेनिया, खंडित मनस्‍कता

निवर्तमानआने वाली
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