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उन्माद

सूची उन्माद

उन्माद (mania/मेनिया) एक प्रकार का मानसिक रोग है जिसको मनस्ताप के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाता है। इसमे व्यक्ति की भावनाओं तथा संवेग में कुछ समय के लिए असामान्य परिवर्तन आ जाते है, जिनका प्रभाव उसके व्यवहार, सोच, निद्रा, तथा सामाजिक मेल जोल पर पड़ने लगता है। यदि इस बीमारी का उपचार नहीं कराया जाए तो इसके बार-बार होने की संभावना बहुत हो जाती है। .

11 संबंधों: चित्तविभ्रम, तंत्रिकाविकृति विज्ञान, द्विध्रुवी विकार, मनोभ्रंश रोग, मनोविश्लेषण, मनोविकार, सच का सीरम, संविभ्रम, संख्यावाची विशिष्ट गूढ़ार्थक शब्द, हिस्टीरिया, व्यसन

चित्तविभ्रम

चित्तविभ्रम अर्थात् डेलीरियम (Delirium) मानसिक संभ्रांति की उस अवस्था को कहते हैं जिसमें अचेतना, अकुलाहट और उत्तेजना पाई जाती है। इसमें असंबद्ध विचारों के साथ साधारण भ्रम और मतिभ्रम के मायाजाल मस्तिष्क की स्वाभाविक चेतना को धूमिल कर देते हैं। चित्तविभ्रम का प्रमुख भाव एक प्रकार का भय होता हैं, जिसमें संशय और आशंका का पुट रहता है। इसके साथ मस्तिष्क की उत्तेजना और शारीरिक उथल पुथल एवं अंगों की विचित्र हलचल भी देखने को मिलती है। रोगी में आसपास के वातावरण के संबंध में जो निर्मूल अनुमान और भ्रामक धारणाएँ पाई जाती हैं, वे संदेहजनक सुरक्षात्मक ढंग की रहती हैं। इसका आधार हानि की कल्पनिक आशंका में निहित रहता है। चित्तविभ्रम में दिन की अपेक्षा रात्रि में रोगी की अवस्था अधिक चिंताजनक हो जाती है। .

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तंत्रिकाविकृति विज्ञान

तंत्रिकाविकृति विज्ञान (Neuropathology) तंत्रिका तंत्र के ऊतकों के रोगों का अध्ययन है जिसमें छोटे शल्यक्रिया के द्वार बायोप्सी की जाती है या पूरे मस्तिष्क की आटोप्सी (autopsy) की जाती है। तंत्रिकाविकृति विज्ञान, शरीरविकृति विज्ञान (anatomic pathology) की उपशाखा है। .

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द्विध्रुवी विकार

द्रिध्रुवी विकार एक गंभीर प्रकार का मानसिक रोग है जो एक प्रकार का मनोदशा विकार है। इस रोग से ग्रसित रोगी की मनोदशा बारी-बारी से दो विपरीत अवस्थाओं में जाती रहती है। एक मनोदशा को सनक या उन्माद और दूसरी मनोदशा को अवसाद कहते हैं। सनक की मनोदशा में रोगी अति-आशावादी हो सकता है; अपने बारे मे बढ़ी-चढ़ी धारणा रख सकता है (जैसे मैं बहुत धनी, रचनाशील या शक्तिशाली हूँ); व्यक्ति अति-क्रियाशील हो सकता है (धड़ाधड़ भाषण, तेज गति से बदलते हुए विचार आदि); रोगी सोना नहीं चाहता या सोने को अनावश्यक कहता है आदि। दूसरी तरफ अवसाद की मनोदशा में रोगी उदास रहता है; उसको थकान लगती है; अपने को दोषी महसूस करता है या उसमें आशाहीनता दिखायी देती है। .

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मनोभ्रंश रोग

मनोभ्रंश (डिमेंशिया) से ग्रस्त व्यक्ति की याददाशत भी कमज़ोर हो जाती है। वे अपने दैनिक कार्य ठीक से नहीं कर पाते। कभी-कभी वे यह भी भूल जाते हैं कि वे किस शहर में हैं, या कौनसा साल या महीना चल रहा है। बोलते हुए उन्हें सही शब्द नहीं सूझता। उनका व्यवहार बदला बदला सा लगता है और व्यक्तित्व में भी फ़र्क आ सकता है। मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) दिमाग की क्षमता का निरंतर कम होना है। यह दिमाग की बनावट में शारीरिक बदलावों के परिणामस्वरूप होता है। ये बदलाव स्मृति, सोच, आचरण तथा मनोभाव को प्रभावित करते हैं। एलसायमर रोग मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) की सबसे सामान्य किस्म है। मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) की अन्य किस्में हैं- नाड़ी संबंधी डिमेंशिया, लुई बाड़िस वाला डिमेंशिया तथा फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया शामिल हैं। वास्त्व में मनोभ्रंश किसी विशेष बीमारी का नाम नहीं, बल्कि के लक्षणों के समूह का नाम है, जो मस्तिष्क की हानि से सम्बंधित हैं। “Dementia” शब्द “de” (without) और “mentia” (mind) को जोड़ कर बनाया गया है। .

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मनोविश्लेषण

मनोविश्लेषण (Psychoanalysis), आस्ट्रिया के मनोवैज्ञानिक सिग्मंड फ्रायड द्वारा विकसित कुछ मनोवैज्ञानिक विचारों (उपायों) का समुच्चय है जिसमें कुछ अन्य मनोवैज्ञानिकों ने भी आगे योगदान किया। मनोविश्लेषण मुख्यत: मानव के मानसिक क्रियाओं एवं व्यवहारों के अध्ययन से सम्बन्धित है किन्तु इसे समाजों के ऊपर भी लागू किया जा सकता है। मनोविश्लेषण के तीन उपयोग हैं.

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मनोविकार

मनोविकार (Mental disorder) किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य की वह स्थिति है जिसे किसी स्वस्थ व्यक्ति से तुलना करने पर 'सामान्य' नहीं कहा जाता। स्वस्थ व्यक्तियों की तुलना में मनोरोगों से ग्रस्त व्यक्तियों का व्यवहार असामान्‍य अथवा दुरनुकूली (मैल एडेप्टिव) निर्धारित किया जाता है और जिसमें महत्‍वपूर्ण व्‍यथा अथवा असमर्थता अन्‍तर्ग्रस्‍त होती है। इन्हें मनोरोग, मानसिक रोग, मानसिक बीमारी अथवा मानसिक विकार भी कहते हैं। मनोरोग मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन की वजह से पैदा होते हैं तथा इनके उपचार के लिए मनोरोग चिकित्सा की जरूरत होती है। .

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सच का सीरम

सच की दवा या सच का सीरम एक मनोसक्रियण औषधि है जिसे उन व्यक्तियों से जानकारी प्राप्त करने के लिए दिया जाता है जो या तो उस जानकारी को प्रदान करने में असमर्थ होते हैं या फिर वो उसे उपलब्ध कराने को तैयार नहीं होते। किसी व्यक्ति को दवा दे कर जानकारी प्राप्त करने की यह विधि नार्को परीक्षण कहलाती है। अंतरराष्ट्रीय कानून के वर्गीकरण के अनुसार सच की दवाओं का अनैतिक प्रयोग यातना की श्रेणी में आता है, हालांकि, मनोचिकित्सा के अंतर्गत इनका प्रयोग उचित रूप से मनोरोगियों के व्यवहार के मूल्यांकन में किया जाता है। इनका पहला ज्ञात प्रयोग 1930 में डॉ॰ विलियम ब्लेकवेन द्वारा दर्ज किया गया था और आज भी कुछ चुनिंदा मामलों में इनका प्रयोग किया जाता है। आज के संदर्भ में, सम्मोहन (कृत्रिम निद्रावस्था) दवाओं का नियंत्रित अंतःशिरा आधान नार्कोसंश्लेषण या नार्कोविश्लेषण कहा जाता है। इसका प्रयोग नैदानिक या चिकित्सीय संबंधी-महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने और इससे कैटाटोनिया या उन्माद से पीड़ित रोगियों को कार्यात्मक राहत प्रदान करने मे किया जा सकता है। .

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संविभ्रम

संविभ्रम (Paranoia) एक गंभीर भावात्मक विकार है और तर्कसंगत, सुसंबद्ध, जटिल तथा प्राय: उत्पीड़क विभ्रमों या मिथ्या विश्वासों का उत्तरोत्तर बढ़ता हुआ सिलसिला इसका आंतरिक लक्षण है। संविभ्रमी व्यक्ति को अपनी योग्यता, प्रभुता, पद की वरिष्ठता, या निरंतर यातना का भ्रम होता है। यह उन्माद का ही एक रूप है, परंतु इसमें अन्य सभी मानसिक क्रियाएँ बहुधा स्वाभाविक अवस्था में रहती हैं। कमरे में किसी नए व्यक्ति के प्रविष्ट होते ही उपस्थित मित्रमंडली के एकाएक बातचीत बंद कर देने पर, व्यक्ति का यह समझना कि अभी उसकी की चर्चा हो रही थी, एक सामान्य प्रतिक्रिया है। किसी जनसंकुल होटल में घुसने पर सभी अपनी ओर देख रहे हैं यह समझना भी स्वाभविक प्रतिक्रिया है, किंतु संविभ्रमी प्रतिक्रिया में ये भाव स्थायी और व्यापक हो जाते हैं। .

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संख्यावाची विशिष्ट गूढ़ार्थक शब्द

हिन्दी भाषी क्षेत्र में कतिपय संख्यावाची विशिष्ट गूढ़ार्थक शब्द प्रचलित हैं। जैसे- सप्तऋषि, सप्तसिन्धु, पंच पीर, द्वादश वन, सत्ताईस नक्षत्र आदि। इनका प्रयोग भाषा में भी होता है। इन शब्दों के गूढ़ अर्थ जानना बहुत जरूरी हो जाता है। इनमें अनेक शब्द ऐसे हैं जिनका सम्बंध भारतीय संस्कृति से है। जब तक इनकी जानकारी नहीं होती तब तक इनके निहितार्थ को नहीं समझा जा सकता। यह लेख अभी निर्माणाधीन हॅ .

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हिस्टीरिया

हिस्टीरिया (Hysteria) की कोई निश्चित परिभाषा नहीं है। बहुधा ऐसा कहा जाता है, हिस्टीरिया अवचेतन अभिप्रेरणा का परिणाम है। अवचेतन अंतर्द्वंद्र से चिंता उत्पन्न होती है और यह चिंता विभिन्न शारीरिक, शरीरक्रिया संबंधी एवं मनोवैज्ञानिक लक्षणों में परिवर्तित हो जाती है। रोगलक्षण में बह्य लाक्षणिक अभिव्यक्ति पाई जाती है। तनाव से छुटकारा पाने का हिस्टीरिया एक साधन भी हो सकता है। उदाहरणार्थ, अपनी विकलांग सास की अनिश्चित काल की सेवा से तंग किसी महिला के दाहिने हाथ में पक्षाघात संभव है। अधिक विकसित एवं शिक्षित राष्ट्रों में हिस्टीरिया कम पाया जाता है। हिस्टीरिया भावात्मक रूप से अपरिपक्व एवं संवेदनशील, प्रारंभिक बाल्यकाल से किसी भी आयु के, पुरुषों या महिलाओं में पाया जाता है। दुर्लालित एवं आवश्यकता से अधिक संरक्षित बच्चे इसके अच्छे शिकार होते हैं। किसी दु:खद घटना अथवा तनाव के कारण दौरे पड़ सकते हैं। .

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व्यसन

व्यसन या आसक्ति (Addiction) की विशेषता है कि दुष्परिणामों के बावजूद व्यक्ति को ड्रग/अल्कोहल की बाध्यकारी लत लग जाती है। व्यसन को एक जीर्ण मानसिक रोग भी कह सकते हैं। मादक द्रव्य वैसे पदार्थ को कहते हैं जिनके सेवन से नशे का अनुभव होता है तथा लगातार सेवन करने से व्यक्ति उसका आदी बन जाता है। हमारे समाज में कई प्रकार के मादक द्रव्यों का प्रचलन है जैसे- शराब, ह्वीस्की, रम, बीयर, महुआ, हंड़िया आदि सामाजिक मान्यता प्राप्त वैध पदार्थ हैं। अनेक अवैध पदार्थ भी काफी प्रचलित हैं जैसे- भाँग, गांजा, चरस, हेरोइन, ब्राउन सुगर तथा कोकिन आदि। डाक्टरों द्वारा नींद के लिए या चिन्ता या तनाव के लिए लिखी दवाइयों का उपयोग भी मादक द्रव्यों के रूप में होता है। तम्बाकूयुक्त पदार्थ जैसे सिगरेट, खैनी, जर्दा, गुटखा, बीड़ी आदि भी इनके अन्तर्गत आते हैं। इनके अलावे कुछ पदार्थों का भी प्रचलन देखा जाता है जैसे- कफ सीरप, फेन्सीडिल या कोरेक्स का सेवन। वाष्पशील विलायक (वोलाटाइल सोलवेन्ट) यानि वैसे रासायनिक पदार्थों का सेवन जिनके वाष्प को श्वास द्वारा खींचने पर शराब के नशे से मिलता-जुलता असर होता है, जैसे-पेट्रोल, नेल पॉलिश रिमूभर, पेन्ट्स, ड्राई क्लीनींग सोल्यूसन आदि भी मादक पदार्थ हैं। .

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