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२०१० में निधन

सूची २०१० में निधन

निम्नलिखित सूची २०१० में निधन हो गये लोगों की है। यहाँ पर सभी दिनांक के क्रमानुसार हैं और एक दिन की दो या अधिक प्रविष्टियाँ होने पर उनके मूल नाम को वर्णक्रमानुसार में दिया गया है। यहाँ लिखने का अनुक्रम निम्न है.

25 संबंधों: नलिनी जयवंत, नानाजी देशमुख, पैट्रिशिया नील, बिली अर्जन सिंह, ब्रह्मानंद पांडा, भैरोंसिंह शेखावत, मैक मोहन, राम निवास मिर्धा, राजेन्द्र शाह, राजीव दीक्षित, रवि वासवानी, लक्ष्मी चंद्र जैन, लेक केजिंसकी, सचिन्द्र लाल सिंह, सुरेन्द्र मोहन, जनेश्वर मिश्र, ज्योति बसु, जॉन बेनेट फेन, वाई॰ एस॰ राजशेखर रेड्डी, विरधी चन्द जैन, ग्लोरिया स्टुअर्ट, गोपी कुमार पोदिला, आचार्य महाप्रज्ञ, २००९ में निधन, २०११ में निधन

नलिनी जयवंत

नलिनी जयवंत (18 फ़रवरी 1926 – 20 दिसम्बर 2010) 1940-50 के दशक की एक बॉलीवुड फिल्म अभिनेत्री थीं। .

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नानाजी देशमुख

नानाजी देशमुख (जन्म: ११ अक्टूबर १९१६, चंडिकादास अमृतराव देशमुख - मृत्यु: २७ फ़रवरी २०१०) एक भारतीय समाजसेवी थे। वे पूर्व में भारतीय जनसंघ के नेता थे। १९७७ में जब जनता पार्टी की सरकार बनी, तो उन्हें मोरारजी-मन्त्रिमण्डल में शामिल किया गया परन्तु उन्होंने यह कहकर कि ६० वर्ष से अधिक आयु के लोग सरकार से बाहर रहकर समाज सेवा का कार्य करें, मन्त्री-पद ठुकरा दिया। वे जीवन पर्यन्त दीनदयाल शोध संस्थान के अन्तर्गत चलने वाले विविध प्रकल्पों के विस्तार हेतु कार्य करते रहे। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया। अटलजी के कार्यकाल में ही भारत सरकार ने उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य व ग्रामीण स्वालम्बन के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान के लिये पद्म विभूषण भी प्रदान किया। .

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पैट्रिशिया नील

ऑस्कर विजेता अमेरिकी अभिनेत्री। .

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बिली अर्जन सिंह

कुँवर बिली अर्जन सिंह (१५ अगस्त १९१७ – १ जनवरी २०१०) विश्वप्रसिद्ध बाघ सरंक्षक एंव पर्यावरणविद् थे। दुधवा नेशनल पार्क के संस्थापक, बाघ एंव तेन्दुओं के पुनर्वासन कार्यक्रम के जनक बिली जीवन पर्यन्त खीरी जनपद के जंगलों के सरंक्षण व सवंर्धन में संघर्षरत रहे। ब्रिटिश-इंडिया में उत्तर-खीरी वन-प्रभाग के समीप सुहेली नदी पर निवास बनाकर वन्य जीवों की सुरक्षा में शिकारियों एंव भ्रष्ट सरकारी तन्त्र से लड़ाइया लड़ते रहे। वन्य जीवन के क्षेत्र में पूरी दुनिया में इनके प्रयोगों की चर्चा रही और आज के बाघ सरंक्षक इनके कार्यों से प्रेरणा लेते आ रहे हैं। .

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ब्रह्मानंद पांडा

ब्रह्मानंद पांडा (३ अप्रैल १९४९ – ३० जनवरी २०१०) भारत की चौदहवीं लोक सभा में सांसद थे। वो जगतसिंहपुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से बीजू जनता दल के उम्मीदवार के रूप में निर्वाचित हुये थे। .

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भैरोंसिंह शेखावत

भैरोंसिंह शेखावत (२३ अक्टूबर १९२३ - १५ मई २०१०) भारत के उपराष्ट्रपति थे। वे १९ अगस्त २००२ से २१ जुलाई २००७ तक इस पद पर रहे। वे १९७७ से १९८०, १९९० से १९९२ और १९९३ से १९९८ तक राजस्थान के मुख्यमंत्री भी रहे। वे भारतीय जनता पार्टी के सदस्य थे। भैरोंसिंह शेखावत का जन्म तत्कालिक जयपुर रियासत के गाँव खाचरियावास में हुआ था। यह गाँव अब राजस्थान के सीकर जिले में है। इनके पिता का नाम श्री देवी सिंह शेखावत और माता का नाम श्रीमती बन्ने कँवर था। गाँव की पाठशाला में अक्षर-ज्ञान प्राप्त किया। हाई-स्कूल की शिक्षा गाँव से तीस किलोमीटर दूर जोबनेर से प्राप्त की, जहाँ पढ़ने के लिए पैदल जाना पड़ता था। हाई स्कूल करने के पश्चात जयपुर के महाराजा कॉलेज में दाखिला लिया ही था कि पिता का देहांत हो गया और परिवार के आठ प्राणियों का भरण-पोषण का भार किशोर कंधों पर आ पड़ा, फलस्वरूप हल हाथ में उठाना पड़ा। बाद में पुलिस की नौकरी भी की; पर उसमें मन नहीं रमा और त्यागपत्र देकर वापस खेती करने लगे। स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात लोकतंत्र की स्थापना में आम नागरिक के लिए उन्नति के द्वार खोल दिए। राजस्थान में वर्ष १९५२ में विधानसभा की स्थापना हुई तो शेखावत ने भी भाग्य आजमाया और विधायक बन गए। फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा तथा सीढ़ी-दर-सीढ़ी चढ़ते हुए विपक्ष के नेता, मुख्यमंत्री और उपराष्ट्रपति पद तक पहुँच गए। .

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मैक मोहन

मैक मोहन  (२४ अप्रैल १९३८ – १० मई २०१०) हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता थे। मैक मोहन एक विलेन के किरदार के लिए जाने जाते हैं मैक मोहन रवीना टंडन के मामा है। .

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राम निवास मिर्धा

रामनिवास मिर्धा (२४ अगस्त १९२४ – २९ जनवरी २०१०) राजस्थान से भारतीय राजनीतिज्ञ थे। वो १९५३ से १९६७ तक राजस्थान विधान सभा में विधायक और १९५७ से १९६७ तक विधानसभा अध्यक्ष भी रहे। वो १९७० और १९८० के दशक में भारत सरकार में विभिन्न विभागों के केन्द्रीय मंत्री रहे। २९ जनवरी २०१० को उनका निधन हो गया। .

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राजेन्द्र शाह

राजेन्द्र केशवलाल शाह (રાજેન્દ્ર કેશવલાલ શાહ; २८ जनवरी १९१३, कपाड़वनज, भारत - २ जनवरी २०१०) एक गुजराती भाषा के साहित्यकार थे। उन्होंने गुजराती में २० से अधिक काव्य और गीतों के संकलन रचे हैं, ज़्यादातर प्रकृति की सुंदरता और जनजाति और मछुआरों की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी के विषयों पर। संस्कृत छंदों में रची उनकी कविताओं पर रविन्द्रनाथ टगोर की कृतियों का गहरा असर रहा है। उनके अनेक पेशों में उन्होंने बम्बई में प्रिंटिंग प्रेस भी चलाया है, जहाँ से उन्होंने कविलोक नाम की कविता पत्रिका छापी। हर रविवार सुबह उनके प्रेस में कवि आया करते थे, जो अपने आप में एक अहम प्रथा बन गयी। काव्यों के अलावा शाह ने गुजराती में कई अनुवाद भी किए हैं, जिनमें से कुछ: टगोर का कविता संकलन बलाक, जयदेव रचित गीतगोविन्द, अंग्रेज़ी कवि कॉलरिज की द राइम ऑफ़ द एन्शियंट मेरिनर और इटली के दांते की प्रसिद्ध कृति डिवाइन कॉमेडी हैं। शाह को वर्ष २००१ के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। निर्णायकों का कहना था, "इनके जज़बातों की तीव्रता और इनके काव्यों के रूप और अभिव्यक्ति में नयापन इन्हें एक ख़ास और मह्त्वपूर्ण कवि बतलाता है। इनकी कविता की आद्यात्मिकता कबीर और नरसी मेहता जैसे मध्यकालीन महान कवियों की परम्परा में है।" .

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राजीव दीक्षित

राजीव दीक्षित (30 नवम्बर 1967 - 30 नवम्बर 2010) एक भारतीय वैज्ञानिक, प्रखर वक्ता और आजादी बचाओ आन्दोलन के संस्थापक थे।.

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रवि वासवानी

रवि बासवानी (२९ सितम्बर १९४६ – २७ जुलाई २०१०) हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता थे। .

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लक्ष्मी चंद्र जैन

लक्ष्मी चंद्र जैन (1925–2010) भारत के गांधीवादी अर्थशास्त्री थे। भारत में आर्थिक नियोजन के पिछले पचास वर्षों के इदिहास पर डॉ॰ जैन की बारीक नजर थी। वो योजना आयोग के सदस्य रहे और दक्षिण अफ्रीका में भारत के राजदूत भी। वो मानते थे कि हमारी प्रमुख समस्या नौकरशाही पर निर्भरता है। उनके मुताबिक गांधी यह भली भांति समझते थे कि जनता की भागीदारी के बिना कोई काम नहीं किया जाना चाहिए और जनता की भागीदारी के बिना कोई काम सफल भी नहीं हो सकता, लेकिन आजादी के बाद हम यह बुनियादी बात भूल गए। .

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लेक केजिंसकी

लेक अलेकसांदर कैज़िंस्की (पोलिश: Lech Kaczyński,; १८ जून १९४९ – १० अप्रैल २०१०) २००५ से २०१० तक पोलैंड के राष्ट्रपति रहे। इसके अलावा ये २००२ से २२ दिसम्बर २००५ को राष्ट्रपति बनने से एक दिन पूर्व तक लॉ एण्ड जस्टिस पार्टी के राजनैतिक नेता रहे। इनकी १० अप्रैल, २०१० को रूस में एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गयी थी। .

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सचिन्द्र लाल सिंह

सचिन्द्र लाल सिंह (४ अगस्त १९०७ – ८ दिसम्बर २०१०) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक राजनेता थे। वो भारत के उत्तर पूर्वी राज्य त्रिपुरा के १ जुलाई १९६३ से १ नवम्बर १९७१ तक मुख्यमंत्री रहे। वो नवनिर्मित पार्टी कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी के भी नेता रहे। वो छटी लोकसभा के लिए त्रिपुरा पश्चिम लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी निर्वाचित हुये। .

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सुरेन्द्र मोहन

सुरेन्द्र मोहन (४ दिसम्बर १९२६ - १७ दिसम्बर २०१०) भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, राजनेता एवं समाजवादी विचारक थे। वे ईमानदारी, सादगी, विनम्रता, त्याग, संघर्ष और वैचारिक प्रतिबद्धता की अनूठी मिसाल थे। भारत की समकालीन लोकविमुख, विचारहीन और सत्ताकामी राजनीति के माहौल में सुरेंद्र मोहन एक मिसाल थे। सुरेंद्र मोहन अपने छात्र जीवन में ही समाजवादी आंदोलन से जुड़े तो ऐसे जुड़े कि अपने जीवन की आखिरी साँस तक समतामूलक समाज का सपना अपनी आँखों में सँजोए हुए उसी सपने को हकीकत में बदलने की जद्दोजहद में लगे रहे। अपनी मृत्यु से एक दिन पूर्व भी आदिवासियों के सवाल पर दिल्ली के जंतर-मंतर पर आयोजित धरना आंदोलन में वे शामिल हुए थे। आपसी कलह के चलते बार-बार टूटने और बिखरने को अभिशप्त रहे समाजवादी आंदोलन के नेताओं की जमात में वे उन चंद नेताओं में से थे जिन्होंने हमेशा आपसी राग-द्वेष से मुक्त रहते हुए साथियों और कार्यकर्ताओं को जोड़ने का काम किया देश की आजादी के बाद गोवा मुक्ति का आंदोलन हो या कच्छ सत्याग्रह, मध्यप्रदेश, राजस्थान और गुजरात के आदिवासियों का आंदोलन हो या सुदूर पूर्वोत्तर की जनजातियों का संघर्ष, ओडीसा की चिल्का झील को बचाने की लड़ाई हो या नर्मदा बचाओ आंदोलन, आंध्र के मछुआरों के अधिकारों की लड़ाई हो या विंध्य क्षेत्र के किसानों का आंदोलन या फिर सु्रधारवादी बोहरा आंदोलन, सुरेंद्र मोहन ने हर संघर्ष में सक्रिय साझेदारी निभाई और कई बार जेल यात्राएँ कीं। आपातकाल में भी वे पूरे 19 महीने जेल में रहे। .

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जनेश्वर मिश्र

पण्डित जनेश्वर मिश्र (5 अगस्त 1933 – 22 जनवरी 2010) समाजवादी पार्टी के एक राजनेता थे। समाजवादी विचारधारा के प्रति उनके दृढ निष्ठा के कारण वे 'छोटे लोहिया' के नाम से प्रसिद्ध थे। वे कई बार लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य रहे। उन्होने मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह, विश्वनाथ प्रताप सिंह, चन्द्रशेखर, एच डी देवगौड़ा और इंद्रकुमार गुज़राल के मंत्रिमण्डलों में काम किया। सात बार केन्द्रीय मंत्री रहने के बाद भी उनके पास न अपनी गाड़ी थी और न ही बंगला। जनेश्वर मिश्र का जन्म ५ अगस्त 1933 को बलिया के शुभनथहीं के गांव में हुआ था। उनके पिता रंजीत मिश्र किसान थे। बलिया में प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद १९५३ में इलाहाबाद पहुंचे जो उनका कार्यक्षेत्र रहा। जनेश्वर को आजाद भारत के विकास की राह समाजवादी सपनों के साथ आगे बढ़ने में दिखी और समाजवादी आंदोलन में इतना पगे कि उन्हें लोग 'छोटे लोहिया' के तौर पर ही जानने लगे। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्नातक कला वर्ग में प्रवेश लेकर हिन्दू हास्टल में रहकर पढ़ाई शुरू की और जल्दी ही छात्र राजनीति से जुड़े। छात्रों के मुद्दे पर उन्होंने कई आंदोलन छेड़े जिसमें छात्रों ने उनका बढ-चढ़ कर साथ दिया। 1967 में उनका राजनैतिक सफर शुरू हुआ। वह जेल में थे तभी लोकसभा का चुनाव आ गया। छुन्नन गुरू व सालिगराम जायसवाल ने उन्हें फूलपुर से विजयलक्ष्मी पंडित के खिलाफ चुनाव लड़ाया। चुनाव सात दिन बाकी था तब उन्हें जेल से रिहा किया गया। चुनाव में जनेश्वर को हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद विजय लक्ष्मी राजदूत बनीं। फूलपुर सीट पर 1969 में उपचुनाव हुआ तो जनेश्वर मिश्र सोशलिस्ट पार्टी से मैदान में उतरे और जीते। लोकसभा में पहुंचे तो राजनारायण ने 'छोटे लोहिया' का नाम दिया। वैसे इलाहाबाद में उनको लोग पहले ही छोटे लोहिया के नाम से पुकारने लगे थे। उन्होंने 1972 के चुनाव में यहीं से कमला बहुगुणा को और 1974 में इंदिरा गांधी के अधिवक्ता रहे सतीश चंद्र खरे को हराया। इसके बाद 1978 में जनता पार्टी के टिकट से इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे और विश्वनाथ प्रताप सिंह को पराजित किया। उसी समय वह पहली बार केन्द्रीय पेट्रोलियम, रसायन एवं उर्वरक मंत्री बने। इसके कुछ दिन बाद ही वह अस्वस्थ हो गये। स्वस्थ होने के बाद उन्हें विद्युत, परंपरागत ऊर्जा और खनन मंत्रालय दिया गया। चरण सिंह की सरकार में जहाजरानी व परिवहन मंत्री बने। 1984 में देवरिया के सलेमपुर संसदीय क्षेत्र से चंद्रशेखर से चुनाव हार गये। 1989 में जनता दल के टिकट पर इलाहाबाद से लडे़ और कमला बहुगुणा को हराया। इस बार संचार मंत्री बने। फिर चंद्रशेखर की सरकार में 1991 में रेलमंत्री और एचडी देवगौड़ा की सरकार में जल संसाधन तथा इंद्र कुमार गुजराल की सरकार में पेट्रोलियम मंत्री बनाये गये। 1992 से २०१० तक वह राज्यसभा के सदस्य रहे। .

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ज्योति बसु

ज्योति बसु (बंगला: জ্যোতি বসু) (८ जुलाई १९१४ - १७ जनवरी २०१०) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के जानेमाने राजनेता थे। वे सन् १९७७ से लेकर २००० तक पश्चिम बंगाल राज्य के मुख्यमंत्री रहकर भारत के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का कीर्तिमान स्थापित किए। वे सन् १९६४ से सन् २००८ तक सीपीएम पॉलित ब्यूरो के सदस्य रहे। .

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जॉन बेनेट फेन

जॉन बेनेट फेन (जून 15, 1917 – दिसम्बर 10, 2010) एक अमेरिकी रसायनज्ञ थे। उन्हें २००२ में कोइची तनक और कर्ट वुदरिक के साथ संयुक्त रूप से रसायन शास्त्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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वाई॰ एस॰ राजशेखर रेड्डी

डॉक्टर येदुगुड़ी संदिंती राजशेखर रेड्डी (जन्म:8 जुलाई 1949 - निधन:2 सितंबर 2009) वाईएसआर नाम से लोकप्रिय, वर्ष 2004 से 2009 तक आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे। .

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विरधी चन्द जैन

विरधी चन्द जैन एक भारतीय राजनेता है। ये भारत के राजस्थान की बाड़मेर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के सांसद व कही बार विधायक रहे। ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के सदस्य है। .

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ग्लोरिया स्टुअर्ट

हॉलीवुड की ऑस्कर विजेता अभिनेत्री जिन्होंने फिल्म ‘टाइटेनिक’ में मुख्य अभिनेत्री केट विंसलेट के बुढ़ापे का किरदार अदा किया था। वे स्क्रीन एक्टर गिल्ड की संस्थापक सदस्य थीं। .

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गोपी कुमार पोदिला

गोपी कुमार पोदिला (१४ सितंबर, १९५७ - १२ फ़रवरी, २०१०) एक भारतीय-अमेरिकी जीवविज्ञानी, विख्यात विद्वान और हण्ट्सविल के अलाबामा विश्वविद्यालय में संकाय सदस्य थे। १२ फ़रवरी २०१० को विश्वविद्यालय में कथित रूप से अमी बिशप द्वारा की गई गोलीबारी में वे मारे गए तीन संकाय सदस्यों में से एक थे। वे विश्वविद्यालय के जैविकी विभाग में कुर्सीरत थे और उन्हें चिनार की पारिस्थितिकी और उनके माइकॉर्‍हिज़ल सिम्बायन्ट्स (mycorrhizal symbionts) में विशेष रुचि थी। .

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आचार्य महाप्रज्ञ

आचार्य श्री महाप्रज्ञ (14 जून 1920 – 9 मई 2010) जैन धर्म के श्वेतांबर तेरापंथ के दसवें संत थे। महाप्रज्ञ एक संत, योगी, आध्यात्मिक, दार्शनिक, अधिनायक, लेखक, वक्ता और कवि थे। उनकी बहुत पुस्तकें और लेख उनके पूर्व नाम मुनि नथमल के नाम से प्रकाशित हुई। उन्होंने दस वर्ष की आयु में जैन संन्यासी के रूप में विकास और धार्मिक प्रतिबिंब का जीवन आरम्भ किया। महाप्रज्ञ ने अनुव्रत आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाई जो गुरु आचार्य तुलसी ने 1949 में आरम्भ किया था और 1995 के आंदोलन में स्वीकृत अधिनायक बन गए। आचार्य महाप्रज्ञ ने 1970 के दशक में अच्छी तरह से नियमबद्ध प्रेक्षा ध्यान तैयार किया और शिक्षा प्रणाली में "जीवन विज्ञान" का विकास किया जो छात्रों के संतुलित विकास और उसका चरित्र निर्माण के लिए प्रयोगिक पहुँच है। .

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२००९ में निधन

निम्नलिखित सूची २००९ में निधन हो गये लोगों की है। यहाँ पर सभी दिनांक के क्रमानुसार हैं और एक दिन की दो या अधिक प्रविष्टियाँ होने पर उनके मूल नाम को वर्णक्रमानुसार में दिया गया है। यहाँ लिखने का अनुक्रम निम्न है.

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२०११ में निधन

निम्नलिखित सूची २०१२ में निधन हो गये लोगों की है। यहाँ पर सभी दिनांक के क्रमानुसार हैं और एक दिन की दो या अधिक प्रविष्टियाँ होने पर उनके मूल नाम को वर्णक्रमानुसार में दिया गया है। यहाँ लिखने का अनुक्रम निम्न है.

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