लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

हिग्स बोसॉन

सूची हिग्स बोसॉन

एक सिमुलेट की गयी घटना जो हिग्स बोसान की उत्पत्ति को दर्शा रही है। हिग्स बोसॉन (Higgs boson) एक मूल कण है जिसकी प्रथम परिकल्पना 1964 में दी गई और इसका प्रायोगिक सत्यापन 14 मार्च 2013 को किया गया। इस आविष्कार को एक 'यादगार' कहा गया क्योंकि इससे हिग्स क्षेत्र की पुष्टि हो गई। कण भौतिकी के मानक मॉडल द्वारा इसके अस्तित्व का अनुमान लगाया गया है। वर्तमान समय तक इस प्रकार के किसी भी कण के विद्यमान होने की ज्ञान नहीं है। हिग्स बोसॉन को कणो के द्रव्यमान या भार के लिये जिम्मेदार माना जाता है। प्रायः इसे अंतिम मूलभूत कण माना जाता है। .

13 संबंधों: पीटर हिग्स, फर्मीलैब, फ्रांसोवा आंगलेया, बिग बैंग सिद्धांत, मानक प्रतिमान, मूलकण, यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन, लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर, सीएमएस प्रयोग, गेरार्डस 'टी हूफ्ट, कण त्वरक, कण भौतिकी, अब्दुस सलाम

पीटर हिग्स

पीटर वेयर हिग्स (जन्म २९ मई १९२९) २०१३ के भौतिकी में नोबल पुरस्कार विजेता, ब्रितानी सैद्धान्तिक भौतिक विज्ञानी हैं। उन्हें मुख्यतः १९६० में दिये गये दुर्बल-विद्युत अन्योन्य क्रिया सिद्धान्त में सममिति विघटन के सुझाव के लिए जाना जाता है। .

नई!!: हिग्स बोसॉन और पीटर हिग्स · और देखें »

फर्मीलैब

'''फर्मीलैब का ऊपर से लिया गया दृष्य''': सामने स्थित वलय (रिंग) मुख्य इंजेक्टर त्वरक है; पीछे की तरफ टेवाट्रॉन वलय है। फर्मीलैब या फर्मी राष्ट्रीय त्वरक प्रयोगशाला (Fermi National Accelerator Laboratory) अमेरिका का एक प्रमुख अनुसंधान संस्थान है जो उच्च उर्जा कण भौतिकी के क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिये कार्य कर रहा है। यह शिकागो के पास बटाविया (Batavia) में स्थित है और यूएसए के परमाणु उर्जा विभाग की राष्ट्रीय प्रयोगशाला है। .

नई!!: हिग्स बोसॉन और फर्मीलैब · और देखें »

फ्रांसोवा आंगलेया

फ्रांसोवा आंगलेया (François Englert), पीटर हिग्स के साथ, भौतिकी के २०१३ के नोबेल पुरस्कार विजेता हैं। फ्रांसोवा बेल्जियम के प्रथम नागरिक हैं जिन्हें नोबल पुरस्कार मिला। .

नई!!: हिग्स बोसॉन और फ्रांसोवा आंगलेया · और देखें »

बिग बैंग सिद्धांत

महाविस्फोट प्रतिरूप के अनुसार, यह ब्रह्मांड अति सघन और ऊष्म अवस्था से विस्तृत हुआ है और अब तक इसका विस्तार चालू है। एक सामान्य धारणा के अनुसार अंतरिक्ष स्वयं भी अपनी आकाशगंगाओं सहित विस्तृत होता जा रहा है। ऊपर दर्शित चित्र ब्रह्माण्ड के एक सपाट भाग के विस्तार का कलात्मक दृश्य है। ब्रह्मांड का जन्म एक महाविस्फोट के परिणामस्वरूप हुआ। इसी को महाविस्फोट सिद्धान्त या बिग बैंग सिद्धान्त कहते हैं।।अमर उजाला।। श्य़ामरत्न पाठक, तारा भौतिकविद, जिसके अनुसार से लगभग बारह से चौदह अरब वर्ष पूर्व संपूर्ण ब्रह्मांड एक परमाण्विक इकाई के रूप में था।।बीबीसी हिन्दी।। बीबीसी संवाददाता, लंदन:ममता गुप्ता और महबूब ख़ान उस समय मानवीय समय और स्थान जैसी कोई अवधारणा अस्तित्व में नहीं थी।।हिन्दुस्तान लाइव।।२७ अक्टूबर, २००९ महाविस्फोट सिद्धांत के अनुसार लगभग १३.७ अरब वर्ष पूर्व इस धमाके में अत्यधिक ऊर्जा का उत्सजर्न हुआ। यह ऊर्जा इतनी अधिक थी जिसके प्रभाव से आज तक ब्रह्मांड फैलता ही जा रहा है। सारी भौतिक मान्यताएं इस एक ही घटना से परिभाषित होती हैं जिसे महाविस्फोट सिद्धांत कहा जाता है। महाविस्फोट नामक इस महाविस्फोट के धमाके के मात्र १.४३ सेकेंड अंतराल के बाद समय, अंतरिक्ष की वर्तमान मान्यताएं अस्तित्व में आ चुकी थीं। भौतिकी के नियम लागू होने लग गये थे। १.३४वें सेकेंड में ब्रह्मांड १०३० गुणा फैल चुका था और क्वार्क, लैप्टान और फोटोन का गर्म द्रव्य बन चुका था। १.४ सेकेंड पर क्वार्क मिलकर प्रोटॉन और न्यूट्रॉन बनाने लगे और ब्रह्मांड अब कुछ ठंडा हो चुका था। हाइड्रोजन, हीलियम आदि के अस्तित्त्व का आरंभ होने लगा था और अन्य भौतिक तत्व बनने लगे थे। महाविस्फोट सिद्धान्त के आरंभ का इतिहास आधुनिक भौतिकी में जॉर्ज लिमेत्री ने लिखा हुआ है। लिमेत्री एक रोमन कैथोलिक पादरी थे और साथ ही वैज्ञानिक भी। उनका यह सिद्धान्त अल्बर्ट आइंसटीन के प्रसिद्ध सामान्य सापेक्षवाद के सिद्धांत पर आधारित था। महाविस्फोट सिद्धांत दो मुख्य धारणाओं पर आधारित होता है। पहला भौतिक नियम और दूसरा ब्रह्माण्डीय सिद्धांत। ब्रह्माण्डीय सिद्वांत के मुताबिक ब्रह्मांड सजातीय और समदैशिक (आइसोट्रॉपिक) होता है। १९६४ में ब्रिटिश वैज्ञानिक पीटर हिग्गस ने महाविस्फोट के बाद एक सेकेंड के अरबें भाग में ब्रह्मांड के द्रव्यों को मिलने वाले भार का सिद्धांत प्रतिपादित किया था, जो भारतीय वैज्ञानिक सत्येन्द्र नाथ बोस के बोसोन सिद्धांत पर ही आधारित था। इसे बाद में 'हिग्गस-बोसोन' के नाम से जाना गया। इस सिद्धांत ने जहां ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्यों पर से पर्दा उठाया, वहीं उसके स्वरूप को परिभाषित करने में भी मदद की।। दैट्स हिन्दी॥।१० सितंबर, २००८। इंडो-एशियन न्यूज सर्विस। .

नई!!: हिग्स बोसॉन और बिग बैंग सिद्धांत · और देखें »

मानक प्रतिमान

मूलभूत कणों का, आमान बोसॉनों (सबसे दायां स्तम्भ) के साथ मानक प्रतिमान। मानक प्रतिमान या मानक मॉडल, भौतिकशास्त्र का एक सिद्धान्त है जिसका संबंध विद्युत्-चुम्बकीय, दुर्बल तथा प्रबल नाभिकीय अन्तःक्रियाओं से है। ये ऐसी अन्तःक्रियाएँ हैं, जो कि ज्ञात उपपारमाण्विक कणों की गतिकी की व्याख्या करती हैं। इसका विकास बीसवीं सदी के मध्य से लेकर देर-सदी तक हुआ। ये कई हाथों से बुना हुआ एक पट है, जो कि कभी तो नई प्रायोगिक खोजों से आगे बढ़ा तो कभी सैद्धान्तिक प्रगतियों से। इसका विकास सही अर्थों में सहकार के साथ हुआ है, जो महाद्वीपों और दशकों में विस्तृत है। इसका आज का प्रारूप 1970 के दशक के मध्य में बना, जबकि क्वार्क का अस्तित्व सुनिश्चित किया गया। उसके बाद तो तल क्वार्क (1977), शीर्ष क्वार्क (1995) और टॉ क्वार्क (2000) की खोज ने मानक प्रतिमान की साख और बढ़ा दी। अधिक हाल की घटना के रूप में 2011-2012 में हिग्स बोसॉन की खोज ने इसके सारे अनुमानित कणों का समुच्चय पूरा कर दिया है। प्रायोगिक परिणामों की दीर्घ शृंख्ला की सफलतापूर्वक व्याख्या कररने के कारण मानक प्रतिमान को कभी कभी "लगभग सबकुछ का सिद्धान्त" भी कहा जाता है। मानक प्रतिमान मौलिक अन्तःक्रियाओं का सम्पूर्ण सिद्धान्त होते होते रह जाता है, क्योंकि इसमें से गुरुत्वाकर्षण का समूचा सिद्धान्त ही गायब है, साथ ही यह विश्व के त्वरित विस्तार की भविष्यवाणी भी नहीं करता है (जैसा कि अन्धकार-ऊर्जा द्वारा वर्णित है)। .

नई!!: हिग्स बोसॉन और मानक प्रतिमान · और देखें »

मूलकण

मूलभूत कणों का मानक मॉडल भौतिकी में मूलकण (elementary particle) वे कण हैं, जिनकी कोई उपसंरचना ज्ञात नहीं है। यह किन कणों से मिलकर बना है, अज्ञात है। मूलकण ब्रह्माण्ड की आधारभूत संरचना है, समस्त ब्रह्माण्ड इन्ही मूलभूत कणों से मिलकर बना है। कण भौतिकी के मानक मॉडल (standard model) के अनुसार क्वार्क, लेप्टॉन और गेज बोसॉन मूलकण है। .

नई!!: हिग्स बोसॉन और मूलकण · और देखें »

यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन

सर्न (Organisation Européenne pour la Recherche Nucléaire या CERN (फ़्रान्सीसी में) .

नई!!: हिग्स बोसॉन और यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन · और देखें »

लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर

लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर या वृहद हैड्रॉन संघट्टक (Large Hadron Collider; LHC के रूप में संक्षेपाक्षरित) विश्व का सबसे विशाल और शक्तिशाली कण त्वरक है। यह सर्न की महत्वाकांक्षी परियोजना है। यह जेनेवा के समीप फ़्रान्स और स्विट्ज़रलैण्ड की सीमा पर ज़मीन के नीचे स्थित है। इसकी रचना २७ किलोमीटर परिधि वाले एक छल्ले-नुमा सुरंग में हुई है, जिसे आम भाषा में लार्ड ऑफ द रिंग कहा जा रहा है। इसी सुरंग में इस त्वरक के चुम्बक, संसूचक (डिटेक्टर), बीम-लाइन एवं अन्य उपकरण लगे हैं। सुरंग के अन्दर दो बीम पाइपों में दो विपरीत दिशाओं से आ रही ७ TeV (टेरा एले़ट्रान वोल्ट्) की प्रोट्रॉन किरण-पुंजों (बीम) को आपस में संघट्ट (टक्कर) किया जायेगा जिससे वही स्थिति उत्पन्न की जायेगी जो ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के समय बिग बैंग के रूप में हुई थी। ग्यातव्य है कि ७ TeV उर्जा वाले प्रोटॉन का वेग प्रकाश के वेग के लगभग बराबर होता है। एल एच सी की सहायता से किये जाने वाले प्रयोगों का मुख्य उद्देश्य स्टैन्डर्ड मॉडेल की सीमाओं एवं वैधता की जाँच करना है। स्टैन्डर्ड मॉडेल इस समय कण-भौतिकी का सबसे आधुनिक सैद्धान्तिक व्याख्या या मॉडल है। १० सितंबर २००८ को पहली बार इसमें सफलता पूर्वक प्रोटान धारा प्रवाहित की गई। इस परियोजना में विश्व के ८५ से अधिक देशों नें अपना योगदान किया है। परियोजना में ८००० भौतिक वैज्ञानिक कार्य कर रहे हैं जो विभिन्न देशों, या विश्वविद्यालयों से आए हैं। प्रोटॉन बीम को त्वरित (accelerate) करने के लिये इसके कुछ अवयवों (जैसे द्विध्रुव (डाइपोल) चुम्बक, चतुर्ध्रुव (quadrupole) चुमबक आदि) का तापमान लगभग 1.90केल्विन या -२७१.२५0सेन्टीग्रेड तक ठंडा करना आवश्यक होता है ताकि जिन चालकों (conductors) में धारा बहती है वे अतिचालकता (superconductivity) की अवस्था में आ जांय और ये चुम्बक आवश्यक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न कर सकें।"".

नई!!: हिग्स बोसॉन और लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर · और देखें »

सीएमएस प्रयोग

सीएमएस या कॉम्पैक्ट म्यूऑन सोलेनोइड या सुसम्बद्ध म्यूऑन परिनालिका प्रयोग स्विट्जरलैंड और फ्रान्स में सर्न में स्थित लार्ज हैड्रान कोलाइडर (एलएचसी) पर बने दो बृहद् व्यापक प्रयोजन कण भौतिकी संसूचकों में से एक है। सीएमएस प्रयोग का उद्देश्य हिग्स बोसॉन, अधि-विमाएं, अदृश्य पदार्थ के लिए उत्तरदायी कणों के आविष्कार सहित भौतिकी की एक विस्तृत परास का पता लगाना है। सीएमएस का भार १२,५०० टन, लम्बाई २५ मीटर और व्यास १५ मीटर है। लगभग ४३०० लोग इस प्रयोग में कार्य करते हैं जिनमें से १५३५ छात्र हैं, इस प्रयोग में ४१ देशों की १७९ संस्थाएं काम शामिल हैं। इस प्रयोग का निर्माण १४ टेराइलेक्ट्रॉन वोल्ट (TeV) द्रव्यमान केन्द्र ऊर्जा पर प्रत्येक २५ नैनोसैकण्ड (ns) पश्चात प्रेक्षषित करने के लिए किया गया लेकिन २०११ तक केवल 7 TeV पर ही कार्य किया गया जबकि २०१२ में यह ऊर्जा 8 TeV थी। .

नई!!: हिग्स बोसॉन और सीएमएस प्रयोग · और देखें »

गेरार्डस 'टी हूफ्ट

विख्यात विज्ञानिक।.

नई!!: हिग्स बोसॉन और गेरार्डस 'टी हूफ्ट · और देखें »

कण त्वरक

'''इन्डस-२''': भारत (इन्दौर) का 2.5GeV सिन्क्रोट्रान विकिरण स्रोत (SRS) कण-त्वरक एसी मशीन है जिसके द्वारा आवेशित कणों की गतिज ऊर्जा बढाई जाती हैं। यह एक ऐसी युक्ति है, जो किसी आवेशित कण (जैसे इलेक्ट्रान, प्रोटान, अल्फा कण आदि) का वेग बढ़ाने (या त्वरित करने) के काम में आती हैं। वेग बढ़ाने (और इस प्रकार ऊर्जा बढाने) के लिये वैद्युत क्षेत्र का प्रयोग किया जाता है, जबकि आवेशित कणों को मोड़ने एवं फोकस करने के लिये चुम्बकीय क्षेत्र का प्रयोग किया जाता है। त्वरित किये जाने वाले आवेशित कणों के समूह या किरण-पुंज (बीम) धातु या सिरैमिक के एक पाइप से होकर गुजरती है, जिसमे निर्वात बनाकर रखना पड़ता है ताकि आवेशित कण किसी अन्य अणु से टकराकर नष्ट न हो जायें। टीवी आदि में प्रयुक्त कैथोड किरण ट्यूब (CRT) भी एक अति साधारण कण-त्वरक ही है। जबकि लार्ज हैड्रान कोलाइडर विश्व का सबसे विशाल और शक्तिशाली कण त्वरक है। कण त्वरकों का महत्व इतना है कि उन्हें 'अनुसंधान का यंत्र' (इंजन्स ऑफ डिस्कवरी) कहा जाता है। .

नई!!: हिग्स बोसॉन और कण त्वरक · और देखें »

कण भौतिकी

कण भौतिकी, भौतिकी की एक शाखा है जिसमें मूलभूत उप परमाणविक कणो के पारस्परिक संबन्धो तथा उनके अस्तित्व का अध्ययन किया जाता है, जिनसे पदार्थ तथा विकिरण निर्मित हैं। हमारी अब तक कि समझ के अनुसार कण क्वांटम क्षेत्रों के उत्तेजन (excitations) हैं। दूसरे कणों के साथ इनकी अन्तःक्रिया की अपनी गतिकी है। कण भौतिकी के क्षेत्र में अधिकांश रुचि मूलभूत क्षेत्रों (fundamental fields) में है। मौलिक क्षेत्रों और उनकी गतिशीलताओ के सार को सिद्धान्त के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसिलिये कण भौतिकी में अधिकतर स्टैंडर्ड मॉडल (Standard Model) के मूल कणों तथा उनके सम्भावित विस्तार के बारे में अध्यन किया जाता है। .

नई!!: हिग्स बोसॉन और कण भौतिकी · और देखें »

अब्दुस सलाम

अब्दुस सलाम (1926-1996) विख्यात पाकिस्तानी सैद्धांतिक भौतिकविद थे। वह एक अहमदिया थे। नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक डॉक्टर अब्दुस सलाम पाकिस्तान के पहले और अकेले वैज्ञानिक हैं जिन्हे फिज़िक्स के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया है। सलाम 1960 से 1974 तक पाकिस्तान सरकार के एक शीर्ष स्तर के विज्ञान सलाहकार थे, इस स्थिति से उन्होंने देश के विज्ञान के बुनियादी ढांचे के विकास में एक प्रमुख और प्रभावशाली भूमिका निभाई। सलम न केवल सैद्धांतिक और कण भौतिकी में प्रमुख विकास में योगदान करने के लिए जिम्मेदार था, बल्कि अपने देश में उच्च क्षमता वाले वैज्ञानिक अनुसंधान के विस्तार और गहराई को बढ़ावा देने के लिए भी जिम्मेदार था। वह अंतरिक्ष और ऊपरी वायुमंडल अनुसंधान आयोग (एसयूपीआरसीओ) के संस्थापक निदेशक थे और पाकिस्तान परमाणु ऊर्जा आयोग (पीएएसी) में सैद्धांतिक भौतिकी समूह (टीपीजी) की स्थापना के लिए जिम्मेदार थे। विज्ञान सलाहकार के रूप में, सलम ने परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के पाकिस्तान के विकास में एक अभिन्न भूमिका निभाई और 1972 में पाकिस्तान के परमाणु बम परियोजना के विकास के लिए योगदान दिया हो सकता है; इसके लिए उन्हें "वैज्ञानिक पिता " 1974 में, अब्दुस सलाम ने अपने देश से विरोध प्रदर्शन किया, जब पाकिस्तान संसद ने एक विवादास्पद संसदीय विधेयक पारित कर दिया, जो घोषित करते हुए कि अहमदिया आंदोलन के सदस्यों को, जो सलम का था, मुसलमान नहीं थे। 1998 में, देश के परमाणु परीक्षणों के बाद, पाकिस्तान सरकार ने सलाम की सेवाओं का सम्मान करने के लिए "पाकिस्तान के वैज्ञानिक" के एक हिस्से के रूप में एक स्मारक टिकट जारी किया था। सलम की प्रमुख और उल्लेखनीय उपलब्धियों में पैटी-सलम मॉडल, चुंबकीय फोटॉन, वेक्टर मेसन, ग्रांड यूनिफाइड थ्योरी, सुपरसमीमिति पर काम और सबसे महत्वपूर्ण बात, इलेक्ट्रोविक सिद्धांत शामिल हैं, जिसके लिए उन्हें भौतिक विज्ञान में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार - नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सलम ने क्वांटम फील्ड थियरी में और इंपीरियल कॉलेज लंदन में गणित की उन्नति में एक बड़ा योगदान दिया। अपने छात्र के साथ, रियाजुद्दीन, सलम ने न्यूट्रीनों, न्यूट्रॉन तारे और ब्लैक होल पर आधुनिक सिद्धांत में महत्वपूर्ण योगदान दिया, साथ ही साथ क्वांटम यांत्रिकी और क्वांटम फील्ड थ्योरी के आधुनिकीकरण पर काम किया। एक शिक्षक और विज्ञान के प्रमोटर के रूप में, सलाम को राष्ट्रपति के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान में गणितीय और सैद्धांतिक भौतिकी के संस्थापक और वैज्ञानिक पिता के रूप में याद किया गया था। सलाम ने दुनिया में भौतिक विज्ञान के लिए पाकिस्तानी भौतिकी के उदय में भारी योगदान दिया। यहां तक ​​कि उनकी मृत्यु के कुछ समय पहले भी, सलम ने भौतिकी में योगदान जारी रखा और तीसरी दुनिया के देशों में विज्ञान के विकास के लिए अधिवक्ता बने। .

नई!!: हिग्स बोसॉन और अब्दुस सलाम · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

हिग्स क्षेत्र, गॉड पार्टिकल, अदृश्य हिग्स बोसॉन

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »