1 संबंध: स्वरग्रंथि।
स्वरग्रंथि
स्वरग्रंथि (larynx) और उस के भीतरी अंग, जैसे स्वर-रज्जु (vocal cords) स्वरग्रंथि या स्वरयंत्र मनुष्यों और अन्य स्तनधारी जीवों के गले में मौजूद एक ग्रंथि (आर्गन) होती है जिस के प्रयोग से यह जीव भिन्न प्रकार की ध्वनियों में बोल पाते हैं। स्वरग्रंथि के अन्दर बहुत से स्वर-रज्जु (वोकल कार्ड) होते हैं। जब इन स्वर-रज्जुओं के ऊपर से हवा का तेज़ बहाव होता है तब इनकी कंपकंपी से अलग-अलग ध्वनियों की आवाज़ पैदा होती है, ठीक उसी तरह जैसे किसी सितार की तारों के कंपन से विभिन्न सुरों का संगीत पैदा होता है। .
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