लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
इंस्टॉल करें
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

सोम

सूची सोम

सोम वेदों में वर्णित एक विषय है जिसका(वैदिक संस्कृत में) प्रमुख अर्थ उल्लास, सौम्यता और चन्द्रमा है। ऋग्वेद और सामवेद में इसका बार-बार उल्लेख मिलता है। ऋग्वेद के 'सोम मण्डल' में ११४ सूक्त हैं, जिनमे १०९७ मंत्र हैं - जो सोम के ऊर्जादायी गुण का वर्णन करते हैं। पाश्चात्य विद्वानों ने इस सोम को अवेस्ता-भाषा में लिखे, 'होम' से जोड़ा है जो प्राचीन ईरानी-आर्य लोगों का पेय था। सनातन परंपरा में वेदों के व्याखान के लिए प्रयुक्त निरुक्त में सोम को दो अर्थों बताया गया है । पहले सोम को एक औषधि कहा गया है जो स्वादिष्ट और मदिष्ट (नंदप्रद) है, और दूसरे इसको चन्द्रमा कहा गया है। इन दोनो अर्थों को दर्शाने के लिए ये दो मंत्र हैं: स्वादिष्ठया मदिष्ठया पवस्व सोम धारया। इन्द्राय पातवे सुतः। । (ऋक् ९.१.१, सामवेद १) सोमं मन्यते पपिवान्यत्सम्पिषन्त्योषधिम्। सोमं यं ब्रह्माणो विदुर्न तस्याश्नाति कश्चन। । (ऋक् १०.८५.३) निरूक्त में ही ओषधि का अर्थ उष्मा धोने वाला यानि क्लेश धोने वाला है। सोमलता, सौम्यता के अर्थों में बहुधा प्रयुक्त सोम शब्द के वर्णन में इसका निचोड़ा-पीसा जाना, इसका जन्मना (या निकलना, सवन) और इंद्र द्वारा पीया जाना प्रमुख है। अलग-अलग स्थानों पर इंद्र का अर्थ आत्मा, राजा, ईश्वर, बिजली आदि है। श्री अरविन्द, कपाली शास्त्री आदि जैसे विद्वानों ने सोम का अर्थ श्रमजनित आनंद बताया है। मध्वाचार्य परंपरा में सोम का अर्थात श्रीकृष्ण लिखा है। सामवेद के लगभग एक चौथाई मंत्र पवमान सोम के विषय में है, पवमान सोम का अर्थ हुआ - पवित्र करने वाला सोम। .

5 संबंधों: सामवेद संहिता, संस्कृत भाषा, अरविन्द घोष, अवेस्ता, ऋग्वेद

सामवेद संहिता

सामवेद भारत के प्राचीनतम ग्रंथ वेदों में से एक है, गीत-संगीत प्रधान है। प्राचीन आर्यों द्वारा साम-गान किया जाता था। सामवेद चारों वेदों में आकार की दृष्टि से सबसे छोटा है और इसके १८७५ मन्त्रों में से ६९ को छोड़ कर सभी ऋगवेद के हैं। केवल १७ मन्त्र अथर्ववेद और यजुर्वेद के पाये जाते हैं। फ़िर भी इसकी प्रतिष्ठा सर्वाधिक है, जिसका एक कारण गीता में कृष्ण द्वारा वेदानां सामवेदोऽस्मि कहना भी है। सामवेद यद्यपि छोटा है परन्तु एक तरह से यह सभी वेदों का सार रूप है और सभी वेदों के चुने हुए अंश इसमें शामिल किये गये है। सामवेद संहिता में जो १८७५ मन्त्र हैं, उनमें से १५०४ मन्त्र ऋग्वेद के ही हैं। सामवेद संहिता के दो भाग हैं, आर्चिक और गान। पुराणों में जो विवरण मिलता है उससे सामवेद की एक सहस्त्र शाखाओं के होने की जानकारी मिलती है। वर्तमान में प्रपंच ह्रदय, दिव्यावदान, चरणव्युह तथा जैमिनि गृहसूत्र को देखने पर १३ शाखाओं का पता चलता है। इन तेरह में से तीन आचार्यों की शाखाएँ मिलती हैं- (१) कौमुथीय, (२) राणायनीय और (३) जैमिनीय। .

नई!!: सोम और सामवेद संहिता · और देखें »

संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

नई!!: सोम और संस्कृत भाषा · और देखें »

अरविन्द घोष

अरविन्द घोष या श्री अरविन्द (बांग्ला: শ্রী অরবিন্দ, जन्म: १८७२, मृत्यु: १९५०) एक योगी एवं दार्शनिक थे। वे १५ अगस्त १८७२ को कलकत्ता में जन्मे थे। इनके पिता एक डाक्टर थे। इन्होंने युवा अवस्था में स्वतन्त्रता संग्राम में क्रान्तिकारी के रूप में भाग लिया, किन्तु बाद में यह एक योगी बन गये और इन्होंने पांडिचेरी में एक आश्रम स्थापित किया। वेद, उपनिषद ग्रन्थों आदि पर टीका लिखी। योग साधना पर मौलिक ग्रन्थ लिखे। उनका पूरे विश्व में दर्शन शास्त्र पर बहुत प्रभाव रहा है और उनकी साधना पद्धति के अनुयायी सब देशों में पाये जाते हैं। यह कवि भी थे और गुरु भी। .

नई!!: सोम और अरविन्द घोष · और देखें »

अवेस्ता

जिस भाषा के माध्यम का आश्रय लेकर जरथुस्त्र धर्म (पारस इरान) का मूल धर्म) का विशाल साहित्य निर्मित हुआ है उसे अवेस्ता कहते हैं। अवेस्ता या "ज़ेंद अवेस्ता" नाम से भी धार्मिक भाषा और धर्म ग्रंथों का बोध होता है। उपलब्ध साहित्य में इसका प्रमाण नहीं मिलता कि पैंगंबर अथवा उनके समकालीन अनुयायियों के लेखन अथवा बोलचाल की भाषा का नाम क्या था। परंतु परंपरा से यह सिद्ध है कि उस भाषा और साहित्य का भी नाम "अविस्तक" था। अनुमान है कि इस शब्द के मूल में "विद्" (जानना) धातु है जिसका अभिप्राय ज्ञान अथवा बुद्धि है। .

नई!!: सोम और अवेस्ता · और देखें »

ऋग्वेद

ऋग्वेद सनातन धर्म का सबसे आरंभिक स्रोत है। इसमें १०२८ सूक्त हैं, जिनमें देवताओं की स्तुति की गयी है इसमें देवताओं का यज्ञ में आह्वान करने के लिये मन्त्र हैं, यही सर्वप्रथम वेद है। ऋग्वेद को इतिहासकार हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की अभी तक उपलब्ध पहली रचनाऔं में एक मानते हैं। यह संसार के उन सर्वप्रथम ग्रन्थों में से एक है जिसकी किसी रूप में मान्यता आज तक समाज में बनी हुई है। यह एक प्रमुख हिन्दू धर्म ग्रंथ है। ऋक् संहिता में १० मंडल, बालखिल्य सहित १०२८ सूक्त हैं। वेद मंत्रों के समूह को सूक्त कहा जाता है, जिसमें एकदैवत्व तथा एकार्थ का ही प्रतिपादन रहता है। ऋग्वेद में ही मृत्युनिवारक त्र्यम्बक-मंत्र या मृत्युंजय मन्त्र (७/५९/१२) वर्णित है, ऋग्विधान के अनुसार इस मंत्र के जप के साथ विधिवत व्रत तथा हवन करने से दीर्घ आयु प्राप्त होती है तथा मृत्यु दूर हो कर सब प्रकार का सुख प्राप्त होता है। विश्व-विख्यात गायत्री मन्त्र (ऋ० ३/६२/१०) भी इसी में वर्णित है। ऋग्वेद में अनेक प्रकार के लोकोपयोगी-सूक्त, तत्त्वज्ञान-सूक्त, संस्कार-सुक्त उदाहरणतः रोग निवारक-सूक्त (ऋ०१०/१३७/१-७), श्री सूक्त या लक्ष्मी सूक्त (ऋग्वेद के परिशिष्ट सूक्त के खिलसूक्त में), तत्त्वज्ञान के नासदीय-सूक्त (ऋ० १०/१२९/१-७) तथा हिरण्यगर्भ सूक्त (ऋ०१०/१२१/१-१०) और विवाह आदि के सूक्त (ऋ० १०/८५/१-४७) वर्णित हैं, जिनमें ज्ञान विज्ञान का चरमोत्कर्ष दिखलाई देता है। ऋग्वेद के विषय में कुछ प्रमुख बातें निम्नलिखित है-.

नई!!: सोम और ऋग्वेद · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

सोमरस

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »