15 संबंधों: चिष्तिया तरीक़ा, नक़्षबंदिया, बसरा, मुहम्मद, मोइनुद्दीन चिश्ती, सूफ़ी संत, सोहरावर्दी, हाफ़िज़ शिराज़ी, जलालुद्दीन रूमी, ख़्वाजा फ़रीदउद्दीन अ़त्तार, इराक़, इस्लाम, कलंदरिया, कादिरी संप्रदाय, अल ग़ज़ाली।
चिष्तिया तरीक़ा
चिश्तिया सूफ़ीवाद का एक संप्रदाय है। यह सन 930 के आस-पास अफगानिस्तान के एक गाँव चिश्त में शुरू हुआ। यह संप्रदाय प्यार, सहनशीलता और खुलेपन पर अपने बल के कारण प्रसिद्ध है। .
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नक़्षबंदिया
नक्शवंदिया सूफ़ीवाद का एक घराना है। श्रेणी:सूफ़ीवाद श्रेणी:इस्लाम.
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बसरा
बसरा बसरा इराक का तीसरा सबसे बड़ा नगर एवं महत्वपूर्ण बंदरगाह है। यह बसरा प्रान्त की राजधानी भी है। फारस की खाड़ी से 75 मील दूर तथा बगदाद से 280 मील दूर दक्षिण-पूर्वी भाग में दज़ला और फरात नदियों के मुहाने पर बसा हुआ है। स्थिति - 30 डिग्री 30मिनट उत्तरी अक्षांश तथा तथा 47 डिग्री 50 मिनट पूर्वी देशान्तर। बसरा से देश की 90 प्रतिशत वस्तुओं का निर्यात किया जाता है। यहाँ से ऊन, कपास, खजूर, तेल, गोंद, गलीचे तथा जानवर निर्यात किए जाते हैं। जनसंख्या में अधिकांश अरब, यहूदी, अमरीकी, ईरानी तथा भारतीय हैं। .
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मुहम्मद
हज़रत मुहम्मद (محمد صلی اللہ علیہ و آلہ و سلم) - "मुहम्मद इब्न अब्दुल्लाह इब्न अब्दुल मुत्तलिब" का जन्म सन ५७० ईसवी में हुआ था। इन्होंने इस्लाम धर्म का प्रवर्तन किया। ये इस्लाम के सबसे महान नबी और आख़िरी सन्देशवाहक (अरबी: नबी या रसूल, फ़ारसी: पैग़म्बर) माने जाते हैं जिन को अल्लाह ने फ़रिश्ते जिब्रईल द्वारा क़ुरआन का सन्देश' दिया था। मुसलमान इनके लिये परम आदर भाव रखते हैं। .
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मोइनुद्दीन चिश्ती
ख़्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिष्ती: भारत के सूफी संत हैं। जिन की मज़ार अजमेर शहर में है। यह माना जाता है कि मोइनुद्दीन चिश्ती का जन्म ५३६ हिज़री संवत् अर्थात ११४१ ई॰ पूर्व पर्षिया के सीस्तान क्षेत्र में हुआ। अन्य खाते के अनुसार उनका जन्म ईरान के इस्फ़हान नगर में हुआ। इन को हज़्रत ख्वाजा गरीब नवाज़ के नाम से भी पुकारा जाता है। ग़रीब नवाज़ इन को लोगों से दिया गया लक़ब है। .
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सूफ़ी संत
सूफ़ीवाद का पालन करने वाले संत सूफ़ी संत कहलाते हैं। यह इस्लाम धर्म की उदारवादी शाखा है। सूफी संत, ईश्वर की याद में ऐसे खोए होते हैं कि उनका हर कर्म सिर्फ ईश्वर के लिए होता है और स्वयं के लिए किया गया हर कर्म उनके लिए वर्जित होता है, इसलिए संसार की मोहमाया उन्हें विचलित नहीं कर पाती। सूफी संत एक ईश्वर में विश्वास रखते हैं तथा भौतिक सुख-सुविधाओं को त्याग कर धार्मिक सहिष्णुता और मानव-प्रेम तथा भाईचारे पर विशेष बल देते हैं। राबिया बसरी (जो स्वयं प्रख्यात सूफ़ी हुई हैं) कहती हैं- हेे ईश्वर, अगर मैं नर्क के डर से तेरी इबादत करूं तो मुझे उसी नर्क में डाल दे और अगर मैं स्वर्ग के लालच में इबादत करूं तो मुझे कभी भी स्वर्ग नहीं देना। (source: www.sufiyana.com) श्रेणी:इस्लाम.
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सोहरावर्दी
सूफ़ीवाद का एक घराना। श्रेणी:सूफ़ीवाद श्रेणी:इस्लाम.
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हाफ़िज़ शिराज़ी
ख़्वाजा शम्स-अल-दीन (शम्सुद्दीन) मोहम्मद हाफ़िज़ शिराज़ी (फ़ारसी: خواجه شمسالدین محمد حافظ شیرازی, १३२५-१३८९) एक विचारक और कवि थे जो अपनी फ़ारसी ग़जलों के लिए जाने जाते हैं। उनकी कविताओं में रहस्यमय प्रेम और भक्ति का मिला जुला असर दिखता है जिसे सूफ़ीवाद के एक स्तंभ के रूप में देखा जाता है। उनकी ग़ज़लों का दीवान (कविता संग्रह), ईरान में, हर घर में पाई जाने वाली किताबों में से एक है और लगभग सभी भाषाओं में अनूदित हो चुका है। उनकी मज़ार ईरान के शिराज़ शहर में स्थित है जहाँ उन्होने अपना पूरा जीवन बिताया। .
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जलालुद्दीन रूमी
मौलाना मुहम्मद जलालुद्दीन रूमी (३० सितम्बर, १२०७) फारसी साहित्य के महत्वपूर्ण लेखक थे जिन्होंने मसनवी में महत्वपूर्ण योगदान किया। इन्होंने सूफ़ी परंपरा में नर्तक साधुओ (गिर्दानी दरवेशों) की परंपरा का संवर्धन किया। रूमी अफ़ग़ानिस्तान के मूल निवासी थे पर मध्य तुर्की के सल्जूक दरबार में इन्होंने अपना जीवन बिताया और कई महत्वपूर्ण रचनाएँ रचीं। कोन्या (मध्य तुर्की) में ही इनका देहांत हुआ जिसके बाद आपकी कब्र एक मज़ार का रूप लेती गई जहाँ आपकी याद में सालाना आयोजन सैकड़ों सालों से होते आते रहे हैं। रूमी के जीवन में शम्स तबरीज़ी का महत्वपूर्ण स्थान है जिनसे मिलने के बाद इनकी शायरी में मस्ताना रंग भर आया था। इनकी रचनाओं के एक संग्रह (दीवान) को दीवान-ए-शम्स कहते हैं। .
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ख़्वाजा फ़रीदउद्दीन अ़त्तार
ख्वाजा फरीदउद्दीन अत्तार (1145-1220) फ़ारस के नेशांपुर नगर के एक विद्वान थे जिनको सूफीवाद के तीन प्रमुख स्तंभों में गिना जाता है। आपने फ़ारसी भाषा का ग्रंथ मसनवी अत्तार लिखा था। प्रसिद्ध फ़ारसी सूफ़ी कवि रूमी वने इनकी तारीफ़ की थी। .
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इराक़
इराक़ पश्चिमी एशिया में स्थित एक जनतांत्रिक देश है जहाँ के लोग मुख्यतः मुस्लिम हैं। इसके दक्षिण में सउदी अरब और कुवैत, पश्चिम में जोर्डन और सीरिया, उत्तर में तुर्की और पूर्व में ईरान अवस्थित है। दक्षिण पश्चिम की दिशा में यह फ़ारस की खाड़ी से भी जुड़ा है। दजला नदी और फरात इसकी दो प्रमुख नदियाँ हैं जो इसके इतिहास को ५००० साल पीछे ले जाती हैं। इसके दोआबे में ही मेसोपोटामिया की सभ्यता का उदय हुआ था। इराक़ के इतिहास में असीरिया के पतन के बाद विदेशी शक्तियों का प्रभुत्व रहा है। ईसापूर्व छठी सदी के बाद से फ़ारसी शासन में रहने के बाद (सातवीं सदी तक) इसपर अरबों का प्रभुत्व बना। अरब शासन के समय यहाँ इस्लाम धर्म आया और बगदाद अब्बासी खिलाफत की राजधानी रहा। तेरहवीं सदी में मंगोल आक्रमण से बगदाद का पतन हो गया और उसके बाद की अराजकता के सालों बाद तुर्कों (उस्मानी साम्राज्य) का प्रभुत्व यहाँ पर बन गया २००३ से दिसम्बर २०११ तक अमेरिका के नेतृत्व में नैटो की सेना की यहाँ उपस्थिति बनी हुई थी जिसके बाद से यहाँ एक जनतांत्रिक सरकार का शासन है। राजधानी बगदाद के अलावा करबला, बसरा, किर्कुक तथा नजफ़ अन्य प्रमुख शहर हैं। यहाँ की मुख्य बोलचाल की भाषा अरबी और कुर्दी भाषा है और दोनों को सांवैधानिक दर्जा मिला है। .
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इस्लाम
इस्लाम (अरबी: الإسلام) एक एकेश्वरवादी धर्म है, जो इसके अनुयायियों के अनुसार, अल्लाह के अंतिम रसूल और नबी, मुहम्मद द्वारा मनुष्यों तक पहुंचाई गई अंतिम ईश्वरीय पुस्तक क़ुरआन की शिक्षा पर आधारित है। कुरान अरबी भाषा में रची गई और इसी भाषा में विश्व की कुल जनसंख्या के 25% हिस्से, यानी लगभग 1.6 से 1.8 अरब लोगों, द्वारा पढ़ी जाती है; इनमें से (स्रोतों के अनुसार) लगभग 20 से 30 करोड़ लोगों की यह मातृभाषा है। हजरत मुहम्मद साहब के मुँह से कथित होकर लिखी जाने वाली पुस्तक और पुस्तक का पालन करने के निर्देश प्रदान करने वाली शरीयत ही दो ऐसे संसाधन हैं जो इस्लाम की जानकारी स्रोत को सही करार दिये जाते हैं। .
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कलंदरिया
प्रथम संत अब्दुल अजीज मक्की को माना जाता है इनका शिष्य खिज्ररूमी कलंदर खपरादरी थे जिन्होंने चिश्तिया-कलंदरिया उपशाखा को जन्म दिया सूफ़ीवाद का एक घराना। .
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कादिरी संप्रदाय
कादरी संप्रदाय (अरबी: القادريه, फ़ारसी:قادریه, कादरी) सूफ़ियों का एक संप्रदाय है। इसका नाम अब्दुल क़ादिर जीलानी (1077–1166) के नाम पर रखा गया है जो गिलान के रहने वाले थे। यह संप्रदाय इस्लाम के मूलतत्व पर आधारित है। यह संप्रदाय अरबी बोलने वाले देशों के साथ-साथ तुर्की, इंडोनेशिया, अफ़ग़ानिस्तान, भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, बाल्कन, रूस, फ़लस्तीन, इज़राइल, चीनी जनवादी गणराज्य,Gladney, Dru.
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अल ग़ज़ाली
अबू हामिद मुहम्मद इब्न मुहम्मद अल-गज़ाली (ابو حامد محمد ابن محمد غزالی; c. 1058–1111), पश्चिम में अल-ग़ज़ाली या अलगाज़ेल के नाम से मशहूर, एक मुस्लिम तत्वग्नानी, सूफ़ी जो पर्शिया से थे। इस्लामी दुनिया में हज़रत मुहम्मद के बाद अगर कोई मुस्लिम समूह को आकर्शित किया या असर रुसूक़ किया तो वो अल-ग़ज़ाली' हैं। इस्लामी समूह में अल-ग़ज़ाली' को मुजद्दिद या पुनर्व्यवस्थीकरण करने वाला माना जाता है। इस्लामी समूह में माना जाता है कि हर शताब्द में एक मुजद्दिद जन्म लेते है, मुस्लिम समूह को धर्ममार्ग पर प्रेरेपित और उत्तेजित करते हैं। इन के कार्य और रचनाएं इतनी प्रबावशाली हैं कि लोग इन को "हुज्जतुल इस्लाम" (इस्लाम का सबूत) कहा करते हैं। .
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