9 संबंधों: दुर्लभ मृदा तत्व, परमाणु भार, परमाणु क्रमांक, मैग्नेशियम, रासायनिक तत्व, सोडियम, हाइड्रोजन, विद्युत अपघटन, कांच।
दुर्लभ मृदा तत्व
विरल मृदा या 'दुर्लभ मृदा धातुएँ' (रेअर अर्थ एलिमेण्ट्स) धातुओं के उन क्षारक ऑक्साइडों को कहते हैं जिनके तत्वों के आवर्त सारणी के तृतीय समूह में आते हैं। इनमें 15 तत्व हैं, जिनकी परमाणुसंख्या 57 और 71 के बीच है। ये ऐसे खनिजों में पाए जाते हैं जो कहीं कहीं ही और वह भी बड़ी अल्पमात्रा में ही, पाए जाते हैं। ऐसे खनिज स्कैंडिनेविया, साइबेरिया, ग्रीनलैंड, ब्राज़िल, भारत, श्रीलंका, कैरोलिना, फ्लोरिडा, आइडाहो आदि देशों में मिलते हैं। खनिजों से विरल मृदा का पृथक्करण कठिन, परिश्रमसाध्य और व्ययसाध्य होता है। अत: ये बहुत महँगे बिकते हैं। इस कारण इनका अध्ययन विस्तार से नहीं हो सका है। 1887 ई. में क्रूक्स (Crookes) इस परिणग पर पहुँचे थे कि विरल मृदा के तत्व वस्तुत: कई तत्वों के मिश्रण हैं। एक्स-रे वर्णपट के अध्ययन से ही इनके संबंध में निश्चित ज्ञान प्राप्त किया जा सका है। इनके नाम में लगा 'दुर्लभ मृदा' अब गलत माना जाने लगा है क्योंकि अब ज्ञात हो चुका है कि ये न तो 'दुर्लभ' हैं और न ही ये 'मृदा' (earths) हैं। भूगर्भ में ये अपेक्षाकृत 'अच्छी-खासी' मात्रा में पाये जाते हैं। यहाँ तक कि सिरियम (Ceriun), जो इस समूह का ही सदस्य है, २५वाँ सर्वाधिक पाया जाने वाला तत्व है। अर्थात यह लगभग ताँबा के समान ही पर्याप्त मात्रा में भूगर्भ में मौजूद है। हाँ, एक बात सत्य है कि भूगर्भ में ये एक जगह पर अधिक मात्रा में नहीं पाये जाते बल्कि थोड़ी-थोडी मात्रा में 'बिखरे' पड़े हैं। इस कारण इनका खनन और प्राप्ति आर्थिक रूप से महंगा है। सबसे पहले गैडोलिनाइट (gadolinite) नामक खनिज में ये पाये गये थे जो सिरियम, यिट्रियम, लोहा, सिलिकन और अन्य तत्वों का यौगिक था। यह खनिज स्वीडेन के येट्टरबी (Ytterby) नामक गाँव की एक खान से निकाली गयी थी। अधिकांश दुर्लभ मृदा तत्वों के नाम इसी स्थान के नाम से व्युत्पन्न नाम हैं।; आवर्त सारणी में दुर्लभ मृदा धातुएँ .
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परमाणु भार
किसी तत्व का परमाणु द्रव्यमान वह संख्या है जो यह प्रदर्शित करता है कि उस तत्व का एक परमाणु, प्रांगार के एक परमाणु के १/१२ वें भाग से कितना गुना भारी है। .
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परमाणु क्रमांक
रसायन विज्ञान एवं भौतिकी में सभी तत्वों का अलग-अलग परमाणु क्रमांक (atomic number) है जो एक तत्व को दूसरे तत्व से अलग करता है। किसी तत्व का परमाणु क्रमांक उसके तत्व के नाभिक में स्थित प्रोटॉनों की संख्या के बराबर होता है। इसे Z प्रतीक से प्रदर्शित किया जाता है। किसी आवेशरहित परमाणु पर एलेक्ट्रॉनों की संख्या भी परमाणु क्रमांक के बराबर होती है। रासायनिक तत्वों को उनके बढते हुए परमाणु क्रमांक के क्रम में विशेष रीति से सजाने से आवर्त सारणी का निर्माण होता है जिससे अनेक रासायनिक एवं भौतिक गुण स्वयं स्पष्ट हो जाते हैं।, American Institute of Physics .
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मैग्नेशियम
कोई विवरण नहीं।
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रासायनिक तत्व
रासायनिक तत्वों की आवर्त सारणी रासायनिक तत्व (या केवल तत्व) ऐसे उन शुद्ध पदार्थों को कहते हैं जो केवल एक ही तरह के परमाणुओं से बने होते हैं। या जो ऐसे परमाणुओं से बने होते हैं जिनके नाभिक में समान संख्या में प्रोटॉन होते हैं। सभी रासायनिक पदार्थ तत्वों से ही मिलकर बने होते हैं। हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, आक्सीजन, तथा सिलिकॉन आदि कुछ तत्व हैं। सन २००७ तक कुल ११७ तत्व खोजे या पाये जा चुके हैं जिसमें से ९४ तत्व धरती पर प्राकृतिक रूप से विद्यमान हैं। कृत्रिम नाभिकीय अभिक्रियाओं के परिणामस्वरूप उच्च परमाणु क्रमांक वाले तत्व समय-समय पर खोजे जाते रहे हैं। .
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सोडियम
सोडियम (Sodium; संकेत, Na) एक रासायनिक तत्त्व है। यह आवर्त सारणी के प्रथम मुख्य समूह का दूसरा तत्व है। इस समूह में में धातुगण विद्यमान हैं। इसके एक स्थिर समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या २३) और चार रेडियोसक्रिय समस्थानिक (द्रव्यमन संख्या २१, २२, २४, २४) ज्ञात हैं। .
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हाइड्रोजन
हाइड्रोजन पानी का एक महत्वपूर्ण अंग है शुद्ध हाइड्रोजन से भरी गैस डिस्चार्ज ट्यूब हाइड्रोजन (उदजन) (अंग्रेज़ी:Hydrogen) एक रासायनिक तत्व है। यह आवर्त सारणी का सबसे पहला तत्व है जो सबसे हल्का भी है। ब्रह्मांड में (पृथ्वी पर नहीं) यह सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। तारों तथा सूर्य का अधिकांश द्रव्यमान हाइड्रोजन से बना है। इसके एक परमाणु में एक प्रोट्रॉन, एक इलेक्ट्रॉन होता है। इस प्रकार यह सबसे सरल परमाणु भी है। प्रकृति में यह द्विआण्विक गैस के रूप में पाया जाता है जो वायुमण्डल के बाह्य परत का मुख्य संघटक है। हाल में इसको वाहनों के ईंधन के रूप में इस्तेमाल कर सकने के लिए शोध कार्य हो रहे हैं। यह एक गैसीय पदार्थ है जिसमें कोई गंध, स्वाद और रंग नहीं होता है। यह सबसे हल्का तत्व है (घनत्व 0.09 ग्राम प्रति लिटर)। इसकी परमाणु संख्या 1, संकेत (H) और परमाणु भार 1.008 है। यह आवर्त सारणी में प्रथम स्थान पर है। साधारणतया इससे दो परमाणु मिलकर एक अणु (H2) बनाते है। हाइड्रोजन बहुत निम्न ताप पर द्रव और ठोस होता है।।इण्डिया वॉटर पोर्टल।०८-३०-२०११।अभिगमन तिथि: १७-०६-२०१७ द्रव हाइड्रोजन - 253° से.
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विद्युत अपघटन
डेनियल सेल से मेल खाता हा एक विद्युतरासायनिक सेल रसायन विज्ञान एवं निर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) मे विद्युत अपघटन (electrolysis) उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसके द्वारा किसी रासायनिक यौगिक में विद्युत-धारा प्रवाहित करके उसके रासायनिक बन्धों को को तोड़ा जाता है। उदाहरण के लिये जल में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर जल, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन में विघटित हो जाता है जिसे जल का विद्युत अपघटन कहते हैं। विद्युत अपघटन के बहुत से उपयोग हैं। अयस्कों को प्रसंस्कारित करके उनमें निहित रासायनिक तत्व को शुद्ध करना एवं उसे अलग करना इसका सबसे महत्वपूर्ण औद्योगिक एवं व्यावसायिक उपयोग है। .
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कांच
स्वच्छ पारदर्शी कांच का बना प्रकाश बल्ब काच, काँच या कांच (glass) एक अक्रिस्टलीय ठोस पदार्थ है। कांच आमतौर भंगुर और अक्सर प्रकाशीय रूप से पारदर्शी होते हैं। काच अथव शीशा अकार्बनिक पदार्थों से बना हुआ वह पारदर्शक अथवा अपारदर्शक पदार्थ है जिससे शीशी बोतल आदि बनती हैं। काच का आविष्कार संसार के लिए बहुत बड़ी घटना थी और आज की वैज्ञानिक उन्नति में काच का बहुत अधिक महत्व है। किन्तु विज्ञान की दृष्टि से 'कांच' की परिभाषा बहुत व्यापक है। इस दृष्टि से उन सभी ठोसों को कांच कहते हैं जो द्रव अवस्था से ठण्डा होकर ठोस अवस्था में आने पर क्रिस्टलीय संरचना नहीं प्राप्त करते। सबसे आम काच सोडा-लाइम काच है जो शताब्दियों से खिड़कियाँ और गिलास आदि बनाने के काम में आ रहा है। सोडा-लाइम कांच में लगभग 75% सिलिका (SiO2), सोडियम आक्साइड (Na2O) और चूना (CaO) और अनेकों अन्य चीजें कम मात्रा में मिली होती हैं। काँच यानी SiO2 जो कि रेत का अभिन्न अंग है। रेत और कुछ अन्य सामग्री को एक भट्टी में लगभग 1500 डिग्री सैल्सियस पर पिघलाया जाता है और फिर इस पिघले काँच को उन खाँचों में बूंद-बूंद करके उंडेला जाता है जिससे मनचाही चीज़ बनाई जा सके। मान लीजिए, बोतल बनाई जा रही है तो खाँचे में पिघला काँच डालने के बाद बोतल की सतह पर और काम किया जाता है और उसे फिर एक भट्टी से गुज़ारा जाता है। .
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