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सरगुजा जिला

सूची सरगुजा जिला

सरगुजा भारतीय राज्य छत्तीसगढ़ का एक जिला है। जिले का मुख्यालय अम्बिकापुर है। भारत देश के छत्तीसगढ राज्य के उत्तर-पुर्व भाग में आदिवासी बहुल जिला सरगुजा स्थित है। इस जिले के उत्तर में उत्तरप्रदेश राज्य की सीमा है, जबकी पूर्व में झारखंड राज्य है। जिले के दक्षिणी क्षेत्र में छत्तीसगढ का रायगढ, कोरबा एवं जशपुर जिला है, जबकी इसके पश्चिम में कोरिया जिला है। .

34 संबंधों: चेन्द्रा ग्राम, ठिनठिनी पत्थर, डिपाडीह, तमोर पिंगला अभयारण्य, तातापानी, तकिया, सरगुजा, देवगढ, सरगुजा, नगर पालिका अध्यक्ष, पारदेश्वर शिव मंदिर, सरगुजा, बांक जल कुंड, बिलद्वार गुफा, सरगुजा, बेनगंगा जल प्रपात, भेडिया पत्थर जल प्रपात, महामाया मंदिर, महेशपुर, मैनपाट, रामगढ, रकसगण्डा जल प्रपात, लक्ष्मणगढ, शिवपुर, सरगुजा, सतमहला, सरगुजा जिला, सारासौर, सेदम जल प्रपात, सेमरसोत अभयारण्य, सीता लेखनी, ज़िला, जिलाधिकारी, कंदरी प्राचीन मंदिर, कुदरगढ, कैलाश गुफा, अम्बिकापुर, अर्जुनगढ, छत्तीसगढ़

चेन्द्रा ग्राम

अम्बिकापुर- रायगढ राजमार्ग़ पर 15 किमी की दुरी पर चेन्द्रा ग्राम स्थित हैं। इस ग्राम से उत्तर दिशा में तीन कि॰मी॰ की दुरी पर यह जल प्रपात स्थित हैं। इस जलप्रपात के पास ही वन विभाग का एक नर्सरी हैं, जहां विभिन्न प्रकार के पेड-पौधों को रोपित किया गया हैं। इस जल प्रपात में वर्ष भर पर्यटक प्राकृतिक सौन्दर्य का आनंद लेने जाते हैं। यहां पर एक तितली पार्क भी विकसित किया जा रहा है।.

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ठिनठिनी पत्थर

अम्बिकापुर नगर से 12 किलोमीटर की दुरी पर दरिमा हवाई अड्डा हैं। दरिमा हवाई अड्डा के पास बड़े - बड़े पत्थरों का समुह है। इन पत्थरों को किसी ठोस चीज से ठोकने पर आवाजे आती है। सर्वाधिक आश्चर्य की बात यह है कि ये आवाजे विभिन्न धातुओ की आती है। इनमे से किसी - किसी पत्थर खुले बर्तन को ठोकने के समान आवाज आती है। इस पत्थरों में बैठकर या लेटकर बजाने से भी इसके आवाज में कोइ अंतर नहीं पड़ता है। एक ही पत्थर के दो टुकडे अलग-अलग आवाज पैदा करते हैं। इस विलक्षणता के कारण इस पत्थरों को अंचल के लोग ठिनठिनी पत्थर कहते हैं।.

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डिपाडीह

डिपाडीह कनहर, सूर्या तथा गलफुला नदियों के संगम के किनारे बसा हुआ है। यह चारों ओर पहाडियों से घिरा मनोरम स्थान है। यहां चार पांच किलोमीटर के क्षेत्रफल में कई मन्दिरों के टिले है। मान्यता के अनुसार यहां पर आठ्वी शताब्दी में स्थापित कई मूर्तियां है उसमें प्रमुख रूप से भगवान शिव एवं देवी की मूर्तियां मिली है। ऐसा भी माना जाता है कि यह नौवीं शताब्दी में शैव सम्प्रदाय का साधना स्थल रहा होगा।.

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तमोर पिंगला अभयारण्य

1978 में स्थापित अम्बिकापुर-वाराणसी राजमार्ग के 72 कि.

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तातापानी

अम्बिकापुर-रामानुजगंज मार्ग पर अम्बिकापुर से लगभग 80 किलोमीटर दुर राजमार्ग से दो फलांग पश्चिम दिशा मे एक गर्म जल स्रोत है। इस स्थान से आठ से दस गर्म जल के कुन्ड है। इस गर्म जल के कुन्डो को सरगुजिया बोली मे तातापानी कहते है। ताता का अर्थ है- गर्म। इन गर्म जलकुंडो मे स्थानीय लोग एवं पर्यटक चावल ओर आलु को कपडे मे बांध कर पका लेते है तथा पिकनिक का आनंद उठाते है। इन कुन्डो के जल से हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी गन्ध आती है। एसी मान्यता है कि इन जल कुंडो मे स्नान करने व पानी पीने से अनेक चर्म रोग ठीक हो जाते है। इन दुर्लभ जल कुंडो को देखने के लिये वर्ष भर पर्यटक आते रहते है।.

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तकिया, सरगुजा

अम्बिकापुर नगर के उतर-पूर्व छोर पर तकिया ग्राम स्थित है इसी ग्राम में बाबा मुराद शाह, बाबा मुहम्मद शाह और उन्ही के पैर की ओर एक छोटी मजार उनके तोते की है यहां पर सभी धर्म के एवं सम्प्रदाय के लोग एक जुट होते हैं मजार पर चादर चढाते हैं और मन्नते मांगते है बाबा मुरादशाह अपने "मुराद" शाह नाम के अनुसार सबकी मुरादे पूरी करते हैं। इसी मजार के पास ही एक देवी का भी स्थान है इस प्रकार इस स्थान पर हिन्दू देवी देवता और मजार का एक ही स्थान पर होना धार्मिक एवं सामाजिक समन्वय का जीवंत उदाहरण है।.

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देवगढ, सरगुजा

अम्बिकापुर से लखंनपुर 28 किलोमीटर की दूरी पर है एवं लखंनपुर से 10 किलोमीटर की दूरी पर देवगढ स्थित है। देवगढ प्राचीन काल में ऋषि यमदग्नि की साधना स्थलि रही है। इस शिवलिंग के मध्यभाग पर शक्ति स्वरुप पार्वती जी नारी रूप में अंकित है। इस शिवलिंग को शास्त्रो में अर्द्ध नारीश्वर की उपाधि दी गई है। इसे गौरी शंकर मंदिर भी कहते हैं। देवगढ में रेणुका नदी के किनारे एकाद्श रुद्ध मंदिरों के भग्नावशेष बिखरे पडे है। देवगढ में गोल्फी मठ की संरचना शैव संप्रदाय से संबंधित मानी जाती है। इसके दर्शनीय स्थल, मंदिरो के भग्नावशेष, गौरी शंकर मंदिर, आयताकार भूगत शैली शिव मंदिर, गोल्फी मठ, पुरातात्विक कलात्मक मूर्तियां एवं प्राकृतिक सौंदर्य है।.

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नगर पालिका अध्यक्ष

किसी भी नगर पालिका का अध्यक्ष नगर पालिका अध्यक्ष कहलता है। नगर पालिका प्रशासन की उस इकाई को कहते हैं जिसके द्वारा नगर के प्रशासन की देखभाल होती है। अध्यक्ष का चुनाव जनता मतदान द्वारा करती है। इसे मेयर भी कहते है। श्रेणी:नगरपालिका.

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पारदेश्वर शिव मंदिर, सरगुजा

पारदेश्वर शिव मंदिर प्रतापपुर विकास खण्ड् से डेढ किलोमीटर दक्षिण की ओर बनखेता में मिशन स्कूल के निकट नदी किनारे स्थापित है। इस शिव मंदिर में लगभग 21 किलो शुद्ध पारे की एक मात्र अनोखी "पारद शिवलिंग" स्थापित है।.

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बांक जल कुंड

अम्बिकापुर से भैयाथान से अस्सी कि.मी की दूरी पर ओडगी विकासखंड है, यहां से 15 किलोमीटर की दुरी पर पहाडियों की तलहटी में बांक ग्राम बसा है। इसी ग्राम के पास रिहन्द नदी वन विभाग के विश्राम गृह के पास अर्द्ध चन्द्राकार बहती हुई एक विशाल जल कुंड का निर्माण करती है। इसे ही बांक जल कुंड कहा जाता है। यह जल कुंड अत्यंत गहरा है, जिसमें मछलियां पाई जाती है। यहां वर्ष भर पर्यटक मछलियों का शिकार करने एवं घुमनें आते हैं।.

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बिलद्वार गुफा, सरगुजा

यह गुफा शिवपुर के निकट अम्बिकापुर से एक घण्टे की दूरी पर है| इसमें अनेक प्राचीन मूर्तियां हैं| इसमें महान नामक एक नदी का पानी निकलता रहता है, वहीं इस नदी का उद्गम भी है| इस गुफा का दूसरा छोर महामाया मंदिर के निकट निकलता है|.

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बेनगंगा जल प्रपात

कुसमी- सामरी मार्ग पर सामरीपाट के जमीरा ग्राम के पूर्व -दक्षिण कोण पर पर्वतीय श्रृंखला के बीच बेनगंगा नदी का उदगम स्थान है। यहाँ साल वृक्षो के समूह में एक शिवलिंग भी स्थापित है। वनवासी लोग इसे सरना का नाम देते है और इस स्थान को पूजनीय मानते हैं। सरना कुंज के निचले भाग के एक जलस्त्रोत का उदगम होता है। यह जल दक्षिण दिशा की ओर बढता हुआ पहाडी के विशाल चट्टानो के बीच आकार जल प्रपात का रूप धारण करता है। प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण सघन वनों, चट्टानों को पार करती हुयी बेनगंगा की जलधारा श्रीकोट की ओर प्रवाहित होती है। गंगा दशहारा पर आस -पास के ग्रामीण एकत्रित होकर सरना देव एवं देवाधिदेव महादेव की पूजा - अर्चना करने के बाद रात्रि जागरण करते हैं। प्राकृतिक सुषमा से परिपूर्ण यह स्थान पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है।.

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भेडिया पत्थर जल प्रपात

कुसमी चान्दो मार्ग पर तीस किमी की दुरी पर ईदरी ग्राम है। ईदरी ग्राम से तीन किमी जंगल के बीच भेडिया पत्थर नामक जलप्रपात है। यहां भेडिया नाला का जल दो पर्वतो के सघन वन वृक्षो के बीच प्रवाहित होता हुआ ईदरी ग्राम के पास हजारो फीट की उंचाई पर पर्वत के मध्य मे प्रवेश कर विशाल चट्टानो.

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महामाया मंदिर

महामाया मन्दिर, कई स्थानों पर हैं, जिनमें से प्रमुख हैं-.

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महेशपुर

महेशपुर (अंग्रेजी:Maheshpur), नेपाल के मेची अंचल का झापा जिला का एक गांव विकास समिति है। यह जगह मैं २४२९ घर है। .

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मैनपाट

मैनपाट अम्बिकापुर से 75 किलोमीटर दुरी पर है इसे छत्तीसगढ का शिमला कहा जाता है। मैंनपाट विन्ध पर्वत माला पर स्थित है जिसकी समुद्र सतह से ऊंचाई 3781 फीट है इसकी लम्बाई 28 किलोमीटर और चौडाई 10 से 13 किलोमीटर है अम्बिकापुर से मैंनपाट जाने के लिए दो रास्ते हैं पहला रास्ता अम्बिकापुर-सीतापुर रोड से होकर जाता और दुसरा ग्राम दरिमा होते हुए मैंनपाट तक जाता है। प्राकृतिक सम्पदा से भरपुर यह एक सुन्दर स्थान है। यहां सरभंजा जल प्रपात, टाईगर प्वांइट तथा मछली प्वांइट प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। मैनपाट से ही रिहन्द एवं मांड नदी का उदगम हुआ है। मैनपाट में मेहता प्वांइट भी एक दर्शनीय स्थल है | इसे छत्तीसगढ का तिब्बत भी कहा जाता हैं। यहां तिब्बती लोगों का जीवन एवं बौध मंदिर आकर्षण का केन्द्र है। यहां पर एक सैनिक स्कूल भी प्रस्तावित है। यह कालीन और पामेरियन कुत्तो के लिये प्रसिद्ध है।.

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रामगढ

रामगढ़ झारखंड प्रान्त का एक जिला है। जो औपचारिक रूप से हिंदी सिनेमा फ़िल्म शोले की शूटिंग की वजह से.

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रकसगण्डा जल प्रपात

ओडगी विकासखंड में बिहारपुर के निकट बलंगी नामक स्थान के समीप स्थित रेंहड नदी पर्वत श्रृखला की उंचाई से गिरकर रकसगण्डा जल प्रपात का निर्माण करती है जिससे वहां एक संकरे कुंड का निर्माण होता हैं यह कुंड अत्यंत गहरा है। इस कुंड से एक सुरंग निकलकर लगभग 100 मीटर तक गई है। यह सुरंग जहां समाप्त होता है, वहां एक विशाल जलकुंड बन गया है। रकसगण्डा जल प्रपात अपनी विलक्षणता एवं प्राकृतिक सौंन्दर्य के कारण पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है। रियासत काल में अंग्रेज यहां मछलियों क शिकार करने जाया करते थे।.

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लक्ष्मणगढ

अम्बिकापुर से 40 किलोमीटर की दूरी पर लक्ष्मणगढ स्थित है। यह स्थान अम्बिकापुर - बिलासपुर मार्ग पर महेशपुर से 03 किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसा माना जाता है कि इसका नाम वनवास काल में श्री लक्ष्मण जी के ठहरने के कारण पडा। य़ह स्थान रामगढ के निकट ही स्थित है। यहां के दर्शनीय स्थल शिवलिंग (लगभग 2 फिट), कमल पुष्प, गजराज सेवित लक्ष्मी जी, प्रस्तर खंड शिलापाट पर कृष्ण जन्म और प्रस्तर खंडो पर उत्कीर्ण अनेक कलाकृतिय़ां है।.

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शिवपुर, सरगुजा

अम्बिकापुर से प्रतापपुर की दूरी 45 किलोमीटर है। प्रतापपुर से 04 किलोमीटर दूरी पर शिवपुर ग्राम के पास एक पहाडी की तलहटी में अत्यंत मनोरम प्राकृतिक वातावरण में एक प्राचीन शिव मंदिर है। इस पहाडी से एक जलस्त्रोत झरने के रूप में प्रवाहित होता है। यह झरना शिव लिंग पर गंगाधारा के रूप में प्रवाहित होता हुआ नीचे की ओर बहता है। इस मनोरम दृश्य को देखकर आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति होती है। इसे लोक शिवपुर तुर्रा भी कहते हैं। यह स्थान पवित्र माना जाता है एवं जन सामान्य द्वारा पूजित है। यहां पर महाशिव रात्रि पर मेला लगता है। शिवपुर तुर्रा को 1992में शासन द्वारा संरक्षित घोषित किया गया है।.

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सतमहला

अम्बिकापुर के दक्षिण में लखनपुर से लगभग दस कि॰मी॰ की दूरी पर कलचा ग्राम स्थित है, यहीं पर सतमहला नामक स्थान है। यहां सात स्थानों पर भग्नावशेष है। एक मान्यता के अनुसार यहां पर प्राचिन काल में सात विशाल शिव मंदिर थे, जबकि जनजातियों के अनुसार इस स्थान पर प्राचीन काल में किसी राजा का सप्त प्रांगण महल था। यहां पर दर्शनीय स्थल शिव मंदिर, षटभुजाकार कुंआ और सूर्य प्रतिमा है।.

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सरगुजा जिला

सरगुजा भारतीय राज्य छत्तीसगढ़ का एक जिला है। जिले का मुख्यालय अम्बिकापुर है। भारत देश के छत्तीसगढ राज्य के उत्तर-पुर्व भाग में आदिवासी बहुल जिला सरगुजा स्थित है। इस जिले के उत्तर में उत्तरप्रदेश राज्य की सीमा है, जबकी पूर्व में झारखंड राज्य है। जिले के दक्षिणी क्षेत्र में छत्तीसगढ का रायगढ, कोरबा एवं जशपुर जिला है, जबकी इसके पश्चिम में कोरिया जिला है। .

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सारासौर

अम्बिकापुर - बनारस रोड पर 40 किलोमीटर पर भैंसामुडा स्थान हैं। भैंसामुडा से भैयाथान रोड पर 15 किलोमीटर की दूरी पर महान नदी के तट पर सारासौर नामक स्थान हैं। यहां पर महान नदी दो पहाडियों के बीच से बहने वाली जलधारा के रूप में देखी जा सकती हैं। इस जलधारा के मध्य एक छोटा टापू है, जिस पर भव्य मंदिर निर्मित है जिंसमे देवी दुर्गा एवं सरस्वती की प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर को गंगाधाम के नाम से जाना जाता है।.

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सेदम जल प्रपात

अम्बिकापुर- रायगढ मार्ग पर अम्बिकापुर से 45 कि.मी की दूरी पर सेदम नाम का गांव है। इसके दक्षिण दिशा में दो कि॰मी॰ की दूरी पर पहाडियों के बीच एक सुन्दर झरना प्रवाहित होता है। इस झरना के गिरने वाले स्थान पर एक जल कुंड निर्मित है। यहां पर एक शिव मंदिर भी है। शिवरात्री पर सेदम गांव में मेला लगता है। इस झरना को राम झरना के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर्यटक वर्ष भर जाते हैं।.

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सेमरसोत अभयारण्य

1978 में स्थापित सेमरसोत अभयारण्य सरगुजा जिलें के पूर्वी वनमंडल में स्थित है। इसका क्षेत्रफल 430.361 वर्ग कि.

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सीता लेखनी

सुरजपुर तहसील के ग्राम महुली के पास एक पहाडी पर शैल चित्रों के साथ ही साथ अस्पष्ट शंख लिपि की भी जानकारी मिली है। ग्रामीण जनता इस प्राचीनतम लिपि को "सीता लेखनी" कहती है।.

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ज़िला

भारत के नागालैंड राज्य के ज़िले ज़िला (district, डिस्ट्रिक्ट​) कई देशों में पाई जाने वाली एक प्रशासनिक ईकाई होती है। ज़िलों के आकार में जगह-जगह का भारी अंतर होता है - कहीं तो कुछ गाँव जोड़कर ही ज़िला बनता है जबकि अन्य स्थानों पर विशाल भूक्षेत्र एक ही ज़िले में सम्मिलित होते हैं। भारत में हर ज़िला कई तालुकाओं, तहसीलों या प्रखण्डों को जोड़कर बनता है और कई ज़िलों को जोड़कर एक राज्य बनता है।, United Nations Human Settlements Programme, pp.

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जिलाधिकारी

जिलाधिकारी भारतीय प्रशासनिक सेवा का एक प्रमुख प्रशासनिक पद है। जिसे अंग्रेजी में "डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर" या फिर सिर्फ "कलेक्टर" के नाम से भी जाना जाता है भारत के प्रत्येक जिले का एक अपना उपायुक्त होता है। अंग्रेज शासन के दौरान सन 1772 में लोर्ड वॉरेन हेस्टिंग द्वारा बुनियादी रूप से नागरिक प्रशासन और 'भू राजस्व की वसूली' के लिए गठित 'जिलाधिकारी' का पद, अब राज्य के लोक-प्रशासन के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पदों में प्रमुख स्थान रखता है। 'जिलाधीश' और 'कलेक्टर' के रूप में जिले में राज्य सरकार का सर्वोच्च अधिकार संपन्न प्रतिनिधि या प्रथम लोक-सेवक होता है। जो मुख्य जिला विकास अधिकारी के रूप में सारे प्रमुख सरकारी विभागों- पंचायत एवं ग्रामीण विकास, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, आयुर्वेद, अल्पसंख्यक कल्याण, कृषि, भू-संरक्षण, शिक्षा, महिला अधिकारता, ऊर्जा, उद्योग, श्रम कल्याण, खनन, खेलकूद, पशुपालन, सहकारिता, परिवहन एवं यातायात, समाज कल्याण, सिंचाई, सार्वजनिक निर्माण विभाग, स्थानीय प्रशासन आदि के सारे कार्यक्रमों और नीतियों का प्रभावी क्रियान्वयन करवाने के लिए अपने जिले के लिए अकेले उत्तरदायी होता है। वह जिला मजिस्ट्रेट के रूप में पुलिस अधीक्षक के साथ प्रमुखतः जिले की संपूर्ण कानून-व्यवस्था का प्रभारी होता है और सभी तरह के चुनावों का मुख्य प्रबंधक भी। साथ ही वह जनगणना-आयोजक, प्राकृतिक-आपदा प्रबंधक, भू-राजस्व-वसूलीकर्ता, भूअभिलेख-संधारक, नागरिक खाद्य व रसद आपूर्ति-व्यस्थापक, ई-गतिविधि नियंत्रक, जनसमस्या-विवारणकर्ता, भी है। श्रेणी:नागरिक शास्त्र श्रेणी:भारतीय प्रशासनिक सेवा.

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कंदरी प्राचीन मंदिर

अम्बिकापुर- कुसमी- सामरी मार्ग पर 140 किलोमीटर की दूरी पर कंदरी ग्राम स्थित है। यहां पुरातात्विक महत्व का एक विशाल प्राचीन मंदिर है। अनेक पर्वो पर यहां मेले का आयोजन होता रहता है। यहां के दर्शनीय स्थल - अष्ट्धातु की श्री राम की मूर्ति, भगवान शिव की मूर्ति, श्री गणेश की मूर्ति, श्री जगन्नथ जी की काष्ठ मूर्ति और देवी दुर्गा की पीतल की कलात्मक मूर्ति और प्राकृतिक सौंदर्य है।.

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कुदरगढ

कुदरगढ सरगुजा जिले के भैयाथान के निकट एक पहाडी के शिखर पर स्थित है। यहां पर भगवती देवी का एक प्रसिद्ध मंदिर है, इस मंदिर के निकट तालाबों और एक किले का खंडहर है कहा जाता है कि यह किला विन्ध क्षेत्र के राजा बुलन्द का है कुदरगढ मे रामनवमीं के अवसर पर भारी भीड रहती है और इस समय यहां विशाल मेला लगता है।.

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कैलाश गुफा

अम्बिकापुर नगर से पूर्व दिशा में 60 किलोमीटर पर स्थित सामरबार नामक स्थान है, जहां पर प्राकृतिक वन सुषमा के बीच कैलाश गुफा स्थित है। इसे परम पूज्य संत रामेश्वर गहिरा गुरू जी नें पहाडी चटटानो को तराशंकर निर्मित करवाया है। महाशिवरात्रि पर विशाल मेंला लगता है। इसके दर्शनीय स्थल गुफा निर्मित शिव पार्वती मंदिर, बाघ माडा, बधद्र्त बीर, यज्ञ मंड्प, जल प्रपात, गुरूकुल संस्कृत विद्यालय, गहिरा गुरू आश्रम है।.

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अम्बिकापुर

अम्बिकापुर शहर, छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले का मुख्यालय है। इसका नाम हिन्दू देवी अम्बिका के नाम पर रखा गया है। जनश्रुतियों के अनुसार अम्बिकापुर का पुराना नाम बैकुण्ठपुर था। सरगुजा जिले के अन्य शहर हैं - रामगढ़, महेशपुर, कुदरगढ़, भैयाथान, मेनपाट, टाटापानी, पहाड़ इत्यादि। ज्पोइन्त ७९--.

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अर्जुनगढ

अर्जुंनगढ स्थान शंकरगढ विकासखंड के जोकापाट के बीहड जंगल में स्थित है। यहां प्राचीन कीले का भग्नावेष दिखाई पड्ता है। एक स्थान पर प्राचीन लंबी ईंटो का घेराव है। इस स्थान के नीचे गहरी खाई है, जहां से एक झरना बहता है। किवदंती है कि पहले एक सिद्धपुरूष का निवास था। इस पहाडी क्षेत्र मे एक गुफा है जिसे धिरिया लता गुफा के नाम से जाना जाता है। अर्जुनगढ मे प्राचीन पुरातात्विक पुरातात्विक महत्व के अवशेष आज भी देखनें को मिलते हैं। श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ भारत का एक राज्य है। छत्तीसगढ़ राज्य का गठन १ नवम्बर २००० को हुआ था। यह भारत का २६वां राज्य है। भारत में दो क्षेत्र ऐसे हैं जिनका नाम विशेष कारणों से बदल गया - एक तो 'मगध' जो बौद्ध विहारों की अधिकता के कारण "बिहार" बन गया और दूसरा 'दक्षिण कौशल' जो छत्तीस गढ़ों को अपने में समाहित रखने के कारण "छत्तीसगढ़" बन गया। किन्तु ये दोनों ही क्षेत्र अत्यन्त प्राचीन काल से ही भारत को गौरवान्वित करते रहे हैं। "छत्तीसगढ़" तो वैदिक और पौराणिक काल से ही विभिन्न संस्कृतियों के विकास का केन्द्र रहा है। यहाँ के प्राचीन मन्दिर तथा उनके भग्नावशेष इंगित करते हैं कि यहाँ पर वैष्णव, शैव, शाक्त, बौद्ध संस्कृतियों का विभिन्न कालों में प्रभाव रहा है। .

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