लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

संस्कृत ग्रन्थों की सूची और सुपद्मव्याकरण

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

संस्कृत ग्रन्थों की सूची और सुपद्मव्याकरण के बीच अंतर

संस्कृत ग्रन्थों की सूची vs. सुपद्मव्याकरण

निम्नलिखित सूची अंग्रेजी (रोमन) से मशीनी लिप्यन्तरण द्वारा तैयार की गयी है। इसमें बहुत सी त्रुटियाँ हैं। विद्वान कृपया इन्हें ठीक करने का कष्ट करे। . सुपद्मव्याकरण, आचार्य पद्मनाभदत्त द्वारा रचित एक संस्कृत व्याकरण ग्रन्थ है। पाणिनि के उत्तरवर्ती वैयाकरणों में आचार्य पद्मनाभदत्त का महत्त्वपूर्ण स्थान है।सुपद्मव्याकरण पाणिनीय अष्टाध्यायी के अनुकरण पर रचित एक लक्षण ग्रन्थ है। यह व्याकरण बंगाली वर्णमाला के अक्षरों में, विशेषकर बंगाल निवासियों के भाषाषाज्ञान के लिए लिखा है। पद्मनाभदत्त ने बंग प्रान्तीयों के लिए संस्कृत व्याकरण की जटिलता को दूर करके, सुगम्य बनाने के लिए बंगाली लिपि में सुपद्मव्याकरण की रचना की। उनका प्रमुख उद्देश्य संस्कृत व्याकरण का स्पष्ट तथा सरलतम ढंग से ज्ञान कराना तथा भाषा के विकास में आए नए-नए शब्दों का संस्कृतिकरण करना था, जो आज भाषा वैज्ञानिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। उन्होने सुपद्मव्याकरण के अलावा प्रयोगदीपिका, उणादिवृत्ति, धातुकौमुदी, यङलुगादिवृत्ति, परिभाषावृत्ति आदि अन्य व्याकरणिक ग्रन्थ भी रचे। .

संस्कृत ग्रन्थों की सूची और सुपद्मव्याकरण के बीच समानता

संस्कृत ग्रन्थों की सूची और सुपद्मव्याकरण आम में 4 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): पाणिनि, महाभाष्य, काशिकावृत्ति, अष्टाध्यायी

पाणिनि

पाणिनि (५०० ई पू) संस्कृत भाषा के सबसे बड़े वैयाकरण हुए हैं। इनका जन्म तत्कालीन उत्तर पश्चिम भारत के गांधार में हुआ था। इनके व्याकरण का नाम अष्टाध्यायी है जिसमें आठ अध्याय और लगभग चार सहस्र सूत्र हैं। संस्कृत भाषा को व्याकरण सम्मत रूप देने में पाणिनि का योगदान अतुलनीय माना जाता है। अष्टाध्यायी मात्र व्याकरण ग्रंथ नहीं है। इसमें प्रकारांतर से तत्कालीन भारतीय समाज का पूरा चित्र मिलता है। उस समय के भूगोल, सामाजिक, आर्थिक, शिक्षा और राजनीतिक जीवन, दार्शनिक चिंतन, ख़ान-पान, रहन-सहन आदि के प्रसंग स्थान-स्थान पर अंकित हैं। .

पाणिनि और संस्कृत ग्रन्थों की सूची · पाणिनि और सुपद्मव्याकरण · और देखें »

महाभाष्य

पतंजलि ने पाणिनि के अष्टाध्यायी के कुछ चुने हुए सूत्रों पर भाष्य लिखी जिसे व्याकरणमहाभाष्य का नाम दिया (महा+भाष्य (समीक्षा, टिप्पणी, विवेचना, आलोचना))। व्याकरण महाभाष्य में कात्यायन वार्तिक भी सम्मिलित हैं जो पाणिनि के अष्टाध्यायी पर कात्यायन के भाष्य हैं। कात्यायन के वार्तिक कुल लगभग १५०० हैं जो अन्यत्र नहीं मिलते बल्कि केवल व्याकरणमहाभाष्य में पतंजलि द्वारा सन्दर्भ के रूप में ही उपलब्ध हैं। संस्कृत के तीन महान वैयाकरणों में पतंजलि भी हैं। अन्य दो हैं - पाणिनि तथा कात्यायन (१५० ईशा पूर्व)। महाभाष्य में शिक्षा (phonology, including accent), व्याकरण (grammar and morphology) और निरुक्त (etymology) - तीनों की चर्चा हुई है। .

महाभाष्य और संस्कृत ग्रन्थों की सूची · महाभाष्य और सुपद्मव्याकरण · और देखें »

काशिकावृत्ति

संस्कृत व्याकरण के अध्ययन की दो शाखाएँ हैं - नव्य व्याकरण, तथा प्राचीनव्याकरण। काशिकावृत्ति प्राचीन व्याकरण शाखा का ग्रन्थ है। इसमें पाणिनिकृत अष्टाध्यायी के सूत्रों की वृत्ति (संस्कृत: अर्थ) लिखी गयी है। इसके सम्मिलित लेखक जयादित्य और वामन हैं। सिद्धान्तकौमुदी से पहले काशिकावृत्ति बहुत लोकप्रिय थी, फिर इसका स्थान सिद्धान्तकौमुदी ने ले लिया। आज भी आर्यसमाज के गुरुकुलों मे इसी के माध्यम से अध्ययन होता है। .

काशिकावृत्ति और संस्कृत ग्रन्थों की सूची · काशिकावृत्ति और सुपद्मव्याकरण · और देखें »

अष्टाध्यायी

अष्टाध्यायी (अष्टाध्यायी .

अष्टाध्यायी और संस्कृत ग्रन्थों की सूची · अष्टाध्यायी और सुपद्मव्याकरण · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

संस्कृत ग्रन्थों की सूची और सुपद्मव्याकरण के बीच तुलना

संस्कृत ग्रन्थों की सूची 253 संबंध है और सुपद्मव्याकरण 14 है। वे आम 4 में है, समानता सूचकांक 1.50% है = 4 / (253 + 14)।

संदर्भ

यह लेख संस्कृत ग्रन्थों की सूची और सुपद्मव्याकरण के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »