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शून्य और शून्य से भाजन

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

शून्य और शून्य से भाजन के बीच अंतर

शून्य vs. शून्य से भाजन

शून्य (0) एक अंक है जो संख्याओं के निरूपण के लिये प्रयुक्त आजकी सभी स्थानीय मान पद्धतियों का अपरिहार्य प्रतीक है। इसके अलावा यह एक संख्या भी है। दोनों रूपों में गणित में इसकी अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका है। पूर्णांकों तथा वास्तविक संख्याओं के लिये यह योग का तत्समक अवयव (additive identity) है। . गणित में जब किसी संख्या को शून्य से भाग करते हैं तो इसे शून्य से भाजन (division by zero) कहते हैं। इस भाजन में भाजक (divisor) शून्य होता है। ऐसे भाजन को a/0 लिखा जा सकता है जहाँ a भाज्य (dividend (अंश)) है। सामान्य अंकगणित में यह व्यंजक अर्थहीन है क्योंकि कोई ऐसी संख्या नहीं है जिसको 0 से गुणा करने पर a मिलता है (यहाँ माना गया है कि a≠0)। अतः शून्य से भाजन अपरिभाषित है। चूँकि किसी भी संख्या में शून्य का गुणा करने पर परिणाम शून्य ही आता है, इस कारण 0/0 का भी कोई निश्चित मान नहीं है। .

शून्य और शून्य से भाजन के बीच समानता

शून्य और शून्य से भाजन आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): ब्रह्मगुप्त, ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त, गणित

ब्रह्मगुप्त

ब्रह्मगुप्त का प्रमेय, इसके अनुसार ''AF'' .

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ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त

ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त, ब्रह्मगुप्त की प्रमुख रचना है। यह संस्कृत मे है। इसकी रचना सन ६२८ के आसपास हुई। ध्यानग्रहोपदेशाध्याय को मिलाकर इसमें कुल पचीस (२५) अध्याय हैं। यह ग्रन्थ पूर्णतः काव्य रूप में लिखा गई है। 'ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त' का अर्थ है - 'ब्रह्मगुप्त द्वारा स्फुटित (प्रकाशित) सिद्धान्त'। इस ग्रन्थ में अन्य बातों के अलावा गणित के निम्नलिखित विषय वर्णित हैं-.

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गणित

पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .

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शून्य और शून्य से भाजन के बीच तुलना

शून्य 42 संबंध है और शून्य से भाजन 5 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 6.38% है = 3 / (42 + 5)।

संदर्भ

यह लेख शून्य और शून्य से भाजन के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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