शाप और सत्यवती
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शाप और सत्यवती के बीच अंतर
शाप vs. सत्यवती
शाप शब्द संस्कृत भाषा का है। शाप का अर्थ किसी को बद्दुआ देना भी कहा जाता है। शाप को श्राप के रूप में भी उच्चारित किया जाता है जो कि अशुद्ध है संदर्भ: बृहद हिंदी शब्द कोश द्वारा डॉक्टर श्याम बहादुर वर्मा, प्रभात प्रकाशन. सत्यवती महाभारत की एक महत्वपूर्ण पात्र है। उसका विवाह हस्तिनापुरनरेश शान्तनु से हुआ। उसका मूल नाम 'मत्स्यगंधा' था। वह ब्रह्मा के शाप से मत्स्यभाव को प्राप्त हुई "अद्रिका" नाम की अप्सरा के गर्भ से उपरिचर वसु द्वारा उत्पन्न एक कन्या थी। इसका ही नाम बाद में सत्यवती हुआ। मछली का पेट फाड़कर मल्लाहों ने एक बालक और एक कन्या को निकाला और राजा को सूचना दी। बालक को तो राजा ने पुत्र रूप से स्वीकार कर लिया किंतु बालिका के शरीर से मत्स्य की गंध आने के कारण राजा ने मल्लाह को दे दिया। पिता की सेवा के लिये वह यमुना में नाव चलाया करती थी। सहस्त्रार्जुन द्वारा पराशर मुनि को मृत मान कर मृतप्रायः छोड़ दिया गया। माता सत्यवती ने मुनिराज की सेवा की व जीवन दान दिया। महर्षि ने प्रसन्न होकर उनका मत्स्यभाव नष्ट किया तथा शरीर से उत्तम गंध निकलने का वरदान दिया अत: वह 'गंधवती' नाम से भी प्रसिद्ध हुई। उसका नाम 'योजनगंधा' भी था। उससे महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ। बाद में राजा शांतनु से उसका विवाह हुआ। .
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संदर्भ
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