व्यास सम्मान और २००९ के बीच समानता
व्यास सम्मान और २००९ आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): एक कहानी यह भी, मन्नू भंडारी, केदारनाथ सिंह।
एक कहानी यह भी
एक कहानी यह भी पुस्तक में लेखिका मन्नू भंडारी ने अपने लेखकीय जीवन की कहानी उतार दी हैं। यह उनकी आत्मकथा तो नहीं है, लेकिन इसमें उनके भावात्मक और सांसारिक जीवन के उन पहलुओं पर भरपूर प्रकाश पड़ता है जो उनकी रचना-यात्रा में निर्णायक रहे। एक ख्यातनामा लेखक की जीवन-संगिनी होने का रोमांच और एक जिद्दी पति की पत्नी होने की बाधाएँ, एक तरफ अपनी लेखकीय जरूरतें (महत्त्वाकांक्षाएँ नहीं) और दूसरी तरफ एक घर को सँभालने का बोझिल दायित्व, एक मधुर आम आदमी की तरह जीवन की चाह और महान उपल्ब्धियों के लिए ललकता, आसपास का साहित्यिक वातावरण—ऐसा कई-कई विरोधाभासों के बीच से मन्नूजी लगातार गुजरती रहीं, लेकिन उन्होंने अपनी जिजीविषा, अपनी सादगी, आदमीयत और रचना-संकल्प को नहीं टूटने दिया। आज भी जब वे उतनी मात्रा में नहीं लिख रही हैं, ये चीजें उनके साथ हैं, उनकी सम्पत्ति हैं। यह आत्मस्मरण मन्नूजी की जीवन-स्थितियों के साथ-साथ उनके दौर की कई साहित्यिक-सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों पर भी रोशनी डालता है और नई कहानी दौर की रचनात्मक बेकली और तत्कालीन लेखकों की ऊँचाइयों-नीचाइयों से भी परिचित करता है। साथ ही उन परिवेशगत स्थितियों को भी पाठक के सामने रखता है जिन्होंने उनकी संवेदना को झकझोरा। मन्नू जी की यह कहानी, उनकी लेखकीय यात्रा के कोई छोटे मोटे उतार चढ़ावों की ही कहानी नहीं है, अपितु जीवन के उन बेरहम झंझावातों और भूकम्पों की कहानी भी है, जिनका एक झोंका, एक झटका ही व्यक्ति को तहस नहस कर देने के लिए काफ़ी होता है। मन्नू जी उन्हें भी झेल गईं। कुछ तड़की, कुछ भड़की -फिर सहज और शान्त बन गईं। आज उन्हीं संघर्षों के बल पर वे उस तटस्थ स्थिति में पहुँच गई हैं, जहाँ उन्हें न दुख सताता है, न सुख ! एक शाश्वत सात्विक भाव में बनीं रहती हैं और शायद इसी कारण वे फिर से लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हो गई हैं। .
एक कहानी यह भी और व्यास सम्मान · एक कहानी यह भी और २००९ ·
मन्नू भंडारी
मन्नू भंडारी मन्नू भंडारी (जन्म ३ अप्रैल १९३१) हिन्दी की सुप्रसिद्ध कहानीकार हैं। मध्य प्रदेश में मंदसौर जिले के भानपुरा गाँव में जन्मी मन्नू का बचपन का नाम महेंद्र कुमारी था। लेखन के लिए उन्होंने मन्नू नाम का चुनाव किया। उन्होंने एम ए तक शिक्षा पाई और वर्षों तक दिल्ली के मीरांडा हाउस में अध्यापिका रहीं। धर्मयुग में धारावाहिक रूप से प्रकाशित उपन्यास आपका बंटी से लोकप्रियता प्राप्त करने वाली मन्नू भंडारी विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में प्रेमचंद सृजनपीठ की अध्यक्षा भी रहीं। लेखन का संस्कार उन्हें विरासत में मिला। उनके पिता सुख सम्पतराय भी जाने माने लेखक थे। .
मन्नू भंडारी और व्यास सम्मान · मन्नू भंडारी और २००९ ·
केदारनाथ सिंह
केदारनाथ सिंह (७ जुलाई १९३४ – १९ मार्च २०१८), हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि व साहित्यकार थे। वे अज्ञेय द्वारा सम्पादित तीसरा सप्तक के कवि रहे। भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा उन्हें वर्ष २०१३ का ४९वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया था। वे यह पुरस्कार पाने वाले हिन्दी के १०वें लेखक थे। .
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व्यास सम्मान और २००९ के बीच तुलना
व्यास सम्मान 40 संबंध है और २००९ 219 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 1.16% है = 3 / (40 + 219)।
संदर्भ
यह लेख व्यास सम्मान और २००९ के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: