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विवाह की संसिद्धि और सम्भोग

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

विवाह की संसिद्धि और सम्भोग के बीच अंतर

विवाह की संसिद्धि vs. सम्भोग

कई परंपराओं या सामाजिक प्रथाओं में और सिविल कानून या धार्मिक कानून के अनुसार विवाह को संसिद्ध (consummated) तभी माना जाता है जब विवाह के बाद पति और पत्नी पहली बार सम्भोग करते हैं (यौन सम्बन्ध बनाते हैं)। दूसरे शब्दों में, संसिद्धि के बिना, कानूनी रूप से विवाह 'अपूर्ण' माना जाता है। कुछ सम्प्रदायों में संसिद्धि के लिए एक अतिरिक्त शर्त भी होती है कि शिश्न के योनि में प्रवेश के समय किसी गर्भ निरोधक का प्रयोग न किया गया हो। हिन्दू विवाह अधिनियम कि धारा १२ के अनुसार, यदि नपुंसकता के कारण विवाह की संसिद्धि न हुई हो तो विवाह शुन्यकरीण हो सकता है। . सम्भोग (अंग्रेजी: Sexual intercourse या सेक्सुअल इन्टरकोर्स) मैथुन या सेक्स की उस क्रिया को कहते हैं जिसमे नर का लिंग मादा की योनि में प्रवेश करता हैं। सम्भोग अलग अलग जीवित प्रजातियों के हिसाब से अलग अलग प्रकार से हो सकता हैं। सम्भोग को योनि मैथुन, काम-क्रीड़ा, रति-क्रीड़ा भी कहते हैं। संभोग की क्रिया केवल पति-पत्नी के बीच ही हो सकती है । यदि कोई महिला या पुरुष अपने पति-पत्नी के अलावा किसी और से संबंध बनाता है । तो वह अपराध की श्रेणी में आता है। इस अपराध की सजा भारत मे 30 साल की उम्रकैद है। यदि कोई स्त्री पुरुष अपने पति पत्नी को छोड़कर किसी अन्य से संबंध बनाता बनाती है । तो उस स्त्री अथवा पुरुष का उसकी पति अथवा पत्नी से तलाक हो जाता है । तथा उस स्त्री अथवा पुरुष को 30 साल की जेल होती है। विवाह से पूर्व संभोग करने भी अपराध की श्रेणी में आता है । इसकी दज यह है कि उस उन दोनों का विवाह करना अनिवार्य हो जाता है । तथा वे एक-दूसरे से जीवन भर तलाक नही ले सकते है । और किसी अन्य से संभोग भी नही कर सकते है । सृष्टि में आदि काल से सम्भोग का मुख्य काम वंश को आगे चलाना व बच्चे पैदा करना है। जहाँ कई जानवर व पक्षी सिर्फ अपने बच्चे पैदा करने के लिए उपयुक्त मौसम में ही सम्भोग करते हैं वहीं इंसानों में सम्भोग इस वजह के बिना भी हो सकता हैं। सम्भोग इंसानों में सुख प्राप्ति या प्यार या जज्बात दिखाने का भी एक रूप हैं। सम्भोग अथवा मैथुन से पूर्व की क्रिया, जजिसे अंग्रेजी में फ़ोर प्ले कहते हैं, के दौरान हर प्राणी के शरीर से कुछ विशेष प्रकार की गन्ध (फ़ीरोमंस) उत्सर्जित होती है जो विषमलिंगी को मैथुन के लिये अभिप्रेरित व उत्तेजित करती है। कुछ प्राणियों में यह मौसम के अनुसार भी पाया जाता है। वस्तुत: फ़ोर प्ले से लेकर चरमोत्कर्ष की प्राप्ति तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया ही सम्भोग कहलाती है बशर्ते कि लिंग व्यवहार का यह कार्य विषमलिंगियों के बीच हो रहा हो। कई ऐसे प्रकार के सम्भोग भी हैं जिसमें लिंग का उपयोग नर और मादा के बीच नहीं होता जैसे मुख मैथुन, हस्तमैथुन अथवा गुदा मैथुन उन्हें मैथुन तो कहा जा सकता है परन्तु सम्भोग कदापि नहीं। उपरोक्त प्रकार के मैथुन अस्वाभाविक अथवा अप्राकृतिक व्यवहार के अन्तर्गत आते हैं या फिर सम्भोग के साधनों के अभाव में उन्हें केवल मनुष्य की स्वाभाविक आत्मतुष्टि का उपाय ही कहा जा सकता है, सम्भोग नहीं। .

विवाह की संसिद्धि और सम्भोग के बीच समानता

विवाह की संसिद्धि और सम्भोग आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): शिश्न, सम्भोग

शिश्न

शिश्न की संरचना: 1 — मूत्राशय, 2 — जघन संधान, 3 — पुरस्थ ग्रन्थि, 4 — कोर्पस कैवर्नोसा, 5 — शिश्नमुंड, 6 — अग्रत्वचा, 7 — कुहर (मूत्रमार्ग), 8 — वृषणकोष, 9 — वृषण, 10 — अधिवृषण, 11— शुक्रवाहिनी शिश्न (Penis) कशेरुकी और अकशेरुकी दोनो प्रकार के कुछ नर जीवों का एक बाह्य यौन अंग है। तकनीकी रूप से शिश्न मुख्यत: स्तनधारी जीवों में प्रजनन हेतु एक प्रवेशी अंग है, साथ ही यह मूत्र निष्कासन हेतु एक बाहरी अंग के रूप में भी कार्य करता है। शिश्न आमतौर स्तनधारी जीवों और सरीसृपों में पाया जाता है। हिन्दी में शिश्न को लिंग भी कहते हैं पर, इन दोनो शब्दों के प्रयोग में अंतर होता है, जहाँ शिश्न का प्रयोग वैज्ञानिक और चिकित्सीय संदर्भों में होता है वहीं लिंग का प्रयोग आध्यात्म और धार्मिक प्रयोगों से संबंद्ध है। दूसरे अर्थो में लिंग शब्द, किसी व्यक्ति के पुरुष (नर) या स्त्री (मादा) होने का बोध भी कराता है। हिन्दी में सभी संज्ञायें या तो पुल्लिंग या फिर स्त्रीलंग होती हैं। .

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सम्भोग

सम्भोग (अंग्रेजी: Sexual intercourse या सेक्सुअल इन्टरकोर्स) मैथुन या सेक्स की उस क्रिया को कहते हैं जिसमे नर का लिंग मादा की योनि में प्रवेश करता हैं। सम्भोग अलग अलग जीवित प्रजातियों के हिसाब से अलग अलग प्रकार से हो सकता हैं। सम्भोग को योनि मैथुन, काम-क्रीड़ा, रति-क्रीड़ा भी कहते हैं। संभोग की क्रिया केवल पति-पत्नी के बीच ही हो सकती है । यदि कोई महिला या पुरुष अपने पति-पत्नी के अलावा किसी और से संबंध बनाता है । तो वह अपराध की श्रेणी में आता है। इस अपराध की सजा भारत मे 30 साल की उम्रकैद है। यदि कोई स्त्री पुरुष अपने पति पत्नी को छोड़कर किसी अन्य से संबंध बनाता बनाती है । तो उस स्त्री अथवा पुरुष का उसकी पति अथवा पत्नी से तलाक हो जाता है । तथा उस स्त्री अथवा पुरुष को 30 साल की जेल होती है। विवाह से पूर्व संभोग करने भी अपराध की श्रेणी में आता है । इसकी दज यह है कि उस उन दोनों का विवाह करना अनिवार्य हो जाता है । तथा वे एक-दूसरे से जीवन भर तलाक नही ले सकते है । और किसी अन्य से संभोग भी नही कर सकते है । सृष्टि में आदि काल से सम्भोग का मुख्य काम वंश को आगे चलाना व बच्चे पैदा करना है। जहाँ कई जानवर व पक्षी सिर्फ अपने बच्चे पैदा करने के लिए उपयुक्त मौसम में ही सम्भोग करते हैं वहीं इंसानों में सम्भोग इस वजह के बिना भी हो सकता हैं। सम्भोग इंसानों में सुख प्राप्ति या प्यार या जज्बात दिखाने का भी एक रूप हैं। सम्भोग अथवा मैथुन से पूर्व की क्रिया, जजिसे अंग्रेजी में फ़ोर प्ले कहते हैं, के दौरान हर प्राणी के शरीर से कुछ विशेष प्रकार की गन्ध (फ़ीरोमंस) उत्सर्जित होती है जो विषमलिंगी को मैथुन के लिये अभिप्रेरित व उत्तेजित करती है। कुछ प्राणियों में यह मौसम के अनुसार भी पाया जाता है। वस्तुत: फ़ोर प्ले से लेकर चरमोत्कर्ष की प्राप्ति तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया ही सम्भोग कहलाती है बशर्ते कि लिंग व्यवहार का यह कार्य विषमलिंगियों के बीच हो रहा हो। कई ऐसे प्रकार के सम्भोग भी हैं जिसमें लिंग का उपयोग नर और मादा के बीच नहीं होता जैसे मुख मैथुन, हस्तमैथुन अथवा गुदा मैथुन उन्हें मैथुन तो कहा जा सकता है परन्तु सम्भोग कदापि नहीं। उपरोक्त प्रकार के मैथुन अस्वाभाविक अथवा अप्राकृतिक व्यवहार के अन्तर्गत आते हैं या फिर सम्भोग के साधनों के अभाव में उन्हें केवल मनुष्य की स्वाभाविक आत्मतुष्टि का उपाय ही कहा जा सकता है, सम्भोग नहीं। .

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विवाह की संसिद्धि और सम्भोग के बीच तुलना

विवाह की संसिद्धि 9 संबंध है और सम्भोग 10 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 10.53% है = 2 / (9 + 10)।

संदर्भ

यह लेख विवाह की संसिद्धि और सम्भोग के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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