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विलियम ब्लेक

सूची विलियम ब्लेक

विलियम ब्लेक (28 नवम्बर 1757 – 12 अगस्त 1827) एक अंग्रेज कवि, चित्रकार तथा प्रिंट रचयिता थे। अपने जीवनकाल में उन्हें ख्याति नहीं मिली, किंतु अब उन्हें रोमैंटिक युग की कविता और चाक्षुष कलाओं के क्षेत्र की एक महान आरंभिक हस्ती के रूप में माना जाता है। उनके भविष्यदर्शी काव्य के बारे में कहा गया है कि वह “अंग्रेजी भाषा का ऐसा काव्य है जिसे उसकी खूबियों के अनुपात से कम पढ़ा गया”.

27 संबंधों: चित्रण, थॉमस पेन, द गार्डियन, दांते एलीगियरी, दीविना कॉमेदिया, नारीवाद, पैराडाइज लॉस्ट, फ़्रान्सीसी भाषा, बॉब डिलन, यरुशलम, युनाइटेड किंगडम के राजा जॉर्ज तृतीय, राफेल, रॉबस्पियर, सिद्धांत (थिअरी), स्वच्छन्दतावाद, सोहो, होमर, जेफ्री चासर, जॉन मिल्टन, विलियम बटलर येट्स, विलियम वर्द्स्वर्थ, वेस्ट ससेक्स, वेस्ट्मिन्स्टर ऍबी, कुतर्क, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस, कैंटरबरी टेल्स, अराजकतावाद

चित्रण

जेस्सी विकॉक्स स्मिथ के चित्रण. चित्रण रेखांकन, चित्रकारी, छायांकन या कला के अन्य कार्यों के रूप में प्रस्तुत प्रदर्शित मानसदर्शन का एक रूप है, जिसे ग्राफ़िक रूप से दृश्य प्रस्तुति देकर ऐन्द्रिक जानकारी (जैसे कहानी, कविता या समाचारपत्र लेख) की स्पष्ट व्याख्या करने या निर्धारित करने के लिए बनाया जाता है। .

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थॉमस पेन

थॉमस पेन थॉमस पेन (अंग्रेज़ी: Thomas Paine, जन्म: 9 फ़रवरी 1737, देहांत: 8 जून 1809) एक लेखक, अविष्कारक, बुद्धिजीवी, क्रांतिकारी और संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपिताओं में से एक थे। उनका जन्म इंग्लैण्ड के नॉर्फ़क काउंटी (ज़िले) के थ़ॅटफ़र्ड शहर में हुआ था और सन् 1774 में वे इंग्लैण्ड छोड़ अमेरिका में जा बसे। उन्होंने सन् 1776 की अमेरिकी क्रांति में अहम भूमिका निभाई। उन्होने अमेरिका में क्रांति की उठती लहर को अपनी लिखाई के ज़रिये अपनी राजनैतिक सोच का ढाँचा दिया। उनकी दो सब से प्रभावशाली लिखईयाँ थीं -.

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द गार्डियन

द गार्डियन एक ब्रितानी दैनिक समाचार पत्र है। इसकी स्थापना १८२१ में हुई और १९५९ तक इसे द मैनचेस्टर गार्डियन के नाम से जाना जाता था। .

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दांते एलीगियरी

दाँते एलीगियरी (मई/जून १२६५ – १४ सितंबर, १३२१) मध्यकाल के इतालवी कवि थे। ये वर्जिल के बाद इटली के सबसे महान कवि कहे जाते हैं। ये इटली के राष्ट्रकवि भी रहे। उनका सुप्रसिद्ध महाकाव्य डिवाइन कॉमेडिया अपने ढंग का अनुपम प्रतीक महाकाव्य है। इसके अतिरिक्त उनका गीतिकाव्य वीटा न्युओवा, जिसका अर्थ है नया जीवन, अत्यंत मार्मिक कविताओं का एक संग्रह है, जिसमें उन्होंने अपनी प्रेमिका सीट्रिस की प्रेमकथा तथा २३ वर्षों में ही उसके देहावसान पर मार्मिक विरह कथा का वर्णन किया है। इनका जन्म यूरोप में, इटली में हुआ था। ये फ्लोरेंस के नागरिक थे। उनका परिवार प्राचीन था, फिर भी उच्चवर्गीय नहीं था। उनका जन्म उस समय हुआ जब मध्ययुगीन विचारधारा और संस्कृति के पुनरुत्थान का प्रारम्भ हो रहा था। राजनीति के विचारों और कला संबंधी मान्यताओं में भी परिवर्तन हो रहा था। दांते इटली के सर्वश्रेष्ठ कवि माने जाते हैं जिनके संबंध में अंग्रेज़ कवि शेली ने कहा है कि, दांते का काव्य उस सेतु के समान है जो काल की धारा पर बना है और प्राचीन विश्व को आधुनिक विश्व से मिलाता है। दांते ने लैटिन भाषा में ना लिखकर साधारण बोलचाल की इतालवी भाषा में अपना महाकाव्य लिखा मातृभाषा और लोकप्रचलित भाषा को अपनी महान कृतियों से गौरवान्वित किया। यह कार्य तुलसीदास के रामचरितमानस के भाषा में लिखने के समान था। वास्तव में यह समय विश्वभर में लोकभाषा की प्रतिष्ठा के आन्दोलन का समय था। भारत में भी रामानंद, ज्ञानेश्वर, नामदेव, विद्यापति, कबीर, सूर, तुलसीदास, इत्यादि ने इसी प्रकार लोकभाषा में साहित्य रचना का आन्दोलन किया।वास्तव में दांते का यह कार्य युगपरिवर्तन का शंखनाद था। इतालवी भाषा में डिवाइन कॉमेडिया द्वारा दांते का स्थान अमर है। दांते केवल कवि और विचारक ही नहीं थे, वरन वे राजनीतिक नेता और प्रशासक भी थे। उन्होंने फ्लोरेंस राज्य पर शासन भी किया। परन्तु उनके कला और काव्य-शास्त्र संबंधी विचार उनकी कृति दे वल्गरी एलोक्युओ में प्राप्त होते हैं। वे उत्कृष्ट कविता से ही संतुष्ट ना होकर यह भी बताते हैं, कि सर्वोत्कृष्ट कविता किन बातों पर निर्भर करती है। प्रेम जैसे विषयों को और लोकभाषाओं को अपनी रचनाओं में महत्त्व प्रदान करके उन्होंने ग्रीक और लैटिन परम्पराओं के विरुद्ध एक क्रांतिकारी पदान्यास किया। दांते के विचार से परिष्ठित सौष्ठवपूर्ण भाषा, उत्तम अभिव्यंजना शैली तथा उपयुक्त विषयवस्तु का सामंजस्य होने पर ही श्रेष्ठ रचना संभव हो सकती है। इस प्रकार दांते ने सर्वश्रेष्ठ रचना के लिए भद्दे और ग्राम्य शब्दों को छोड़कर लोकभाषा से और शिष्टभाषा से भी उत्तम शब्दों का चयन कर अपने काव्य की रचना की है। दे वल्गरी एलोक्युओ ग्रन्थ की जॉर्ज सेंट्स्बरी ने भूरि-भूरि प्रशंसा की है। दांते के बाद इटली में उतना बड़ा महत्त्वपूर्ण काव्य चिन्तक क्रोचे के पूर्व नहीं हुआ। .

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दीविना कॉमेदिया

दांते अपनी पुस्तक डिवाइन कॉमेडी को पकड़े हुए चित्रित डिविना कामेडिया(Divina Commedia) महान इतालवी दार्शनिक, कवि, लेखक दांते एलीगियरी द्वारा लिखित एक महान ग्रंथ है। यह अपने ढंग का अनुपम प्रतीक महाकाव्य है। मनुष्य के 7 सद्गुणों को दो भागों में बांटा गया है। पहले चार ग्रीक समाज के हैं, जिन्हें हम हर समाज पर लागू कर सकते हैं-.

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नारीवाद

नारीवाद राजनैतिक आंदोलन का एक सामाजिक सिद्धांत है जो स्त्रियों के अनुभवों से जनित है। हालाकि मूल रूप से यह सामाजिक संबंधो से अनुप्रेरित है लेकिन कई स्त्रीवादी विद्वान का मुख्य जोर लैंगिक असमानता और औरतों के अधिकार इत्यादि पर ज्यादा बल देते हैं। नारीवादी सिद्धांतो का उद्देश्य लैंगिक असमानता की प्रकृति एवं कारणों को समझना तथा इसके फलस्वरूप पैदा होने वाले लैंगिक भेदभाव की राजनीति और शक्ति संतुलन के सिद्धांतो पर इसके असर की व्याख्या करना है। स्त्री विमर्श संबंधी राजनैतिक प्रचारों का जोर प्रजनन संबंधी अधिकार, घरेलू हिंसा, मातृत्व अवकाश, समान वेतन संबंधी अधिकार, यौन उत्पीड़न, भेदभाव एवं यौन हिंसापर रहता है। स्त्रीवादी विमर्श संबंधी आदर्श का मूल कथ्य यही रहता है कि कानूनी अधिकारों का आधार लिंग न बने। आधुनिक स्त्रीवादी विमर्श की मुख्य आलोचना हमेशा से यही रही है कि इसके सिद्धांत एवं दर्शन मुख्य रूप से पश्चिमी मूल्यों एवं दर्शन पर आधारित रहे हैं। हालाकि जमीनी स्तर पर स्त्रीवादी विमर्श हर देश एवं भौगोलिक सीमाओं मे अपने स्त्र पर सक्रिय रहती हैं और हर क्षेत्र के स्त्रीवादी विमर्श की अपनी खास समस्याएँ होती हैं। .

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पैराडाइज लॉस्ट

मिल्टन का प्रसिद्ध महाकाव्य: '''पैराडाइज लॉस्ट''' पैराडाइज लॉस्ट (Paradise Lost), जॉन मिल्टन नामक आंग्ल कवि का लिखा हुआ एक महाकाव्य है। इस महाकाव्य को लिखने की इच्छा उनके मन में 1639 में ही अंकुरित हुई थी, परंतु लिखने का काम पूरी लगन के साथ सन् 1658 से शुरू हो सका। यह सन् 1663 में समाप्त हुआ। चार साल के बाद यह प्रकाशित हुआ। पैराडाइज लॉस्ट, जो अतुकान्त छंद में लिखा गया है, वर्जिल तथा होमर के समय से लिखे गये सभी महाकाव्यों में सर्वोत्कृष्ट है। यह महाकाव्य शक्तिशाली चरित्र-चित्रण, अत्यंत सुंदर कल्पनाशक्ति, विविध प्रभावपूर्ण छंद तथा प्रौढ़ भाषा के आनंद आदि गुणों से पूरिपूर्ण है। यह काव्य पुनर्जागरण काल (रेनेसां) तथा यूरोपीय धर्मसुधार (रिफाॅर्मेशन) काल की प्रवृत्तियों का परिपूर्ण सम्मिश्रण है। इसमें प्राचीन देवतावाद युग और बाइबल के नैतिक उत्साह का सुंदर मिलन है। .

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फ़्रान्सीसी भाषा

फ़्रांसीसी भाषा (फ़्रांसीसी: français उच्चारण: फ़्रांसे) एक रोमांस भाषा है जो विश्वभर में लगभग ९ करोड़ लोगों द्वारा प्रथम भाषा के रूप में बोली जाती है। मूल रूप से इस भाषा को बोलने वाले अधिकांश लोग फ़्राँस में रहते हैं जहाँ इस भाषा का जन्म हुआ था। इस भाषा को बोलने वाले अन्य क्षेत्र ये हैं- अधिकांश कनाडा, बेल्जियम, स्विटज़रलैंड, अफ़्रीकी फ़्रेंकोफ़ोन, लक्ज़म्बर्ग और मोनाको। फ्रांसी भाषा १९ करोड़ लोगों द्वारा दूसरी भाषा के रूप में और अन्य २० करोड़ द्वारा अधिग्रहित भाषा के रूप में बोली जाती है। विश्व के ५४ देशों में इस भाषा को बोलने वालों की अच्छी भली संख्या है। फ़्रांसीसी रोमन साम्राज्य की लैटिन भाषा से निकली भाषा है, जैसे अन्य राष्ट्रीय भाषाएँ - पुर्तगाली, स्पैनिश, इटालियन, रोमानियन और अन्य अल्पसंख्यक भाषाएँ जैसे कैटेलान इत्यादि। इस भाषा के विकासक्रम में इसपर मूल रोमन गौल की कैल्टिक भाषाओं और बाद के रोमन फ़्रैकिश आक्रमणकारियों की जर्मनेक भाषा का प्रभाव पड़ा। यह २९ देशों में एक आधिकारिक भाषा है, जिनमें से अधिकांशतः ला फ़्रेंकोफ़ोनी नामक फ़्रांसीसी भाषी देशों के समुह से हैं। यह सयुंक्त राष्ट्र की सभी संस्थाओं की और अन्य बहुत से अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भी आधिकारिक भाषा है। यूरोपीय संघ के अनुसार, उसके २७ सदस्य राष्ट्रों के १२.९ करोड़ (४९,७१,९८,७४० का २६%) लोग फ़्रांसीसी बोल सकते हैं, किसमें से ६.५ करोड़ (१२%) मूलभाष्ई हैं और ६.९ करोड़ (१४%) इसे दूसरी भाषा के रूप में बोल सकते हैं, जो इसे अंग्रेज़ी और जर्मन के बाद संघ की तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा बनाता है। इसके अतिरिक्त २० वीं शताब्दी के प्रारंभ में अंग्रेज़ी के अधिरोहण से पहले, फ़्रांसीसी यूरोपीय और औपनिवेशिक शक्तियों के मध्य कूटनीति और संवाद की प्रमुख भाषा थी और साथ ही साथ यूरोप के शिक्षित वर्ग की बोलचाल की भाषा भी थी। .

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बॉब डिलन

बॉब डिलन और उसकी प्रेमिका जोआन बाएज़ बॉब डिलन एक अमेरिकी गीतकार, गायक, कलाकार, और लेखक है। वह अमेरिकी लोक संगीत के अलावा पॉप म्यूज़िक में भी काफी नाम कमा चुका है। बॉब 24 मई, 1941 को मिनेसोटा में पैदा हुआ था। उसका असली नाम रोबर्ट ऐलन ज़िमरमैन है। उसके दादा-दादी रूसी साम्रज्य (अब यूक्रेन) से अमरीका आये थे, और उनके सबसे प्राचीनतम ज्ञात पूर्वज तुर्की के यहूदी थे। उसके नाना-नानी लिथुआनिया के यहूदी थे। बॉब का बाप अब्राम ज़िम्मरमैन एक बिजली एप्लायंस की दुकान चलता था, और उसकी मैया का नाम बीट्राइस स्टोन थी। बड़ा हो कर बॉब न्यू यॉर्क में जा पहुंचा, जहाँ पर न्यू यॉर्क टाइम्स अख़बार ने उसके एक शो को रिव्यु किया। इसके बाद उसे जॉन हैमंड नाम के एक रिकॉर्ड प्रोड्यूसर ने ब्रेक दिया। बॉब की पहली एल्बम की सिर्फ 5000 कॉपी बिकी, पर धीरे-धीरे उसकी लोकप्रियता काफी बढ़ गयी। 1960 के दशक में उसने अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन में हिस्सा लिया। 1966 में एक मोटरसाइकिल एक्सीडेंट में बॉब की हड्डी-पसली टूट गयी। पर जल्दी ही उसने दुबारा गाना-बजाना शुरू कर दिया। 1970 के दशक में बॉब का ईसाइयत की तरफ रुख हुआ, और उसने धार्मिक गॉस्पेल संगीत बजाना शुरू कर दिया। 1980 में उसने पॉप म्यूजिक के ओर रुख किया। 2000 में उसे ऑस्कर अवार्ड मिला, और 2016 में उसने गीतकार के रूप में साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीता। .

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यरुशलम

येरुशलम की स्थिति यरुशलम (इब्रानी: येरुशलयिम, अरबी: अल-क़ुद्स) इज़्रायल देश की राजधानी है, जो कुछ देशों द्वारा विवादित है। ये यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम धर्म, तीनों की पवित्र नगरी है। इतिहास गवाह है कि येरुशलम प्राचीन यहूदी राज्य का केन्द्र और राजधानी रहा है। यहीं यहूदियों का परमपवित्र सुलैमानी मन्दिर हुआ करता था, जिसे रोमनों ने नष्ट कर दिया था। ये शहर ईसा मसीह की कर्मभूमि रहा है। यहीं से हज़रत मुहम्मद स्वर्ग गए थे। राजधानी होने के अलावा यह एक महत्‍वपूर्ण पर्यटन स्‍थल भी है। इस शहर में 158 गिरिजाघर तथा 73 मस्जिदें स्थित हैं। इन गिरिजाघरों और मस्जिदों के अलावा भी यहाँ देखने लायक बहुत कुछ है। द इजरायल म्‍यूजियम, याद भसीम, नोबेल अभ्‍यारण, अल अक्‍सा मस्जिद, कुव्‍वत अल सकारा, मुसाला मरवान, सोलोमन टेंपल, वेस्‍टर्न वॉल, डेबिडस गुम्‍बद आदि। यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्‍थल हैं। .

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युनाइटेड किंगडम के राजा जॉर्ज तृतीय

राजा जॉर्ज तृतीय ग्रट ब्रिटन और आयरलैंड का राजा था। उनका राज्य-काल १७६० से १८०१ तक था। दो देशों के संघ होने के पश्चात युनाइटेड किंगडम का राजा बना। वह होउस ओफ हनोवर के तीसरी ब्रिटिश सम्राट था। अपने दो पूर्ववर्तियों के विपरीत वह ब्रिटेन में पैदा हुआ था, अंग्रेजी उनकी पहली भाषा थी, और उन्होने हनोवर की यात्रा कभी नहीं की। उनके जीवन और शासनकाल अन्य बिटिश शासक की तुलना में अधिक लंबा था। सैन्य संघर्ष कई बार हुए थे। उनके शासनकाल में ग्र्ट ब्रिटन ने फ्रांस को हराया था और ब्रिटन प्रमुख यूरोपीय शक्ति बना। आगे की युद्ध जो "बाटिल ओफ वाटरलू" नाम से जाने जाते है उसमें नेपोलियन की मृत्यु हुई थी। फिर जॉर्ज तृतीय को आवर्ती और स्थायी मानसिक बीमारी का सामना भी किए थे। १८२० में उनकी मृत्यु हुई। जार्ज तृतीय का ज्येष्ठ पुत्र ने "पिन्स ओफ रेजन्ट" नाम से शासन किया। .

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राफेल

राफेल का चित्र राफेल (Raffaello Sanzio da Urbino या Raphael, 1483 – 1520) परम पुनरुत्थान काल के इटली के महान चित्रकार एवं वास्तुशिल्पी थे। लियोनार्डो दा विन्ची, माइकल एंजेलो और राफेल अपने युग के महान कलाकार हैं। राफेल को शताब्दियों तक समूह संयोजन का आचार्य माना जाता रहा है। व्यक्तियों के समूह, समूहों का सम्पूर्ण चित्र में अनुपात, चित्र की उंचाई और गहराई का अनुपात, और व्यक्तियों की विभिन्न मुद्राएं - इन सब में उसने कमाल कर दिखाया है। रैफेल की सर्वाधिक ख्याति उसके मैडोन्ना चित्रों से है। रैफेल की कला से ही बरोक शैली का विकास हुआ। माइकेल एंजेलो की अपेक्षा राफेल का काम शान्त, मधुर और नारीसुलभ मोहिनी से भरपूर है। राफेल की नारी और बाल चित्रण में विशेष अभिरुचि थी। .

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रॉबस्पियर

रोब्स्पियर मैक्समिलियन रॉब्सपियर (6 मई 1758 – 28 जुलाई 1794) एक फ़्रांसीसी वकील और राजनीतिज्ञ थे। इन्हें फ़्रान्सीसी क्रान्ति से जुड़े सर्वाधिक प्रसिद्ध और प्रभावशाली लोगों में गिना जाता है। रॉबस्पियर, स्टेट्स जेनरल, फ्रांस की राष्ट्रीय संविधान सभा, और जैकोबिन क्लब के सदस्य थे। आर्रा प्रांत के वकील, रॉब्सपियर स्वभाव से अंतर्मुखी और रूसो के अनन्य भक्त थे। उन्होंने ने फ्रांस में सार्वत्रिक पुरुष मताधिकार लागू करने और दास प्रथा को पूर्णतया समाप्त करने के लिए आन्दोलन का नेतृत्व किया। स्वयं हिंसक न होते हुए भी इन्होने हिंसा को प्रश्रय दिया, इनके विरोधियों को इनका विरोध करना काफी महँगा पड़ा। ये फ्रांस में सद्गुणों का गणतंत्र (रिपब्लिक ऑफ वर्च्यू) स्थापित करना चाहते थे और इनका यह कथन काफी प्रसिद्ध है कि "बिना आतंक के सद्गुण और बिना सद्गुण के आतंक निरर्थक होते हैं।" इन्होने क्रान्ति के समय लुई सोलहवें के मृत्युदण्ड की व्यवस्था कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। रोब्सपियर को लेंकोरेप्तिब्ल (l'Incorruptible) अर्थात जिसे भ्रष्ट न किया जा सके की उपाधि दी गयी थी। .

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सिद्धांत (थिअरी)

सिद्धांत, सिद्धि का अंत है। यह वह धारणा है जिसे सिद्ध करने के लिए, जो कुछ हमें करना था वह हो चुका है और अब स्थिर मत अपनाने का समय आ गया है। धर्म, विज्ञान, दर्शन, नीति, राजनीति सभी सिद्धांत की अपेक्षा करते हैं। .

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स्वच्छन्दतावाद

स्वच्छन्दतावाद (Romanticism) कला, साहित्य तथा बौद्धिक क्षेत्र का एक आन्दोलन था जो यूरोप में अट्ठारहवीं शताब्दी के अन्त में आरम्भ हुआ। १८०० से १८५० तक के काल में यह आन्दोलन अपने चरमोत्कर्ष पर था। अट्ठारहवीं सदी से आज तक दर्शन, राजनीति, कला, साहित्य और संगीत को गहराई से प्रभावित करने वाले वैचारिक रुझान स्वच्छंदतावाद को एक या दो पंक्तियों में परिभाषित करना मुश्किल है। कुछ मानवीय प्रवृत्तियों का पूरी तरह से निषेध और कुछ को बेहद प्राथमिकता देने वाला यह विचार निर्गुण के ऊपर सगुण, अमूर्त के ऊपर मूर्त, सीमित के ऊपर असीमित, समरूपता के ऊपर विविधता, संस्कृति के ऊपर प्रकृति, यांत्रिक के ऊपर आंगिक, भौतिक और स्पष्ट के ऊपर आध्यात्मिक और रहस्यमय, वस्तुनिष्ठता के ऊपर आत्मनिष्ठता, बंधन के ऊपर स्वतंत्रता, औसत के ऊपर विलक्षण, दुनियादार किस्म की नेकी के ऊपर उन्मुक्त सृजनशील प्रतिभा और समग्र मानवता के ऊपर विशिष्ट समुदाय या राष्ट्र को तरजीह देता है। सामंती जकड़बंदी का मूलोच्छेद कर देने वाले फ़्रांसीसी क्रांति जैसे घटनाक्रम के पीछे भी स्वच्छंदतावादी प्रेरणाएँ ही थीं। फ़्रांसीसी क्रांति का युगप्रवर्तक नारा ‘समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व’ लम्बे अरसे तक स्वच्छंदतावादियों का प्रेरणा-स्रोत बना रहा। इस क्रांति के बौद्धिक नायक ज्याँ-ज़ाक रूसो को स्वच्छंदतावादी चिंतन की शुरुआत का श्रेय दिया जाता है। रूसो ने अपने ज़माने की सभ्यतामूलक उपलब्धियों पर आरोप लगाया था कि उनकी वज़ह से मानवता भ्रष्ट हो रही है। उनका विचार था कि अगर नेकी की दुनिया में लौटना है और भ्रष्टाचार से मुक्त जीवन की खोज करनी है तो प्रकृत- अवस्था की शरण में जाना होगा। 1761 में प्रकाशित रूसो की दीर्घ औपन्यासिक कृति ज़्यूली ऑर द न्यू हेलोइस और अपने ही जीवन का अनूठा अन्वेषण करने वाली उनकी आत्मकथा कनफ़ेशंस इस महान विचारक के स्वच्छंदतावादी नज़रिये का उदाहरण है। प्रेम संबंधों पर आधारित भावनाप्रवण कहानी ज़्यूली ने युरोपीय साहित्य में स्वच्छंदतावाद के परवर्ती विकास के लिए आधार का काम किया। अंग्रेज़ी भाषा में स्वच्छंदतावाद का साहित्यिक आंदोलन विकसित हुआ जिसके प्रमुख हस्ताक्षरों के रूप में ब्लैक, वर्ड्सवर्थ, कोलरिज, बायरन, शैली और कीट्स के नाम उल्लेखनीय हैं। स्वच्छंदतावाद के ही प्रभाव में जर्मन दार्शनिक हर्डर ने अपने विशिष्ट रोमांटिक नैशनलिज़म की संकल्पना की। यही प्रेरणाएँ हर्डर को ग़ैर-युरोपीय संस्कृतियों की तरफ़ ले गयीं और उन्होंने उन्हें युरोपीय सभ्यता की आदिम प्राक्-अवस्थाओं के बजाय अपनी विशिष्ट निजता, वैधता और तात्पर्यों से सम्पन्न संरचनाओं के रूप में देखा। जर्मन दार्शनिकों में आर्थर शॉपेनहॉर को स्वच्छंदतावाद की श्रेणी में रखा जाता है। उन्होंने कांट के बुद्धिवादी नीतिशास्त्र को नज़रअंदाज़ करते हुए उनकी ज्ञान-मीमांसा और सौंदर्यशास्त्र संबंधी विमर्श की पुनर्व्याख्या की। शॉपेनहाउर का लेखन जगत के प्रति निरुत्साह और हताशा से भरा हुआ है, पर उन्हें अभिलाषाओं के संसार में राहत मिलती है। शॉपेनहॉर का लेखन दर्शन रिचर्ड वागनर की संगीत-रचनाओं के लिए प्रेरक साबित हुआ। भारत में स्वच्छंदतावाद की पहली साहित्यिक अनुगूँज बांग्ला में सुनायी पड़ी। आधुनिक हिंदी साहित्य में स्वच्छंदतावाद की पहली सुसंगत अभिव्यक्ति छायावाद के रूप में मानी जाती है।  अपने प्रभावशाली राजनीतिक और दार्शनिक तात्पर्यों के अलावा स्वच्छंदतावाद की एक बहुत बड़ी उपलब्धि क्लासिकल भाषाओं को रचनाशीलता के केंद्र से विस्थापित करके जनप्रिय भाषाओं में लेखन की शुरुआत करने से जुड़ी है। एक ज़माने में केवल लैटिन में ही लेखन होता था, उसी के पाठक और प्रकाशक थे। लेकिन स्वच्छंदतावाद ने इस परम्परा का उल्लंघन करने की ज़मीन बनायी और पहले फ़्रांसीसी और फिर अंग्रेज़ी में लेखन करने का आग्रह बलवती हुआ। स्वच्छंदतावादी रचनाकारों ने मनोभावों पर नये सिरे से ज़ोर दे कर रचनाशीलता में क्लासिकीय अभिजनोन्मुखता को झटक दिया। इसका नतीजा केवल रोमानी प्रेम पर आधारित विषय-वस्तुओं में ही नहीं निकला, बल्कि साहित्य और कला ने मन के अँधेरों में छिपे भयों और दुखों की अनुभूति को भी स्पर्श करना शुरू कर दिया। स्वच्छंदतावाद की दूसरी महत्त्वपूर्ण उपलब्धि युरोपीय ज्ञानोदय द्वारा आरोपित बुद्धिवाद के ख़िलाफ़ विद्रोह के रूप में देखी जाती है। ज्ञानोदय के विचारक प्रकृति को तर्क-बुद्धि और व्यवस्थामूलक क्रम के उद्गम के तौर पर देखते थे। न्यूटन द्वारा प्रवर्तित मैकेनिक्स इसी की चरम अभिव्यक्ति है। लेकिन स्वच्छंदतावादियों ने प्रकृति को आंगिक विकास और विविधता के स्रोत के रूप में ग्रहण किया। वे प्राकृतिक और अलौकिक को अलग-अलग मानने के लिए तैयार नहीं थे। पार्थिव और अपार्थिव के द्विभाजन को नकारते हुए उन्होंने-उसे एक- दूसरे से गुँथे हुए की संज्ञा दी। ज्ञानोदय के विचार के लिए स्वच्छंदतावादियों का यह रवैया काफ़ी समस्याग्रस्त था। वे प्रकृति को भावप्रवण और आध्यात्मिक शक्ति के आदिम प्रवाह के रूप में देखने के लिए तैयार नहीं हो सकते थे। स्वच्छंदतावादियों ने क्लासिकल द्वारा रोमन और यूनानी मिथकों पर ज़ोर को नकारते हुए मध्ययुगीन और पागान सांस्कृतिक प्रवृत्तियों को अपनाया। इसका नतीजा गोथिक स्थापत्य के पुनरुद्धार में निकला। स्वच्छंदतावाद ने युरोपीय लोक-संस्कृति और कला के महत्त्व को स्वीकारा। फ़िनलैण्ड के महाकाव्यात्मक ग्रंथ कालेवाला का सृजन इसी रुझान की देन है। स्वच्छंदतावाद के विकास में फ़्रेड्रिख़ और ऑगस्त विल्हेम वॉन श्लेगल की भूमिका उल्लेखनीय है। अट्ठारहवीं और उन्नीसवीं सदी के संधिकाल पर सक्रिय इन विचारकों का कहना था कि रोमानी साहित्य और कला का स्वभाव तरल और खण्डित है। इसलिए सुसंगित और सम्पूर्णता प्राप्त करने की वह महत्त्वाकांक्षा उसमें नहीं होती जो क्लासिकल साहित्य और कला का मुख्य लक्षण है। जो रोमानी है वह व्याख्या की समस्याओं से ग्रस्त रहेगा ही। श्लेगल के अनुसार कला-कृतियाँ इसीलिए समझ के धरातल पर सौ फ़ीसदी बोधगम्य होने से इनकार करती हैं। ऑगस्त श्लेगल ने रोमानी विडम्बना की थीसिस का प्रतिपादन करते हुए कविता की विरोधाभासी प्रकृति को रेखांकित किया। इसका मतलब यह था कि किसी वस्तुनिष्ठ या सुनिश्चित तात्पर्य की उपलब्धि न कराना कविता का स्वभाव है। स्वच्छंदतावादियों ने शेक्सपियर की सराहना इसलिए की कि उनमें अपने नाटकों के पात्रों के प्रति एक विडम्बनात्मक विरक्ति है। इसीलिए वे अंतर्विरोधी स्थितियों और मुद्राओं के सफल चितेरे बन पाये हैं और इसीलिए उनके नाटक किसी एक दृष्टिकोण के पक्ष में उपसंहार नहीं करते। हिंदी में स्वच्छंदतावाद का प्रभाव बीसवीं सदी के दूसरे दशक में छायावादी कविता के रूप में सामने आया। हिंदी आलोचना की पारिभाषिक शब्दावली के रचनाकार डॉ॰ अमरनाथ के अनुसार हिंदी में स्वच्छंदतावाद का ज़िक्र सबसे पहले रामचंद्र शुक्ल के विख्यात ग्रंथ हिंदी साहित्य का इतिहास में मिलता है जहाँ उन्होंने श्रीधर पाठक को स्वच्छंदतावाद का प्रवर्त्तक करार दिया है। अमरनाथ के अनुसार छायावाद और स्वच्छंदतावाद में गहरा साम्य है। दोनों में प्रकृति-प्रेम, मानवीय दृष्टिकोण, आत्माभिव्यंजना, रहस्यभावना, वैयक्तिक प्रेमाभिव्यक्ति, प्राचीन संस्कृति के प्रति व्यामोह, प्रतीक-योजना, निराशा, पलायन, अहं के उदात्तीकरण आदि के दर्शन होते हैं। .

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सोहो

सोहो नाम का शहर अमेरिका और संयुक्त राजशाही दोनों में बसा हुआ है। वहीं सोहो नाम का एक अंतरिक्ष यान नासा और ईसा की संयुक्त परियोजना है।.

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होमर

ब्रिटिश संग्रहालय में होमर की प्रतिकृति होमर यूनान के ऐसे प्राचीनतम कवियों में से हैं जिनकी रचनाएँ आज भी उपलब्ध हैं और जो बहुमत से यूरोप के सबसे महान कवि स्वीकार किए जाते हैं। वे अपने समय की सभ्यता तथा संस्कृति की अभिव्यक्ति का प्रबल माध्यम माने जाते हैं। अन्धे होने के बावजूद उन्होंने दो महाकाव्यों की रचना की - इलियड और ओडिसी। इनका कार्यकाल ईसा से लगभग १००० वर्ष पूर्व था। हालाँकि इसके विषय में प्राचीन काल में जितना विवाद था आज भी उतना ही है। कुछ लोग उनके समय को ट्रोजन युद्ध के समय से जोड़ते है पर इतना तो तय है कि यूनानी इतिहास का एक पूरा काल होमर युग के नाम से विख्यात है, जो ८५० ईसा पूर्व से ट्रोजन युद्ध की तारीख ११९४-११८४ ईसा पूर्व तक फैला हुआ है। इलियड में ट्राय राज्य के साथ ग्रीक लोगों के युद्ध का वर्णन है। इस महाकाव्य में ट्राय की विजय और ध्वंस की कहानी तथा यूनानी वीर एकलिस की वीरता की गाथाएँ हैं। होमर के महाकाव्यों की भाषा प्राचीन यूनानी या हेल्लिकी है। जिस प्रकार हिंदू रामायण में लंका विजय की कहानी पढ़कर आनंदित होते हैं। उसी प्रकार ओडिसी में यूनान वीर यूलीसिस की कथा का वर्णन है। ट्राय का राजकुमार स्पार्टा की रानी हेलेन का अपहरण कर ट्राय नगर ले गया। इस अपमान का बदला लेने के लिए ही ग्रीस के सभी राजाओं और वीरों ने मिलकर ट्राय पर आक्रमण किया। ट्राय से लौटते समय उनका जहाज तूफान में फँस गया। वह बहुत दिनों तक इधर-उधर भटकता रहा। इसके बाद अपने देश लौटा। यूनान (ग्रीस) के तत्कालीन सामाजिक, राजनैतिक एवं धार्मिक तथ्यों की जानकारी का एकमात्र भरोसेमंद साधन के रूप में इनके ये दो महाकाव्य ही उपलब्ध हैं- इलियड और ओडेसी। इसके अतिरिक्त बहुत सी धार्मिक काव्य रचनाएँ भी जिन्हें बाद में परवर्ती कवियों की रचनाएँ माना गया। यह भी कहा जाता है कि इलियड और ओडेसी का प्रारंभिक स्वरूप मौखिक था और इन्हें प्राचीन ग्रीस के गायक गाया करते थे। गाते हुए वे बहुत से स्वरचित पद इसमें मिला देते। इस कारण इन्हें पूर्ण रूप से होमर की रचनाएँ मानना ठीक नहीं है। इस आधार पर वे होमर किसी एक व्यक्ति को नहीं बल्कि समष्टि रूप से इलियड और ओडेसी के रचनाकारों को मानते हैं। .

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जेफ्री चासर

जेफ्री चासर जेफ्री चासर (Geoffrey Chaucer; लगभग १३४३-१४००) अंग्रेजी भाषा के कवि, लेखक, दार्शनिक एवं राजनयिक थे। उनके साथ ही अंग्रेजी साहित्य में आधुनिक युग का प्रारंभ माना जाता है। 'कैंटरबरी टेल्स' उनकी प्रसिद्ध रचना है। उनकी रचनाएँ साहित्य के अतिरिक्त जीवन के व्यापक क्षेत्र में नए मोड़ का संकेत करती हैं। जॉन ड्राइडेन ने उनको 'अंग्रेजी कविता का जनक' कहा है। .

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जॉन मिल्टन

जॉन मिल्टन (John Milton) पैराडाइज लॉस्ट नामक अमर महाकाव्य के रचयिता जॉन मिल्टन अंग्रेजी के सार्वकालिक महान् कवियों में परिगणित हैं। कलाप्रेमी पिता की संतान होने से आरंभ से ही सुसंस्कृत मिल्टन ने उच्च शिक्षा भी प्राप्त की। इसके साथ ही तीव्र अध्यवसाय की स्वाभाविक प्रवृत्ति ने उन्हें परम पांडित्य प्रदान किया, जिसका सहज प्रभाव उनके साहित्य पर भी पड़ा। राजनीतिक सक्रियता के बाद सत्ता में उच्च पद प्राप्त करने तथा उच्च वर्गीय महिला से विवाह करने के बावजूद दोनों ही स्थितियाँ मिल्टन के लिए अंततः अत्यधिक दुःखद सिद्ध हुई। पूर्णतः नेत्रहीन हो जाने तथा विविध कष्टों को झेलने के बावजूद उन्होंने अपने दुःख को भी रचनात्मकता का पाथेय बना डाला और इस तरह एक दुःखपूर्ण जीवन की परिणति दुःखान्त न होकर सुखान्त हो गयी। .

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विलियम बटलर येट्स

विलियम बटलर येट्स एक आयरिश कवि और 20 वीं सदी के साहित्य के अग्रणी नेताओं में से एक था। वह एक साहित्य का नोबेल पुरस्कार विजयता भी था। दोनों आयरिश और ब्रिटिश साहित्यिक प्रतिष्ठानों का एक स्तंभ, उसने एबे रंगमंच की नींव डालने में मदद की, और उसके बाद के वर्षों में दो कार्यकालों के लिए एक आयरिश सीनेटर के रूप में सेवा और लेडी ग्रेगरी, एडवर्ड मार्टिन और दूसरों के साथ आयरिश साहित्यिक पुनरुद्धार के पीछे एक प्रेरणा शक्ति थी। .

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विलियम वर्द्स्वर्थ

विलियम वर्द्स्व्र्थ (७ अप्रैल,१७७०-२३ अप्रैल १८५०) एक प्रमुख रोमचक कवि थे और उन्होने सैम्युअल टेलर कॉलरिज कि सहायता से अंरेज़ि सहित्य में सयुक्त प्रकाशन गीतात्मक गथागीत के साथ रोमन्चक युग क आरम्भ किया। वर्द्स्वर्थ कि प्रसिध रचना 'द प्रेल्युद' हे जो कि एक अर्ध-आत्म चरितात्मक कवित माना जाता है। वर्द्स्वर्थ १८४३ से १८५० में अप्नि म्रित्यु तक ब्रिटेन के महाकवि थे। .

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वेस्ट ससेक्स

वेस्ट ससेक्स (अंग्रेज़ी: West Sussex) एक इंग्लैंड का काउंटी है।.

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वेस्ट्मिन्स्टर ऍबी

वेस्ट्मिन्स्टर ऍबी, (Westminster Abbey, सामान्य वर्तनी: वेस्टमिंस्टर ऐबी), जिसे पहले आधिकारिक रूप से अंग्रेज़ी में कॉलेजिएट चर्च ऑफ़ सेण्ट पीटर ऍट् वेस्ट्मिन्स्टर(वेस्टमिंस्टर में स्थित संत पीटर का कॉलेजिएट चर्च) का नाम दिया गया था, वेस्टमिंस्टर शहर, लंदन में स्थित एक विशाल, मुख्यत: गोथिक मठ व गिरिजाघर है। यह वेस्टमिंस्टर महल से पश्चिम में स्थित है। यह यूनाइटेड किंगडम के सबसे माननीय पूजा स्थलों में से एक है व ग्रेट ब्रिटेन के शाही परिवार के राज्याभिषेक का परम्परागत स्थल है। 1540 से 1556 तक इस मठ को कैथेड्रल का महत्व हासिल था। हालांकि 1560 से यह भवन मठ या कैथेड्रल नहीं रह गयी और सिर्फ़ शाही निजी संपत्ति ही कही जाती थी। "शाही निजी संपत्ति" – वो संपत्तियाँ थीं जो सीधे सम्राट के प्रति जवाबदेह थीं और सम्राट की जिम्मेदारी थीं। यह भवन वास्तविक मठ व गिरिजाघर है। 1080 में पहली बार सुलकार्ड द्वारा बताई गई परंपरा के अनुसार लंदन के थोर्नी द्वीप पर सातवीं शताब्दी में लंदन के पादरी मेलिटस के जमाने में एक गिरिजाघर का निर्माण हुआ था। वर्तमान गिरिजाघर का निर्माण सन् 1245 में हेनरी अष्टम के आदेश पर शुरु हुआ था।.

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कुतर्क

कुतर्क (अंग्रेजी: fallacy) एक बुरे या अमान्य तर्क को कहते हैं।, The A to Z of Logic (2010:p74).

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कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस (CUP) कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय का प्रकाशन व्यवसाय है। 1534 में हेनरी अष्ठम द्वारा इसे लेटर्स पेटेंट दिया गया था। यह दुनिया का सबसे पुराना पब्लिशिंग हाउस और दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी प्रेस (ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस के बाद) है। .

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कैंटरबरी टेल्स

कैंटरबरी टेल्स, (कैंटरबरी किस्से) इंग्लैंड के प्रसिद्ध कवि ज्योफ्रे चासर की अंतिम और सर्वोतम रचना है। यह कहानियों का संग्रह है (दो गद्य-रूप में, बाइस पद्य रूप में)। इससे अंग्रेजी साहित्य में आधुनिक अर्थ में जीवन के यथार्थ चित्रण की परंपरा का प्रारंभ होता है। इसमें कहानियों की उद्भावना स्वयं न करके समस्त यूरोपीय साहित्य तथा जनसाधारण में प्रचलित आख्यायिकाओं को इतिवृत्त का आधार बनाया गया है। इसी कारण उनमें विविधता है। जिस प्रकार कहानी कहनेवाले पात्रों में विविधता है, उसी प्रकार कहानियों में भी विभिन्न प्रकार की कहानियों को एक कड़ी में पिरोने की योजना चॉसर ने बड़ी चतुराई से बनाई है। कैंटरबरी टेल्स को अंग्रेजी साहित्य ही नही वरन यूरोपीय साहित्य की उत्कृष्ट रचनाओं में एक माना जाता है। .

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अराजकतावाद

अराजकतावाद (Anarchism) एक राजनीतिक दर्शन है, जो स्वैच्छिक संस्थानों पर आधारित स्वाभिशासित समाजों की वक़ालत करता है। इनका वर्णन अक्सर राज्यहीन समाजों के रूप में होता है, यद्यपि कई लेखकों ने इन्हें अधिक विशिष्टतापूर्वक अपदानुक्रमिक मुक्त संघों पर आधारित संस्थानों के रूप में परिभाषित किया हैं। अराजकतावाद के मतानुसार राज्य अवांछनीय, अनावश्यक और हानिकारक है निम्न स्रोत अराजकतावाद को एक राजनीतिक दर्शन के रूप में सन्दर्भित करते हैं: Slevin, Carl.

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