2 संबंधों: कवि, अग्रवाल जैन।
कवि
कवि वह है जो भावों को रसाभिषिक्त अभिव्यक्ति देता है और सामान्य अथवा स्पष्ट के परे गहन यथार्थ का वर्णन करता है। इसीलिये वैदिक काल में ऋषय: मन्त्रदृष्टार: कवय: क्रान्तदर्शिन: अर्थात् ऋषि को मन्त्रदृष्टा और कवि को क्रान्तदर्शी कहा गया है। "जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि" इस लोकोक्ति को एक दोहे के माध्यम से अभिव्यक्ति दी गयी है: "जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ, कवि पहुँचे तत्काल। दिन में कवि का काम क्या, निशि में करे कमाल।।" ('क्रान्त' कृत मुक्तकी से साभार) .
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अग्रवाल जैन
अग्रवाल जैन एक प्राचीन समुदाय हैं, जो जैन धर्म को मानता हैं। इनकी उत्पत्ति अग्रोहा, हरियाणा से हुआ था। यह समुदाय मुख्य जैन समुदायों में से एक हैं।Jyotiprasad Jain, Pramukh Jain Etihasik Purush aur mahilayen, Bharatiya Jnanapitha, 1975 .