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वरदान और वरदान (प्रेमचंद का उपन्यास)

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

वरदान और वरदान (प्रेमचंद का उपन्यास) के बीच अंतर

वरदान vs. वरदान (प्रेमचंद का उपन्यास)

*वरदान - वरदान संस्कृत भाषा का शब्द है,जिसका अर्थ है ईश्वर अथवा देवी देवताओं द्वारा किया गया अनुग्रह। हिन्दू वेद, पुराणों एवं अन्य स्मृति ग्रंथों में देवताओं द्वारा साधारण मनुष्यों,दैत्यों एवं राक्षसों की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान (अभिलाषित वस्तु अथवा सिद्धि) दिए जाने का उल्लेख मिलता है।. ‘सेवासदन’ के उपरांत सन् 1920 में प्रेमचंद का यह उपन्यास प्रषित हुआ । किन्तु ‘सेवासदन’ के भाँती इस उपन्यास में भाव की गरिमा और वैचारिक स्पष्टता नही थी । उपन्यास की अधिकांश कथा में क्रमशः कृत्रिमता बढ़ती चली गयी है और कल्पना की अतिशयता ने मूल कथानक को ही गडबड कर दिया है । निसंदेह ही ‘वरदान’ प्रेमचंद की एक दुर्बल कृति है ।  .

वरदान और वरदान (प्रेमचंद का उपन्यास) के बीच समानता

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संदर्भ

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