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लोकभाषा और विद्यापति

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

लोकभाषा और विद्यापति के बीच अंतर

लोकभाषा vs. विद्यापति

लोक भाषा का साहित्य अत्यन्त प्राचीन है जो मौखिक है। कन्नौजी बोली में प्रचुर लोक साहित्य है और कई शोध कार्य हो चुके हैं।. विद्यापति भारतीय साहित्य की 'शृंगार-परम्परा' के साथ-साथ 'भक्ति-परम्परा' के भी प्रमुख स्तंभों मे से एक और मैथिली के सर्वोपरि कवि के रूप में जाने जाते हैं। इनके काव्यों में मध्यकालीन मैथिली भाषा के स्वरूप का दर्शन किया जा सकता है। इन्हें वैष्णव, शैव और शाक्त भक्ति के सेतु के रूप में भी स्वीकार किया गया है। मिथिला के लोगों को 'देसिल बयना सब जन मिट्ठा' का सूत्र दे कर इन्होंने उत्तरी-बिहार में लोकभाषा की जनचेतना को जीवित करने का महान् प्रयास किया है। मिथिलांचल के लोकव्यवहार में प्रयोग किये जानेवाले गीतों में आज भी विद्यापति की शृंगार और भक्ति-रस में पगी रचनाएँ जीवित हैं। पदावली और कीर्तिलता इनकी अमर रचनाएँ हैं। .

लोकभाषा और विद्यापति के बीच समानता

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लोकभाषा और विद्यापति के बीच तुलना

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संदर्भ

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