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लरिसा (उपग्रह) और सौर मण्डल

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

लरिसा (उपग्रह) और सौर मण्डल के बीच अंतर

लरिसा (उपग्रह) vs. सौर मण्डल

वॉयेजर द्वितीय यान द्वारा ली गयी लरिसा की दो तस्वीरें लरिसा सौर मण्डल के आठवे ग्रह वरुण का एक उपग्रह है। यह वरुण के सारे उपग्रहों में से चौथा सबसे बड़ा है। लरिसा का औसत व्यास २०० किमी से ज़रा कम है और इसका अकार बेढंगा है (यानि गोल नहीं है)। इस उपग्रह का रंग गाढ़ा प्रतीत होता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है के वरुण का यह चन्द्रमा वरुण के साथ-साथ निर्मित नहीं हुआ था, बल्कि उस मलबे के कुछ जमावड़े से बन गया है जब वरुण नें अपने से पास गुज़रते हुए ट्राइटन को अपने शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण के क़ब्ज़े में लेकर उसे अपना उपग्रह बना लिया। उस दौरान वरुण के इर्द-गिर्द घूम रहे पुराने उपग्रहों में गुरुत्वकर्षण के बदलते प्रभाव से काफ़ी टकराव हुए थे जिनसे वे उपग्रह ध्वस्त हो गए और अपना मलबा छोड़ गए और लरिसा उसी का नतीजा है। ट्राइटन को छोड़कर, वरुण के अन्य उपग्रहों का निर्माण कुछ ऐसे ही हुआ था। लरिसा धीरे-धीरे वरुण के समीप आता जा रहा है और वैज्ञानिकों का विचार है के कुछ समय बात यह या तो वरुण के वायुमंडल में गिरकर ध्वस्त हो जाएगा या वरुण की रोश सीमा के अन्दर आने से उसके गुरुत्वाकर्षण द्वारा तोड़कर एक उपग्रही छल्ले के लिए मलबा बन जाएगा। . सौर मंडल में सूर्य और वह खगोलीय पिंड सम्मलित हैं, जो इस मंडल में एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा बंधे हैं। किसी तारे के इर्द गिर्द परिक्रमा करते हुई उन खगोलीय वस्तुओं के समूह को ग्रहीय मण्डल कहा जाता है जो अन्य तारे न हों, जैसे की ग्रह, बौने ग्रह, प्राकृतिक उपग्रह, क्षुद्रग्रह, उल्का, धूमकेतु और खगोलीय धूल। हमारे सूरज और उसके ग्रहीय मण्डल को मिलाकर हमारा सौर मण्डल बनता है। इन पिंडों में आठ ग्रह, उनके 166 ज्ञात उपग्रह, पाँच बौने ग्रह और अरबों छोटे पिंड शामिल हैं। इन छोटे पिंडों में क्षुद्रग्रह, बर्फ़ीला काइपर घेरा के पिंड, धूमकेतु, उल्कायें और ग्रहों के बीच की धूल शामिल हैं। सौर मंडल के चार छोटे आंतरिक ग्रह बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल ग्रह जिन्हें स्थलीय ग्रह कहा जाता है, मुख्यतया पत्थर और धातु से बने हैं। और इसमें क्षुद्रग्रह घेरा, चार विशाल गैस से बने बाहरी गैस दानव ग्रह, काइपर घेरा और बिखरा चक्र शामिल हैं। काल्पनिक और्ट बादल भी सनदी क्षेत्रों से लगभग एक हजार गुना दूरी से परे मौजूद हो सकता है। सूर्य से होने वाला प्लाज़्मा का प्रवाह (सौर हवा) सौर मंडल को भेदता है। यह तारे के बीच के माध्यम में एक बुलबुला बनाता है जिसे हेलिओमंडल कहते हैं, जो इससे बाहर फैल कर बिखरी हुई तश्तरी के बीच तक जाता है। .

लरिसा (उपग्रह) और सौर मण्डल के बीच समानता

लरिसा (उपग्रह) और सौर मण्डल आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): ट्राइटन (उपग्रह), वरुण (ग्रह), गुरुत्वाकर्षण

ट्राइटन (उपग्रह)

ट्राइटन सौर मण्डल के आठवे ग्रह वरुण (नॅप्टयून) का सबसे बड़ा उपग्रह है और हमारे सौर मण्डल के सारे चंद्रमाओं में से सातवा सब से बड़ा चन्द्रमा है। अगर वरुण के सारे चंद्रमाओं का कुल द्रव्यमान देखा जाए तो उसका ९९.५% इस एक उपग्रह में निहित है। ट्राइटन वरुण का इकलौता उपग्रह है जो अपने गुरुत्वाकर्षक खिचाव से अपना अकार गोल कर चुका है। बाक़ी सभी चंद्रमाओं के अकार बेढंगे हैं। ट्राइटन का अपना पतला वायुमंडल भी है, जिसमें नाइट्रोजन के साथ-साथ थोड़ी मात्रा में मीथेन और कार्बन मोनोऑक्साइड भी मौजूद हैं। ट्राइटन की सतह पर औसत तापमान -२३५.२° सेंटीग्रेड है। १९८६ में पास से गुज़रते हुए वॉयेजर द्वितीय यान ने कुछ ऐसी तस्वीरें ली जिनमें ट्राइटन के वातावरण में बादलों जैसी चीज़ें नज़र आई थीं। ट्राइटन वरुण के इर्द-गिर्द अपनी कक्षा में परिक्रमा में प्रतिगामी चाल रखता है और इसकी बनावट यम ग्रह (प्लूटो) से मिलती-जुलती है जिस से वैज्ञानिक अनुमान लगते हैं के ट्राइटन वरुण से दूर काइपर घेरे में बना था और भटकते हुए वरुण के पास जा पहुंचा जहाँ वह वरुण के तगड़े गुरुत्वाकर्षण की पकड़ में आ गया और तब से उसकी परिक्रमा कर रहा है। .

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वरुण (ग्रह)

वरुण, नॅप्टयून या नॅप्चयून हमारे सौर मण्डल में सूर्य से आठवाँ ग्रह है। व्यास के आधार पर यह सौर मण्डल का चौथा बड़ा और द्रव्यमान के आधार पर तीसरा बड़ा ग्रह है। वरुण का द्रव्यमान पृथ्वी से १७ गुना अधिक है और अपने पड़ौसी ग्रह अरुण (युरेनस) से थोड़ा अधिक है। खगोलीय इकाई के हिसाब से वरुण की कक्षा सूरज से ३०.१ ख॰ई॰ की औसत दूरी पर है, यानि वरुण पृथ्वी के मुक़ाबले में सूरज से लगभग तीस गुना अधिक दूर है। वरुण को सूरज की एक पूरी परिक्रमा करने में १६४.७९ वर्ष लगते हैं, यानि एक वरुण वर्ष १६४.७९ पृथ्वी वर्षों के बराबर है। हमारे सौर मण्डल में चार ग्रहों को गैस दानव कहा जाता है, क्योंकि इनमें मिटटी-पत्थर की बजाय अधिकतर गैस है और इनका आकार बहुत ही विशाल है। वरुण इनमे से एक है - बाकी तीन बृहस्पति, शनि और अरुण (युरेनस) हैं। इनमें से अरुण की बनावट वरुण से बहुत मिलती-जुलती है। अरुण और वरुण के वातावरण में बृहस्पति और शनि के तुलना में बर्फ़ अधिक है - पानी की बर्फ़ के अतिरिक्त इनमें जमी हुई अमोनिया और मीथेन गैसों की बर्फ़ भी है। इसलिए कभी-कभी खगोलशास्त्री इन दोनों को "बर्फ़ीले गैस दानव" नाम की श्रेणी में डाल देते हैं। .

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गुरुत्वाकर्षण

गुरुत्वाकर्षण के कारण ही ग्रह, सूर्य के चारों ओर चक्कर लगा पाते हैं और यही उन्हें रोके रखती है। गुरुत्वाकर्षण (ग्रैविटेशन) एक पदार्थ द्वारा एक दूसरे की ओर आकृष्ट होने की प्रवृति है। गुरुत्वाकर्षण के बारे में पहली बार कोई गणितीय सूत्र देने की कोशिश आइजक न्यूटन द्वारा की गयी जो आश्चर्यजनक रूप से सही था। उन्होंने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत का प्रतिपादन किया। न्यूटन के सिद्धान्त को बाद में अलबर्ट आइंस्टाइन द्वारा सापेक्षता सिद्धांत से बदला गया। इससे पूर्व वराह मिहिर ने कहा था कि किसी प्रकार की शक्ति ही वस्तुओं को पृथिवी पर चिपकाए रखती है। .

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लरिसा (उपग्रह) और सौर मण्डल के बीच तुलना

लरिसा (उपग्रह) 8 संबंध है और सौर मण्डल 99 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 2.80% है = 3 / (8 + 99)।

संदर्भ

यह लेख लरिसा (उपग्रह) और सौर मण्डल के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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