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रोहतास और सोन नदी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

रोहतास और सोन नदी के बीच अंतर

रोहतास vs. सोन नदी

रोहतास जिला मुख्यालय: सासाराम क्षेत्र: ३८५० किमी जनसंख्या: २४,४८,७६२(२००१ जनगणना) उप प्रभागों: सासाराम, डेहरी, बिक्रमगन्ज ब्लॉक: नौहट्टा, चेनारी, नासरीगन्ज्, रोहतास, नोखा, डेहरी, बिक्रमगन्ज, दिनारा, राजपुर, शिवसागर कृषि: धान, गेहूं, दाल उद्योग: सीमेंट, पत्थर माइंस नदियों: सोन, काव नहर- जगजीवन कैनाल, गारा चौबे कैनाल रोहतास जिला बिहार के अड़तीस जिलो में से एक है। इसका मुख्यालय सासाराम है। इस जिले में तीन अनुमंडल हैं, जिनमें डेहरी आन सोन, बिक्रमगंज और सासाराम है। रोहतास जिले के बिक्रमगंज में मां अस्कामिनी का बेहद प्राचीन मंदिर है। रोहतास जिले के रोहतासगढ़ किले का भी ऐतिहासिक महत्व है। वहीं, सासाराम में शेरशाह सूरी का प्रसिद्ध मकबरा भी अवस्थित है। ऐसा कहा जाता है कि शेरशाह सूरी ने ही वर्तमान डाक-तार व्यवस्था की शुरुआत की थी। इस जिले की सबसे खास बात यह भी है कि यहाँ का जिलाधिकारी कार्यालय सासाराम में है, जबकि पुलिस मुख्यालय डेहरी आन सोन में है। साथ में न्यायिक कार्यालय क्रमशः सासाराम और बिक्रमगंज में है। बिक्रमगंज के समीप स्थित धारुपुर की मां काली का मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है। यह एक मात्र ऐसा मंदिर है, जो नहर के बीचों-बीच अवस्थित है। रोहतास जिला पटना डिवीजन का एक हिस्सा है और यह ३८५० वर्ग किलोमीटर का एक क्षेत्र है, २४,४८,७६२ (२००१ जनगणना) की आबादी और किमी² प्रति ६३६ व्यक्तियों की आबादी के घनत्व। इस क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा भोजपुरी है। जिले के प्रशासनिक मुख्यालय, सासाराम ऐतिहासिक महत्व की एक जगह है। राष्ट्रीय गौरव का एक अन्य महत्वपूर्ण प्रतीक सोन पुल, सोन नदी के ऊपर बना हुआ है वहाँ दो समानांतर पुलों, सड़क के लिए एक और रेलवे के लिए एक और कर रहे हैं। सड़क पुल (जवाहर सेतु १९६३-६५ में गैमन इंडिया द्वारा निर्मित) सोन पर लंबे समय तक एशिया में (३०६१ मी) था जब तक यह पटना में गंगा नदी के ऊपर महात्मा गांधी सेतु (5475 मीटर) द्वारा को पार कर गया था। रेलवे पुल अभी भी सबसे लंबे समय तक एशिया में रेलवे पुल है। इसके तीन अनुमंडल बिक्रमगन्ज, सासाराम और डेहरी है। बिक्रमगंज में अस्कामिनि माँ का मन्दिर काफी प्रसिद्ध है। बिक्रमगन्ज के पास स्थित धारुपुर काली माँ का मन्दिर भी बहुत प्रसिद्ध है। ये मन्दिर नहर के बीचोबीच है। कैमूर पर्वत श्रृंखलाओं में स्थित मां ताराचंडी का शक्तिपिठ भी है। कैमूर पहाड़ियाँ पर्यटन के लिये भी प्रसिद्ध हैं। सासाराम में प्रसिद्ध शेरशाह का मकबरा है। . सोन नद या सोनभद्र नद भारत के मध्य प्रदेश राज्य से निकल कर उत्तर प्रदेश, झारखंड के पहाड़ियों से गुजरते हुए पटना के समीप जाकर गंगा नदी में मिल जाती है। यह बिहार की एक प्रमुख नदी है। इस नदी का नाम सोन पड़ा क्योंकि इस नदी के बालू (रेत) पीले रंग के हैँ जो सोने कि तरह चमकते हैँ। इस नदी के रेत भवन निर्माण आदी के लिए बहुत उपयोगी हैं यह रेत पूरे बिहार में भवन निर्माण के लिए उपयोग में लाया जाता है तथा यह रेत उत्तर प्रदेश के कुछ शहरों में भी निर्यात किया जाता है। सोन नद का उल्लेख रामायण आदि पुराणो में आता है । .

रोहतास और सोन नदी के बीच समानता

रोहतास और सोन नदी आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): डेहरी आन सोन, पटना, गंगा नदी

डेहरी आन सोन

डेहरी आन सोन (स्थिति: 240 55' उ0 अ0 तथा 840 11' पू0 दे0) बिहार के शाहाबाद जिले का एक छोटा सा सुंदर कस्बा है। यह सोन नदी के बाएँ किनारे पर ग्रैंड ट्रंक रोड पर बसा हुआ है। यहाँ यातायात की भरमार और सरकारी कार्यालयों की बहुलता है। व्यापारिक और औद्योगिक क्षेत्र होने से यह नगर सा जान पड़ता है। यहाँ सोन नदी पर बाँध बाँधकर नहरें निकाली गई हैं। नहरों के कारण स्थान की रमणीयता बढ़ गई है। जहाँ से नहर निकाली है उसके पास ही 'अपलैंड पार्क' नामक एक सुंदर उद्यान लगा है। यहाँ वर्ष में दो उल्लेखनीय मेले लगते हैं - एक माघ संक्रांति के अवसर पर, दूसरा कार्तिक में छठ के अवसर पर। छठवाला मेला कुछ घंटों के लिए ही लगता है पर 15-20 मीलों से स्त्री-पुरुष, बच्चे बूढ़े, रंग बिरंगी पोशाक पहनकर हजारों की संख्या में एकत्र होते हैं। डिहरी-ऑन-सोन स्वास्थ्यकर स्थान है, यहाँ जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक दृश्यों की छटा देखने के लिए हजारों व्यक्ति प्रतिवर्ष, विशेषत: अक्टूबर से मार्च के बीच, आते हैं। रोहतासगढ़ का किला डिहरी-ऑन-सोन की प्रसिद्धि उत्तर में बसे डालमियानगर के कारण बढ़ गयी है। डालमियानगर में चीनी, कागज, सीमेंट, वनस्पति घी, दाहक सोडा आदि के निर्माण के कारखाने हैं, जिनमें हजारों व्यक्ति काम करते हैं। इनकी सुविधा के लिए अनेक वासस्थान, क्वार्टर, अस्पताल, स्कूल, खेल के मैदान आदि बने हैं। यहाँ से लगभग 12 मील पश्चिम में ससराम नामक स्थान है, जहाँ शेरशाह का मकबरा स्थित है। इसके 30 मील दक्षिण में सोन नदी के बहाव पर पहाड़ी पर स्थित रोहतास गढ़ का प्राचीन और मजबूत किला है। ऐसा कहा जाता है कि राजा सत्य हरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश्व ने इसे बनवाया था। यह बहुत दिनों तक हिन्दू राजाओं के अधिकार में रहा किंतु 16वीं सदी में मुसलमानों के अधिकार में चला गया और अनेक वर्षों तक उनके अधीन रहा। .

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पटना

पटना (पटनम्) या पाटलिपुत्र भारत के बिहार राज्य की राजधानी एवं सबसे बड़ा नगर है। पटना का प्राचीन नाम पाटलिपुत्र था। आधुनिक पटना दुनिया के गिने-चुने उन विशेष प्राचीन नगरों में से एक है जो अति प्राचीन काल से आज तक आबाद है। अपने आप में इस शहर का ऐतिहासिक महत्व है। ईसा पूर्व मेगास्थनीज(350 ईपू-290 ईपू) ने अपने भारत भ्रमण के पश्चात लिखी अपनी पुस्तक इंडिका में इस नगर का उल्लेख किया है। पलिबोथ्रा (पाटलिपुत्र) जो गंगा और अरेन्नोवास (सोनभद्र-हिरण्यवाह) के संगम पर बसा था। उस पुस्तक के आकलनों के हिसाब से प्राचीन पटना (पलिबोथा) 9 मील (14.5 कि॰मी॰) लम्बा तथा 1.75 मील (2.8 कि॰मी॰) चौड़ा था। पटना बिहार राज्य की राजधानी है और गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर अवस्थित है। जहां पर गंगा घाघरा, सोन और गंडक जैसी सहायक नदियों से मिलती है। सोलह लाख (2011 की जनगणना के अनुसार 1,683,200) से भी अधिक आबादी वाला यह शहर, लगभग 15 कि॰मी॰ लम्बा और 7 कि॰मी॰ चौड़ा है। प्राचीन बौद्ध और जैन तीर्थस्थल वैशाली, राजगीर या राजगृह, नालन्दा, बोधगया और पावापुरी पटना शहर के आस पास ही अवस्थित हैं। पटना सिक्खों के लिये एक अत्यंत ही पवित्र स्थल है। सिक्खों के १०वें तथा अंतिम गुरु गुरू गोबिंद सिंह का जन्म पटना में हीं हुआ था। प्रति वर्ष देश-विदेश से लाखों सिक्ख श्रद्धालु पटना में हरमंदिर साहब के दर्शन करने आते हैं तथा मत्था टेकते हैं। पटना एवं इसके आसपास के प्राचीन भग्नावशेष/खंडहर नगर के ऐतिहासिक गौरव के मौन गवाह हैं तथा नगर की प्राचीन गरिमा को आज भी प्रदर्शित करते हैं। एतिहासिक और प्रशासनिक महत्व के अतिरिक्त, पटना शिक्षा और चिकित्सा का भी एक प्रमुख केंद्र है। दीवालों से घिरा नगर का पुराना क्षेत्र, जिसे पटना सिटी के नाम से जाना जाता है, एक प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र है। .

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गंगा नदी

गंगा (गङ्गा; গঙ্গা) भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है। यह भारत और बांग्लादेश में कुल मिलाकर २,५१० किलोमीटर (कि॰मी॰) की दूरी तय करती हुई उत्तराखण्ड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुन्दरवन तक विशाल भू-भाग को सींचती है। देश की प्राकृतिक सम्पदा ही नहीं, जन-जन की भावनात्मक आस्था का आधार भी है। २,०७१ कि॰मी॰ तक भारत तथा उसके बाद बांग्लादेश में अपनी लंबी यात्रा करते हुए यह सहायक नदियों के साथ दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है। सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण गंगा का यह मैदान अपनी घनी जनसंख्या के कारण भी जाना जाता है। १०० फीट (३१ मी॰) की अधिकतम गहराई वाली यह नदी भारत में पवित्र मानी जाती है तथा इसकी उपासना माँ तथा देवी के रूप में की जाती है। भारतीय पुराण और साहित्य में अपने सौन्दर्य और महत्त्व के कारण बार-बार आदर के साथ वंदित गंगा नदी के प्रति विदेशी साहित्य में भी प्रशंसा और भावुकतापूर्ण वर्णन किये गये हैं। इस नदी में मछलियों तथा सर्पों की अनेक प्रजातियाँ तो पायी ही जाती हैं, मीठे पानी वाले दुर्लभ डॉलफिन भी पाये जाते हैं। यह कृषि, पर्यटन, साहसिक खेलों तथा उद्योगों के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है तथा अपने तट पर बसे शहरों की जलापूर्ति भी करती है। इसके तट पर विकसित धार्मिक स्थल और तीर्थ भारतीय सामाजिक व्यवस्था के विशेष अंग हैं। इसके ऊपर बने पुल, बांध और नदी परियोजनाएँ भारत की बिजली, पानी और कृषि से सम्बन्धित ज़रूरतों को पूरा करती हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। गंगा की इस अनुपम शुद्धीकरण क्षमता तथा सामाजिक श्रद्धा के बावजूद इसको प्रदूषित होने से रोका नहीं जा सका है। फिर भी इसके प्रयत्न जारी हैं और सफ़ाई की अनेक परियोजनाओं के क्रम में नवम्बर,२००८ में भारत सरकार द्वारा इसे भारत की राष्ट्रीय नदी तथा इलाहाबाद और हल्दिया के बीच (१६०० किलोमीटर) गंगा नदी जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया है। .

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रोहतास और सोन नदी के बीच तुलना

रोहतास 9 संबंध है और सोन नदी 13 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 13.64% है = 3 / (9 + 13)।

संदर्भ

यह लेख रोहतास और सोन नदी के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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