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रॉबस्पियर

सूची रॉबस्पियर

रोब्स्पियर मैक्समिलियन रॉब्सपियर (6 मई 1758 – 28 जुलाई 1794) एक फ़्रांसीसी वकील और राजनीतिज्ञ थे। इन्हें फ़्रान्सीसी क्रान्ति से जुड़े सर्वाधिक प्रसिद्ध और प्रभावशाली लोगों में गिना जाता है। रॉबस्पियर, स्टेट्स जेनरल, फ्रांस की राष्ट्रीय संविधान सभा, और जैकोबिन क्लब के सदस्य थे। आर्रा प्रांत के वकील, रॉब्सपियर स्वभाव से अंतर्मुखी और रूसो के अनन्य भक्त थे। उन्होंने ने फ्रांस में सार्वत्रिक पुरुष मताधिकार लागू करने और दास प्रथा को पूर्णतया समाप्त करने के लिए आन्दोलन का नेतृत्व किया। स्वयं हिंसक न होते हुए भी इन्होने हिंसा को प्रश्रय दिया, इनके विरोधियों को इनका विरोध करना काफी महँगा पड़ा। ये फ्रांस में सद्गुणों का गणतंत्र (रिपब्लिक ऑफ वर्च्यू) स्थापित करना चाहते थे और इनका यह कथन काफी प्रसिद्ध है कि "बिना आतंक के सद्गुण और बिना सद्गुण के आतंक निरर्थक होते हैं।" इन्होने क्रान्ति के समय लुई सोलहवें के मृत्युदण्ड की व्यवस्था कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। रोब्सपियर को लेंकोरेप्तिब्ल (l'Incorruptible) अर्थात जिसे भ्रष्ट न किया जा सके की उपाधि दी गयी थी। .

2 संबंधों: फ़्रान्सीसी क्रान्ति, लुई सोलहवाँ

फ़्रान्सीसी क्रान्ति

बेसिल दिवस: १४ जुलाई १७८९ फ्रांसीसी क्रांति (फ्रेंच: Révolution française / रेवोलुस्योँ फ़्राँसेज़; 1789-1799) फ्रांस के इतिहास की राजनैतिक और सामाजिक उथल-पुथल एवं आमूल परिवर्तन की अवधि थी जो 1789 से 1799 तक चली। बाद में, नेपोलियन बोनापार्ट ने फ्रांसीसी साम्राज्य के विस्तार द्वारा कुछ अंश तक इस क्रांति को आगे बढ़ाया। क्रांति के फलस्वरूप राजा को गद्दी से हटा दिया गया, एक गणतंत्र की स्थापना हुई, खूनी संघर्षों का दौर चला, और अन्ततः नेपोलियन की तानाशाही स्थापित हुई जिससे इस क्रांति के अनेकों मूल्यों का पश्चिमी यूरोप में तथा उसके बाहर प्रसार हुआ। इस क्रान्ति ने आधुनिक इतिहास की दिशा बदल दी। इससे विश्व भर में निरपेक्ष राजतन्त्र का ह्रास होना शुरू हुआ, नये गणतन्त्र एव्ं उदार प्रजातन्त्र बने। आधुनिक युग में जिन महापरिवर्तनों ने पाश्चात्य सभ्यता को हिला दिया उसमें फ्रांस की राज्यक्रांति सर्वाधिक नाटकीय और जटिल साबित हुई। इस क्रांति ने केवल फ्रांस को ही नहीं अपितु समस्त यूरोप के जन-जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया। फ्रांसीसी क्रांति को पूरे विश्व के इतिहास में मील का पत्थर कहा जाता है। इस क्रान्ति ने अन्य यूरोपीय देशों में भी स्वतन्त्रता की ललक कायम की और अन्य देश भी राजशाही से मुक्ति के लिए संघर्ष करने लगे। इसने यूरोपीय राष्ट्रों सहित एशियाई देशों में राजशाही और निरंकुशता के खिलाफ वातावरण तैयार किया। .

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लुई सोलहवाँ

लुई सोलहवाँ (Louis XVI; १७७४-१७९३) - लुई पंद्रहवें का पौत्र था और उसके बाद फ्रांस का राजा बना। उसका जन्म १७५४ में हुआ था। वह ईमानदार था और उसके विचार भी अच्छे थे लेकिन वह एक कमजोर प्रकृति का व्यक्ति था और सदैव किसी न किसी के प्रभाव में रहता था - पहले माँ और भाई के और बाद में अपनी पत्नी मारी ऐत्वानेत् के। लुई का यह दुर्भाग्य था कि अपने पूर्वजों के कार्यों का भुगतान उसने अपने प्राणों की बलि देकर किया। चौदहवें और पंद्रहवें लुई का स्वेच्छाचारी शासन, बिगड़ती आर्थिक दशा, सामंतों के अत्याचार और हर प्रकार की असमानता से पीड़ित जनता ने १७८९ में क्रांति का झंडा खड़ा कर दिया। लुई की दयापूर्ण नीति के कारण भी परिस्थिति बिगड़ती गई। वर्साय पर जनता ने आक्रमण किया और एक संविधान को संचालित किया। लुई को ट्यूलरी के राजमहल में बंदी कर दिया। लुई का वहाँ से भागने का प्रयत्न असफल रहा। उसपर यह भी दोष लगाया गया कि अपनी सत्ता पुन: स्थापित करने के लिए वह दूसरे राजाओं से चोरी चोरी सहायता की याचना करता रहा है। देशद्रोह के आरोप में उसे २१ जनवरी १७९३ को ३८ वर्ष की आयु में प्राणदंड दे दिया गया। श्रेणी:फ़्रांस का इतिहास श्रेणी:फ्रांसीसी क्रान्ति.

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रोब्सपियर

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