लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

रेयान

सूची रेयान

क्षार और कार्बन डाइसल्फ़ाइड द्वारा सेलूलोज़ का उपचार विस्कोस उत्पन्न करता है रेयान, पुनर्जीवित सेलूलोज़ से निर्मित एक तंतु (फाइबर) है। क्योंकि इसका उत्पादन प्राकृतिक रूप से मिलनेवाले बहुलकों से किया जाता है, इसलिए वास्तव में यह न तो पूरी तरह से एक कृत्रिम तंतु है और न ही एक प्राकृतिक तंतु है; यह एक अर्द्ध कृत्रिम तंतु है। कपड़ा उद्योग में रेयान को विस्कोस रेयान या कृत्रिम रेशम (आर्ट सिल्क) के नाम से जाना जाता है। उच्च आलोक गुणवत्ता के कारण यह तंतु आमतौर पर काफी चमकदार होता है। .

3 संबंधों: पॉलीमर, रस्सी, विस्कोस

पॉलीमर

रिअल लीनिअर पॉलीमर कड़ियां, जो परमाणिव्क बल सूक्ष्मदर्शी द्वारा तरल माध्यम के अधीन देखी गयी हैं। इस बहुलक की चेन लंबाई ~२०४ नैनो.मीटर; मोटाई is ~०.४ नै.मी.वाई.रोइटर एवं एस.मिंको, http://dx.doi.org/10.1021/ja0558239 ईफ़एम सिंगल मॉलिक्यूल एक्स्पेरिमेंट्स ऐट सॉलिड-लिक्विड इंटरफ़ेस, अमरीकन कैमिकल सोसायटी का जर्नल, खण्ड १२७, ss. 45, pp. 15688-15689 (2005) वहुलक या पाॅलीमर बहुत अधिक अणु मात्रा वाला कार्बनिक यौगिक होता है। यह सरल अणुओं जिन्हें मोनोमर कहा जाता; के बहुत अधिक इकाईयों के पॉलीमेराइजेशन के फलस्वरूप बनता है।। नैनोविज्ञान। वर्ल्डप्रेस पर पॉलीमर में बहुत सारी एक ही तरह की आवर्ती संरचनात्मक इकाईयाँ यानि मोनोमर संयोजी बन्ध (कोवैलेन्ट बॉण्ड) से जुड़ी होती हैं। सेल्यूलोज, लकड़ी, रेशम, त्वचा, रबर आदि प्राकृतिक पॉलीमर हैं, ये खुली अवस्था में प्रकृति में पाए जाते हैं तथा इन्हें पौधों और जीवधारियों से प्राप्त किया जाता है। इसके रासायनिक नामों वाले अन्य उदाहरणों में पालीइथिलीन, टेफ्लान, पाॅली विनाइल क्लोराइड प्रमुख पाॅलीमर हैं। कृत्रिम या सिंथेटिक पॉलीमर मानव निर्मित होते हैं। इन्हें कारखानों में उत्पादित किया जा सकता है। प्लास्टिक, पाइपों, बोतलों, बाल्टियों आदि के निर्माण में प्रयुक्त होने वाली पोलीथिन सिंथेटिक पॉलीमर है। बिजली के तारों, केबलों के ऊपर चढ़ाई जाने वाली प्लास्टिक कवर भी सिंथेटिक पॉलीमर है। फाइबर, सीटकवर, मजबूत पाइप एवं बोतलों के निर्माण में प्रयुक्त होने वाली प्रोपाइलीन भी सिंथेटिक पॉलीमर है। वाल्व सील, फिल्टर क्लॉथ, गैस किट आदि टेफलॉन से बनाए जाते हैं। सिंथेटिक रबर भी पॉलीमर है जिससे मोटरगाड़ियों के टायर बनाए जाते हैं। हॉलैंड के वैज्ञानिकों के अनुसार मकड़ी में उपस्थित एक डोप नामक तरल पदार्थ उसके शरीर से बाहर निकलते ही एकप प्रोटीनयुक्त पॉलीमर के रूप में जाला बनाता है। पॉलीमर शब्द का प्रथम प्रयोग जोंस बर्जिलियस ने १८३३ में किया था। १९०७ में लियो बैकलैंड ने पहला सिंथेटिक पोलीमर, फिनोल और फॉर्मएल्डिहाइड की प्रक्रिया से बनाया। उन्होंने इसे बैकेलाइट नाम दिया। १९२२ में हर्मन स्टॉडिंगर को पॉलीमर के नए सिद्धांत को प्रतिपादित करने के लिए नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इससे पहले यह माना जाता था कि ये छोटे अणुओं का क्लस्टर है, जिन्हें कोलाइड्स कहते थे, जिसका आण्विक भार ज्ञात नहीं था। लेकिन इस सिद्धांत में कहा गया कि पाॅलीमर एक शृंखला में कोवेलेंट बंध द्वारा बंधे होते हैं। पॉलीमर शब्द पॉली (कई) और मेरोस (टुकड़ों) से मिलकर बना है। एक ही प्रकार की मोनोमर इकाईयों से बनने वाले बहुलक को होमोपॉलीमर कहते हैं। जैसे पॉलीस्टायरीन का एकमात्र मोनोमर स्टायरीन ही है। भिन्न प्रकार की मोनोमर इकाईयों से बनने वाले बहुलक को कोपॉलीमर कहते हैं। जैसे इथाइल-विनाइल-एसीटेट भिन्न प्रकार के मोनोमरों से बनता है। भौतिक व रासायनिक गुणों के आधार पर इन्हें दो वर्गों में बांटा जा सकता है: right.

नई!!: रेयान और पॉलीमर · और देखें »

रस्सी

मछली पकड़ने में प्रयुक्त रस्सी की कुण्डली रस्सी या रज्जु, रेशों (फाइबर) को ऐंठकर या चोटी-पूरकर (ब्रेडिंग करके) बनायी जाती है जिससे इनकी शक्ति बढ़ जाती है। यांत्रिक दृष्टि से रस्सी में तनाव झेलने की शक्ति (टेंसाइल स्ट्रेंथ) तो होती है किन्तु इसकी कम्प्रेसिव स्ट्रेंथ (दबाव झेलने की शक्ति) नगण्य होती है क्योंकि यह लचीली होती है। इसका दूसरे शब्दों में अर्थ यह है कि खींचने (pulling) के लिये तो इसका प्रयोग किया जा सकता है किन्तु धकेलने (पुशिंग) के लिये नहीं। .

नई!!: रेयान और रस्सी · और देखें »

विस्कोस

विस्कोस, एक श्यान कार्बनिक तरल है, जिसका प्रयोग रेयान और सेलोफेन आदि को बनाने में किया जाता है। विस्कोस को अक्सर रेयान का पर्याय माना जाता है जो, एक मुलायम तंतु है और सामान्यतः कमीजें, शॉर्ट्स, कोट, जैकेट, जैसे बाहरी वस्त्र बनाने में प्रयुक्त होता है। .

नई!!: रेयान और विस्कोस · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

रेयन

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »