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रेडियो संग्राही

सूची रेडियो संग्राही

रेडियो संग्राही रेडियो संग्राही (radio receiver) एक विद्युत परिपथ है जो विद्युतचुम्बकीय तरंगों के रूप में उपलब्ध संकेतों को एंटेना के द्वारा ग्रहण करने के बाद इसका सम्यक प्रसंस्करण करते हुए अन्त में ध्वनि या किसी अन्य उपयोगी रूप में प्रस्तुत करता है। .

8 संबंधों: ट्रांसमीटर, ट्रांजिस्टर, पहला विश्व युद्ध, रेडियो तरंग, लाउडस्पीकर, सुपरहेटरोडाइन संग्राही, सेंसर, विद्युत परिपथ

ट्रांसमीटर

लन्दन के क्रिस्टल पैलेस ट्रान्समिटर का एन्टेना टावर प्रेषित्र, प्रेषी या ट्रान्समीटर (Transmitter) एक ऐसी प्रणाली है जो रेडियो, दूरदर्शन या संचार के विद्युतचुम्बकीय संकेतों को प्रसारित करता है। इसके लिये प्राय: उपयुक्त प्रकार के एन्टेना की मदद ली जाती है। .

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ट्रांजिस्टर

अलग-अलग रेटिंग के कुछ प्रथनक ट्रान्जिस्टर (प्रथनक) एक अर्धचालक युक्ति है जिसे मुख्यतः प्रवर्धक (Amplifier) के रूप में प्रयोग किया जाता है। कुछ लोग इसे बीसवीं शताब्दी की सबसे महत्वपूर्ण खोज मानते हैं। ट्रान्जिस्टर का उपयोग अनेक प्रकार से होता है। इसे प्रवर्धक, स्विच, वोल्टेज नियामक (रेगुलेटर), संकेत न्यूनाधिक (सिग्नल माडुलेटर), थरथरानवाला (आसिलेटर) आदि के रूप में काम में लाया जाता है। पहले जो कार्य ट्रायोड या त्रयाग्र से किये जाते थे वे अधिकांशत: अब ट्रान्जिस्टर के द्वारा किये जाते हैं। .

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पहला विश्व युद्ध

पहला विश्व युद्ध 1914 से 1918 तक मुख्य तौर पर यूरोप में व्याप्त महायुद्ध को कहते हैं। यह महायुद्ध यूरोप, एशिया व अफ़्रीका तीन महाद्वीपों और समुंदर, धरती और आकाश में लड़ा गया। इसमें भाग लेने वाले देशों की संख्या, इसका क्षेत्र (जिसमें यह लड़ा गया) तथा इससे हुई क्षति के अभूतपूर्व आंकड़ों के कारण ही इसे विश्व युद्ध कहते हैं। पहला विश्व युद्ध लगभग 52 माह तक चला और उस समय की पीढ़ी के लिए यह जीवन की दृष्टि बदल देने वाला अनुभव था। क़रीब आधी दुनिया हिंसा की चपेट में चली गई और इस दौरान अंदाज़न एक करोड़ लोगों की जान गई और इससे दोगुने घायल हो गए। इसके अलावा बीमारियों और कुपोषण जैसी घटनाओं से भी लाखों लोग मरे। विश्व युद्ध ख़त्म होते-होते चार बड़े साम्राज्य रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी (हैप्सबर्ग) और उस्मानिया ढह गए। यूरोप की सीमाएँ फिर से निर्धारित हुई और अमेरिका निश्चित तौर पर एक 'महाशक्ति ' बन कर उभरा। .

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रेडियो तरंग

रेडियो और टेलीविजन प्रसारण के लिए प्रयुक्त ऐण्टेना रेडियो तरंगें (radio waves) वे विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं, जिनका तरंगदैर्घ्य १० सेण्टीमीटर से १०० किमी के बीच होता है। ये मानवनिर्मित भी होती हैं और प्राकृतिक भी। मानव की कोई इंद्रिय इन्हें पहचान नहीं सकती बल्कि ये किसी अन्य तकनीकी उपकरण (जैसे, रेडियो संग्राही) द्वारा पकड़ी एवं अनुभव की जातीं हैं। इनका प्रयोग मुख्यतः बिना तार के, वातावरण या बाहरी व्योम के द्वारा सूचना का आदान प्रदान या परिवहन में होता है। इन्हें अन्य विद्युत चुम्बकीय तरंगों से इनकी तरंग दैर्घ्य के अधार पर पृथक किया जाता है, जो अपेक्षाकृत अधिक लम्बी होती है। .

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लाउडस्पीकर

एक सस्ता, कम विश्वस्तता 3½ इंच स्पीकर, आमतौर पर छोटे रेडियो में पाया जाता है। एक चतुर्मार्गी, उच्च विश्वस्तता लाउडस्पीकर सिस्टम. एक लाउडस्पीकर (या "स्पीकर") एक विद्युत-ध्वनिक ऊर्जा परिवर्तित्र है, जो वैद्युत संकेतों को ध्वनि में परिवर्तित करता है। स्पीकर वैद्युत संकेतों के परिवर्तनों के अनुसार चलता है तथा वायु या जल के माध्यम से ध्वनि तरंगों का संचार करवाता है। श्रवण क्षेत्रों की ध्वनिकी के बाद, लाउडस्पीकर (तथा अन्य विद्युत-ध्वनि ऊर्जा परिवर्तित्र) आधुनिक श्रव्य प्रणालियों में सर्वाधिक परिवर्तनशील तत्व हैं तथा ध्वनि प्रणालियों की तुलना करते समय प्रायः यही सर्वाधिक विरूपणों और श्रव्य असमानताओं के लिए उत्तरदायी होते हैं। .

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सुपरहेटरोडाइन संग्राही

प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान मेजर एडविन आर्मस्ट्रांग नामक वैज्ञानिक ने सरल संग्राही में अपेक्षित सुधार कर ऐसी संग्राही व्यवस्था को जन्म दिया जिसमें किसी भी आवृत्ति के संकेत को किसी समय सुगमता से ग्रहण किया जा सकता है। यह व्यवस्था वस्तुत: आधुनिक लोकप्रिय रेडियो संग्राही सेटों की जनक है। एंटेना से आनेवाले रेडियो आवृत्ति के संकेतों को सर्वप्रथम एक मिश्रण-पद (mixer stage) से होकर गुजारा जाता है, जहाँ उसी क्षण उपयुक्त आवृत्ति का एक अन्य रेडियो संकेत भी प्रविष्ट कराया जाता है। यह दूसरा संकेत एक अन्य स्थानीय कंपित्र (local oscillator) में उत्पन्न किया जाता है। मिश्रण पद में दोनों संकेतों के संयोजन से विस्पंद-सिद्धांत (beat theory) द्वारा एक निम्न आवृत्ति का संकेत उत्पन्न होता है, जो दोनों आवृत्तियों का अंतर होता है। मिश्रण-पद के आगे का संपूर्ण परिपथ इसी आवृत्ति के लिए समस्वरित होता है। यह आवृत्ति माध्य आवृत्ति (intermediate frequency, या i. f.) कहलाती है। इस क्षीण आवृत्ति को एक रेडियो-आवृत्ति प्रवर्धक (r. f. amplifier) द्वारा प्रदर्शित कर, तथा विमाडुलक (demodulator) द्वारा संशोधित कर, संसूचक वाल्व द्वारा श्रव्यावृत्ति में परिणत किया जाता है। आगे इस श्रव्य आवृत्ति का प्रवर्धित कर ध्वनि विस्तारक में प्रेषित कर दिया जाता है। सुपरहेटेरोडाइन संग्राही का ब्लॉक आरेख .

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सेंसर

हाल प्रभाव पर आधारित सेंसर सेंसर (संवेदक) एक ऐसा उपकरण है जो किसी भौतिक राशि को मापने का कार्य करता है तथा इसे एक ऐसे संकेत में परिवर्तित कर देता है जिसे किसी पर्यवेक्षक या यंत्र द्वारा पढ़ा जा सकता है। उदाहरणस्वरूप, एक पारे से भरा कांच का थर्मामीटर मापित तापमान को एक तरल पदार्थ के विस्तार तथा संकुचन में परिवर्तित कर देता है जिसे एक अंशांकित कांच की नली पर पढ़ा जा सकता है। एक थर्मोकपल तापमान को एक आउटपुट वोल्टेज में परिवर्तित कर देता है जिसे एक वोल्टमीटर द्वारा पढ़ा जा सकता है। सटीकता की दृष्टि से, सभी सेंसरों को ज्ञात मानकों के अनुरूप अंशांकित करने की आवश्यकता है। .

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विद्युत परिपथ

एक सरल विद्युत परिपथ जो एक वोल्टेज स्रोत एवं एक प्रतिरोध से मिलकर बना है ब्रेडबोर्ड के ऊपर बनाया गया एक सरल परिपथ (मल्टीवाइव्रेटर) विद्युत अवयवों (वोल्टेज स्रोत, प्रतिरोध, प्रेरकत्व, संधारित्र एवं कुंजियों आदि) एवं विद्युतयांत्रिक अवयवों (स्विच, मोटर, स्पीकर आदि) का परस्पर संयोजन विद्युत परिपथ (Electric circuit) अथवा विद्युत नेटवर्क (electrical network) कहलाता है। विद्युत परिपथ बहुत विशाल क्षेत्र में फैले हो सकते हैं; जैसे-विद्युत-शक्ति के उत्पादन, ट्रान्समिसन, वितरण एवं उपभोग का नेटवर्क। बहुत से विद्युत परिपथ प्राय: प्रिन्टेड सर्किट बोर्डों पर संजोये जाते हैं। विद्युत परिपथ अत्यन्त लघु आकार के भी हो सकते हैं; जैसे एकीकृत परिपथ। जब किसी परिपथ में डायोड, ट्रान्जिस्टर या आईसी आदि लगे होते हैं तो उसे एलेक्ट्रॉनिक परिपथ भी कहा जाता है जो कि विद्युत परिपथ का ही एक रूप है। विद्युत परिपथ को परिपथ आरेख (सर्किट डायग्राम) के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। प्रायः एक या अधिक बन्द लूप वाले नेटवर्क ही विद्युत परिपथ कहलाते हैं। .

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