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रासायनिक उद्योग

सूची रासायनिक उद्योग

रासायन उत्पादक कारखाना रासायनिक उद्योग (chemical industry) में वे सब उद्योग आते हैं जो औद्योगिक रसायनों का उत्पादन करते हैं। रासायनिक उद्योग संसार की वर्तमान अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। ये उद्योग कच्चे माल (जैसे तेल, प्राकृतिक गैस, वायु, जल, धातुएं, खनिज आदि) को ७०,००० से भी अधिक विभिन्न उत्पादों में परिवर्तित करते हैं। .

41 संबंधों: एथिलीन, एक्रिलोनाइट्राइल, नाइट्रिक अम्ल, नाइट्रोसेलूलोज, नाइट्रोजन, निओप्रीन, प्रत्यास्थलक, प्लास्टिक, पॉलिएस्टर, पॉलीएथिलीन, पॉलीमर, पोटैशियम नाइट्रेट, फिनोल, बैकेलाइट, बेंजिलबेंजोएट, बेंजीन, मृत्तिकाशिल्प, यूरिया, रासायनिक इंजीनियरी, रेयान, शाकनाशक, शैल-रसायन, संयुक्त राज्य, सोडियम हाइड्रॉक्साइड, सोडियम कार्बोनेट, विस्फोटक, वृहद उत्पादन, गन्धकाम्ल, गंधक, औद्योगिक क्रांति, कार्बनिक रसायन, क्लोरीन, कृषि रसायन, कूमरिन, कीटनाशक, अमोनियम नाइट्रेट, अमोनिया, अलकतरा, अज़रबाइजान, उद्योग, उर्वरक

एथिलीन

एथिलीन (Ethylene; (IUPAC नाम: एथीन/ethene) एक हाइड्रोकार्बन है जिसका अणुसूत्र or H2C.

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एक्रिलोनाइट्राइल

एक्रिलोनाइट्राइल एक कार्बनिक यौगिक है। श्रेणी:कार्बनिक यौगिक.

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नाइट्रिक अम्ल

नाइट्रिक अम्ल (Nitric acid) (HNO3), एक अत्यन्त संक्षारक (कोरोसिव) खनिज अम्ल है। इसे एक्वा फ्रोटिस (aqua fortis) और 'स्पिरिट ऑफ नाइटर' भी कहते हैं। कीमियागरों को नाइट्रिक अम्ल का ज्ञान था, जिसे वे ऐक्वा फॉर्टिस के नाम से पुकारते थे। प्रसिद्ध कीमियागर जेबर ने नाइटर (niter) और ताम्र सल्फेट, (Cu SO4) तथा फिटकरी के साथ आसवन से प्राप्त कर इसका वर्णन किया है। भारत में शोरा तथा नाइट्रिक अम्ल का १६वीं शताब्दी में ज्ञान था। शुक्राचार्य के ग्रंथ शुक्रनीति में बारूद बनाने के लिए इसे उपयोग का वर्णन हुआ है। उड़ीसा के गजपति प्रतापरुद्रदेव द्वारा लिखित ग्रंथ 'कौतुकचिंतामणि' में यवक्षार (साल्टपीटर) का उल्लेख है। इसके अतिरिक्त सुवर्णतंत्र ग्रंथ (लगभग १७वीं शताब्दी में लिखा गया) में 'शंखद्राव' का वर्णन है, जो शोरे और नमक के अम्लों (HCl) का मिश्रण था। आईने अकबरी ग्रंथ में रासी (शोरे के अम्ल) का वर्णन है, जिसका चाँदी को स्वच्छ करने में उपयोग हो सकता था। वर्ष १६४८ ई. में ग्लॉबर (Glauber) ने नाइटर पर विट्रियल तेल (oil of vitreol) की अभिक्रिया द्वारा संद्र नाइट्रिक अम्ल का निर्माण किया। कैवेंडिश ने १७७६ ई में इसका संघटन ज्ञात किया। वायुमंडल में नाइट्रिक अम्ल विद्युत विसर्जन (electric discharge) द्वारा सूक्ष्म मात्रा में बनता रहता है, जो वर्षाजल में घुलकर पृथ्वी पर आता है। मिट्टी में उपस्थित कार्बनिक पदार्थों के ऑक्सीकरण द्वारा भी नाइट्रिक अम्ल बनता है। यह अम्ल अनेक नाइट्रेट पदार्थों के रूप में भूमि में संचित होकर पौधों के उपयोग में आता है। नाइट्रेट यौगिकों का प्रमुख स्रोत चिली देश है। भारत की साँभर झील में पोटासियम नाइट्रेट पाया जाता है। भारत के कुछ राज्यों में मिट्टी के साथ मिला हुआ पोटासियम नाइट्रेट पाया जाता है। इससे एक समय प्रचुर मात्रा में शोरा (व्यापारिक पोटासियम नाइट्रेट) तैयार होता था। .

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नाइट्रोसेलूलोज

सेलूलोज के नाइट्रिक अम्ल के ऐस्टरों को नाइट्रोसेलूलोज़ (Nitrocellulose) या सेलूलोज़ नाइट्रेट, कहते हैं। .

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नाइट्रोजन

नाइट्रोजन (Nitrogen), भूयाति या नत्रजन एक रासायनिक तत्व है जिसका प्रतीक N है। इसका परमाणु क्रमांक 7 है। सामान्य ताप और दाब पर यह गैस है तथा पृथ्वी के वायुमण्डल का लगभग 78% नाइट्रोजन ही है। यह सर्वाधिक मात्रा में तत्व के रूप में उपलब्ब्ध पदार्थ भी है। यह एक रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन और प्रायः अक्रिय गैस है। इसकी खोज 1772 में स्कॉटलैण्ड के वैज्ञनिक डेनियल रदरफोर्ड ने की थी। आवर्त सारणी के १५ वें समूह का प्रथम तत्व है। नाइट्रोजन का रसायन अत्यंत मनोरंजक विषय है, क्योंकि समस्त जैव पदार्थों में इस तत्व का आवश्यक स्थान है। इसके दो स्थायी समस्थानिक, द्रव्यमान संख्या 14, 15 ज्ञात हैं तथा तीन अस्थायी समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या 13, 16, 17) भी बनाए गए हैं। नाइट्रोजन तत्व की पहचान सर्वप्रथम 1772 ई. में रदरफोर्ड और शेले ने स्वतंत्र रूप से की। शेले ने उसी वर्ष यह स्थापित किया कि वायु में मुख्यत: दो गैसें उपस्थित हैं, जिसमें एक सक्रिय तथा दूसरी निष्क्रिय है। तभी प्रसिद्ध फ्रांसीसी वैज्ञानिक लाव्वाज़्ये ने नाइट्रोजन गैस को ऑक्सीजन (सक्रिय अंश) से अलग कर इसका नाम 'ऐजोट' रखा। 1790 में शाप्टाल (Chaptal) ने इसे नाइट्रोजन नाम दिया। .

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निओप्रीन

निओप्रीन (Neoprene या polychloroprene) एक विशेष प्रकार के संश्लेषित रबर हैं जो क्लोरोप्रीन का बहुलकीकरण करके बनाये जाते हैं। निओप्रीन की रासायनिक स्थायित्व अच्छा होता है। यह अधिक ताप परिवर्तन होने पर भी लचीला बना रहता है। बहुलकीकरण का रासायनिक समीकरण निम्नलिखित प्रकार से लिखा जा सकता है- श्रेणी:रबर.

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प्रत्यास्थलक

thumb प्रत्यास्थलक (.

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प्लास्टिक

विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक से निर्मित घरेलू वस्तुएँ प्लास्टिक (Plastic), शंश्लेषित अथवा अर्धशंश्लेषित कार्बनिक ठोस पदार्थों के एक बड़े समूह का सामान्य नाम है। इससे बहुत सारे औद्योगिक उत्पाद निर्मित होते हैं। प्लास्टिक प्रायः उच्च अणुभार वाले बहुलक होते हैं जिनमें मूल्य कम करने या अधिक कार्यक्षम बनाने के लिये कुछ अन्य पदार्थ भी मिश्रित किये जा सकते है। प्लास्टिक पदार्थ और प्लास्टिक (पदार्थों के एक गुण) अलग-अलग हैं। एक गुण के रूप में प्लास्टिक उन पदार्थों की विशेषता का द्योतक है जो अधिक खींचने या तानने (विकृति पैदा करने) से स्थायी रूप से अपना रूप बदल देते हैं और अपने मूल स्वरूप में नहीं लौट पाते। .

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पॉलिएस्टर

एक प्रकार का बहुलक (पालिमर) है। इससे कपड़े बनाए जाते हैं। तकियों में रूई की जगह इसे भरा जाता है। श्रेणी:पॉलीमर श्रेणी:पॉलिएस्टर श्रेणी:प्लास्टिक श्रेणी:परावैद्युत श्रेणी:कृत्रिम रेशे ये यौगिक डाई हाइड्रिक एल्केहल एवं डाई बेसिक एसिड की क्रिया द्वारा बनाये जाते है।.

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पॉलीएथिलीन

पालीइथिलीन के अणु श्रेणी:कार्बनिक यौगिक पॉलीएथिलीन या पॉलीथीन (Polyethylene या Polythene या PE; IUPAC नाम: पॉलीएथीन या पॉली (मेथीलीन)) सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला प्लास्टिक है। वर्तमान में इसका वार्षिक वैश्विक उत्पादन ८ करोड़ टन है। इसका मुख्य उपयोग पैकेजिंग (प्लास्टिक के थैले, प्लास्टिक फिल्में, जीओमेम्ब्रेन, बोतल और अन्य पात्र) बनाने में होता है। पॉलीथीलीन कई प्रकार के होते हैं जिनमें से अधिकांश का सूत्र (C2H4)nH2 होता है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि पॉलीथीन एक ही प्रकार के कार्बनिक यौगिकों का मिश्रण होता है जिनमें n का मान अलग-अलग होता है। पालीइथिलीन एक बहुलक है। यह इथिलीन के अणु द्वारा बनता है। यह एक बहुउपयोगी पदार्थ है। श्रेणी:प्लास्टिक.

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पॉलीमर

रिअल लीनिअर पॉलीमर कड़ियां, जो परमाणिव्क बल सूक्ष्मदर्शी द्वारा तरल माध्यम के अधीन देखी गयी हैं। इस बहुलक की चेन लंबाई ~२०४ नैनो.मीटर; मोटाई is ~०.४ नै.मी.वाई.रोइटर एवं एस.मिंको, http://dx.doi.org/10.1021/ja0558239 ईफ़एम सिंगल मॉलिक्यूल एक्स्पेरिमेंट्स ऐट सॉलिड-लिक्विड इंटरफ़ेस, अमरीकन कैमिकल सोसायटी का जर्नल, खण्ड १२७, ss. 45, pp. 15688-15689 (2005) वहुलक या पाॅलीमर बहुत अधिक अणु मात्रा वाला कार्बनिक यौगिक होता है। यह सरल अणुओं जिन्हें मोनोमर कहा जाता; के बहुत अधिक इकाईयों के पॉलीमेराइजेशन के फलस्वरूप बनता है।। नैनोविज्ञान। वर्ल्डप्रेस पर पॉलीमर में बहुत सारी एक ही तरह की आवर्ती संरचनात्मक इकाईयाँ यानि मोनोमर संयोजी बन्ध (कोवैलेन्ट बॉण्ड) से जुड़ी होती हैं। सेल्यूलोज, लकड़ी, रेशम, त्वचा, रबर आदि प्राकृतिक पॉलीमर हैं, ये खुली अवस्था में प्रकृति में पाए जाते हैं तथा इन्हें पौधों और जीवधारियों से प्राप्त किया जाता है। इसके रासायनिक नामों वाले अन्य उदाहरणों में पालीइथिलीन, टेफ्लान, पाॅली विनाइल क्लोराइड प्रमुख पाॅलीमर हैं। कृत्रिम या सिंथेटिक पॉलीमर मानव निर्मित होते हैं। इन्हें कारखानों में उत्पादित किया जा सकता है। प्लास्टिक, पाइपों, बोतलों, बाल्टियों आदि के निर्माण में प्रयुक्त होने वाली पोलीथिन सिंथेटिक पॉलीमर है। बिजली के तारों, केबलों के ऊपर चढ़ाई जाने वाली प्लास्टिक कवर भी सिंथेटिक पॉलीमर है। फाइबर, सीटकवर, मजबूत पाइप एवं बोतलों के निर्माण में प्रयुक्त होने वाली प्रोपाइलीन भी सिंथेटिक पॉलीमर है। वाल्व सील, फिल्टर क्लॉथ, गैस किट आदि टेफलॉन से बनाए जाते हैं। सिंथेटिक रबर भी पॉलीमर है जिससे मोटरगाड़ियों के टायर बनाए जाते हैं। हॉलैंड के वैज्ञानिकों के अनुसार मकड़ी में उपस्थित एक डोप नामक तरल पदार्थ उसके शरीर से बाहर निकलते ही एकप प्रोटीनयुक्त पॉलीमर के रूप में जाला बनाता है। पॉलीमर शब्द का प्रथम प्रयोग जोंस बर्जिलियस ने १८३३ में किया था। १९०७ में लियो बैकलैंड ने पहला सिंथेटिक पोलीमर, फिनोल और फॉर्मएल्डिहाइड की प्रक्रिया से बनाया। उन्होंने इसे बैकेलाइट नाम दिया। १९२२ में हर्मन स्टॉडिंगर को पॉलीमर के नए सिद्धांत को प्रतिपादित करने के लिए नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इससे पहले यह माना जाता था कि ये छोटे अणुओं का क्लस्टर है, जिन्हें कोलाइड्स कहते थे, जिसका आण्विक भार ज्ञात नहीं था। लेकिन इस सिद्धांत में कहा गया कि पाॅलीमर एक शृंखला में कोवेलेंट बंध द्वारा बंधे होते हैं। पॉलीमर शब्द पॉली (कई) और मेरोस (टुकड़ों) से मिलकर बना है। एक ही प्रकार की मोनोमर इकाईयों से बनने वाले बहुलक को होमोपॉलीमर कहते हैं। जैसे पॉलीस्टायरीन का एकमात्र मोनोमर स्टायरीन ही है। भिन्न प्रकार की मोनोमर इकाईयों से बनने वाले बहुलक को कोपॉलीमर कहते हैं। जैसे इथाइल-विनाइल-एसीटेट भिन्न प्रकार के मोनोमरों से बनता है। भौतिक व रासायनिक गुणों के आधार पर इन्हें दो वर्गों में बांटा जा सकता है: right.

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पोटैशियम नाइट्रेट

पोटैशियम नाइट्रेट (Potassium nitrate) एक रासायनिक यौगिक है। इसका अणसूत्र KNO3 है। यह एक आयनिक लवण है। पोटैशियम नाइट्रेट 'शोरा' (niter) नामक खनिज के रूप मिलता है और नाइट्रोजन का प्राकृतिक ठोस स्रोत है। नाइट्रोजन से युक्त बहुत से यौगिकों को सामूहिक रूप से 'शोरा' (saltpeter या saltpetre) कहते हैं; पोटैशियम नाइट्रेट उनमें से एक है। पोटैशियम नाइट्रेट का उपयोग मुख्यतः उर्वरक, रॉकेट के नोदक (प्रोपेलेंट), तथा पटाखों (fireworks) में होता है। पोटैशियम नाइट्रेट, बारूद के तीन घटकों में से एक है। मध्ययुग से ही इसे खाद्य संरक्षण के लिए उपयोग किया जाता रहा है। श्रेणी:रासायनिक यौगिक श्रेणी:पोटैशियम यौगिक श्रेणी:नाइट्रेट श्रेणी:लवण श्रेणी:ऑक्सीकारक श्रेणी:संरक्षक.

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फिनोल

फिनॉल फ़िनोल (IUPAC: Benzenol) वस्तुत: कार्बनिक यौगिकों की एक श्रेणी का नाम है जिसका प्रथम सदस्य 'फिनोल' या कार्बोलिक अम्ल है। बेंजीन केंद्रक का एक या एक से अधिक हाइड्रोजन जब हाइड्रॉक्सिल समूह से विस्थापित होता है, तब उससे जो उत्पाद प्राप्त होते हैं उसे फिनोल कहते हैं। यदि केंद्रक में एक ही हाइड्रॉक्सिल रहे, तो उसे मोनोहाइ-ड्रिक फिनोल, दो हाइड्रॉक्सिल रहें तो उसे डाइहॉइड्रिक फिनोल और तीन हाइड्रॉक्सिल रहें, तो उसे ट्राइहाइड्रिक फिनोल कहते हैं।; अन्य नाम .

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बैकेलाइट

बैकेलाइट का पेपर नाइफ़, १९२० बैकेलाइट, या पॉलीऑक्सीबेन्ज़ाइलमेथाइलीनग्लाइकोऐनहाइड्राइड, एक आरंभिक प्लास्टिक था। यह थर्मोसेटिंग फिनॉल फॉर्मैल्डिहाइड रेसिन होता है, जो फिनॉल के फॉर्मैल्डिहाइड से एलिमिनेशन प्रतिक्रिया पर बनता है। इसकी खोज १९०७-१९०९ के बीच बेल्जियम के रसायनज्ञ लियो बैकेलैंड ने की थी। श्रेणी:थर्मोसेटिंग प्लास्टिक.

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बेंजिलबेंजोएट

बेंजिल बेंजोएत (Benzyl benzoate) एक कार्बनिक यौगिक है जिसका अणुसूत्र C6H5CH2O2CC6H5 है। यह बेंजिल अल्कोहल और बेंजोइक अम्ल का एस्टर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आधारभूत स्वास्थ्य के लिये अत्यावश्यक महत्वपूर्ण दवाओं की सूची में इसका भी नाम है। .

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बेंजीन

बेंजीन के विभिन्न प्रकार के निरूपण बेंज़ीन या धूपेन्य एक हाइड्रोकार्बन है जिसका अणुसूत्र C6H6 है। बेंजीन का अणु ६ कार्बन परमाणुओं से बना होता है जो एक छल्ले की तरह जुड़े होते हैं तथा प्रत्येक कार्बन परमाणु से एक हाइड्रोजन परमाणु जुड़ा होता है। बेंजीन, पेट्रोलियम (क्रूड ऑयल) में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। कोयले के शुष्क आसवन से अलकतरा तथा अलकतरे के प्रभाजी आसवन (fractional distillation) से बेंजीन बड़ी मात्रा में तैयार होता है। प्रदीपन गैस से प्राप्त तेल से फैराडे ने 1825 ई. में सर्वप्रथम इसे प्राप्त किया था। मिटशरले ने 1834 ई. में बेंज़ोइक अम्ल से इसे प्राप्त किया और इसका नाम बेंजीन रखा। अलकतरे में इसकी उपस्थिति का पता पहले पहल 1845 ई. में हॉफमैन (Hoffmann) ने लगाया था। जर्मनी में बेंजीन को 'बेंज़ोल' कहते हैं। बेंजीन रंगहीन, मीठी गन्थ वाला, अत्यन्त ज्वलनशील द्रव है। इसका उपयोग एथिलबेंजीन्न और क्यूमीन (cumene) आदि भारी मात्रा में उत्पादित रसायनों के निर्माण में होता है। चूँकि बेंजीन का ऑक्टेन संख्या अधिक होती है, इसलिये पेट्रोल में कुछ प्रतिशत तक यह मिलाया गया होता है। यह कैंसरजन है जिसके कारण इसका गैर-औद्योगिक उपयोग कम ही होता है। .

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मृत्तिकाशिल्प

चीनी पोर्सलीन का पात्र (किंग वंश, १८वीं शती) खपरैल मेक्सिको से प्राप्त योद्धा की मृतिकाशिल्प (तीसरी शती ईसापूर्व से चौथी शती ई के बीच) मृत्तिकाशिल्प 'सिरैमिक्स' (ceramics) का हिन्दी पर्याय है। ग्रीक भाषा के 'कैरेमिक' का अर्थ है - 'कुंभकार का शिल्प'। अमरीका में मृद भांड, दुर्गलनीय पदार्थ, कांच, सीमेंट, एनैमल तथा चूना उद्योग मृत्तिकाशिल्प के अंतर्गत हैं। गढ़ने तथा सुखाने के बाद अग्नि द्वारा प्रबलित मिट्टी या अन्य सुधट्य पदार्थ की निर्मिति को यूरोप में 'मृत्तिका शिल्प उत्पादन' कहते हैं। मृत्पदार्थो के निर्माण, उनके तकनीकी लक्षण तथा निर्माण में प्रयुक्त कच्चे माल से संबंधित उद्योग को हम मृत्तिकाशिल्प या सिरैमिक्स कहते हैं। मिट्टी के उत्पाद अनेक क्षेत्रों में, जैसे भवन निर्माण तथा सजावट, प्रयोगशाला, अस्पताल, विद्युत उत्पादन और वितरण, जलनिकास मलनिर्यास, पाकशाला, ऑटोमोबाइल तथा वायुयान आदि में काम आते हैं। .

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यूरिया

यूरिया (Urea या carbamide) एक कार्बनिक यौगिक है जिसका रासायनिक सूत्र (NH2)2CO होता है। कार्बनिक रसायन के क्षेत्र में इसे कार्बामाइड भी कहा जाता है। यह एक रंगहीन, गन्धहीन, सफेद, रवेदार जहरीला ठोस पदार्थ है। यह जल में अति विलेय है। यह स्तनपायी और सरीसृप प्राणियों के मूत्र में पाया जाता है। कृषि में नाइट्रोजनयुक्त रासायनिक खाद के रूप में इसका उपयोग होता है। यूरिया को सर्वप्रथम १७७३ में मूत्र में फ्रेंच वैज्ञानिक हिलेरी राउले ने खोजा था परन्तु कृत्रिम विधि से सबसे पहले यूरिया बनाने का श्रेय जर्मन वैज्ञानिक वोहलर को जाता है। इन्होंने सिल्वर आइसोसाइनेट से यूरिया का निर्माण किया तथा स्वीडेन के वैज्ञानिक बर्जेलियस के एक पत्र लिखा कि मैंने वृक्क (किडनी) की सहायता लिए बिना कृत्रिम विधि से यूरिया बना लिया है। उस समय पूरी दुनिया में बर्जेलियस का सिद्धान्त माना जाता था कि यूरिया जैसे कार्बनिक यौगिक सजीवों के शरीर के बाहर बन ही नहीं सकते तथा इनको बनाने के लिए प्राण शक्ति की आवश्यकता होती है। बड़े पैमाने पर यूरिया का उत्पादन द्रव अमोनिया तथा द्रव कार्बन डाई-आक्साइड की प्रतिक्रिया से होता है। यूरिया का उपयोग मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में होता है। इसका प्रयोग वाहनों के प्रदूषण नियंत्रक के रूप में भी किया जाता है। यूरिया-फार्मल्डिहाइड, रेंजिन, प्लास्टिक एवं हाइड्राजिन बनाने में इसका उपयोग किया जाता है। इससे यूरिया-स्टीबामिन नामक काला-जार की दवा बनती है। वेरोनल नामक नींद की दवा बनाने में उसका उपयोग किया जाता है। सेडेटिव के रूप में उपयोग होने वाली दवाओं के बनाने में भी इसका उपयोग किया जाता है। .

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रासायनिक इंजीनियरी

प्रक्रम अभियन्ता (Process engineers) संयंत्रों की डिजाइन करते हैं, निर्माण करते हैं और इन्हें चलाते हैं। रासायनिक अभियान्त्रिकी (en:Chemical Engineering) रसायन शास्त्र, भौतिकी, अर्थशास्त्र वगैरह और उनके सिद्धान्तों को औद्योगिक उपयोगों में प्रयुक्त कराने वाला विज्ञान या व्यवसाय है। इसका मुख्य हिस्सा प्रक्रम अभियान्त्रिकी कहलाता है, जिसमें भारी मात्रा में निर्मित रसायनों को औद्योगिक स्तर पर सहज तरीके से बनाने का अध्ययन किया जाता है। लेकिन आज रासायनिक अभियान्त्रिकी सिर्फ़ इसी तक सीमित नहीं है। आज रासायनिक अभियन्ता जैवप्रौद्योगिकी (जेनेटिक्स, ख़मीरीकरण आदि) विषयों पर काम और शोध करते हैं और विमान, अन्तरिक्ष यान, खाद्य पदार्थ, जैवमेडिकल संयन्त्र, सिलिकॉन तकनीकी.

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रेयान

क्षार और कार्बन डाइसल्फ़ाइड द्वारा सेलूलोज़ का उपचार विस्कोस उत्पन्न करता है रेयान, पुनर्जीवित सेलूलोज़ से निर्मित एक तंतु (फाइबर) है। क्योंकि इसका उत्पादन प्राकृतिक रूप से मिलनेवाले बहुलकों से किया जाता है, इसलिए वास्तव में यह न तो पूरी तरह से एक कृत्रिम तंतु है और न ही एक प्राकृतिक तंतु है; यह एक अर्द्ध कृत्रिम तंतु है। कपड़ा उद्योग में रेयान को विस्कोस रेयान या कृत्रिम रेशम (आर्ट सिल्क) के नाम से जाना जाता है। उच्च आलोक गुणवत्ता के कारण यह तंतु आमतौर पर काफी चमकदार होता है। .

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शाकनाशक

शाकनाशक से नष्ट किये गये खरपतवार शाकनाशक, शाकनाशी या खरपतवारनाशक (अंग्रेजी: herbicide) ऐसे रसायन या कीटनाशक होते हैं, जिनका प्रयोग कृषि क्षेत्र में अवांछित खरपतवारों weed को नष्ट करने के लिये किया जाता है। विशेष शाकनाशक से सिर्फ चुने हुए खरपतवार ही नष्ट होते हैं जबकि शेष फसल को कोई नुकसान नहीं होता। अधिकतर शाकनाशक पौधे के प्राकृतिक हार्मोनों की नकल कर उसकी वृद्धि को अवरोधित करते हैं। बेकार पड़ी जमीन, औद्योगिक स्थलों, रेलवे और रेलवे तटबंध आदि को पादपमुक्त करने में प्रयुक्त शाकनाशक कुछ खास खरपतवारों को नष्ट करने की बजाए इनके संपर्क में आने वाली समूची वनस्पति का नाश कर देते हैं। कम मात्रा में शाकनाशकों को वानिकी, चारागाहों और वन्यजीवन के संरक्षण-क्षेत्र के प्रबंधन में भी इस्तेमाल किया जाता है। .

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शैल-रसायन

सउदी अरब का एक शैल-रसायन कारखाना पेट्रोलियम से व्युत्पन्न रासायनिक उत्पादों को शैल-रसायन (Petrochemicals या petroleum distillates) कहते हैं। कुछ ऐसे भी पदार्थ हैं जो पेट्रोलियम से भी व्युत्पन्न किये जा सकते है तथा कोयला, प्राकृतिक गैस, मक्का, गन्ना आदि से भी। शैल रसायन के दो मुख्य प्रकार हैं-.

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संयुक्त राज्य

संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) (यू एस ए), जिसे सामान्यतः संयुक्त राज्य (United States) (यू एस) या अमेरिका कहा जाता हैं, एक देश हैं, जिसमें राज्य, एक फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, पाँच प्रमुख स्व-शासनीय क्षेत्र, और विभिन्न अधिनस्थ क्षेत्र सम्मिलित हैं। 48 संस्पर्शी राज्य और फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, कनाडा और मेक्सिको के मध्य, केन्द्रीय उत्तर अमेरिका में हैं। अलास्का राज्य, उत्तर अमेरिका के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है, जिसके पूर्व में कनाडा की सीमा एवं पश्चिम मे बेरिंग जलसन्धि रूस से घिरा हुआ है। वहीं हवाई राज्य, मध्य-प्रशान्त में स्थित हैं। अमेरिकी स्व-शासित क्षेत्र प्रशान्त महासागर और कॅरीबीयन सागर में बिखरें हुएँ हैं। 38 लाख वर्ग मील (98 लाख किमी2)"", U.S. Census Bureau, database as of August 2010, excluding the U.S. Minor Outlying Islands.

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सोडियम हाइड्रॉक्साइड

सोडियम हाइड्रॉक्साइड एक उच्च कोटि का क्षार है जिसका रासायनिक सूत्र NaOH है। इसे दाहक सोडा (कॉस्टिक सोडा / caustic soda) भी कहते हैं। यह श्वेत ठोस चूर्ण, पैलेट्स, फ़्लेक्स तथा अनेक सांद्रता वाले विलयनों के रूप में उपलब्ध होता है। जल में भार के अनुसार लगभग ५० सोडियम हाइड्राक्साइड मिलाने पर विलयन संतृप्त हो जाता है। दाहक सोडा, जल, इथेनॉल और मिथेनॉल में विलेय है। यह एक प्रस्वेदी पदार्थ (deliquescent) है जो आसानी से हवा से आर्द्रता और कार्बन डाईऑक्साइड सोख लेता है। दाहक सोडे का उद्योगों में अनेक प्रकार से उपयोग किया जाता है। यह लुगदी और कागज, वस्त्र, पेय जल, साबुन और डिटर्जेंट के निर्माण में तथा नालियों की सफाई के लिये प्रयोग में लाया जाता है।सन २००४ में पूरे विश्व में इसका कुल उत्पादन ६० मिलियन टन था जबकि इसकी कुल मांग लगभग ५१ मिलियन टन थी। .

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सोडियम कार्बोनेट

सोडियम कार्बोनेट एक अकार्बनिक यौगिक है जिसका रासायनिक सूत्र (Na2CO3) है। इसे 'धावन सोडा' या 'धोने का सोडा' (washing soda या soda ash और soda crystals) भी कहते हैं। यह एक सामान्य लवण है जिसका जलीय घोल क्षारीय होता है। इसलिए इसका उपयोग कपड़े धोने के लिये किया जाता है। इसलिये इसे धावन सोडा (वाशिंग सोडा) भी कहते हैं। जल की कठोरता दूर करने में भी इसका उपयोग होता है। यह जल में अति विलेय है। इसका अणुसूत्र Na2CO3.10H2O होता है, जिसका पूरा नाम सोडियम कार्बोनेट डेका हाईड्रेट है | सिर्फ Na2CO3 को सोडा ऐश कहते हैं | लेकिन जब इसमें जल के अणु जुड़ जाते हैं, तो यह धावन सोडा (Washing Powder) बन जाता है | धावन सोडा को जब गर्म किया जाता है, तो यह में बदल जाता हैं | .

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विस्फोटक

विस्फोटक (explosives) कुछ यौगिक या मिश्रण ऐसे होते हैं जिनमें आग लगाने पर या अघात करने पर बड़े धमाके के साथ वे विस्फुटित होते हैं। धमाके का कारण बड़े अल्प काल में बहुत बड़ी मात्रा में गैसों का बनना होता है। ऐसे पदार्थों को "विस्फोटक" कहते हैं। आज बहुत बड़ी मात्रा में विस्फोटकों का निर्माण होता है। .

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वृहद उत्पादन

सन् १९४४ में बेल्ल वायुयान कॉरपोरेशन का असेम्बली प्लान्ट बहुत बड़ी मात्रा में मानकीकृत उत्पादों का निर्माण विशालोत्पादन (Mass production) कहलाता है। इसे 'वृहत् उत्पादन' और 'पुंज उत्पादन' भी कहते हैं। .

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गन्धकाम्ल

गन्धकाम्ल (सल्फ्युरिक एसिड) एक तीव्र अकार्बनिक अम्ल है। प्राय: सभी आधुनिक उद्योगों में गन्धकाम्ल अत्यावश्यक होता है। अत: ऐसा माना जाता है कि किसी देश द्वारा गन्धकाम्ल का उपभोग उस देश के औद्योगीकरण का सूचक है। गन्धकाम्ल के विपुल उपभोगवाले देश अधिक समृद्ध माने जाते हैं। शुद्ध गन्धकाम्ल रंगहीन, गंधहीन, तेल जैसा भारी तरल पदार्थ है जो जल में हर परिमाण में विलेय है। इसका उपयोग प्रयोगशाला में प्रतिकारक के रूप में तथा अनेक रासायनिक उद्योगों में विभिन्न रासायनिक पदार्थों के संश्लेषण में होता है। बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन करने के लिए सम्पर्क विधि का प्रयोग किया जाता है जिसमें गन्धक को वायु की उपस्थिति में जलाकर विभिन्न प्रतिकारकों से क्रिया कराई जाती है। खनिज अम्लों में सबसे अधिक प्रयोग किया जाने वाला यह महत्त्वपूर्ण अम्ल है। प्राचीन काल में हराकसीस (फेरस सल्फेट) के द्वारा तैयार गन्धक द्विजारकिक गैस को जल में घोलकर इसे तैयार किया गया। यह तेल जैसा चिपचिपा होता है। इन्ही कारणों से प्राचीन काल में इसका नाम 'आयँल ऑफ विट्रिआँल' रखा गया था। हाइड्रोजन, गन्धक तथा जारक तीन तत्वों के परमाणुओं द्वारा गन्धकाम्ल के अणु का संश्लेषण होता है। आक्सीजन युक्ति होने के कारण इस अम्ल को 'आक्सी अम्ल' कहा जाता है। इसका अणुसूत्र H2SO4 है तथा अणु भार ९८ है। गन्धकाम्ल प्राचीनकाल के कीमियागर एवं रसविद् आचार्यों को गन्धकाम्ल के संबंध में बहुत समय से पता था। उस समय हरे कसीस को गरम करने से यह अम्ल प्राप्त होता था। बाद में फिटकरी को तेज आँच पर गरम करने से भी यह अम्ल प्राप्त होने लगा। प्रारंभ में गन्धकाम्ल चूँकि हरे कसीस से प्राप्त होता था, अत: इसे "कसीस का तेल' कहा जाता था। तेल शब्द का प्रयोग इसलिए हुआ कि इस अम्ल का प्रकृत स्वरूप तेल सा है। .

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गंधक

हल्के पीले रंग के गंधक के क्रिस्टल गंधक (Sulfur) एक रासायनिक अधातुक तत्त्व है। .

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औद्योगिक क्रांति

'''वाष्प इंजन''' औद्योगिक क्रांति का प्रतीक था। अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध तथा उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में कुछ पश्चिमी देशों के तकनीकी, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक स्थिति में काफी बड़ा बदलाव आया। इसे ही औद्योगिक क्रान्ति (Industrial Revolution) के नाम से जाना जाता है। यह सिलसिला ब्रिटेन से आरम्भ होकर पूरे विश्व में फैल गया। "औद्योगिक क्रांति" शब्द का इस संदर्भ में उपयोग सबसे पहले आरनोल्ड टायनबी ने अपनी पुस्तक "लेक्चर्स ऑन दि इंड्स्ट्रियल रिवोल्यूशन इन इंग्लैंड" में सन् 1844 में किया। औद्योगिक क्रान्ति का सूत्रपात वस्त्र उद्योग के मशीनीकरण के साथ आरम्भ हुआ। इसके साथ ही लोहा बनाने की तकनीकें आयीं और शोधित कोयले का अधिकाधिक उपयोग होने लगा। कोयले को जलाकर बने वाष्प की शक्ति का उपयोग होने लगा। शक्ति-चालित मशीनों (विशेषकर वस्त्र उद्योग में) के आने से उत्पादन में जबरदस्त वृद्धि हुई। उन्नीसवी सदी के प्रथम् दो दशकों में पूरी तरह से धातु से बने औजारों का विकास हुआ। इसके परिणामस्वरूप दूसरे उद्योगों में काम आने वाली मशीनों के निर्माण को गति मिली। उन्नीसवी शताब्दी में यह पूरे पश्चिमी यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका में फैल गयी। अलग-अलग इतिहासकार औद्योगिक क्रान्ति की समयावधि अलग-अलग मानते नजर आते हैं जबकि कुछ इतिहासकार इसे क्रान्ति मानने को ही तैयार नहीं हैं। अनेक विचारकों का मत है कि गुलाम देशों के स्रोतों के शोषण और लूट के बिना औद्योगिक क्रान्ति सम्भव नही हुई होती, क्योंकि औद्योगिक विकास के लिये पूंजी अति आवश्यक चीज है और वह उस समय भारत आदि गुलाम देशों के संसाधनों के शोषण से प्राप्त की गयी थी। .

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कार्बनिक रसायन

कार्बनिक रसायन रसायन विज्ञान की एक प्रमुख शाखा है, दूसरी प्रमुख शाखा है - अकार्बनिक रसायन। कार्बनिक रसायन का सम्बन्ध मुख्यतः कार्बन और हाइड्रोजन के अणुओं वाले रासायनिक यौगिकों के संरचना, गुणधर्म, रासायनिक अभिक्रियाओं एवं उनके निर्माण (संश्लेषण या सिन्थेसिस एवं अन्य प्रक्रिया द्वारा) आदि के वैज्ञानिक अध्ययन से है। कार्बनिक यौगिकों में कार्बन और हाइड्रोजन के अतिरिक्त अन्य अणु भी हो सकते हैं, जैसे- नाइट्रोजन (नत्रजन), ऑक्सीजन, हैलोजन, फॉस्फोरस, सिलिकॉन, गंधक (सल्फर) आदि।.

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क्लोरीन

क्लोरीन (यूनानी: χλωρóς (ख्लोरोस), 'फीका हरा') एक रासायनिक तत्व है, जिसकी परमाणु संख्या १७ तथा संकेत Cl है। ऋणात्मक आयन क्लोराइड के रूप में यह साधारण नमक में उपस्थित होती है और सागर के जल में घुले लवण में प्रचुर मात्रा में पाई जाती है।। हिन्दुस्तान लाइव। ३१ मई २०१० सामान्य तापमान और दाब पर क्लोरीन (Cl2 या "डाईक्लोरीन") गैस के रूप में पायी जाती है। इसका प्रयोग तरणतालों को कीटाणुरहित बनाने में किया जाता है। यह एक हैलोजन है और आवर्त सारणी में समूह १७ (पूर्व में समूह ७, ७ए या ७बी) में रखी गयी है। यह एक पीले और हरे रंग की हवा से हल्की प्राकृतिक गैस जो एक निश्चित दाब और तापमान पर द्रव में बदल जाती है। यह पृथ्वी के साथ ही समुद्र में भी पाई जाती है। क्लोरीन पौधों और मनुष्यों के लिए आवश्यक है। इसका प्रयोग कागज और कपड़े बनाने में किया जाता है। इसमें यह ब्लीचिंग एजेंट (धुलाई करने वाले/ रंग उड़ाने वाले द्रव्य) के रूप में काम में लाई जाती है। वायु की उपस्थिति में यह जल के साथ क्रिया कर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का निर्माण करती है। मूलत: गैस होने के कारण यह खाद्य श्रृंखला का भाग नहीं है। यह गैस स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। तरणताल में इसका प्रयोग कीटाणुनाशक की तरह किया जाता है। साधारण धुलाई में इसे ब्लीचिंग एजेंट रूप में प्रयोग करते हैं। ब्लीच और कीटाणुनाशक बनाने के कारखाने में काम करने वाले लोगों में इससे प्रभावित होने की आशंका अधिक रहती है। यदि कोई लंबे समय तक इसके संपर्क में रहता है तो उसके स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। इसकी तेज गंध आंखों, त्वचा और श्वसन तंत्र के लिए हानिकारक होती है। इससे गले में घाव, खांसी और आंखों व त्वचा में जलन हो सकती है, इससे सांस लेने में समस्या होती है। .

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कृषि रसायन

कृषि रसायन (Agricultural chemistry) रसायन विज्ञान की वह शाखा है जिसका संबन्ध कृषि से है। इसमें रसायन विज्ञान और जैवरसायन दोनो का अध्ययन किया जाता है। श्रेणी:रसायन विज्ञान.

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कूमरिन

कूमरिन (Coumarin; 2H-chromen-2-one) सुगंधित कार्बनिक यौगिक है। यह बेंजोपाइरोन (benzopyrone) वर्ग में आता है जो अपने मानक प्रावस्था में रंगहीन क्रिस्टलीय पदार्थ है। कूमरिन एक प्राकृतिक पदार्थ है जो बहुत से पादपों में पाया जाता है। श्रेणी:इत्र एवं सुगन्ध.

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कीटनाशक

क्रॉपडस्टर द्वारा कीटनाशक का छिड़काव कीटनाशक रासायनिक या जैविक पदार्थों का ऐसा मिश्रण होता है जो कीड़े मकोड़ों से होनेवाले दुष्प्रभावों को कम करने, उन्हें मारने या उनसे बचाने के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग कृषि के क्षेत्र में पेड़ पौधों को बचाने के लिए बहुतायत से किया जाता है। उर्वरक पौध की वृद्धि में मदद करते हैं जबकि कीटनाशक कीटों से रक्षा के उपाय के रूप में कार्य करते हैं। कीटनाशक कीट की क्षति को रोकने, नष्‍ट करने, दूर भगाने अथवा कम करने वाला पदार्थ अथवा पदार्थों का मिश्रण होता है। कीटनाशक रसायनिक पदार्थ (फासफैमीडोन, लिंडेन, फ्लोरोपाइरीफोस, हेप्‍टाक्‍लोर तथा मैलेथियान आदि) अथवा वाइरस, बैक्‍टीरिया, कीट भगाने वाले खर-पतवार तथा कीट खाने वाले कीटों, मछली, पछी तथा स्‍तनधारी जैसे जीव होते हैं। बहुत से कीटनाशक मानव के लिए जहरीले होते हैं। सरकार ने कुछ कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा दिया है जबकि अन्‍य के इस्‍तेमाल को विनियमित (रेगुलेट) किया गया है। .

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अमोनियम नाइट्रेट

अमोनियम नाइट्रेट एक अकार्बनिक यौगिक है। इसका रासायनिक सूत्र NH4NO3 है। यह साधारण ताप व दाब पर सफेद रंग का क्रिस्टलीय ठोस है। कृषि में इसका उपयोग उच्च-नाइट्रोजनयुक्त उर्वरक के रूप में तथा विस्फोटकों में आक्सीकारक के रूप में होता है। ANFO नामक प्रसिद्ध विस्फोटक का यह प्रमुख घटक है। .

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अमोनिया

अमोनिया एक तीक्ष्म गंध वाली रंगहीन गैस है। यह हवा से हल्की होती है तथा इसका वाष्प घनत्व ८.५ है। यह जल में अति विलेय है। अमोनिया के जलीय घोल को लिकर अमोनिया कहा जाता है यह क्षारीय प्रकृति का होता है। जोसेफ प्रिस्टले ने सर्वप्रथम अमोनियम क्लोराइड को चूने के साथ गर्म करके अमोनिया गैस को तैयार किया। बर्थेलाट ने इसके रासायनिक गठन का अध्ययन किया तथा इसको बनाने वाले तत्वों को पता लगाया। प्रयोगशाला में अमोनियम क्लोराइड तथा बुझे हुए सूखे चूने के मिश्रण को गर्म करके अमोनिया गैस तैयार की जाती है। .

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अलकतरा

अलकतरा, डांबर या कोलतार (coal tar) काले या भूरे रंग का अत्यन्त गाढ़ा द्रव है। जब कोक या कोयला गैस बनाने के लिये कोयले का कार्बनीकरण करते हैं तो एक सहुत्पाद (बाई-प्रोडक्ट) के रूप में कोलतार प्राप्त होता है। कोलतार वास्तव में फिनॉल, पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बनों (PAHs), तथा हेटेरोसाइक्लिक यौगिकों का मिश्रण होता है। कोलतार का उपयोग ब्यायलरों को गरम करने; साबुन, शैम्पू आदि एवं पक्की सड़के बनाने में होता है। .

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अज़रबाइजान

आज़रबाइजान(अन्य वर्तनी:अज़रबैजान या अज़रबाइजान) (Respublikası), कॉकेशस के पूर्वी भाग में एक गणराज्य है, पूर्वी यूरोप और एशिया के मध्य में बसा हुआ। भौगोलिक रूप से यह एशिया का ही भाग है। इसके सीमांत देश हैं: अर्मेनिया, जॉर्जिया, रूस, ईरान, तुर्की और इसका तटीय भाग कैस्पियन सागर से लगता हुआ है। यह १९९१ तक भूतपूर्व सोवियत संघ का भाग था। अज़रबैजान एक धर्मनिरपेक्ष देश है और वर्ष २००१ से काउंसिल का सदस्य है। अधिकांश जनसंख्या इस्लाम धर्म की अनुयायी है और यह देश इस्लामी सम्मेलन संघ का सदस्य राष्ट्र भी है। यह देश धीरे-धीरे औपचारिक लेकिन सत्तावादी लोकतंत्र की ओर बढ़ रहा है। .

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उद्योग

एक औद्योगिक क्षेत्र का दृश्य किसी विशेष क्षेत्र में भारी मात्रा में सामान का निर्माण/उत्पादन या वृहद रूप से सेवा प्रदान करने के मानवीय कर्म को उद्योग (industry) कहते हैं। उद्योगों के कारण गुणवत्ता वाले उत्पाद सस्ते दामों पर प्राप्त होते है जिससे लोगों का रहन-सहन के स्तर में सुधार होता है और जीवन सुविधाजनक होता चला जाता है। औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका में नये-नये उद्योग-धन्धे आरम्भ हुए। इसके बाद आधुनिक औद्योगीकरण ने पैर पसारना अरम्भ किया। इस काल में नयी-नयी तकनीकें एवं उर्जा के नये साधनों के आगमन ने उद्योगों को जबर्दस्त बढावा दिया। उद्योगों के दो मुख्य पक्ष हैं: १) भारी मात्रा में उत्पादन (मॉस प्रोडक्सन) उद्योगों में मानक डिजाइन के उत्पाद भारी मात्रा में उत्पन्न किये जाते हैं। इसके लिये स्वतः-चालित मशीनें एवं असेम्बली-लाइन आदि का प्रयोग किया जाता है। २) कार्य का विभाजन (डिविजन ऑफ् लेबर) उद्योगों में डिजाइन, उत्पादन, मार्कटिंग, प्रबन्धन आदि कार्य अलग-अलग लोगों या समूहों द्वारा किये जाते हैं जबकि परम्परागत कारीगर द्वारा निर्माण में एक ही व्यक्ति सब कुछ करता था/है। इतना ही नहीं, एक ही काम (जैसे उत्पादन) को छोटे-छोटे अनेक कार्यों में बांट दिया जाता है। सकल घरेलू उत्पाद (Gross domestic product/GDP) हरा - कृषि, लाल - उद्योग, नीला - सेवा क्षेत्र .

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उर्वरक

खाद डालते हुए; खाद एक जैविक उर्वरक है। उर्वरक (Fertilizers) कृषि में उपज बढ़ाने के लिए प्रयुक्त रसायन हैं जो पेड-पौधों की वृद्धि में सहायता के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। पानी में शीघ्र घुलने वाले ये रसायन मिट्टी में या पत्तियों पर छिड़काव करके प्रयुक्त किये जाते हैं। पौधे मिट्टी से जड़ों द्वारा एवं ऊपरी छिड़काव करने पर पत्तियों द्वारा उर्वरकों को अवशोषित कर लेते हैं। उर्वरक, पौधों के लिये आवश्यक तत्वों की तत्काल पूर्ति के साधन हैं लेकिन इनके प्रयोग के कुछ दुष्परिणाम भी हैं। ये लंबे समय तक मिट्टी में बने नहीं रहते हैं। सिंचाई के बाद जल के साथ ये रसायन जमीन के नीचे भौम जलस्तर तक पहुँचकर उसे दूषित करते हैं। मिट्टी में उपस्थित जीवाणुओं और सुक्ष्मजीवों के लिए भी ये घातक साबित होते हैं। इसलिए उर्वरक के विकल्प के रूप में जैविक खाद का प्रयोग तेजी से लोकप्रीय हो रहा है। भारत में रासायनिक खाद का सर्वाधिक प्रयोग पंजाब में होता है। .

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