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राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमि और रॉयल मैरेजेज़ ऍक्ट, १७७२

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमि और रॉयल मैरेजेज़ ऍक्ट, १७७२ के बीच अंतर

राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमि vs. रॉयल मैरेजेज़ ऍक्ट, १७७२

राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमि या राष्ट्रमण्डल प्रदेश, जिन्हें अंग्रेज़ी में कॉमनवेल्थ रॆयल्म कहा जाता है, राष्ट्रों के राष्ट्रमण्डल के उन १६ सार्वभौमिक राष्ट्रों को कहा जाता है, जिनपर एक ही शासक, महारानी एलिज़ाबेथ द्वि॰ का राज है। ये सारे देश एक ही राजसत्ता, शासक, राजपरिवार और उत्तराधिकार क्रम को साँझा करते हैं। इस व्यवस्था की शुरुआत १९३१ की वेस्टमिंस्टर की संविधि के साथ हुई थी, जिसके द्वारा ब्रिटेन के तत्कालीन डोमीनियन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूज़ीलैण्ड, आयरिश मुक्त राज्य और न्यूफाउण्डलैण्ड को ब्रिटिश राष्ट्रमण्डल के बराबर के सदस्य होने के साथ ही पूर्ण या पूर्णात्मत वैधिक स्वतंत्रता प्रदान की गयी थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से, विश्व भर में विस्तृत, ब्रिटिश साम्राज्य के तमाम देशों को एक डोमिनियन के रूप में स्वाधीनता प्रदान कर दी गयी। जिनमे से कुछ राज्यों ने पूर्णतः स्वाधीन होने के बावजूद राजतंत्र के प्रति अपनी वफ़ादारी को बरक़रार रखा, जबकि कुछ राज्यों ने ब्रिटिश राजतंत्र को नाममात्र प्रमुख मानने से इनकार कर स्वयं को गणतांत्रिक राज्य घोषित कर दिया। आज, विश्व बाहर में कुल १६ ऐसे राज्य हैं जो स्वयं को महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के एक प्रजाभूमि के रूप में पहचान करव्वते हैं। . रॉयल मॅरेजेज़ ऍक्ट यानि शाही विवाह अधिनियम, वर्ष १७७२ में ब्रिटिश संसद द्वारा पारित एक अधिनियम थी, जिसे ब्रिटिश राजपरिवार के सदस्यों के विवाह की वैधता सिद्ध करने के नियमों को स्थापित करने हेतु और शाही विवाहों के संबंध में अन्य विधानों और नियमों को भी अंकित करने हेतु पारित किया गया था, ताकि शाही परिवार के सदस्यों के उन संबंधों से बचा जा सके, जिससे शाही परिवार की हैसियत या मान कम होती हो। शाही परिवार के सहस्यों के निजी मामलों के संबंध में, संप्रभु को दिए गए अधिकार के कारण यह अधिनियम भारी आलोचना का पात्र रहा था। २०११ के पर्थ समझौते के बाद, इसे पूर्ववत कर दिया गया, और इसके प्रावधानों में हस्तक्षेपों को काफी हद तक सीमित कर दियागया। .

राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमि और रॉयल मैरेजेज़ ऍक्ट, १७७२ के बीच समानता

राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमि और रॉयल मैरेजेज़ ऍक्ट, १७७२ आम में 5 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): ऍक्ट ऑफ़ सेटलमेंट, १७०१, ब्रिटिश राजतंत्र, ब्रिटिश राजपरिवार, रॉयल मैरेजेज़ ऍक्ट, १७७२, सोफ़िया, हॅनोवर की निर्वाचिका

ऍक्ट ऑफ़ सेटलमेंट, १७०१

ऍक्ट ऑफ़ सेटलमेंट(Act of Settlement) अर्थात् समाधान का अधिनियम, इंग्लैंड की संसद द्वारा सन् १७०१ में पारित एक अधिनियम था, जिसे अंग्रेजी और आयरिश राजमुकुटों पर उत्तराधिकार की समस्या का समाधान करने हेतु पारित किया गया था। इस अधिनियम को ब्रिटिश राजतंत्र के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण विधानों में से एक माना जाता है। इस अधिनियम द्वारा, उत्तराधिकार के समाधान के रूप में, अंग्रेजी राजसत्ता के वारिस होने के हक़ को, हनोवर की निर्वाचिता, सोफ़िया(स्कॉटलैंड के जेम्स सष्टम की पौत्री) और उनके वंश की पुरुष-रेखा के जायज़, ग़ैर-रोमन कैथोलिक वंशजों को सौंप दिया था। इस अधिनियम के मौलिक दस्तावेज़ हनोवर के लोअर सैक्सन स्टेट पुरालेखागार में संरक्षित हैं। इस अधिनियम को विलियम तृतीय और रानी मैरी द्वितीय, और मैरी की बहन रानी ऐनी के कोई जीवित संतान उत्पन्न नहीं कर पाने, तथा स्टुअर्ट घराने के सभी सदस्यों के कैथोलिक धर्म होने के कारण किया गया था। सोफ़िया की वंशरेखा, स्टुअर्ट घराने की अवर्तम् रेखा थी, परंतु उसके सरे सदस्य वश्वास्पात्र प्रोटेस्टेंट थे। सोफ़िय का निधन, 8 जून 1714 को, 1 अगस्त 1714 को रानी ऐनी के देहांत से पहले ही होगई, जिसके पश्चात्, ज्याॅर्ज प्रथम ने सिंहासन पर विराज कर हनोवर वंश की शुरूआत की। इस अधिनियम ने स्काटलैंड और इंग्लैंड के विलय कर यय ग्रेट ब्रिटेन की स्थापना करने में अहम भूमिका निभाई थी। सन 1603 से ही दोनों देशों ने एक ही शासक को साझा किया था, परंतु दो भिन्न सारकारें थीं और ये दो वभक्त रूप से शासित देश थे। अंग्रेज़ी संसद के मुकाबले, स्काॅटियाई संसद, स्टुअर्ट घराने को, जरने स्काॅटलैंड पर इंग्लैण्ड पर हुकूमत करने से कहीं पहले से स्काॅटलैंड पर शासन करते आ रही थी, का त्याग करने का अधिक पक्ष में नहीं थी। एॅक्ट ऑफ़ सेटलमेंट को मंजूरी देने हेतु अंग्रेजी संसद का स्काॅटियाई संसद पर दबाव, इन दोनों देशों के संसदीय विलय का एक अतिमहत्वपूर्ण कारणों में से एक था। इस एॅक्ट के अंतर्गत, हर वो व्यक्ति, जो कि कैथलिक था, या किसी कैथोलिक व्यक्ति के संग विवाहित था, सिंहासन पर अधिकार से आजीवन वंजित होता है। साथ ही यह अधिनियम, विदेशियों का ब्रिटिश सर्कार में हस्तक्षेप तथा शासक का संसदीय कार्यों में हस्तक्षेप पर काफी रोक व सीमाएँ लगता है। हालांकि, इन विधानों में, बाद में, आवश्यक संशोधन भी लाए गए हैं। बिल ऑफ़ राइट्स, 1689 समेत, एॅक्ट ऑफ सेटलमेंट, ब्रिटेन और अन्य राष्ट्रमंडल प्रदेशों के साझा सिंहासन पर उत्तराधिकार के क्रम को अनुशासित करनेवाले मुख्यतम् विधानों में से एक है। इसे साँझा सिंहासन रखनेवाले देश की संसद द्वारा किसी अन्य संसद द्वारा पलटा नहीं जा सकता है, और रीतिनुसार, साआरे राष्ट्रमंडल प्रदेशों की स्वीकृति से ही इसे पलटा जा सकता है। पर्थ समझौते के पश्चात्‌, इसे संशोधित करने के विधानों को साथे प्रदेशों में 26 मार्च 2015 को पारित किया गया, जिसके बाद, कैथोलिक व्यक्ति के संग विवाहित व्यक्ति, उत्तराधिकार के लिए सक्षम हैं। .

ऍक्ट ऑफ़ सेटलमेंट, १७०१ और राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमि · ऍक्ट ऑफ़ सेटलमेंट, १७०१ और रॉयल मैरेजेज़ ऍक्ट, १७७२ · और देखें »

ब्रिटिश राजतंत्र

ब्रिटिश एकराट्तंत्र अथवा ब्रिटिश राजतंत्र(British Monarchy, ब्रिटिश मोनार्की, ब्रिटिश उच्चारण:ब्रिठिश मॉंनाऱ्क़़ी), वृहत् ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की संयुक्त राजशाही की संवैधानिक राजतंत्र है। ब्रिटिश एकाधिदारुक को संयुक्त राजशाही समेत कुल १५ राष्ट्रमण्डल प्रदेशों, मुकुटिया निर्भर्ताओं और समुद्रपार प्रदेशों के राजमुकुटों सत्ताधारक एकराजीय संप्रभु होने का गौरव प्राप्त है। वर्तमान सत्ता-विद्यमान शासक, ६ फरवरी वर्ष १९५२ से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय हैं जब उन्होंने अपने पिता जॉर्ज षष्ठम् से राजगद्दी उत्तराधिकृत की थी। संप्रभु और उसके तत्काल परिवार के सदस्य देश के विभिन्न आधिकारिक, औपचारिक और प्रतिनिधि कार्यों का निर्वाह करते हैं। सत्ताधारी रानी/राजा पर सैद्धांतिक रूप से एक संवैधानिक शासक के अधिकार निहित है, परंतु सदियों पुराने आम कानून के कारण संप्रभु अपने अधिकतर शक्तियों का अभ्यास केवल संसद और सरकार के विनिर्देशों के अनुसार ही कार्यान्वित करने के लिए बाध्य हैं। इस कारण से, इसे वास्तविक तौर पर एक संसदीय सम्राज्ञता मानी जाता है। संसदीय शासक होने के नाते, शासक के अधिकतर अधिकार, निष्पक्ष तथा गैर-राजनैतिक कार्यों तक सीमित हैं। सम्राट, शासक और राष्ट्रप्रमुख होने के नाते उनके अधिकतर संवैधानिक शासन तथा राजनैतिक-शक्तियों का अभ्यय वे सरकार और अपने मंत्रियों की सलाह और विनिर्देशों पर ही करते हैं। परंपरानुसार शासक, ब्रिटेन के सशस्त्र बाल के अधिपति होते हैं। हालाँकि, संप्रभु के समस्त कार्य-अधिकारों का अभ्यय शासक के राज-परमाधिकार द्वारा होता है। वर्ष १००० के आसपास, इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के राज्यों में कई छोटे प्रारंभिक मध्ययुगीन राज्य विकसित हुए थे। इस क्षेत्र में आंग्ल-सैक्सन लोगों का वर्चस्व इंग्लैंड पर नॉर्मन विजय के दौरान १०६६ में समाप्त हो गया, जब अंतिम आंग्ल-सैक्सन राजा हैरल्ड द्वितीय की मृतु हो गयी थी और अंग्रेज़ी सत्ता विजई सेना के नेता, विलियम द कॉंकरर और उनके वंशजों के हाथों में चली गयी। १३वीं सदी में इंग्लैंड ने वेल्स की रियासत को अवशोषित किया तथा मैग्ना कार्टा द्वारा संप्रभु के क्रमिक निःशक्तकरण की प्रक्रिया शुरू हुई। १६०३ में स्कॉटलैंड के राजा जेम्स चतुर्थ, अंग्रेजी सिंहासन पर जेम्स प्रथम के नाम से विराजमान होकर जो दोनों राज्यों को एक व्यक्तिगत संघ की स्थिति में ला खड़ा किया। १६४९ से १६६० के लिए अंग्रेज़ी राष्ट्रमंडल के नाम से एक क्षणिक गणतांत्रिक काल चला, जो तीन राज्यों के युद्ध के बाद अस्तिव में आया, परंतु १६६० के बाद राजशाही को पुनर्स्थापित कर दिया गया। १७०७ में परवर्तित एक्ट ऑफ़ सेटलमेंट, १७०१, जो आज भी परवर्तित है, कॅथॉलिक व्यक्तियों तथा कैथोलिक व्यक्ति संग विवाहित व्यक्तियों को अंग्रज़ी राजसत्ता पर काबिज़ होने से निष्कर्षित करता है। १७०७ में अंग्रेज़ी और स्कॉटियाई राजशाहियों के विलय से ग्रेट ब्रिटेन राजशही की साथपना हुई और इसी के साथ अंग्रज़ी और स्कोटिश मुकुटों का भी विलय हो गया और संयुक्त "ब्रिटिश एकराट्तंत्र" स्थापित हुई। आयरिश राजशही ने १८०१ में ग्रेट ब्रिटेन राजशाही के साथ जुड़ कर ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की संयुक्त राजशाही की स्थापना की। ब्रिटिश एकराट्, विशाल ब्रिटिश साम्राज्य के नाममात्र प्रमुख थे, जो १९२१ में अपने वृहत्तम् विस्तार के समय विष के चौथाई भू-भाग पर राज करता था। १९२२ में आयरलैंड का पाँच-छ्याई हिस्सा आयरिश मुक्त राज्य के नाम से, संघ से बहार निकल गया। बॅल्फोर घोषणा, १९२६ ने ब्रिटिश डोमिनिओनों के औपनिवेशिक पद से राष्ट्रमंडल के भीतर ही विभक्त, स्वशासित, सार्वभौमिक देशों के रूप में परिवर्तन को मान्य करार दिया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश साम्राज्य सिमटता गया, और ब्रिटिश साम्राज्य के अधिकतर पूर्व उपनिवेश व प्रदेश स्वतंत्र हो गए। जो पूर्व उपनिवेश, ब्रिटिश शासक को अपना शासक मानते है, उन देशों को ब्रिटिश राष्ट्रमण्डल प्रमंडल या राष्ट्रमण्डल प्रदेश कहा जाता है। इन अनेक राष्ट्रों के चिन्हात्मक समानांतर प्रमुख होने के नाते, ब्रिटिश एकराट् स्वयं को राष्ट्रमण्डल के प्रमुख के ख़िताब से भी नवाज़ते हैं। हालांकि की शासक को ब्रिटिश शासक के नाम से ही संबोधित किया जाता है, परंतु सैद्धान्तिक तौर पर सारे राष्ट्रों का संप्रभु पर सामान अधिकार है, तथा राष्ट्रमण्डल के तमाम देश एक-दुसरे से पूर्णतः स्वतंत्र और स्वायत्त हैं। .

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ब्रिटिश राजपरिवार

ब्रिटिश राजपरिवार, ब्रिटिश संप्रभु के परिवार के सबसे करीबी सदस्यों के समूह को कहाजाता है। हालाँकि, ब्रिटेन में ऐसा कोई दृढ़ नियम या विधान नहीं है, जो यह सुनियोजित करता हो की किन व्यक्तियों को इस विशेष समूह में रखा जाए, नाही कोई ऐसा विधान है जो राजपरिवार को विस्तृत रूप से परिभाषित करता हो। बहरहाल, आम तौर पर उन व्यक्तियों को जिनपर हिज़/हर मैजेस्टी(HM) या हिज़/हर रॉयल हाइनेस(HRH) का संबोधन रखते हैं, को आम तौर पर राजपरिवार का सदस्य माना जाता है। इस मापदंड के आधार पर राज परिवार में, अधिराट्, उनके/उनकी सहचारी, पूर्व संप्रभु(ओं) की विधवा(एँ)/विधुरगण, वेल्स के राजकुमार के ज्येष्ठताम् पुत्र के संतान, तथा पूर्व शासक(ओं) के पुत्रों की धर्मपत्नियाँ या उनकी विधवाएँ और उनके पुरुष-रेखा के पौत्र शामिल होंगे। विभिन्न राष्ट्रमण्डल प्रदेशों के सन्दर्भ में, इसी(या इस के सामान) विशेष समूह के लिए भिन्न शब्दावली का उपयोग भी किया जा सकता है, उदाहरण के तौर पर, ऑस्ट्रेलिया में इस समूह को ऑस्ट्रेलियाई राजपरिवार कहा जाता है। राजपरिवार के कई सदस्यों के नाम पर आधिकारिक निवास भी आवंटित किये जाते है, जो इनका आधिकारिक निवास होता है, तथा, कई सादस्यों को निजी अधिकारिणी भी प्रदान की जाती है। राजपरिवार के निजी स्टाफ के वेतन का भुगतान, महारानी के कोष से किया जाता है। राजपरिवार के अधिकांश सदस्य किसी-न-किसी प्रकार से, विंडसॉर घराने से संबंध रखते हैं। राजपरिवार के वरिष्ठ सदस्य, आम तौर पर, कुलनाम नहीं रकजते हैं। .

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रॉयल मैरेजेज़ ऍक्ट, १७७२

रॉयल मॅरेजेज़ ऍक्ट यानि शाही विवाह अधिनियम, वर्ष १७७२ में ब्रिटिश संसद द्वारा पारित एक अधिनियम थी, जिसे ब्रिटिश राजपरिवार के सदस्यों के विवाह की वैधता सिद्ध करने के नियमों को स्थापित करने हेतु और शाही विवाहों के संबंध में अन्य विधानों और नियमों को भी अंकित करने हेतु पारित किया गया था, ताकि शाही परिवार के सदस्यों के उन संबंधों से बचा जा सके, जिससे शाही परिवार की हैसियत या मान कम होती हो। शाही परिवार के सहस्यों के निजी मामलों के संबंध में, संप्रभु को दिए गए अधिकार के कारण यह अधिनियम भारी आलोचना का पात्र रहा था। २०११ के पर्थ समझौते के बाद, इसे पूर्ववत कर दिया गया, और इसके प्रावधानों में हस्तक्षेपों को काफी हद तक सीमित कर दियागया। .

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सोफ़िया, हॅनोवर की निर्वाचिका

फ़ाल्ज़ की राजकुमारी, सोफ़िया(जर्मन:Sophie, Prinzessin von der Pfalz) जिन्हें अधिक प्रचलित रूप से सोफ़िया ऑफ़ हॅनोवर अर्थात् "हनोवर की सोफ़िया" के नाम से जाना जाता है, का जन्म १७ अक्टूबर १६३० को हेग, नीदरलैण्ड में हुआ था। वे फ़्रेडरिक पंचम, निर्वाचक फ़ाल्ज़ तथा स्कॉटलैंड और इंग्लैंड के राजा, जेम्स (षष्टम् और प्रथम) की पुत्री, एलिज़ाबेथ स्टुअर्ट, की सबसे छोटी पुत्री थी। उनकी पर्वरिश डच गणराज्य में हुई थी। १६५८ में उनका विवाह बर्नस्विक-लूनबर्ग के ड्यूक, अर्नेस्ट ऑगस्टस के साथ हुआ, जिन्हें बाद में पवित्र रोमन साम्राज्य में निर्वाचक का दर्ज प्राप्त हुआ, जिसके कारण सोफ़िया को हनोवर की निर्वाचिका की उपादि प्राप्त हुई। एक ऐसा ख़िताब, जिसके नाम से उन्हें बेहतर जाना जाता है। इंग्लैण्ड में गौरवशाली क्रांति के पश्चात पारित हुए ऍक्ट ऑफ़ सेटलमेंट, १७०१ के अंतर्गत उन्हें, जेम्स प्रथम की पोती होने के नाते, अंग्रेज़ी सिंघासन का एकमात्र वैध वारिस तथा उन्हें और उनके आगामी प्रोटोस्टेंट वंश को इंग्लैंड की राजगद्दी का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया गया था। हालाँकि उनके सिंघासन विराजने से दो महीने पूर्व ही मृत्यु हो गयी; अतः सिंघासन पर उनका अधिकार, विधि द्वारा उनके ज्येष्ठ पुत्र, जॉर्ज लुइस, हनोवर के निर्वाचक के पास चला गया, जिन्होंने १ अगस्त १७१४ को इंग्लैंड के राजा जॉर्ज प्रथम के रूप में सिंघासन पर विराजमान होकर, इंग्लैंड और स्कॉटलैंड में हनोवर वंश के राज को शुरू किया। ऐसा, तत्कालीन राजा विलियम तृतीय और रानी मैरी द्वितीय, और मैरी की बहन रानी ऐनी के कोई जीवित संतान उत्पन्न नहीं कर पाने, तथा स्टुअर्ट घराने के अन्य सभी सदस्यों के कैथोलिक धर्म होने के कारण किया गया था। .

राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमि और सोफ़िया, हॅनोवर की निर्वाचिका · रॉयल मैरेजेज़ ऍक्ट, १७७२ और सोफ़िया, हॅनोवर की निर्वाचिका · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमि और रॉयल मैरेजेज़ ऍक्ट, १७७२ के बीच तुलना

राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमि 93 संबंध है और रॉयल मैरेजेज़ ऍक्ट, १७७२ 6 है। वे आम 5 में है, समानता सूचकांक 5.05% है = 5 / (93 + 6)।

संदर्भ

यह लेख राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमि और रॉयल मैरेजेज़ ऍक्ट, १७७२ के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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