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राग काफ़ी और होली लोकगीत

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

राग काफ़ी और होली लोकगीत के बीच अंतर

राग काफ़ी vs. होली लोकगीत

राग काफ़ी हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का एक महत्वपूर्ण राग है। यह काफ़ी थाट का प्रमुख राग है। इस राग का लोक संगीत से घनिष्ठ संबंध है इस लिए अनेक लोकगीत जैसे होली, टप्पा दादरा कीर्तन और भजन इस राग में गाए जाते हैं। इस राग की जाति संपूर्ण संपूर्ण है तथा गांधार व निषाद कोमल हैं। पंचम वादी तथा षड़ज संवादी है। इसका गायन समय रात्रि का प्रथम प्रहर है। राग का प्रमुख रस शृंगार है। आरोहः सा, रे, ग॒, म, प, ध, नि॒ सां अवरोहः सां नि॒ ध प म ग॒ रे सा पकड़: रे प म प ग॒ रे, म म पऽ Filmi songs, Sabab; chandan ka palana resham ki dori, Aazaad; Ja ri Jari O kali Badariya,Ahh; Ajare Aba Mera Dil Pukara, Sahajahan(Saigal); Gum Diye Mustakil Kitna Nazuk Hai Dil, श्रेणी:राग. ग्रामीण लोकगायकहोली उत्तर भारत का एक लोकप्रिय लोकगीत है। इसमें होली खेलने का वर्णन होता है। यह हिंदी के अतिरिक्त राजस्थानी, पहाड़ी, बिहारी, बंगाली आदि अनेक प्रदेशों की अनेक बोलियों में गाया जाता है। इसमें देवी देवताओं के होली खेलने से अलग अलग शहरों में लोगों के होली खेलने का वर्णन होता है। देवी देवताओं में राधा-कृष्ण, राम-सीता और शिव के होली खेलने के वर्णन मिलते हैं। इसके अतिरिक्त होली की विभिन्न रस्मों की वर्णन भी होली में मिलता है। इस लोकगीत को शास्त्रीय या उप-शास्त्रीय संगीत में ध्रुपद, धमार, ठुमरी या चैती के रूप में भी गाया जाता है। .

राग काफ़ी और होली लोकगीत के बीच समानता

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संदर्भ

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