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रस चिकित्‍सा और रसरत्नसमुच्चय

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

रस चिकित्‍सा और रसरत्नसमुच्चय के बीच अंतर

रस चिकित्‍सा vs. रसरत्नसमुच्चय

पारा और गंधक के साथ काष्‍ठादिक औषधियों के योग से बनने वाली दवाओं को रसौषधि कहते हैं। रसौषधियों से रोगों की चिकित्‍सा जब की जाती है तब इसे रस चिकित्‍सा कहते हैं। . रसरत्नसमुच्चय रस चिकित्सा का सर्वांगपूर्ण ग्रन्थ है। इसमें रसों के उत्तम उपयोग तथा पारद-लोह के अनेक संस्कारों का उत्तम वर्णन है। यह वाग्भट की रचना है। रसशास्त्र के मौलिक रसग्रन्थों में रसरत्नसमुच्चय का स्थान सर्वोच्च है। इसमें पाये जाने वाले स्वर्ण, रजत आदि का निर्माण तथा विविध रोगों को दूर करने के लिये उत्तमोत्तम रस तथा कल्प अपनी सादृश्यता नहीं रखते। यह ग्रन्थ जितना उच्च है उतना ही गूढ़ और व्यावहारिकता में कठिन भी है। .

रस चिकित्‍सा और रसरत्नसमुच्चय के बीच समानता

रस चिकित्‍सा और रसरत्नसमुच्चय आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): रसविद्या

रसविद्या

रसविद्या, मध्यकालीन भारत की किमियागारी (alchemy) की विद्या है जो दर्शाती है कि भारत भौतिक संस्कृति में भी अग्रणी था। भारत में केमिस्ट्री (chemistry) के लिये "रसायन शास्त्र", रसविद्या, रसतन्त्र, रसशास्त्र और रसक्रिया आदि नाम प्रयोग में आते थे। जहाँ रसविद्या से सम्बन्धित क्रियाकलाप किये जाते थे उसे रसशाला कहते थे। इस विद्या के मर्मज्ञों को रसवादिन् कहा जाता था। रसविद्या का बड़ा महत्व माना गया है। रसचण्डाशुः नामक ग्रन्थ में कहा गया है- इसी तरह- .

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रस चिकित्‍सा और रसरत्नसमुच्चय के बीच तुलना

रस चिकित्‍सा 5 संबंध है और रसरत्नसमुच्चय 14 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 5.26% है = 1 / (5 + 14)।

संदर्भ

यह लेख रस चिकित्‍सा और रसरत्नसमुच्चय के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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