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यौन अंग

सूची यौन अंग

यौन अंग, शरीर के वह अंग होते हैं, जो किसी जीव की प्रजनन प्रकिया में सम्मिलित होने के साथ साथ उसके प्रजनन तंत्र का रचना भी करते हैं। स्तनधारियों के प्रमुख यौन अंग हैं: -.

12 संबंधों: डिम्बग्रंथि, नर, भग, भगशेफ, भगोष्ठ, योनि, लिंग, शिश्न, शिश्न मुण्ड, वृषण, गर्भाशय, ग्रीवा

डिम्बग्रंथि

डिम्बग्रंथि स्त्री जननांग या स्त्री प्रजनन प्रणाली का एक भाग हैं। महिलाओं में गर्भाशय के दोनों ओर डिम्बग्रंथियां होती है। यह देखने में बादाम के आकार की लगभग ३.५ सेमी लम्बी और २ सेमी चौड़ी होती है। इसके ऊपर ही डिम्बनलिकाओं कि तंत्रिकाएं होती है जो अंडों को अपनी ओर आकर्षित करती है। डिम्बग्रंथियों का रंग गुलाबी होता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ ये हल्के सफेद रंग की हो जाती है। वृद्वावस्था में यह सिकुड़कर छोटी हो जाती है। इनका प्रमुख कार्य अंडे बनाना तथा उत्तेजित द्रव और हार्मोन्स बनाना होता है। डिम्बग्रंथियों के मुख्य हार्मोन्स ईस्ट्रोजन और प्रोजैस्ट्रोन है। माहवारी (मासिक-धर्म) स्थापीत होने के पूर्व इसका कोई काम नहीं होता है। परन्तु माहवारी के बाद इसमें प्रत्येक महीने डिम्ब बनते और छोड़े जाते है, जो शुक्राणुओं के साथ मिलकर गर्भधारण करते है। .

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नर

मानव के नरों को पुरुष (♂) कहा जाता है। एक जीव का लिंग है जो की छोटे मोबाइल गमेट्स पैदा करता हैं जिसे की स्पर्म या शुक्राणु भी कहते हैं। हर एक शुक्राणु एक मादा अंडे के साथ क्रिया कर एक गर्भ के रूप में विकास कर सकता हैं। हर कोई प्रजाति इस पुरुष और स्त्री के पहचान से नहीं जानी जा सकती है। इंसानों और जानवरों में लिंग जहाँ लिंग (अंग) से बताया जा सकता हैं वही अन्य जीवो में यह कई अन्य बातों पर निर्भर करता हैं। .

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भग

भग भग स्तनधारी मादा (मनुष्यों मे महिला) के एक शरीर का हिस्सा है। भग का अर्थ बाहर से दिखाई देने वाले मादा जननांग है। मारवाडी भाषा मे भोसिया, सिसिया, भोसरा, भोल, वारसा और अतार कहते है| भग की रचना मे सामान्य रूप से दिखाई देने वाले दो मांसल संरचनायें होती हैं जिन्हें भगोष्ट (भग+होठ) (लेबिया) कहते है। बाहरी भगोष्ट (लेबिया मेजोरा) जो गद्देदार होते हैं आंतरिक जननांग संरचनाओं को सुरक्षा प्रदान करते हैं। भीतरी भगोष्ट (लेबिया माइनोरा) भगशेफ के हुड से जुड़े हुए होते हैं और यह योनि को आवरण प्रदान करते हैं और संभोग के दौरान शिश्न के स्नेहन में सहायता करते हैं। बहुत से लोगों समझते हैं कि भग ही योनि होती है पर योनि शब्द उस नलिका को परिभाषित करता है जो गर्भाशय से भग को जोड़ती है। .

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भगशेफ

(1) भगशेफ का आच्छादक चर्म (2) भगशेफ भगशेफ (clitoris) एक कामेन्द्रिय (सेक्स ऑर्गन) है जो स्त्रियों तथा स्तनधारियों, शुतुर्मुर्ग एवं कुछ अन्य जन्तुओं की मादाओं में पाया जाता है। श्रेणी:स्तनधारियों की मादाओं के जननांग.

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भगोष्ठ

महिला के बाहरी यौनांगों को सामूहिक रूप से योनि कहा जाता है। बाह्य जननांग जिनमें मोंसवेनरीज (मोंस प्यूबिस/प्यूबिस माउंड), भगोष्ठ (मुख्य या बाहरी लेबिया) और लघुभगोष्ठ (छोटा आंतरिक लेबिया), भगशेफ (क्लिटॉरिस) और बरोठ (लघु भगोष्ठ से घिरा फांक क्षेत्र) शामिल हैं। इ समें दो छिद्र होते हैं मूत्र विसर्जन के लिए मूत्रमार्गीय छिद्र और बरोठ (वेस्टिबुल) में योनि का छिद्र (हाइमन)।.

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योनि

मादा के जननांग को योनि (वेजाइना) कहा जाता है। इसके पर्यायवाची शब्द भग, आदि हैं। सामान्य तौर पर "योनि" शब्द का प्रयोग अक्सर भग के लिये किया जाता है, लेकिन जहाँ भग बाहर से दिखाई देने वाली संरचना है वहीं योनि एक विशिष्ट आंतरिक संरचना है। .

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लिंग

व्याकरण से सम्बन्धित 'लिंग' के लिये लिंग (व्याकरण) देखें। ---- मानव पुरुष और स्त्री का वाह्य दृष्य जीवविज्ञान में लिंग (Sex, Gender) से तात्पर्य उन पहचानों या लक्षणों से जिनके द्वारा जीवजगत् में नर को मादा से पृथक् पहचाना जाता है। जंतुओं में असंख्य जंतु ऐसे होते हैं जिन्हें केवल बाह्य चिह्नों से ही नर, या मादा नहीं कहा जा सकता। नर तथा मादा का निर्णय दो प्रकार के चिह्नों, प्राथमिक (primary) और गौण (secondary) लैंगिक लक्षणों (sexual characters), द्वारा किया जाता है। वानस्पतिक जगत् में नर तथा मादा का भेद, विकसित प्राणियों की भाँति, पृथक्-पृथक् नहीं पाया जाता। जो की सत्य है। .

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शिश्न

शिश्न की संरचना: 1 — मूत्राशय, 2 — जघन संधान, 3 — पुरस्थ ग्रन्थि, 4 — कोर्पस कैवर्नोसा, 5 — शिश्नमुंड, 6 — अग्रत्वचा, 7 — कुहर (मूत्रमार्ग), 8 — वृषणकोष, 9 — वृषण, 10 — अधिवृषण, 11— शुक्रवाहिनी शिश्न (Penis) कशेरुकी और अकशेरुकी दोनो प्रकार के कुछ नर जीवों का एक बाह्य यौन अंग है। तकनीकी रूप से शिश्न मुख्यत: स्तनधारी जीवों में प्रजनन हेतु एक प्रवेशी अंग है, साथ ही यह मूत्र निष्कासन हेतु एक बाहरी अंग के रूप में भी कार्य करता है। शिश्न आमतौर स्तनधारी जीवों और सरीसृपों में पाया जाता है। हिन्दी में शिश्न को लिंग भी कहते हैं पर, इन दोनो शब्दों के प्रयोग में अंतर होता है, जहाँ शिश्न का प्रयोग वैज्ञानिक और चिकित्सीय संदर्भों में होता है वहीं लिंग का प्रयोग आध्यात्म और धार्मिक प्रयोगों से संबंद्ध है। दूसरे अर्थो में लिंग शब्द, किसी व्यक्ति के पुरुष (नर) या स्त्री (मादा) होने का बोध भी कराता है। हिन्दी में सभी संज्ञायें या तो पुल्लिंग या फिर स्त्रीलंग होती हैं। .

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शिश्न मुण्ड

नर मानव की शरीर रचना के सन्दर्भ में, शिश्न के अन्तिम भाग के गोलीय भाग को शिश्न मुण्ड (glans penis) कहते हैं। नर मानव का शिश्न मुंद तथा मादा मानव (स्त्रियों) का भगशिश्निका मुंड (clitoral glans) समजात अंग (homologous) हैं। श्रेणी:मानव शारीरिकी.

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वृषण

अंडकोष पुरूष के नीचे एक थैली होती है। इसे स्क्रोटम कहा जाता है। इस थैली की त्वचा ढीली होती है। जो गर्मियों में अधिक बढ़कर लटक जाती है तथा सर्दियों में सिकुड़कर छोटी होती है। इसके अंदर वृषण होते है इनका मुख्य कार्य शुक्राणु और पुरूष उत्तेजित द्रव को बनाना होता है। वे पुरूष जो आग के सामने कार्य करते है, अधिक गर्म पानी से नहाते हैं। यह कच्छा को अधिक कसकर बांधते हैं। उनके अंडकोष से शुक्राणु कम मात्रा में या नहीं बन पाते है। अंडकोश की लंबाई 5 cm सेमी और चौड़ाई 2.5 सेमी होती है। इसमें रक्त का संचार बहुत अधिक होता है। दोनों तरफ के अंडकोष एक नलिका के द्वारा जुड़े होते हैं। जिसको वास डिफेरेन्स कहते है तथा दूसरी तरफ ये अन्य ग्रंथि से जुड़े रहते हैं। जिनको सेमिनाल वेसाईकल कहते है। Image:Hanging testicles.JPG| Image:Human_Scrotum.JPG| .

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गर्भाशय

गर्भाशय स्त्री जननांग है। यह 7.5 सेमी लम्बी, 5 सेमी चौड़ी तथा इसकी दीवार 2.5 सेमी मोटी होती है। इसका वजन लगभग 35 ग्राम तथा इसकी आकृति नाशपाती के आकार के जैसी होती है। जिसका चौड़ा भाग ऊपर फंडस तथा पतला भाग नीचे इस्थमस कहलाता है। महिलाओं में यह मूत्र की थैली और मलाशय के बीच में होती है तथा गर्भाशय का झुकाव आगे की ओर होने पर उसे एन्टीवर्टेड कहते है अथवा पीछे की तरफ होने पर रीट्रोवर्टेड कहते है। गर्भाशय के झुकाव से बच्चे के जन्म पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। गर्भाशय का ऊपरी चौड़ा भाग बाडी तथा निचला भाग तंग भाग गर्दन या इस्थमस कहलाता है। इस्थमस नीचे योनि में जाकर खुलता है। इस क्षेत्र को औस कहते है। यह 1.5 से 2.5 सेमी बड़ा तथा ठोस मांसपेशियों से बना होता है। गर्भावस्था के विकास गर्भाशय का आकार बढ़कर स्त्री की पसलियों तक पहुंच जाता है। साथ ही गर्भाशय की दीवारे पतली हो जाती है। .

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ग्रीवा

ग्रीवा गर्भाशय का मुख है। स्त्री के शरीर में बाहर से दिखने वाली संरचना को योनि द्वार कहा जाता है। योनि के जितने भाग में पुरुष का लिंग प्रवेश करता है, उतना भाग योनि है। लिंग से निकलने वाला वीर्य इस ग्रीवा से अंदर प्रवेश करके गर्भाशय में पहुँचता है। .

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